#खाने पीने की चीजें सस्ता
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सबसे सस्ता पेट्रोल लेकिन सबसे ज्यादा महंगाई... चीन का लोन चुकाते-चुकाते निकल गया इस देश का दम
नई दिल्ली: दक्षिण अमेरिका देश वेनेजुएला (Venezuela) के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है। एक अनुमान के मुताबिक इस देश में दुनिया के कुल क्रूड रिजर्व का 18.2% हिस्सा है। यहां पेट्रोल की कीमत दुनिया में सबसे कम है। एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको केवल 0.02 डॉलर यानी 1.65 रुपये खर्च करने होंगे। यह पानी से भी सस्ता है। यानी वेनेजुएला में आपको 35 लीटर की टंकी फुल करने के लिए 57.75 रुपये खर्च करने होंगे। कभी यह देश दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार था। लेकिन आज इसकी पहचान दुनिया में एक ऐसे देश के तौर पर है जहां सबसे ज्यादा महंगाई है। खाने-पीने की चीजों की कीमत आसमान छू रही है। हालत यह है कि देश के लाखों लोगों को भूखे पेट सोना पड़ रहा है। लाखों लोग बेहतर जिंदगी की तलाश में वेनेजुएला से पलायन कर गए हैं। वेनेजुएला में खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हैं कि अमीर लोगों के लिए भी दो जून की रोटी जुटाना भारी पड़ रहा है। कई गरीब लोग तो पेट भरने के लिए कचरे में पड़ी जूठन को खाने के लिए मजबूर हैं।World of Statistics के मुताबिक वेनेजुएला में महंगाई की दर 429 फीसदी है। यह दुनिया में सबसे अधिक है। वेनेजुएला में महंगाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में यह 4.25 फीसदी है। यानी भारत की तुलना में वेनेजुएला में महंगाई 100 गुना से ज्यादा है। अब सवाल यह उठता है कि प्राकृतिक आपदा से भरपूर वेनेजुएला की यह हालत कैसे हुई। 1990 के दशक में वेनेजुएला साउथ अमेरिका का पावरहाउस हुआ करता था। उसके रुतबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1997 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन साउथ अमेरिका के दौरे पर निकले थे तो उनका पहला पड़ाव वेनेजुएला ही था। लेकिन 1999 में ह्यूगो शावेज के राष्ट्रपति बनने के बाद देश में समाजवादी व्यवस्था लागू हुई। चीन का लोन शावेज ने अमेरिका के साथ संबंध खत्म कर दिए और चीन तथा रूस के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाया। चीन और रूस ने वेनेजुएला को अरबों डॉलर का लोन दिया। सरकार ने वेलफेयर प्रोग्राम्स पर जमकर खर्च किया और हर चीज की कीमत तय कर दी। जमीन को सरकारी ��्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया। शावेज की मौत के बाद निकोलस मादुरो राष्ट्रपति बने और उन्होंने भी पुरानी व्यवस्था को जारी रखा। उन्होंने इकॉनमिक ग्रोथ और महंगाई के आंकड़े देने भी बंद कर दिए। मादुरो ने कर्ज के भुगतान के लिए बेतहाशा पैसे छापे। इससे करेंसी की कीमत काफी गिर गई। तेल के निर्यात पर निर्भरता वेनेजुएला को भारी पड़ी। 2014 में तेल की कीमत 100 डॉलर बैरल थी जो 2016 में गिरकर 26 डॉलर पर आ गई। आज यह 75 डॉलर के आसपास है। कच्चे तेल की कीमत में गिरावट ने वेनेजुएला की कमर तोड़ दी।मादुरो ने 2019 में करेंसी कंट्रोल में छूट दी। रुढ़िवादी आर्थिक नीतियों के साथ-साथ सरकारी खर्चे में कमी और टैक्स में बढ़ोतरी से देश में करीब एक साल तक महंगाई सिंगल डिजिट में रही। लेकिन पिछले साल से अंत में वेनेजुएला में महंगाई तेजी से बढ़ी। आज हालत यह हो गई है कि संपन्न लोग भी खाने पीने की चीजों की खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। देश के बाजार खाने-पीने की चीजों से भरे पड़े हैं लेकिन वे इतने महंगे हैं कि कम ही लोग उन्हें खरीदने में सक्षम हैं। लोग दिन में एक ही समय खाना खा रहे हैं या चैरिटी पर निर्भर हैं। देश की आधी से अधिक आबादी गरीबी में जी रही है। 41 फीसदी से अधिक लोगों का कहना है कि वे रोजाना एक समय का खाना छोड़ रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग दूसरे देशों को पलायन कर चुके हैं। http://dlvr.it/SrXtlQ
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थोक महंगाई दर में गिरावट, अप्रैल में महज 0.79 प्रतिशत रही मुद्रास्फीति, खाने-पीने की चीजें सस्ती ईंधन, ऊर्ज��� और खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी की वजह से अप्रैल में थोक महंगाई दर 0.79 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में 3.72 प्रतिशत थी। सरकार ने बुलिंग के आंकड़ोंदे जारी करते हुए बताया कि कोरोना ...। Image Source link
#अप्रैल में महंगाई दर्रा#अप्रैल में मुद्रास्फीति की दर#खाद्य पदार्थ सस्ते हैं#खाने पीने की चीजें सस्ता#थोक महंगाई#बुलेट महंगाई पास#मँहगाई दर#महंगाई दर घटी#महंगाई पास#हिंदी समाचार#हिंदुस्तान#हिन्दी में समाचार#हिन्दुस्तान
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सब्जी और अनाज सस्ता हुआ: रिटेल महंगाई अप्रैल में 1.23% घटकर 4.29% पर आई, खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से आम आदमी को राहत
सब्जी और अनाज सस्ता हुआ: रिटेल महंगाई अप्रैल में 1.23% घटकर 4.29% पर आई, खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से आम आदमी को राहत
Hindi News Business Retail Inflation In India Update; Drop In Food Prices, Narendra Modi Government Data Showed Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्लीएक मिनट पहले कॉपी लिंक सब्जी, अनाज और अन्य खान-पान के सामान सस्ते होने से रिटेल महंगाई अप्रैल में घटी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश की रिटेल महंगाई मापने वाला कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) 4.29% पर आ…
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खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें Divya Sandesh
#Divyasandesh
खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें
नई दिल्ली| अनाज, दाल, सब्जी, फल, समेत खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य तेल आयात महंगा होने और देश में डीजल के दाम में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी ��ै। उधर, देश में कोरोना का कहर दोबारा बरपने से संकट और विकट बनता जा रहा है। सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, “खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों तेल भी 200 रुपये किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी फिर बढ़ोतरी जारी है।”खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई को लेकर आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ने से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया। सब्जियों की जहां तक बात है तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है, लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं।
यह खबर भी पढ़ें: 12 वर्षीय लड़की की सर्जरी कर डॉक्टरों ने पेट से निकाले 5 किलो के दो ट्यूमर, दिया नया जीवन, देखें तस्वीरें
हालांकि दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है। गेहूं की आवक जोर पकड़ने से बाजार भाव में कमी जरूर आई है, लेकिन आटे का भाव नहीं घटा है। दिल्ली के यमुना विहार की रहने वाली नीतू गुप्ता कहती हैं कि जो चावल पहले 50 से 60 रुपये किलो आता था वह अब 80 रुपये किलो आ रहा है और गेहूं का आटा जो पहले 25 रुपये किलो था वह अब 30 से 35 रुपये किलो आ रहा है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की तमाम चीजें महंगी होने से रसोई का बजट बनाना मुश्किल हो गया है।–आईएएनएस
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खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें Divya Sandesh
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खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें
दिल्ली| अनाज, दाल, सब्जी, फल, समेत खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य तेल आयात महंगा होने और देश में डीजल के दाम में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी है। उधर, देश में कोरोना का कहर दोबारा बरपने से संकट और विकट बनता जा रहा है।
सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है।
स���ंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, “खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों तेल भी 200 रुपये किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी फिर बढ़ोतरी जारी है।”
खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई को लेकर आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ने से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया।
सब्जियों की जहां तक बात है तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है, लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं।
हालांकि दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है।
गेहूं की आवक जोर पकड़ने से बाजार भाव में कमी जरूर आई है, लेकिन आटे का भाव नहीं घटा है। दिल्ली के यमुना विहार की रहने वाली नीतू गुप्ता कहती हैं कि जो चावल पहले 50 से 60 रुपये किलो आता था वह अब 80 रुपये किलो आ रहा है और गेहूं का आटा जो पहले 25 रुपये किलो था वह अब 30 से 35 रुपये किलो आ रहा है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की तमाम चीजें महंगी होने से रसोई का बजट बनाना मुश्किल हो गया है।
–आईएएनएस
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खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें
नई दिल्ली| अनाज, दाल, सब्जी, फल, समेत खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य तेल आयात महंगा होने और देश में डीजल के दाम में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी है। उधर, देश में कोरोना का कहर दोबारा बरपने से संकट और विकट बनता जा रहा है। सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, “खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों तेल भी 200 रुपये किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी फिर बढ़ोतरी जारी है।”खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई को लेकर आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ने से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया। सब्जियों की जहां तक बात है तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है, लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं।
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हालांकि दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है। गेहूं की आवक जोर पकड़ने से बाजार भाव में कमी जरूर आई है, लेकिन आटे का भाव नहीं घटा है। दिल्ली के यमुना विहार की रहने वाली नीतू गुप्ता कहती हैं कि जो चावल पहले 50 से 60 रुपये किलो आता था वह अब 80 रुपये किलो आ रहा है और गेहूं का आटा जो पहले 25 रुपये किलो था वह अब 30 से 35 रुपये किलो आ रहा है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की तमाम चीजें महंगी होने से रसोई का बजट बनाना मुश्किल हो गया है।–आईएएनएस
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खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी आम आदमी की मुश्किलें
नई दिल्ली| अनाज, दाल, सब्जी, फल, समेत खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य तेल आयात महंगा होने और देश में डीजल के दाम में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी है। उधर, देश में कोरोना का कहर दोबारा बरपने से संकट और विकट बनता जा रहा है। सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, “खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों तेल भी 200 रुपये किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी फिर बढ़ोतरी जारी है।”खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई को लेकर आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ने से आम गृहणि���ों का बजट बिगड़ गया। सब्जियों की जहां तक बात है तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है, लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं।
यह खबर भी पढ़ें: 12 वर्षीय लड़की की सर्जरी कर डॉक्टरों ने पेट से निकाले 5 किलो के दो ट्यूमर, दिया नया जीवन, देखें तस्वीरें
हालांकि दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है। गेहूं की आवक जोर पकड़ने से बाजार भाव में कमी जरूर आई है, लेकिन आटे का भाव नहीं घटा है। दिल्ली के यमुना विहार की रहने वाली नीतू गुप्ता कहती हैं कि जो चावल पहले 50 से 60 रुपये किलो आता था वह अब 80 रुपये किलो आ रहा है और गेहूं का आटा जो पहले 25 रुपये किलो था वह अब 30 से 35 रुपये किलो आ रहा है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की तमाम चीजें महंगी होने से रसोई का बजट बनाना मुश्किल हो गया है।–आईएएनएस
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नई दिल्ली| अनाज, दाल, सब्जी, फल, समेत खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य तेल आयात महंगा होने और देश में डीजल के दाम में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी है। उधर, देश में कोरोना का कहर दोबारा बरपने से संकट और विकट बनता जा रहा है। सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74 फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा कि, “खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों तेल भी 200 रुपये किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी फिर बढ़ोतरी जारी है।”खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई को लेकर आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़ने से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया। सब्जियों की जहां तक बात है तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है, लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं।
यह खबर भी पढ़ें: 12 वर्षीय लड़की की सर्जरी कर डॉक्टरों ने पेट से निकाले 5 किलो के दो ट्यूमर, दिया नया जीवन, देखें तस्वीरें
हालांकि दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है। गेहूं की आवक जोर पकड़ने से बाजार भाव में कमी जरूर आई है, लेकिन आटे का भाव नहीं घटा है। दिल्ली के यमुना विहार की रहने वाली नीतू गुप्ता कहती हैं कि जो चावल पहले 50 से 60 रुपये किलो आता था वह अब 80 रुपये किलो आ रहा है और गेहूं का आटा जो पहले 25 रुपये किलो था वह अब 30 से 35 रुपये किलो आ रहा है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की तमाम चीजें महंगी होने से रसोई का बजट बनाना मुश्किल हो गया है।–आईएएनएस
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300 रुपये सस्ता मिलेगा एक LPG सिलेंडर, बस घर बैठे करना होगा ये आसान काम Divya Sandesh
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300 रुपये सस्ता मिलेगा एक LPG सिलेंडर, बस घर बैठे करना होगा ये आसान काम
कोरोना काल में बढ़ी महंगाई ने आम जनता के रोजमर्रा के खर्चों पर काफी प्रभाव डाला है. सिर्फ पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) या घरेलू गैस सिलेंडर (LPG Gas Cylinder) ही नहीं बल्कि खाने-पीने की चीजें भी पहले के मुकाबले महंगी हो गई हैं. ऐसे में बचत करना काफी मुश्किल हो गया है. जहां नवंबर 2020 में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 594 रुपये थी अब वही सिलेंडर 819 रुपये का हो गया है. जिससे आम आदमी का बजट पूरी तरह हिल गया है और यदि आप महंगे सिलेंडर से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको करना आसाना सा काम, जिसके जरिए आप एक सिलेंडर पर करीब 300 रुपये तक की बचत कर सकते हैं.300 रुपये सस्ता खरीदें LPG सिलेंडरसस्ता एलपीजी सिलेंडर खरीदने के लिए आपको सब्सिडी लेनी होगी. इसके जरिए आप एक सिलेंडर पर 300 रुपये तक बचा पाएंगे. दरअसल, सरकार द्वारा सब्सिडी राशि में इजाफा किया गया है. इस कारण घरेलू गैस सिलेंडर पर सब्सिडी 153.86 रुपये से बढ़कर 291.48 रुपये हो गयी है.अगर आपका गैस कनेक्शन उज्जवला योजना के तहत लिया गया है तो आपको एक सिलेंडर पर 312.48 रुपये तक सब्सिडी मिल सकती है. इससे पहले सब्सिडी राशि 174.86 रुपये होती थी.300 रुपये की बचत करने के लिए आपको अपने सब्सिडी वाले खाते को आधार कार्ड से लिंक कराना होगा. इस तरह आपके खाते में 300 रुपये आ जाएंगे. आप चाहें तो इस काम को आसानी से घर बैठे भी कर सकते हैं. आपको इस लिंक https://ebharatgas.com पर क्लिक करना होगा और यहां आपका एलपीजी कनेक्शन, आधार से लिंक हो जाएगा. इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक https://cx.indianoil.in पर क्लिक कर सकते हैं.Paytm लाया है शानदार ऑफरबढ़ती महंगाई के बीच पेटीएम अपने ग्राहकों के लिए शानदार ऑफर लेकर आया है. वैसे तो पेटीएम हर महीने ही कई ऑफर लेकर आता है. मगर जो ग्राहक पहली बार पेटीएम के जरिए एलपीजी सिलेंडर बुक कर रहे हैं. उन्हें कंपनी द्वारा पूरे 100 रुपये तक की छूट दी जा रही है. तो अगर आपने अब तक पेटीएम से सिलेंडर बुक नहीं किया है तो जल्दी कीजिए और उठाइए 100 रुपये तक का फायदा.
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