#कोरोनावायरस वैक्सीन मानव परीक्षण
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविद -19 वैक्सीन ने भारत में बढ़ाई उम्मीदें, सीरम इंस्टीट्यूट ने मांगी मानविकी की शुरुआत
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविद -19 वैक्सीन ने भारत में बढ़ाई उम्मीदें, सीरम इंस्टीट्यूट ने मांगी मानविकी की शुरुआत
प्रतिनिधित्व के लिए इस्तेमाल की गई छवि
मेडिकल जर्नल लैंसेट में सोमवार को प्रकाशित शोध में, वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने पाया कि उनके प्रायोगिक COVID-19 वैक्सीन ने 15 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की, जिन्हें गोली मारी गई।
सीएनएन-News18
आखरी अपडेट: 21 जुलाई, 2020, सुबह 9:51 बजे IST
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कहा कि यूके के एस्ट्राजेनेका…
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#इसटटयट#उममद#एस्ट्राज़ेनेका टीका#ऑकसफरड#ऑक्सफोर्ड वैक्सीन#क#कवद#कोरोनावाइरस टीका#कोरोनावाइरस महामारी#कोरोनावायरस वैक्सीन मानव परीक्षण#कोविड -19 टीका#न#बढई#भरत#भारत कोरोनावायरस वैक्सीन#म#मग#मनवक#यनवरसट#वकसन#शरआत#सरम
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कंपनी का कहना है कि कोवाक्सिन प्रतिभागी में प्रतिकूल प्रतिक्रिया 'जांच', वैक्सीन से असंबंधित है
कंपनी का कहना है कि कोवाक्सिन प्रतिभागी में प्रतिकूल प्रतिक्रिया ‘जांच’, वैक्सीन से असंबंधित है
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द्वारा: ईएनएस आर्थिक ब्यूरो | नई दिल्ली | 22 नवंबर, 2020 12:49:17 सुबह
COVAXIN का मूल्यांकन चरण 1 और चरण II नैदानिक परीक्षणों में लगभग 1,000 विषयों में किया गया है, जिसमें आशाजनक सुरक्षा और इम्युनोजेनेसिटी डेटा है।
भारत बायोटेक के परीक्षण के शुरुआती चरणों में एक भागीदार Covaxinकथित तौर पर अस्पताल में भर्ती होने के लिए एक प्रतिकूल…
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#covaxin#इंडियन एक्सप्रेस#कोरोनावायरस वैक्सीन कोवाक्सिन#कोवाक्सिन पक्ष प्रभावित करता है#कोवाक्सिन परीक्षण#कोवाक्सिन मानव परीक्षण#भारत कोरोनावायरस समाचार
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सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड के कोरोनावायरस वैक्सीन चरण 2, 3 मानव परीक्षणों का संचालन करने के लिए प्रोटोकॉल को संशोधित करने के लिए कहा चित्र स्रोत: AP भारत के सीरम संस्थान को DCGI द्वारा भारत में ऑक्सफोर्ड के कोरोनावायरस वैक्सीन चरण 2, 3 मानव परीक्षणों के संचालन के लिए अपने प्रोटोकॉल को संशोधित करने के लिए कहा गया है।
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Covaxin के चरण 3 परीक्षण के परिणाम! कोविद -19 वैक्सीन प्रभावकारिता 81%, भारत बायोटेक कहते हैं
Covaxin के चरण 3 परीक्षण के परिणाम! कोविद -19 वैक्सीन प्रभावकारिता 81%, भारत बायोटेक कहते हैं
नई दिल्ली: फार्मा की दिग्गज कंपनी भारत बायोटेक ने बुधवार को अपने कोरोनावायरस वैक्सीन, कोवाक्सिन की प्रभावकारिता के आंकड़े जारी किए, जिससे पता चलता है कि मानव परीक्षणों के तीन चरण ने नैदानिक परीक्षणों में 81 प्रतिशत की अंतरिम वैक्सीन प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया है। एक आधिकारिक बयान में, हैदराबाद स्थित फर्म ने कहा कि चरण 3 परीक्षणों में 25,800 विषय शामिल थे, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद…
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#कोवाक्सिन चरण 3 परीक्षण#कोवाक्सिन चरण 3 प्रभावकारिता#कोवाक्सिन प्रभावकारिता#कोविद टीकाकरण ड्राइव#चरण 2 टीकाकरण ड्राइव#डीजीसीए#भारत बायोटेक
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कोरोनावायरस की भारत की प्रतिक्रिया आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता में से एक है: पीएम मोदी
मेरे प्यारे देशवासियों,
नमस्कार !
आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार रहा है। कितने महीनों से देश के हर घर में, बच्चे-बूढ़े-जवान, सभी की जुबान पर यही सवाल था कि - कोरोना की वैक्सीन कब आएगी? तो अब कोरोना की वैक्सीन आ गई है, बहुत कम समय में आ गई है। अब से कुछ ही मिनट बाद भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। मैं सभी देशवासियों को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज वो वैज्ञानिक, वैक्सीन रिसर्च से जुड़े अनेकों लोग विशेष रूप से प्रशंसा के हकदार हैं, जो बीते कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में जुटे थे, दिन-रात जुटे थे। ना उन्होंने त्यौहार देखा है, ना उन्होंने दिन देखा है, ना उन्होंने रात देखी है। आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं। लेकिन इतने कम समय में एक नहीं, दो-दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं। इतना ही नहीं कई और वैक्सीन पर भी काम तेज गति से चल रहा है। ये भारत के सामर्थ्य, भारत की वैज्ञानिक दक्षता, भारत के टैलेंट का जीता जागता सबूत है। ऐसी ही उपलब्धियों के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है !!
भाइयों और बहनों,
भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है। जिसे सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। जिसे कोरोना संक्रमण का रिस्क सबसे ज्यादा है, उसे पहले टीका लगेगा। जो हमारे डॉक्टर्स हैं, नर्सेंस हैं, अस्पताल में सफाई कर्मी हैं, मेडिकल-पैरा मेडिकल स्टाफ हैं, वो कोरोना की वैक्सीन के सबसे पहले हकदार हैं। चाहे वो सरकारी अस्पताल में हों या फिर प्राइवेट में, सभी को ये वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी। इसके बाद उन लोगों को टीका लगाया जाएगा, जिन पर जरूरी सेवाओं और देश की रक्षा या कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी है। जैसे हमारे सुरक्षाबल हो गए, पुलिसकर्मी हो गए, फायरब्रिगेड के लोग हो गए, सफाई कर्मचारी हो गए, इन सभी को ये वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी। और मैंने जैसा पहले भी कहा है- इनकी संख्या करीब-करीब तीन करोड़ होती है। इन सभी के वैक्सीनेशन का खर्च भारत ��रकार द्वारा उठाया जाएगा।
साथियों,
इस टीकाकरण अभियान की पुख्ता तैयारियों के लिए राज्य सरकारों के सहयोग से देश के कोने-कोने में Trials किए गए हैं, Dry Runs हुए हैं। विशेष तौर पर बनाए गए Co-Win डिजिटल प्लेटफॉर्म में टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर ट्रैकिंग तक की व्यवस्था है। आपको पहला टीका लगने के बाद दूसरी डोज कब लगेगी, इसकी जानकारी भी आपके फोन पर दी जाएगी। और मैं सभी देशवासियों को ये बात फिर याद दिलाना चाहता हूं कि कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है। एक डोज ले लिया और फिर भूल गए, ऐसा गलती मत करना। और जैसा एक्सपर्ट्स कह रहे हैं, पहली और दूसरी डोज के बीच, लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा। आपको ये भी याद रखना है कि दूसरी डोज़ लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध ज़रूरी शक्ति विकसित हो पाएगी। इसलिए टीका लगते ही आप असावधानी बरतने लगें, मास्क निकालकर रख दें, दो गज की दूरी भूल जाएं, ये सब मत करिएगा। मैं प्रार्थना करता हूँ मत करिएगा। और मैं आपको एक और चीज बहुत आग्रह से कहना चाहता हूं। जिस तरह धैर्य के साथ आपने कोरोना का मुकाबला किया, वैसा ही धैर्य अब वैक्सीनेशन के समय भी दिखाना है।
साथियों,
इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। ये अभियान कितना बड़ा है, इसका अंदाज़ा आप सिर्फ पहले चरण से ही लगा सकते हैं। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है। दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है। जो बुजुर्ग हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें अगले वा���े चरण में टीका लगेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, 30 करोड़ की आबादी से ऊपर के दुनिया के सिर्फ तीन ही देश हैं- खुद भारत, चीन और अमेरिका। और कोई भी देश ऐसा नहीं है जिनकी आबादी इनसे ज्यादा हो। इसलिए भारत का टीकाकरण अभियान इतना बड़ा है। और इसलिए ये अभियान भारत के सामर्थ्य को दिखाता है। और मैं देशवासियों को एक और बात कहना चाहता हूं। हमारे वैज्ञानिक, हमारे एक्सपर्ट्स जब दोनों मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर आश्वस्त हुए तभी उन्होंने इसके इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी है। इसलिए देशवासियों को किसी भी तरह के प्रोपेगैंडा, अफवाएं, दुष्प्रचार से बचकर रहना है।
साथियों,
भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है और पहले से है। हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है।
��ेरे प्यारे देशवासियों,
हर हिन्दुस्तानी इस बात पर गर्व करेगा कि दुनियाभर के करीब 60 प्रतिशत बच्चों को जो जीवनरक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं, भारत की सख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से ही होकर गुज़रते है। भारत के वैज्ञानिकों और वैक्सीन से जुड़ी हमारी विशेषज्ञता पर दुनिया का ये विश्वास मेड इन इंडिया कोरोना वेक्सीन में और मज़बूत होने वाला है। इसकी कुछ और खास बातें हैं जो आज मैं देशवासियों को जरूर बताना चाहता हूं। ये भारतीय वैक्सीन, विदेशी वैक्सीनों की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है। विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज पांच हजार रुपए तक में है और जिसे माइनस 70 डिग्री तापमान में फ्रिज में रखना होता है। वहीं, भारत की Vaccines ऐसी तकनीक पर बनाई गई हैं, जो भारत में बरसों से Tried और Tested हैं। ये वैक्सीन स्टोरेज से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं। यही वैक्सीन अब भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत दिलाएगी।
साथियों,
कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है। इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखाई दिया है। संकट कितना ही बड़ा क्यों ना हो, देशवासियों ने कभी आत्मविश्वास खोया नहीं। जब भारत में कोरोना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी। हमने अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखा और आज 2300 से ज्यादा लैब्स का नेटवर्क हमारे पास है। शुरुआत में हम मास्क, PPE किट, टेस्टिंग किट्स, वेंटिलेटर्स जैसे ज़रूरी सामान के लिए भी विदेशों पर निर्भर थे। आज इन सभी सामानों के निर्माण में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं और इनका निर्यात भी कर रहे हैं। आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की इसी ताकत को हमें टीकाकरण के इस दौर में भी सशक्त करना है।
साथियों,
महान तेलुगू कवि श्री गुराजाडा अप्पाराव ने कहा था- सौन्त लाभं कौन्त मानुकु, पौरुगुवाडिकि तोडु पडवोय् देशमन्टे मट्टि कादोयि, देशमन्टे मनुषुलोय ! यानि हम दूसरों के काम आएं ये निस्वार्थ भाव हमारे भीतर रहना चाहिए। राष्ट्र सिर्फ मिट्टी, पानी, कंकड़, पत्थर से नहीं बनता, बल्कि राष्ट्र का अर्थ होता है, हमारे लोग। कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को संपूर्ण देश ने इसी भावना के साथ लड़ा है। आज जब हम बीते साल को देखते हैं तो, एक व्यक्ति के रूप में, एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ सीखा है, बहुत कुछ देखा है, जाना है, समझा है।
आज भारत जब अपना टीकाकरण अभियान शुरू कर रहा है, तो मैं उन दि��ों को भी याद कर रहा हूं। कोरोना संकट का वो दौर जब हर कोई चाहता था कि कुछ करे, लेकिन उसको उतने रास्ते नहीं सूझते थे। सामान्य तौर पर बीमारी में पूरा परिवार बीमार व्यक्ति की देखभाल के लिए जुट जाता है। लेकिन इस बीमारी ने तो बीमार को ही अकेला कर दिया। अनेकों जगहों पर छोटे-छोटे बीमार बच्चों को मां से दूर रहना पड़ा। मां परेशान रहती थी, मां रोती थी, लेकिन चाहकर भी कुछ कर नहीं पाती थी, बच्चे को अपनी गोद में नहीं ले पाती थी। कहीं बुजुर्ग पिता, अस्पताल में अकेले, अपनी बीमारी से संघर्ष करने को मजबूर थे। संतान चाहकर भी उसके पास नहीं जा पाती थी। जो हमें छोड़कर चले गए, उनको परंपरा के मुताबिक वो विदाई भी नहीं मिल सकी जिसके वो हकदार थे। जितना हम उस समय के बारे में सोचते हैं, मन सिहर जाता है, उदास हो जाता है।
लेकिन साथियों,
संकट के उसी समय में, निराशा के उसी वातावरण में, कोई आशा का भी संचार कर रहा था, हमें बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाल रहा था। हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस के साथी और दूसरे Frontline Workers. उन्होंने मानवता के प्रति अपने दायित्व को प्राथमिकता दी। इनमें से अधिकांश तब अपने बच्चों, अपने परिवार से दूर रहे, कई-कई दिन तक घर नहीं गए। सैकड़ों साथी ऐसे भी हैं जो कभी घर वापस लौट ही नहीं पाए, उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया है। इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर, एक तरह से समाज अपना ऋण चुका रहा है। ये टीका उन सभी साथियों के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र की आदरांजलि भी है।
भाइयों और बहनों,
मानव इतिहास में अनेक विपदाएं आईं, महामारियां आईं, भीषण युद्ध हुए, लेकिन कोरोना जैसी चुनौती की किसी ने कल्पना नहीं की थी। ये एक ऐसी महामारी थी जिसका अनुभव ना तो साइंस को था और ना ही सोसायटी को। तमाम देशों से जो तस्वीरें आ रही थीं, जो खबरें आ रहीं थीं, वो पूरी दुनिया के साथ-साथ हर भारतीय को विचलित कर रही थीं। ऐसे हालात में दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भारत को लेकर तमाम आशंकाएं जता रहे थे।
लेकिन साथियों,
भारत की जिस बहुत बड़ी आबादी को हमारी कमज़ोरी बताया जा रहा है था, उसको ही हमने अपनी ताकत बना लिया। भारत ने संवेदनशीलता और सहभागिता को लड़ाई का आधार बनाया। भारत ने चौबीसों घंटे सतर्क रहते हुए, हर घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, सही समय पर सही फैसले लिए। 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला मिला, लेकिन इसके दो सप्ताह से भी पहले भारत एक हाई लेवल कमेटी बना चुका था। पिछले साल आज का ही दिन था जब हमने बाकायदा सर्विलांस शुरु कर दिया था। 17 जनवरी, 2020 वो तारीख थी, जब भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी।
साथियों,
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जैसी इच्छाशक्ति दिखाई है, जो साहस दिखाया है, जो सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया है, वो आने वाली अनेक पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करेगा। याद कीजिए जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीया जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा।
साथियों,
कोरोना जैसे अनजान दुश्मन, जिसके Action-Reaction को बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देश नहीं भांप पा रहे थे, उसके संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका ही यही था कि जो जहां है, वो वहीं रहे। इसलिए देश में लॉकडाउन का फैसला भी किया गया। ये निर्णय आसान नहीं था। इतनी बड़ी आबादी को घर के अंदर रखना असंभव है, इसका हमें ऐहसास था। और यहां तो देश में सब कुछ बंद होने जा रहा था, लॉकडाउन होने जा रहा था। इसका लोगों की रोजी-रोटी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आकलन भी हमारे सामने था। लेकिन देश ने ’जान है तो जहान है’ के मंत्र पर चलते हुए प्रत्येक भारतीय का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। और हम सभी ने ये देखा है कि कैसे तुरंत ही पूरा देश, पूरा समाज इस भावना के साथ खड़ा हो गया। अनेकों बार छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी देने के लिए मैंने भी अनेक बार देशवासियों के साथ सीधा संवाद किया। एक तरफ जहां गरीबों को मुफ्त भोजन की व्यवस्था की गई, तो वहीं दूध, सब्ज़ी, राशन, गैस, दवा, ऐसी ज़रूरी चीज़ों की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित की गई। देश में व्यवस्थाएं ठीक से चलें, इसके लिए गृह मंत्रालय ने 24X7 कंट्रोल रूम शुरु किया जिस पर हजारों कॉल्स का जवाब दिया गया है, लोगों को समाधान दिया गया है।
साथियों,
कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई में हमने कदम-कदम पर दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस ल��कर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए। कोरोना काल में वंदे भारत मिशन के तहत 45 लाख से ज्यादा भारतीयों को विदेशों से भारत लाया गया। मुझे याद है, एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी टेस्टिंग लैब यहां से वहां भेज करके उसको वहां सजाया लगाया ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो।
साथियों,
भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा। ISRO, DRDO, फौज से लेकर किसानों और श्रमिकों तक, सभी एक संकल्प के साथ कैसे काम कर सकते हैं, ये भारत ने दिखाया है। ‘दो गज़ की दूरी और मास्क है जरूरी’ उस पर फोकस करने वालों में भी भारत अग्रणी देशों में रहा।
भाइयों और बहनों,
आज इन्हीं सब प्रयासों का परिणाम है कि भारत में कोरोना से होने वाली मृत्यु की दर कम है और ठीक होने वालों की दर बहुत अधिक है। देश के कई जिले ऐसे हैं जहां एक भी व्यक्ति को हमें कोरोना की वजह से खोना नहीं पड़ा। इन जिलों में हर व्यक्ति कोरोना से ठीक होने के बाद अपने घर पहुंचा है। बहुत से जिले ऐसे भी हैं, जहां बीते दो सप्ताह से कोरोना संक्रमण का एक भी केस नहीं आया है। यहां तक कि लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था की रिकवरी में भी भारत दुनिया में आगे निकल रहा है। भारत उन गिने-चुने देशों में है जिसने मुश्किल के बावजूद दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में ज़रूरी दवाएं और ज़रूरी मेडिकल सहायता पहुंचाई। पैरासिटामॉल हो, हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन हो, टेस्टिंग से जुड़ा सामान हो, भारत ने दूसरे देश के लोगों को भी बचाने की हर संभव कोशिश की। आज जब हमने अपनी वैक्सीन बना ली है, तब भी भारत की तरफ दुनिया आशा और उम्मीद की नज़रों से देख रही है। हमारा टीकाकरण अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, दुनिया के अनेक देशों को हमारे अनुभवों का लाभ मिलेगा। भारत की वैक्सीन, हमारी उत्पादन क्षमता, पूरी मानवता के हित में काम आए, ये हमारी प्रतिबद्धता है।
भाइयों और बहनों,
ये टीकाकरण अभियान अभी लंबा चलेगा। हमें जन-जन के जीवन को बचाने में योगदान देने का मौका मिला है। इसलिए इस अभियान से जुड़ी प्रक्रिया को, उस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए भी देश में Volunteer आगे आ रहे हैं। मैं उनका स्वागत करता हूँ, और भी अधिक Volunteers को मैं अपना समय इस सेवा कार्य में जोड़ने के लिए जरूर आग्रह करूंगा। हां, जैसा मैंने पहले कहा, मास्क, दो गज़ की दूरी और साफ-सफाई, ये टीके के दौरान भी और बाद में भी ज़रूरी रहेंगे। टीका लग गया तो इसका अर्थ ये नहीं कि आप कोरोना से बचाव के दूसरे तरीके छोड़ दें। अब हमें नया प्रण लेना है- दवाई भी, कड़ाई भी ! आप सभी स्वस्थ रहें, इसी कामना के साथ इस टीकाकरण अभियान के लिए पूरे देश को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ! देश के वैज्ञानिकों का, रिसर्चस का, लैब में जुड़े हुए सब लोगों का जिन्होंने पूरे साल एक ऋषि की तरह अपनी लैब में जीवन खपा दिया और ये वैक्सीन देश और मानवता को दी है मैं उनको भी विशेष रूप से अभिनंदन करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनांए हैं। आप जल्द इसका लाभ उठाएं। आप भी स्वस्थ रहें, आपका परिवार भी स्वस्थ रहे। पूरी मानव जाति इस संकट की घड़ी से बाहर निकले और स्वस्थता हम सबको प्राप्त हो, इसी एक कामना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !
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ऑक्सफोर्ड का कोविद -19 वैक्सीन मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत देता है, प्रारंभिक परीक्षणों में कोई प्रमुख साइड इफेक्ट नहीं दिखाता है
ऑक्सफोर्ड का कोविद -19 वैक्सीन मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत देता है, प्रारंभिक परीक्षणों में कोई प्रमुख साइड इफेक्ट नहीं दिखाता है
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के फेज -1 और फेज -2 के अपने कोविद -19 वैक्सीन पर बहुप्रतीक्षित प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि कोई बड़ी प्रतिक��ल प्रतिक्रिया नहीं थी और इसने प्रतिभागियों के बीच एक मजबूत एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित किया।
टीका ने 14 दिनों के भीतर टी सेल प्रतिक्रिया और 28 दिनों के भीतर एक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया शुरू की, द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक पेपर ने कहा।…
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#इफकट#ऑकसफरड#ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय#क#कई#कवद#कोरोनावाइरस टीका#कोरोनावायरस वैक्सीन ऑक्सफोर्ड#टीका#दखत#दत#नह#परकषण#परतकरय#परतरकष#परमख#पररभक#म#मजबत#मानव परीक्षण#वकसन#सइड#सकत#ह
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24 घंटे में भारत में 48,661 नए COVID-19 मामले, 13.85 लाख-मार्क पर टैली। राज्यवार सूची देखें छवि स्रोत: एपी भारतीय महिलाओं ने जम्मू में नए कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए पुनरीक्षित सप्ताहांत के लॉकडाउन के दौरान परिवहन की तलाश में अपना सामान खो दिया।
#कोवाक्सिन मानव परीक्षण#कोविड 19 मौतें#चरण 1#भारत कोरोनावायरस वैक्सीन मानव परीक्षण शुरू करने के लिए#स्टेटवाइज कोरोनोवायरस के मामले
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का दावा- 'ट्रायल में COVID वैक्सीन सुरक्षित जान पड़ती है'
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का दावा- ‘ट्रायल में COVID वैक्सीन सुरक्षित जान पड़ती है’
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का दावा- ‘ट्रायल में COVID वैक्सीन सुरक्षित जान पड़ती है’
नई दिल्ली: Coronavirus Vaccine News: कोरोनावायरस की वैक्सीन को बनाने में दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन-रात लगे हैं. कुछ जगहों से उम्मीद के मुताबिक नतीजे भी मिल रहे हैं. ऐसी ही एक वैक्सीन ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (University of Oxford) द्वारा भी विकसित की जा रही है जो मानव परीक्षण के दौर से गुजर रही…
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ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने इस साल कोविद -19 वैक्सीन की उम्मीदें जगाई हैं
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने इस साल कोविद -19 वैक्सीन की उम्मीदें जगाई हैं
प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को इस वर्ष के अंत तक एक प्रभावी कोरोनावायरस वैक्सीन की संभावनाओं को कम कर दिया, क्योंकि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में व्यापक रूप से पालन किए गए मानव परीक्षण के प्रारंभिक परिणाम बाद में दिन में जारी होने वाले थे।
कैंट, जॉनसन की यात्रा पर, जो इस साल की शुरुआत में वायरस से बुरी तरह प्रभावित हुए थे, ने कहा: “काश मैं कह सकता था कि मैं 100% आश्वस्त था कि हमें कोविद…
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मानव परीक्षणों में कोरोनावायरस के टीके: आप सभी को नैदानिक अध्ययन के बारे में जानने की आवश्यकता है
मानव परीक्षणों में कोरोनावायरस के टीके: आप सभी को नैदानिक अध्ययन के बारे में जानने की आवश्यकता है
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यह तब तक होगा जब तक कि दुनिया को उपन्यास कोरोनवायरस के लिए अनुमोदित टीका नहीं मिल जाता है? उस सवाल का जवाब, जो हर किसी के दिमाग में सबसे ऊपर है, पूरी तरह से दुनिया भर में चल रहे कई मानव परीक्षणों के परिणामों पर निर्भर है। वर्तमान में कम से कम 18 उपन्यास कोरोनावायरस वैक्सीन उम्मीदवारों का मनुष्यों पर परीक्षण किया जा रहा है। कई और – जिनमें दो भारतीय भावी टीके शामिल हैं – अपने रास्ते पर हैं।
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कोवाक्सिन: COVID-19 वैक्सीन के लिए मानव नैदानिक परीक्षण NIMS हैदराबाद में शुरू होता है चित्र स्रोत: FILE PHOTO कोवाक्सिन: COVID-19 वैक्सीन के लिए मानव नैदानिक परीक्षण NIMS हैदराबाद में शुरू होता है …
#Covaxin#COVAXIN covid19 वैक्सीन#COVAXIN ICMR#COVAXIN भारत बायोटेक#COVAXIN मानव परीक्षण#COVAXIN मानव परीक्षण अद्यतन#COVAXIN मानव परीक्षण शुरू होता है#NIMS हैदराबाद#एन आई एम एस#कोरोनावाइरस टीका#कोरोनावायरस वैक्सीन COVAXIN#कोवाक्सिन परीक्षण#कोविड -19 टीका#कोविड 19#भरत बायोटेक#भारत का पहला कोरोनावायरस वैक्सीन#भारत कोरोनावायरस वैक्सीन मानव परीक्षण शुरू करने के लिए#भारत बायोटेक वैक्सीन
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रूस ने मनुष्यों पर दुनिया के पहले नैदानिक परीक्षण कोरोनावायरस वैक्सीन को पूरा किया
रूस के सेचेनोव विश्वविद्यालय ने मनुष्यों पर दुनिया के पहले नैदानिक परीक्षण कोरोनावायरस वैक्सीन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है|
इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक वादिम तरासोव ने स्पुतनिक समाचार के विकास की पुष्टि की। तारासोव ने कहा,”विश्वविद्यालय ने 18 जून को वैक्सीन के क्लिनिकल परीक्षण शुरू किए थे। स्वयंसेवकों के पहले समूह को बुधवार और 20 जुलाई को छुट्टी दी जाएगी। इस वैक्सीन का निर्माण रूस के गैमाली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा किया गया है।”
इसके साथ रूस COVID-19 वैक्सीन के मानव नैदानिक परीक्षणों को पूरा करने वाला पहला राष्ट्र बन गया है और परिणाम दवा की प्रभावशीलता साबित करते हैं।
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कोरोना संकट के बीच भारत देश में बन रही कोरोना वैक्सीन COVAXIN और ZyCov-D के मानव परीक्षण को मंजूरी मिलना कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के अंत की शुरुआत है। विज्ञान प्रसार के विज्ञानी टीवी वेंकटेश्वरन ने एक लेख लिखा है। यह लेख पत्र सूचना कार्यालय (पीआइबी) और मंत्रालय की संस्था विज्ञान प्रसार की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है।
भारतीय दवा महानियंत्रक (डीजीसीआइ) ने भारत बायोटेक की कोवाक्सिन और जायडस कैडिला की जायकोव-डी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी दी है। पीआइबी की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में वैक्सीन के आने को लेकर कोई स��य सीमा नहीं दी गई है। जबकि विज्ञान प्रसार की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में कहा गया है कि वैक्सीन व्यापक पैमाने पर उपयोग के लिए 15 से 18 महीने के पहले उपलब्ध नहीं होगी।
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सरकार ने कहा – ‘भारत की कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण इस महामारी के अंत की शुरुआत’
‘कोवैक्सीन’ को हाल ही में DCGI से मानव पर परीक्षण की अनुमति मिली है.
नई दिल्ली:
देश में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच सरकार ने कहा कि, ‘भारत में बन रही कोरोना वैक्सीन COVAXIN और ZyCov-D के मानव परीक्षण को मंजूरी मिलना कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के अंत की शुरुआत है, जिसने दुनियाभर में 1.12 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है और 5.3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ली है.’ मंत्रालय द्वारा लिखी चिट्ठी में बताया गया, ‘वर्तमान में दुनिया में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम चल रहा है, जिनमें से 11 को मानव परीक्षणों की इजाजत मिली है.
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मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि ‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, सीडीएससी (CDSC) द्वारा वैक्सीन के लिए मानव परीक्षण की इजाजत इस जानलेवा वायरस के अंत की शुरुआत है.’ मंत्रालय ने कहा कि ‘भारत की छह कंपनियां करोना की वैक्सीन के लिए काम कर रही हैं. दुनियाभर में 140 दावेदारों में से 11 जिनमें COVAXIN और ZyCov-D भी शामिल हैं, जिन्हें ह्यूमन ट्रायल्स की मंजूरी मिली है.
मंत्रालय ने यह भी कहा कि दो प्रमुख दावेदारों- AZD1222 (ब्रिटिश फर्म एस्ट्राजेनेका) और MRNA-1273 (US-based Moderna) के निर्माताओं ने भी भारतीय कंपनियों के साथ उत्पादन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. उनके टीके सुरक्षित और प्रभावी साबित होने चाहिए. दोनों को द्वितीय चरण, तृतीय परीक्षणों के लिए इजाजत मिली हुई है.
आमतौर पर दवा परीक्षण के पहले दो चरण सुरक्षा के लिए होते हैं, जबकि तीसरा दवा की प्रभावकारिता का परीक्षण करता है. हर चरण को पूरा होने में कई महीन�� या साल भी लग सकते हैं. मंत्रालय का यह बयान उस विवाद के बाद आया है जिसमें इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) तक कोरोनावायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaxin) को विकसित करने और जारी करने का लक्ष्य रखा गया था.
मेडिकल एक्सपर्ट्स और विपक्षी दलों ने इसे लेकर दावा किया था कि इस वर्ष के अंत में बिहार में महत्वपूर्ण चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीतिक लाभ के लिए यह तारीख निर्धारित की गई. उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि क्लीनिकल ट्रायल के जरिये दवा लाने की जल्दबाजी लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से खतरे पैदा हो सकते हैं. बता दें कि ‘कोवैक्सीन’ को भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) के साथ मिलकर विकसित किया है.
VIDEO: क्या 15 अगस्त तक वाकई भारत कोरोना की वैक्सीन लॉन्च करने की स्थिति में होगा?
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तथ्य की जाँच करें: क्या यह भारत बायोटेक VP एंटी-कोविड दवा ov कोवाक्सिन ’की पहली खुराक ले रहा है?
तथ्य की जाँच करें: क्या यह भारत बायोटेक VP एंटी-कोविड दवा ov कोवाक्सिन ’की पहली खुराक ले रहा है?
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सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई है, जिसमें भारत बायोटेक के उपाध्यक्ष डॉ। वीके श्रीनिवास को उनकी टीम द्वारा मानव परीक्षण के तहत कोरोनावायरस वैक्सीन “कोवाक्सिन” की पहली खुराक लेते हुए दिखाया गया है।
यह तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ घूम रही है कि टीके की पहली खुराक बीबीआईएल के उपाध्यक्ष वीके श्रीनिवास को दी गई थी। (फोटो: ट्वि��र)
वहां समाचार रिपोर्टकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान…
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