Tumgik
#कृषि कानून वापस ले लिया
thedhongibaba · 2 years
Text
*कृषि कानून वापस लेने का सच...*
*आज तक मैं चुप बैठा था क्योंकि किसान आंदोलन के पीछे की इस सच्चाई को बताता तो भी कौन मान सकता था...मेरे अपने ही कई मित्र साथी नहीं मानने को तैयार थे, लेकिन आज सुबह से फोन कर रह हैं भाई आप सही कह रहे थे, खैर समय आ गया है आप भी जानिए...*
1. कई साल से हम लोग इंपोर्टेड दाल Lentil Daal खा रहे थे। आज से करीब 2 साल पहले मोदी ने इस पर रोक लगानी शुरू कर दी, और अब इसे पूरी तरह से बंद करवा दिया।
*कृषि बिल तो बहाना था*, असली किस्सा कुछ यूं है। *2005 में मौनी बाबा मनमोहन सिंह ने दाल पर दी जा रही सब्सिडी को खत्म कर दिया और कुछ समय बाद ही खांग्रेस सरकार ने नीदरलैंड ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से समझौता कर दाल आयात करना शुरू कर दिया। कनाडा ने अपने यहां लेंटील दाल के बड़े-बड़े फार्म स्थापित किए जिसकी जिम्मेदारी वहां रह रहे पंजाबी सिखों के हवाले कर दी गई।* और देखते ही देखते कनाडा से भारत में बड़े पैमाने पर दाल आयात होने लगा।
इन बड़े *आयातकों में अमरिंदर सिंह, और 1984 में सिक्खों के हत्यारे कमलनाथ जैसे कांग्रेसी भी थे। बादल भी, क्योंकि इनका राष्ट्र धर्म सिर्फ पैसा है, जैसे ही मोदी ने आयात पर रोक लगाई इनका खेल शुरू हुआ। इनके कनाडा के फार्म सूखने लगे*
*खालिस्तानियों की नौकरी जाने लगी* इसीलिए *जस्टिन ट्रुडो* ने किसानों के आंदोलन का *समर्थन किया* था अब समझे कनाडा, किसान आंदोलन और खालिस्तानियों के साथ खांग्रेस का गठजोड़।
अब जब कनाडा सरकार द्वारा धमकी दी जा रही है कनाडा के खालिस्तानी सिखों को पंजाब वापस भेजा जाएगा। वैसे भी खालिस्तानी कांग्रेसियों की ही देन है। इसलिए कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध विदेशी ताकतें और खालिस्तानी सिख कर रहे हैं.
सनद रहे जिस देश में अन्न बाहर से खरीदना नहीं पड़ता वही देश सबसे जल्दी विकसित होते है!
2. अब अडानी और अंबानी ने ग्रुप इन्होंने जो भी व्यापार शुरू किया, वहां विदेशी मोनोपली का खात्मा करते हुए भारतीय ग्राहकों को जबरदस्त फायदा कराते हुए मुनाफा कमाया है। अड़ानी ने विदेशी कंपनियों जीएमआर और साउथ अफ्रीका की कंपनी जिनमें पिछवाड़े से भारत के गद्दार नेताओं का ही पैसा लगा हुआ है, सभी की 70% हिस्सेदारी को वापस ले लिया, इसी के अगले चरण में रिलायंस 5G का स्पेक्ट्रम है, जिससे चाइना की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुवेई जिसमें XI जिनपिग के अलावा वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी के सभी सरकारी नेताओं के पैसे लगे हुए हैं उसके पैर भारत ही नहीं विश्व में उखड़ जाएंगे, इसलिए *खालिस्तानी किसान* रिलायंस जियो के टावर तोड़ रहे थे, अब कुछ समझे किसानों का टॉवर तोड़ कनेक्शन
जरा सोचिए कि आज से पहले कितनी लूट मची हुई थी? उदाहरण: जब जियो नहीं था तब आपका बिल कितना आता था? कितनी लूट चलती थी अब हर कंपनी दाम घटाने पर मजबूर है।
अडानी एग्रो प्रगति कर रही है तो विरोध हो रहा है, अडानी गोदाम स्टोरेज क्यों बना रहा है?
क्या आप कभी COCA COLA, NESTLE, ITC, AMAZON की फैक्ट्री स्टोरेज में गए हैं, मैं गया हूं, जब अपने देश में पेप्सिको, वॉलमार्ट, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, आईटीसी जैसी विदेशी कंपनियों ने पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में बड़े-बड़े गोडाउन खड़े कर लिए तब कोई विरोध नहीं हुआ... तो अब भारतीय कंपनी अडानी का ही विरोध क्यों???
रिलायंस रिटेल, रिलायंस डिजिटल अब सारे देश में पहुंच रहे हैं, तो अमेज़न और फ्लिपकार्ट को तकलीफ़ होना स्वाभाविक है.
*स्वदेशी पतंजलि के आने से हिन्दुस्तान यूनीलीवर (कोलगेट, लक्स, पाँड्स) का एकाधिकार समाप्त हो गया, तो उन्हें तकलीफ़ तो होनी ही थी*
*चीन दुनिया भर के साथ भारत में भी 5G तकनीक बेचने को उतावला हो रहा है, ऐसे में जियो की संपूर्ण स्वदेशी 5G तकनीक से उसे तकलीफ़ होगी ही*
अडानी पोर्ट्स और अडानी एंटरप्राइज़ के कारण अब सब विदेशी और विधर्मियों की मोनोपली बंद हो गई है।
अब *जब अपने देश के उद्योगपति आगे बढ़ रहे हैं, देश को फायदा पहुंचा रहे हैं, तो अपने ही देश के कुछ लोग उनका विरोध क्यों कर रहे हैं?*
*पूरा खेल समझिए:*
अब पंजाब के किसान नेता उनके विरोध में आ गए हैं, अदानी गोडाउन क्यों बना रहा है., हमारी ज़मीन हड़प लेगा, आदि-आदि...
*पंजाब के दूर दराज गांवों में मैंने खुद देखे हैं, वहां देशी-विदेशी कंपनियों NRIs from Canada के Godown बरसों से मौजूद हैं, वह चलता है, अब अडानी बनवा रहा है तो कहा जा रहा है कि जमाखोरी होगी, और कीमतें बढ़ेंगी?*
*हकीकत तो यह है कि अब तक जो लाखों टन अनाज, सब्ज़ियां और फल सड़ जाते थे, वे अब इनके गोडाउन में सही तरह से भंडारित हो सकेंगे।*
*तकलीफ़ यह है कि अब महंगाई काबू में रहेगी* और *बिचौलियों को मिलने वाली मोटी मलाई भी बंद हो जाएगी*
*राष्ट्र धर्म की महत्ता को पहचानिए* और वर्तमान नेतृत्व की क्षमता को भी, जिसने एक दिन में ही विपक्षियों, पाकिस्तानियों, चाइना, कनाडा, खालिस्तानियों, खांग्रेसियों, वामियों, आपियों, सपैय्यों, बस्पैय्यों, ओवैसियों को बिना किसी *प्रत्यक्ष कार्यवाही* के ही चारों खाने चित कर दिया, अब समझे *मोदी, अमित शाह, अजीत डोभाल, जैसे राष्ट्रवादियों का मास्टर स्ट्रोक*
*राष्ट्रहित में, सामूहिक चेतना निर्माण हेतु, इस संदेश आगे प्रेषित करें ताकि पूरा देश जान सके और स्वच्छ भारत के निर्माण में अपना छोटा सा योगदान दें* क्योंकिःः
अब ये निश्चित है, की भारत अब बनेगा...
0 notes
lok-shakti · 3 years
Text
बिना चर्चा के कृषि कानूनों को रद्द करना सरकार को 'भयभीत' दिखाता है: राहुल गांधी
बिना चर्चा के कृषि कानूनों को रद्द करना सरकार को ‘भयभीत’ दिखाता है: राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि तीन कृषि कानूनों को बिना बहस के निरस्त करना दर्शाता है कि सरकार चर्चा करने से ‘डर’ रही है और जानती है कि उसने कुछ गलत किया है। संसद द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए ‘द फार्म लॉज रिपील बिल’ पारित करने के बाद, जिसके खिलाफ किसान एक साल से अधिक समय से विरोध कर रहे हैं, गांधी ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी ने भविष्यवाणी की थी कि…
View On WordPress
0 notes
khsnews · 3 years
Text
भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकरे ने मांग की कि कृषि कानून की तरह शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए।
भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकरे ने मांग की कि कृषि कानून की तरह शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए।
पटना इस समय बिहार की राजधानी पटना से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के बाद अब बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर बचोल ने भी नीतीश सरकार से शराबबंदी कानून वापस लेने की मांग की है. हरि भूषण ठाकुर ने कहा कि जैसे देश में कृषि कानून वापस ले लिया गया है, वैसे ही हमारी सरकार से बिहार में शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग की जाती है. बिहार में शराबबंदी के नाम पर…
View On WordPress
0 notes
insolubleworld · 3 years
Text
"कीमत की गारंटी चाहिए": पीएम पर दबाव बनाए रखने के लिए यूपी में किसानों की विशाल बैठक
“कीमत की गारंटी चाहिए”: पीएम पर दबाव बनाए रखने के लिए यूपी में किसानों की विशाल बैठक
किसान नेताओं ने यह भी कहा कि वे लखीमपुर खीरी मामले में सरकार के कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। रॉयटर्स लखनऊ: कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून जरूरी है, लखनऊ में एक ‘महापंचायत’ में एकत्र हुए किसानों ने आज कहा, उनके साल भर के विरोध के कुछ दिनों बाद सरकार को यह घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा। . जबकि विरोध के…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
dinesh-yadav-lohia · 3 years
Text
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर उमड़े समाजवादी जनसैलाब से भाजपाई तानाशाह लोकतंत्र की ताकत से रुबरू हुए हैं।
मोदी जी ने अपने गिरते जनाधार के भय से कृषि-कानूनों को वापस लिया है।
सूबे में बदलाव की क्रांति का बिगुल बज चुका है।
UP का है जनादेश, आ रहे हैं अखिलेश!
कृषि कानून वापस तो ले लिए मोदी जी एमएसपी अभी लड़ाई बाकी है मोदी जी
#FarmLawsRepealed
#NoMoreBjp
Tumblr media
0 notes
topviralnews1 · 3 years
Text
farm laws repeal in hindi -PM मोदी ने वापस लिए तीनो कानून, जाने इसके बारे में क्या कहा
farm laws repeal in hindi -PM मोदी ने वापस लिए तीनो कानून, जाने इसके बारे में क्या कहा
farm laws repeal in hindi- केंद्र सरकार ने 3 नए कृषि कानून को वापस ले लिए। PM नरेंद्र मोदी ने आज ये बड़ा ऐलान देश के नाम अपने संबोधन में किया है। साथ में कहा कि सरकार ने नाराज किसानों को समझाने का हर तरह से प्रयास किया है। कई मंचों से उनसे बातचीत भी हुई, परंतु वो नहीं माने। और इसलिए, अब तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया गया है। farm laws repeal in hindi तीनों कानून की वापसी का…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
lok-shakti · 3 years
Text
कृषि कानून निरस्त: सरकार ने सदन की आम सहमति के लिए प्रयास शुरू किए
कृषि कानून निरस्त: सरकार ने सदन की आम सहमति के लिए प्रयास शुरू किए
आने वाले शीतकालीन सत्र में विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की तैयारी कर रही भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सोमवार को मुद्दों पर आम सहमति बनाने के प्रयास शुरू कर दिए, जबकि पीठासीन अधिकारियों ने सभी दलों के नेताओं को सुचारू कामकाज सुनिश्चित करने के लिए बुलाया। चार सप्ताह तक चलने वाला सत्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार को सुबह 11 बजे संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा बुलाई गई…
View On WordPress
0 notes
tezlivenews · 3 years
Text
Farm Laws Repeal : नरेंद्र मोदी सरकार के 3 कृषि कानून वापस लेने की 5 वजहें जानिए
Farm Laws Repeal : नरेंद्र मोदी सरकार के 3 कृषि कानून वापस लेने की 5 वजहें जानिए
केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. इन कानूनों के विरोध में किसान पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार सुबह देश के नाम संबोधन में कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की घोषणा की. प्रधानमंत्री ने कहा,”मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी.…
View On WordPress
0 notes
insolubleworld · 3 years
Text
कृषि कानूनों को रद्द किया जाएगा, पीएम मोदी कहते हैं। तीन "ब्लैक" कानून क्या हैं
कृषि कानूनों को रद्द किया जाएगा, पीएम मोदी कहते हैं। तीन “ब्लैक” कानून क्या हैं
भारत की 2.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 15 प्रतिशत है नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक अप्रत्याशित घोषणा में कहा कि पिछले 14 महीनों में देश भर में किसानों के उग्र विरोध के केंद्र में तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा। “देश से माफी मांगते हुए, मैं सच्चे और शुद्ध मन से कहना चाहता हूं कि शायद कुछ कमी थी … कि हम अपने कुछ किसान भाइयों को…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
janchowk · 3 years
Text
जीत गए किसान! केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लिए
जीत गए किसान! केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लिए
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। यह घोषणा आज प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राष्ट्र संबोधन में की। इसी 26 नवंबर को अपने एक साल पूरे करने वाले इस आंदोलन की यह सबसे बड़ी जीत है। प्रधानमंत्री की घोषणा के साथ ही लोकतंत्र एक बार फिर जीत गया है। पीएम मोदी ने कहा कि “आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने का फैसला किया है।” इसके साथ ही पिछले एक…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
khabarinshorts · 3 years
Text
कृषि कानून वापस लेना क्या बीजेपी के लिए साबित होगा मास्टर स्ट्रोक! यूपी-पंजाब में ऐसे बदलेंगे समीकरण
करीब 14 महीने पहले जब सितंबर 2020 में कृषि कानून संसद द्वारा पारित हुए थे. तो सरकार द्वारा दावा किया गया था कि तीनों कृषि कानून, किसानों का भविष्य बदल देंगे. लेकिन अब उसी सरकार ने देशवासियों से माफी मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (19 नवंबर ) कहा कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई, सरकार किसानों, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी. लेकिन इतनी पवित्र बात और पूर्ण रूप से किसानों के के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूनानक पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानूनों को वापस ऐलान कर, एक बड़ा राजनीतिक दांव भी चल दिया है. क्योंकि इस फैसले से पंजाब और उत्तर प्रदेश चुनाव के पूरे समीकरण बदल गए हैं. अभी तक कृषि कानून के विरोध के नाम पर भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को बड़ा मौका मिल गया था. लेकिन अब उनके लिए उसे चुनावी मुद्दा बनाना मुश्किल हो सकता है.
कानून लागू होने के बाद प्रमुख चुनावों का हाल सितंबर 2020 में तीनों कृषि कानून लागू होने और कृषि आंदोलन के बाद सबसे पहले नवंबर में बिहार में विधान सभा चुनाव हुए थे. जिसमें जद (यू) के साथ भाजपा की सत्ता में फिर वापसी हुई. और ऐसा पहली बार हुआ कि वह जद (यू) से ज्यादा सीटें जीत कर आई. इसके बाद अहम चुनाव मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल, पुडुचेरी में हुए. इन चुनावों में भाजपा पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं कर पाई. इसी तरह केरल और तमिलनाडु में पार्टी का उम्मीदों के अनुसार प्रदर्शन नहीं रहा. हालांकि असम में पार्टी सत्ता में वापसी की . और उसे पुडुचेरी में सरकार बनाने का मौका मिला.
किसान कानून लागू होने के करीब एक साल बाद 30 अक्टूबर 2021 को 29 विधान सभा सीटों और 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं. ये चुनाव भाजपा के लिए झटका साबित हुए. चुनावों में ��ाजपा को केवल 7 सीटें मिलीं. जबकि उसके सहयोगियों को 8 सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आईं. इन नतीजों में भाजपा को सबसे बड़ा झटका हिमाचल प्रदेश में लगा, जहां उसे तीनों विधान सभा सीट और एक लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा.
भाजपा ने बदले मुख्यमंत्री इस बीच भाजपा ने तीन प्रमुख राज्यों में अपने मुख्यमंत्री भी बदल दिए है. पार्टी ने जुलाई में कर्नाटक में अपना मुख्यमंत्री बदला. वहां पर बी.एस.येदियुरप्पा की जगह बसवराव बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत की जगह पुष्करधामी को मुख्यमंत्री बनाया. और फिर सितंबर में गुजरात में विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया.
अकाली दल से टूटा 24 साल पुराना रिश्ता तीनों कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा ��े उसके सबसे पुरानी साथी शिरोमणि अकाली दल ने सितंबर 2020 में नाता तोड़ लिया था. भाजपा और अकाली दल 1996 से एक-दूसरे के साथी थे. ऐसे में जब, पंजाब में विधान सभा चुनाव होने में तीन-चार महीने बचे हैं. और तीन कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं, ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि क्या भाजपा और अकाली दल फिर से हाथ मिलाएंगे. हालांकि जिस तरह कांग्रेस से अलग होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा से गठबंधन की बात कही हैं, उसे देखते हुए पंजाब के राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव आएगा.
पंजाब में भाजपा को मिलेगा फायदा ! पंजाब में भाजपा शुरू से शिरोमणि अकाली दल के साथी के रूप में चुनाव लड़ती रही है. जहां पर उसकी भूमिका छोटे भाई के रूप में ही रही है. साल 2012 के विधान सभा चुनावों में जब अकाली दल के नेतृत्व में उसकी सरकार थी, उस वक्त भी उसके पास 117 विधान सभा सीटों वाले पंजाब में केवल 15 सीटें मिली थी. और 2017 में कांग्रेस की सरकार आई तो उसे केवल 3 सीटें मिली.
अब 2022 में भाजपा की उम्मीद कांग्रेस से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से है. अमरिंदर सिंह ने भाजपा से गठबंधन के लिए यही शर्त रखी थी कि अगर किसान आंदोलन का रास्ता निकलेगा, तभी वह उसके साथ हाथ मिलाएंगे. अब केंद्र सरकार ने चुनाव से पहले करतारपुर साहिब खोलकर और फिर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर, अमरिंदर सिंह के बड़ा बूस्ट दे दिया है.
राज्य में अमरिंदर सिंह के साथ बड़ा वोट बैंक है और भाजपा उनके साथ खड़ी होकर, पंजाब में बड़ी चुनौती पेश कर सकेगी. और अमरिंदर को अपनी नई पार्टी के लिए, भाजपा का बना, बनाया कैडर मिल जाएगा. इसे देखते हुए पंजाब चुनाव अब काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है. जहां चतुष्कोणीय मुकाबला हो सकता है.
यूपी में विपक्ष के हाथ से निकला मुद्दा ! राजनीतिक रूप से सबसे बड़े संवेदनशील राज्य उत्तर प्रदेश में भी अगले 3-4 महीने में चुनाव होने वाले हैं. और कृषि कानून से उपजे किसान आंदोलन ने भाजपा के खिलाफ, पिछले 8 साल का सबसे बड़ा मुद्दा दे दिया था. भाजपा 2014 के लोक सभा चुनावों से ही प्रदेश में एक तरफा जीत हासिल कर रही है. इन 8 वर्षों में किसान आंदोलन की वजह से भाजपा पहली बार बैकफुट पर नजर आ रही थी.
खास तौर से उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े नुकसान का डर था. भाजपा के एक किसान नेता कहते हैं, तीनों कृषि कानून वापस लेने से पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा बूस्ट मिलेगा. और हम नाराज किसानों के बीच जाकर उन्हें समझा सकेंगे.
समाजवादी पार्टी ने खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल और महान दल के साथ गठबंधन कर रखा है. उसे उम्मीद है कि किसान आंदोलन से उपजे असंतोष की वजह से पार्टी को बड़ा फायदा मिलेगा. 2017 के विधान सभा चुनावों में भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 120 में से 85-90 सीटें मिली थी.
साभार-टाइम्स नाउ
The post कृषि कानून वापस लेना क्या बीजेपी के लिए साबित होगा मास्टर स्ट्रोक! यूपी-पंजाब में ऐसे बदलेंगे समीकरण appeared first on Khabar Inshorts.
source https://khabarinshorts.com/%e0%a4%95%e0%a5%83%e0%a4%b7%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%82%e0%a4%a8-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%b8-%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be/
0 notes
abhay121996-blog · 3 years
Text
सोनीपत: कांग्रेस में बची गंदी मछली एक दूसरे को खाने में लगी हैं: अशोक तंवर Divya Sandesh
#Divyasandesh
सोनीपत: कांग्रेस में बची गंदी मछली एक दूसरे को खाने में लगी हैं: अशोक तंवर
सोनीपत। अपना मोर्चा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा है कि कांग्रेस में हमेशा दबाव की राजनीति होती है। पांच साल 8 महीने मैंने भी इसका स्वाद लिया है। कांग्रेस में सभी नेता एक दूसरे गुरु हैं। वे शनिवार को सोनीपत में पत्रकारेां से बात कर रहे थे।
यह खबर भी पढ़ें: इस देश में नहीं पाए जाते सांप, रहस्य जानकर चौंक जाएंगे आप
उन्होंने कांग्रेस की तुलना की सड़े हुए तालाब से करते हुए कहा कि कांग्रेस में गंदी मछली ही बची है जोकि एक दूसरे को खाने में लगी हैं। वहीं भाजपा पर तंच कसते हुए कहा कि भाजपा को जनता के मसलों से कुछ लेना देना नहीं है। भाजपा को जनता से कोई सरोकार नहीं है।
यह खबर भी पढ़ें: परंपरा निभाने में रुक गई शादी, बिना सात फेरे लिए दुल्हन चली ससुराल
प्रदेश में पेट्रोल डीजल की कीमतें अब आसमान छू रही हैं। किसान आंदोलन पर बोलते हुए अशोक तंवर ने कहा कि सरकार को यह तीनों कृषि कानून जल्द से जल्द वापस ले लेने चाहिए। क्योंकि इससे जनता का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है और करोड़ों रुपए के नुकसान कारोबारियों को हो रहा है। रास्ता नहीं खुलने से नेशनल हाइवे से संपर्क में आने वाले हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ व जम्मू काश्मीर जाने वाले वाहनों के लिए रासता बंद है वहीं दिल्ली में जाने वाले मरीजों को आपातकालीन स्थित म���ं परेशानी का सामना करना पड़ता है इसके लिए रास्ता खोलने में बीच का रास्ता निकाला जाना जरुरी है।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
lok-shakti · 3 years
Text
रिपोर्ट जारी करने पर फैसला लूंगा: सुप्रीम कोर्ट पैनल सदस्य
रिपोर्ट जारी करने पर फैसला लूंगा: सुप्रीम कोर्ट पैनल सदस्य
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा, कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के तीन सदस्यों में से एक अनिल घनवत ने सोमवार को कहा कि वह तय करेंगे कि समिति की रिपोर्ट बाद में जारी की जा सकती है या नहीं कानूनी परिणामों का विश्लेषण। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, घनवत ने कहा कि पैनल की सोमवार को बैठक हुई, और अन्य दो सदस्यों ने उन्हें यह…
View On WordPress
0 notes
upenews · 4 years
Text
Congress Will Take Back Triple Talaq Law If Came In Power, Rashid Alvi Big Promise मुस्लिम तुष्टिकरण का कांग्रेस ने चला फिर कार्ड, तीन तलाक कानून लेंगे वापस
Congress Will Take Back Triple Talaq Law If Came In Power, Rashid Alvi Big Promise मुस्लिम तुष्टिकरण का कांग्रेस ने चला फिर कार्ड, तीन तलाक कानून लेंगे वापस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी (Rashid Alvi) ने ऐलान किया है कि कांग्रेस (Congress) के सत्ता में आते ही ट्रिपल तलाक (Tripla Talaq) कानून को वापस ले लिया जाएगा. मेरठ में किसान महापंचायत में राशिल अल्वी का बड़ा ऐलान. (Photo Credit: न्यूज नेशन) highlights राशिद अल्वी ने मेरठ महापंचायत में दिया बड़ा बयान तीन तलाक कानून लेंगे वापस सत्ता में आते ही कृषि कानून भी वापस लेने की कह दी…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
kisansatta · 4 years
Photo
Tumblr media
राकेश टिकैत बोले- 40 लाख ट्रैक्टर लेकर जाएंगे दिल्ली
Tumblr media
सीकर: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर पिछले तीन महीने से जारी है! इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो इस बार आह्वान संसद घेरने का होगा और वहां चार लाख नहीं चालीस लाख ट्रैक्टर जाएंगे!
इसके साथ ही उन्होंने किसानों से तैयार रहने को कहा क्योंकि कभी भी दिल्ली जाने का आह्वान हो सकता है! टिकैत मंगलवार को राजस्थान के सीकर में संयुक्त किसान मोर्चा की किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे!
उन्होंने कहा, ”कान खुल कर सुन ले दिल्ली, ये किसान भी वही हैं और ट्रैक्टर भी वही होंगे! अबकी बार आह्वान संसद का होग! इस बार चार लाख नहीं चालीस लाख ट्रैक्टर जाएंगे!”
उन्होंने कहा कि किसान इंडिया गेट के पास के पार्कों में जुताई करेगा और फसल भी उगाएगा! साथ ही कहा कि संसद को घेरने के लिए तारीख संयुक्त मोर्चा तय करेगा!
किसाने नेता ने कहा, ”26 जनवरी की घटना के मामले में देश के किसानों को बदनाम करने की साजिश की गई! देश के किसानों को तिरंगे से प्यार है, लेकिन इस देश के नेताओं को नहीं!”’
टिकैत ने कहा कि सरकार को किसानों की तरफ से खुली चुनौती है कि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए और एमएसपी लागू नहीं की तो बड़ी-बड़ी कंपनियों के गोदाम को ध्वस्त करने का काम भी देश का किसान करेगा! इसके लिए संयुक्त मोर्चा जल्द तारीख भी बताएगा!
महापंचायत को स्वराज आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम, किसान यूनियन के राष्ट्रीय महामंत्री चौधरी युद्धवीर सिंह सहित कई किसान नेताओं ने भी संबोधित किया!
https://kisansatta.com/%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%9f%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%a4-%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a5%87-40-%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%96-%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%88/ #Agriculture, #Farmer, #Farming, #HindiNews agriculture, farmer, Farming, hindi news Farming, State #Farming, #State KISAN SATTA - सच का संकल्प
0 notes
chaitanyabharatnews · 4 years
Text
किसानों के आगे झुकी सरकार, कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक रोकने के लिए हुई तैयार, प्रस्ताव पर 22 को जवाब देंगे किसान
Tumblr media
चैतन्य भारत न्यूज किसान संगठन और सरकार के बीच बुधवार को 10वें दौर की बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान सरकार कुछ झुकती हुई नजर आई। केंद्र सरकार ने बुधवार को किसान नेताओं को दो प्रपोजल दिए। सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर बड़ा बयान देते हुए उसे डेढ़ साल तक रोकने का प्रस्ताव दे दिया है। वहीं कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कल तक का समय मांगा है। बता दें कि इस मुद्दे पर अगली बैठक 22 जनवरी दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में आयोजित होगी। बुधवार को हुई बैठक के बाद किसान संगठन के एक नेता ने कहा कि दोनों पक्षों की सहमति से एक निश्चित समय के लिए तीनों कृषि कानूनों को निलंबित करने और एक समिति के गठन के लिए उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर करने का प्रस्ताव दिया है। बता दें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसान संगठनों द्वारा निकाले जाने वाली ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की दिल्ली पुलिस की अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, अदालत द्वारा मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं है, क्योंकि कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर निर्णय लेने का पहला अधिकार पुलिस का है। शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को मामले पर सुनवाई के लिए केंद्र सरकार के अनुरोध को भी ठुकरा दिया और आवेदन को लंबित रखा। इसके बाद केंद्र ने अपना आवेदन वापस ले लिया। केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था जिसमें ट्रैक्टर/ट्रॉली/वाहन मार्च या गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी अन्य तरीके से आयोजित रैली पर रोक लगाने की मांग की थी। सरकार ने कहा कि, सुरक्षा एजेंसियों के संज्ञान में आया है कि विरोध करने वाले व्यक्तियों/संगठनों के समूह ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर एक ट्रैक्टर/ट्रॉली/वाहन मार्च निकालने की योजना बनाई है। केंद्र ने कहा, गणतंत्र दिवस के काम में कोई भी व्यवधान या बाधा न केवल कानून और व्यवस्था के खिलाफ होगी, बल्कि राष्ट्र के लिए भी बहुत बड़ी शर्मिंदगी होगी। Read the full article
0 notes