#कुरियन जोसेफ
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rightnewshindi · 29 days ago
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न्याय की देवी की आंखों की पट्टी के पीछे है यह बड़ा कारण, पूर्व जस्टिस ने किया बड़ा खुलासा
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की मूर्ति में बदलाव की चर्चाएं जारी हैं। दरअसल, हाल ही में अदालत ने न्याय की देवी की नई मूर्ति स्थापित हुई है, जिनकी आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है। अब शीर्ष न्यायालय के पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ ने इस पट्टी की वजह पर खुलकर बात की है। उन्होंने तलवार की जगह संविधान की प्रति लगाए जाने के फैसले का भी बचाव किया है। प्रोफेसर डॉक्टर एनआर माधव मेनन मेमोरियल…
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lazypenguinearthquake · 3 years ago
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सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर रॉयल्स के लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद को सुलझाया | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर रॉयल्स के लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति विवाद को सुलझाया | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
जयपुर: अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) कुरियन जोसेफ द्वारा एक सौहार्दपूर्ण समझौता किए जाने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने बेशकीमती संपत्तियों, जय महल होटल और रामबाग पैलेस होटल में जयपुर शाही परिवार के सदस्यों से जुड़ी लंबी कानूनी लड़ाई पर से पर्दा हटा दिया है। विवाद का। बंदोबस्त की शर्तों के अनुसार देवराज सिंह और उनकी बहन ललिता कुमारी, के पोते महारानी गायत्री देवी, अपने…
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viralnewsofindia · 3 years ago
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कैथोलिक बिशप की सुरक्षा के लिए केरल बीजेपी ने अमित शाह को लिखा पत्र
कैथोलिक बिशप की सुरक्षा के लिए केरल बीजेपी ने अमित शाह को लिखा पत्र
तिरुवनंतपुरम: केरल भाजपा के राज्य महासचिव और अखिल भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष, जॉर्ज कुरियन ने केंद्रीय गृह मंत्री, अमित शाह को पत्र लिखकर पाला के आर्क बिशप, जोसेफ बिशप कल्लारंगट को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है।Continue reading
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digimakacademy · 5 years ago
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Former CJI Ranjan Gogoi has compromised the noble principles on the independence and impartiality of the judiciary says Justice Kurian Joseph -
Former CJI Ranjan Gogoi has compromised the noble principles on the independence and impartiality of the judiciary says Justice Kurian Joseph –
पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को राज्यसभा का ऑफर मिलने पर अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सवालिया निशान लगाए हैं। उन्होंने को कहा है, “जस्टिस गोगोई ने मनोनयन स्वीकार कर ज्यूडीश्यरी (न्याय-तंत्र) की स्वतंत्रता में आम लोगों के विश्वास को निश्चित तौर पर झटका दिया है, जो कि भारतीय संविधान के बुनियादी ढांचे में से एक है।”
जस्टिस गोगोई के साथी रहे जज कुरियन ने यह भी कहा-…
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vsplusonline · 5 years ago
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आजतक के तीखे सवालों पर क्या-क्या बोले निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह
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आजतक के तीखे सवालों पर क्या-क्या बोले निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह
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निर्भया के दोषियों के वकील ने कहा- मेरी नजर में सभी केस बराबर
एपी सिंह ने कहा- ��ुरुपयोग नहीं, कानून का कर रहा हूं सही प्रयोग
निर्भया के दोषियों को फांसी दिलाने के लिए देशभर में मांग की जा रही है. हालांकि कानूनी दांव-पेंच के चलते निर्भया के दोषियों की फांसी हर बार लटक जाती है. निर्भया के दोषी अपनी फांसी को टालने के लिए अपने वकील की मदद से हर बार कोई न कोई नया रास्ता निकाल लेते हैं. फिलहाल निर्भया के दोषी अक्षय, विनय और पवन की पैरवी वकील ए. पी. सिंह कर रहे हैं. शुक्रवार को दोषियों के वकील ए. पी. सिंह ने आजतक से विस्तार से बातचीत की. इस दौरान उनसे कई तीखे सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने जवाब दिया.
निर्भया के दोषियों के वकील ए. पी. सिंह से जब सवाल किया गया कि आप कानून का दुरुपयोग करके निर्भया के दोषियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ‘मैं कानून का दुरुपयोग नहीं कर रहा हूं, बल्कि उन कानूनों का प्रयोग कर रहा हूं, जिनको भारत के संविधान ने हमको दिया है और सीआरपीसी व जेल मैनुअल में शामिल किए गए हैं. मैं संविधान के अनुच्छेद 21 और 72 में जो प्रावधान किए गए हैं, उनका सही तरीके से इस्तेमाल कर रहा हूं.’
एडवोकेट ए. पी. सिंह ने यह भी दावा किया कि भविष्य में लॉ स्टूडेंट और रिसर्चरों के लिए निर्भया का यह केस लैंडमार्क जजमेंट साबित होगा. जब सिंह से पूछ गया कि कानूनी दांव-पेंच के जरिए आप इंसाफ और दोषियों की फांसी को लटका क्यों रहे हैं, तो उन्होंने दलील दी, ‘यह हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार है, जब चार लोगों को एक साथ फांसी देने की साजिश हो रही है. जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा था कि निर्भया के दोषी कम उम्र हैं. इनकी फांसी की सजा खत्म कर देनी चाहिए.’
निर्भया के दोषियों ने मीडिया और नेताओं पर उठाए सवाल
इस दौरान निर्भया के दोषियों के वकील ए. पी. सिंह ने आरोप लगाया कि मीडिया ट्रायल, पब्लिक प्रेशर और पॉलिटिकल प्रेशर की वजह से निर्भया के दोषी बचाए ���हीं जा पा रहे हैं. इस मामले को राज्यसभा और  लोकसभा तक में उठाया जा रहा और कानून मंत्री को इस पर जवाब देना पड़ रहा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर निर्भया मामले में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ रही है.
ये ज़रूर पढ़ेंः अलग-अलग फांसी से HC का इनकार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं एक एडवोकेट हूं और मेरे लिए सभी केस बराबर हैं, लेकिन यह केस मीडिया के लिए टीआरपी का जरिया हो सकता है.’ हालांकि जब उनसे टीआरपी का फुलफॉर्म पूछा गया, तो वो अटक गए. इसके बाद एडवोकेट ए. पी. सिंह ने कहा कि इस केस की सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कोर्ट रूम मीडियाकर्मियों से फुल हो जाते हैं.
उन्होंने दावा किया कि देश के सांसदों को अपने क्षेत्र में होने वाली रेप की वारदातों की जानकारी नहीं है, लेकिन वो निर्भया पर जरूर बोलते हैं. इसकी वजह यह है कि यह मामला मीडिया की सुर्खियों में रहता है.
निर्भया की मां को अंगुली दिखाने के आरोप को किया खारिज
इस दौरान एडवोकेट ए. पी. सिंह ने निर्भया की मां के उस आरोप को भी सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोषियों के वकील ए. पी. सिंह ने अंगुली दिखाकर कहा है कि दोषियों को कभी फांसी नहीं होने दूंगा. यह फांसी अनंतकाल के लिए टल जाएगी. ए. पी. सिंह ने कहा, ‘कोर्ट में मीडिया के लोग भी मौजूद रहते हैं. भला मैं निर्भया की मां को कुछ क्यों कहूंगा?’
जब दोषियों से वकील से पूछा गया- क्या नींद आती है?
जब एडवोकेट सिंह से पूछा गया कि क्या निर्भया के दोषियों की तरफ से कोर्ट में दलील रखकर आने के बाद आपको नींद आती है, तो उन्होंने कहा कि यहां निर्दोष लोगों को हत्या करने वाले आतंकियों को वकील तक मुहैया कराया जाता है, तो निर्भया के दोषियों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने में क्या दिक्कत है? उन्होंने कहा कि अगर मान भी लिया जाए कि पवन, अक्षय और विनय ने अपराध किया भी है, तो भी उनको सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. वो आतंकवादियों की तरह आदतन अपराधी नहीं हैं. वो सात साल से जेल में हैं.
यह  भी पढ़ें: निर्भया केस: अलग-अलग फांसी से HC का इनकार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
इस दौरान एडवोकेट सिंह ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में दोषियों की फांसी की सजा को रोक चुका है. जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको सिर्फ निर्भया के दोषियों के मानवाधिकारों की चिंता है और निर्भया के मानवाधिकारों की चिंता नहीं हैं, तो उन्होंने कहा, ‘मुझको सभी के मानवाधिकारों की चिंता है. हालांकि न्याय सभी के लिए होना चाहिए. इसके बावजूद अगर कोई कहता है कि कानून में खामी है, तो इसको बदला क्यों नहीं जाता है?’
दोषियों के वकील ने कहा- मैं न ब्रह्मा हूं और न यमराज
एक सवाल के जवाब में निर्भया के दोषियों के वकील ए. पी. सिंह ने कहा, ‘यहां मैं न तो जन्म देने वाला ब्रह्मा हूं और न जीवन छीनने वाला यमराज हूं. मेरा काम है सिर्फ संवैधानिक तरीके से अपने मुवक्किल का बचाव करना है. मैं उनके लिए कानूनी लड़ाई लड़ता रहूंगा.’ उन्होंने कहा कि इस केस की कानूनी लड़ाई के लिए लोग तारीफ कर रहे हैं. हर पार्टी में अपराधी, भूमाफिया और बलात्कारी हैं. हमने कई नेताओं की जमानत कराई और उनकी कानूनी लड़ाई लड़ी. न्याय सबके लिए होना चाहिए. जब एडवोकेट ए. पी. सिंह से पूछा गया कि अगर निर्भया उनकी बेटी होती, तो क्या होता, तो उन्होंने कहा कि यह सवाल ही गलत है.
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तलाक,तलाक,तलाक और सिसक सहम गई मुमताज़
तीन तलाक कुबूल नहीं! कुबूल नही!कुबूल नही!-सुप्रीम कोर्ट
तलाक,तलाक,तलाक और सिसक सहम गई मुमताज़ आशीष रिछारीया
"मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सर्वोच्च मानता हूँ और अगर उन्हें ट्रिपल तलाक़ पर फैसला सुनाना पड़ा इसका मतलब कही न कही उनके पास शिकायतें भी गयी होगी जिसको ध्यान में रखकर ये पाँच सदस्यीय बैठक का चयन हुआ और वो जो भी फैसला लिए है सबके हित में होगा क्योंकि तलाक,तलाक,तलाक और तलाक हो गया ऐसा नही होता है आपको ह्यूमैनिटी ,कल्चर,सोसाइटी को दिमाग में रखना पड़ता है ये महिलाओं के साथ अनफेयर है और पुरुष भी इस पर फेयर नही है।"                                           -यतिन इंग्ले (असिस्टेंट प्रोफेसर)   संचार एवं पत्रिकारिता भवन                                                                                         मुम्बई यूनिवर्सि���ी                               
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 3-2 से खारिज़ किया तीन तलाक --बताया असंवैधानिक
पांच जजों की संवैधानिक बैंच के बीच तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले पर कानून बनाने के लिए कहा है। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस फली नरीमन, जस्टिस जोसेफ कुरियन ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कहा- इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है।  तीन तलाक के इस बड़े  मामले पर चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रक्रिया और भावनाओं से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे एकदम से खारिज नहीं किया जा सकता। खेहर ने कहा- केंद्र सरकार को इस पर कानून बनान��� चाहिए। खेहर ने कहा कि छह महीने तक के लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तीन तलाक पर तत्काल रोक लगाती है।
तलाक पर 'सुप्रीम' फैसले से लोगों में एक तरफ खुशी है वही दूसरी ओर कुछ लोग इसे पर्सनल लॉ में दखलंदाज़ी भी मान रहे है ।चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि तलाक ए बिद्दत अनुच्छेद 14,15,21 और 25 का उल्लंघन नहीं है। जस्टिस खेहर ने ये भी कहा कि तलाक-ए-बिद्दत सुन्नी सम्प्रदाय की 1400 साल पुरानी आंतरिक परम्परा है। जस्टिस नरीमन ने ट्रिपल तलाक पर फैसला सुनाते वक्त कहा कि 1934 एक्ट का हिस्सा है जिसे संवैधानिक कसौटी पर कसा जाना चाहिए।जस्टिस कुरियन ने कहा ट्रिपल तलाक इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है। इन मामलों में अनुच्छेद 25 का संरक्षण नहीं मिल पाता है।
तीन तलाक मामले में पाँच महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले अर्ज़ी डाली थी उसमें पहली है 
उत्तराखंड की शायरा बानो-उत्तराखंड की रहने वाली शायरा बानो ने मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह के प्रचलन को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी। शायरा बानों की कहानी त्रासदियों से भरी है। शायरा को उसके पति रिजवान ने तीन तलाक देकर घर से बेदखल कर दिया था। शायरा ने बताया कि उसका छह बार गर्भपात कराया गया। उसके दो बच्चे हैं जिन्हें पति ने अपने पास रख लिया। शायरा का कहना है कि वह अपने बच्चों को साथ रखना चाहती है। शायरा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन कानून,1936 की धारा-दो की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।
आफरीन रहमान जयपुर की रहने वाली आफरीन भी तीन तलाक का शिकार हुई उन महिलाओं में से हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आफरीन ने बताया कि इंदौर में रहने वाले उसके पति ने स्पीड पोस्ट के जरिए उसे तलाक का पत्र भेजा था। आफरीन ने बताया कि मेट्रीमोनियल साइट के जरिए उन लोगों का रिश्ता तय हुआ था। शादी के बाद उसे दहेज के लिए तंग किया जाने लगा। जब ससुराल वालों की मांग पूरी नहीं हुई तो स्पीड पोस्ट पर तलाक भेजकर उससे छुटकारा पा लिया गया।
इशरत जहां:पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली इशरत को उसके पति ने दुबई से फोन पर तलाक दे दिया था। इतना ही नहीं उसके पति ने चारों बच्चों को उससे छीन लिया। इसके बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे यूं ही बेसहारा छोड़ दिया। इशरत ने याचिका दायर कर तीन तलाक को असंवैधानिक और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है।
आतिया साबरी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली आतिया के पति ने साल 2016 में एक कागज पर तीन तलाक लिखकर उससे ��िश्ता तोड़ लिया था। साल 2012 में दोनों की शादी हुई थी। उनकी दो बेटियां हैं। आतिया का आरोप है कि दो बेटी होने से उसके पति और ससुर नाराज थे। ससुरालवाले आतिया को घर से निकालना चाहते थे। उसे जहर खिलाकर मारने की भी कोशिश की गई थी। 
गुलशन परवीन:उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वाली गुलशन को उसके पति ने नोएडा से दस रुपये के स्टांप पेपर पर लिखकर तलाकनामा भेज दिया था। पति नोएडा में काम करता था। गुलशन की शादी 2013 में हुई थी। गुलशना का आरोप है कि पति शुरू से ही उसे पसंद नहीं करता था, इसीलिए बिना किसी बात के तीन साल बाद अचानक स्टांप पेपर पर तीन तलाक लिखकर भेज दिया।उसका दो साल का बेटा है। इसके साथ देश की कई मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को उनके हक में कहा और सही बताया।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए कहा-"ये एक ऐतिहासिक फैसला है।इससे मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलेगा।यह नारी शशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है"- मोदी
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advocateravikashyap · 7 years ago
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Supreme Court Verdict on Triple Talaaq (ट्रिपल तलाक़ पर सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय)
Supreme Court Verdict on Triple Talaaq (ट्रिपल तलाक़ पर सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय)
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला- तीन तलाक को
तीन तलाक के महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ के तीन जजों ने इसे असंवैधानिक बताया है। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस फली नरीमन, जस्टिस जोसेफ कुरियन ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कहा- इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है। जबकि इससे पहले चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि तीन तलाक धार्मिक…
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bhaskarhindinews · 6 years ago
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Supreme court decides on Babri mosque and Ramamandir dispute
जन्मभूमि विवाद LIVE: मध्यस्थता से सुलझेगा अयोध्या विवाद, तीन मध्यस्थ के नाम तय
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NEWS HIGHLIGHTS
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए निकाला जाए
रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह की अगुवाई में तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी गठित की गई है
अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए निकाला जाए। इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह की अगुवाई में तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी गठित की गई है। इसमें श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू शामिल हैं। ये तीनों मध्यस्थ फैजाबाद के एक बंद कमरे में अयोध्या विवाद का बातचीत से हाल निकालेंगे।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says mediation proceedings should be held on-camera. Mediation process will be held in Faizabad. It will be headed by Justice FM Kaliifullah and also comprise Sri Sri Ravi Shankar and senior advocate Sriram Panchu.
हालांकि निर्मोही अखाड़े के महंत सीताराम दास ने कहा कि हमने श्रीश्री रविशंकर पर आपत्ति जताई है, क्योंकि हम किसी राजनीतिक व्यक्ति को मध्यस्थता कमेटी में नहीं चाहते हैं। हम केवल एक कानूनी समाधान चाहते हैं। महंत सीताराम दास ने भी कहा, हमें मध्यस्थतों की पैनल में श्रीश्री रविशंकर का नाम नहीं चाहिए। वे इस मामले में पहले भी नकाम साबित हो चुके हैं। इस मामले में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि बातचीत से हल हो जाए तो बेहतर है. हम मामले में फैसला चाहते हैं। हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमें नहीं लगता कि मध्यस्थता के माध्यम से इस मामले का हल किया जा सकता है, लेकिन चूंकि माननीय अदालत ने एक प्रक्रिया रखी है। हम इंतजार करेंगे और देखेंगे।
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Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says mediation process has to start within four weeks and to be completed within eight weeks.
जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा, अयोध्या जन्मभूमि का हल मध्यस्थता की प्रक्रिया से निकाला जाना चाहिए। ये काम एक हफ्ते भीतर शुरू होना चाहिए। आठ हफ्तों में ये प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। इसके बाद कमेटी को अपनी रिपोर्ट फाइल कोर्ट को सौंपना होगी। कोर्ट ने कहा, इस दौरान किसी भी प्रकार की मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case in Supreme Court: CJI Ranjan Gogoi says, "Court monitored mediation proceedings will be confidential."
कोर्ट के फैसले से पहले हिंदू महासभा मध्यस्थता का विरोध कर रहा था। हालांकि, उसकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता के लिए नाम दिए गए थे। इनमें पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा, पूर्व सीजेआई जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक शामिल थे। वहीं, निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ, एके पटनायक और जीएस सिंघवी का नाम दिया है। मुस्लिम पक्षकारों ने भी कोर्ट को नाम दिया था, लेकिन इसका खुलासा नहीं किया है।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says mediation process has to start within four weeks and to be completed within eight weeks.
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court says, mediators can co-opt more on the panel if necessary. Uttar Pradesh government to provide mediators all the facilities in Faizabad. Mediators can seek further legal assistance as and when required.
इसके साथ ही कोर्ट ने फैजाबाद में ही मध्यस्थता को लेकर बातचीत करने के निर्देश दिए हैं। जब तक बातचीत का सिलसिला चलेगा, पूरी बातचीत गोपनीय रखी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पैनल में शामिल लोग या संबंधित पक्ष कोई जानकारी नहीं देंगे। इसको लेकर मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मध्यस्थों को लगता है कि इस पैनल में कुछ लोगों को शामिल किया जाए, तो वह शामिल कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार, फैजाबाद में मध्यस्थों को सभी सुविधाएं प्रदान करेगी। मध्यस्थ आवश्यकतानुसार और अधिक कानूनी सहायता ले सकते हैं। Source: Bhaskarhindi.com
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cnnworldnewsindia · 7 years ago
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न्यायिक अनुशासन (Judicial discipline) के फेर में फंसी सुप्रीम कोर्ट की पीठें
न्यायिक अनुशासन (Judicial discipline) के फेर में फंसी सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की पीठें
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में अभी पुराने विवाद का तूफान थमा नहीं था कि एक नये विवाद ने करवट लेना शुरू कर दिया है। पहले न्यायिक सुचिता का सवाल उठा था, अब न्यायिक अनुशासन के सवाल पर सर्वोच्च अदालत की पीठें आमने-सामने हैं। गत बुधवार को तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने समान क्षमता वाली पीठ का फैसला रद किये जाने को न्यायिक अनुशासन की अनदेखी बताते हुए सवाल उठाया था। साथ ही मामला बड़ी पीठ को भेजने पर विचार का मन बनाते हुए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की पीठ��ं से आग्रह किया था कि वे फिलहाल भूमि अधिग्रहण के मामलों की सुनवाई टाल दें। लेकिन गुरुवार को जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस अमिताव राय की पीठ ने न्यायिक अनुशासन के विवाद से जुड़ा पूरा प्रकरण मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया। इस प्रकरण की खास बात यह भी है कि न्यायिक अनुशासन के फेर में आयी पीठों के न्यायाधीशों में वे न्यायाधीश भी शामिल हैं जो पिछले विवाद के केंद्र में थे। जिन पीठों के फैसले और आदेश विचार के घेरे में आये हैं, उनमें जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस कुरियन जोसेफ व जस्टिस अरुण मिश्र शामिल थे।
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Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/02/judicial-discipline.html
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jainyupdates · 5 years ago
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निर्भया केसः पूर्व जस्टिस ने दोषियों की फांसी पर उठाए सवाल, पूछा- क्या इससे रुक जाएंगे अपराध?
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली, Updated Thu, 19 Mar 2020 10:21 AM IST
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने निर्भया के दोषियों की फांसी पर सवाल उठाते हुए कहा, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को फांसी पर लटकाने के बाद क्या ऐसे घृणित अपराध रुक जाएंगे? उन्होंने यह सवाल पूछते हुए एक केस का भी हवाला दिया है, जानिए कौन सा है वो केस और उन्होंने क्या-क्या कहा….
अगली…
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iloudlyclearbouquetworld · 5 years ago
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Justice will not bring by hanging Nirbhaya convicts former judge Kurian Joseph - निर्भया के दोषियों को फांसी देने से न्याय नहीं मिलने वाला: पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ
Justice will not bring by hanging Nirbhaya convicts former judge Kurian Joseph – निर्भया के दोषियों को फांसी देने से न्याय नहीं मिलने वाला: पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ
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नई दिल्ली:
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चारों दोषियों को फांसी की सजा देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज कुरियन जोसेफ ने कहा कि दोषियों को फांसी दे देने से निर्भया के माता-पिता को न्याय नहीं मिलेगा. जस्टिस कुरियन जोसेफ का बयान ऐसे समय आया है जब 2 दिन बाद निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दी जानी है. रिटायर्ड जज ने कहा ��ि क्या दोषियों को फांसी देने से सामूहिक दुष्कर्म…
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news4views · 5 years ago
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गोगोई का राज्यसभा नामांकन / सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जोसेफ ने कहा- हैरान हूं! जिन्होंने कभी साहस दिखाया, उन्होंने ही न्यायपालिका की आजादी से समझौता कर लिया
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को# ने राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया
इस कदम से हैरान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के जोसेफ ने कहा- देश के सामने बड़ा खतरा
नई दिल्ली. पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई के राज्यसभा में नामांकन पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि वे हैरान हैं कि जिस सीजेआई ने कभी न्यायपालिका की निष्पक्षता और आजादी के लिए ऐसा साहस दिखाया था,…
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vartha24-blog · 5 years ago
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सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जजों ने किया दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा, दिल्ली हिंसा को बताया 'व्यवस्था की नाकामी'
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जजों ने किया दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा, दिल्ली हिंसा को बताया ‘व्यवस्था की नाकामी’
सुप्रीम कोर्ट के तीन रिटायर जज जस्टिस एके पटनायक, जस्टिस विक्रमजीत सेन और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने दंगा प्रभावित उत्तर पूर्वी दिल्ली के शिव विहार इलाके का दौरा किया।
जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि स्थिति भयावह है. यह सब किसने किया है फिलहाल हम इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हम जमीनी सच्चाई देखना चाहते थे इसलिए यहां का दौरा करने आए हैं, पर…
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nayasaveraweb · 6 years ago
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#जब से #रंजन #गोगोई #चीफ #जस्टिस बनें, #अदालत के #कामकाज में है #सुधार: #पूर्व #जस्टिस #जोसेफ #सेवानिवृत्त #न्यायमूर्ति #कुरियन #जोसेफ ने सोमवार को एक #सनसनीखेज दावा किया है. उन्होंने कहा है कि #पूर्ववर्ती #प्रधान http://www.nayasavera.net/देश-विदेश/जब-से-रंजन-गोगोई-चीफ-जस्टि/ https://www.instagram.com/p/Bq9Uv0WggBW/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1ong172oxfliq
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knockingnews-blog · 6 years ago
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रिटायर्ड जस्टिस कुरियन ने कहा- रिमोट कंट्रोल से चल रहे थे पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा
रिटायर्ड जस्टिस कुरियन ने कहा- रिमोट कंट्रोल से चल रहे थे पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा #justice
उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज कुरियन जोसेफ का कहना है कि उन्होंने तीन जजों के साथ 12 जनवरी को प्रेस कांफ्रेस इसलिए की क्योंकि उन्हें लगा कि उस समय के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को कोई बाहर से नियंत्रित कर रहा था और वह राजनीतिक पूर्वाग्रह के साथ न्यायाधीशों को मामले आवंटित कर रहे थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में न्यायमूर्ति जोसेफ ने बताया कि आखिर क्यों उन्हें तीन वरिष्ठ जजों-…
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thedailygraph-blog · 6 years ago
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रिमोट कंट्रोल से चल रहे थे पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा -रिटायर्ड जस्टिस कुरियन
रिमोट कंट्रोल से चल रहे थे पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा -रिटायर्ड जस्टिस कुरियन
मोदी की एक और तानाशाही का मामला उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज कुरियन जोसेफ के बयान से सामने आया है उन का कहना है कि उन्होंने तीन जजों के साथ 12 जनवरी को प्रेस कांफ्रेस इसलिए की क्योंकि उन्हें लगा कि उस समय के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को कोई बाहर से नियंत्रित कर रहा था और वह राजनीतिक पूर्वाग्रह के साथ न्यायाधीशों को मामलें आवंटित कर रहे थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में न्यायमूर्ति…
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