#क्या फिर बदले जाएंगे 500
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vocaltv · 2 years ago
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RBI New Update: फिर से चलेंगे 500 और 1000 के पुराने नोट!
  जब देश में पहली बार नोबंदी हुई थी तब चारो तरफ कोहराम मचा हुआ था, घर के अंदर छुपे काले धन बहार आये थे, लेकिन अब देशभर में हुई नोटबंटी के बाद में 500 और 1000 रुपये के नोटों को लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही हैं. अगर आपने भी उस समय पर 500 और 1000 रुपये के नोटों को नहीं बदला था तो अब आपके पास में एक और मौका है… RBI की ओर से बड़ी जानकारी सामने आ रही है. क्या आपके पास अभी भी घर पर पुराने वाले नोट…
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sabkuchgyan · 2 years ago
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क्या नोटबंदी के दौरान बंद किए गए 500 और 1000 के नोट फिर से बदले जाएंगे? सुप्रीम कोर्ट दे सकता है अनुमति
क्या नोटबंदी के दौरान बंद किए गए 500 और 1000 के नोट फिर से बदले जाएंगे? सुप्रीम कोर्ट दे सकता है अनुमति
देश में नोटबंदी की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने संकेत दिया था कि वह पुराने नोटों को बदलने की प्रणाली पर विचार करेगी। हालांकि कुछ विशेष मामलों में ही अनुमति दी जाएगी। संविधान पीठ 5 दिसंबर को मामले की सुनवाई जारी रखेगी। इन याचिकाओं में 8 नवंबर, 2016 की नोटबंदी की अधिसूचना को…
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rahulgurulove · 6 years ago
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वीरवर की कथा, चौथी बेताल कथा
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नमस्कार दोस्तों                   ज़ब दूसरी कथा का जबाब पाने पर बेताल फिर शीशम के पेड़ पर जा लटका, तो फिर राजा विक्रमादित्य वहाँ पहुँचे, और फिर बेताल को पेड़ से उतारकर कंधे पर लादकर चल पड़े, लेकिन फिर बेताल बोला की " हे राजन तुम निःश्वार्थ साधु की सेवा मे लगे हो इसलिए एक कथा और सुनो,  शूद्रक नामक राजा हुआ, जो शोभावती नगरी मे राज्य करता था, प्रजा को उसपर अटूट प्रेम था, एक बार राजा शूद्रक के पास वीरवर नामक व्यक्ति नौकरी के लिए गया, उसके परिवार मे उसकी गर्भवती पत्नी धर्मवती, पुत्र सत्य वर और कन्या सतबीर वती यह तीनों ही उसकी सहायता के लिए कमर में कृपाल, एक हाथ में तलवार और दूसरे में ढाल लिए हुए सदा ही सेवा में तत्पर रहा करते थे, राजा ने वीरवर को नौकरी पर तो रख लिया, लेकिन जब वीरवर ने 500 स्वर्ण मुद्राएं प्रतिदिन का पारिश्रमिक मांगा तो राजा कुछ हिचकिचाहट में पड़ गया, लेकिन नौकरी तो दे दी थी, अतः गुप्त रूप से राजा ने अपने गुप्तचरों को आदेश दिया कि इसके परिवार में कितने लोग हैं पता करो, और यह स्वर्ण मुद्राएं कहां खर्च करता है वहां भी पता लगाओ, वीरवर रोज राजा के सिंहद्वार पर शाम तक खड़ा रहता, और फिर जो 500 स्वर्ण मुद्राएं मिलती उसमें से सौ मुद्रा तो वह अपनी पत्नी को घर खर्च के लिए देता, सौ स्वर्ण मुद्रा से वस्त्र आभूषण आदि खरीदता, सौ मुद्राओं से स्नान करके पूजा में खर्च करता, तथा दो सौ मुद्रा वह गरीब दरिद्र में दान कर देता, इन नित्य कर्मों से निपट कर भोजन करके रात्रि को वह फिर राजा के सिंहव्दार पर पहरा दिया करता, यह सारी बात जब राजा को पता चली, तो राजा ने उन गुप्त चारों को वीरवार के पीछे से हटा दिया, इसी तरह दिन बीता गया चाहे कठोर ठंड हो भीषण बारिश हो या भयानक धूप हो वह अटल होकर सिंह द्वार पर ही बिताता था, एक बार जब राजा रात के समय महल से बाहर निकल रहे थे तो दूर से किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनी, तब राजा ने सोचा कि मेरे राज्य में कोई दीन दुखी या दरिद्र तो है नहीं, तो फिर यह स्त्री इस घनघोर बारिश में क्यों रो रही है, दया बस राजा ने वीरवर से कहा कि " सुनो वीरवर तुम जाकर पता लगाओ कि यह स्त्री क्यों रो रही है,  वीरवर जो आज्ञा कह कर तुरंत निकल पड़ा, इस घनघोर वर्षा में राज आज्ञा का पालन करते देख राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ, अतः खुद भी छिपकर वीरवर के पीछे चल पड़े, उधर स्त्री के पास पहुंच कर देखा कि वह स्त्री हे कृपालु, हे स्वामी, हे त्यागी मैं तुम्हारे बिना कैसे जीवित रहूंगी, यह कहकर विलाप कर रही थी, तब वीरवर ने पूछा कि हे देवी तुम कौन हो, और आधी रात में इस प्रकार ��्यों रो रही हो, तब वह स्त्री बोली की " हे वीरवर इस समय जो मेरे धर्मात्मा राजा शूद्रक हैं, आज से 3 दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी, यही सोच कर मुझे बहुत रोना आ रहा है, यही मेरे विलाप करने का कारण है,  तब वीरवर बोला कि " हे देवी क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे महाराज की मृत्यु को रोका जा सके, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब स्त्री के रूप में धरती बोली कि " हां ऐसा उपाय है लेकिन यह उपाय सिर्फ तुम ही कर सकते हो, और कोई नहीं, वीरवर बोला कि हे देवी शीघ्र बताओ वह उपाय, नहीं तो मेरे जीवन का क्या अर्थ, पृथ्वी बोली की हे वीरवर यहां से कुछ दूर जाकर देवी चंडिका का मंदिर है, यदि तुम अपने पुत्र की बलि देवी चंडिका को दे दो, तो राजा की मृत्यु नहीं होगी अन्यथा उनकी मृत्यु निश्चित है,  इस पर वीरवर बोला कि " है देवी मैं महाराज के जीवन की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता हूं अतः मैं यहां कार्य अवश्य करूंगा, पास में ही छिपे राजा यह सब देख रहे थे, और आगे क्या होता है इसकी प्रतीक्षा करने लगे, अब वीरवर अपने घर पहुंचा, और धरती ने जो कुछ भी कहा था सारा वृत्तांत अपनी पत्नी को सुनाया, यह सुनकर उनकी पत्नी बोली की " हे नाथ महाराज का जीवन अमूल्य है, हमें अवश्य ही उसे बचाना चाहिए, इसलिए वह अपने पुत्र को बुला कर लायी और सारा हाल बताया और बोली कि " पुत्र चंडिका देवी को तुम्हारी बलि देने से ही महाराज का जीवन बचाया जा सकता है, अन्यथा वह आज से 3 दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे, यह सुनकर उस निर्भीक बालक ने कहा कि " पिताजी यदि मेरे प्राण के बदले महाराज का जीवन बचाया जा सकता है, तो मैं तैयार हूं, आप तुरंत मेरी बली की तैयारी कीजिए, सत्य वर के ऐसा कहने पर वीरवर बोला कि " बेटा तुम धन्य हो मुझे तुम पर गर्व है, तुम सचमुच में मेरे ही पुत्र हो, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); वीरवर के पीछे आए हुए राजा ने भी यह सब बातें सुनी, और सोचने लगे कि " यह तो सचमुच में सभी एक जैसे ही वीर है,  इसके बाद वीरवर अपनी पत्नी बेटे और पुत्री समेत देवी चंडिका के मंदिर पहुंचा, राजा भी उनके पीछे पीछे वहां पहुंच गया,  मंदिर पहुंचकर सत्यवर ने बड़े भक्ति भाव से देवी को प्रणाम किया, और बोला कि " हे देवी मेरे मस्तक का उपहार स्वीकार करें,  जिससे हमारे राजा अगले 100 वर्षों तक राज कर सकें,  वीरवर ने पुत्र के ऐसा कहते ही धन्य है धन्य है कहते हुए अपनी तलवार से पुत्र का मस्तक काटकर देवी को अर्पण कर दिया, तभी आकाशवाणी हुई की हे वीरवर तुम धन्य हो, तुम्हारे समान स्वामी भक्त और कोई नहीं है, जिसने अपने एकमात्र पुत्र की बलि देकर राजा शूद्रक को जीवनदान दिया, तभी वीरवर की कन्या वीरवती अपने मरे भाई का मस्तक लिए विलाप करने लगी, और उसके शोक में उसने भी अपने प्राण त्याग दिए, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह देखकर वीरवर की पत्नी बोली कि " हे नाथ राजा का कल्याण तो हो गया अब मैं भी आपसे कुछ मांगना चाह��ी हूं, हमारे पुत्र और पुत्री तो चले गए अब मैं जी कर क्या करूंगी, इसलिए आप मुझे आज्ञा दें कि मैं अपने बच्चों के शरीर के साथ अग्नि में प्रवेश करूं, पत्नी का यह आग्रह सुनकर वीरवर बोला कि " हे देवी है तुम ऐसा ही करो लेकिन थोड़ी देर ठहरो तब तक मैं तुम्हारी चिता के लिए कुछ लकड़िया इकट्ठा कर देता हूं, यह कहकर बीरबल ने लकड़ी इकट्ठा करके चिता तैयार की, और दोनों बच्चों के शव को रखकर उसमें आग लगा दी, तभी उसकी पत्नी उसके चरणों में जा गिरी और देवी को प्रणाम करके कहने लगी कि " हे देवी मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं अगले जन्म में भी यही मेरे वीर पति हो और यही राजा मेरे स्वामी हो, यह कहकर वह भयानक आग की लपटों में कूद पड़ी, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  तब वीरवर ने सोचा कि आकाशवाणी के अनुसार राजा का कार्य पूरा हो गया, मैंने जो राजा का नमक खाया था वह भी अदा हो गया, अकेले में ही जी कर क्या करूंगा, अतः क्यों ना मैं भी अपनी बलि चढ़ा दूं, तब भी वीरवर ने देवी की स्तुति की और बोला की " है देवी मेरे मस्तक का उपहार स्वीकार ��रो, और राजा शूद्रक पर प्रसन्न हो, और तत्काल अपना मस्तक अपनी तलवार से काट डाला, छिप कर देख रहे राजा शूद्रक सोचने लगे कि" हे भगवान मेरे लिए इस सज्जन पुरुष और इसके परिवार ने यह कैसा कार्य कर डाला, ऐसा तो मैंने ना कभी सुना था और ना ही देखा था, यदि मैं इनके उपकार का प्रति उपकार न कर सका तो मेरे राजा होने पर धिक्कार है, ऐसा सोचकर राजा ने भी अपनी तलवार निकाली और देवी से प्रार्थना की कि " हे देवी मैं भी आपकी शरण में आ रहा हूं अतः मेरे मस्तक का उपहार लेकर प्रसन्न हो, अपने नाम के अनुरूप आचरण करने वाले वीरवर ने मेरे लिए अपने प्राणों का त्याग किया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  इसलिए मेरे प्राण लेकर आप प्रसन्न हो और वीरवर तथा उनकी पुत्र पत्नी पुत्री सहित पुनर्जीवन प्रदान करें, यह कहकर राजा ने जैसे ही अपनी तलवार उठाई, वैसे ही आकाशवाणी हुई कि " हे राजन तुम ऐसा दुस्साहस मत करो मैं तुम्हारी वीरता से प्रसन्न हूं, मेरा आशीर्वाद है कि वीरवर और इसके पुत्र पुत्री तथा पत्नी पूरा परिवार जीवित हो जायेगा, इतना कहकर आकाशवाणी मौन हो गई, वीरवर अपनी पत्नी पुत्र पुत्री समेत शरीर जीवित हो गया, यह दृश्य राजा भी छुप कर देख रहा था, वीरवर अपने बच्चों सहित अपनी पत्नी को जीवित देखकर हैरान हो गया, और अकेले अकेले में ले जाकर पूछा कि तुम लोग तो आग में जल गए थे, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फिर जीवित कैसे हो गए मैं भी जीवित बचा हूं, कहीं यह भ्रम तो नहीं है, या देवी ने सचमुच मुझ पर कृपा की है, वीरवर के ऐसा पूछने पर बच्चों और पत्नी ने कहा कि" पिताश्री हम सचमुच जीवित हो गए हैं, यह देवी की कृपा है, यद्यपि हम यह बात अब तक जान नहीं पाए, तब वीरवर अपनी पत्नी और बच्चों सहित वापस घर लौट आए, और पहले की तरह ही राजा के दरवाजे पर पहरा देने लगे, यह देख राजा शूद्रक भी सबसे छुपकर छत पर चढ़ गया, वहां से राजा ने पुकार कर कहा कि" दरवाजे पर कौन ��हरा दे रहा है, तब वीरवर बोला" कि महार��ज मैं हूं वीरवर आपकी आज्ञा अनुसार मैं स्त्री के पास गया था, लेकिन वह देखते ही देखते गायब हो गई, राजा सोच में पड़ गए कि यह कैसा मनुष्य है, इतना सब कुछ हो गया, लेकिन एक शब्द भी इसकी जुबान पर नहीं आया, धन्य है बीरबर ऐसे पुरुष सौभाग्य से ही प्राप्त होते हैं, यह बात सोचते हुए राजा ने सारी रात बिता दी, और सुबह जब बीरबल राज दरबार में राजा के दर्शन करने गया, तो उसके कार्यों से प्रसन्न हो राजा ने पिछली रात का सारा विवरण मंत्रियों को कह सुनाया, राजा ने प्रसन्न होकर वीरवार और उसके पुत्र को कर्नाक का राज्य देे दिया,इस प्रकार राजा शूद्रक और राजा वीरवर दोनों ही सुख पूर्वक राज्य करने लगे, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  कथा सुना कर फिर बेताल राजा से बोला कि "राजन यह बताओ कि उन दोनों में वीर कौन था, यदि जानते हुए भी तुमने नहीं बताया तो तुम जरूर मृत्यु को प्राप्त होगे, तब राजा बोला कि " है बेताब उन दोनों में बड़ा वीर राजा शूद्रक ही था, बेताल बोला कि राजन क्या सबसे बड़ा वीर वीरवर नहीं था, क्योंकि उसने खुद का मस्तक काट दिया था, या फिर उसने अपने पुत्र पुत्री और पत्नी का भी बलिदान किया था, क्या उसका पुत्र वीर नहीं था, और तुम शूद्रक को सबसे बड़ा वीर किस आधार पर कह रहे हो, राजा विक्रमादित्य बोले कि" हे वेताल ऐसी बात नहीं है वीरवर का जन्म ऐसे कुल में हुआ था, जिसमें मानव अपने प्राण अपने स्त्री और बच्चों के प्राणों की बलि देकर भी अपने स्वामी के प्राणों की रक्षा करता है, और अपना परम कर्तव्य समझता है, उसी कुल में उत्पन्न सत्यवर भी वैसा ही था, लेकिन जिन नौकरों से राजा लोग अपने जीवन की रक्षा करवाते हैं, राजा शूद्रक उन्हीं के लिए अपने प्राण त्यागने जा रहा था अतः राजा शूद्रक ही सबसे बड़ा वीर था, राजा ने जैसेेे ही अपना मौन तोड़ा, बेताल फिर शीशम के पेड़ पर जाकर वापस लटक गया,  यह कथा कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा धन्यवाद REED MORE STORIES :- 1:- प्रारम्भ बिक्रम बेताल कथा..? 2:- पहली बेताल कथा, रानी पद्मावती 3:- दूसरी बेताल कथा, तीन तरुण ब्राम्हण 4:- तीसरी बेताल कथा, तोता मैना की कहानी
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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इस समय हमारा देश पप्पू और गप्पू के बीच फंसा हुआ है, पप्पू का नाम लेकर गप्पू अपनी नैया पार करने के जुगाड़ में है
पप्पू के नाम पर गप्पू की योजना. दोस्तों इस समय हमारा देश पप्पू और गप्पू के बीच फंसा हुआ है. पप्पू का नाम लेकर गप्पू अपनी नैया पार करने के जुगाड़ में है. वहीं भक्त अपने भगवान के प्रचार में जोरो शोरो से जुट गये हैं. सारे गुनाहों के बाद भी यही कहा जा रहा है इनका कोई विकल्प नही है.
जो हो रहा है वह भगवान की मर्जी
जी हां पिछले कुछ महीने से भक्तों द्वारा एक नया जुमला शुरू किया गया है, इनका कोई विकल्प नहीं, हिंदुस्तान धार्मिक मान्यताओं और आस्था वाला देश है. देश का कोई गरीब हो या अमीर वह बड़े से बड़े दुःख को ये कहकर बर्दाश्त कर लेता है कि जो कुछ भी हो रहा है वह भगवान की मर्ज़ी है.
दोस्तों क्या आपक�� नहीं लगता है कि ऐसा ही कुछ इस वक्त देश की जनता के साथ हो रहा है? क्या आपको शोले फ़िल्म का वह एक सीन याद है जब अमिताभ बच्चन अपने दोस्त धर्मेन्द्र की हर बुराई गिनाने के बाद कहता है तो फिर मौसी बसंती के साथ वीरू का रिश्ता पक्का समझू?
पिछले दिनों का पाप है
इस मौसी ने तो जय को मना कर दिया था. अब सवाल यह है कि आप मना कर पाएंगे या एक बार फिर गप्पू के चक्कर में फंस जाएंगे? राजशाही व्यवस्था में भी राजा के कारिंदे ग़रीबों को समझते थे कि तुम्हारे जीवन में जो भी कष्ट है वो तुम्हारे पिछले दिनो का पाप है और जनता भी यही मानकर बैठ जाती थी.
हमारी भुखमरी, ग़रीबी, आशिक्षा में राजा का कोई दोष नही, ये सब तो पिछले जन्म का पाप है. ऐसा ही कुछ इस समय देश में हो रहा है सभी समस्यों को पिछले दिनों का बताया जा रहा है.
वादों और हक़ीकत पर ए�� नजर
अगर मोदी सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल का निष्पक्ष मूल्यांकन करना हो तो 2014 के चुनाव में मोदी जी द्वारा किये गये वादे और आज की हक़ीक़त को ध्यान से देखिये कहा गया था:-
1. इतना काला धन लायेंगे हर आदमी के खाते में 15 लाख रुपये जमा हो जायेगा. हक़ीकत आज तक 15 पैसे भी किसी के खाते में नहीं आये लेकिन स्विस बैंक में कालाधन ज़रूर दोगुना हो गया.
2. कहा गया युवाओं को 2 करोड़ रोज़गार देंगे, 84 प्रतिशत रोज़गार घटा है मोदी जी के राज में। अब तो रोज़गार का आंकड़ा भी आना बंद हो गया.
3. बेटियों को सुरक्षा देने की बात कहकर मात्र 15 पैसे प्रति महिला प्रतिदिन ख़र्च का प्रावधान बजट में रखा गया। भाजपा के तमाम मंत्री विधायक और नेता बलात्कार और हत्या के मामले में लिप्त पाये गये.
4. महंगाई कम करने का वादा करके 85 रुपये लीटर पेट्रोल और 75 रु लीटर डीज़ल बेचा गया. प्याज़, आलू और चीनी के दाम समय-समय पर बढ़ाये गये.
5. डालर का दाम 40 रुपये करने की बात कहकर 71 रु पहुंचा दिया गया.
6. नोटबंदी का तुग़लकी फ़रमान जारी कर दिया गया. 99.3 फीसदी पैसा बैंकों में वापस आ गया. न काला धन ख़त्म हुआ न आतंकवाद. हां 150 जिंदगियां लाइन में लगकर ज़रूर ख़त्म हो गई देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई GDP नीचे गिर गई जिससे लगभ�� 2.25 लाख करोड़ का घाटा हुआ.
7. One Nation One Tax के नाम पर GST लागू कर One Nation Multiple Tax का फ़ार्मुला लगा दिया गया. आज व्यापारी अपना धंधा करने के बजाय दिन रात हिसाब किताब में परेशान रहता है.
8. किसान आत्महत्याएं करने को मजबूर हैं. आज़ादी के बाद पहली बार अपनी फ़सल का उचित दाम न मिलने व क़र्ज़ माफ़ न किये जाने के विरोध में किसानो ने PMO के सामने नग्न प्रदर्शन करके अपना मलमूत्र तक पिया. अपनी उपज को खेतों में जलाकर और सड़कों पर नष्ट करके अपना विरोध दर्ज कराया।
9. विदेशी यात्राओं पर पानी की तरह पैसा बहाकर इन्वेस्टमेंट के नाम पर दिखावा किया गया.
10. राष्ट्रीय सुरक्षा और देश भक्ति की दुहाई देने वाली सरकार के राज में पाकिस्तान द्वारा सबसे अधिक सीमा का उल्लंघन किया गया. डोकलाम में लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है.
11. एक के बदले 10 सिर काटने की बात कहकर नवाज़ शरीफ़ के बर्थडे का केक काटा गया. ISI से पठानकोट की जांच कराई गई पाकिस्तान को टक्कर देने की बात कहकर वहां से शक्कर मंगाई गई. अब तो पाकिस्तान की सेना के साथ साझा युद्ध अभ्यास का शर्मनाक फ़ैसला भी ले लिया गया है.
12. 500 करोड़ के बजाय 1600 करोड़ का जहाज़ ख़रीदकर राफ़ेल रक्षा सौदे में हज़ारों करोड़ की दलाली खाई गई. चेहरे पे जो लाली है राफ़ेल की दलाली है.
13. अफ़ज़ल गुरु पर रोज सवाल पूछने वालों ने अफ़ज़ल गुरु को शहीद मनाने वाली PDP के साथ सरकार बनाई.
14. बैंकों में जमा जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा बड़े-बड़े उद्योगपतियों को रेवड़ी की तरह क़र्ज़ के रूप में बांट दिया गया. चंद उद्योगपतियों पर 8.55 लाख करोड़ का क़र्ज़ बाक़ी है इन बेइमानों से पैसा वापस लाना तो दूर 2100 करोड़ का क़र्ज़ा लेकर ललित मोदी भाग गया. 9 हज़ार करोड़ रुपये लेकर विजय मल्ल्या भाग गया. 21 हज़ार करोड़ लेकर निरव मोदी भी भाग गया और हमको काला धन लाने का सपना दिखाया जा रहा है.
15. लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकारों को राज्यपाल और उपराज्यपाल के ज़रिये अस्थिर करके लोकतन्त्र और संविधान का माखौल उड़ाया गया.
इन तमाम झूठे जुमलों के साथ जनता को मूर्ख बनाने का काम लगातार जारी है. देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम भी ख़ूब चल रहा है. मुसलमानो और दलितों के ख़िलाफ़ जमकर नफ़रत फे��ाई जा रही है. एक लाख से लेकर पहलू खान तक गाय के नाम पर इंसान की जान ली जाती रही लेकिन मोदी जी के मुंह से समय पर एक शब्द भी न निकला.
हां लिंचिंग करके इंसान की जान लेने वाले क़ातिलों को मोदी जी के मंत्री ने माला पहनाकर स्वागत ज़रूर किया. उना से लेकर उत्तर प्रदेश तक दलितों पर अत्याचार जारी है. उनकी हत्यायें भी की जा रही हैं, लेकिन मोदी जी ख़ामोश हैं. दरअसल असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिये हमको आपको इन नक़ली मुद्दों पर उलझाये रखा गया जिससे सारे गुनाह छिपायें जा सकें.
मोदी जी का बौधिक ज्ञान भी माशाअल्लाह है, कुछ बातें हंसने के लिये याद कीजिये.
1. मोदी जी ने तक्षशिला को बिहार में बता दिया.
2. शहीदे आज़म भगत सिंह को अंडमान निकोबार की जेल में पहुंचा दिया.
3. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दयानंद सरस्वती से मिलवा दिया.
4. कबीर गुरुनानक देव और बाबा गोरखनाथ को एक साथ बैठा दिया, जबकि तीनों के इस दुनिया में होने के बीच सैकड़ों साल का अंतर है.
5. Strength की अंग्रेज़ी ही विदेश में जाकर बदल दी.
6. सरकारी रोज़गार देने का वादा करके पकौड़ा रोज़गार, ऑटो टैक्सी रोज़गार को अपनी उपलब्धि गिना दी.
7. पिछले दिनो नाले के गैस से चाय तक बनवा दी.
ऐसे महापुरुष आदरणीय मोदी जी की उपलब्धियों के बारे में ज़रा गम्भीरता से सोचिये. कहीं ऐसा तो नही की सिर्फ़ सोते समय ख़ामोश रहने वाले मोदी जी ने दिन रात भाषण दे-देकर आपकी सोचने समझने की शक्ति छीन ली है. क्या हर तरह से देश का बेड़ा गरक करने वाले मोदी जी का वाक़ई कोई विकल्प नही?
क्या हम फिर से अपनी ज़िंदगी को जोखिम में डालने और देश को बर्बादी की कगार पर पहुंचाने के लिये तैयार हैं क्योंकि भाजपाईयों और गोदी मीडिया ने अपनी सारी नाकामियों को छिपाने का एक नया फ़ार्मूला खोज लिया.
आख़िर मोदी जी का विकल्प क्या है? राहुल गांधी के सामने मोदी बहुत मज़बूत है. अगर पप्पू को ही वोट देना है तो गप्पू को ही वोट दे दो. इसे कहते हैं पप्पू के नाम पर गप्पू की योजना क्या आपको वाक़ई लगता है कि इतने तरह से देश को संकट में डालने वाले महापुरुष मोदी जी का कोई विकल्प नही? न समझोगे तो मिट जाओगे. ये हिंदुस्तान वालों तुम्हारी दांसता तक न होगी दस्तानों में.
संजय सिंह (लेखक आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद हैं. इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.)
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rahulgurulove · 6 years ago
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वीरवर की कथा, चौथी बेताल कथा
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नमस्कार दोस्तों                   ज़ब दूसरी कथा का जबाब पाने पर बेताल फिर शीशम के पेड़ पर जा लटका, तो फिर राजा विक्रमादित्य वहाँ पहुँचे, और फिर बेताल को पेड़ से उतारकर कंधे पर लादकर चल पड़े, लेकिन फिर बेताल बोला की " हे राजन तुम निःश्वार्थ साधु की सेवा मे लगे हो इसलिए एक कथा और सुनो,  शूद्रक नामक राजा हुआ, जो शोभावती नगरी मे राज्य करता था, प्रजा को उसपर अटूट प्रेम था, एक बार राजा शूद्रक के पास वीरवर नामक व्यक्ति नौकरी के लिए गया, उसके परिवार मे उसकी गर्भवती पत्नी धर्मवती, पुत्र सत्य वर और कन्या सतबीर वती यह तीनों ही उसकी सहायता के लिए कमर में कृपाल, एक हाथ में तलवार और दूसरे में ढाल लिए हुए सदा ही सेवा में तत्पर रहा करते थे, राजा ने वीरवर को नौकरी पर तो रख लिया, लेकिन जब वीरवर ने 500 स्वर्ण मुद्राएं प्रतिदिन का पारिश्रमिक मांगा तो राजा कुछ हिचकिचाहट में पड़ गया, लेकिन नौकरी तो दे दी थी, अतः गुप्त रूप से राजा ने अपने गुप्तचरों को आदेश दिया कि इसके परिवार में कितने लोग हैं पता करो, और यह स्वर्ण मुद्राएं कहां खर्च करता है वहां भी पता लगाओ, वीरवर रोज राजा के सिंहद्वार पर शाम तक खड़ा रहता, और फिर जो 500 स्वर्ण मुद्राएं मिलती उसमें से सौ मुद्रा तो वह अपनी पत्नी को घर खर्च के लिए देता, सौ स्वर्ण मुद्रा से वस्त्र आभूषण आदि खरीदता, सौ मुद्राओं से स्नान करके पूजा में खर्च करता, तथा दो सौ मुद्रा वह गरीब दरिद्र में दान कर देता, इन नित्य कर्मों से निपट कर भोजन करके रात्रि को वह फिर राजा के सिंहव्दार पर पहरा दिया करता, यह सारी बात जब राजा को पता चली, तो राजा ने उन गुप्त चारों को वीरवार के पीछे से हटा दिया, इसी तरह दिन बीता गया चाहे कठोर ठंड हो भीषण बारिश हो या भयानक धूप हो वह अटल होकर सिंह द्वार पर ही बिताता था, एक बार जब राजा रात के समय महल से बाहर निकल रहे थे तो दूर से किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनी, तब राजा ने सोचा कि मेरे राज्य में कोई दीन दुखी या दरिद्र तो है नहीं, तो फिर यह स्त्री इस घनघोर बारिश में क्यों रो रही है, दया बस राजा ने वीरवर से कहा कि " सुनो वीरवर तुम जाकर पता लगाओ कि यह स्त्री क्यों रो रही है,  वीरवर जो आज्ञा कह कर तुरंत निकल पड़ा, इस घनघोर वर्षा में राज आज्ञा का पालन करते देख राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ, अतः खुद भी छिपकर वीरवर के पीछे चल पड़े, उधर स्त्री के पास पहुंच कर देखा कि वह स्त्री हे कृपालु, हे स्वामी, हे त्यागी मैं तुम्हारे बिना कैसे जीवित रहूंगी, यह कहकर विलाप कर रही थी, तब वीरवर ने पूछा कि हे देवी तुम कौन हो, और आधी रात में इस प्रकार क्यों रो रही हो, तब वह स्त्री बोली की " हे वीरवर इस समय जो मेरे धर्मात्मा राजा शूद्रक हैं, आज से 3 दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी, यही सोच कर मुझे बहुत रोना आ रहा है, यही मेरे विलाप करने का कारण है,  तब वीरवर बोला कि " हे देवी क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे महाराज की मृत्यु को रोका जा सके, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब स्त्री के रूप में धरती बोली कि " हां ऐसा उपाय है लेकिन यह उपाय सिर्फ तुम ही कर सकते हो, और कोई नहीं, वीरवर बोला कि हे देवी शीघ्र बताओ वह उपाय, नहीं तो मेरे जीवन का क्या अर्थ, पृथ्वी बोली की हे वीरवर यहां से कुछ दूर जाकर देवी चंडिका का मंदिर है, यदि तुम अपने पुत्र की बलि देवी चंडिका को दे दो, तो राजा की मृत्यु नहीं होगी अन्यथा उनकी मृत्यु निश्चित है,  इस पर वीरवर बोला कि " है देवी मैं महाराज के जीवन की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता हूं अतः मैं यहां कार्य अवश्य करूंगा, पास में ही छिपे राजा यह सब देख रहे थे, और आगे क्या होता है इसकी प्रतीक्षा करने लगे, अब वीरवर अपने घर पहुंचा, और धरती ने जो कुछ भी कहा था सारा वृत्तांत अपनी पत्नी को सुनाया, यह सुनकर उनकी पत्नी बोली की " हे नाथ महाराज का जीवन अमूल्य है, हमें अवश्य ही उसे बचाना चाहिए, इसलिए वह अपने पुत्र को बुला कर लायी और सारा हाल बताया और बोली कि " पुत्र चंडिका देवी को तुम्हारी बलि देने से ही महाराज का जीवन बचाया जा सकता है, अन्यथा वह आज से 3 दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे, यह सुनकर उस निर्भीक बालक ने कहा कि " पिताजी यदि मेरे प्राण के बदले महाराज का जीवन बचाया जा सकता है, तो मैं तैयार हूं, आप तुरंत मेरी बली की तैयारी कीजिए, सत्य वर के ऐसा कहने पर वीरवर बोला कि " बेटा तुम धन्य हो मुझे तुम पर गर्व है, तुम सचमुच में मेरे ही पुत्र हो, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); वीरवर के पीछे आए हुए राजा ने भी यह सब बातें सुनी, और सोचने लगे कि " यह तो सचमुच में सभी एक जैसे ही वीर है,  इसके बाद वीरवर अपनी पत्नी बेटे और पुत्री समेत देवी चंडिका के मंदिर पहुंचा, राजा भी उनके पीछे पीछे वहां पहुंच गया,  मंदिर पहुंचकर सत्यवर ने बड़े भक्ति भाव से देवी को प्रणाम किया, और बोला कि " हे देवी मेरे मस्तक का उपहार स्वीकार करें,  जिससे हमारे राजा अगले 100 वर्षों तक राज कर सकें,  वीरवर ने पुत्र के ऐसा कहते ही धन्य है धन्य है कहते हुए अपनी तलवार से पुत्र का मस्तक काटकर देवी को अर्पण कर दिया, तभी आकाशवाणी हुई की हे वीरवर तुम धन्य हो, तुम्हारे समान स्वामी भक्त और कोई नहीं है, जिसने अपने एकमात्र पुत्र की बलि देकर राजा शूद्रक को जीवनदान दिया, तभी वीरवर की कन्या वीरवती अपने मरे भाई का मस्तक लिए विलाप करने लगी, और उसके शोक में उसने भी अपने प्राण त्याग दिए, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह देखकर वीरवर की पत्नी बोली कि " हे नाथ राजा का कल्याण तो हो गया अब मैं भी आपसे कुछ मांगना चाहती हूं, हमारे पुत्र और पुत्री तो चले गए अब मैं जी ���र क्या करूंगी, इसलिए आप मुझे आज्ञा दें कि मैं अपने बच्चों के शरीर के साथ अग्नि में प्रवेश करूं, पत्नी का यह आग्रह सुनकर वीरवर बोला कि " हे देवी है तुम ऐसा ही करो लेकिन थोड़ी देर ठहरो तब तक मैं तुम्हारी चिता के लिए कुछ लकड़िया इकट्ठा कर देता हूं, यह कहकर बीरबल ने लकड़ी इकट्ठा करके चिता तैयार की, और दोनों बच्चों के शव को रखकर उसमें आग लगा दी, तभी उसकी पत्नी उसके चरणों में जा गिरी और देवी को प्रणाम करके कहने लगी कि " हे देवी मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं अगले जन्म में भी यही मेरे वीर पति हो और यही राजा मेरे स्वामी हो, यह कहकर वह भयानक आग की लपटों में कूद पड़ी, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  तब वीरवर ने सोचा कि आकाशवाणी के अनुसार राजा का कार्य पूरा हो गया, मैंने जो राजा का नमक खाया था वह भी अदा हो गया, अकेले में ही जी कर क्या करूंगा, अतः क्यों ना मैं भी अपनी बलि चढ़ा दूं, तब भी वीरवर ने देवी की स्तुति की और बोला की " है देवी मेरे मस्तक का उपहार स्वीकार करो, और राजा शूद्रक पर प्रसन्न हो, और तत्काल अपना मस्तक अपनी तलवार से काट डाला, छिप कर देख रहे राजा शूद्रक सोचने लगे कि" हे भगवान मेरे लिए इस सज्जन पुरुष और इसके परिवार ने यह कैसा कार्य कर डाला, ऐसा तो मैंने ना कभी सुना था और ना ही देखा था, यदि मैं इनके उपकार का प्रति उपकार न कर सका तो मेरे राजा होने पर धिक्कार है, ऐसा सोचकर राजा ने भी अपनी तलवार निकाली और देवी से प्रार्थना की कि " हे देवी मैं भी आपकी शरण में आ रहा हूं अतः मेरे मस्तक का उपहार लेकर प्रसन्न हो, अपने नाम के अनुरूप आचरण करने वाले वीरवर ने मेरे लिए अपने प्राणों का त्याग किया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  इसलिए मेरे प्राण लेकर आप प्रसन्न हो और वीरवर तथा उनकी पुत्र पत्नी पुत्री सहित पुनर्जीवन प्रदान करें, यह कहकर राजा ने जैसे ही अपनी तलवार उठाई, वैसे ही आकाशवाणी हुई कि " हे राजन तुम ऐसा दुस्साहस मत करो मैं तुम्हारी वीरता से प्रसन्न हूं, मेरा आशीर्वाद है कि वीरवर और इसके पुत्र पुत्री तथा पत्नी पूरा परिवार जीवित हो जायेगा, इतना कहकर आकाशवाणी मौन हो गई, वीरवर अपनी पत्नी पुत्र पुत्री समेत शरीर जीवित हो गया, यह दृश्य राजा भी छुप कर देख रहा था, वीरवर अपने बच्चों सहित अपनी पत्नी को जीवित देखकर हैरान हो गया, और अकेले अकेले में ले जाकर पूछा कि तुम लोग तो आग में जल गए थे, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फिर जीवित कैसे हो गए मैं भी जीवित बचा हूं, कहीं यह भ्रम तो नहीं है, या देवी ने सचमुच मुझ पर कृपा की है, वीरवर के ऐसा पूछने पर बच्चों और पत्नी ने कहा कि" पिताश्री हम सचमुच जीवित हो गए हैं, यह देवी की कृपा है, यद्यपि हम यह बात अब तक जान नहीं पाए, तब वीरवर अपनी पत्नी और बच्चों सहित वापस घर लौट आए, और पहले की तरह ही राजा के दरवाजे पर पहरा देने लगे, यह देख राजा शूद्रक भी सबसे छुपकर छत पर चढ़ गया, वहां से राजा ने पुकार कर कहा कि" दरवाजे पर कौन पहरा दे रहा है, तब वीरवर बोला" कि महाराज मैं हूं वीरवर आपकी आज्ञा अनुसार मैं स्त्री के पास गया था, लेकिन वह देखते ही देखते गायब हो गई, राजा सोच में पड़ गए कि यह कैसा मनुष्य है, इतना सब कुछ हो गया, लेकिन एक शब्द भी इसकी जुबान पर नहीं आया, धन्य है बीरबर ऐसे पुरुष सौभाग्य से ही प्राप्त होते हैं, यह बात सोचते हुए राजा ने सारी रात बिता दी, और सुबह जब बीरबल राज दरबार में राजा के दर्शन करने गया, तो उसके कार्यों से प्रसन्न हो राजा ने पिछली रात का सारा विवरण मंत्रियों को कह सुनाया, राजा ने प्रसन्न होकर वीरवार और उसके पुत्र को कर्नाक का राज्य देे दिया,इस प्रकार राजा शूद्रक और राजा वीरवर दोनों ही सुख पूर्वक राज्य करने लगे, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  कथा सुना कर फिर बेताल राजा से बोला कि "राजन यह बताओ कि उन दोनों में वीर कौन था, यदि जानते हुए भी तुमने नहीं बताया तो तुम जरूर मृत्यु को प्राप्त होगे, तब राजा बोला कि " है बेताब उन दोनों में बड़ा वीर राजा शूद्रक ही था, बेताल बोला कि राजन क्या सबसे बड़ा वीर वीरवर नहीं था, क्योंकि उसने खुद का मस्तक काट दिया था, या फिर उसने अपने पुत्र पुत्री और पत्नी का भी बलिदान किया था, क्या उसका पुत्र वीर नहीं था, और तुम शूद्रक को सबसे बड़ा वीर किस आधार पर कह रहे हो, राजा विक्रमादित्य बोले कि" हे वेताल ऐसी बात नहीं है वीरवर का जन्म ऐसे कुल में हुआ था, जिसमें मानव अपने प्राण अपने स्त्री और बच्चों के प्राणों की बलि देकर भी अपने स्वामी के प्राणों की रक्षा करता है, और अपना परम कर्तव्य समझता है, उसी कुल में उत्पन्न सत्यवर भी वैसा ही था, लेकिन जिन नौकरों से राजा लोग अपने जीवन की रक्षा करवाते हैं, राजा शूद्रक उन्हीं के लिए अपने प्राण त्यागने जा रहा था अतः राजा शूद्रक ही सबसे बड़ा वीर था, राजा ने जैसेेे ही अपना मौन तोड़ा, बेताल फिर शीशम के पेड़ पर जाकर वापस लटक गया,  यह कथा कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा धन्यवाद REED MORE STORIES :- 1:- प्रारम्भ बिक्रम बेताल कथा..? 2:- पहली बेताल कथा, रानी पद्मावती 3:- दूसरी बेताल कथा, तीन तरुण ब्राम्हण 4:- तीसरी बेताल कथा, तोता मैना की कहानी
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rahulgurulove · 6 years ago
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वीरवर की कथा, चौथी बेताल कथा
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नमस्कार दोस्तों                   ज़ब दूसरी कथा का जबाब पाने पर बेताल फिर शीशम के पेड़ पर जा लटका, तो फिर राजा विक्रमादित्य वहाँ पहुँचे, और फिर बेताल को पेड़ से उतारकर कंधे पर लादकर चल पड़े, लेकिन फिर बेताल बोला की " हे राजन तुम निःश्वार्थ साधु की सेवा मे लगे हो इसलिए एक कथा और सुनो,  शूद्रक नामक राजा हुआ, जो शोभावती नगरी मे राज्य करता था, प्रजा को उसपर अटूट प्रेम था, एक बार राजा शूद्रक के पास वीरवर नामक व्यक्ति नौकरी के लिए गया, उसके परिवार मे उसकी गर्भवती पत्नी धर्मवती, पुत्र सत्य वर और कन्या सतबीर वती यह तीनों ही उसकी सहायता के लिए कमर में कृपाल, एक हाथ में तलवार और दूसरे में ढाल लिए हुए सदा ही सेवा में तत्पर रहा करते थे, राजा ने वीरवर को नौकरी पर तो रख लिया, लेकिन जब वीरवर ने 500 स्वर्ण मुद्राएं प्रतिदिन का पारिश्रमिक मांगा तो राजा कुछ हिचकिचाहट में पड़ गया, लेकिन नौकरी तो दे दी थी, अतः गुप्त रूप से राजा ने अपने गुप्तचरों को आदेश दिया कि इसके परिवार में कितने लोग हैं पता करो, और यह स्वर्ण मुद्राएं कहां खर्च करता है वहां भी पता लगाओ, वीरवर रोज राजा के सिंहद्वार पर शाम तक खड़ा रहता, और फिर जो 500 स्वर्ण मुद्राएं मिलती उसमें से सौ मुद्रा तो वह अपनी पत्नी को घर खर्च के लिए देता, सौ स्वर्ण मुद्रा से वस्त्र आभूषण आदि खरीदता, सौ मुद्राओं से स्नान करके पूजा में खर्च करता, तथा दो सौ मुद्रा वह गरीब दरिद्र में दान कर देता, इन नित्य कर्मों से निपट कर भोजन करके रात्रि को वह फिर राजा के सिंहव्दार पर पहरा दिया करता, यह सारी बात जब राजा को पता चली, तो राजा ने उन गुप्त चारों को वीरवार के पीछे से हटा दिया, इसी तरह दिन बीता गया चाहे कठोर ठंड हो भीषण बारिश हो या भयानक धूप हो वह अटल होकर सिंह द्वार पर ही बिताता था, एक बार जब राजा रात के समय महल से बाहर निकल रहे थे तो दूर से किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनी, तब राजा ने सोचा कि मेरे राज्य में कोई दीन दुखी या दरिद्र तो है नहीं, तो फिर यह स्त्री इस घनघोर बारिश में क्यों रो रही है, दया बस राजा ने वीरवर से कहा कि " सुनो वीरवर तुम जाकर पता लगाओ कि यह स्त्री क्यों रो रही है,  वीरवर जो आज्ञा कह कर तुरंत निकल पड़ा, इस घनघोर वर्षा में राज आज्ञा का पालन करते देख राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ, अतः खुद भी छिपकर वीरवर के पीछे चल पड़े, उधर स्त्री के पास पहुंच कर देखा कि वह स्त्री हे कृपालु, हे स्वामी, हे त्यागी मैं तुम्हारे बिना कैसे जीवित रहूंगी, यह कहकर विलाप कर रही थी, तब वीरवर ने पूछा कि हे देवी तुम कौन हो, और आधी रात में इस प्रकार क्यों रो रही हो, तब वह स्त्री बोली की " हे वीरवर इस समय जो मेरे धर्मात्मा राजा शूद्रक हैं, आज से 3 दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी, यही सोच कर मुझे बहुत रोना आ रहा है, यही मेरे विलाप करने का कारण है,  तब वीरवर बोला कि " हे देवी क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे महाराज की मृत्यु को रोका जा सके, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); तब स्त्री के रूप में धरती बोली कि " हां ऐसा उपाय है लेकिन यह उपाय सिर्फ तुम ही कर सकते हो, और कोई नहीं, वीरवर बोला कि हे देवी शीघ्र बताओ वह उपाय, नहीं तो मेरे जीवन का क्या अर्थ, पृथ्वी बोली की हे वीरवर यहां से कुछ दूर जाकर देवी चंडिका का मंदिर है, यदि तुम अपने पुत्र की बलि देवी चंडिका को दे दो, तो राजा की मृत्यु नहीं होगी अन्यथा उनकी मृत्यु निश्चित है,  इस पर वीरवर बोला कि " है देवी मैं महाराज के जीवन की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता हूं अतः मैं यहां कार्य अवश्य करूंगा, पास में ही छिपे राजा यह सब देख रहे थे, और आगे क्या होता है इसकी प्रतीक्षा करने लगे, अब वीरवर अपने घर पहुंचा, और धरती ने जो कुछ भी कहा था सारा वृत्तांत अपनी पत्नी को सुनाया, यह सुनकर उनकी पत्नी बोली की " हे नाथ महाराज का जीवन अमूल्य है, हमें अवश्य ही उसे बचाना चाहिए, इसलिए वह अपने पुत्र को बुला कर लायी और सारा हाल बताया और बोली कि " पुत्र चंडिका देवी को तुम्हारी बलि देने से ही महाराज का जीवन बचाया जा सकता है, अन्यथा वह आज से 3 दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे, यह सुनकर उस निर्भीक बालक ने कहा कि " पिताजी यदि मेरे प्राण के बदले महाराज का जीवन बचाया जा सकता है, तो मैं तैयार हूं, आप तुरंत मेरी बली की तैयारी कीजिए, सत्य वर के ऐसा कहने पर वीरवर बोला कि " बेटा तुम धन्य हो मुझे तुम पर गर्व है, तुम सचमुच में मेरे ही पुत्र हो, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); वीरवर के पीछे आए हुए राजा ने भी यह सब बातें सुनी, और सोचने लगे कि " यह तो सचमुच में सभी एक जैसे ही वीर है,  इसके बाद वीरवर अपनी पत्नी बेटे और पुत्री समेत देवी चंडिका के मंदिर पहुंचा, राजा भी उनके पीछे पीछे वहां पहुंच गया,  मंदिर पहुंचकर सत्यवर ने बड़े भक्ति भाव से देवी को प्रणाम किया, और बोला कि " हे देवी मेरे मस्तक का उपहार स्वीकार करें,  जिससे हमारे राजा अगले 100 वर्षों तक राज कर सकें,  वीरवर ने पुत्र के ऐसा कहते ही धन्य है धन्य है कहते हुए अपनी तलवार से पुत्र का मस्तक काटकर देवी को अर्पण कर दिया, तभी आकाशवाणी हुई की हे वीरवर तुम धन्य हो, तुम्हारे समान स्वामी भक्त और कोई नहीं है, जिसने अपने एकमात्र पुत्र की बलि देकर राजा शूद्रक को जीवनदान दिया, तभी वीरवर की कन्या वीरवती अपने मरे भाई का मस्तक लिए विलाप करने लगी, और उसके शोक में उसने भी अपने प्राण त्याग दिए, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह देखकर वीरवर की पत्नी बोली कि " हे नाथ राजा का कल्याण तो हो गया अब मैं भी आपसे कुछ मांगना चाहती हूं, हमारे पुत्र और पुत्री तो चले गए अब मैं जी कर क्या करूंगी, इसलिए आप मुझे आज्ञा दें कि मैं अपने बच्चों के शरीर के साथ अग्नि में प्रवेश करूं, पत्नी का यह आग्रह सुनकर वीरवर बोला कि " हे देवी है तुम ऐसा ही करो लेकिन थोड़ी देर ठहरो तब तक मैं तुम्हारी चिता के लिए कुछ लकड़िया इकट्ठा कर देता हूं, यह कहकर बीरबल ने लकड़ी इकट्ठा करके चिता तैयार की, और दोनों बच्चों के शव को रखकर उसमें आग लगा दी, तभी उसकी पत्नी उसके चरणों में जा गिरी और देवी को प्रणाम करके कहने लगी कि " हे देवी मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं अगले जन्म में भी यही मेरे वीर पति हो और यही राजा मेरे स्वामी हो, यह कहकर वह भयानक आग की लपटों में कूद पड़ी, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  तब वीरवर ने सोचा कि आकाशवाणी के अनुसार राजा का कार्य पूरा हो गया, मैंने जो राजा का नमक खाया था वह भी अदा हो गया, अकेले में ही जी कर क्या करूंगा, अतः क्यों ना मैं भी अपनी बलि चढ़ा दूं, तब भी वीरवर ने देवी की स्तुति की और बोला की " है देवी मेरे मस्तक का उपहार स्वीकार करो, और राजा शूद्रक पर प्रसन्न हो, और तत्काल अपना मस्तक अपनी तलवार से काट डाला, छिप कर देख रहे राजा शूद्रक सोचने लगे कि" हे भगवान मेरे लिए इस सज्जन पुरुष और इसके परिवार ने यह कैसा कार्य कर डाला, ऐसा तो मैंने ना कभी सुना था और ना ही देखा था, यदि मैं इनके उपकार का प्रति उपकार न कर सका तो मेरे राजा होने पर धिक्कार है, ऐसा सोचकर राजा ने भी अपनी तलवार निकाली और देवी से प्रार्थना की कि " हे देवी मैं भी आपकी शरण में आ रहा हूं अतः मेरे मस्तक का उपहार लेकर प्रसन्न हो, अपने नाम के अनुरूप आचरण करने वाले वीरवर ने मेरे लिए अपने प्राणों का त्याग किया, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  इसलिए मेरे प्राण लेकर आप प्रसन्न हो और वीरवर तथा उनकी पुत्र पत्नी पुत्री सहित पुनर्जीवन प्रदान करें, यह कहकर राजा ने जैसे ही अपनी तलवार उठाई, वैसे ही आकाशवाणी हुई कि " हे राजन तुम ऐसा दुस्साहस मत करो मैं तुम्हारी वीरता से प्रसन्न हूं, मेरा आशीर्वाद है कि वीरवर और इसके पुत्र पुत्री तथा पत्नी पूरा परिवार जीवित हो जायेगा, इतना कहकर आकाशवाणी मौन हो गई, वीरवर अपनी पत्नी पुत्र पुत्री ���मेत शरीर जीवित हो गया, यह दृश्य राजा भी छुप कर देख रहा था, वीरवर अपने बच्चों सहित अपनी पत्नी को जीवित देखकर हैरान हो गया, और अकेले अकेले में ले जाकर पूछा कि तुम लोग तो आग में जल गए थे, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फिर जीवित कैसे हो गए मैं भी जीवित बचा हूं, कहीं यह भ्रम तो नहीं है, या देवी ने सचमुच मुझ पर कृपा की है, वीरवर के ऐसा पूछने पर बच्चों और पत्नी ने कहा कि" पिताश्री हम सचमुच जीवित हो गए हैं, यह देवी की कृपा है, यद्यपि हम यह बात अब तक जान नहीं पाए, तब वीरवर अपनी पत्नी और बच्चों सहित वापस घर लौट आए, और पहले की तरह ही राजा के दरवाजे पर पहरा देने लगे, यह देख राजा शूद्रक भी सबसे छुपकर छत पर चढ़ गया, वहां से राजा ने पुकार कर कहा कि" दरवाजे पर कौन पहरा दे रहा है, तब वीरवर बोला" कि महाराज मैं हूं वीरवर आपकी आज्ञा अनुसार मैं स्त्री के पास गया था, लेकिन वह देखते ही देखते गायब हो गई, राजा सोच में पड़ गए कि यह कैसा मनुष्य है, इतना सब कुछ हो गया, लेकिन एक शब्द भी इसकी जुबान पर नहीं आया, धन्य है बीरबर ऐसे पुरुष सौभाग्य से ही प्राप्त होते हैं, यह बात सोचते हुए राजा ने सारी रात बिता दी, और सुबह जब बीरबल राज दरबार में राजा के दर्शन करने गया, तो उसके कार्यों से प्रसन्न हो राजा ने पिछली रात का सारा विवरण मंत्रियों को कह सुनाया, राजा ने प्रसन्न होकर वीरवार और उसके पुत्र को कर्नाक का राज्य देे दिया,इस प्रकार राजा शूद्रक और राजा वीरवर दोनों ही सुख पूर्वक राज्य करने लगे, (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  कथा सुना कर फिर बेताल राजा से बोला कि "राजन यह बताओ कि उन दोनों में वीर कौन था, यदि जानते हुए भी तुमने नहीं बताया तो तुम जरूर मृत्यु को प्राप्त होगे, तब राजा बोला कि " है बेताब उन दोनों में बड़ा वीर राजा शूद्रक ही था, बेताल बोला कि राजन क्या सबसे बड़ा वीर वीरवर नहीं था, क्योंकि उसने खुद का मस्तक काट दिया था, या फिर उसने अपने पुत्र पुत्री और पत्नी का भी बलिदान किया था, क्या उसका पुत्र वीर नहीं था, और तुम शूद्रक को सबसे बड़ा वीर किस आधार पर कह रहे हो, राजा विक्रमादित्य बोले कि" हे वेताल ऐसी बात नहीं है वीरवर का जन्म ऐसे कुल में हुआ था, जिसमें मानव अपने प्राण अपने स्त्री और बच्चों के प्राणों की बलि देकर भी अपने स्वामी के प्राणों की रक्षा करता है, और अपना परम कर्तव्य समझता है, उसी कुल में उत्पन्न सत्यवर भी वैसा ही था, लेकिन जिन नौकरों से राजा लोग अपने जीवन की रक्षा करवाते हैं, राजा शूद्रक उन्हीं के लिए अपने प्राण त्यागने जा रहा था अतः राजा शूद्रक ही सबसे बड़ा वीर था, राजा ने जैसेेे ही अपना मौन तोड़ा, बेताल फिर शीशम के पेड़ पर जाकर वापस लटक गया,  यह कथा कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा धन्यवाद REED MORE STORIES :- 1:- प्रारम्भ बिक्रम बेताल कथा..? 2:- पहली बेताल कथा, रानी पद्मावती 3:- दूसरी बेताल कथा, तीन तरुण ब्राम्हण 4:- तीसरी बेताल कथा, तोता मैना की कहानी
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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वीडियो: पेट्रोल को 35 और डॉलर को 40 रूपए बताने वाले रविशंकर और बाबा रामदेव कहाँ गए, क्या इनके अच्छे दिन चल रहे है? रवीश कुमार
उपरोक्त संदर्भ में चौकीदार कौन है, नाम लेने की ज़रूरत नहीं है। वर्ना छापे पड़ जाएंगे और ट्विटर पर ट्रोल कहने लगेंगे कि कानून में विश्वास है तो केस जीत कर दिखाइये। जैसे भारत में फर्ज़ी केस ही नहीं बनता है और इंसाफ़ झट से मिल जाता है। आप लोग भी सावधान हो जाएं। आपके ख़िलाफ़ कुछ भी आरोप लगाया जा सकता है।
��गर आप कुछ नहीं कर सकते हैं तो इतना तो कर दीजिए कि हिन्दी अख़बार लेना बंद कर दें या फिर ऐसा नहीं कर सकते तो हर महीने अलग अलग हिन्दी अख़बार लें, तभी पता चलेगा कि कैसे ये हिन्दी अख़बार सरकार की थमायी पर्ची को छाप कर ही आपसे महीने का 400-500 लूट रहे हैं। हिन्दी चैनलों का तो आप हाल जानते हैं।
मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं इसके लिए आपको 28 और 29 अगस्त के इंडियन एक्सप्रेस में ऋतिका चोपड़ा की ख़बर बांचनी होगी। आप सब इतना तो समझ ही सकते हैं कि इस तरह की ख़बर आपने अपने प्रिय हिन्दी अख़बार में कब देखी थी।
इंडियन एक्सप्रेस की ऋतिका चोपड़ा दो दिनों से लंबी-लंबी रिपोर्ट फाइल कर रही हैं कि किस तरह अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट के लिए पीएमओ के कहने पर नियमों में बदलाव किया गया। ऋतिका ने आर टी आई के ज़रिए मानव संसाधन मंत्रालय और पीएमओ के बीच पत्राचार हासिल कर यह रिपोर्ट तैयार की है। मानव संसाधन मंत्रालय ने शुरू में जो नियम बनाए थे उसके अनुसार अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को प्रतिष्ठित संस्थान का टैग नहीं मिल पाता।
यहां तक कि वित्त मंत्रालय ने भी चेतावनी दी थी कि जिस संस्थान का कहीं कोई वजूद नहीं है उसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का लेबल देना तर्कों के ख़िलाफ़ है। इससे भारत में शिक्षा सिस्टम को ठेस पहुंचती है। इसके बाद भी अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को मानव संसाधन मंत्रालय की सूची में शामिल करने के लिए मजबूर किया गया।
वित्त मंत्रालय के ख़र्चा विभाग यानी डिपार्टमेंट आफ एक्सपेंडिचर ने मानव संसाधन मंत्रालय को लिखा था कि इस तरह से एक ऐसे संस्थान को आगे करना जिसकी अभी स्थापना तक नहीं हुई है, उन संस्थानों की तुलना में उसके ब्रांड वैल्यू को बढ़ाना होगा जिन्होंने अपने संस्थान की स्थापना कर ली है। इससे उनका उत्साह कम होगा। सिर्फ मंशा के आधार पर कि भविष्य में कुछ ऐसा करेंगे, किसी संस्थान को इंस्टीट्यूट ऑफ़ एमिनेंस का दर्जा देना तर्कों के ख़िलाफ़ है। इसलिए जो नए नियम बनाए गए हैं उनकी समीक्षा की जानी चाहिए।
वित्त मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय की राय के ख़िलाफ़ जाकर पीएमओ से अंबानी के जियो संस्थान को दर्जा दिलवाने की ख़बर आप इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। भले ही इस खबर में यह नहीं है कि चौकीदार जी अंबानी के लिए इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं लेकिन इस ख़बर को पढ़ते ही आपको यही समझ आएगा। दो दिनों से ख़बर छप रही है मगर किसी ने खंडन नहीं किया है।
अडानी जी की एक कंपनी है। अडानी एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड। यह कंपनी सिंगापुर के हाईकोर्ट में अपना केस हार चुकी है। भारत के रेवेन्यु इंटेलिजेंस ने कई पत्र जारी कर इस कंपनी ��े बारे में जवाब मांगे हैं, दुनिया के अलग अलग देशों से, तो इसके खिलाफ अडानी जी बांबे हाईकोर्ट गए हैं कि डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस के लेटर्स रोगेटरी को रद्द कर दिया जाएगा। जब आप विदेशी मुल्क से न्यायिक मदद मांगते हैं तो उस मुल्क को लेटर ऑफ़ रोगेटरी जारी करना पड़ता है।
आप जानते हैं कि चौकीदार जी ने मुंबई के एक कार्यक्रम में हमारे मेहुल भाई कह दिया था। आप यह भी जानते हैं कि यही हमारे मेहुल भाई ने महान भारत की नागरिकता छोड़ कर महान एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है। चौकीदार जी के हमारे मेहुल भाई लगातार भारत को शर्मिंदा कर रहे हैं। उन्होंने कह दिया है कि वे भारत नहीं जाएंगे क्योंकि वहां के जेलों की हालत बहुत ख़राब है।
चौकीदार जी के हमारे मेहुल भाई पर मात्र 13,500 करोड़ के गबन के आरोप हैं। सरकार चाहे तो इनके लिए 1 करोड़ ख़र्च कर अलग से जेल बनवा सकती है, या किसी होटल के कमरे को जेल में बदल सकती है। कम से कम मेहुल भाई को वहां रहने में तो दिक्कत नहीं होगी। कहां तो काला धन आने वाला था, कहां काला धन वाले ही चले गए।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले श्री रविशंकर का एक ट्विट घूमता है कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे तो एक डॉलर 40 रुपये का हो जाएगा। आज एक डॉलर 70 रुपये 52 पैसे का हो गया है।
भारत के इतिहास में रुपया इतना कभी कमज़ोर नहीं हुआ है। वैसे भी आप तक इसकी ख़बर प्रमुखता से नहीं पहुंची होगी और जिनके पास पहुंची है उनके लिए तर्क के पैमाने बदले जा रहे हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं राजीव कुमार। राजीव ने कहा है कि हमें मुद्रा के आधार पर अर्थव्यवस्था को जज करने की मानसिकता छोड़नी ही पड़ेगी। मज़बूत मुद्रा में कुछ भी नहीं होता है।
वाकई ऐसे लोगों के अच्छे दिन हैं। कुछ भी तर्क देते हैं और मार्केट में चल जाता है। राजीव कुमार को पता नहीं है कि उनके चेयरमैन चौकीदार जी भी भारतीय रुपये की कमज़ोरी को दुनिया में भारत की गिरती साख और प्रतिष्ठा से जोड़ा करते थे। सबसे पहले उन्हें जाकर ये बात समझाएं। वैसे वे समझ गए होंगे।
वैसे आप कोई भी लेख पढ़ेंगे, उसमें यही होगा कि रुपया कमज़ोर होता है तो उसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। वित्तीय घाटा बढ़ता है। 2018 के साल में भारतीय रुपया ही दुनिया भर में सबसे ख़राब प्रदर्शन कर रहा है।
वैसे रामदेव ने भी रजत शर्मा के आपकी अदालत में कहा था कि मोदी जी आ जाएंगे तो पेट्रोल 35 रुपया प्रति लीटर मिलेगा। इस समय तो कई शहरों में 86 और 87 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।
  ये सब सवाल पूछना बंद कर दीजिए वर्ना कोई आएगा फर्ज़ी कागज़ पर आपका नाम लिखा होगा और ��ंसा कर चला जाएगा। जब टीवी और अखबारों में इतना डर घुस जाए तभी शानदार मौका होता है कि आप अपनी मेहनत की कमाई का 1000 रुपया बचा लें। दोनों को बंद कर दें। कुछ नहीं तो कम से कम ये काम तो कर ही सकते हैं। हमेशा के लिए नहीं बंद कर सकते मगर एक महीने के लिए तो बंद कर ही सकते हैं।
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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अंबानी के Jio इंस्टीट्यूट के लिए PMO ने की सिफारिश, क्या ये चौकीदार ‘अंबानी’ की चौकीदारी कर रहा है? : रवीश कुमार
उपरोक्त संदर्भ में चौकीदार कौन है, नाम लेने की ज़रूरत नहीं है। वर्ना छापे पड़ जाएंगे और ट्विटर पर ट्रोल कहने लगेंगे कि कानून में विश्वास है तो केस जीत कर दिखाइये। जैसे भारत में फर्ज़ी केस ही नहीं बनता है और इंसाफ़ झट से मिल जाता है। आप लोग भी सावधान हो जाएं। आपके ख़िलाफ़ कुछ भी आरोप लगाया जा सकता है।
अगर आप कुछ नहीं कर सकते हैं तो इतना तो कर दीजिए कि हिन्दी अख़बार लेना बंद कर दें या फिर ऐसा नहीं कर सकते तो हर महीने अलग अलग हिन्दी अख़बार लें, तभी पता चलेगा कि कैसे ये हिन्दी अख़बार सरकार की थमायी पर्ची को छाप कर ही आपसे महीने का 400-500 लूट रहे हैं। हिन्दी चैनलों का तो आप हाल जानते हैं।
मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं इसके लिए आपको 28 और 29 अगस्त के इंडियन एक्सप्रेस में ऋतिका चोपड़ा की ख़बर बांचनी होगी। आप सब इतना तो समझ ही सकते हैं कि इस तरह की ख़बर आपने अपने प्रिय हिन्दी अख़बार में कब देखी थी।
रिलायंस Jio के कारण देश को हुआ 2484 करोड़ का नु��सान, सरकार PM म��दी चला रहे हैं या अंबानी ?
इंडियन एक्सप्रेस की ऋतिका चोपड़ा दो दिनों से लंबी-लंबी रिपोर्ट फाइल कर रही हैं कि किस तरह अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट के लिए पीएमओ के कहने पर नियमों में बदलाव किया गया। ऋतिका ने आर टी आई के ज़रिए मानव संसाधन मंत्रालय और पीएमओ के बीच पत्राचार हासिल कर यह रिपोर्ट तैयार की है।
मानव संसाधन मंत्रालय ने शुरू में जो नियम बनाए थे उसके अनुसार अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को प्रतिष्ठित संस्थान का टैग नहीं मिल पाता। यहां तक कि वित्त मंत्रालय ने भी चेतावनी दी थी कि जिस संस्थान का कहीं कोई वजूद नहीं है उसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का लेबल देना तर्कों के ख़िलाफ़ है। इससे भारत में शिक्षा सिस्टम को ठेस पहुंचती है। इसके बाद भी अंबानी के जियो इंस्टीट्यूट को मानव संसाधन मंत्रालय की सूची में शामिल करने के लिए मजबूर किया गया।
वित्त मंत्रालय के ख़र्चा विभाग यानी डिपार्टमेंट आफ एक्सपेंडिचर ने मानव संसाधन मंत्रालय को लिखा था ��ि इस तरह से एक ऐसे संस्थान को आगे करना जिसकी अभी स्थापना तक नहीं हुई है, उन संस्थानों की तुलना में उसके ब्रांड वैल्यू को बढ़ाना होगा जिन्होंने अपने संस्थान की स्थापना कर ली है।
इससे उनका उत्साह कम होगा। सिर्फ मंशा के आधार पर कि भविष्य में कुछ ऐसा करेंगे, किसी संस्थान को इंस्टीट्यूट ऑफ़ एमिनेंस का दर्जा देना तर्कों के ख़िलाफ़ है। इसलिए जो नए नियम बनाए गए हैं उनकी समीक्षा की जानी चाहिए।
वित्त मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय की राय के ख़िलाफ़ जाकर पीएमओ से अंबानी के जियो संस्थान को दर्जा दिलवाने की ख़बर आप इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। भले ही इस खबर में यह नहीं है कि चौकीदार जी अंबानी के लिए इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं लेकिन इस ख़बर को पढ़ते ही आपको यही समझ आएगा। दो दिनों से ख़बर छप रही है मगर किसी ने खंडन नहीं किया है।
रिपोर्ट: चुनावी बॉन्‍ड से BJP को 1200 करोड़ का चंदा देगी रिलायंस! क्या इसीलिए अंबानी पर मेहरबान हैं मोदी ?
अडानी जी की एक कंपनी है। अडानी एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड। यह कंपनी सिंगापुर के हाईकोर्ट में अपना केस हार चुकी है। भारत के रेवेन्यु इंटेलिजेंस ने कई पत्र जारी कर इस कंपनी के बारे में जवाब मांगे हैं, दुनिया के अलग अलग देशों से, तो इसके खिलाफ अडानी जी बांबे हाईकोर्ट गए हैं कि डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस के लेटर्स रोगेटरी को रद्द कर दिया जाएगा। जब आप विदेशी मुल्क से न्यायिक मदद मांगते हैं तो उस मुल्क को लेटर ऑफ़ रोगेटरी जारी करना पड़ता है।
आप जानते हैं कि चौकीदार जी ने मुंबई के एक कार्यक्रम में हमारे मेहुल भाई कह दिया था। आप यह भी जानते हैं कि यही हमारे मेहुल भाई ने महान भारत की नागरिकता छोड़ कर महान एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है। चौकीदार जी के हमारे मेहुल भाई लगातार भारत को शर्मिंदा कर रहे हैं। उन्होंने कह दिया है कि वे भारत नहीं जाएंगे क्योंकि वहां के जेलों की हालत बहुत ख़राब है।
चौकीदार जी के हमारे मेहुल भाई पर मात्र 13,500 करोड़ के गबन के आरोप हैं। सरकार चाहे तो इनके लिए 1 करोड़ ख़र्च कर अलग से जेल बनवा सकती है, या किसी होटल के कमरे को जेल में बदल सकती है। कम से कम मेहुल भाई को वहां रहने में तो दिक्कत नहीं होगी। कहां तो काला धन आने वाला था, कहां काला धन वाले ही चले गए।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले श्री रविशंकर का एक ट्विट घूमता है कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे तो एक डॉलर 40 रुपये का हो जाएगा। आज एक डॉलर 70 रुपये 52 पैसे का हो गया है। भारत के इतिहास में रुपया इतना कभी कमज़ोर नहीं हुआ है। वैसे भी आप तक इसकी ख़बर प्रमुखता से नहीं पहुंची होगी और जिनके पास पहुंची है उनके लिए तर्क के पैमाने बदले जा रहे हैं।
Jio इंस्टिट्यूट पर बोले केजरीवाल- पहले अंबानी की जेब में ‘कांग्रेस’ थी अब मोदी सरकार है, सत्ता बदली मगर मालिक नहीं बदला
नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं राजीव कुमार। राजीव ने कहा है कि हमें मुद्रा के आधार पर अर्थव्यवस्था को जज करने की मानसिकता छोड़नी ही पड़ेगी। मज़बूत मुद्रा में कुछ भी नहीं होता है।
वाकई ऐसे लोगों के अच्छे दिन हैं। कुछ भी तर्क देते हैं और मार्केट में चल जाता है। राजीव कुमार को पता नहीं है कि उनके चेयरमैन चौकीदार जी भी भारतीय रुपये की कमज़ोरी को दुनिया में भारत की गिरती साख और प्रतिष्ठा से जोड़ा करते थे। सबसे पहले उन्हें जाकर ये बात समझाएं। वैसे वे समझ गए होंगे।
वैसे आप कोई भी लेख पढ़ेंगे, उसमें यही होगा कि रुपया कमज़ोर होता है तो उसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। वित्तीय घाटा बढ़ता है। 2018 के साल में भारतीय रुपया ही दुनिया भर में सबसे ख़राब प्रदर्शन कर रहा है। वैसे रामदेव ने भी रजत शर्मा के आपकी अदालत में कहा था कि मोदी जी आ जाएंगे तो पेट्रोल 35 रुपया प्रति लीटर मिलेगा। इस समय तो कई शहरों में 86 और 87 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।
अंबानी के आए अच्छे दिन! मोदी सरकार ने घटाए 5जी स्पेक्ट्रम के दाम, रिलायंस JIO को होगा 5000 करोड़ का फायदा!
ये सब सवाल पूछना बंद कर दीजिए वर्ना कोई आएगा फर्ज़ी कागज़ पर आपका नाम लिखा होगा और फंसा कर चला जाएगा। जब टीवी और अखबारों में इतना डर घुस जाए तभी शानदार मौका होता है कि आप अपनी मेहनत की कमाई का 1000 रुपया बचा लें। दोनों को बंद कर दें। कुछ नहीं तो कम से कम ये काम तो कर ही सकते हैं। हमेशा के लिए नहीं बंद कर सकते मगर एक महीने के लिए तो बंद कर ही सकते हैं।
एक्सप्रेस ने वित्त मंत्रालय की आपत्ति का हिस्सा लगाया है। उसका फ़ोटो लगा रहा हूँ ।
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