#गंदी बात
Explore tagged Tumblr posts
Text
आपसी फूट महंगी पड़ी l Story of the Week
प्राचीन समय में एक विचित्र पक्षी रहता था। उसका धड़ एक ही था, परंतु सिर दो थे। नाम था उसका भारुंड। एक शरीर होने के बावजूद उसके सिरों में एकता नहीं थी और न ही था तालमेल। वे एक-दूसरे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने-समझने का काम दिमाग से करता है और दिमाग होता है सिर में। दो सिर होने के कारण भारुंड के दिमाग भी दो थे, जिनमें से एक पूरब जाने की सोचता, तो दूसरा पश्चिम। फल यह होता था कि टांगें एक कदम पूरब की ओर चलतीं, तो अगला कदम पश्चिम की ओर। और भारुंड स्वयं को वहीं खड़ा पाता था। भारुंड का जीवन बस दो सिरों के बीच रस्साकसी बनकर रह गया था। एक दिन भारुंड भोजन की तलाश में नदी तट पर घूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा- 'वाह! ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया। भगवान ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं।' 'अच्छा! जरा मैं भी चखकर देखूं।' कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढ़ाई ही थी कि पहले सिर ने झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला, 'अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया है और इसे मैं ही खाऊंगा।' 'अरे! हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं। खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर ही खानी चाहिए।' दूसरे सिर ने दलील दी। पहला सिर कहने लगा, '��ीक! हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमारे एक ही हैं। मैं इस फल को खाऊंगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी है।' दूसरा सिर बोला, 'खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज है। तबीयत को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती है। खाने का असली मजा तो मुंह में ही है।' पहला सिर तुनककर चिढ़ाने वाले स्वर में बोला, 'मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा है। फल खाने के बाद पेट से डकार आएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दे।' ऐसा कहकर पहला सिर चटकारे ले-लेकर फल खाने लगा। इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारुंड भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी। उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि पहले सिर ने चीखकर चेतावनी दी, 'अरे, अरे! इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल है? इसे खाने पर मॄत्यु भी हो सकती है।' दूसरा सिर हंसा, 'हे हे हे! तू चुपचाप अपना काम देख। तुझे क्या लेना- देना है कि मैं क्या खा रहा हूँ ? भूल गया उस दिन की बात?' पहले सिर ने समझाने की कोशिश की, 'तूने यह फल खा लिया तो हम दोनों मर जाएंगे।' दूसरा सिर तो बदला लेने पर उतारू था। बोला, 'मैंने तेरे मरने-जीने का ठेका थोड़े ही ले रखा है? मैं जो खाना चाहता हूं, वह खाऊंगा चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब मुझे शांति से विषैला फल खाने दे।' दूसरे सिर ने सारा विषैला फल खा लिया और भारुंड तड़प-तड़पकर मर गया।
शिक्षा:- आपस की फूट सदा ले डूबती है।

9 notes
·
View notes
Text
मुझे वो स्त्री पसंद है जो एक संस्कारी और पती पर जान देती हो। जिसकी घर में, समाज में बहुत इज्जत हो। जिसे कोई तु भी ना बोलता है लेकिन जब वो मुझसे बात करें तो मेरी गुलामी करें। मुझे अपना पति,ब्यायफ्रेंड मान लें और अपने पति के सामने मुझसे गंदी गालियां सुने , अपने आपको खुब जलील करवाए। मेरा हर आदेश माने और ये सब पति के सामने करें। रात को बिस्तर में से,दीन में किचन में से। उसे सच्चा आर्गैज़्म महसूस कराउंगा।
High qualified, officers,CEO, principal, doctor, politition यानी ताकतवर महिला जो असली जिंदगी में बहुत सम्मानित नजरों से देखी जाती हो वो ही इस खेल की हिस्सेदार हो सकती है।
फालतू लोग कमेंट ना करें सिधे ब्लाक
Ladies come inbox it's a highly private.....

12 notes
·
View notes
Text

हमारे चारों शंकराचार्य जी शास्त्रों के हिसाब से चलते हैं।
शंकराचार्य जी कभी सनातन के विरोध और धर्मशास्त्रों से अलग कोई बात नहीं बोलते हैं।
हमारे चारों शंकराचार्य जी ही हमारे धर्म के प्रधानमंत्री और राजा हैं।
वो सनातन धर्म और शास्त्र के विपरीत कभी भी एक शब्द नहीं बोलेंगे।
हमारे देश के चारों मठ में जो हमारे शंकराचार्य जी बैठे हैं वो अद्भुत विद्वान, शास्त्र के मर्मज्ञ और शास्त्र की प्रमाणित बात ही बोलेंगे।
जो आचार्य पीठ पर विराजमान है संसार चाहे उनकी निंदा करे या आलोचना करे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
आजकल की गंदी राजनीति में एक ट्रेंड चल चुका है कि अगर कोई व्यक्ति किसी नेता के खिलाफ होता है तो कुछ लोग उसको हिन्दू विरोधी साबित करने में लग जाते है।
दरअसल ऐसे लोग ही असली सनातन विरोधी हैं इनको धर्म से नहीं सिर्फ सत्ता से मतलब है उस सत्ता की गुलामी के लिए ये लोग कुछ भी करेंगे।
जय हो परम् पूज्य शंकराचार्य भगवान की।
0 notes
Text
आपसी फूट महंगी पड़ी l Story of the Week
प्राचीन समय में एक विचित्र पक्षी रहता था। उसका धड़ एक ही था, परंतु सिर दो थे। नाम था उसका भारुंड। एक शरीर होने के बावजूद उसके सिरों में एकता नहीं थी और न ही था तालमेल। वे एक-दूसरे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने-समझने का काम दिमाग से करता है और दिमाग होता है सिर में। दो सिर होने के कारण भारुंड के दिमाग भी दो थे, जिनमें से एक पूरब जाने की सोचता, तो दूसरा पश्चिम। फल यह होता था कि टांगें एक कदम पूरब की ओर चलतीं, तो अगला कदम पश्चिम की ओर। और भारुंड स्वयं को वहीं खड़ा पाता था। भारुंड का जीवन बस दो सिरों के बीच रस्साकसी बनकर रह गया था।
एक दिन भारुंड भोजन की तलाश में नदी तट पर घूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा- 'वाह! ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया। भगवान ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं।'
'अच्छा! जरा मैं भी चखकर देखूं।' कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढ़ाई ही थी कि पहले सिर ने झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला, 'अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया है और इसे मैं ही खाऊंगा।'
'अरे! हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं। खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर ही खानी चाहिए।' दूसरे सिर ने दलील दी।
पहला सिर कहने लगा, 'ठीक! हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमारे एक ही हैं। मैं इस फल को खाऊंगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी है।'
दूसरा सिर बोला, 'खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज है। तबीयत को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती है। खाने का असली मजा तो मुंह में ही है।'
पहला सिर तुनककर चिढ़ाने वाले स्वर में बोला, 'मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा है। फल खाने के बाद पेट से डकार आएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दे।' ऐसा कहकर पहला सिर चटकारे ले-लेकर फल खाने लगा। इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारुंड भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी। उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि पहले सिर ने चीखकर चेतावनी दी, 'अरे, अरे! इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल है? इसे खाने पर मॄत्यु भी हो सकती है।'
दूसरा सिर हंसा, 'हे हे हे! तू चुपचाप अपना काम देख। तुझे क्या लेना- देना है कि मैं क्या खा रहा हूँ ? भूल गया उस दिन की बात?'
पहले सिर ने समझाने की कोशिश की, 'तूने यह फल खा लिया तो हम दोनों मर जाएंगे।'
दूसरा सिर तो बदला लेने पर उतारू था। बोला, 'मैंने तेरे मरने-जीने का ठेका थोड़े ही ले रखा है? मैं जो खाना चाहता हूं, वह खाऊंगा चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब मुझे शांति से विषैला फल खाने दे।'
दूसरे सिर ने सारा विषैला फल खा लिया और भारुंड तड़प-तड़पकर मर गया।
शिक्षा:- आपस की फूट सदा ले डूबती है।
#UnityIsStrength #storytime #StoryoftheWeek #storyoflife #story

1 note
·
View note
Text
डीएसपी ने अपने ऑफिस के बाथरूम में महिला के साथ की गंदी बात, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
Karnataka News: कर्नाटक की सरकार ने शुक्रवार को तूमकुरु जिले के मधुगिरी के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बी रामचंद्रप्पा को निलंबित कर दिया है। उनका एक वीडियो वायरल हुए था, जिसमें वह अपने ऑफिस के बाथरूम में एक महिला के साथ अनुचित तरीके से व्यवहार करते हुए दिखाई ��े रहे थे। रामचंद्रप्पा कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर के निर्वाचन क्षेत्र के डीएसपी थे। गुरुवार रात से 35 सेकंड का एक वीडियो सोशल मीडिया…
0 notes
Text
Mission Osava / मिशन ओसावा
क्राईम फिक्शन एक सदाबहार श्रेणी है जिसका आकर्षण कभी भी ख़त्म नहीं हुआ— आम तौर पर अलग-अलग विषयों पर फिक्शन लिखने वाले भी इस श्रेणी में हाथ ज़रूर आज़माते हैं। इस श्रेणी में किसी निरंतरता से मुक्त किरदार भी हो सकते हैं और वे भी जो सीरीज का निर्माण करते हैं और हर अगले भाग में एक नई कहानी जिनके आसपास घूमती है। प्रस्तुत उपन्यास ऐसी ही एक शृंखला की दूसरी कड़ी है, जिसमें एक मिशन है, और उस मिशन के इर्द-गिर्द सिमटी लीनियर रूट पर चलती एक कहानी है।
विशेषतः क्राईम फिक्शन के नाम पर मैंने दो तरह की शृंखलाएं आरम्भ की हैं, जिन्हें पहचान के लिये 'क्राईम फिक्शन' और 'स्पाईवर्स' के रूप में दो अलग-अलग हैशटैग के साथ चिन्हित किया गया है। क्राईम फिक्शन डेविड फ्रांसिस के रूप में एक अकेले किरदार से सम्बंधित सीरीज है— जो एक खास तरह के मनोविज्ञान की उपज है। वह यायावर है, जो दुनिया के चप्पे-चप्पे को देख लेना चाहता है। वह ठरकी है जो दुनिया की हर नस्ल और हर रंग की लड़की को भोग लेना चाहता है… और वह सनकी है, जो दुनिया के हर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचा देना चाहता है।
लेकिन उसका तरीका थोड़ा अनोखा है… वह अपनी पसंद की किसी जगह पहुंच कर, वहां कोई ऐसी हसीना ढूंढता है जो मुसीबत की मारी हो और उसे मुसीबत से निकालने में लग जाता है, जो अक्सर उसके लिये ही मुसीबत का कारण बन जाती है— इस सिलसिले में जो कहानी जन्मती है, वह क्राईम फिक्शन हैशटैग के अंतर्गत प्रकाशित होती है। यह किरदार अभी ढलने की प्रक्रिया में है और इस प्रक्रिया के तहत इसकी पहली कहानी ‘काया पलट’ के रूप में प्रकाशित हुई है— तो दूसरी कहानी ‘ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ भी इस कहानी ‘मिशन ओसावा’ के साथ ही प्रकाशित हुई है।
क्राईम फिक्शन के अंतर्गत जो दूसरी शृंखला है, वह ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग के साथ प्रकाशित होती है— जिसमें ‘कोड ब्लैक पर्ल’ के बाद ‘मिशन ओसावा’ दूसरा उपन्यास है। जहां डेविड सीरीज केवल एक किरदार पर आधारित है, वहीं स्पाईवर्स की कहानियां एक एजेंसी पर आधारित हैं— जिसे ‘राॅ’ की एडीशनल डेस्क के रूप में परिभाषित किया गया है और जो बेसिकली विदेश विभाग से जुड़े मसलों में अपने स्पेशल एजेंट्स के साथ परफार्म करने के लिये डिजाइन की गई है, लेकिन तार किसी बाहरी साजिश से जुड़े हों और ज़मीन देश की ही इस्तेमाल की जा रही हो, तो भी वे डील कर सकते हैं।
इस एजेंसी में मुख्यतः आरव, निहाल और संग्राम के रूप में तीन मेल एजेंट्स तो रूबी, सबीना और रोजीना के रूप में तीन फीमेल एजेंट्स हैं— जिनके अपने मिज़ाज हैं और काम करने के अपने तरीके… इन्हें अलग-अलग मिशन दिये जाते हैं जहां इन्हें फिलहाल एक जोड़े के रूप में परफार्म करना होता है— जिसमें इन्हें ग्रेड बी के कुछ एजेंट्स से भी मदद मिलती है।
जैसे ‘मिशन ओसावा’ दरअसल एक नाॅन-स्टेट एक्टर की कहानी है, जिसे भारतीय सीमा में डिस्टर्बेंस पैदा करने के लिये कश्मीर में लांच किया गया है— अब इस शख़्स को ढूंढना, उसे पकड़ना या ख़त्म कर देना उन चार लोगों का मिशन है, जिन्हें इस काम के लिये अलग-अलग रूट से कश्मीर भेजा गया है। कहानी में लीड कैरेक्टर आरव आकाश और रूबी भाटिया हैं… साथ ही इन्हें विराट और रंजीत नाम के ग्रेड बी के दो एजेंट्स का सहयोग भी मिलता है।
आरव एजेंसी के बाकी दो मेन एजेंट्स संग्राम और निहाल से अलग मिज़ाज का है… वह दिमाग़ से बेहद शातिर है, लेकिन एक नंबर का मसखरा है और ज्यादातर मौकों और जगहों पर ख़ुद को किसी मूर्ख के तौर पर पेश करने से उसे एतराज़ नहीं। उसे किसी भी हाल में अपना काम निकालना होता है और उसे यह तरीका इसलिये बेस्ट लगता है क्योंकि यह उसके स्वभाव में शामिल है। हां, उसकी एक गंदी आदत यह भी है कि वह किसी टास्क को पूरा करने में लांग रूट के बजाय शार्टकट तलाशता है और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ भी होती है। एजेंसी की दूसरी लड़कियों से इतर रूबी भी उसी के जैसे मसखरे स्वभाव की है— लेकिन उसे ख़ुद को मूर्ख दिखाने से सख्त परहेज रहता है।
एक महत्वपूर्ण बात और… कहानियां कई तरह की हो सकती हैं, लेकिन या तो उनमें सस्पेंस होगा, या ढेर से ट्विस्ट एंड टर्न्स होंगे— जो पाठक को अंत तक बांधे रख सकें… या फिर वह बिना ऐसे ट्विस्ट या टर्न के सीधी, सपाट होगी, जहां कहानी का ट्रीटमेंट और उसकी घटनाएं ही मुख्य होंगी— जो बजाय उलझावों के अपने संवादों, वर्णित दृश्यों, गति और घटनाओं के सहारे शुद्ध मनोरंजन उत्पन्न करती है, जो पाठक को बांध के रखता है। इस हिसाब से क्राईम फिक्शन के अंतर्गत लिखी डेविड सीरीज की कहानियां पहली श्रेणी में आती हैं तो स्पाईवर्स के अंतर्गत लिखी ‘इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया’ से जुड़ी कहानियां दूसरी श्रेणी में।
अगर ढेर से सस्पेंस, ट्विस्ट और टर्न की अपेक्षा के साथ ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग वाली कहानी पढ़ेंगे तो निराशा हाथ लगेगी। उस अपेक्षा से ��िमाग़ को मुक्त कर के शुद्ध मनोरंजन के उद्देश्य से पढ़ेंगे तो आपको यक़ीनन पसंद आयेंगी। इस विषय में एक अहम बात यह भी ध्यान रखनी ज़रूरी है कि स्पाईवर्स हैशटैग से जुड़ी यह कहानियां वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से वर्ल्ड पाॅलिटिक्स और डिप्लोमेसी आदि से सम्बंधित होती हैं— तो उस विषय में अगर आपको थोड़ी-बहुत पहले से जानकारी है तो आप ज्यादा बेहतर ढंग से रिलेट कर पायेंगे। या चाहें तो पढ़ने के साथ ही गूगल की मदद से भी थोड़ा-बहुत समझ सकते हैं।
प्रस्तुत कहानी में भी इन बातों को इस्तेमाल में लिया गया है— कहानी का बेस ही वर्तमान वैश्विक परिदृश्य है कि किस तरह चौधराहट को लेकर चालें चली जा रही हैं, किन बातों से बार्डर डिस्टर्ब किये जा रहे हैं और कैसे अनदेखी सत्ताएं किसी देश की कंट्रोलिंग बाॅडी को पीछे से ऑपरेट करती हैं। मिशन ओसावा जिस किरदार को ले कर है— वह एक खास मकसद से भेजा गया ऐसा ही एक टूल है, जिससे इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया को निपटना है। अब इस सिलसिले में लद्दाख से कश्मीर तक क्या-क्या होता है… जानने के लिये पढ़िये स्पाईवर्स हैशटैग के अंतर्गत लिखी गई आरव आकाश सीरीज की ‘मिशन ओसावा’!
Amazon Kindle Flipkart
0 notes
Text

Neetha Shetty Birthday : Wishes from Pradip Madgaonkar
छोटे पर्दे पर वर्षों तक नहीं मिली सफलता, 'गंदी बात' के बोल्ड सीन से रातोंरात फेमस हो गई थीं नीता
0 notes
Text

Neetha Shetty Birthday : Wishes from Bandya Mama
छोटे पर्दे पर वर्षों तक नहीं मिली सफलता, 'गंदी बात' के बोल्ड सीन से रातोंरात फेमस हो गई थीं नीता
0 notes
Text
UP: पत्नी की अय्याशी से परेशान युवक ने वायरल किया वीडियो, कहा- पड़ोसी से करती है गंदी चैटिंग, कही ये बात

0 notes
Text
कर्नाटक सेक्स केस में विरोधियों की पोल खोल की होड़, नेताओं की अटकी हैं सांसें
बेंगलुरु: कर्नाटक के सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े सेक्स स्कैंडल के कई वीडियो सामने आए हैं। कहा जा रहा है कि अब इस सेक्स स्कैंडल के कारण भविष्य में राजनेताओं और उनके रिश्तेदारों से जुड़े और अधिक आपत्तिजनक वीडियो सामने आ सकते हैं। आरोप है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी प्रतिशोध और एक-दूसरे से आगे निकलने के संदिग्ध खेल में लगे हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के 33 वर्षीय पोते प्रज्वल को लेकर उठे विवाद के तुरंत बाद एक नया फुटेज सामने आया है। इस वीडियो में कथित तौर पर पड़ोसी जिले ��े एक कांग्रेस विधायक की संलिप्तता है, हालांकि इस वीडियो से अभी तक उतना हंगामा नहीं मचा, जितना की हासन के सांसद से जुड़े कथित वीडियो ने मचाया था। चूंकि कर्नाटक के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में लगातार अश्लील वीडियो का प्रसार राजनेताओं को परेशान कर रहा है, इसलिए कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'यह कुत्ते के कुत्ते को खाने जैसी स्थिति हो गई है। जेडी(एस) के नेता न केवल प्रज्वल को फंसाने वाले कथित वीडियो के कारण बल्कि देवेगौड़ा की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के कारण भी क्रोधित हैं। हमारे नेताओं के खिलाफ कुछ जवाबी कार्रवाई हो सकती है।' घबराए केएस ईश्वरप्पा के बेटे! बढ़ते विवाद के बीच, केएस ईश्वरप्पा के बेटे केई कांतेश ने उनके खिलाफ किसी भी अपमानजनक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए निरोधक आदेश प्राप्त कर लिया है। इसी तरह की चिंताओं को दोहराते हुए, जेडीएस के वरिष्ठ विधायक जीटी देवगौड़ा ने टिप्पणी की, 'वे देवगौड़ा को सिर्फ इसलिए बदनाम कैसे कर सकते हैं क्योंकि उनका पोता किसी मामले में शामिल है? उनका लंबा करियर दिखाता है कि वे कौन हैं। यह कुछ और नहीं बल्कि गंदी राजनीति है।' कर्नाटक की राजनीति पर असर हमारे सूत्रों ने बताया कि इन वीडियो ने कर्नाटक के राजनीतिक माहौल पर पहले ही असर डाल दिया है। राजनीतिक टिप्पणीकार विश्वास शेट्टी कहते हैं, 'जब भी चुनाव होते हैं, राजनेता अपने विरोधियों को बदनाम करने के लिए सेक्स वीडियो को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और सोशल मीडिया इसमें कारगर साबित होता है। चिंता की बात यह है कि मुख्यधारा का मीडिया पीड़ितों की पहचान छिपाता है, लेकिन सोशल मीडिया और फोटो शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर यह सब खुलेआम हो रहा है।' 2 दशकों में हुए ये सेक्स स्कैंडल भी पिछले दो दशकों में कर्नाटक में कई सेक्स स्कैंडल हुए हैं, जिनमें विभिन्न पार्टियों के नेता शामिल हैं। इन स्कैंडलों के कारण इस्तीफ़े, जांच और कानूनी लड़ाइयां हुईं, जिससे राजनीतिक परिदृश्य पर नकारात्मक असर पड़ा। 2019 में, तत्कालीन जल संसाधन मंत्री रमेश जरकीहोली ने यौन संबंधों के लिए प्रलोभन देने के आरोपों के बीच इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि एक वीडियो सीडी में उन्हें कथित तौर पर एक पीड़िता के साथ दिखाया गया था, लेकिन इसकी प्रामाणिकता अभी भी अपुष्ट है।उसी वर्ष, तत्कालीन भाजपा विधायक अरविंद ��िंबावली से जुड़ा एक कथित सेक्स टेप सामने आया था, लेकिन बाद में फोरेंसिक जांच में इसे फर्जी पाया गया। http://dlvr.it/T6Hx6x
0 notes
Text
Day☛1278✍️+91/CG10☛In Home☛26/04/24 (Fri) ☛ 22:08
शतरंज के खेल में आखिरी सैनिक मंत्री बन जाता है, वैसे ही किसी कम्पनी में कोई व्यक्ति लंबे समय तक काम करता है तो उनका बड़े पदों पर प्रमोशन हो जाता है। अमूमन यही होता आ रहा है मगर हमारी कम्पनी में ऐसा नहीं है, यहां पर जिनके पास पैसा है वही ऊंचे पद पर आसीन होंगे जबकि ऐसा नहीं होता है, जिस कंपनी अगर ऐसा होता है तो वह कंपनी ज्यादा दिनों तक ��ल नही पाएगी क्योंकी जिनके पास सेल्स का हुनर होता है वही कंपनी का असली हीरो होता है।
शाम को जब ऑफीस से घर आ रहा था तो रास्ते में एक बुजुर्ग महिला मिली, जिसे मैं बड़ी मां कहता हूं, वो रास्ते में किनारे बैठी हुई थी, एक बर्तन में पानी भरी हुई थी जिसे वो उठा नही पा रही थी, मुझे देखकर सहायता के लिए आग्रह किया, मैंने उनकी पानी की पात्र को उनके घर में रख दिया, उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया। एक बात उनके घर में देखा वह यह कि वो ऐसे घर में रहती है जो पूरी तरह कबाड़ घर है, यहां वहां मलबा पड़ा है, फटे पुराने कपड़े तीतर बितर फैले हुए हैं, एक चारपाई है जिनकी एक पाई टूटी हुई है, जहां बैठकर खाना खाती है वो जगह गंदी और कबाड़ से भरी पड़ी हैं। यह सब देखकर मैं दंग रह गया, पता नहीं कैसे वो इतनी बीहड़ जगह पर अकेली रहतीं हैं, जबकि अनके अपने सगे रिश्तेदार हैं, उनके द्वारा कोई पूछ परख नही है, न कोई सुध लेता है, उनकी जमीन पर घर बनाकर उसे मरने के लिए ऐसी हाल में छोड़ दिया है। कितनी मतलबी और खुदगर्ज दुनिया है। काम होते ही डिस्पोजिबल गिलास की तरह फेक दिया जा रहा है ऐसे हो गई है आज की रिश्ते...... काश उसकी खुद की कोई संतान होती तो शायद आज ऐसे हालात पर नही होती।
ऑफिस में आज भी नहीं हुआ काम,
बस आराम ही आराम ,
Ok 👌
Good night
0 notes
Text
भगवान बुद्ध के आखिरी छ: महीने बहुत पीड़ा में बीते...। पीड़ा में उनकी तरफ से,जिन्होंने देखा; बुद्ध की तरफ से नहीं। बुद्ध एक गांव में ठहरे थे। और उस गांव के एक शुद्र ने,एक गरीब आदमी ने बुद्ध को निमंत्रण दिया की मेरे घर भोजन करो। भगवान ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। सुबह-सुबह जल्दी आ गया था। वह जानता था उसका नम्बर बाद में तो नहीं आ पायेगा। इससे पहले और लोग निमंत्रण न दे वह बहुत सुबह उठ भगवान की गंध कुटी के सामने आ बैठा। उस की बड़ी तमन्ना थी की जीवन में एक बार भगवान उसके यहाँ भी भोजन ग्रहण करे।
वह निमंत्रण दे ही रहा था कि इतनी देर में गांव के कोई धन पति ने आकर भगवान को कहा कि आज का भोजन निमंत्रण मेरे ग्रहण करें। भगवान बुद्ध ने कहा धनपति आज का तो निमंत्रण आ चुका है। इस प्रेमी ने आज अपने घर बुलाया है। उस अमीर ने उस आदमी की तरफ देखा और कहां, इस का निमंत्रण, शायद इस के पास तो अपने खाने के लिए भी कुछ नहीं होगा। इसके तो खुद कई-कई फाँकें पड़े होते है। तब उसने उसकी तरफ देख कर उससे पूछा क्या में कुछ गलत कहा रहा हूं। उस व्यक्ति ने गर्दन हिला कर हामी भर दी। इस के पास कुछ तो खिलाने के लिए होगा तभी तो यह इतनी दुर से मुझे निमंत्रण देने के लिए आया है। जो भी हो इसके पास जो भी होगा अब निमंत्रण तो इसी का स्वीकार कर चूका हूं। और इसी के घर भोजन करूंगा। जाओ ग्रह पति आप भोजन की तैयारी करो आज का भोजन आपके यहाँ है।
भगवान बुद्ध गये। उस आदमी को भरोसा भी न था कि भगवान उसके घर पर भी कभी भोजन ग्रहण करेने के लिए आएँगे। उसके पास कुछ भी न था खिलाने को वस्तुत:। वह अमीर ठीक कह रहा था। रूखी रोटिया थ���ं। सब्जी के नाम पर बिहार में गरीब किसान वह जो बरसात के दिनों में कुकुरमुत्ते (मशरुम) पैदा हो जाते है--लकड़ियों पर, गंदी जगह में--उस कुकुरमुत्ते को इकट्ठा कर लेते है। सुखाकर रख लेते है। और उसी की सब्जी बनाकर खाते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि कुकुरमुत्ते पायजनस हो जाता है। जहरीला हो जाता है। सांप वगैरा के गुजरने के कारण। वह ऐसी जगह पैदा हो गये हो जहां जहर मिल गया। तो कुकुरमुत्तों में जहर था।
बुद्ध के लिए उसने कुकुरमुत्ते की सब्जी बनाई। वह एक दम कड़वे जहर थे। मुंह में रखना मुश्किल था। लेकिन उसके पास एक ही सब्जी थी। तो भगवान बुद्ध ने यह सोच कर कि अगर मैं कहूं कि यह सब्जी कड़वी हे। तो यह कठिनाई में पड़ेगा; उसके पास कोई दूसरी सब्जी नहीं है। वह उस ज़हरीली सब्जी को खा गये। उसे मुंह में भी रखना कठिन था। पूरी को मांग कर की बहुत सुस्वाद बनी है। कह कर खा गये ताकि इसे बाद में भी पता न चले कि यह ज़हरीली सब्जी थी। खूब आनंद ले कर खाते रहे।
जैसे ही भगवान बुद्ध वहां से निकले, उस आदमी ने जब सब्जी को चखा तो वह तो हैरान हो गया। यह क्या यह तो कड़वी जहर सब्जी है। वह भागा हुआ आया और उसने कहा कि आप क्या करते रहे? वह तो जहर है। वह छाती पीटकर कर रोने लगा। लेकिन बुद्ध भगवान ने कहा, तू जरा भी चिंता मत कर। क्योंकि जहर मेरा अब कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेगा। क्योंकि मैं उसे जानता हूं जो अमृत है। तू जरा भी चिंता मत कर घर जा।
लेकिन फिर भी उस आदमी की चिंता तो हम समझ सकते है। कि उससे अनजाने में क्या हो गया उसे अंदरूनी तोर पर कितनी गिलानि पीड़ा पश्चाताप हो रहा होगा कि उसने ये कर दिया। पर उस आदमी को भगवान ने कहां तू धन्य भागी है। तुझे पता नहीं, तू खुश हो, तू सौभाग्यशाली है। क्योंकि कभी हजारों वर्षों में बुद्ध जैसा व्यक्ति पैदा होता है। दो ही व्यक्तियों को उसका सौभाग्य मिलता हे। पहला भोजन कराने का अवसर उसकी मां को मिलता है और अंतिम भोजन कराने का अवसर तुझे मिला है। तू सौभाग्यशाली है; तू आनंदित हो। ऐसा फिर सैकड़ों हजारों वर्षों में कभी कोई बुद्ध पैदा होगा और ऐसा अवसर फिर किसी को मिलेगा। उस आदमी को किसी तरह समझा-बूझकर लौटा दिया।
बुद्ध के शिष्यों ने जीवन वैद्य को बुला कर जब पता कराया की भगवान की तबीयत क्यों खराब रहती है। तब उसने बताया कि इन्हें जहर दिया गया है। तब भगवान के अन्य भिक्षुओं के साथ आनंद रोने लगा। की वह आदमी तो हत्यारा है, उसने आपको जहर दिया है। भगवान ने कहा: ऐसी बात भूल कर भी मत कहना। अन्यथा उस आदमी को कोई जीवित नहीं रहने देगा। आनंद तुम गांव में लोगों को भेज कर यह डोंडी पिटवां दो ये खबर करवा दो की दो ही आदमी परम सौभाग्यशाली होते है, जि���ने पहला भोजन बुद्ध को कराया और जिसने अंतिम भोजन बुद्ध को कराया।
मरने के वक्त तक सब लोग यही कहते रहे की आप एक बार तो कहा देते की यह सब्जी कड़वी है विषाक्त है। तब हम पर यह वज्रपात अकस्मात न गिरता। आपने भी यह क्या किया। और भगवान केवल मुस्कुराए और कहने लगे जानते है। यह तो निमित है कैसे जाना कोई तो बहाना होना ही था। यह वज्रपात गिरना तो था ही, इससे क्या फर्क पड़ता है कैसे गिरा। जहां तक मेरा संबंध है मुझ पर कोई वज्रपात नहीं गिरा क्योंकि मैने उसे जान लिया है जो अमृत हे। जिसकी कोई मृत्यु नहीं होती।
ओशो
ओशो 🌹👏

0 notes