#किस-किस को मिले भगवान
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मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान। Musalman nhi Samjhe Gyan Quran Audiobook ...
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दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी को जलन का असाध्य रोग था जो कहीं ठीक नहीं हो रहा था। सिकंदर राजा का जलन का रोग भी कबीर साहेब के केवल दर्शन मात्र से ही ठीक हो गया था।
कबीर दर्शन दीन्हा जबै, तपन भई सब दूर।
शाह कहा तुम साँच हो, औ अल्लाहका नूर।।
God Kabir Prakat Diwas 22June
#saintrampalji#india#कबीर भगवान के चमत्कारgod kabir prakat diwas#sanatandharma#किस किस को मिले भगवान22 june god kabir prakat diwas
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#किस_किस_को_मिले_भगवान
#KabirisGod
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कबीर साहेब जी अब्राहिम अधम सुलतान बल्ख बुखारा के राजा को मिले और सार शब्द का उपदेश कराया। प्रमाण कबीर सागर के सुल्तान बोध पृष्ठ 62 में हे।
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शेखतकी ने कबीर परमेश्वर को जान से मारने के लिए गंगा नदी के बीच में ले जाकर उनके हाथ पैरों को जंजीर से बांध कर शरीर पर बड़े बड़े पत्थर बांध कर नदी में डूबो दिया। लेकिन कबीर परमेश्वर नहीं डूबे। गंगा नदी में ऐसे बैठे रहे जैसे पृथ्वी पर बैठे हों।
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#किस किस को मिले भगवान22 june god kabir prakat diwas#kabir prakat diwas#अविनाशी परमात्मा कबीर#kabir is real god#कबीर भगवान के चमत्कारgod kabir prakat diwas
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परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में श्री नानक जी को मिले
उन्होंने कबीर परमेश्वर जी की महिमा इस प्रकार लिखी है।
गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
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कबीर परमेश्वर हजरत मुहम्मद जी को मिले थे।
कबीर साहेब हजरत मुहम्मद जी को सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों की स्थिति से परिचय करवाया। किन्तु हज़रत मुहम्मद जी ने मान-बड़ाई के कारण कबीर साहेब का ज्ञान स्वीकार नहीं किया था।
कबीर साहेब ने कहा है-
हम मुहम्मद को सतलोक ले गया, इच्छा रूप वहाँ नहीं रहयो।।
उलट मुहम्मद महल पठाया, गुज बीरज एक कलमा लाया ।।
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600 साल पहले कबीर परमात्मा विक्रमी संवत् 1455 (1398 ई.) ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी के दिन काशी शहर में लहरतारा तालाब में अवतरित हुये। और काशी के नीरू नीमा नामक नि:सन्तान दंपती को मिले।
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#किस किस को भगवान मिले#सूरत फुरकानि-25 (कुरआन शरीफ से हिंदी)आयत नं. 53 से 59 तक उसी कबीर अल्लाह की महिमा (पाकी) ब्यान की गई है।
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नानकदेव जी को कबीर साहेब सुल्तानपुर (वर्तमान पाकिस्तान) में बेई नदी पर जिंदा महात्मा के वेश में आकर मिले थे। उन्हें सचखंड यानी सत्यलोक के दर्शन कराए थे उन्होंने कबीर साहेब की महिमा गाते हुए कहा है :-
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।
(गुरु ग्रन्थ साहिब राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29)
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आदरणीय
संत गरीबदास जी महाराज को सन् १७२७ में १० वर्ष की आयु में गांव छुड़नी के नला नामक स्थान पर कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के वेश में मिले।
तत्वज्ञान से परिचित कराकर सतलोक दर्शन करवाकर साक्षी बनाया।
अजब नगर में ले गए, हमको सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।। अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर है
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त्रेता युग में हनुमान जी को मिले कबीर परमात्मा
श्री रामचंद्र द्वारा रावण वध के बाद माता सीता की अयोध्या वापसी पर जब एक घटनाक्रम के दौरान माता सीता जी ने हनुमान जी का अपमान किया तो हनुमान जी वापिस जंगल में चले गए। तब दुखी हनुमान जी को मुनिंदर रूप में आए परमात्मा कबीर जी ने मोक्ष की राह दिखाई और असली राम की जानकारी दी।
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किस_किस_को_मिले_भगवान
आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज को सन् 1727 में 10 वर्ष की आयु में गांव छुड़ानी के नला नामक स्थान पर कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। तत्वज्ञान से परिचित कराकर सतलोक दर्शन करवाकर साक्षी बनाया।
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22 June God Kabir Prakat Diwas
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आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज को सन् 1727 में 10 वर्ष की आयु में गांव छुड़ानी के नला नामक स्थान पर कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। तत्वज्ञान से परिचित कराकर सतलोक दर्शन करवाकर साक्षी बनाया।
अजब नगर में ले गए, हमको सतगुरु आन।
झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।।
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं कुल के सिरजन हार।। 🙏🏻
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