#खगोल फोटोग्राफर
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24gnewshindi · 4 years ago
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प्यून के 16 घंटे व्यायाम करने के लिए इंटरनेट, 40 घंटे और 50 हजार फोटोज के साथ चांद की सबसे तेज़ तस्वीरें
प्यून के 16 घंटे व्यायाम करने के लिए इंटरनेट, 40 घंटे और 50 हजार फोटोज के साथ चांद की सबसे तेज़ तस्वीरें
असोसिएट्स: पुणे के 16 घर ने 40 घंटे और 50 हजार फोटोज! चांद की साफ तस्वीर डेटा 186 से अधिक डेटा का उपयोग नई दिल्ली। बीच में बैठने की जगह खराब होने पर भी यह खराब हो जाएगा। जी हां निर्णय महाराष्ट्र के लिए 16 प्रथमेश जाजू ने किया था। जी हां, इंटरनेट के योग में शामिल हैं, यह सोशल मीडिया में शामिल हो सकता है। सोशल मीडिया को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहली बार सोशल मीडिया पर चलने वाले कार्यक्रम…
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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अविश्वसनीय! एस्ट्रोफ़ोटोग्राफ़र ने अंतरिक्ष में घूमने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को ज़मीन से देखा
अविश्वसनीय! एस्ट्रोफ़ोटोग्राफ़र ने अंतरिक्ष में घूमने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को ज़मीन से देखा
नई दिल्ली: नासा के राजा चारी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मथायस मौर�� ने विभिन्न रखरखाव कार्यों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर लगभग सात घंटे बिताए। सेबेस्टियन वोल्टमर, एक खगोल फोटोग्राफर, जमीन से स्पेसवॉक कार्रवाई की एक तस्वीर प्राप्त करने में सक्षम था – और मौरर के गृहनगर सांक्ट वेंडेल, जर्मनी से, कम नहीं। “कल मैंने सूर्यास्त के तुरंत बाद #स्पेसवॉक देखा। यहां पहली…
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avinashgiri · 5 years ago
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प्रश्न- हिन्दू धर्म को श्रेष्ठ वैज्ञानिक धर्म क्यों माना जाता है?
आज मुझे हंसी भी आ रही है और परेशान भी हो रहा हूं एक सज्जन जो महान व्यक्तित्व के धनी हैं ज्योति शर्मा जी जोकिं जाने-माने स्ट्रीट फोटोग्राफर है उन्होंने अभी सुबह 3:00 बजे यह प्रश्न किया और यह प्रश्न ऐ���ा है कि जिसमें सोच सोच कर आदमी परेशान हो जाए फिर भी उन्होंने प्रश्न किया है तो उत्तर देना मेरा कर्तव्य है और मैं उत्तर दे रहा हूं
उत्तर- वैसे तो इसका उत्तर मैं मात्र कुछ शब्दों में देकर खत्म कर दुँ लेकिन मैं इस प्रशन कि व्यख्या करूगां |
हिन्दू धर्म ही एकमात्र श्रेष्ट वैज्ञानिक धर्म है ऐसा नहीं संसार में सनातन विचारधारा के साथ साथ या उससे पहले अथवा बाद में अनेको ऐसी धार्मिक मान्यताएं रही हैं जो विज्ञान से सीधी सीधी जुडी थी |
उदाहरण के लिऐ मिस्र, मेक्सिको जैसे देशो में ऐसी मानव जाति फैली हुई थी जो सिधे सिधे विज्ञान के नियमो का पालन कर रही थी लेकिन आपका प्रश्न केवल हिन्दू धर्म से जुडा था तो मैं अन्य सभ्यताओं को छोड देता हूँ |
इस विषय पर अपनी जानकारी मैं सुचीवार करता हूँ |
. ���िन्दू धर्म के वैज्ञानिक होने के पक्ष मे सबसे बडा़ अधार जो खडा हैं वो हैं तर्क और वितर्क करने की क्षमता, अगर इस समय मौजूद अन्य धर्मों की बात करें तो उनमें मुख्यतः अपनी पवित्र धार्मिक पुस्तक़ो का पालन किया जाता हैं
दो पुस्तक़ो में समान्यतः कोई विरोधाभास नही होता |
लेकिन हिन्दु धर्म शास्त्रो पर किसी को भी टिका करने कि खुली छुट हैं आपने देखा होगा गीता के भी हजारो संस्करण उपलब्ध हैं
इसका सीधा सा अर्थ यह हैं कि कोई भी ज्ञानवान मनुष्य इसमें जरूरत पडे तो संसोधन कर सकता हैं इतनी लचीली व्यवस्था अन्य धर्मों में दिखाई नही देतीं |
विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म जो ये मानता हैं कि उसके सभी भगवान एक समय पर साधारण मनुष्य थे और ज्ञान प्राप्त कर भगवान हो गयें |
ये धर्म हमें बताता है कि अगर एक मेरे जैसा मनुष्य भी उन सभी गुणो को पा जायें तो भगवान बना जा सकता हैं
इस सम्बन्ध में मैं साक्ष्य के रूप में गीता में श्री कृष्ण और अर्जुन सवादं का करूगां |
श्रीकृष्ण कहते हैं “ मैंने वो ज्ञान प्राप्त कर लिया हैं और चुकिं मैं जान चुका हुँ कि ये समस्त संसार किन नियमो पर कार्य कर रहा हैं और उस परमतत्व ईश्वर का मुझे ज्ञान हो चुका हैं इस लिऐ मैं स्वयं ईश्वर हो गाया हूँ
अर्जुन ये जान लो अगर तुम ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त कर लेते हो तो तुम स्वयं ईश्वर हो जाते हो फिर तुम में और उस परम शाक्ति में कोई भेद नही रहता” |
. हिन्दु धर्म में सदैव ज्ञान प्राप्त कर ही मोक्ष कि बात कही गई हैं जब आप को ज्ञान प्राप्त हो जाता है तो आप स्वयं ��ोक्ष जैसे शब्दो के अर्थ समझने लगते हों |
इतनी सरलता से इतने जटिल शब्द���ो का वर्णन और कहीं नहीं मिलता |
लेकिन ये सब बाते दर्शन से सम्बन्धित हैं और आप कह सकते है कि मुझे दर्शन और विज्ञान में सामनता नही पता मुझे केवल विज्ञान से जुडे तथ्य बताईयें… तो आगे कि पक्तियां आप के लिऐ हैं |
.हिन्दू धर्म में विज्ञान कि लगभग सभी शाखा से जुडे लेख मौजुद हैं जिन्हे शास्त्र कहा जाता हैं क्वाटंम भौतिकी से लेकर खगोल भौतिकी तक | उदाहरण के लिऐ अब तक की इंजीनियरिंग कि सबसे जटिल शाखा ऐरोनोटिक्स से जुडा काफी उन्नत ज्ञान विमानीका शास्त्र मैं मोजुद हैं और विज्ञानिक प्रयोग में इस शास्त्र मे बनाये गये माडलो को सही पाया गाया हैं |
दुसरा शास्त्र है मयमतम् जिसमे भवन निर्माण कि इतनी उन्नत तकनीक बताई गई हैं जो आज भी उपलब्ध नहीं |
इस शास्त्र मे बाताया गाया है कि प्राचीन भारत में लोग पत्थरों को जोडने के लिऐ एक विशेष प्रकार के आयुर्वेदिक गारे का उपयोग किया करते थें जिसकी आयु हजारो वर्ष थी ये आधुनिक क्रकिंट कि आयु (100 वर्ष) से काफी अधिक हैं सिरपुर भारत का सुरंगटिल्ला मन्दिर इस का एक विशेष उदाहरण हैं |
11वीं सदी के जबरदस्त भुकम्प को भी ये मन्दिर सहन कर गाया था इसमें इस तरह के भुकम्प रोधी तरीके अपनाये गये कि ये बडे भुकम्प भी झेल सके |
जाहिर हैं उन्होंने ये तकनीक तभी ही ईजाद कि होगी जब वे जानते होगे कि भुकम्प कैसे और क्यों आता हैं |
इस तकनीक को उन्होंने एक ही दिन मे नहीं बना लिया होगा बल्कि भुकम्प का काफी बारिके से विश्लेषण किया होगा ये साफ सबूत है भारतीय सासंकृति के वैज्ञानिक होने का
आप ही बताईये कि क्या कोई तकनीक बिना किसी वैज्ञानिक प्रयोग के सम्भव हैंँ |
जून 2011 में पाकिस्तान के पुर्वी इलाके से एक खोपडी खोजी गई जिसके ऊपर विश्व की सबसे पुरानी मष्तिष्क शस्त्रक्रिया (ब्रेन सर्जरी) की गई थी |
ये 4,300 वर्ष पुरानी थी सुश्रुत संहिता में इस प्रकार के सर्जरी का सीधा उल्लेख हैं इस पुस्तक में खनिज तत्व से बनने वाली 64 दवा और जानवरों से बनने वाली 57 दवा का उल्लेख हैं अब आप बताईये आधुनिक समय में पहली सफल ब्रेन सर्जरी कब की गई थी |
हाल ही में समपन्न भारती विज्ञान काग्रेंस में भारत के बडे बडे विज्ञानिको ने विमानीका शास्त्र की चर्चा कि और इस पर अनुसंधान करने को कहा |
शिवकर बापूजी तलपदे ने इस विज्ञान का उपयोग कर मारूत सखा बनाया था जो उड सकता था |
श��यद आप जानते हो और मुझ से कहे कि ये मात्र एक कोरी कल्पना है तो ये अगला वैज्ञानिक तथ्य आप के लिऐ हैं 2017 में काव्य वाडाडी नाम की एक विमान रचनाकार (एयर क्राफ्ट डिजाईनर) ने मारूत सखा कि नकल तैयार कर एक 3डी माडल बनाया था |
वैज्ञानिक परिक्षण में ये विमान उडने लायक पाया गाया
तलपडे ने यह विमान उन हजारो साल पुराने लेखो के अधार पर बनाया था जो हिन्दू धर्म में उपलब्ध हैं क्या ये हमारे धर्म के वैज्ञानिक होने का प्रमाण नहीं |
हिन्दुओं का सबसे वैज्ञानिक ग्रन्थ विष्णु पुराण हैं जिसमें ध्रुव की अतंरिक्ष यात्रा से लेकर सापेक्षता के सिध्दांत तक का उल्लेख किया गाया हैं | मुजकन्द नाम के राजा की कथा में टाइम डाइलेशन का सीधा वर्णन हैं और ये ग्रन्थ हजाऱो साल पहले लिखे गये थे तो निश्चित ही या तो उन लोगो ने ये सब होते देखा था या फिर वे कम से कम इस विषय के बारे में तो जानते ही थें |
इस ग्रन्थ कि सहाय्यता से ही IJEIT ने सितम्बर 2014 अपने वोल्यूम 4 ईश्यू 3 में वैदिक आयन इंजन पर एक लेख में प्रकाशित किया था |
क्या आप इन तथ्यो को नकार सकते हैं ?
इस लेख को तैयार करने में सामरगण सुत्रधारा नामक ग्रन्थ की साहयता भी ली गई थी |
नासा अपने डान अतंरिक्ष यान में इस प्रकार के इंजन का प्रयोग कर चुका हैं
हाइजैनबर्ग जो क्वाटंम भौतिकी के जनक है अपनी आत्मकथा में उल्लेख करते है कि वो भारत के ग्रन्थों से प्रभावित होकर इस विषय पर खोज कर पायें |
राबर्ट ओपनहाइमर का भगवतगीता प्रेम सर्वविदित हैं |
लेख पहले ही लम्बा हो चुका हैं इस लिऐ और बिन्दु नही जोड रहा हूँ लेकिन याद रखिये अगर हम अपने धर्म ग्रन्थों मैं वैज्ञानिक पक्ष नही खोज पाते तो यह हमारी कमी हैं उन शास्त्रो की नहीं…
हमें विश्व में इस बारे मे जागृति लानी होगी |
जरा सोचिये कि जितने ग्रन्थो का उल्लेख मैंने किया उनमे से कितनो का नाम आपने पहली बार सुना हैं…..विचार किजीऐ |
जो स्थिति आप कि हैं वो ही अन्य कि होगीं तो कृप्या कर इस लेख को आप पसंद करने जगह अन्य लोगो तक पहुचाईयें |
पढने के लिऐ धन्यवाद!
स्त्रोतः
भारतीय पुराण
१. मयम्तम
२. विष्णु पुराण, गरूड पुराण
३. विमान शास्त्र
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