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#गरीबी उन्मूलन
vlogrush · 3 months
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झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की शैक्षिक समस्या और उसके समाधान
बारिश में पढ़ाई का जज्बा झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई की दिक्कतें और उनके समाधान। जानें कैसे हम मिलकर इन बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं और उनका भविष्य संवार सकते हैं।नमस्ते दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे? उन्हें कौन-कौन सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा? आज हम इसी के बारे में बात करेंगे।हमारे आस-पास कई ऐसे…
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todaypostlive · 2 years
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मुख्यमंत्री ने आजीविका से आत्मनिर्भर बनी अति गरीब परिवारों की दीदियों को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री ने आजीविका से आत्मनिर्भर बनी अति गरीब परिवारों की दीदियों को किया सम्मानित
 .आत्मनिर्भर बन चुकी दीदियां अन्य दीदियों के लिए ऊर्जा स्रोत हैं .ग्रामीणों को मान-सम्मान के साथ दे रहे उनका हक-अधिकार रांची। राज्य की मजबूती के लिए जरूरी है ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत होना । ग्रामीण अर्थव्यवस्था तभी मजबूत बनेगी, जब ग्रामीण अपने पैरों पर खड़ा होंगे । इसी मकसद से सरकार योजनाओं को बनाकर धरातल पर उतार रही है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज दि नज इंस्टिट्यूट की ओर से आयोजित…
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arunpangarkar2 · 3 days
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आदर्श धन वितरण प्रणाली आंदोलन एवं गरिबी उन्मूलन आंदोलन
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dainiksamachar · 20 days
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असम में नमाज ब्रेक पर 'ब्रेक' से एनडीए में ही खटपट, JDU और LJP ने सीएम हिमंता को घेरा
नई दिल्ली : असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक फैसले पर अब राजनीतिक घमासान तेज होने लगा है। सरमा ने राज्य विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया है। इस फैसले की जहां विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रहीं, वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA में भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो प्रमुख सहयोगी दलों जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी ने इस फैसले की आलोचना की है। फैसला संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ: JDU नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने असम सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कि हिमंता बिस्वा सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री की ओर से लिया गया फैसला देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। हर धार्मिक आस्था को अपनी परंपराओं को संरक्षित रखने का अधिकार है। मैं असम के सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं: आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य क्षमता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है - क्या आप वहां बलि प्रथा ��र प्रतिबंध लगा सकते हैं? चिराग की पार्टी ने भी फैसले पर जताई आपत्ति वरिष्ठ JDU नेता केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता का प्रावधान है। किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। LJP के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। बिहार के इन दोनों सहयोगी दलों ने हाल ही में केंद्र के 'लैटरल एंट्री' के कदम पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद फैसला वापस ले लिया गया था। असम के सीएम ने फैसले पर दी सफाई आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी असम सरकार के फैसले पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाह रहे हैं। उधर, हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया था। सभी विधायकों की साथ बैठक हुई और इसमें सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि दो घंटे का ब्रेक सही नहीं है। हमें इस दौरान भी काम करना चाहिए। यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और अब बंद कर दी गई है। http://dlvr.it/TCfCpF
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iamsanjivk · 26 days
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न्यायमूर्ति यम.यच. केनिया की अध्यक्षता वाली नौ संसदीय संविधान पीठ ने बहुमत से ऐतिहासिक फैसला देते हुए स्वीकार किया कि आरक्षण का आधार जाति है और इस प्रकार लंबे अरसे से चले आ रहे वर्ग बनाम वर्ण के विवाद पर विराम लगाने की कोशिश की क्योंकि भारत में जाति सामाजिक वर्ग है, अगर कोई वर्ग सामाजिक रूप से पिछड़ा है तो वहां पिछड़ा वर्ग भी होगा और पिछड़े वर्गों की पहचान जातियों के उल्लेख से की जा सकती है पिछड़े वर्गों की पहचान सिर्फ आर्थिक आधार पर तय नहीं की जा सकती क्योंकि आरक्षण गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम नहीं है बल्कि सामाजिक विकलांगता को दुरुस्त करने का साधन है यहां फैसला समतावाद की दिशा में ही नहीं बल्कि हिंदू समाज चली आ रही सदियों पुरानी जातीय निरंकुश्ता पर न्यायपालिका का एक जोरदार प्रहार है ।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 पेज न 19
लेखक - राजा राम यादव
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sharpbharat · 1 month
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Jamshedpur administration meeting : डीआरडीए शासी निकाय की बैठक सम्पन्न, डीआरडीए का जिला परिषद में समाहित करने की दी गई सहमति
जमशेदपुर : झारखण्ड पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 77 (ख) के अनुपालन में जमशेदपुर में डीआरडीए को जिला परिषद में विलय किया गया है. इस संर्दभ में जमशेदपुर के समाहरणालय सभागार में डीआरडीए का विघटन कर जिला परिषद में समाहित किये जाने हेतु अध्यक्ष जिला परिषद बारी मुर्मू की अध्यक्षता में प्रबंध पर्षद की बैठक आयोजित की गई. जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सभी के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन…
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*सुप्रीम कोर्ट ने कहा_ आरक्षण की_समीक्षा_होनी_ही_चाहिए?*
1️⃣ लेकिन इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए कि आखिर क्यों 70 साल में अनुसूचित जाति के # *श्री के.रामास्वामी # श्री के.जी.बालकृष्णन # श्री बी. सी.रे # श्री ए.वर्धराजन* सिर्फ # चार ही लोग सुप्रीम कोर्ट में जज बन पाए हैं! और *ओबीसी* के जज भी *केवल 2* ही हुये, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
2️⃣ 70 साल में *अनुसूचित जनजाति* का एक भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बना है, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
3️⃣ सुप्रीम कोर्ट में आखिर एक ही जाति का *वर्चस्व* क्यों है? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
4️⃣ संविधान के #आर्टिकल 12 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट को *राज्य* माना जाना चाहिए। आरक्षण का प्रावधान सुप्रीम कोर्ट में *राज्य की भांति* होना चाहिए! इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!
5️⃣ सुप्रीम कोर्ट में जब sc-st # *एट्रोसिटी_एक्ट* पर फैसला दिया जा रहा था, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में एससी, एसटी का एक भी जज नहीं था, क्या यह *न्याय के मूल सिद्धांतों* के अनुरूप था? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
6️⃣ संविधान के #आर्टिकल *312 (1)* के अनुसार जजों की भर्ती के लिए # *न्यायिक_नियुक्ति_आयोग* का गठन होना चाहिए ऐसा क्यों नहीं किया जाता है ? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
7️⃣ संविधान संशोधन अधिनियम 1976, के *42 वें संशोधन* के अनुसार जजों की भर्ती के लिए *ऑल इंडिया जुडिशरी सर्विस* का गठन किया जाना चाहिए! यह बिल संसद में कभी पेश ही नहीं किया गया! इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!
8️⃣ संविधान के #आर्टिकल *229* के अनुसार कर्मचारियों एवं अधिकारियों के मामले में उच्च न्यायालय अपने आप को *राज्य मानता* है और राज्य के अनुसार #आर्टिकल *15(4), 16(4) और 16(4 )(क)* का पालन क्यों नहीं किया जाता है? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!
9️⃣ जब केशवानंद भारती मामले में भी #आर्टिकल *12* के अनुसार *उच्च एवं उच्चतम न्यायालय को राज्य* माना गया है, तो राज्यों के लिए लागू *_आरक्षण का प्रोविजन* उच्च एवं उच्चतम न्यायालय में लागू क्यों नहीं किया गया? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
1️⃣0️⃣ जब *ओबीसी, एससी-एसटी आईएएस बन सकता है, आईपीएस बन सकता है, राष्ट्रपति बन सकता है, मुख्यमंत्री* बन सकता है तो सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए कौन सी *अनोखी प्रतिभा* होनी चाहिए? इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए!!
1️⃣1️⃣ यदि सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए मेरिट ही आवश्यक है तो # *ऑल_इंडिया_जुडिशरी_सर्विस* का गठन करके खुली प्रतियोगिता में भाग क्यों नहीं लेते? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
Copied
*(कापी पेस्ट करके इस मैसेज को आगे बढ़ाते रहिये, ताकि अधिक से अधिक लोग इस मुहिम में शामिल हो सकें और सुप्रीम कोर्ट के उन न्यायाधीशों को आईना दिखाया जा सके, जो *खुद* *को देश की जनता का भगवान और संविधान से भी बडा समझते हैं l)💐💐*
आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं हैं।
जाति जनगणना बहुत जरूरी है ताकि हमें हमारी संख्या के अनुपात भागीदारी मिले!
#SC #ST #Reservation
#Political #Education #Recruitment #Promotion #Backlog #NFS
#AarakshanBachaoYatra
#SaveReservation #SaveRepresentation
#PanIndentityUnity
#मैंसमणहूँ
#देश_मांगे_जाति_जनगणना
#जात #जाति #जनगणना
#जाति_जनगणना
#जातिगत #जातिवार #जनगणना
#सम्पूर्ण_भारत_बंद
#काॅलेजियम_प्रणाली_खत्म_करो
#जातिजनगणना #Census
#IndiaDemandsCasteCensus
#Caste #CasteCensus
#SupportCasteCensus
#Casteist_Collegium
#SupremeCourtOfIndia
#SamanWorldUnity
#IamSaman
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yojanasblog · 3 months
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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना 2024 क्या है और इसका लाभ कैसे उठाये?
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक पहल है जो ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की उन्मूलन के लिए बनाई गई है। इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देना है। NRLM को वर्ष 2011 में लॉन्च किया गया था, और इसे अब ‘आजीविका मिशन’ के नाम से भी जाना जाता है। यह योजना स्वरोजगार को बढ़ावा देने और ग्रामीण गरीबों के संगठन पर केंद्रित है।…
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anuj1985 · 6 months
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Mgnrega Pashu shed yojana
"महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम" (MGNREGA) भारत में एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है जो हर ग्रामीण परिवार को वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के अशिक्षित हाथों के श्रम का गारंटीत रोजगार प्रदान करती है। जबकि MGNREGA प्राथमिकत: राजस्थान कृषि, जल संरक्षण, और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने पर केंद्रित होती है, यह पशु सम्बंधित गतिविधियों को भी समर्थन प्रदान करती है जैसे कि MGNREGA पशु शेड योजना।
MGNREGA Pashu shed yojana एक पहल है जो पशु पालन के प्रबंधन को बेहतर बनाने और ग्रामीण परिवारों की आमदनी में सुधार करने का उद्देश्य रखती है। पशु पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, भारत में करोड़ों लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करता है। हालांकि, पशुओं के निवास और प्रबंधन के लिए अपर्याप्त बुनियादी संरचना कारण अक्सर अधिक उत्पादकता और आय स्तर को कम करता है।
MGNREGA पशु शेड योजना के अंतर्गत, ग्रामीण परिवारों को उनके पशु पालन के लिए छत्र बनाने और प्रबंधित करने के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी समर्थन प्रदान किया जाता है। इन छत्रों का निर्माण उत्तर विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है जिन्हें पशुओं को विपरीत मौसमी शर्तों, शेर, और बीमारियों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए छत्रों का निर्माण न केवल पशुओं की जीवन शर्तों को सुधारता है बल्कि बेहतर स्वास्थ्य और उत्पादकता में भी मदद करता है, जिससे पशु पालकों की आय बढ़ती है।
MGNREGA पशु शेड योजना के कार्यान्वयन में कई महत्वपूर्ण कदम शामिल होते हैं:
जागरूकता और संचालन: सरकारी प्राधिकारी, स्थानीय स्व-सहायता समूह और गैर-सरकारी संगठन जागरूकता अभियान आयोजित करते हैं ताकि ग्रामीण परिवारों को योजना के लाभ और उत्तापन्नता के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। संचालन के प्रयास प्रायोजित करने के लिए अधिकृत अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जाता है और ग्रामीण समुदायों को योजना में सक्रिय भागीदारी और सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
पंजीकरण और प्रमाणीकरण: रुचिकर्ता परिवारों की योजना के लिए पंजीकरण करते हैं, अपने पशुओं और वर्तमान निवास संरचना के विवरण प्रदान करते हैं। सरकारी अधिकारी परिवारों की पात्रता की पुष्टि करते हैं और पूर्वनिर्धारित मानकों के आधार पर नई या सुधारित पशु शेड की आवश्यकता का मूल्यांकन करते हैं।
तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण: ग्रामीण परिवारों को शेड निर्माण तकनीकों, उपयुक्त सामग्रियों का चयन, और रखरखाव व्यवस्था पर तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण सत्र प्राप्त होता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों के द्वारा पशु स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं ताकि उत्तम उत्पादकता और कल्याण सुनिश्चित हो सक���।
वित्तीय सहायता: सरकार पशुओं के लिए शेड के निर्माण के लिए पात्र परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। वित्तीय सहायता की राशि क्षेत्र में शेड के आकार, पशुओं की संख्या, और वर्तमान निर्माण लागतों के आधार पर भिन्न हो सकती है।
मॉनिटरिंग और मूल्यांकन: सरकारी अधिकारी निर्माण गतिविधियों की प्रगति को नियमित रूप से मॉनिटर करते हैं ताकि तकनीकी निर्देशों और समयसारिता के साथ अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। योजना की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने और किसी भी चुनौतियों या अंतरों को संबोधित करने के लिए लाभार्थियों से प्रतिक्रिया इकट्ठा की जाती है।
प्रतिस्थापनीय उपाय: योजना के अंतर्गत सतत पशु प्रबंधन अभियान को बढ़ावा देने के लिए कई संरक्षणीय उपाय किए जाते हैं, जैसे कि पर्यावरण को मिताने वाले निर्माण सामग्रियों, वर्षा के पानी के इस्तेमाल की योजना, और प्रकाश और हवा संचार के लिए नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत। पारिस्थितिकीय दायरे के नियमित प्रशिक्षण योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है ताकि पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।
MGNREGA पशु शेड योजना के कई लाभ ग्रामीण समुदायों और पशु पालन क्षेत्र के लिए हैं:
आजीविका सुरक्षा: बेहतर पशु प्रबंधन से बढ़ती उत्पादकता और आय उत्पन्न करती है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा में सुधार होता है, जो ट्रेडिशनल कृषि पर निर्भरता को कम करता है।
गरीबी की उन्मूलन: पशुओं के लिए शेड निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके, और बेहतर पशु प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए, योजना गरीबी की उन्मूलन और ग्रामीण समुदायों की आर्थिक शक्ति में सहायक होती है।
स्वास्थ्य और पोषण: पशुओं के उच्च स्तर की देखभाल और प्रबंधन से न ही जनजीवन और जनस्वास्थ्य के लिए लाभ होता है, बल्कि भोजन सुरक्षा और पोषण स्तरों में भी सुधार होता है।
पर्यावरणीय स्थिरता: योजना के तहत प्रोत्साहित सतत पशु प्रबंधन प्रथाएँ प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण, हरित घास के गैस उत्सर्जन को कम करती है, और जैव विविधता संरक्षण को प्रोत्साहित करती है।
महिला सशक्तिकरण: ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर महिलाओं के लिए एक आजीविका का स्रोत पशु पालन होता है। MGNREGA पशु शेड योजना महिलाओं को पशु संबंधित गतिविधियों में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उन्हें प्रशिक्षण और वित्तीय समर्थन प्रदान करके उन्हें सशक्त करती है।
समापनरूप में, MGNREGA पशु शेड योजना ग्रामीण समुदायों में पशु पालन कर रहे लोगों की आजीविका को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। पशुओं के छत्र निर्माण के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी समर्थन प्रदान करके, यह अनुस्तानिक पशु प्रबंधन प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है, आय के अवसरों को बढ़ाती है, और समग्र ग्रामीण विकास में योगदान करती है।
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manishprajapati3311 · 7 months
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आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी। तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था। समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा : पीएम मोदी
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4rtheyenews · 1 year
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छत्तीसगढ़ की दो पंचायतों को मिला राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार
रायपुर। छत्तीसगढ़ की दो पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से  सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सरगुजा जिले के जनपद पंचायत लुन्ड्रा के ग्राम पंचायत नागम तथा धमतरी जिले के नगरी पंचायत के ग्राम सांकरा को पुरस्कृत किया गया। ग्राम पंचायत नागम को गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका संवर्धन श्रेणी में तथा सांकरा को स्वस्थ पंचायत थीम में…
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vlogrush · 3 months
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झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की शैक्षिक समस्या और उसके समाधान
बारिश में पढ़ाई का जज्बा झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई की दिक्कतें और उनके समाधान। जानें कैसे हम मिलकर इन बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं और उनका भविष्य संवार सकते हैं।नमस्ते दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे? उन्हें कौन-कौन सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा? आज हम इसी के बारे में बात करेंगे।हमारे आस-पास कई ऐसे…
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nidarchhattisgarh · 1 year
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छत्तीसगढ़ की दो पंचायतों को मिला राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार..नागम को गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका संवर्धन तथा सांकरा को स्वस्थ पंचायत थीम के लिए पुरस्कृत
NCG NEWS DESK छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ की दो पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से  सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सरगुजा जिले के जनपद पंचायत लुन्ड्रा के ग्राम पंचायत नागम तथा धमतरी जिले के नगरी पंचायत के ग्राम सांकरा को पुरस्कृत किया गया। ग्राम पंचायत नागम को गरीबी उन्मूलन एवं आजीविका संवर्धन श्रेणी में तथा सांकरा को स्वस्थ पंचायत…
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arunpangarkar2 · 3 days
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आदर्श धन वितरण प्रणाली आंदोलन एवं गरिबी उन्मूलन आंदोलन
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dainiksamachar · 1 year
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भारत से लेकर अफ्रीका तक जानलेवा हुआ मौसम, 2 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार, 80 लाख बेघर
सीमा जावेद, लंदन: द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 नाम की विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का कहर थम नहीं रहा है। चाहे वह पहाड़ की ऊंची ऊंची चोटियां हो या समुद्र की गहराइयां, कुछ भी इससे अनछुआ नहीं बचा है। अफ्रीका में इसकी वजह से भूखमरी की स्थिति है तो वहीं कई लोग बेघर तक हो गए हैं। पाकिस्‍तान में भी विनाशकारी बाढ़ ने देश के अस्तित्‍व पर संकट पैदा कर दिया है। भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक अब ग्‍लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन का व्‍यापक असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों की तरफ से अब कई तरह की चिंताएं तो जताई जा ही रहीं हैं साथ ही साथ चेतावनी भी दी गई है। भुखमरी के हालात सूखे ने पूर्वी अफ्रीका को पिछले पांच सालों से जकड़ लिया है। इसके चलते वहां के 20 मिलियन से ज्‍यादा लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। पिछले साल जुलाई और अगस्त में रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने पाकिस्तान में बाढ़ ला दी और 1,700 से अधिक मौतें हुईं। इसके चलते आठ मिलियन लोग बेघर हो गए। जून के मध्य से अगस्त के अंत तक चीन में रिकॉर्ड तोड़ सबसे व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव रही। वहीं गर्मियों के दौरान रिकॉर्ड तोड़ लू ने यूरोप को प्रभावित किया। यूरोप में 15000 से ज्‍यादा लोग गर्मी से की वजह से मारे गए। इनमें स्पेन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और पुर्तगाल के लोग शामिल थे। इसकी वजह से भारत में फिलहाल हीटवेव अपनी आवृत्ति, तीव्रता, और घातकता में बढ़ रही है जो हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, और सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों पर बोझ डाल रही है। भारत पर भी असर डालेगी गर्मी पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए एक अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर होती यह हीट वेव भारत के ससटेनेबल डेव्लपमेंट गोल्स (SDG) को हासिल करने की दिशा में भारत की प्रगति को बाधित कर सकती हैं। गौरतलब है कि भारत सत्रह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, बेहतर जलवायु, और आर्थिक विकास आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि हीटवेव ने एसडीजी प्रगति को पहले के अनुमान से अधिक कमजोर कर दिया है।पिघलने लगे ग्‍लेशियर साल 2022 में वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.15 [1.02 से 1.28] डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। सन् 1850 के बाद से अब तक साल 2015 से 2022 तक रिकॉर्ड में आठ सबसे गर्म साल रहे हैं। तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों - कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता 2021 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, नवीनतम वर्ष जिसके लिए समेकित वैश्विक मूल्य उपलब्ध हैं (1984-2021)। साल 2020 से 2021 तक मीथेन सांद्रता में वार्षिक वृद्धि रिकॉर्ड पर सबसे अधिक थी।यूरोपीय आल्प्स ग्लेशियर ने मार्च 2022 में पिघलने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। IPCC की रिपोर्ट के मुताबिक़ वैश्विक स्तर पर ग्लेशियरों ने 1993-2019 की अवधि में 6000 गिगा टन (Gt) से अधिक बर्फ खो दी। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ 25 फरवरी, 2022 को 1.92 मिलियन किमी2 तक गिर गई, जो रिकॉर्ड पर सबसे निचला स्तर है और दीर्घावधि (1991-2020) औसत से लगभग 1 मिलियन वर्ग किमी नीचे है।गायब होते समुद्री संसाधन ग्रीनहाउस गैसों द्वारा पृथ्वी के ऊपरी सतह में फंसी ऊर्जा ( ग्लोबल वार्मिंग) का लगभग 90% समुद्र अपने में सोख लेता है। इसके चलते समुद्र की सतह के 58% हिस्से ने 2022 के दौरान कम से कम एक समुद्री हीटवेव का अनुभव किया। वहीं ग्लोबल मीन सी लेवल यानी समुद्र एसटीआर का बढ़ना (GMSL) 2022 में बढ़ना जारी रहा, सैटेलाइट अल्टीमीटर रिकॉर्ड (1993-2022) के लिए एक उच्च स्तर पर पहुंच गया। उपग्रह रिकॉर्ड के अनुसार 1993-2002 के बीच में 2.27 मिमी प्रति वर्ष और 2013-2022 के बीच में 4.62 मिमी प्रति वर्ष के हिसाब से ग्लोबल औसत समुद्र स्तर वृद्धि दर दोगुनी हो गई है।CO2 समुद्री जल के साथ प्रतिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप pH में कमी आती है जिसे 'समुद्र अम्लीकरण' कहा जाता है। आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार समुद्र की सतह का पीएच अब पिछले कम से कम 26 हजार साल में सबसे कम है। जिससे साफ जाहिर है की इसका कितना ख़तरनाक असर समुद्री जीव जनतुओं पर होगा। वैसे भी अब अधिकांश समुद्र तटों की रेत से सीपियां, शंख आदि ग़ायब हो चुके हैं।लेखिका वरिष्‍ठ स्‍तंभकार हैं और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर लिखती रहती हैं। http://dlvr.it/SnNrRJ
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भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास इस समय देश के 70 करोड़ लोगों से भी ज्यादा धन-दौलत है
दो टूक चिंताजनक स्तर तक बढ़ती अमीरी-गरीबी की खाई – योगेश कुमार गोयल दुनियाभर में अमीरी और गरीबी के बीच खाई निरन्तर बढ़ती जा रही है, जो कोरोना काल के बीच और तेजी से बढ़ी है। इसी बढ़ती खाई को लेकर पूरी दुनिया में एक नई बहस छिड़ी है। गरीबी उन्मूलन के लिए कार्यरत संस्था ऑक्सफैम इंटरनेशनल की वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक से ठीक पहले आई रिपोर्ट ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी’ में इसे लेकर कई चौंका…
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