#गाजियाबाद में अवैध संबंध
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पापा के सीने पर बैठ मम्मी ने उनका गला दबा दिया...बच्चों ने नर्स की साजिश का किया खुलासा, प्रेमी संग पकड़ी गई
पापा के सीने पर बैठ मम्मी ने उनका गला दबा दिया…बच्चों ने नर्स की साजिश का किया खुलासा, प्रेमी संग पकड़ी गई
गाजियाबाद: शास्त्रीनगर में रहने वाले एक युवक की गला दबाकर हत्या कर दी गई। युवक की पत्नी शव लेकर अस्पताल गई और चादर के फंदे पर लटककर आत्महत्या की बात कही। अस्पताल की सूचना पर पुलिस पहुंची तो महिला ने कार्रवाई से इनकार किया, लेकिन शव देखकर पुलिस को संदेह हुआ। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजकर महिला के 2 बेटों से पुलिस ने बात की। तब पता चला कि महिला पति के सीने पर बैठकर गला दबा रही थी। बच्चों ने पूछा…
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अब कुत्ता पालने के लिए निगम से लेना होगा लाइसेंस, गंदगी करने पर भरना पड़ेगा इतना जुर्माना
चैतन्य भारत न्यूज आमतौर पर हर घर में घरेलू जानवर के तौर पर लोग कुत्ता पालते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अब कुत्ता पालने के लिए भी लाइसेंस लेना होगा। जी हां...घरों में कुत्ता पालने के लिए अब आपको नगर निगम से लाइसेंस लेना पड़ेगा।
बता दें कुत्ता पालने के लिए लाइसेंस लेने का यह फरमान दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में सुनाया गया है। नगर निगम ने इस लाइसेंस की फीस पांच हजार रुपए तय की है। इतना ही नहीं बल्कि पालतू कुत्ते ने सड़क या पार्क में गंदगी की तो मालिक को 500 रुपए जुर्माना भी भरना पड़ेगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों ने इस व्यवस्था को लागू करने का प्रस्ताव पास किया। उन्होंने कहा कि नगर निगम में तैनात पशु चिकित्साधिकारी कुत्ता पालने के लिए लाइसेंस जारी करेंगे।
खबरों के मुताबिक, पिछले साल भी निगम ने डॉगी के लिए लाइसेंस फीस 100 गुना बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया था। लेकिन संगठनों की आपत्ति के बाद प्रशासन ने संशोधन कर इसे मिनट्स बुक से हटा दिया गया था। लेकिन सदन में दोबारा से यह प्रस्ताव पार्षदों को लाना पड़ा। ये भी पढ़े... डॉगी के थे पड़ोस के कुत्ते से अवैध संबंध तो मालिक ने घर से निकाला सभी रस्मों-रिवाज से हुई कुत्ते-कुतिया की शादी, DJ की धुन पर निकली बारात, दहेज भी मिला पत्थरों के नीचे दब गए कुत्ते के पिल्ले, रोती हुई मां मांग रही थी मदद, वीडियो देख आपका भी दिल पसीज जाएगा Read the full article
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शर्मनाक : राशन के लिए महिला से संबंध बनाने की रखी शर्त, बातचीत का ऑडियो वायरल
शर्मनाक : राशन के लिए महिला से संबंध बनाने की रखी शर्त, बातचीत का ऑडियो वायरल
गाजियाबाद जिले के भोजपुर थानाक्षेत्र के एक गांव में रहने वाली महिला ने राशन डीलर पर राशन देने के एवज में अवैध संबंध बनाने का दबाव डालने का आरोप लगाया है। दोनों की बातचीत के तीन ऑडियो भी वायरल हो रहे हैं। ��नमें राशन डीलर फोन पर महिला से अश्लील बातें कर रहा है और सहमति देने पर राशन के साथ अन्य सुविधाएं भी देने की बात कर रहा है।
आरोप है कि ग्राम प्रधान व राशन डीलर ने पुलिस से शिकायत करने पर…
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साली से अवैध संबंध थे, सुपारी देकर गर्भवती पत्नी को गिरा दिया मौत के घाट
साली से अवैध संबंध थे, सुपारी देकर गर्भवती पत्नी को गिरा दिया मौत के घाट
गाजियाबाद:
गाजियाबाद में एक व्यक्ति को अपनी साली से अवैध संबंधों के कारण गर्भवती पत्नी को मारने और डकैती का प्लान बनाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने बताया कि ये घटना 11-12 जनवरी की है। आरोपी शख्स ने पत्नी को मारने के लिए डकैती की फर्जी योजना बनाई थी। इतना ही नहीं शख्स ने इसके लिए तीन लोगों को सुपारी भी दे रखी थी। शख्स ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
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शाहबेरी कांड के मुख्य अभियुक्त का साझीदार है एक विधायक ग्रेटर नोयडा में शाहबेरी स्थित गिर चुकी अवैध इमारतों को बनाने वाला मुख्य अभियुक्त बहुत पॉवर फुल बताया जा रहा है। अभियुक्त के नामचीन नेताओं से गहरे निजी संबंध बताये जा रहे हैं, इस अवैध प्रोजेक्ट में एक विधायक भी संलिप्त बताया जा रहा है, इसीलिए मुख्य अभियुक्त पर शिकंजा कसने से पुलिस बचती नजर आ रही है। शाहबेरी कांड का मुख्य अभियुक्त बुलंदशहर जिले में स्थित कस्बा जहांगीराबाद का निवासी बताया जाता है, इसके विरुद्ध थाना जहांगीराबाद में भी हत्या सहित कई गंभीर घटनाओं को अंजाम देने से संबंधित मुकदमे दर्ज बताये जा रहे हैं। अभियुक्त गाजियाबाद में बस गया है लेकिन, एक व्यापारिक संगठन का जिलाध्यक्ष पद हथिया कर बुलंदशहर में सक्रिय रहता है और यहाँ से चुनाव लड़ने की जमीन तैयार कर रहा है। पढ़ें: ग्रेटर नोयडा के पीएम और एपीएम निलंबित, ओएसडी का तबादला शाहबेरी कांड में दर्ज हुए मुकदमे में नामजद होने के बावजूद इस पर पुलिस शिकंजा कसने बच रही है, क्योंकि इसके तमाम दलों के शीर्ष नेताओं से गहरे निजी संबंध बताये जा रहे हैं, इसके आईएएस और आईपीएस लॉबी में भी पैठ बताई जा रही है। मुख्य अभियुक्त के सैकड़ों फोटो सामने आये हैं, जिनमें वह प्रांतीय, केंद्रीय मंत्रियों, उप-मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक के साथ नजर आ रहा है, साथ ही अन्य तमाम दलों के शीर्ष नेताओं के अलावा कई फिल्मी हस्तियों के साथ भी दिख ��हा है, इसने पत्रकारिता दिवस पर कई नामचीन पत्रकारों को सम्मानित किया था, इसके प्रोजेक्ट में एक विधायक बराबर का साझीदार बताया रहा है, इसीलिए पुलिस इसके विरुद्ध शिकंजा कसने से बचती नजर आ रही है। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं) पढ़ें: मलबे से तीन शव निकाले, नामजद मुकदमा दर्ज, तीन गिरफ्तार
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टोल का ठेका समाप्त सूचना देने हेतु सरकार लगाए बड़े बड़े होर्डिंग्स
देशभर में आवागमन के लिये सड़के अच्छी और गड्डामुक्त हो इसके लिये अगर केंद्र सरकार ठेके देकर टोल व्यवस्था का मार्ग प्रस्थ करती है तो उसमे कोई बुराई नजर नहीं है क्योंकि साफ सड़क पर चलने और गड्ढायुक्त सड़कों पर जाने से वाहनों का जो नुकसान होता है उसके मुकाबले टोल देने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि ग्डढो में धच्के खाने से होने वाली बीमारियां और गाड़ी के नुकसान के मुकाबले टोल टैक्स कम ही लगता है। लेकिन हमारी केंद्र सरकार से संबंध टोल मंत्रालय ठेका छोड़कर यह भूल जाता है कि उसने कितने वर्षाें के लिये वाहनों की वसूली के लिये प्रावधान तय किया था इसका लाभ उठाकर या संबंधित विभाग के अधिकारियों की लापरवाही अथवा उनसे मिलीभगत कर टोल वसूलने वालें समय अवधि समाप्त होने के बाद भी लाखों रूपये आने जाने वाले वाहनों के चालकों एवं परिचालकों से वसूलते हैं और विरोध करने पर वहां मौजूद ठेकेदार के गुंडे मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। और जनता इनके हाथों लूटती रहती है। गत दिवस इसका स्पष्ट खुलासा उस समय हुआ जब अलीगढ़ जनपद के विधानसभा क्षेत्र बरौली अलीगढ़ के विधायक दलबीर ंिसह गाजियाबाद से होकर कहीं जा रहे थे तो डासना टोल पर वाहनों की लंबी लाईन लगी थी और उनसे टोल टैक्स वसूली की जा रही थी। भीड़ में फंसे विधायक टोल पर पहुंचे और अपना परिचय दिया तो वसूली कर रहे लोग तथा अन्य वहां से भाग निकले। जिस पर यह पता चला कि टोल पर ठेका समाप्त हो चूका है। अब वहां अवैध वसूली की जा रही थी। पूर्व मंत्री विधायक दलबीर सिंह ने इसकी शिकायत गाजियाबाद के डीएम रितु माहेश्वरी से की। जिस पर उन्होंनंे जांच कराने और कार्रवाई करने का भरोसा दिया। सवाल यह उठता है कि जब टोल ठेका समाप्त हो गाय तो उस पर हो रही वसूली की खबर अधिकारियों तक क्यों नहीं पहुंची और अगर नहीं पहुंची तो यह उनकी लापरवाही और काम के प्रति संबंधितों का नकारापन ह�� कहा जा सकता है इस टोल से लगभग 60 हजार वाहन रोज आते जाते हैं अगर यह सख्ंाया सही है तो प्रतिदिन लाखों व सप्ताह में करोड़ो और वर्ष में अरबों में अवैध वसूली की संख्या पहुंचती होगी इस अवैध वसूली से आम आदमी के हो रहे आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न तथा उसके समय की बर्बादी को देखते हुए मेरा मानना है कि यूपी और केंद्र की सरकार को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ करनी चाहिये सख्ती से कार्रवाई। और देश भर के अन्य टोल से संबंध फाईलों का अवलोकन कराकर जिन टोल के ठेकों की अवधि समाप्त हो गई वहां पर बोर्ड लगाकर यात्रियों को टोल टैक्स न दे और इसकी ठेका अवधि समाप्त हो गई है अगर कोई जबरदस्ती करता है तो उसकी सूचना मेल, मैसेज या अन्य तरीके से जिले के डीएम, यूपी के सीएम व सड़क परिवहन मंत्रालय को दे और रास्ते में पड़ने वाली पुलिस चैकी और थाने को भी दें। तथा अब तक जो ठेकेदार अवधि समाप्त होने पर भी वसूली करते रहें हैं उनसे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के साथ साथ इनके इस प्रकार के लाईसेंस निलंबित करते हुए अब तक की गई अवैध वसूली का धन सरकार के कोष में जमा कराया जाए।
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हरकी पेड़ी से जल लेकर चलने वालों की संख्या बड़ा चढ़ाकर पेश करने के बजाए शिवरात्रि पर्व पर अधिकारी व्यवस्था पर ध्यान दें तो अच्छा है
हरिद्वार से दिल्ली तक बने मार्ग व कांवड़ विकास प्राधिकरण का हो गठन शासन में बैठे अधिकारी ज्यादा दखल अंदाजी करने के बजाए कमिश्नर, एडीजी, डीएम व एसएसपी पर छोड़े जिम्मेदारी रिटायर्ड प्रशासन व पुलिस के अनुभवी अधिकारियों का लिया जाए सहयोग शिवरात्रि से 6 दिन पहले व्यवस्था अनुसार हरिद्वार से हो रोड डायवर्ट कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले गांव कस्बे व महानगरों के नागरिकों के साथ बैठक कर थानेदार क्षेत्राधिकारी व एसडीएम बनाए व्यवस्था मानसून शुरू हो जाने तथा गर्मियों से राहत की उम्मीद बंधने की वजह से जुलाई माह की शुरूआत सबके लिये लगभग अच्छी बताई जाती है। इसलिये इस बार तो 9 जुलाई को सप्ताह के समापन के दिन गुरूपूर्णिमा थी और रविवार अत्यंत ही शुभ कहा जा सकता है। क्योंकि स्वामी महार्षि वेदव्यास के जन्म से भी गुरूपूर्णिमा पर्व जुड़ा है। इसलिये कई दृष्टिकोण से इस दिन का अत्यंत महत्व हमारे जीवन में बताया जाता है। सोमवार 10 जुलाई आज सावन मास की शुरूआत हुई। इस माह में अनेको त्यौहारों सहित शिवरात्रि पर्व भी मनाया जाता है। देशभर में शिवभक्त कांवडिये अपने परिवार की मनोकामनाओं की पूर्ति और भक्तिभावना से ओत प्रोत होकर गंगोत्री, यमनौत्री, प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हरिद्वार, गढ गंगा आदि से जल लेकर अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करते हैं। और यह कठिन यात्रा भगवान भोले को जलाभिषेक करने के साथ ही संपन्न होती है। इस वर्ष बहन भाई के पवित्र प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन भी 7 अगस्�� सोमवार के दिन है। विद्वानों का कहना है कि 5 दशक बाद ऐसा विशेष योग पड़ रहा है। जो जनमानस के लिये लाभकारी होगा। तपती धरती, पड़ती बरसात, रात दिन की चिंता किये बिना इस माह में प्राप्त होने वाला धर्म लाभ की परम प्राप्ति शुद्ध मन से करने हेतु सावन की शिवरात्रि पर्व यात्रा आदिकाल से शिवभक्तों के द्वारा की जाती चली आ रही है। इसको लेकर अलग अलग किदवंती है मगर सबका उददेश्य एक यही है कि यह पर्व भगवान भोले शंकर को खुश करने के लिये मनाया जाता है। इसे कुछ शासन और प्रशासन और पुलिस की पेशबंदी कहे या सुरक्षा के प्रति अत्यंत जागरूकता जो भी हों। यह पवित्र माह धीरे धीरे व्यवस्थाओं के नाम पर जो समय से पूर्व रास्ते बंद किये जा रहे हैं उसकी वजह से थोडा कष्टदायक प्रतीत होता रहा है। गत रात्रि को 12 बजे से यातायात व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर अनेक जिलों में रूटडायवर्ट किये गए तथा पहली बार आज मंदिरों तक जाने वाले कुछ मार्गाें पर काफी पहले से वाहनों का आगमन रोक देने के कारण भक्तों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इस वर्ष शिवरात्रि 21 जुलाई को मनायी जानी है। हरिद्वार से रूड़की, मु.नगर, मेरठ, गाजियाबाद होकर दिल्ली हरियाणा आदि जाने वाले कांवड़ियों द्वारा बहुतायत में पांच दिन या पहले हरिद्वार से जल लेकर प्रस्थान किया जाता है। इस हिसाब से 14 जुलाई से पूर्व रूड़की को छोड़कर किसी भी जिले का यातायात डायवर्ट किया गया उचित नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा 5 दिन पूर्व मु.नगर, मेरठ में चार दिन पूर्व यातायात डायवर्ट होना उचित माना जाता है। और वो भी सिर्फ आदी सडक कांवडियों के जाने के लिये बंद की जानी चाहिये। और सबसे अच्छा तो यह रहता है की मेरठ शहर में आने वाले कांवडियों के अलावा गाजियाबाद, दिल्ली और मोदीनगर जाने वाले कांवडियों को नहर के किनारे कांवड़ मार्ग से जाने की व्यवस्था की जानी चाहिये। लेकिन सबकुछ तय होने के बाद भी उसे लागू करने का रिस्क कोई उठाने को तैयार नजर नहीं आता हर वर्ष इसका खामियाजा कांवड़ियों के निकलने वाले शहारों के नागरिकों को उठाना पड़ता है। मेरा मानना है की कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों की बढ़ने वाली संख्या और इस अवसर की महत्वता एवं संवेदनशीलता को दृष्टिगत रख कर हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक पूरा एक कांवड मार्ग बनाया जाए और इस पर्व को संपन्न कराने के लिये कांवड विकास प्राधिकरण का हो गठन जो पूरे वर्ष इससे संबंधित व्यवस्थाओं को चाक चैबंद बनाए रखने करने के साथ ही कांवड मार्ग पर किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण व शराब की दुकानें न खुलने दे और अगर कहीं से मार्ग क्षतिग्रस्त होता है तो उसका सुधार क��ाया जााए तभी इस महा जन समूह के मेले पर भक्तों की बढ़ती जनंसंख्या को आसानी से उनके गंतव्य तक पहुंचा जा सकता यह मेला और यात्रा जिन जिलों से होकर निकलती है वहां के अधिकारीगण अपने सहयोगी अधिकारियों के सहयोग से सफलता से इसे संपन्न कराते हैं। मंडलायुक्त आईजी, डीजीआई और जिले के अधिकारियों में आपसी तालमेल बैठाने का कार्य सफलता से करते हैं इसलिये इस मेले को संपन्न कराने के लिये शासन स्तर के अधिकारियों द्वारा की जाने वाली बैठकों में कमी हो एक बार पुलिस महानिदेशक और प्रमुख सचिव गृह संबंधित किसी जिले में या लखनउ मुख्यालय पर सभी अधिकारियों की बैठक इस संबंध में कर सकते हैं और अलग अलग जिलों में इस बारे होने वाली बैठक में कोई का औचत्य नजर आता है और न कोई फायदा। अच्छा तो यह है कि जितनी छूट कांवड़यात्रा प्रभावी जिलों के अधिकारियों को दी जाए उतनी ही यह यात्रा बिना किसी परेशानी के संपन्न हेा सकती है। कांवड़ मार्ग के निकट पड़ने वाले गांव, कस्बो व महानगरों के नागरिकों के साथ थानेदार, उपजिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी पूर्व में बैठक कर व्यवस्था निर्धारित करे तो यह यात्रा काफी आसान हो सकती है। और सड़क से हटकर सेवा शिविर लगाए जाने के आदेश भी लागू हो सकते हैं डीजे की जगह कम आवाज वाले लाउड स्पीकर पर भजन बजाने के लिये भी भक्तों को राजी किया जा सकता है कांवड़ियें के दलों कों। मेरा मानना है की जिन जिलो में से शिवभक्त निकलते हैं उन जिलों में पूर्व में रह चुके पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों तथा जो अफसर रिटायर्डमेंट के बाद भी यहां रह रहे हो उनकी एक समिति बनाकर उनके एक सहयोग से भी अनुभव का लाभ भी उठाया जा सकता है। क्योंकि नई व्यवस्थाओं के साथ साथ पुरानी भी तालमेल को बैठाने से काफी लाभ इन यात्राओं में हो सकता हैं। इस वर्ष चार करोड़ कांवड़ियों के गंगाजल लेकर हरिद्वार से चलने का भी दावा किया जा रहा है। मगर सवाल यह भी उठता है कि ज्यादातर कांवड़िये हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी से जल लेकर चलना पसंद करते हैं। और इनके द्वारा अपनी कांवड़ों में वहीं बैठकर जला भरा जाता है । अगर व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखे तो एक मिनट में 1 हजार कांवड़ियां जल भरकर चल सकता और इस हिसाब से 1 घंटे में 60 हजार, 24 घंटे में लगभग 15 लाख कांवड़िये जल लेकर वहां से चल सकते हैं और इससे ज्यादा लोग धार्मिक नगरी हरिद्वार में एक साथ समा भी नहीं सकतें। इस हिसाब से 10 दिन में एक करोड़ 50 लाख कांवड़िये जल लेकर चल सकते है। और बहुत प्रयास किया जाए तो 2 करोड़ और इससे ज्यादा कांवड़िय हरिद्वार की व्यवस्था सीमा में समा भी नहीं सकतें लेकिन 3.5 व 4 करोड़ कांवडियें की बात कर जो जाती है वहीं जनमानस की परेशानी का कारण बनती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह है कि जनमानस की भावना से जुड़ा शिवरात्रि पर्व का त्यौहार और सावन पर्व की महत्वता को डर का कारण व्यवस्थाओं के नाम पर अगर अफसरो ��्वारा न बनाया जाए तो ज्यादा अच्छा है इस बात को दृष्टिगत रख कर। और इस वर्ष कितनी कांवड़ चली और मुख्य मंदिरों में कितने भक्तों ने जलाभिषेक किया इसकी संख्या को भी आंका जाए। और भविष्य में व्यवस्थाएं डर और परेशानी का कारण न बने इसलिये इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही आगे व्यवस्था को किया जाए। हरिद्वार से लेकर दिल्ली व अन्य नगरों तक जो भी मार्ग जाते हैं उनमे में बीचो बीच रस्सी बैरिकेटिंग कर आधा मार्ग सामान्य नागरिकों के आने जाने और आदे मार्ग पर कांवड़ियों के अपने गंतव्य तक जाने की व्यवस्था की जाए। तो वह ज्यादा जनहित में रहेगी।
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