#केतु का मंत्र
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कुंडली में आंशिक काल सर्प दोष होने से जीवन में क्या दुष्प्रभाव होते है ?
काल सर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो कुंडली में राहु और केतु की विशेष स्थिति को संकेत करता है। इसे कुंडली में 'राहु-केतु सर्प दोष' भी कहा जाता है। काल सर्प दोष के होने से जीवन में कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे:
धन संबंधी परेशानी: काल सर्प दोष के कारण धन संबंधी परेशानी हो सकती है। धन की निर्धारितता, धन का बिगड़ना, वित्तीय संकट आदि के लिए यह दोष जिम्मेदार हो सकता है।
परिवारिक समस्याएं: काल सर्प दोष के कारण परिवारिक संबंधों में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। परिवार के बीच विवाद, असंतुलन, और विवाह संबंधों में कठिनाई का सामना किया जा सकता है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं: काल सर्प दोष के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह विभिन्न प्रकार की रोगों और तकलीफों का कारण बन सकता है।
करियर में असफलता: काल सर्प दोष के कारण करियर में असफलता और परेशानियां हो सकती हैं। कठिनाईयों, रोक-टोकों, या निराशा का अनुभव किया जा सकता है।
मानसिक तनाव: काल सर्प दोष से युक्त व्यक्ति में मानसिक तनाव और ��िंता की समस्याएं हो सकती हैं। यह उन्हें चिंतित, अस्थिर, और असंतुष्ट बना सकता है।
आध्यात्मिक प्रगति में बाधाएं: काल सर्प दोष के कारण आध्यात्मिक प्रगति में भी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। व्यक्ति की मानसिक शक्ति और आत्म-विश्वास पर असर पड़ सकता है।
काल सर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिषियों द्वारा कुछ उपायों की सिफारिश की जाती हैं, जैसे कि मंत्र जाप, दान-धर्म, पूजा-अर्चना, यंत्र-तंत्र, आदि। इन उपायों का उचित अनुसरण करने से व्यक्ति की स्थिति में सुधार हो सकता है।
कृपया ध्यान दें कि काल सर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली के अनुसार भिन्न हो सकता है, और और अधिक जानकरी के लिए आप टोना टोटक सॉफ्टवेयर की मदद ले सकते है।
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कालसर्प दोष: ज्योतिषीय परिस्थिति और निवारण
ज्योतिष विज्ञान एक ऐसी विद्या है जो व्यक्ति के जीवन को ग्रहों के चलने के साथ जोड़ती है। यहां हम एक ऐसे विशेष योग के बारे में चर्चा करेंगे जिसे "कालसर्प दोष" कहा जाता है और जिसका निवारण ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से किया जा सकता है।
कालसर्प दोष क्या है?
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय प्रवृत्ति है जो किसी कुंडली में राहु और केतु ग्रहों के बीच में बनने वाले योगों को संकेत करती है। इसे कालसर्प योग भी कहा जाता है, और इसके कारण जातक को विभिन्न जीवन क्षेत्रों में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष क प्रकार:
कालसर्प दोष के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, और कैलास। इन प्रकारों के आधार पर व्यक्ति की कुंडली में किस प्रकार का कालसर्प दोष है, इसे निर्धारित किया जाता है।
कालसर्प दोष के प्रभाव:
परिवारिक समस्याएं: कालसर्प दोष के कारण परिवारिक संबंधों में कठिनाईयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञता और समझदारी से इसका सामना करना आवश्यक होता है
आर्थिक समस्याएं: कालसर्प दोष के चलते व्यक्ति को आर्थिक समस्याएं भी आ सकती हैं। नियमित रूप से धन संबंधित परिस्थितियों का विचार करना महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ व्यक्तियों को कालसर्प दोष के कारण स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। नियमित चेकअप और स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखना आवश्यक है।
कालसर्प दोष का निवारण:
पूजा और हवन: कालसर्प दोष के उपाय में पूजा और हवन का महत्वपूर्ण स्थान है। निर्धारित रूप से मंगलवार को कालसर्प पूजा करना और हवन आयोजित करना चाहिए।
मंत्र जाप: कालसर्प दोष के उपाय के रूप में कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना भी फलकारी हो सकता है। गुरु मंत्र और केतु मंत्र का नियमित रूप से जाप करना लाभकारी हो सकता है।
रत्न धारण: कुछ ज्योतिषी रत्नों के धारण को भी कालसर्प दोष से मुक्ति प्रदान करने का सुझाव देते हैं। नीलम या मूंगा रत्न का धारण करना इसमें शामिल है।
दान और तप: कुछ लोग दान और तप के माध्यम से भी कालसर्प दोष का निवारण करते हैं। गौ-दान, तिल-दान, और वस्त्र-दान इसमें शामिल हैं।
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय परिस्थिति है जो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती है, लेकिन समझदारी से और उचित उपायों के माध्यम से इसका सामना किया जा सकता है। धार्मिकता, सच्चाई, और आत्म-समर्पण के साथ, व्यक्ति इस प्रकार के ज्योतिषीय परिस्थितियों को पार कर सकता है काल सर्प दोष के निवारण के लिए आप किसी पंडित से सलाह ले सकते है और अगर आप खुद से कालसर��प दोष का निवारण करना चाहते है तो होराइजन आर्क के कुंडली चक्र से कर सकते है ये काफी अच्छा सॉफ्टवेयर है और आप अपने जीवन को संतुलित और समृद्धि भरा बना सकता है।
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कर्म और मोक्ष की यात्रा
शनि देव, राहु और केतु: जीवन में उनके कर्म संबंध और आत्मज्ञान की यात्रा
वेदिक ज्योतिष में, शनि देव, राहु और केतु का मानव जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव है।
ये तीनों ग्रह हमारे कर्मों को प्रभावित करते हैं और हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाने का कार्य करते हैं।
शनि देव :- कर्म के न्यायाधीश
शनि देव को न्याय का प्रतीक माना जाता है। वे हमारे पिछले कर्मों के आधार पर हमें सुख और दुख प्रदान करते हैं।
शनि का प्रभाव हमें धैर्य, अनुशासन और मेहनत की सीख देता है। उनका उद्देश्य हमारे कर्मों का हिसाब लेना और हमें सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है।
राहु :- माया का प्रतीक
राहु, भ्रम और इच्छाओं का प्रतीक है। राहु हमें भौतिक सुख-सुविधाओं में उलझा देता है और हमें जीवन की माया में फंसा देता है।
हालांकि राहु हमें धन, शक्ति और सफलता दिला सकता है, अंततः वह हमें आंतरिक संतोष से वंचित करता है। राहु का कर्मिक उद्देश्य है हमें माया से गुजरने और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करना।
केतु :- आत्मज्ञान का मार्गदर्शक
केतु, राहु का विपरीत ध्रुव है। यह त्याग, मोक्ष और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
जहां राहु हमें भौतिकता में फंसाता है, वहीं केतु हमें आंतरिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाता है। केतु का प्रभाव हमें अहंकार से मुक्त करके हमारे वास्तविक आत्म को पहचानने में मदद करता है।
कर्म और मोक्ष की यात्रा
शनि, राहु और केतु मिलकर हमारे कर्म और मोक्ष की यात्रा को संतुलित करते हैं। शनि हमें हमारे कर्मों का सामना कराते हैं, राहु हमें भौतिक इच्छाओं में उलझाते हैं, और केतु हमें उनसे मुक्त कराते हैं।
इन तीनों ग्रहों का अंतिम उद्देश्य हमें मोक्ष यानी आत्मज्ञान की प्राप्ति की ओर ले जाना है।इस ग्रहों के सामंजस्य से हमें अपने जीवन के उद्देश्य और मोक्ष की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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कालसर्प योग क्या है अपनी कुंडली में कालसर्प योग कैसे देखें?
कालसर्प योग एक विशेष योग है, जो तब बनता है जब सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) **राहु** और **केतु** के बीच में आ जाते हैं। इसका मतलब है कि सभी ग्रह राहु और केतु के घेरे में होते हैं और उनकी धुरी के भीतर स्थित होते हैं। इसे आमतौर पर चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में बाधाओं, असफलताओं, और संघर्षों का संकेत देता है।
अपनी कुंडली में कालसर्प योग कैसे देखें:
राहु-केतु की स्थिति: सबसे पहले, अपनी कुंडली में राहु और केतु के स्थान की जांच करें। यह देखना होगा कि दोनों ग्रह किस भाव में स्थित हैं।
सभी ग्रहों का राहु-केतु के बीच होना: अगर सभी ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) राहु-केतु के बीच में आते हैं, तो कालसर्प योग बनता है। उदाहरण के लिए, यदि राहु 1st भाव में और केतु 7th भाव में है, तो बाकी सभी ग्रह 1st से 7th भाव के बीच में होने चाहिए।
कालसर्प योग के प्रकार: कालसर्प योग के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो राहु-केतु की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होते हैं, जैसे अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, विषधर कालसर्प योग, आदि।
पूर्ण या आंशिक कालसर्प योग: अगर सभी ग्रह पूरी तरह से राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो इसे पूर्ण कालसर्प योग कहा जाता है। अगर कुछ ग्रह बाहर होते हैं, तो इसे आंशिक कालसर्प योग कहा जाता है।
उपाय और शांति: कालसर्प योग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जैसे:राहु और केतु के मंत्र का जप।नाग देवता की पूजा।कालसर्प दोष निवारण पूजा।शिवजी की पूजा और रुद्राभिषेक करना।
इस प्रकार, कुंडली में राहु और केतु की स्थिति को देख कर और बाकी ग्रहों के स्थान का विश्लेषण कर आप कालसर्प योग की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं।
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Navgrah Mantra : नव ग्रह मंत्र जाप से सभी ग्रह रहते हैं प्रसन्न, मिलती है राहु केतु और शनि शांतिNavgrah Mantra Jaap नव ग्रहों का मंत्र जाप जीवन में काफी सकारात्मकता प्रदान करता है। यह नौ ग्रहों के मंत्र हैं जिन्हें नव ग्रह स्त्रोत के रुप में जपना शुभ होता है। कहा जाता है कि नव ग्रह मंत्र जाप से राहु केतु जैसे आप ग्रह भी तुरंत शांत हो जाते हैं।
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नवग्रह पूजा: जीवन में शांति और संतुलन के लिए
नवग्रहों का पूजन हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह ग्रह ��मारे भविष्य को प्रभावित करते हैं और हमारे जीवन की दिशा में निर्देशन करते हैं।इस पूजा में सूर्य, चंद्र, मंगल, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु की शक्ति का आदर किया जाता है और उनके प्रभाव को शांत करने के लिए विशेष मंत्र और आराधना की जाती है। पूजा के दौरान नवग्रह स्तोत्र और मंत्रों का जाप विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
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जन्म कुंडली में मांगलिक दोष का निर्धारण कैसे किया जाता है?
जन्म कुंडली में मांगलिक दोष का निर्धारण ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कुछ विशेष ग्रहों के स्थिति के आधार पर किया जाता है। मांगलिक दोष के लिए निम्नलिखित प्रमुख योग या स्थितियाँ देखी जाती हैं:
मांगलिक ग्रह (मंगल) की स्थिति: जन्मकुंडली में मंगल का स्थान देखा जाता है। अगर मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, आठवीं, बारहवीं या केंद्रीय घरों में स्थित है, तो व्यक्ति को मांगलिक दोष कहा जाता है।
मंगलिक योग (मंगल दोष): मंगल के साथ राहु, केतु, शनि या गुलिक के संयोग से भी मंगलिक दोष हो सकता है। इस स्थिति को मंगलिक योग कहा जाता है।
मंगलिक दोष के प्रभाव: मंगलिक दोष के कारण व्यक्ति के विवाह में देरी, विवाहित जीवन में संघर्ष, स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानियाँ आदि हो सकती हैं।
परिहार: मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ ज्योतिषीय परिहार भी होते हैं, जैसे कि कुंडली मिलान, मंत्र जाप, दान-पुण्य, यज्ञ आदि।
यहां मांगलिक दोष की जांच केवल कुंडली में किसी ग्रह विशेष की स्थिति पर निर्भर नहीं करती। बल्कि इसके लिए व्यक्ति की पूरी कुंडली का अध्ययन किया जाता है, जिसमें अन्य ग्रहों के योगों का भी अहम योगदान होता है। इसलिए मांगलिक दोष के निर्धारण के लिए किसी आप टोना टोटका सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको एक अच्छे उपाए बता सकता है.
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कुंडली में आंशिक काल सर्प दोष होने से जीवन में क्या दुष्प्रभाव होते है ?
काल सर्प दोष ज्योतिष में एक ऐसी स्थिति है जब सभी मुख्य ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि) राहु और केतु के बीच में स्थित होते हैं। जब यह स्थिति पूरी तरह से नहीं बन पाती, अर्थात् कुछ ग्रह राहु और केतु के म���्य में होते हैं और कुछ बाहर होते हैं, तो इसे आंशिक काल सर्प दोष कहा जाता है। इसके जीवन पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे कि:
अस्थिरता: व्यक्ति को जीवन में आर्थिक, पारिवारिक, और पेशेवर मामलों में अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
मानसिक तनाव: आंशिक काल सर्प दोष वाले लोग अक्सर उच्च स्तर के तनाव और चिंता का अनुभव कर सकते हैं।
संबंधों में समस्याएं: इस दोष के कारण वैवाहिक और पारिवारिक संबंधों में समस्याएँ आ सकती हैं।
करियर में बाधाएं: पेशेवर जीवन में उन्नति में बाधाएं और अवरोध पैदा हो सकते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएं: शारीरिक ��ा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, खासकर अगर कुंडली में अन्य दोष भी हों।
सामाजिक और वित्तीय चुनौतियां: व्यक्ति को सामाजिक स्तर पर और वित्तीय रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इन दुष्प्रभावों का मुकाबला करने के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि विशेष पूजा, यज्ञ, मंत्र जाप, रत्न धारण करना, और दान आदि। यह सभी उपाय व्यक्ति की कुंडली के विशेष विश्लेषण पर आधारित होते हैं, इसके लिए आप कुंडली चक्र २०२२ प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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आज दिनांक - 20 अप्रैल 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग, ग्रहबाधा और अकाल मृत्यु से
Akshay Jamdagni: Expert in Astrology, Vastu, Numerology, Horoscope Reading, Education, Business, Health, Festivals, and Puja, provide you with the best solutions and suggestions for your life’s betterment. 9837376839
दिनांक - 20 अप्रैल 2024 दिन - शनिवार विक्रम संवत् - 2081 अयन - उत्तरायण ऋतु - वसंत मास - चैत्र पक्ष - शुक्ल तिथि - द्वादशी रात्रि 10:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी नक्षत्र - पूर्वफाल्गुनी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात उत्तरफाल्गुनी योग- ध्रुव रात्रि 02:48 अप्रैल 21 तक तत्पश्चात व्याघात राहु काल - सुबह 09:27 से सुबह 11:02 तक सूर्योदय - 06:17 सूर्यास्त - 06:57 दिशा शूल - पूर्व दिशा में ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:32 तक अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 21 से रात्रि 01:00 अप्रैल 21 तक व्रत पर्व विवरण- वामन द्वादशी विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) को खाने से पुत्र का नाश होता है। त्रयोदशी को बैंगन को खाने से पुत्र का नाश होता है। ग्रहबाधा दूर करने का उपाय शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को ख��लायें । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी । शनिवार के दिन विशेष प्रयोग शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण) हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण) आर्थिक कष्ट निवारण हेतु एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है । अकाल मृत्यु व घर में बार बार मृत्यु होने पर जिसे मौत का भय होता है या घर में मौतें बार-बार होती हों, तो शनिवार को "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और पीपल को दोनों हाथों से स्पर्श करें । खाली १०८ बार जप करें तो दीर्घायुष्य का धनी होगा । अकाल मृत्यु व एक्सिडेंट आदि नहीं होगा । ऐसा १० शनिवार या २५ शनिवार करें, नहीं तो कम से कम ७ शनिवार तो जरूर करें । विघ्न-बाधाओं व दुर्घटना से बचने का उपाय ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। रोज सुबह उठने पर अथवा घर से बाहर जाते समय एक बार इस मंत्र का जप कर लें तो विघ्न-बाधारहित, दुर्घटनारहित गाड़ी अपने रास्ते सफर करती रहेगी । और जीवन की शाम होने से पहले रोज उस त्र्यम्बक (परमात्मा) में थोड़ी देर शांत रहा करो ।
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नवरात्रि में माता का पूरा आशीर्वाद लेने के लिए त्यागें ये गलतियां
नवरात्रि का पावन त्योहार साल 2024 में 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के दौरान माता के भक्त व्रत रखते हैं और माता को प्रसन्न करने के लिए उनकी उपासना करते हैं। नवरात्रि से जुड़े कई नियम भी हैं जो भक्तों को ख्याल में रखने चाहिए। साथ ही कुछ ऐसे कार्य हैं जिनको करने से माता की कृपा दृष्टि से आप वंचित रह सकते हैं। नवरात्रि के दौरान क्या कार्य करने से आपको बचना चाहिए, आइए विस्तार से जानते हैं।
नवरात्रि के दौरान न करें ये गलतियां
नवरात्रि के व्रत रख रहे हैं, या फिर नौ दिनों तक माता की पूजा-आराधना करने वाले हैं तो आपको तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए। इसके पीछे वजह यह है कि, तामसिक भोजन यानि ज्यादा मसालेदार भोजन, गर्म तासीर का भोजन आपके विचारों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। कहा भी जाता है कि, जैसा खाएंगे अन्न वैसा होगा मन्न। इसलिए नवरात्रि में व्रत नहीं भी रख रहे हैं, केवल माता की पूजा करने वाले हैं तो भी सात्मविक भोजन करें ताकि माता की भक्ति में किसी तरह का खलल न पड़े। नवरात्री में दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
नवरात्रि के दौरान आपको मांस-मदिरा और शराब का सेवन करने से तो बचना ही चाहिए साथ ही लहसुन-प्याज भी भोजन में नहीं डालना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, लहसुन-प्याज की उत्पत्ति राहु-केतु के रक्त से हुई थी, इसके साथ ही ये पदार्थ तामसिक प्रकृति के भी माने जाते हैं। इसलिए नवरात्रि के दौरान इन्हें खाने की मनाही है।
नवरात्रि के दौरान न पहनें ऐसे कपड़े
माता के नौ रूपों की कृपा प्राप्त करने के लिए आपको नवरात्रि के नौ दिनों में सात्विक भोजन के साथ ही सादे कपड़े पहनने चाहिए। काले कपड़े पहनने से आपको बचना चाहिए, ज्यादा चटकीले कपड़े पहनने से भी बचें और चमड़े से बनी वस्तुओं से भी परहेज करना चाहिए।
ये गलतियां भी पड़ सकती हैं भारी
नवरात्रि के दौरान महिलाओं, कन्याओं और बुजुर्गों का अपमान करके आप माता की कृपा से वंचित हो सकते हैं। दुर्गा माता की पूजा के दौरान जितना आप महिलाओं का आदर करेंगे उतने ही अच्छे परिणाम आपको प्राप्त हो सकते हैं। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती या फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करने वाले हैं तो इसके उच्चारण में गलतियां न करें।
नवरात्रि में व्रत रखने वालों को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। जमीन पर अपना बिस्तर आपको लगाना चाहिए। जमीन पर सोने से अनिद्रा की समस्या दूर होती है साथ ही तनाव से भी आपको मुक्ति मिलती है। आप तरोताजा रहते हैं इसलिए माता की भक्ति में आपका मन लगता है।
नाखून, दाढ़ी और बाल भी नवरात्रि के दौरान न कटवाएं। शारीरिक संबंध बनाने से बचें। उच्चारण नहीं जानते तो माता के बीज मंत्र का जप करना भी पर्याप्त रहेगा।
अगर इन सभी बातों का ख्याल रखते हुए आप नवरात्रि के 9 दिनों में माता की उपासना करते हैं, तो आपको मानसिक शांति का अनुभव होता है और माता की कृपा आप पर बरसती है।
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आज का पंचांग और राशिफल, 13 जुलाई 2023, गुरुवार
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
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आज श्रावण मास की कामदा एकादशी है। गुरुवार के दिन एकादशी का आना अत्यंत विशेष होता है। क्योंकि एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और गुरुवार भी भगवान विष्णु का ही दिन होता है। जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं वे तो पूजन करेंगे ही लेकिन जो लोग एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं वे लोग भी इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन अवश्य करें। क्योंकि श्रावण की यह एकादशी सारे मनोरथ पूरी करने वाली है। इसका नाम ही कामदा एकादशी है जो आपके सारे बिगड़े काम बना देती है। आज के दिन भगवान विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
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विक्रम संवत : 2080 शालिवाहन शके : 1945 मास : श्रावण (प्रथम शुद्ध) कृष्ण पक्ष ऋतु : वर्षा अयन : दक्षिणायन तिथि : एकादशी सायं 6:24 तक नक्षत्र : कृतिका रात्रि 8:51 तक योग : शूल प्रात: 8:50 तक करण : बव प्रात: 6:07 तक पश्चात बालव सूर्योदय : 5:50:58 सूर्यास्त : 7:13:43 दिनकाल : 13 घंटे 22 मिनट 45 सेकंड रात्रिकाल : 10 घंटे 37 मिनट 39 सेकंड चंद्रास्त : दोप 3:38 चंद्रोदय : रात्रि 2:36
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आज की ग्रह स्थिति सूर्य राशि : मिथुन चंद्र राशि : वृषभ मंगल : सिंह बुध : कर्क गुरु : मेष शुक्र : सिंह शनि : कुंभ वक्री राहु : मेष केतु : तुला
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दिन का चौघड़िया चर : प्रात: 10:52 से दोप 12:32 लाभ : दोप 12:32 से 2:13 शुभ : सायं 5:33 से 7:14 अभिजित : दोप 12:06 से 12:59 रात्रि का चौघड़िया अमृत : सायं 7:14 से रात्रि 8:33 चर : रात्रि 8:33 से 9:53
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त्याज्य समय राहु काल : दोप 2:13 से 3:53 यम घंट : प्रात: 5:51 से 7:31
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आज विशेष : कामदा एकादशी व्रत आज का शुभ रंग : पीला आज के पूज्य देव : श्री हरि विष्णु भगवान आज का मंत्र : ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
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आज की राशिफल का हाल
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मेष : आनंदमय रहेगा दिन भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए आनंदमय रहेगा। आज आपका ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपने काम पर रहेगा,जिसमें आपको सफलता हासिल होगी। लोगों की मदद करने का मौका मिलेगा।
वृषभ :अधूरे काम पूरे होंगे भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए काफी बढ़िया रहने वाला है। किसी बात को लेकर ज्यादा आप सोचे ना, सब भगवान पर छोड़ दें। अधूरे काम पूरे होंगे, धन लाभ मिलेगा।
मिथुन : मित्रों संग मुलाकात हो सकती है भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। आपकी सकारात्मक सोच से लोग आपके करीब आएंगे। मित्रों संग मुलाकात हो सकती है। धन लाभ के आसार है��।
कर्क: बिजनेस वालों के लिए दिन बढ़िया भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए आनंदमय रहेगा। आज आपको किसी अच्छी कंपनी से नौकरी का ऑफर मिल सकता है। बिजनेस वालों को भी आज बढ़िया मुनाफा हो सकता है।
सिंह :मन लगाकर काम करें भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए अच्छा रहेगा। किसी बात पर आज अपनों से बहस हो सकती है इसलिए वाणी पर कंट्रोल करें। मन लगाकर काम करें सफलता जरूर मिलेगी।
कन्या : शांति बनाकर रखें भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए बेहतर रहेगा। रूके हुए काम पूरे होंगे। आपकी सफलता के योग बन रहे हैं। शांति बनाकर रखें,धन लाभ के भी आसार हैं।
तुला : रूके हुए काम वक्त पर पूरे हों जाएंगे भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए बहुत बढ़िया रहेगा। आज आपके कामों की सराहना होगी इसलिए मन काफी प्रसन्न रहेगा। रूके हुए काम वक्त पर पूरे हों जाएंगे।
वृश्चिक : प्रेमी युगल के लिए आज का दिन अच्छा भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। आपके व्यवहार से लोग खुश रहेंगे। प्रेमी युगल के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है। प्रमोशन के योग हैं भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए आनंदमय रहेगा। आपके बिगड़े काम पूरे हो जाएंगे और आपको अपने पिछले प्रयासों में सफलता मिलेगी। प्रमोशन के योग हैं।
धनु : घर में सुख-शांति का माहौल रहेगा भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। आय के नए स्रोत मिलेंगे। आज आपके घर में सुख-शांति का माहौल रहेगा। आध्यात्मिक और धार्मिक मामलों में आपकी रुचि बढ़ेगी।
कुंभ: प्रयासों में सफलता मिलेगी भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए काफी बढ़िया रहेगा, मित्र की मदद से आपके बिगड़े काम पूरे हो जाएंगे और आपको अपने पिछले प्रयासों में सफलता मिलेगी।
मकर:धन लाभ के आसार हैं भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए काफी बढ़िया रहेगा, रूके हुए काम वक्त पर पूरे होंगे। धार्मिक मामलों में आपकी रुचि बढ़ेगी, धन लाभ के आसार हैं। भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए सही रहेगा। धन योग के आसार हैं। कामकाज में भी उत्साह के संकेत हैं। परिवार संग कहीं घूमने की प्लानिंग कर सकते हैं।
मीन: रूके हुए काम वक्त पर पूरे होंगे भगवान विष्णु की कृपा से आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा,जो भी काम करेंगे उसमें सफल रहेंगे। रूके हुए काम वक्त पर पूरे होंगे। धन लाभ के आसार हैं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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#SaiBabaMantra #ShirdiSaiBaba #SaiYugNetwork श्री साईं कष्ट निवारण मंत्र | Shri Sai Kasht Nivaaran Mantra - For Peace & Prosperity कष्टों की काली छाया दुःख दाई है | जीवन में घोर उदासी लाई है संकट को टालो साईं दुहाई है | तेरे सिवा न कोई सहाई है मेरे मन तेरी मूरत समाई है | हर पल हर क्षण महिमा गाई है घर मेरे कष्टों की आंधी आई है | आपने क्यों मेरी सुध भुलाई है तुम भोले नाथ हो दया निधान हो | तुम हनुमान हो महा बलवान हो तुम्ही हो राम और तुम्ही श्याम हो | सारे जगत में तुम सबसे महान हो तुम्ही महाकाली तुम्ही माँ शारदे | करता हु प्रार्थना भव से तार दे तुम्ही मुहम्मद हो गरीब निवाज हो | नानक की वाणी में ईसा के साथ हो तुम्ही दिगंबर तुम्ही कबीर हो | हो बुध्ध तुम्ही और महावीर हो सारे जगत का तुम्ही आधार हो | निराकार भी और साकार हो करता हु वंदना प्रेम विश्वास से | सुनो साईं अल्लाह के वास्ते अधरों में मेरे नहीं मुस्कान है | घर मेरा बनने लगा स्मशान है रेहेम नज़र करो उजड़े वीरान पे | जिंदगी सवरेगी एक वरदान से पापो की धुप से तन लगा हारने | आपका ये दास लगा पुकारने अपने सदा ही लाज बचाई है | देर न हो जाए मन शंकाई है धीरे धीरे धीरज ही खोता है | मन में बसा विश्वास ही रोता है मेरी कल्पना साकार कर दो | सुनी जिंदगी में रंग भर दो ढोते ढोते पापो का भार जिंदगी से | मैं हार गया जिंदगी से नाथ अवगुण अब तो बिसारो | कष्टों की लहर से आ के उबारो करता हु पाप मैं पापो की खान हु | ज्ञानी तुम ज्ञानेश्वर मैं अज्ञान हु करता हु पग पग पर पापो की भूल मैं | तार दो जीवन ये चरणों की धुल से तुमने उजड़ा हुआ घर बसाया | पानी से दीपक भी तुमने जलाया तुमने ही शिर्डी को धाम बनाया | छोटे गाँव में स्वर्ग सजाया कष्ट पाप श्राप उतारो | प्रेम दया दृष्टि से निहारो आप का दास हु ऐसे न टाल���ए | गिरने लगा हु साईं संभालिये साइजी बालक मैं अनाथ हु | तेरे भरोसे रहता दिन रात हु जैसा भी हु, हु तो आपका | कीजे निवारण मेरे संताप का तू है सवेरा और मैं रात हु | मेल नहीं कोई फिर भी साथ हु साईं मुझसे मुख न मोडो | बिच मजधार अकेला न छोडो आपके चरणों में बसे प्राण है | तेरे वचन मेरे गुरु सामान है आपकी रहो पे चलता दास है | ख़ुशी नहीं कोई जीवन उदास है आंसू की धरा है डूबता किनारा | जिंदगी में दर्द नहीं गुजारा लगाया चमन तो फूल खिलाओ | फूल खिले हैं तो खुशबु भी लाओ कर दो इशारा तो बात बन जाये | जो किस्मत में नहीं वो मिल जाये बिता ज़माना ये गाके फ़साना | सरहदे जिंदगी मौत का तराना देर हो गयी है अँधेरे न हो | फ़िक्र मिले लेकिन फरेब न हो देके टालो या दामन बचा लो | हिलने लगा रहनुमाई संभालो तेरे दम पे अल्लाह की शान है | सूफी संतो का ये बयान है गरीब की झोली में भर दो खजाना | ज़माने के वाली करो न बहाना दर के भिखारी हैं मोहताज है हम | शहंशाहे आलम करो कुछ करम तेरे खजाने में अल्लाह की रहमत | तुम सद्गुरु साईं हो समर्थ आए तो धरती पे देने सहारा | करने लगे क्यूँ हम से किनारा जब तक ये ब्रह्माण्ड रहेगा | साईं तेरा नाम रहेगा चाँद तारे तुम्हे पुकारेंगे | जन्मो जनम हम रास्ता निहारेंगे आत्मा बदलेगी चोले हज़ार | हम मिलते रहेंगे हर बार आपके कदमो में बैठे रहेंगे | दुखडे दिल के कहते रहेंगे आपकी मरज़ी है दो या न दो | हम तो कहेंगे दामन भी भर दो तुम हो दाता हम है भिखारी | सुनते नहीं क्यूँ अरज हमारी अच्छा चलो एक बात बता दो | क्या नहीं तुम्हारे पास बता दो जो नहीं देना है इन्कार कर दो | ख़त्म ये आपस की तकरार कर दो लौट के खाली चला जाऊंगा | फिर भी गुण तेरे गाऊंगा जब तक काया है तब तक माया हैं | इसी में दुखों का मूल समाया हैं सब कुछ जान के अनजान हु मैं | अल्लाह की तू शान तेरी हु शान मैं तेरा करम सदा सबपे रहेगा | ये चक्र युग युग चलता रहेगा जो प्राणी गायेंगे साईं तेरो नाम | उसको मिले मुक्ति पहुचे परम धाम ये मंत्र जो प्राणी नित गायेंगे | राहू, केतु, शनि निकट न आएंगे टल जायेंगे संकट सारे | घर में दास वास करे सुख सारे जो श्रद्धा से करेगा पठन | उस पर देव सभी हो प्रसन्न रोग समूह नष्ट हो जायेंगे | कष्ट निवारण मंत्र जो गायेंगे चिंता हरेगा निवारण जाप | पल में दूर हो सब पाप जो ये पुस्तक नित दिन बाचे | लक्ष्मीजी घर उनके सदा बिराजे | ज्ञान बुद्धि प्राणी वो पायेगा | कष्ट निवारण में जो ध्यायेगा ये मंत्र भक्तो कमल करेगा | आई जो अनहोनी तो टाल देगा भूत-प्रेत भी रहेंगे दूर | इस मंत्र में साईं शक्ति भरपूर जपते रहे जो मंत्र अगर | जादू टोना भी हो बेअसर इस मंत्र में सब गुण समाये | ना हो भरोसा तो आजमाए ये मंत्र साईं वचन ही जानो | स्वयं अमल कर सत्य पहचानो संशय न लाना विश्वास जगाना | ये मंत्र सुखो का है खजाना इस पुस्तक में साईं का वास | साईं दया से ही लिख पाया दास | Listen Daily Powerful Mantra Share with friends and Family. #ShirdiSaiBaba #SaiYugNetwork #SaiBabaMantra #SaiKashtaNivaaranMantra #SaiMantraHindi #SaiMantraForPeace #SaiMantraForProsperity #SaiMantraLeela by Mantra and Meditation
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नवग्रह : 🌟सूर्य 🌟बुध 🌟शुक्र 🌟पृथ्वी 🌟मंगल 🌟बृहस्पति 🌟शनि 🌟राहू 🌟केतु नवरग्रह मंत्र का जप का विधि-विधान स्नान आदि से निवृत्त होकर सफेद आसन पर बैठकर, आसन के नीचे कुछ सिक्के रखकर उसके ऊपर सुखासन (पालथी) मारकर बैठ जाएं। Stay connected with us @astro_parduman Book Your Appointment on 7876999199
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 28 जनवरी 2023 सूर्योदय :- 07:09 सूर्यास्त :- 18:12 सूर्य राशि :- मकर चंद्र राशि :- मेष मास :- माघ तिथि :- सप्तमी *(नर्मदा जयंती )* वार :- शनिवार नक्षत्र :- अश्विनी योग :- साध्य करण :- वणिज अयन:- उत्तरायण पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- शिशिर लाभ :- 14:02 - 15:25 अमृत:- 15:26 - 16:48 शुभ :- 08:31 - 09:54 राहु काल :- 09:55 - 11:17 जय महाकाल महाराज :- *शनि देव का राशि परिवर्तन 17 जनवरी 2023 को हो गया है :-* नववर्ष के आगमन के साथ ही नवग्रहों में सबसे प्रमुख ग्रह माने जाने वाले शनि देव भी राशि परिवर्तन कर चुकें हैं। 17 जनवरी 2023 के दिन शनिदेव ने अपना राशि परिवर्तन किया हैं। शनिदेव 17 जनवरी को 26 महीनों के लिये अपनी राशि मकर से निकलकर मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में प्रवेश कर चुकें हैं और अगले ढाई वर्षों तक इस राशि में ही रहेंगे व इस मध्य में समय समय पर वक्री व मार्गी होते रहेंगे। गुरु, शनि, राहु व केतु का राशि परिवर्तन नवग्रहों में सबसे विशेष एवं बड़ा माना जाता है व इन ग्रहों का एक राशि से किसी दूसरी राशि में जाना मानव जीवन को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नववर्ष 2023 में शनि ग्रह का यह राशि परिवर्तन हमारे जीवन को किस तरह प्रभावित करेगा, किस राशि पर शनिदेव का आशीर्वाद बना रहेगा, किस राशि व लग्न पर शनिदेव की क्रूर दृष्टि रहेगी, किसकी मनोकामनाएँ पूरी करेगें शनिदेव। ज्योतिषीय आधार पर यह निर्णय करना अत्यंत आवश्यक है। जानिये की किन राशियों पर शुरू हो गई है शनि की साढ़े साती और ढैय्या– जनवरी 17 को 2023 में शनि के कुम्भ राशि में आते ही *मीन* राशि पर शनि की साढ़े साती आरम्भ हो गई है और *कुम्भ* राशि पर साढ़े साती का दूसरा यानि मध्य चरण प्रारम्भ हो गया है व *मकर* राशि पर शनि की साढ़े साती का तीसरा यानि अन्तिम चरण प्रारम्भ हो गया है। हिन्दू पंचांग के आधार पर उपरोक्त तीनों राशियों मकर, कुम्भ व मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव स्पष्ट रूप से बना रहेगा। इसी के साथ इस वर्ष *कर्क* व *वृश्चिक* राशि पर शनि की ढैय्या भी आरम्भ हो गई है। आज का मंत्र :- ""|| ॐ शं शनैश्चराय नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 28 जनवरी 2023 ( शनिवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.fac https://www.instagram.com/p/Cn8he67IetA/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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गुरु चांडाल योग क्या होता है और गुरु चांडाल कैसे बनता है?
गुरु चांडाल योग के बारे में 5 मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
गुरु-राहु/केतु की युति: जब बृहस्पति (गुरु) की युति राहु या केतु के साथ होती है, तब यह योग बनता है। यह किसी भी भाव में हो सकता है।
बृहस्पति के गुणों पर नकारा��्मक प्रभाव: बृहस्पति नैतिकता, ज्ञान, और धर्म का ग्रह है, जबकि राहु और केतु भ्रम, माया, और अधर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे बृहस्पति के सकारात्मक गुण बाधित होते हैं।
धार्मिक और नैतिक उलझनें: इस योग के कारण व्यक्ति धार्मिक और नैतिक भ्रम में पड़ सकता है, जिससे गलत निर्णय या नैतिकता में गिरावट की संभावना होती है।
अनैतिक गतिविधियों की प्रवृत्ति: राहु के प्रभाव से व्यक्ति अनैतिक कार्यों या गलत तरीकों से धन, शक्ति, और सफलता पाने की ओर आकर्षित हो सकता है।
उपाय: गुरु और राहु के लिए मंत्र जाप, गुरु का व्रत, और धार्मिक मार्ग पर चलना इस योग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
गुरु चांडाल योग का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति और बृहस्पति की ताकत पर निर्भर करता है। यदि आपको भी जाना है अपनी कुण्डी के आधार पर तो आप Kundli Chakra 2023 - Astrology App का प्रयोग कर सकते है। जो आपको बेहतर जानकारी दे सकता है।
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राहु गायत्री मंत्र राहु को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी मंत्र है।
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