10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
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कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट; 5 लक्षणों से तुरंत पहचाने
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन जो कोरोना से बचने के लिए बनाई गई थी हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा तेज हो गई है, एक व्यक्ति को जब कोरोना वैक��सीन के साइड इफेक्ट दिखाई दिए तब उसने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर कोर्ट केस कर दिया। जिसके बाद कंपनी ने इस बात को स्वीकार किया कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट Read more..
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Covid Crisis: Demand for Vaccinating Children Intensifies amid Mental Health Concerns
Covid Crisis: Demand for Vaccinating Children Intensifies amid Mental Health Concerns
भारत के कई हिस्सों में कोविड -19 की दूसरी लहर को रोकने के लिए तालाबंदी और आंदोलन पर प्रतिबंध के रूप में, देश की युवा आबादी बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। प्रीटेन्स, बच्चे और उनके माता-पिता 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोविड -19 टीकाकरण की मांग कर रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने बच्चों में चिंता और स्क्रीन की लत के मामलों में वृद्धि देखी है क्योंकि वे एक साल से अधिक…
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CIN ब्यूरो /स्पुतनिक- V वैक्सीन की कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक सामने नहीं आया है
CIN ब्यूरो /स्पुतनिक- V वैक्सीन की कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक सामने नहीं आया है
वरीय संपादक -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, भारत में कोविड के लिए तीन तरह के कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक- V वैक्सीन को मान्यता दी गई है। कोवैक्सीन को ICMR और भारत बायोटेक द्वारा तैयार किया गया है। कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार किया गया और पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा इसका उत्पादन किया जा रहा है तथा स्पुतनिक- V को मास्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट…
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कोवाक्सिन और कोविशील्ड में क्या है अंतर? कौनसी वैक्सीन ज्यादा फायदेमंद? जानिए दोनों की खासियत और साइड इफेक्ट
चैतन्य भारत न्यूज
देश में अब कोरोना टीकाकरण के तीसरे चरण में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीनेट करने की मुहीम शुरू हो चुकी है। जनता को कोवैक्सीन और कोविशील्ड के डोज दिए जा रहे हैं। हालांकि, इन वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट्स भी है, जिनसे लोग घबराएं हुए हैं। ऐसे में लोग कन्फ्यूज है कि वह कौनसी वैक्सीन लगवाएं। हम आपको कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों के ही फायदे और नुकसान के बारे में बता रहे है।
कोवैक्सीन के फायदे
शुरुआत में कोवैक्सीन पर काफी उंगलियां उठाई गई थीं। लेकिन अब दुनियाभर के एक्सपर्ट ने इस वैक्सीन की कार्य क्षमता की प्रशंसा की है। व्हाइट हाउस के मेडिकल एडवाइज एंथॉनी फाउची ने खुद एक हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि कोवैक्सीन B।1।617 वेरिएंट यानी भारत के डबल म्यूटेंट वेरिएंट को बेअसर करने में कारगर है।
कोविशील्ड के फायदे
कोवैक्सीन और कोविशील्ड एक दूसरे से एकदम अलग हैं। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा डेवलप कोविशील्ड के इस वैक्सीन को कई और भी देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी जेनरेट करने का काम करती है। हालांकि इन दोनों ही वैक्सीन की खूबियां इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती हैं।
कोवैक्सीन का प्रभाव
कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन का प्रभाव काफी अच्छा बताया गया है। ये दोनों ही WHO के स्टैंडर्ड को मैच करती हैं। कोवैक्सीन ने अपना बड़ा ट्रायल इस साल फरवरी के अंत में पूरा किया था। क्लीनिकल स्टडीज के मुताबिक, भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का एफिकेसी रेट 78 प्रतिशत है। स्टडी के मुताबिक, कोवैक्सीन घातक इंफेक्शन और मृत्यु दर के जोखिम को 100 फीसद तक कम कर सकती है।
कोविशील्ड का प्रभाव
वहीं, कोविशील्ड का एफिकेसी रेट 70 प्रतिशत है, जिसे तकरीबन एक महीने बाद दूसरी डोज़ के साथ 90 फीसद तक बढ़ाया जा सकता है। ये न सिर्फ सिम्पटोमैटिक इंफेक्शन में राहत दे सकती है, बल्कि तेजी से रिकवरी भी कर सकती है।
कोविशील्ड के सामान्य साइड इफेक्ट्स
सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड के लिए फैक्ट शीट में कहा गया है कि वैक्सीन लगने के बाद कुछ हल्के लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे कि इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द और सूजन, सिर दर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, बेचैनी, पायरेक्सिया, बुखार, जोड़ों में दर्द और मितली महसूस होना। फैक्ट शीट के मुताबिक, वैक्सीनेशन के बाद ऐसे लक्षण दिखने पर पैरासिटामोल जैसी आम पेनकिलर दी जा सकती है। फैक्ट शीट में यह भी कहा गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन के बाद डिमाइलेटिंग डिसऑर्डर के भी कुछ मामले देखे गए हैं। हालांकि, इनकी संख्या बहुत कम है और वैक्सीन के साथ इनका कोई संबंध नहीं है।
डिमाइलेटिंग डिसऑर्डर
हमारे शरीर की तन्त्रिका कोशिकाएं मायलिन नाम की एक सुरक्षात्मक परत से ढकी होती हैं जो मस्तिष्क को संदेश भेजने में मदद करती है। मायलिन को नुकसान पहुंचाने वाली स्थितियों को डिमाइलेटिंग डिसऑर्डर कहते हैं।फैक्ट शीट में कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की समस्या वाले लोगों को कोविशिल्ड बहुत सावधानी से दी जानी चाहिए। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया में ब्लड प्लेटलेट्स असामान्य रूप से कम हो जाते हैं।
कोवैक्सीन के सामान्य साइड इफेक्ट्स
फैक्ट शीट के मुताबिक, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन देने पर इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर दर्द-सूजन, सिर दर्द, थकान, बुखार, शरीर दर्द, पेट दर्द, मितली और उल्टी, चक्कर आना, कंपकंपी और सर्दी- खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कोवैक्सीन के कोई असामान्य साइड इफेक्ट्स नहीं बताए गए हैं। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का कहना है कि वैक्सीन के पहले, दूसरे और 25,800 लोगों पर जारी तीसरे चरण के ट्रायल में कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं।
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कोवैक्सीन से हुआ कोई साइड इफेक्ट तो कंपनी देगी मुआवजा, लिखित में किया वादा
कोवैक्सीन से हुआ कोई साइड इफेक्ट तो कंपनी देगी मुआवजा, लिखित में किया वादा
नई दिल्लीः देश में टीकाकरण के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है. हालांकि कोवैक्सीन को लेकर कुछ शंकाए भी जाहिर की जा रही हैं. इस बीच कोवैक्सीन का निर्माण करने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने ऐलान किया है कि कोवैक्सीन के टीके के बाद अगर किसी व्यक्ति को साइड इफेक्ट होता है तो कंपनी उसे मुआवजा देगी. बता दें कि कंपनी को भारत सरकार से अभी 55 लाख टीके की आपूर्ति करने का ऑर्डर दिया गया…
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कोविशील्ड या कोवैक्सीन से हुआ किसी को नुकसान तो कंपनियां देंगी हर्जाना
कोविशील्ड या कोवैक्सीन से हुआ किसी को नुकसान तो कंपनियां देंगी हर्जाना
केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए इस आदेश में कहा गया है कि वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट या किसी भी तरह से हुए नुकसान को दोनों वैक्सीन कंपनियां सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमेटिड (Bharat Biotec
कोरोना वैक्सीन (Photo Credit: फाइल )
नई दिल्ली:
16 जनवरी से पूरे देश में कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम (Corona vaccination Programme)शुरू होने वाला…
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क्या 'कोविशील्ड' वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट है, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने दिया ये जवाब
क्या 'कोविशील्ड' वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट है, सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने दिया ये जवाब
अदार पूनावाला ने वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित बताया है. उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन को ऑक्सफॉर्ड के सबसे अनुभवी वैज्ञानिकों ने बनाया है.
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन अंतिम चरण के ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। शुरू से यही माना जा रहा था कि दुनिया में सबसे पहले यही वैक्सीन आएगी और कारगर साबित होगी। लेकिन सुरक्षा और साइड इफेक्ट को देखते हुए इसकी ट्रायल प्रक्रिया में देर हुई।
इस वैक्सीन को भारत में पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट तैयार कर रही है। वैक्सीन कोविशील्ड नाम से लॉन्च होगी। इस वैक्सीन को लेकर ताजा अपडेट यह है कि पीजीआई चंडीगढ़ में…
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