#किस समय खाएं अलसी
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vilaspatelvlogs · 4 years ago
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यह लोग 1 चम्मच अलसी का रोज ऐसे करें सेवन, मिलेंगे गजब के फायदे...
यह लोग 1 चम्मच अलसी का रोज ऐसे करें सेवन, मिलेंगे गजब के फायदे…
नई दिल्ली: आज हम आपके लिए लेकर आए हैं अलसी के बीज (flax seeds) के फायदे. इनका नियमित सेवन करके आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. जो लोग मोटापे से परेशान हैं उनके लिए अलसी बेहद लाभकारी हो सकती है, क्योंकि वजन घटाने में अलसी महत्वपूर्ण रोल अदा करती है. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि अलसी के छोटे-छोटे बीजों (flax seeds) में सेहत का खजाना छिपा हुआ है. इसका सेवन आपको कई स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से…
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kisansatta · 5 years ago
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दवाइयों से नहीं आप चाहें तो सही खानपान से भी कंट्रोल कर सकते हैं थायरॉइड, डाइट में इन चीजों को करें शामिल
आज के वक्त में थायरॉयड (Thyroid) की समस्या आम हो गई है। सिर्फ बड़े बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चों को भी थायरॉयड जैसी बीमारी घेर रही है। कई लोग थायराइड बीमारी से पीड़ित हैं। थायराइड में वजन बढ़ने के साथ हार्मोन असंतुलन भी हो जाते हैं। थायरॉइड गले में पाई जाने वाली एक तरह की ग्रंथि है। ये ग्रंथि तितली के आकार के होती है और गले के सामने वाले हिस्से, स्वरयंत्र (vocal cord) के नीचे की ओर पाई जाती है। जो मेटाबॉलिज्म (Metabolism) नियंत्रित करती है।थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। ड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। ��्‍योंकि इसका लक्षण एक साथ नही दिखता है। अगर समय रहते ��सका इलाज नहीं किया जाएं तो इससे मरीज की जान जाने का खतरा भी रहता है।
यह ग्रंथि दिखने में तो बहुत छोटी है लेकिन, हमारे शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में इसका बड़ा हाथ होता है। थाइराइड एक प्रकार की इंडोक्राइन ग्रंथि है, जो कुछ हार्मोन के स्राव के लिए जिम्‍मेदार होती है। यदि थाइराइड ग्रंथि अच्‍छे से काम करना बंद कर दे तो शरीर में कई समस्‍याएं होने लगती है। शरीर से हार्मोन का स्राव प्रभावित हो जाता है। लेकिन यदि थायराइड ग्रंथि कम या अधिक सक्रिय हो तब भी हमारे शरीर को ये प्रभावित करती है। ऐसे में थाइराइड के रोगी को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वो अपनी डाइट में पौष्टिक आहार शामिल करके और दैनिक दिनचर्या में बदलाव करके, खुद ही थाइराइड की समस्‍या से उबर सकते है। रोजाना एक्‍सरसाइज और डाइट में बदलाव लाके थाइराइड से निजात पाया जा सकता है।आइए जानते है कि किस तरह आप थाइराइड को लाइफस्‍टाइल में बदलाव लाकर खत्‍म कर सकते है।
भारतीय भोजन में हल्दी का इस्तेमाल खूब किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन करने से थायरॉयड कम हो सकता है। रोजाना एक चम्मच भुनी हुई हल्दी पाउडर तो गुनगुने पानी के साथ लें। आप चाहे तो हल्दी वाला दूध भी डायट में शामिल कर सकते हैं।
रोगी को उन पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिसमें आयोडीन की भरपूर मात्रा हो क्‍योंकि इसकी मात्रा थायरॉइड फंक्शन को प्रभावित करती है। सी फूड खासकर मछलियों में आयोडीन की मात्रा भरपूर होती है इसलिए इन्हें डाइट में शामिल करना न भूलें।
कॉपर और आ���रन युक्‍त आहार लें क्योंकि यह भी थायरॉइड फंक्‍शन को प्रभावित करते हैं। कॉपर की सबसे ज्‍यादा मात्रा काजू, बादाम और सूरजमुखी का बीज में होती है और हरे पत्‍तेदार सब्जियों में आयरन भरपूर मात्रा में होता है।
रोजाना सुबह एक गिलास खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायरॉयड का खतरा टल सकता है। सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीते वक्त ध्यान रहे कि इसके बाद आधे घंटे तक कुछ भी खाएं और पिएं नहीं।
जब बात दिमाग को तेज करने की आती है तो अक्सर बादाम और अखरोट खाने की सलाह दी जाती है। थायरॉयड से बचाव के लिए रात को 4 से 5 अखरोट और बादाम पानी में भिगो लें। सुबह इन्हें खा लें। अखरोट और बादाम में मौजूद सेलेनियम थायरॉयड फंक्शन बेहतर बनाने का काम करता है।
विटामिन और मिनरल्‍स युक्‍त चीजों को डाइट ��ा हिस्सा बनाएं। यह थायरॉइड की अनियमितता में फायदेमंद होता है। पनीर, हरी मिर्च, टमाटर, प्‍याज, लहसुन, मशरूम में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और लवण पाए जाते हैं।
कम वसा युक्‍त आहार का सेवन करें। इसके साथ ही गाय का दूध भी थायरॉइड के रोगी के लिए फायदेमंद होता है। खाना बनाने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद रहेगा।
बीन्स कई बीमारियों से लड़ने में फायदेमंद मानी जाती हैं। बीन्स फाइबर, प्रोटीन, आवश्यक खनिज और विटामिन से भरपूर होती हैं।
अलसी का बीज अच्छे फैटी एसिड से भरपूर होते हैं जो दिल और थायरायड के लिए अच्छे होते हैं। मैग्नीशियम और विटामिन बी 12 से भरपूर, अलसी का बीज हाइपोथायरायडिज्म से लड़ने में मददगार हो सकते हैं।
https://kisansatta.com/if-you-do-not-want-medicines-then-you-can-also-control-your-thyroid-diet-and-include-these-things-in-the-diet/ #DietAndIncludeTheseThingsInTheDiet, #EatALowFatDiet, #IfYouDoNotWantMedicines, #ThenYouCanAlsoControlYourThyroid diet and include these things in the diet., Eat a low fat diet., If you do not want medicines, then you can also control your thyroid Life, Trending #Life, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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worldstopnews · 5 years ago
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Health News In Hindi : Take care of nutrition along with spiritual practice in Navratri | नवरात्र व्रत में स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें, आहार में सूप, फल, सूखे मेवे, अलसी, कद्दू जैसी हेल्दी चीजें शामिल करें
Health News In Hindi : Take care of nutrition along with spiritual practice in Navratri | नवरात्र व्रत में स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें, आहार में सूप, फल, सूखे मेवे, अलसी, कद्दू जैसी हेल्दी चीजें शामिल करें
हेल्थ डेस्क. नवरात्र में कई लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं। कुछ व्रती एक समय फलाहार लेते हैं तो कुछ बिना फलाहार लिए पूरे नौ दिन का व्रत रखने का संकल्प लेते हैं। व्रत निभाने के लिए शरीर में ऊर्जा होना भी जरूरी है। इसके लिए हम कुछ आहार सुझाव लेकर आए हैं। परहेज कैसे करना है, यह तो व्रती को मालूम होता है, लेकिन इस बात का भी पूरा ध्यान रहे कि आहार में क्या-क्या शामिल करना है। किस समय, क्या खाएं कि भक्ति…
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi
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क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi
क्या कीटो डाइट आसानी से वजन घटाने में मदद करती है? – Keto Diet in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 30, 2019
आजकल लोग वजन घटाने या खुद को फिट रखने के लिए कई तरीके आजमाते हैं। कोई जिम जाता है, कोई योग करता है, तो कोई डाइट पर ध्यान देता है। लगभग हर व्यक्ति खुद को स्वस्थ रखने के लिए अपने आहार पर ध्यान देता है। अगर डाइट प्लान की बात करें, तो अभी के जमाने में कई तरह की डाइटिंग चलन में हैं। उन्हीं में से एक है कीटो डाइट, जिसे कीटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कीटो डाइट संबंधी सभी जरूरी जानकारी जैसे – कीटो डाइट प्लान क्या है, कीटो डाइट चार्ट में कौन सी चीजें हो सकती है, कीटो डाइट के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं आदि के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं अगर कीटो डाइट के नुकसान हैं, तो हम उस बारे में भी बात करेंगे। इसलिए, कीटो डाइट प्लान से संबंधित सभी जानकारियों के लिए इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
सबसे पहले जानते हैं कि कीटो डाइट क्या है।
विषय सूची
कीटो डाइट प्लान क्या है? – What Is Keto Diet In Hindi
कीटोजेनिक आहार में लोग प्रतिदिन कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, एक मध्यम मात्रा में प्रोटीन और उच्च मात्रा में वसायुक्त आहार का सेवन करते हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर एनर्जी के लिए फैट को अधिक बर्न करता है। फिर केटोसिस नामक एक प्रक्रिया में इसे ‘कीटोन बॉडीज’ या कीटोन में तोड़ता है। कीटोजेनिक आहार में लोग आमतौर पर प्रतिदिन केवल 20 से 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाते हैं। उदाहरण के रूप में ब्रेड के 2 स्लाइस और एक केले का सेवन मतलब 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेना है (1)।
कीटोजेनिक डाइट 4 प्रकार के होते हैं (2): 
स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (Standard ketogenic diet-SKD)- इसमें कम कार्बोहाइड्रेट, मध्यम मात्रा में प्रोटीन और उच्च मात्रा में फैट लिया जाता है। इसमें आमतौर पर 70 प्रतिशत वसा, 20 प्रतिशत प्रोटीन और केवल 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट लिया जाता है।
साइक्लिकल कीटोजेनिक डाइट (Cyclical ketogenic diet-CKD) – इसमें कीटोजेनिक डाइट साइकिल के बीच उच्च कार्बोहाइड्रेट का सेवन भी शामिल है। उदाहरण के लिए हफ्ते में 5 दिन कीटोजेनिक डाइट और दो दिन उच्च कार्बोहाइड्रेट डाइट।
टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (Targeted ketogenic diet -TKD)- इसमें एक्सरसाइज के साथ-साथ अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट का सेवन किया जा सकता है।
हाई प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (High-protein ketogenic diet-HPKD)- इसमें प्रोटीन का सेवन अधिक किया जाता है। लगभग 60 प्रतिशत फैट, 35 प्रतिशत प्रोटीन और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट शामिल हैं। इसके बावजूद यह अधिक फैट वाली डाइट है।
नोट : स्टैंडर्ड कीटोजेनिक डाइट (SKD) और हाई प्रोटीन कीटोजेनिक डाइट (HPKD) का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। साइक्लिकल कीटोजेनिक डाइट (CKD) और टार्गेटेड कीटोजेनिक डाइट (TKD) हाल ही में चर्चा में आई हैं। इन्हें ज्यादातर बॉडीबिल्डर या फिर एथलीट अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं।
अब बारी आती है कीटो डाइट के फायदे जानने की।
कीटो डाइट प्लान के फायदे – Keto Diet Benefits In Hindi
लेख के इस भाग में हम कीटो डाइट के फायदे के बारे में जानकारी दे रहे हैं। नीचे पढ़ें कीटो डाइट प्लान के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं (1) (2) (3) (4)।
वजन कम करने में मददगार हो सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए लाभकारी हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने में सहायक हो सकती है।
कैंसर के जोखिम को कम करने या कैंसर के उपचार के लिए लाभकारी हो सकती है।
अल्जाइमर से बचाव के लिए मददगार हो सकती है।
मिर्गी के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकती है।
लेख के आगे के भाग में जानिए कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए कीटो डाइट प्लान।
4 हफ्ते का नमूना कीटो डाइट प्लान – Sample Keto Diet Plan in Hindi 
ध्यान रहे कि यहां कीटो डाइट चार्ट को एक नमूने के तौर पर तैयार किया गया है। इसमें मौजूद सामग्रियों व उसकी मात्रा में आहार विशेषज्ञ की सलाह और व्यक्ति के उम्र, जरूरत व स्वास्थ्य के अनुसार बदलाव किया जा सकता है। हर व्यक्ति का शरीर और खाने की पसंद एक जैसी नहीं होती है, इसलिए इन कीटो डाइट चार्ट में बदलाव संभव है।
पहला सप्ताह:
समय डाइट सुबह 7 बजे ●     गर्म या गुनगुने पानी के साथ नींबू
या फिर
●     गर्म या गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला चूर्ण
नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 उबला अंडा + केल स्मूदी
या फिर
●     नारियल का दूध, चिया हलवा या पुडिंग थोड़े से नारियल और अखरोट के साथ
या फिर
●     बादाम दूध, हरी सब्जियां, बादाम मक्खन के साथ बनाई गई स्मूदी
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     सब्जियों का सूप
या फिर
●     मशरूम और सलाद पत्तों का सलाद उच्च वसा के ड्रेसिंग के साथ
या फिर
●     हाई फैट ड्रेसिंग के साथ चिकन, गाजर, शिमला मिर्च और हरी बीन्स की सलाद
दोपहर के भोजन के बाद 2:30 बजे ●     1 कप ग्रीक योगर्ट और 2 बादाम शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●      1 कप ग्रीन टी में थोड़ा नींबू का रस रात का खाना 7:30 बजे ●     झींगा और जूड्ल्स (एक प्रकार का नूडल्स)
या फिर
●     एवोकैडो और उबली हुई ब्रोकली साथ में थोड़ा ओलिव ऑयल
या फिर
●     मशरूम और क्रीम सूप
कैसे लाभकारी हो सकती है?
कीटो डाइट प्लान के पहले हफ्ते में वजन में ज्यादा कमी हो सकती है, क्योंकि कम कार्ब वाला आहार खाने से शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर निकल जाता है। इतना ही नहीं लिवर से अतिरिक्त सोडियम भी निकलता है। इससे तेजी से वजन कम होने में मदद मिल सकती है। शरीर में उत्पादित अतिरिक्त कीटोन्स जमा नहीं होते हैं, बल्कि मूत्र के जरिए बाहर निकल जाते हैं। चयापचय को बढ़ावा देने और फैट को बर्न करने के लिए हर रोज खूब सारा प्रोटीन युक्त और अच्छे फैट वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें। पूरे दिन में 6 मील लें। जैसे कि इस डाइट में कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है। शरीर को पोषण देने के लिए आहार में हरी सब्जियां, फल और नट्स को शामिल किया जा सकता है। एक हफ्ते के लिए तैयार किए गए इस कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस से शरीर को ऊर्जा मिल सकती है।
दूसरा सप्ताह:
समय  डाइट प्रातः सुबह 7 बजे गुनगुने या गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेब का सिरका नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     गुनगुने या गर्म पानी के साथ एक चम्मच सेब का सिरका
या फिर
●     कार्बनिक मेपल सिरप के साथ 1 कप हर्बल टी + 1 क्रीम चीज़ पैनकेक
या फिर
●     एक पूरा उबला हुआ अंडा और एक गिलास दूध या सोया दूध
या फिर
●     1 कप बुलेटप्रूफ कॉफी + क्रिस्पी फूलगोभी के पकौड़े
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     एवोकैडो और टमाटर के साथ सलाद पत्तों का टैको (मकई या गेहूं से बनी एक प्रकार की रोटी, जिसमें वेज या नॉन-वेज की फिलिंग हो सकती है)
या फिर
●     भूना हुआ चिकन और सब्जियां
या फिर
●     ब्रोकली और हरी बीन्स के साथ ग्रील्ड चिकन के साथ अच्छा उच्च फैट सॉस
दोपहर के भोजन के बाद 2:30 बजे ●     1 छोटी कटोरी फ्लेवर्ड दही शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●     2 अलसी की कूकीज + 1 कप मसालेदार चाय या हर्बल टी रात का खाना 7:30 बजे ●     ��ाजर और हरी सब्जियों के साथ ग्रील्ड मछली
या फिर
●     ताजा क्रीम के साथ बटरनट (अखरोट) स्क्वैश सूप
●     लौकी और फूलगोभी के साथ दाल का सूप
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
पहले हफ्ते की तरह ही दूसरे हफ्ते में भी 6 मील खाने की आवश्यकता है। साथ ही दिन में दो बार हर्बल टी का सेवन करें। ध्यान रहे कि सही मात्रा में प्रोटीन का भी सेवन किया जाना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट की न्यूनतम मात्रा भी आवश्यक है, इसलिए सब्जियों का सेवन भी सही तरीके से करना जरूरी है। हर्बल टी के बजाय बुलेटप्रूफ कॉफी (मक्खन वाली कॉफी) भी ली जा सकती है। सामान्य ब्लैक कॉफी में मक्खन, नारियल तेल और क्रीम को मिलाकर बुलेटप्रूफ कॉफी बनाई जाती है। इससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त हो सकती है।
तीसरा सप्ताह:
प्रातः सुबह 7 बजे ●     नींबू और आर्गेनिक शहद के 1 बड़े चम्मच के साथ गर्म या गुनगुना पानी नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 कप ग्रीन टी + 1 उबला अंडा + पालक की स्मूदी
या फिर
●     1 मध्यम कटोरे में क्विनोआ घी में पकाई गई सब्जियां
दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     2 बादाम या 1 कप ग्रीक योगर्ट शाम के स्नैक्स 5:00 बजे ●     1 कप ग्रीन टी रात का खाना 7 बजे ●     ग्रील्ड चिकन सलाद अच्छी उच्च वसा ड्रेसिंग के साथ
●     सोया चंक रैप (गेहूं के फ्लैट ब्रेड का उपयोग करें)
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
तीसरा हफ्ता पहले दो हफ्ते के ही समान होता है, लेकिन सेवन की जाने वाली कैलोरी की संख्या के आधार पर यह काफी अलग होता है। इस हफ्ते में दोपहर के खाने के बाद छोटे मील को हटाया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शरीर भारी नाश्ते से मिली ऊर्जा का उपयोग करे और खाने को पचने में भी आसानी हो। इसके बाद प्रोटीन युक्त डिनर से शरीर को फिर से एनर्जी मिल सकती है।
चौथा सप्ताह:
प्रातः सुबह 7 बजे ●     नींबू पानी के साथ अलसी बीज का चूर्ण नाश्ता सुबह 8:30 बजे ●     1 कप ग्रीन टी या ब्लैक कॉफी दोपहर का भोजन 12:30 बजे ●     1 सेब या 1 गिलास छाछ रात का खाना 7 बजे ●     चिकन सूप + फ्रूट कस्टर्ड
या फिर
●     पालक, लहसुन, खट्टा क्रीम और पारमेसन चीज़ + फ्लेवर्ड दही के साथ मसली हुई गोभी
या फिर
●     स्मोक्ड चिकन + हरी सब्जियां + 1 मध्यम आकार की चॉकलेट ब्राउनी
कैसे फायदेमंद हो सकती है?
कीटो डाइट प्लान के चौथे सप्ताह में हाई फैट, उच्च प्रोटीन और कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थ खाने की आवश्यकता होती है। इस हफ्ते में काफी हद तक वजन कम हो सकता है, क्योंकि किटोसिस फैट को बर्न करने में मदद कर सकता है। यह वह सप्ताह है, जब कीटो डाइट प्लान के साथ नियमित व्यायाम करने वालों को सबसे अधिक फायदा हो सकता है।
ये तो थे हफ्ते के अनुसार कीटो डाइट चार्ट के नमूने। अब बारी आती है यह जानने की कि कीटो डाइट में और क्‍या-क्या खा सकते हैं।
कीटो डाइट में क्‍या खाएं – Foods to Eat on the Keto Diet In Hindi
नीचे हम कीटो डाइट प्लान में खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों की सूची शेयर कर रहे हैं (2) (5) (6)।
हरी सब्जियां जैसे – पालक, खीरा, ब्र���कली, स्प्राउट्स, शिमला मिर्च, मशरूम, गोभी
चिकन
साबुत अनाज
नट्स जैसे – बादाम, अखरोट
बीज
जैतून का तेल
तरह-तरह के फल
खूब सारा पानी
लेख के अगले भाग में जानिए कि कीटो डाइट प्लान में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
कीटो डाइट में क्‍या न खाएं – Foods to Avoid on the Keto Diet In Hindi
कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें (7)।
शराब का सेवन न करें।
सॉफ्ट ड्रिंक या सोडायुक्त पेय पदार्थों से दूर रहें।
तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
बाहर का खाना या जंक फूड का सेवन न करें।
ज्यादा मसाले वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
ज्यादा सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
प्रोसेस्ड मीट का सेवन न करें।
नोट : अगर कीटो डाइट चार्ट में मौजूद किसी खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति को एलर्जी है, तो उसका सेवन न करें। कीटो डाइट प्लान के बारे में आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। कीटो डाइट प्लान की कई चीजें व्यक्ति के उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। इसलिए, बेहतर है कि कीटो डाइट प्लान शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
लेख के आगे के भाग में जानिए कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के लिए किस तरह की एक्सरसाइज और योग फायदेमंद हो सकते हैं।
वजन घटाने के लिए कीटो डाइट के साथ कुछ व्यायाम और योगासन
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस में अगर व्यायाम या योग को शामिल कर लिया जाए, तो उसका प्रभाव और जल्दी दिख सकता है। साथ ही इन्हें सही प्रकार से करना भी जरूरी है। व्यायाम या योग न सिर्फ मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं, बल्कि अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचाव करने में मदद कर सकते हैं (8) (9) (10) (11) (12)।
नीचे हम चार हफ्तों में किए जाने वाले कुछ आसान व्यायाम व योग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। पहले तीन हफ्ते मुश्किल व्यायाम किए जा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि चौथे सप्ताह में हल्के-फुल्के स्ट्रेचिंग योगासन का सहारा लें, क्योंकि चौथे सप्ताह में व्यक्ति लिक्विड डाइट पर रहता है।
पहला हफ्ता – वॉर्मअप + जॉगिंग + रनिंग + जंपिंग जैक + रस्सी कूदना
दूसरा हफ्ता – वॉर्मअप + रस्सी कूदना + स्क्वाट + पुश अप + एरोबिक्स
तीसरा हफ्ता – वॉर्मअप + सीढ़ी चढ़ना + पुश अप + कार्डियो
चौथा हफ्ता – वॉर्मअप + योग + चलना + ध्यान लगाना या मेडिटेट करना
नोट : कोई भी एक्सरसाइज या योगासन करने से पहले किसी विशेषज्ञ द्वारा राय जरूर लें। साथ ही किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। साथ ही व्यक्ति अपने उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार व्यायाम या योग के बारे में विशेषज्ञ की सलाह ले सकता है।
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस कुछ लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम कीटो डाइट प्लान से संबंधित कुछ टिप्स दे रहे हैं।
कीटो डाइट के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Keto Diet in Hindi
कीटो डाइट प्लान के शुरुआत में कुछ परेशानियां हो सकती है। पसंद की चीजें खाने का मन हो सकता है। ऐसे में इधर-उधर की चीजों में मन लगाकर ध्यान भटकाने का प्रयास करें।
कीटो डाइट प्लान का प्रभाव और अच्छा हो, उसके लिए नियमित व्य��याम व योग करें। चाहें तो जिम या योग सेंटर भी जॉइन कर सकते हैं।
नियमित रूप से पानी पिएं।
कीटो डाइट प्लान के साथ शरीर को आराम भी दें।
कीटो डाइट प्लान के साथ जीवनशैली में भी बदलाव किया जा सकता है। बाहर खाने की जगह बेहतर है कि घर में ही बना खाना खाएं।
एक कप कॉफी और सैंडविच के लिए कॉफी शॉप जाने की जगह घर में ही कॉफी बनाए और साथ में अंडे या हरी सब्जियों का सैंडविच बनाकर खाएं।
सही वक्त पर खाना खाएं।
कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस के शुरुआत से ही हर दिन या हर हफ्ते वजन चेक करें और उसे लिखते जाएं। इससे पता चलेगा कि कीटो डाइट फॉर वेट लॉस का कितना असर हो रहा है।
सही वक्त पर सोएं और सुबह उठें। ध्यान रहे कि नींद पूरी करें।
कीटो डाइट प्लान हर किसी के लिए आसान नहीं है, क्योंकि इसमें कई चीजों को खाने में रोक लगी होती है। ऐसे में इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जिसके बारे में लेख के इस भाग में जानकारी दी जा रही है।
कीटो डाइट प्लान के नुकसान – Keto Diet Plan Side Effect In Hindi
हर चीज के दो पहलू होते हैं एक फायदा और एक नुकसान। उसी तरह कीटो डाइट के फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं। नीचे पढ़ें कीटो डाइट के नुकसान (6) (7)।
पोषक तत्वों की कमी
मतली या उल्टी
सिरदर्द
थकान
मूड स्विंग्स या चिड़चड़ापन
चक्कर आना
थकान
कब्ज
अनिद्रा
कीटो डाइट के फायदे जानने के बाद कई लोग इसे फॉलो करना चाहेंगे। उससे पहले कीटो डाइट प्लान को आजमाने के लिए कीटो डाइट चार्ट के बारे में आहार विशेषज्ञ से सलाह लें। साथ ही कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस को अगर सही तरीके से किया जाए, तो इसका असर शरीर पर कुछ ही वक्त में दिख सकता है। ध्यान रहे कि कीटो डाइट के साथ सावधानी जरूरी है, क्योंकि कीटो डाइट के नुकसान भी हैं। इसलिए, डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार कीटो डाइट प्लान को फॉलो करें। अगर डाइट के दौरान कोई भी असुविधा महसूस हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से इस बारे में बात करें। कीटो डाइट प्लान को फॉलो कर आप अपने अनुभव नीचे दिए कमेंट बॉक्स की मदद से हमारे साथ जरूर शेयर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या कीटो डाइट सुरक्षित है?
हां, कीटो डाइट सुरक्षित है (5)। हालांकि, यह व्यक्ति के उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है कि उसके लिए कीटो डाइट सुरक्षित है या नहीं। इसलिए, बेहतर है कि इस बारे में अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
कीटो डाइट का पालन कर मैं कितना वजन कम कर सकता हूं?
अगर कीटो डाइट प्लान को सही तरीके से फॉलो किया जाए और साथ में व्यायाम किया जाए, तो पहले दो हफ्ते में 4.5 किलो तक वजन कम हो सकता है (7)।
मैं तीन सप्ताह के लिए कीटो डाइट पर हूं, लेकिन मेरा वजन कम नहीं हुआ है । कृपया मदद करे।
कम कार्ब आहार पर वजन कम न होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे एक दिन में कम कार्ब के खाद्य पदार्थ���ं का सेवन करना, बहुत से फल खाना, पर्याप्त व्यायाम न करना, बहुत अधिक या बहुत कम प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाना, हर हफ्ते बहुत से चीटमील खाना, बहुत ज्यादा फैट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन। इतना ही नहीं तनाव, हार्मोनल असंतुलन और पर्याप्त नींद नहीं लेना भी कारण हो सकता है। इसलिए, कम से कम तीन दिन तक आप अपनी दिनचर्या, पूरे दिन किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं और ऐसी ही अन्य छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों को एक जगह नोट करते जाएं। इसके अलावा, आप अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से इस बारे में बात कर सकते हैं।
क्या मिर्गी रोगी कीटो डाइट कर सकते हैं ?
कभी-कभी जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो मिर्गी रोग से ग्रस्त बच्चों को डॉक्टर कीटो डाइट की सलाह देते हैं (7)। अगर किसी भी व्यक्ति के घर में कोई मिर्गी रोगी है, तो उसे कीटो डाइट का पालन कराने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें ।
बॉडी बिल्डिंग के लिए एक सही किटोजेनिक डाइट प्लान क्या है?
अगर कोई व्यक्ति बॉडी बिल्डिंग में रुचि रखता है, तो सबसे पहले उसे शरीर से फैट कम करना होगा। ऊपर बताए गए कीटो डाइट प्लान में कम कार्ब, उच्च फैट और मध्यम मात्रा में प्रोटीन लेने की सलाह दी गई है। फैट को कम करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले 5-सप्ताह केटोजेनिक आहार योजना से शुरुआत करनी होगी। एक बार जब शरीर का फैट बर्न होने लगता है और काफी फैट कम हो चुका होता है, तब बारी आती है विटामिन, खनिज और प्रोटीन सप्लीमेंट (यदि आवश्यक हो) के साथ उच्च प्रोटीन आहार लेने की। फिर भी हम यही सुझाव देंगे कि पहले अपने डॉक्टर, डायटीशियन या जिम ट्रेनर से मिलकर इस बारे में बात की जाए। वो व्यक्ति के स्वास्थ्य के अनुसार बेहतर जानकारी दे सकते हैं।
क्या मैं बच्चे के जन्म के बाद वजन कम करने के लिए कीटो डाइट प्लान को फॉलो कर सकती हूं?
नहीं, डिलीवरी के ठीक बाद आपके बच्चे को पोषण की आवश्यकता होगी। आप जो पौष्टिक और पूर्ण आहार लेंगी वही आपके शिशु को मिलेगा। ऐसे में अगर आप सही और पोषक तत्व युक्त आहार नहीं लेंगी, तो उसका प्रभाव आपके बच्चे पर हो सकता है। इसलिए, पर्याप्त प्रोटीन, वसा और कार्ब्स खाएं, ताकि आपका शिशु स्वस्थ रहे। डिलवरी के कुछ महीनों बाद आप डॉक्टर से परामर्श लें कि कीटोजेनिक डाइट आपके लिए सही है या नहीं। फिर डॉक्टर के कहे अनुसार ही डाइट का चुनाव करें।
क्या ज्यादा फैट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से फैट बर्न हो सकता है?
हां, कीटो डाइट प्लान में अच्छे वसा शामिल हैं। इसमें ऐसे फैट शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, जैसे – मोनोअनसैचुरेटेड फैट (1) (2)। इसके अलावा, दैनिक आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करें। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (13)।
क्या कीटो डाइट प्लान के दौरान शराब का सेवन किया जा सकता है ?
सप्ताह में सिर्फ एक बार एक छोटा गिलास वाइन क�� सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसलिए, बेहतर है कि आहार विशेषज्ञ या डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। स्टाइलक्रेज अल्कोहल सेवन को बढ़ावा नहीं देता है।
क्या मुझे सप्लीमेंट लेने की भी जरूरत है?
यदि आप पहली बार कीटो डाइट कर रहे हैं या कम कार्ब आहार के लिए नए हैं, तो आप कमजोरी महसूस कर सकते हैं। आपके मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। ऐसे में आपको सप्लीमेंट की ज��ूरत पड़ सकती है, लेकिन सप्लीमेंट के सेवन से पहले न्यूट्रिशनिस्ट या डॉक्टर से बात जरूर करें (1)।
मुझे कब्ज की शिकायत हो रही है। कृपया मदद करें।
आपको अधिक तरल पदार्थ (पानी, ताजे फलों जैसे – बेरीज) का सेवन करना चाहिए (5) (6)। ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। फाइबर न सिर्फ पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद कर सकता है, बल्कि कब्ज की परेशानी से भी राहत दिला सकता है (14) (15)। अगर समस्या ज्यादा बढ़े या ज्यादा दिन से है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
कीटोन्स को कैसे मापा जा सकता है?
कीटोन्स को मापने के लिए बाजार में कई उपकरण हैं, जैसे कि कीटोस्टिक्स (Ketostix)। आप उन्हें ऑनलाइन या मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं। इसका उपयोग करने से पहले पैकेट पर दिए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
कीटोसिस चरण में प्रवेश करने में कितने दिन लगेंगे?
कम कार्ब वाले आहार के सेवन के साथ अगर रोज व्यायाम भी किया जाए, तो कुछ ही दिनों में आप कीटोसिस चरण में प्रवेश कर जाएंगे। कीटो डाइट प्लान को अगर सही तरीके से फॉलो किया जाए, तो पहले ही दो हफ्तों में 4.5 (10 lbs) किलो वजन कम किया जा सकता है (7)। यह काफी हद तक व्यक्ति की दिनचर्या और वो किन चीजों का सेवन कर रहा है, उस पर भी निर्भर करता है। जब शरीर में जमा वसा ऊर्जा में परिवर्तित होने लगती है, तो कीटोन निकलने शुरू हो जाते हैं। इसे ही कीटोसिस चरण कहा जाता है।
मुझे घर में खाना बनाने का वक्त नहीं मिलता है। ऐसे में लो कार्ब डाइट को कैसे फॉलो किया जा सकता है?
आप नीचे बताए गए तरीकों को फॉलो कर सकते हैं (16) (17):
हाई कार्ब फूड्स जैसे कूकीज, केक, पेस्ट्री, पास्ता व ब्रेड से दूर रहें।
डिब्बा बंद व सोडा युक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें।
अगर आप कहीं बाहर खाने जा रहे हैं, तो वेटर या शेफ से बात करें और अपने खाने की जरूरतों को समझाएं।
सहकर्मियों या दोस्तों के साथ डिनर या लंच के लिए बाहर जाते समय, कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों जैसे – चिकन, हरी सब्जियां व फलों के रस आदि को ऑर्डर करें।
��्यादा मसाले वाले आहार से दूर रहें।
अंत में हमारा सुझाव है कि आप हरी सब्जियां, फल खरीदें। हर दिन बाहर या ऑफिस जाने से पहले उन्हें धोएं और काटकर जिपलॉक बैग में रख लें। बाहर के खाने से दूरी बनाएं और भूख लगने पर हरी सब्जियों की सलाद या फलों का सेवन करें। इसके अलावा, आप फ्रीज में भी एक दिन के लिए सब्जियां काटकर रख सकते हैं और जब आप घर आएं, तो उन पर जैतून का तेल और नींबू का रस मिलाकर उनका सेवन कर सकते हैं। आप अंडे उबालकर भी रख सकते हैं। इन चीजों से आप अपना काम आसान कर सकते हैं।
क्या कीटो डाइट प्लान में अच्छी मात्रा में प्रोटीन का सेवन किया जा सकता है?
कीटो डाइट प्लान में सीमित मात्रा में प्रोटीन के सेवन की सलाह दी जाती है (1)। उच्च प्रोटीन वाले आहार से बचें, क्योंकि प्रोटीन का अधिक सेवन शरीर को कीटोसिस स्टेट में जाने से बाधित कर सकता है (18)।
क्या कीटो डाइट प्लान फॉर वेट लॉस के दौरान बहुत अधिक पेशाब आना सामान्य है?
हां, कीटो डाइट के दौरान यह सामान्य बात है। इसमें ड्यूरेटिक यानी मूत्रवर्धक गुण होता है। इस डाइट में पहले हफ्ते में पेशाब बार-बार आता है, जिससे वजन कम हो सकता है (7)। बार-बार पेशाब जाना केटोसिस का संकेत हो सकता है, मतलब कि आपका शरीर केटोसिस स्टेट में प्रवेश कर चुका है। इसलिए, ध्यान रहे कि आप खूब पानी या अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें, ताकि आपके शरीर में पानी की कमी न हो।
कीटो डाइट फॉर वेट लॉस के दौरान इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई कैसे करें?
कीटो डाइट के दौरान व्यक्ति के शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट निकलते हैं, तो ऐसे में उनकी भरपाई भी जरूरी है। इस स्थिति में व्यक्ति मैग्नीशियम और पोटैशियम की खुराक व मल्टीविटामिन की खुराक ले सकता हैं। रोजाना दो कप सूप पिएं, अपने पीने के पानी या डिटॉक्स ड्रिंक में एक चुटकीभर नमक मिलाएं। ध्यान रहे कि अगर कोई व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी या डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो नमक का उपयोग न करें। इसके अलावा, बाजार में उपलब्ध लो-सोडियम साल्ट जैसे लाइट साल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कीटो फ्लू क्या है?
कीटो फ्लू शरीर में कीटोसिस का एक विशेष संकेत है। कीटो फ्लू कीटो डाइट प्लान शुरू करने के दो से सात दिन बाद दिखाई दे सकता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार है (19):
सिरदर्द
नींद न आना
कब्ज
थकान
उल्टी या मतली
चिड़चिड़ापन
ऐसा अचानक डाइट में होने वाले परिवर्तन के कारण हो सकता है।
भोजन में कार्ब्स की गणना कैसे कर सकते हैं?
आप न्यूट्रीशन डेटा वेबसाइट पर ऑनलाइन जांच कर सकते हैं या ऑनलाइन टूल जैसे फिटनेस पाल टू कैलकुलेट दी टोटल कार्ब्स (fitness pal to calculate the total carbs) का उपयोग कर सकते हैं। इसके ��लावा, विकल्प के तौर पर आप कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानकर अपनी डाइट में कम कार्ब वाली सामग्रियों का चुनाव कर सकते हैं।
कीटो डाइट प्लान के लिए स्वस्थ फैट क्या है?
नीचे हम कुछ स्वस्थ फैट युक्त खाद्य पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं, जिनका सेवन आप कर सकते हैं। स्वस्थ फैट में मोनो-अनसैचुरेटेड और पोलीअनसैचुरेटेड फैट मौजूद है। इसका सेवन हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है (20) (21)।
जैतून का तेल
अलसी के बीज
सूरजमुखी के बीज का तेल
सोया
मकई
मछली
एवोकैडो
नट्स
कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के चरण क्या हैं?
अगर बात करें कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के चरण की, तो लोगों के अनुभव के अनुसार आमतौर पर कीटो डाइट प्लान में वजन घटाने के तीन चरण होते हैं। ध्यान रहे कि इनके बारे में कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। इसलिए, हम लोगों के अनुभव के आधार पर इस बारे में बता रहे हैं।
तीन स्टेजेस कुछ इस प्रकार हैं :
रैपिड वेट लॉस स्टेज (Rapid weight loss stage) – इस चरण में व्यक्ति के शरीर से अधिक से अधिक पानी का वजन कम होगा। इसे कीटो डाइट प्लान का पहला चरण कहा जा सकता है।
कीटो अडैप्शन स्टेज (Keto-adaptation stage) – इस चरण में व्यक्ति का वजन घटना स्थिर हो सकता है। हालांकि, इस स्टेज में व्यक्ति का वजन बढ़ भी सकता है। इस स्टेज में शरीर नए ऊर्जा स्रोत और ऊर्जा के रूप में शुगर की कमी का अनुभव कर सकता है। यह लगभग एक सप्ताह तक चल सकता है।
कम्पलीट कीटो अडैप्शन स्टेज (Complete keto-adaptation stage) – इस स्टेज में शरीर मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में कीटोन्स का उपयोग करना सीख जाता है। इस स्टेज में शरीर ज्यादा फैट बर्न कर सकता है। यह स्टेज तीसरे सप्ताह के मध्य से शुरू हो सकता है और चौथे सप्ताह तक रह सकता है। इस दौरान कुछ लोग वजन बढ़ने का या वजन न घटने का भी अनुभव कर सकते हैं, लेकिन इसमें कोई चिंता की बात नहीं है। यह वजन बढ़ाने या वजन कम न करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ध्यान रहे कि आप सही तरीके से डाइट का पालन करें और नियमित रूप से व्यायाम या योग करते रहें, ताकि वजन संतुलित रहे।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/vajan-ghatane-ke-liye-keto-diet-in-hindi/
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googleyoffer-blog · 5 years ago
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rajatgarg79 · 6 years ago
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सिर्फ जंक फूड छोड़कर फातिमा ने किए 28 किलो कम
जिन लोगों का वजन बहुत अधिक होता है उन्हें पता होता है कि वजन बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगता, लेकिन उसे घटाने में सबसे अधिक मेहनत और लगन की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के बाद वजन को कम कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है, क्योंकि गर्भावस्था के बाद लाइफ बहुत व्यस्त हो जाती है और साथ में वर्कआउट करना आसान नहीं होता। कुछ ऐसा ही फातिमा के साथ था, प्रेगनेंसी के बाद फातिमा का वजन बहुत बढ़ गया था। अधिक वजन की वजह से उन्हें थायराइड की भी समस्या शुरू हो गयी थी।
(और पढ़ें - वजन कम करने का तरीका)
आइए आगे जानते हैं फातिमा की वेट लॉस यात्रा के बारें में:
आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?
गर्भावस्था के बाद मैं पहले से ही अपने अत्यधिक वजन के साथ लड़ रही थी और फिर मुझे थायरॉइड के बारें में पता चला, जिसकी वजह से मैं और ज्यादा तनाव में आ गयी। थाइरॉइड की वजह से मेरा वजन और बढ़ता चला जा रहा था। इतने मोटापे की वजह से मुझे खुद को पहचान पाना मुश्किल होता था। तब मैंने महसूस किया कि अब वो समय आ गया है जब मुझे अपना वजन कम कर लेना चाहिए। अगर अब वजन कम नहीं किया तो शरीर बिमारियों का घर बन जायेगा। इस लिए मैंने वजन कम करने का फैसला लिया।
(और पढ़ें - कमर पतली करने की एक्सरसाइज)
आप क्या खाती थी?
मेरा नाश्ता – मुझे म्यूसली दूध में डालकर खाना बेहद अच्छा लगता था और इसमें मैं कई फलों को भी शामिल करती थी। कुछ दिनों तक, मैं पोहा, उपमा और वर्मिसिली (vermicelli) बनाकर खाती रही, जो की बेहद स्वस्थ होते हैं और जिन्हें पचाना आसान होता है।
मेरा दोपहर का खाना – मेरे लिए हैल्थी लंच बेहद जरूरी है। मैं दोपहर में ब्राउन राइस और मल्टीग्रेन आटे से बनी चीजें खाने लगी थी। मैं रोजाना एक कटोरी दाल खाती थी और अपनी सब्जियां नारियल तेल में बनाती थी। पाचन क्रिया को सही रखने के लिए, मैं तिल या अलसी के बीज से बना रायता खाती थी। (और पढ़ें - पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय)
मेरा रात का खाना – रात का खाना आमतौर पर हल्का होता था, मैं रात में रोटी कम खाती थी। रात में आमतौर पर मैं उबले अंडे या ग्रिल फिश के साथ सलाद खाती थी।
चीट डेस के समय – जब मैं डाइट पर नहीं होती थी, मैं भरवां पराठा या कोई भी मांसाहारी सब्जी खाया करती थी।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए क्या खाएं)
क्या आप वर्कआउट करती थीं?
मैं रोजाना योग, कार्डियो और वेट ट्रेनिंग किया करती थी। इससे मेरा वजन तेजी से कम होता था और साथ ही इसकी वजह से मैं स्वस्थ भी ��हती थी।
(और पढ़ें - खाने में कितनी कैलोरी होती हैं)
आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?
जब भी मेरा आत्म-विश्वास डगमगाता था, मैं शीशे में खुद को देखती थी। अपने में आए बदलाव देखने के बाद खुद से यही बोलती थी कि मैं अपने लक्ष्य के इतना पास आ चुकी हूं। अब मुझे हार नहीं माननी है। इस तरह में खुद को प्रेरित करती थी।  
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट)
आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?
पुरानी फोटो को देखकर मुझे आगे बढ़ते रहने में मदद मिलती थी। साथ ही मेरा 15 मह��ने का एक बच्चा है जो मुझे सारा दिन यहां से वहां भगाता रहता है। इस कारण भी मैं फिट रह पाती हूं।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के उपाय)
अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?
अत्यधिक वजन के कारण मैं बहुत आलसी हो गयी थी और मेरे लिए चलना-फिरना भी मुश्किल हो रहा था। थोड़ा सा पैदल चलकर हांफने लगाती थी। इस कारणवश मैं अपने बच्चे के साथ खेल भी नहीं पाती थी। ऐसे में मुझे बेहद बुरा महसूस होता था।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए योग)
आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहती हैं?
अ�� तो मुझे आराम करना जरा भी पसंद नहीं है। मैं अपने बच्चे की खातिर हमेशा स्वस्थ और फिट रहना चाहती हूं।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए क्या खाना चाहिए)
जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या क्या किया?
अपनी दिनचर्या में मैंने नियमित व्यायाम को शामिल किया। साथ ही, मैंने जंक फूड और बाहर का खाना बिल्कुल छोड़ दिया था। मैं केवल घर का बना स्वस्थ खाना ही खाती थी।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए डांस)
आपके लिए सबसे निराशाजनक बात क्या थी?
थयरॉइड मेरा बहुत ज्यादा बढ़ चूका था, जिसकी वजह से मैं तनाव में रहने लगी थी और मोटापे की वजह से मेरी पर्सनालिटी भी खराब हो रही थी।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए योगासन)
वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?
वेट लॉस से अब मेरा आत्म-विश्वास पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ा है। अब मैं जीवन में अपने लक्ष्यों के प्रति अधिक समर्पित और केंद्रित हुई हूं।
(और पढ़ें - हिप्स कम करने के टिप्स)
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आशा करते हैं कि आपको फातिमा के बारे में पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी। अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करें। 
अगर आपके पास भी अपनी या अपने किसी मित्र, परिवार के सदस्य या परिचित की कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, तो हमसे ज़रूर शेयर करें। आप अपनी कहानी हमें [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/weightloss/fatima-quit-junk-and-lost-26-kilos
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gethealthy18-blog · 5 years ago
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क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi
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क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi
क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है?- Paleo Diet For Weight Loss in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 December 16, 2019
बढ़ता वजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, कुछ लोग योग, व्यायाम और अन्य तरीकों के साथ-साथ कई तरह की डाइट प्लान ( Keto, Intermittent Fasting etc) का भी सहारा लेते हैं। इन्हीं में से एक है पैलियो डाइट। हो सकता है कि इस डाइट प्लान का नाम आपके लिए नया हो। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख से हम पैलियो डाइट क्या है व पैलियो डाइट के फायदे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशि�� करेंगे। इतना ही नहीं अगर पैलियो डाइट के नुकसान हैं, तो हम उसके बारे में भी आपको बताएंगे। अगर मन में यह सवाल चल रहा है कि क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मदद कर सकती है, तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि पैलियो डाइट क्या है।
विषय सूची
पैलियो डाइट प्लान क्या है? – What Is A Paleo Diet In Hindi
पैलियो एक खास प्रकार का डाइट प्लान है, जिसे केवमैन या स्टोन-एज डाइट भी कहा जाता है। इसमें फल, सब्जी, लीन मीट, मछली, अंडा व नट्स आदि को शामिल किया जाता है (1) (2)। वहीं, इसमें अनाज, डेयरी उत्पाद, नमक, प्रोसेस्ड फैट और चीनी जैसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाने के लिए कहा जाता है (3)।
लेख के आगे के भाग में हम पैलियो डाइट प्लान के फायदे के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इसके बाद आपको पैलियो डाइट चार्ट और वजन कम करने में पैलियो डाइट प्लान के फायदे के बारे में बताया जाएगा।
पैलिया डाइट प्लान के फायदे – Paleo Diet Plan Benefits In Hindi
नीचे हम पैलियो डाइट के फायदे के बारे में बता रहे हैं। यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस डाइट के फायदे बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (4):
हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) कम हो सकता है।
कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है।
कील-मुंहासों से बचाव।
मायोपिया (myopia) एक तरह की नेत्र संबंधी समस्या से बचाव कर सकता है।
पैलियो डाइट के फायदे जानने के बाद कई लोग इसके मील प्लान के बारे में जानना चाहते होंगे। इसलिए, लेख के आगे के भाग में जानिए पैलियो डाइट का मील प्लान क्या हो सकता है।
पैलियो डाइट में सात दिन का मील प्लान – Sample 7 Days Paleo Diet Plan In Hindi
नीचे हम पैलियो डाइट की एक सूची साझा कर रहे हैं। ध्यान रहे कि यह सूची एक नमूने के तौर पर दी जा रही है। इसमें बताए गए खाद्य पदार्थ और उसकी मात्रा में व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, जरूरत और पसंद के अनुसार बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए आप एक बार किसी आहार विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
दिन क्या खाएं सोमवार नाश्ता – एक या दो अंडे, ऑलिव ऑयल में हल्की तली हुई सब्जियां, कोई भी एक फल और पांच भीगे बादाम।
दोपहर का खाना – मुट्ठी भर नट्स के साथ चिकन सलाद।
रात का खाना – हल्की तली सब्जियों के साथ उबली हुई या ग्रिल्ड मछली।
मंगलवार नाश्ता- बहुत सारी सब्जियों के साथ अंडे की भुर्जी।
दोपहर का खाना –  फिश सलाद/चिकन सलाद।
रात का खाना – भुना हुआ चिकन और सब्जियों के साथ घर का बना मशरूम सूप।
बुधवार नाश्ता – एक या दो अंडे का ऑमलेट, 1 कटोरी तरबूज और आधा चम्मच अलसी के बीज।
दोपहर का खाना – हरे बीन्स के सलाद के साथ ग्रिल्ड चिकन।
रात का खाना – 1 कटोरी गोभी के सूप के साथ बेक्ड मछली।
गुरुवार नाश्ता – एक या दो बेक्ड अंडे और ब्रोकली।
दोपहर का खाना – मछली एवोकैडो लेट्यूस रैप।
रात का खाना – तला हुआ मीट और सब्जियां।
शुक्रवार नाश्ता: शिमला मिर्च के साथ अंडे की ऑमलेट।
दोपहर का खाना – मसालेदार काली मिर्च में भुना हुआ चिकन।
रात का खाना –  चिकन चेट्टीनाड (दक्षिण भारतीय व्यंजन) साथ में हल्की तली सब्जियां।
शनिवार नाश्ता – शकरकंद के साथ अंडे की भुर्जी।
दोपहर का खाना – सिट्रस और हर्ब चिकन।
रात का खाना – नींबू और थाइम के साथ बेक्ड मछली।
रविवार नाश्ता – टमाटर और प्याज के साथ उबला हुआ अंडा
दोपहर का खाना – भुने हुए टमाटर के साथ चिकन
रात का खाना – ग्रिल्ड मछली या चिकन के साथ हरी सब्जियों का सलाद।
आगे जानिए पैलियो डाइट में क्या-क्या खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं।
पैलियो डाइट में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ – Foods to Eat on the Paleo Diet In Hindi
अगर कोई ऊपर दिए गए चार्ट को फॉलो नहीं कर सकता, तो कम से कम इन खाद्य पदार्थों को तो अपनी पैलियो डाइट में जरूर शामिल किया जाना चाहिए (5)।
अंडा
लीन मीट जैसे – चिकन
नट्स
हरी सब्जियां
फल
मछली
जैतून का तेल
नारियल का तेल
अब बारी आती है जानने की कि पैलियो डाइट में क्या न खाएं।
पैलियो डाइट में इन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें – Foods to Avoid on the Paleo Diet In Hindi
नीचे जानिए पैलियो डाइट में किन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए (5)।
साबुत अनाज (Whole Grains)
अनाज (Cereals)
शुगर
डेयरी उत्पाद
सफेद आलू
फलियां (मूंगफली, सेम, मसूर)
अल्कोहल
कॉफी
नमक
कैनोला जैसे रिफाइंड वनस्पति तेल
क्या पैलियो डाइट बढ़ते वजन को कम करने में मददगार है या नहीं?
अब बात करते हैं कि यह डाइट प्लान किस प्रकार वजन को कम कर सकता है। इसी संबंध में वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने रजोनिवृत्ति के बाद (Post Menopausal) मोटापे से ग्रस्त 70 महिलाओं को शामिल किया। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, इन महिलाओं को दो तरह की डाइट पर रखा गया, जिनमें से एक पैलियो डाइट थी। शोध में पैलियो डाइट का पालन करने वाली महिलाओं में काफी मात्रा में फैट कम होता हुआ पाया गया। दूसरी डाइट की तुलना में पैलियो डाइट करने वाली महिलाओं में ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride-एक प्रकार का फैट) का स्तर काफी कम हुआ (1) (2)। यह अभी शुरुआती रिसर्च है। इस संबंध में और शोध किया जाना बाकी है।
अगर ऊपर बताए गए शोध को देखा जाए, तो पैलियो डाइट से कुछ हद तक वजन कम हो सकता है, लेकिन यह व्यक्ति के स्वास्थ्य और वजन पर निर्भर करता है। हर किसी की शारीरिक स्थिति ��क जैसी नहीं होती है। ऐसे में यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि पैलियो डाइट स���ी के लिए कारगर है या नहीं। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पैलियो डाइट से वजन पूरी तरह कम हो या न हो, लेकिन कुछ बीमारियों का जोखिम जरूर कम हो सकता है।
लेख के आगे के भाग में जानिए पैलियो डाइट के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।
पैलियो डाइट प्लान के नुकसान – Paleo Diet Plan Side Effect In Hindi
हर चीज का फायदा और नुकसान दोनों होते हैं। वैसे ही अगर पैलियो डाइट के फायदे हैं, तो उसके कुछ नुकसान भी हैं। उन्हीं के बारे में हम लेख के इस भाग में जानकारी दे रहे हैं (5)।
पैलियो डाइट प्लान में कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है। यह डाइट ताजे खाद्य पदार्थों पर न���र्भर करती है। ऐसे में इस व्यस्त जीवनशैली में भोजन को तैयार करने और पकाने के लिए वक्त निकालना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
इस डाइट में साबुत अनाज और डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं किया जाता है। ऐसे में यह डाइट पोषक तत्व जैसे – कैल्शियम, विटामिन-बी व डी की कमी का कारण बन सकता है। इस स्थिति में जरूरी है कि कुछ नॉन डेयरी प्रोडक्ट का सेवन किया जाए, जिससे शरीर को कैल्शियम मिले। इसके अलावा, साबुत अनाज का सेवन न करने से फाइबर जैसे लाभकारी पोषक तत्व की कमी भी हो सकती है, जिससे मधुमेह और हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है।
साथ ही इसमें मौजूद किसी विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन अगर व्यक्ति पहली बार कर रहा है, तो उसे फूड एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख के जरिए पैलियो डाइट से संबंधित जानकारी से कई लोगों को इसके बारे में थोड़ा-बहुत अंदाजा हो गया होगा। पैलियो डाइट प्लान के फायदे जानने के बाद इसे कई लोग अपनाने का सोच रहे होंगे। इसे फॉलो करने में कोई बुराई नहीं है। अगर सही तरीके से इस डाइट का पालन किया जाए, तो पैलियो डाइट के फायदे जरूर दिखेंगे। फिर भी बेहतर है कि एक बार डॉक्टर या विशेषज्ञ की राय जरूर ली जाए। अंत में अगर पैलियो डाइट से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव आपके पास हो, तो आप उसे हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या चावल पैलियो आहार का हिस्सा है?
नहीं, पैलियो फूड लिस्ट में चावल नहीं है, क्योंकि यह एक अनाज है। हालांकि, कई पैलियो डाइटर्स कभी-कभी चावल खाते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे आदत न बनाएं। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति पैलिओ डाइट की शुरुआत कर रहा है, तो बेहतर है की वो चावल का सेवन न करें। अधिक जानकारी के लिए आहार विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है।
क्या पैलियो डाइट में चीज़ का सेवन किया जा सकता है ?
पैलियो डाइट में डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से बचना चाहिए। इसलिए, बेहतर है कि चीज़ को डाइट में शामिल न करें। इसके अलावा और बेहतर जानकारी के लिए आहार विशेषज्ञ से भी राय जरूर लें (5)।
पैलियो डाइट में वजन कितनी तेजी से कम हो सकता है ?
डाइट के पहले सप्ताह में शरीर में पानी का वजन कम हो सकता है। इसलिए, पहले हफ्ते में बहुत अधिक वजन कम करने की संभावना हो सकती है। वहीं, दूसरे हफ्ते में शरीर से फैट कम हो सकता है, जो पैलियो डाइट का मुख्य लक्ष्य होता है। हालांकि, वजन कितनी तेजी से कम हो सकता है, यह व्यक्ति के शुरुआती वजन ��र डाइट को फॉलो करने पर निर्भर है। डाइट को सही तरीके से फॉलो करने से परिणाम धीरे-धीरे दिख सकते हैं।
क्या शाकाहारी व्यक्ति पैलियो डाइट कर सकता है?
हां, शाकाहारी व्यक्ति भी पैलियो डाइट कर सकता है।
क्या पैलियो डाइट में कॉर्न टॉर्टिला (Corn Tortillas) का सेवन किया जा सकता है?
नहीं, जब आप पैलियो डाइट पर हों, तो कॉर्न टॉर्टिला (Corn Tortilla) खाने से बचें, क्योंकि यह अनाज होता है और पैलियो डाइट में अनाज का सेवन करना मना है (6)।
पैलियो डाइट में कौन से स्नैक्स खा सकते हैं?
पैलियो डाइट में खाए जाने वाले स्नैक्स कुछ इस प्रकार हैं –
खीरा
गाजर
मटर और अन्य सब्जियों की सलाद
फलों की सलाद
पिस्ता
क्या पैलियो डाइट के दौरान कुछ पी सकते हैं?
पैलियो डाइट के दौरान नीचे बताए गए पेय-पदार्थों का सेवन कर सकते हैं –
भरपूर मात्रा में पानी
ग्रीन टी
फलों का जूस
सूप
यह व्यक्ति की डाइट और शरीर पर निर्भर करता है, इसलिए इस बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा हो सकता है।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/kya-paleo-diet-weight-loss-me-madad-karta-hai-in-hindi/
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वजन बढ़ाने के घरेलू तरीके – मोटा होने के उपाय – How to Gain Weight Naturally in Hindi
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वजन बढ़ाने के घरेलू तरीके – मोटा होने के उपाय – How to Gain Weight Naturally in Hindi
Nripendra Balmiki May 8, 2019
आधुनिकता और प्रतिस्पर्धा के दौर में एक प्रभावी व्यक्तित्व बहुत मायने रखता है। आकर्षक शरीर किसी को भी अपनी ओर खींच सकता है, जिसके लिए शरीर का फिट रहना बहुत जरूरी है। देखा गया है कि मोटापे के साथ-साथ शरीर का दुबलापन व्यक्तित्व को बुरी तरह प्रभावित करता है। खासकर, युवाओं में यह एक चिंता का विषय बन चुका है।
अगर आप भी दुबलेपन से परेशान हैं और हर तरह के प्रयास कर चुके हैं, तो यह लेख आपकी समस्या का हल निकाल सकता है। हमारे साथ जानिए कि चुनिंदा घरेलू चीजों का इस्तेमाल कर वजन कैसे बढ़ाएं।
विषय सूची
दुबलेपन के कारण – Reasons for Being Underweight in Hindi
शरीर के दुबलेपन के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यहां हम शरीर के दुबलेपन के इन्हीं कारणों के बारे में बता रहे हैं (1)।
पोषण का अभाव
तनाव
भूख कम लगना
कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारी
डायरिया जैसे संक्रमण का अधिक समय तक रहना।
पेंक्रियास में इन्फेक्शन
दवाइयों का दुष्प्रभाव (कीमोथेरेपी या थायरायड की दवा)
चिंता
दुबलेपन के कारण जानने के बाद आइए जानते हैं जल्दी मोटा होने के उपाय।
वजन बढ़ाने के घरेलू उपाय – Weight Gain Tips in Hindi
1. घी और चीनी
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वजन बढ़ाने के उपाय के रूप में आप घी और चीनी का सेवन कर सकते हैं। यह एक प्राकृतिक उपाय है, जिसका इस्तेमाल सेहत बनाने के लिए सदियों से किया जा रहा है। नीचे जानिए कि वजन बढ़ाने के लिए किस प्रकार करें घी और चीनी का सेवन –
कैसे करें इस्तेमाल :
एक चम्मच घी में एक चम्मच चीनी अच्छी तरह मिलाएं।
भोजन से आधे घंटे पहले इस मिश्रण का सेवन करें।
एक महीने तक रोजाना यह प्रक्रिया दोहराएं।
कैसे है लाभदायक :
शरीर का वजन बढ़ाने के लिए कैलोरी और फैट एक अहम भूमिका निभाते हैं। घी इन दोनों पोषक तत्वों से समृद्ध होता है, जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद करेगा (2), (3)।
2. आम और दूध
दुबलेपन से शिकार लोग आम और दूध का एक साथ सेवन कर सकते हैं। ये दोनों ही सामग्री वजन बढ़ाने वाले पोषक तत्वों से समृद्ध हैं। नीचे जानिए मोटा होने के उपाय के रूप में किस प्रकार करें आम और दूध का सेवन।
कैसे करें इस्तेमाल :
रोजाना दो पके आम का सेवन करें।
आम खाने के बाद हल्का गर्म दूध पिएं।
कुछ ही दिनों में आपको शरीर में बदलाव नजर आने लगेगा।
कैसे है लाभदायक :
दूध में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है (4)। वहीं, आम भी फैट और कैलोरी से समृद्ध होता है (5), जो वजन को बढ़ाने के साथ-साथ आपके पाचन को भी ठीक रखने का काम करता है (6)।
3. अश्वगंधा
अश्वगंधा का प्रयोग एक कारगर मोटा होने का तरीका हो सकता है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती है। नीचे जानिए किस प्रकार करें अश्वगंधा का सेवन –
कैसे करें इस्तेमाल :
एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण मिलाएं और रात में सोने से पहले लें। स्वाद के लिए आप इसमें एक छोटा चम्मच शहद मिला सकते हैं।
नियमित रूप से अश्वगंधा का इस प्रकार सेवन आपको जल्द अच्छे परिणाम देगा।
कैसे है लाभदायक :
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि दुबलेपन का एक कारण तनाव भी हो सकता है और अश्वगंधा एंटी स्ट्रेस के रूप में काम करता है, जो शरीर को तनाव से मुक्त करता है। इसके अलावा, यह पेट संबंधी परेशानियों को भी दूर कर पाचन को बढ़ावा दे सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स से दूर रखने का काम करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार दूध के साथ अश्वगंधा का सेवन करने से शरीर का वजन बढ़ सकता है (7)।
4. सूखे अंजीर और किशमिश
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वजन बढ़ाने के लिए सूखे मेवों का सेवन भी एक सटीक मोटा हाेने का तरीका हो सकता है। नीचे जानिए कि दुबलेपन को दूर करने के लिए किस प्रकार करें अंजीर और किशमिश का सेवन।
कैसे करें इस्तेमाल :
छह सूखे अंजीर और लगभग 30 ग्राम किशमिश को रात भर पानी में भिगो दें।
अगले दिन उन्हें सुबह और शाम दो बार में खा सकते हैं।
लगभग 20 से 30 दिन में अच्छे परिणाम दिखाई दे सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सूखे अंजीर और किशमिश में कैलोरी अधिक मात्रा में पाई जाती है। 43 ग्राम किशमिश में लगभग 129 कैलोरी पाई जाती है। दुबलेपन से निजात पाने के लिए आप इन सूखे मेवों का सेवन कर सकते हैं (8), (9)।
5. एवोकाडो
मोटा होने के उपाय के रूप में आप फैट युक्त कुछ खास फलों का चयन कर सकते हैं। यहांं हम बता रहे हैं कि दुबलेपन के लिए एवोकाडो का किस प्रकार सेवन किया जा सकता है।
कैसे करें इस्तेमाल :
आप एवोकाडो की स्मूदी बना सकते हैं, जिसके लिए आप एक एवोकाडो लें और चम्मच से उसक गुदा निकाल लें।
अब ग्रा��ंडर में एवोकाडो का गुदा और आवश्यकतानुसार चीनी या शहद डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें और पिएं।
दिन की शुरुआत आप एवोकाडो स्मूदी से कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
एवोकाडो एक खास फल है, जिसमें कैलोरी और फैट भरपूर मात्रा में होता है (10)। इसके नियमित सेवन से आपका दुबलापन दूर हो सकता है (11)।
6. पीनट बटर
मोटे होने के तरीके के रूप में आप पीनट बटर का सेवन कर सकते हैं। वजन बढ़ाने के लिए आप पीनट बटर को अपने दैनिक आहर में शामिल कर सकते हैं।
कैसे करें इस्तेमाल :
आप नाश्ते में ब्राउन ब्रेड पर पीटन बटर लगाकर खा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
पीनट बटर कैलोरी का एक बड़ा स्रोत है। 100 ग्राम पीनट बटर में 598 कैलोरी पाई जाती है। इसके अलावा, यह फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों से भी समृद्ध होता है, जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता हैं (11), (12), (13)।
7. केला और दूध
वजन बढ़ाने के उपाय के रूप में आप केला और दूध का चयन कर सकते हैं। नीचे जानिए कि ये दो खाद्य सामग्रियां कैसे वजन बढ़ाने में मदद करती हैं और इनका सेवन किस प्रकार किया जाए –
कैसे करें इस्तेमाल :
आप सुबह नाश्ते में दो केले और एक गिलास हल्का गर्म दूध पी सकते हैं। स्वाद के लिए आप दूध में एक चम्मच शहद मिला सकते हैं।
केले और दूध का इस प्रकार सेवन करने से जल्द अच्छे परिणाम मिलेंगे।
कैसे है लाभदायक :
केला और दूध कैलोरी से समृद्ध होते हैं (14), (4), जो न सिर्फ आपके वजन को बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि कार्य क्षमता को भी बढ़ाएंगे। इसके अलावा, केला आपके पाचन स्वास्थ्य को ठीक रखने का काम भी करेगा, क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर मौजूद होता है।
8. नट्स
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वजन बढ़ाने के तरीके के रूप में आप नट्स का नियमित सेवन कर सकते हैं। नीचे जानिए नट्स कैसे वजन बढ़ा सकता है और इनका सेवन कैसे करें –
कैसे करें इस्तेमाल :
आप इन नट्स को दिन के किसी भी समय खा सकते हैं।
अगर आप इन्हें रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह खाएं, तो ज्यादा फायदा होगा।
कैसे है लाभदायक :
नट्स जैसे बादाम, मूंगफली और अलसी के बीज कैलोरी व फैट से समृद्ध होते हैं, जो वजन बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं (15), (11)।
9. तनाव से दूरी
दुबलेपन का एक कारण तनाव भी है (1)। तनाव से ग्रसित इंसान खाना-पीना कम कर देता है। इसलिए, वजन को नियंत्रित करने के लिए जितना हो सकता है तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें। इसके लिए आप मॉर्निंग वॉक व योग आदि का सहारा ले सकते हैं। सुबह की सैर तनाव को मुक्त करने में ज्यादा कारगर हो सकती है।
10. दोपहर में सोएं
नींद की कमी के कारण भी शरीर दुबला हो सकता है। रात की नींद के अलावा आप दोपहर में कुछ देर के लिए आराम या नींद ले सकते हैं।
क्या करें
दोपहर में लगभग 45 मिनट से लेकर एक घंटे की नींद लें।
कैसे है लाभदायक :
दोपहर में सोने से शरीर को आराम मिले��ा और खोई हुई ऊर्जा की पूर्ति होगी। मात्र कुछ घंटों की नींद आपके शरीर का वजन बढ़ाने में मदद कर सकती है। मोटे होने के तरीके के रूप में आप रात को पर्याप्त नींद जरूर लें।
वजन कैसे बढ़ाये के उपाय के बाद आगे जानिए कुछ अन्य जरूरी टिप्स।
मोटा होने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips to Increase Weight in Hindi
मोटा होने के उपाय के रूप में ये टिप्स दुबलेपन को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
शरीर का वजन बढ़ाने के लिए आप योग का सहारा ले सकते हैं। योग से न सिर्फ मोटापा कम किया जा सकता है, बल्कि शरीर का वजन बढ़ाया भी जा सकता है। आप भुजंगासन, वज्रासन, सूर्य नमस्कार व पवनमुक्तासन आदि आसनों का अभ्यास कर सकते हैं।
वजन बढ़ाने के लिए सही खान-पान का होना बहुत जरूरी है। कोशिश करें कि अपने दैनिक आहार में हाई कैलोरी और हाई फैट युक्त खाद्य सामग्रियों को शामिल करें। लेख में बताई गईं किसी भी खाद्य सामग्री का आप चयन कर सकते हैं।
नाश्ते, दोपहर और रात के भोजन के बीच बादाम व अखरोट आदि खाते रहें। आपका शरीर जितना कैलोरी लेगा, वजन बढ़ाने में उतनी ही मदद मिलेगी।
भोजन से पहले ज्यादा पानी न पिएं, अगर आप ज्यादा पानी पी लेते हैं, तो अधिक भोजन नहीं कर पाएंगे।
शरीर को जितना हो सके आराम दें, रात को कम से कम 6-7 घंटे की नींद लें।
धूम्रपान से दूर रहें, क्योंकि यह भूख को मारने का काम कर सकती है (16)।
रोजाना भोजन की थोड़ी-थोड़ी मात्रा बढ़ाएं। इससे आपका शरीर अधिक पोषक तत्वों को ग्रहण करेगा।
आप डाइटिशियन की सलाह पर वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स का सेवन शुरू कर सकते हैं।
डाइटिशियन की मदद से आप एक डाइट चार्ट का पालन कर सकते हैं।
अपने खाने-पीने का रिकार्ड रखें, जिससे आपको पता लग सके कि आपने दिनभर में कितनी कैलरी ली है।
दुबलापन दूर करने के लिए आप खर्चीले आधुनिक उपाय भी अपना सकते हैं, लेकिन इनके दुष्प्रभावों की आशंका ज्यादा रहती है। जल्दी वजन कैसे बढ़ाये के चक्कर में आप किसी समस्या में न पड़ें, इसलिए स्टाइलक्रेज आपको इस लेख में बताए गए घरेलू नुस्खों को अपनाने की सलाह देता है। ये उपाय पूरी तरह प्राकृतिक हैं और अच्छे परिणाम देने की क्षमता रखते हैं। अगर आपने किसी घरेलू उपाय से अपना वजन बढ़ाया है, तो अपना अनुभव हमारे साथ जरूर शेयर करें।
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Nripendra Balmiki
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gethealthy18-blog · 6 years ago
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वजन बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट – Weight Gain Diet Chart in Hindi
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वजन बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट – Weight Gain Diet Chart in Hindi
Anuj Joshi April 18, 2019
स्वस्थ व आकर्षक दिखने के लिए न तो अधिक वजन ठीक है और न ही कम। जिन लोगों का वजन उनकी आयु व कद के अनुसार संतुलित होता है, वो स्वस्थ जीवन का आनंद लेते हैं। इसलिए, जितना जरूरी मोटापा कम करना है, उतना ही महत्व वजन बढ़ाने का भी है। ��क्सर लोग मोटापा कम करने की सलाह तो देते हैं, लेकिन कम वजन को बढ़ाने की बात कोई नहीं करता। कम वजन के लोग न सिर्फ कमजोर दिखते हैं, बल्कि उनका व्यक्तित्व भी आकर्षक नजर नहीं आता।
स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे। हम दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाने का डाइट चार्ट लेकर आए हैं, जिसे फॉलो करने से उन्हें अपना वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, हम कुछ अन्य टिप्स भी देंगे।
पहले बात वजन बढ़ाने वाले डाइट चार्ट की, जो दुबले लोगों के लिए बेहद काम का है।
विषय सूची
वजन बढ़ाने के लिए वेट गेन डाइट चार्ट – Diet Chart for Weight Gain in Hindi
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भोजन समय क्या खाएं (शाकाहारी/मांसाहारी) नाश्त�� से पहले
7am-8am
चीनी के साथ फुल फैट वाले दूध की चाय
नाश्ता
8am-9am
कम फैट वाले मक्खन के साथ मल्टीग्रेन ब्रेड के दो पीस और ऑम्लेट खाएं।
इसकी जगह आप एक बाउल ऑटमील, कॉर्न फ्लैक्स या फिर दलिया खा सकते हैं।
आप विभिन्न सब्जियां डालकर पोहा, उपमा व खिचड़ी भी खा सकते हैं।
सब्जी के साथ दो चपाती या फिर दो पराठे खाना भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
आप ऊपर बताए गए विभिन्न विकल्पों में किसी एक को चुनकर उसके साथ फल या फिर उनका जूस जरूर पिएं।
ब्रंच
10am-11am
एक गिलास फुल फैट वाले दूध का सेवन करें या फिर प्रोटीन शेक ले सकते हैं।
दोपहर का खाना
12:30pm-1:30pm
एक कटोरी सब्जी व दाल के साथ दो चपाती और एक बाउल चावल
नॉनवेज खाने वाले चपाती व चावल के साथ चिकन के दो पीस/एक मछली/अंडा/पनीर ले सकते हैं।
दोपहर को खाने के साथ खीरा, गाजर, ककड़ी व बंदगोभी की सलाद जरूर लें।
साथ ही एक कटोरी दही भी ले सकते हैं।
शाम का नाश्ता
5:30pm-6:30pm
मक्खन के साथ वेज/नॉनवेज सूप
पनीर या मेयोनिज वाला सैंडविच भी खा सकते हैं।
रात का खाना
8:30pm-9:30pm
जो डाइट आपने दोपहर के खाने में ली, उसी तरह से आप रात को भी खा सकते हैं, लेकिन रात को चावल न खाएं।
सोने से पहले
10:30pm-11pm
एक गिलास दूध पिएं।
वजन बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट के बाद हम कुछ अन्य टिप्स दे रहे हैं।
वजन बढ़ाने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Weight Gain in Hindi
1. कैलोरी
शरीर का वजन काफी हद तक कैलोरी पर निर्भर करता है। जहां वजन कम करने के लिए कम कैलोरी की जरूरत होती है, वहीं वजन बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में कैलोरी लेनी चाहिए। अगर आप कम वजन से परेशान हैं, तो नियमित रूप से 250 कैलोरी ले सकते हैं।
क्या करें :
आप अपनी डाइट में ब्रोकली, बंदगोभी, गाजर, पालक, कद्दू व बैंगन को शामिल करें।
रेड मीट को भी भोजन में शामिल करने से फायदा हो सकता है। ध्यान रहे कि इसे जरूरत से ज्यादा न खाएं, वरना आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है।
आप जो भी सलाद खाएं उस पर थोड़ा-सा जैतून का तेल जरूर डालें।
प्रतिदिन डेयरी उत्पादों का सेवन करने से भी आपको पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिल सकती है। आप हमेशा वसा युक्त दूध व दही का सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
कैलोरी का मतलब ऊर्जा से होता है। जब आप कैलोरी युक्त भोजन का सेवन करते हैं, तो शरीर पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाता है तंत्रिका तंत्र भी मजबूत होता है (1)।
नोट : भोजन में कैलोरी बढ़ाने के नाम पर फास्ट फूड न खाएं। इससे फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है।
2. भोजन की मात्रा बढ़ाएं
अगर आप संतुलित मात्रा में अपनी खुराक बढ़ाते हैं, तो अपना वजन बढ़ा सकते हैं। आप दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तीन की जगह छह बार भोजन करें और हर बार कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। एक बार में ही अधिक खाने से आपका ��ाचन तंत्र खराब हो सकता है और वजन बढ़ने की जगह आप अन्य बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। थोड़ा-थोड़ा और बार-बार खाने से भोजन हजम भी होगा और उसका असर शरीर पर नजर भी आएगा।
क्या करें :
आप नाश्ते में एक बाउल फल और बटर लगे ब्रेड खा सकते हैं। अगर आपको सामान्य बटर पसंद नहीं, तो आप उसकी जगह पीनट बटर या फिर पनीर ले सकते हैं।
स्नैक्स में सूखे मेवे, उबली सब्जियां या फिर पनीर सैंडविच खा सकते हैं।
अगर आपको इनके अलावा कुछ और भी पसंद है, तो उसका सेवन भी कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे है कि वह हेल्दी होना चाहिए।
कैसे है फायदेमंद :
थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इससे आप हर समय एक्टिव रहते हैं और अपना काम पूरी क्षमता के साथ कर सकते हैं (2)।
3. अधिक प्रोटीन
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वजन बढ़ाने के लिए कैलोरी के साथ-साथ प्रोटीन की भी जरूरत होती है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा, मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं, क्योंकि कमजोर मांसपेशियां अधिक वजन को सहने में सक्षम नहीं होती हैं।
क्या करें :
अंडे, मछली, चिकन, दाल, स्प्राउट्स व डेयरी उत्पादों को प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना गया है।
टूना व मैकेरल जैसी मछलियों में अत्यधिक तेल पाया जाता है और इसके सेवन से वजन बढ़ाने में मदद मिलती है।
कैसे है फायदेमंद :
प्रोटीन में एमिनो एसिड पाया जाता है, जिससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसलिए, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ मांसपेशियों व वजन बढ़ाने के लिए जरूरी है (3) (4)।
4. स्वस्थ वसा
अगर आप यह सोच रहे हैं कि वजन बढ़ाने के लिए वसा की क्या जरूरत है, तो आप गलत हैं। शरीर के लिए सीमित मात्रा में वसा का सेवन करना भी जरूरी है। मांसपेशियों के विकास और टेस्टोस्टेरॉन जैसे हार्मोंस के लिए स्वस्थ वसा की जरूरत होती है। यह मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाने में भी मदद करता है, जिससे शरीर को खराब वसा को बाहर निकालने और अच्छे वसा को बनाए रखने में मदद मिलती है। पोलीअनसैचुरेट और मोनोअनसैचुरेट फैट को स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इस तरह का फैट आपको मेवों, हरी पत्तेदार सब्जियों, अलसी के तेल, एवोकाडो तेल व अन्य बीजों के तेल से मिल सकता है। साथ ही आपको बता दें कि अच्छी सेहत के लिए ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड की भी जरूरत होती है। इस लिहाज से अगर आप वजन बढ़ाने के बारे में सोच रहे ��ैं, तो अच्छे वसा की अनदेखी न करें (5)।
5. वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स
कुछ लोग जरूरत से ज्यादा कमजोर होते हैं। ऐसे लोगों को पौष्टिक खाद्य पदार्थों व नियमित व्यायाम करने के साथ-साथ वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स लेने भी जरूरी होते हैं। ये सप्लीमेंट्स आप अपने डॉक्टर की सलाह पर ही लें। डॉक्टर ही आपको बेहतर बता सकते हैं कि आपके स्वास्थ्य के अनुसार किस तरह के सप्लीमेंट्स फायदेमंद रहेंगे।
क्या करें :
बाजार में कई तरह के प्रोटीन शेक व सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं। आप इनका सेवन दूध या फिर स्मूदी में डालकर कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
अपनी दिनचर्या में सप्लीमेंट्स को शामिल करने से बॉडी मास इंडेक्स में वृद्धि होती है। साथ ही मांसपेशियों का विकास भी होता है (6)।
6. क्या खाएं
फुल वसा युक्त दूध
बीन्स, दाल व प्रोटीन युक्त अन्य पदार्थ
फल व सब्जियां
स्वस्थ फैट व ऑयल
अनाज
अच्छा व हेल्दी मीठा
7. योग
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कई समस्याओं का एकमात्र इलाज योग है। योग वजन कम करने के साथ-साथ वजन बढ़ाने में भी मददगार है। अगर आप वेट गेन के लिए डाइट चार्ट के साथ-साथ योग भी करते हैं, तो आपको अधिक लाभ हो सकता है। योग न सिर्फ तनाव को कम करता है, बल्कि आपके शरीर में ऊर्जा के स्तर को भी बेहतर करता है। इसके अलावा, योग से पाचन तंत्र भी बेहतर होता है, जिससे आपको भूख अच्छी लगती है। यहां हम कुछ योगासन बता रहे हैं, जिन्हें करने से वजन बढ़ सकता है।
सर्वांगासन : यह योगासन आपकी उम्र व कद के अनुसार आपके वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
पवनमुक्तासन : इसे करने से पाचन तंत्र अच्छा होता है, मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इन सभी समस्याओं के खत्म होने से आपको भूख अच्छी लगती है।
वज्रासन : इस योगासन से भी पाचन तंत्र बेहतर होता है। आप जो कुछ भी खाते-पीते हैं, उसे हजम करना आसान हो जाता है। साथ ही पूरे शरीर खासकर पैर व कमर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
8. वजन बढ़ाने के लिए व्यायाम
यहां बताए जा रहे व्यायाम को करने से मांसपेशियों का विकास अच्छी तरह होता है। ध्यान रहे कि आप ये सभी एक्सरसाइज योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
ट्विस्टेड क्रंच
लेग प्रेस
लेग एक्सटेंशन
लेग कर्ल्स
आर्म कर्ल्स
शॉल्डर श्रग
सीटेड डंबल प्रेस
ट्राइसेप्स पुश डाउन
बारबेल स्क्वाट
पुल अप
एबी रोलर
इनक्लाइन डंबल प्रेस
साइड लेटरल रेस
डंबल लंग्स
वेट क्रंचेस
कैसे है फायदेमंद :
ये व्यायाम स्वस्थ मांसपेशियों के लिए जरूरी हैं। साथ ही इनसे बॉडी मास इंडेक्स बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इससे आपका वजन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है (7)।
9. खाने-पीने का रखें रिकॉर्ड
जिस तरह से वजन कम करने वाले एक नोटबुक में लिखकर रखते हैं कि उन्हें दिनभर में क्या खाना है और कौन-कौन सी एक्सरसाइज करनी है। उसी प्रकार वजन बढ़ाने वालों को भी करना चाहिए। आप रोज नोटबुक में लिखें कि आपने दिनभर में क्या खाया और हफ्ते के अंत में नोट करें कि आपके वजन में कितना अंतर आया है। इससे आपको अंदाजा रहेगा कि क्या-क्या खाने से आपके वजन पर असर पड़ रहा है। इस नोटबुक को देखने से आपक�� वजन बढ़ाने की प्रेरणा मिलती रहेगी।
10. तनाव से छुटकारा
आधे से ज्यादा समस्याओं की जड़ तनाव होता है। जब आप तनाव में होते हैं, तो वजन कम या ज्यादा हो सकता है। साथ ही अन्य प्रकार की शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए, अगर आप वजन बढ़ाने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले तनाव से बाहर निकलने का प्रयास करें। तनाव को दूर करने के लिए आप मेडिटेशन कर सकते हैं, डांस कर सकते हैं या फिर अपनी पसंद का कोई म्यूजिक सुन सकते हैं।
11. पर्याप्त नींद
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बेशक, स्वस्थ व संतुलित भोजन करने, नियमित व्यायाम व योग करने और जरूरी सप्लीमेंट्स लेने से फायदा होता है, लेकिन शरीर को पूरा आराम देने के लिए पर्याप्त सोना भी जरूरी है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि चुस्त व तंदुरुस्त रहने के लिए प्रतिदिन सात-आठ घंटे सोना जरूरी है। इससे दिनभर की थकावट दूर हो जाती है और आपका शरीर अगले दिन पूरी ऊर्जा के साथ काम करने लिए तैयार हो जाता है।
12. स्वयं को प्रेरित करें
इसमें कोई शक नहीं कि वजन कम करने से मुश्किल वजन बढ़ाना है। इसलिए, अपनी डाइट को उतना ही बढ़ाएं और एक्सरसाइज करें, जितना कि आपका शरीर सह सके। अगर आप अपनी क्षमता से ज्यादा कुछ करते हैं, तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। साथ ही आपके लिए धैर्य रखना भी जरूरी है, क्योंकि वजन धीरे-धीरे बढ़े तभी अच्छा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आप वजन बढ़ाने वाले डाइट चार्ट को 30 दिन तक लगातार लेते हैं, तो प्रति माह करीब डेढ़ किलो वजन बढ़ सकता है। अगर आपका वजन एक माह में इससे ज्यादा बढ़ता है, तो यह सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ध्यान रहे कि हर व्यक्ति का शरीर और उसकी जरूरतें अलग-अलग होती हैं। इसलिए, आप अपने स्वास्थ्य के अनुसार ही अपना लक्ष्य निर्धारित करें। महिलाओं के लिए वेट गेन करने के लिए डाइट चार्ट व नियम कुछ अलग हो सकते हैं।
आगे हम बात रहे कि आखिर वजन कम क्यों होता है।
जानिए वजन कम होने के कारण – Reasons for Being Underweight in Hindi
महिला व पुरुष दोनों का सामान्य वजन वैज्ञानिक तौर पर उनकी उम्र व कद के अनुसार निर्धारित है। अगर वजन सामान्य से 15-20 प्रतिशत कम है, तो आपको अंडरवेट माना जाता है। इसे हम उदाहरण के साथ समझते हैं। मान लीजिए किसी महिला कि उम्र 26-30 के बीच है और कद 148-151 सेमी की बीच है, तो वजन करीब 47 किलो होना चाहिए। अगर वजन 40 किलो (15%) या फिर 37 किलो (20%) रह जाता है, तो उसे कम वजनी कहा जाएगा। 47 वर्षीय महिला का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 20.6 किलो/स्कवेयर मीटर होना चाहिए। जब वजन कम होता है, तो बीएमआई भी घटने लगता है।
वहीं, अगर किसी पुरुष की उम्र 25-50 के बीच है और कद करीब 176 सेमी है, तो सामान्य वजन करीब 70 किलो होना चाहिए। अगर वजन 60 किलो (15%) और 57 किलो (20%) है, तो उसे अंडरवेट माना जाएगा (8)।
आइए, अब हम जान लेते हैं कि किन कारणों के चलते वजन कम होता है।
हाइपरथायरायडिज्म : गले में तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड ��हते हैं। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर के अंगों को ठीक प्रकार से संचालित करते हैं। हाइपरथायरायडिज्म में जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म स्तर खराब होने लगता है, ह्रदय ठीक से काम नहीं कर पाता और वजन भी कम होने लगता है (9)।
कैंसर : कैंसर होने पर भी वजन कम होने लगता है। साथ ही थकावट, भूख में कमी व मतली जैसी समस्याएं हो सकती है (10)।
टीबी : इस बीमारी की गिरफ्त में आने पर भी वजन तेजी से कम होता है (11)। साथ ही खांसी, अधिक थकावट व रात को पसीना आना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर टीबी के कारण आपका वजन लगातार कम हो रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए। डॉक्टर उसी के अनुसार आपका इलाज करेंगे।
एचआईवी एड्स : जो लोग एचआईवी एड्स से ग्रस्त होते हैं, उनका वजन भी धीरे-धीरे कम होने लगता है (12)। इसलिए, एक बार इसकी पुष्टि होने पर आपको डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय-समय पर दवाइयां खानी चाहिए। साथ अपनी जीवनशैली में जरूरी परिवर्तन करना चाहिए, ताकि आपका स्वास्थ्य ठीक रहे।
किडनी की बीमारी : जब बार-बार लगे कि आपको यूरिन आ रहा है, लेकिन रेस्टरूम से आने के बाद भी आपको यूरिन आने का अहसास हो, तो किडनी में खराबी का संकेत हो सकता है। इससे आपको यूरिन को रोके रखने की क्षमता में कमी, मतली, उल्टी, थकावट, मुंह में अजीब-से स्वाद का अहसास, त्वचा पर रैशेज व खुजली और सांस में अमोनिया की गंध आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, आपकी भूख भी कम हो सकती है, जिससे वजन कम होने लगता है (13) (14)।
दवाइयां : कुछ एंटीबायोटीक दवाइयां ऐसी होती हैं, जो आपकी भूख को कम करने का काम करती हैं (15)। भूख कम लगने पर आप ठीक से भोजन नहीं कर पाते, जिससे आपको जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसलिए, कोई भी दवा खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
भोजन में असंतुलन : जब आप निश्चित समय पर और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन नहीं करते हैं, तो एनोरेक्सिया नर्वोसा व बुलिमिया नर्वोसा जैसी बीमारी का ��िकार हो जाते हैं। ये दोनों भोजन संबंधी विकार हैं। इससे ग्रस्त मरीज को वजन कम या ज्यादा होने का डर सताता रहता है। ऐसे लोग हमेशा अपने वजन को लेकर चिंतित रहते हैं और शरीर का आकार बिगड़ने के बारे में सोचते रहते हैं। एक प्रकार से कह सकते हैं कि यह मानसिक विकार से जुड़ी बीमारी भी है (16) (17)।
एंजाइम में कमी : पाचन तंत्र व पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए डाइजेस्टिव एंजाइम बेहद जरूरी हैं। इनकी मदद से ही शारीरिक विकास होता है। जब पेट की आंतरिक दीवारें डाइजेस्टिव एंजाइम को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, तो उससे वजन कम होने की आशंका बढ़ जाती है (18)।
आनुवंशिक : कुछ हद तक पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कम वजन का कारण हो सकती है। अगर आपके परिजनों का वजन कम रहा है, तो ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपको भी इस समस्या से दो-चार होना पड़े।
खराब लिवर : लिवर खराब होने पर शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस कारण से भी वजन कम होने लगता है।
लेख के अंतिम भाग में हम बता रहे हैं कि वजन कम होने पर क्या-क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
वजन कम होने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं – Health Problems Caused By Being Underweight in Hindi
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता : वजन कम होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। प्रतिरोधक क्षमता के ठीक से काम न करने पर आप जल्द ही अन्य बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। मौसम में थोड़ा-सा बदलाव होते ही स्वास्थ्य पर असर नजर आने लगता है। इसके अलावा, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां होने का भी अंदेशा रहता है।
एनीमिया : कम वजन वाले व्यक्ति को अक्सर थकावट महसूस होती है। वह ठीक से भोजन नहीं कर पाता, जिस कारण उसे पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते और शरीर में ऊर्जा की कमी रहती है। परिणामस्वरूप, शरीर में रक्त की मात्रा भी कम होने लगती है और एनीमिया जैसी बीमारी शरीर में घर कर लेती है।
प्रजनन संबंधी समस्या : महिलाओं में कम वजन का असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। इससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है और महिला के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर गर्भधारण कर भी ले, तो गर्भपात की आशंका रहती है। वहीं, कम वजन वाले पुरुषों को यौन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संभोग के समय उन्हें दर्द हो सकता है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो सकती है व इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या हो सकती है।
कमजोर हड्डियां : कम वजन वाली महिलाओं व पुरुषों दोनों को ऑस्टियोपोरोसिस का सामना करना पड़ सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें फ्रैक्चर होने ��ा अंदेशा कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा हार्मोंस में बदलाव और विटामिन-डी व कैल्शियम में कमी के कारण होता है।
दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है। बस जरूरत है, तो अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने के लिए धैर्य रखने की। आप संतुलित व पौष्टिक भोजन का सेवन करें और अपने डॉक्टर की सलाह पर जरूरी सप्लीमेंट्स लेते रहें। इससे न सिर्फ आपका वजन बढ़ेगा, बल्कि आप स्वस्थ भी रहेंगे। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम भी जरूर करें। आप इस संबंध में कुछ कहना या पूछना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।
स्वस्थ रहें, खुश रहें।
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माथे की झुर्रियां हटाने के 10 सबसे सरल घरेलू उपाय – Simple Ways To Get Rid Of Forehead Wrinkles in Hindi
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माथे की झुर्रियां हटाने के 10 सबसे सरल घरेलू उपाय – Simple Ways To Get Rid Of Forehead Wrinkles in Hindi
Nripendra Balmiki January 8, 2019
यह कहना गलत होगा कि माथे पर पड़ने वाली झुर्रियां बुढ़ापे की निशानी हैं। ये रेखाएं युवावस्था के दौरान भी आपकी खूबसूरती को प्रभावित कर सकती हैं। कम उम्र में ही बुढ़ापे के संकेत मिलना गंभीर विषय है, जिसे लेकर महिलाएं सबसे ज्यादा चिंतित रहती हैं। दैनिक तनाव और थकावट असमय पड़ने वाली झुर्रियों के अहम कारण माने गए हैं। हालांकि, बाजार में झुर्रियां रोकने के कई आधुनिक उपाय मौजूद हैं, लेकिन अगर आप असमय विकसित होने वाली इन झुर्रियों से निजात पाने के लिए प्राकृतिक उपायों की तलाश में हैं, तो यह लेख आपकी समस्या का हल बन सकता है।
माथे की झुर्रियों के बारे में जानने के बाद आगे जानिए इसे रोकने के सटीक घरेलू उपाय।
घर में ही माथे की झुर्रियों से कैसे छुटकारा पाएं – How to Reduce Forehead Wrinkles At Home in Hindi
माथे की झुर्रियों का इलाज त्वचा विशेषज्ञ और सर्जन के पास जाए बिना भी संभव है। माथे की ये रेखाएं शुरुआत में आपको अजीब लग सकती हैं, लेकिन धैर्य और सही घरेलू उपचार के साथ इससे निजात पाया जा सकता है। हमारे साथ जानिए माथे पर पड़ी झुर्रियों को हटाने के सबसे कारगर घरेलू नुस्खों के बारे में, जानिए ये आपको किस प्रकार लाभ पहुंचा सकते हैं।
1. नारियल का तेल
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ऑर्गेनिक नारियल तेल
कैसे करें इस्तेमाल
नारियल तेल की कुछ बूंदे लें और अपने चेहरे और माथे पर लगाएं।
कुछ मिनट तक हल्की मालिश करें।
कितनी बार करें
रोजाना रात में सोने से पहले यह प्रक्रिया दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
नारियल का तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और इसे स्वस्थ रखता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को हटाने के लिए जाने जाते हैं। ये फ्री रेडिकल्स त्वचा में जमा होते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही झुर्रियों के बढ़ने का कारण बनते हैं। नारियल का तेल इन रेडिकल्स को खत्म करता है, जिससे माथे की झुर्रियों से राहत मिलती है (1, 2)।
2. अरंडी का तेल
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जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल
जैतून के तेल की एक-दो बूंदें लें और माथे पर अच्छी तरह लगाएं।
रात भर तेल को माथे पर लगा रहने दें।
कितनी बार करें
आप रात के समय या दिन के वक्त भी इस तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
अरंडी के तेल में रिकिनोइलिक एसिड पाया जाता है, जो एक बेहतरीन स्किन-कंडीशनिंग एजेंट के रूप में काम करता है (3)। यह तेल एंटीऑक्सीडेंट गुण से भी समृद्ध होता है, जो माथे की त्वचा को स्वस्थ रखने के साथ-साथ असमय माथे पर पड़ने वाली रेखाओं को भी मुक्त करता है (4)।
3. सिट्रस फल
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ताजा नींबू का रस
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कैसे करें इस्तेमाल
नींबू के रस में रूई डुबोएं और इसे माथे पर लगाएं। अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो नींबू के रस के साथ बराबर मात्रा में पानी मिला लें।
रस को सूखने दें और बाद में पानी से धो लें।
आप सिट्रस फल जैसे नींबू और संतेरे के छिलकों को ग्राइंड कर, उसमें गुलाब जल मिलाकर फेस पैक बना सकते हैं। इसके अलावा, अपने भोजन में भी सिट्रस फलों को स्थान दें।
कितनी बार करें
नींबू का रस दिन में एक बार लगाएं।
कैसे है लाभदायक
नींबू और संतरे जैसे सिट्रस फल विटामिन-सी और ई से समृद्ध होते हैं, तो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माने जाते हैं। ये त्वचा को जवां और खूबसूरत बनाने में मदद करते हैं। सिट्रस फलों में पाए जाने वाला फ्लेवोनोइड कोशिकाओं को मजबूत करता है और त्वचा में कोलेजन व इलास्टिन को बनाए रखता है, जिससे त्वचा को एक युवा रूप मिलता है (5)।
4. मसाज
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जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल
10 मिनट तक हल्के गर्म जैतून के तेल से झुर्रियों के आसपास मालिश करें। मालिश के दौरान उंगलियों को ऊपर और नीचे की ओर ले जाएं।
बेहतर परिणाम के लिए आप नारियल तेल की कुछ बूंदें जैतून के तेल के साथ मिला सकते हैं।
कितनी बार करें
आप रोजाना एक या दो बार यह प्रक्रिया दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
नारियल तेल को जैतून तेल के साथ मिलकर एक प्रभावी मॉइस्चराइजर बनाया जा सकता है, जो प्रभावी रूप से त्वचा को हाइड्रेट करता है (6)। तेल की मालिश से चेहरे के टिश्यू के संचरण में सुधार होता है। मालिश करने से चेहरे की मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे झुर्रियां कम होती हैं।
5. अलसी के बीज
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सामग्री
अलसी का तेल
कैसे करें इस्तेमाल
एक दिन में दो से चार बार एक चम्मच अलसी के तेल का सेवन करें।
कितनी बार करें
इस प्रक्रिया को दो हफ्तों तक जारी रखें।
कैसे है लाभदायक
अलसी का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होता है। यह त्वचा को चिकनाई देता है और बाहरी परतों को ठीक करने का काम करता है, जिससे माथे की झुर्रियां कम होने लगती हैं (7)।
6. एलोवेरा जेल
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सामग्री
दो चम्मच एलोवेरा जेल
एक अंडे की सफेदी
कैसे करें इस्तेमाल
एलोवेरा जेल को अंडे की सफेदी के साथ अच्छी तरह मिला लें।
अब इस मिश्रण को अपने माथे पर लगाएं।
आप इसे अपने चेहरे पर भी लगा सकते हैं।
मिश्रण को 10-15 मिनट तक लगा रहने दें और बाद में गुनगुने पानी से धो लें।
कितनी बार करें
हफ्ते में दो-तीन बार इस प्रक्रिया को करें।
कैसे है लाभदायक
एलोवेरा और अंडे की सफेदी दोनों विटामिन-ई के समृद्ध स्रोत हैं, जिन्हें युवा विटामिन के रूप में जाना जाता है। एलोवेरा त्वचा को पोषित और कोमल रखता है। इसमें मैलिक एसिड होता है, जो फाइन लाइन्स को ठीक करने का काम करता है (8)। अंडे की सफेदी में मौजूद एल्बुमिन त्वचा को कसता है और टोन करता है (9)। माथे पर पड़ी झुर्रियों को हटाने के लिए आप एलोवेरा जेल का इस प्रकार इस्तेमाल कर सकते हैं।
7. जोजोबा तेल
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सामग्री
जोजोबा तेल की कुछ बूंदें
कैसे करें इस्तेमाल
उंगलियों पर तेल लेकर दो-तीन मिनट तक माथे की मालिश करें।
20 मिनट तक तेल को लगे रहने दें और बाद में गुनगुने पानी से धो लें।
कितनी बार करें
रोजाना रात को सोने से पहले यह प्रक्रिया दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
जोजोबा तेल विटामिन-ई गुणों से समृद्ध होता है, जिसका इस्तेमाल माथे की झुर्रियों को हटाने के लिए किया जा सकता है। विटामिन-ई के अलावा, जोजोबा तेल में एस्टर भी होता है, जो त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम कर सकता है (10)।
8. पेट्रोलियम जेली
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सामग्री
पेट्रोलियम जेली
कैसे करें इस्तेमाल
अपने माथे को हल्का गीला करें और थोड़ी मात्रा में पेट्रोलियम जेली लगाएं।
अब माथे की मालिश करें, ताकि त्वचा बहुत चिपचिपी न लगे।
कितनी बार करें
रोजाना रात में सोने से पहले करें।
कैसे है लाभदायक
माथे की झुर्रियों से निजात पाने के लिए आप पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एक पेट्रोलियम उत्पाद है, जो ज्यादातर घरों में पाया जाता है। मर्लिन मुनरो और जेनिफर एनिस्टन जैसे प्रसिद्ध अदाकार भी पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल करते थे। यह त्वचा को हाइड्रेट रखती है और महीन रेखाओं को रोकने का काम करती है (11)।
सावधानी : अगर आपकी त्वचा पर मुंहासे जल्दी आ जाते हैं, तो पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल न करें। पेट्रोलियम जेली मुंहासे को बढ़ा सकती है।
9. मनुका शहद
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सामग्री
एक-दो चम्मच शहद
वाश क्लॉथ
गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
गर्म पानी में वाश क्लॉथ को डुबाएं और निचोड़कर अतिरिक्त पानी निकाल लें।
अब एक-दो मिनट तक कपड़े को अपने माथे पर रखें, ताकि रोम छिद्र खुल जाएं।
इसके बाद कपड़े को हटाएं और मनुका शहद की कुछ मात्रा माथे पर लगाएं।
शहद को 20 मिनट तक माथे पर लगे रहने दें और बाद में गुनगुने पानी से धो लें।
कितनी बार करें
यह प्रक्रिया रोजाना एक बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
मनुका शहद में बेंजोइक एसिड और मेथिग्लॉक्सील जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये माथे की झुर्रियां हटाने का काम करते हैं (12)। साथ ही त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
10. बादाम का तेल
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सामग्री
बादाम का तेल
कैसे करें इस्तेमाल
बादाम तेल की कुछ बूंदें अपने माथे पर लगाएं।
कुछ मिनटों तक माथे की मसाज करें और तेल को लगा रहने दें।
कितनी बार करें
रोजाना रात को सोने से पहले यह प्रक्रिया दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
बादाम का तेल त्वचा को कोमल बनाता है और इसे जवां रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद इमाल्यन्ट त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ-साथ हाइड्रेट करने का काम भी करता है (13)।
माथे की फाइन लाइन्स को रोकने के लिए त्वचा को अच्छी तरह मॉइस्चराइज रखना बेहद जरूरी है। अब आप जान गए हैं कि असमय माथे पर पड़ने वाली झुर्रियों को प्राकृतिक रूप से कैसे रोका जा सकता है। अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं, तो लेख में बताए गए किसी भी घरेलू उपाय को अपना सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
माथे पर झुर्रियां क्यों पड़ती हैं?
माथे पर पड़ने वाली झुर्रियों के एक से ��्यादा कारण हो सकते हैं, जैसे-
उम्र का बढ़ना, इलास्टिन का टूटना और त्वचा में कोलेजन की कमी
पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आना
धूम्रपान और शराब का सेवन
असंतुलित आहार
पानी कम पीना
तनाव और अवसाद
नींद की कमी
आनुवंशिक
माथे पर क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) झुर्रियों के लिए कौन सी मांसपेशियां जिम्मेदार होती हैं?
ओक्सिपिटोफरोंटलीस (occipitofrontalis) मांसपेशियां माथे पर इन रेखाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं।
किस उम्र में माथे पर झुर्रियां दिखाई देने लगती हैं?
माथे पर झुर्रियां पड़ने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती। ये 20 साल की उम्र में दिखनी शुरू हो सकती हैं या फिर 50 की उम्र तक भी दिखाई न दें। चेहरे और माथे पर झुर्रियों और रेखाओं का दिखना इस बात पर निर्भर करता है कि आप बाहरी और आंतरिक रूप से अपनी त्वचा का किस प्रकार ध्यान रखते हैं।
माथे की गहरी झुर्रियों के लिए क्या इस्तेमाल करना चाहिए?
फाइन लाइन्स और माथे की गहरी झुर्रियों के लिए आप ऊपर बताए गए उपायों को अपना सकते हैं। गहरी रेखाओं को भरने में थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है, लेकिन आप इन उपचारों का नियमित रूप से प्रयोग करें।
क्या मॉइस्चराइजर माथे की झुर्रियों को हटाने में मदद करता है?
एजिंग और फाइन लाइन्स से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप त्वचा को मॉइस्चराइज और हाइड्रेट रखें। आम मॉइस्चराइजर माथे की झुर्रियों को उतने प्रभावी ढंग से नहीं हटा सकते, इसलिए आपको एंटी-रिंकल मॉइस्चराइजर की जरूरत पड़ेगी।
त्वचा को स्वस्थ, कोमल और जवां रखने के लिए आप अच्छा खाएं और जितना हो सके उतना पानी पिएं। इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेना और तनाव मुक्त रहना भी बहुत जरूरी है। अगर आप इन चीजों का पहले से पालन नहीं करते आएं हैं, तो अब वक्त है इन जरूरी नियमों को अपनी जीवनशैली में स्थान देने का। एक महीने तक इन सुझावों को पालन करने से आप त्वचा में जरूर फर्क देखेंगे।
आशा है कि आप जान गए होंगे कि माथे से झुर्रियों को कैसे हटाया जाए। ये लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में बताना न भूलें।
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gethealthy18-blog · 6 years ago
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अलसी के फायदे, उपयोग और नुकसान – Flax Seeds (Alsi) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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अलसी के फायदे, उपयोग और नुकसान – Flax Seeds (Alsi) Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Arpita Biswas December 20, 2018
इस रफ्तार भरी जिंदगी में किसी के पास इतना भी समय नहीं है कि वो अपनी सेहत पर ध्यान दे सके। इस कारण उन्हें कई बीमारियां घेर लेती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने आहार में किसी ऐसी चीज को शामिल करें, जिससे आपको सभी तरह के पोषण मिल सकें और आप बीमारियों से भी दूर रहें। अलसी इन्हीं में से एक है। अलसी भले ही दिखने में छोटी हो, लेकिन इसके बीज के फायदे अनेक हैं। अलसी के औषधीय गुण बीमारियों पर रामबाण की तरह काम करते हैं। आज इस लेख में हम अलसी के फायदे बता रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आप इसे अपने आहार में जरूर शामिल करेंगे।
अलसी क्या होती है?
इससे पहले कि हम आपको अलसी के फायदे बताएं, आप यह जान लें कि अलसी होती क्या है। अलसी को इंग्लिश में फ्लैक्ससीड (flaxseed) कहा जाता है और इसे तीसी के नाम से भी जाना जाता है। लोग कई वर्षों से इसका उपयोग कर रहे हैं और यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है।
अलसी के औषधीय गुण – Medicinal Properties of Flax Seeds in Hindi
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अलसी गुणों का खजाना है, लेकिन कई लोग आज भी इससे अनजान हैं। अलसी हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाकर स्वस्थ रखने में मदद करती है। शाकाहारी लोगों के लिए अलसी वरदान है, क्योंकि मछली में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड अलसी में मौजूद होता है। साथ ही इसमें लिगनेंस एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर व अल्फा लिनोलिक एसिड भी मौजूद होता है (1) (2), जो आपके शरीर में होने वाली तरह-तरह की बीमारियां जैसे – डायबिटीज, दिल की बीमारी, पेट की परेशानी और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं को कम करते हैं। अलसी के औषधीय गुण मनुष्य के लिए अमृत से कम नहीं हैं।
अलसी के औषधीय गुण जानने के बाद अब वक़्त आ गया है, अलसी के फायदे जानने का। नीचे हम स्वास्थ्य के लिए अलसी खाने के फायदे बता रहे हैं।
अलसी के फायदे – Benefits of Flax Seeds in Hindi
यहां हम स्वास्थ्य, त्वचा और बालों के लिए अलसी के फायदे के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। सबसे पहले हम यह बताते हैं कि सेहत के लिए अलसी किस प्रकार फायदेमंद है।
सेहत/स्वास्थ्य के लिए अलसी के फायदे
सही वक्त पर संतुलित खाना न खाने और बेवक्त सोने से शरीर बीमारियों का घर बना देता है। ऐसे में जरूरी है कि आप वक्त रहते अपने सेहत पर ध्यान दें और अपने डाइट में सेहतमंद खाने को शामिल करें। ऐसे में अलसी एक अच्छा उपाय है। अब देर किसी बात की, अलसी के फायदों को पढ़ें और इसे अपने आहार में शामिल करें।
1. वजन कम करने के लिए
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हम काम तो करते हैं, लेकिन शारीरिक कम और मानसिक ज्यादा। ज्यादा समय लैपटॉप और कंप्यूटर के आगे गुजरता है। इससे वजन कब बढ़ने लगता है, पता ही नहीं चलता। साथ ही काम में अधिक व्यस्त होने के कारण खानपान पर ध्यान न देना, बाहर का तला-भुना खाना से वजन बढ़ने लगता है और कई बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। ऐसे में अगर अलसी के बीज का सेवन किया जाए, तो यह परेशानी कम हो सकती है। अलसी के बीज में प्रचुर मात्रा में फाइब�� होता है, जो वजन को संतुलित रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जोकि लाभदायक फैट होता है। यह भूख को कम कर सकता है, जिससे आपका वजन कम होने में मदद मिल सकती है।
अलसी के बीज में मौजूद लिगनेन कोशिकाओं (cell) को काम करने में मदद करता है, जिस कारण आपका फैट कम हो सकता है। लिगनेन चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को बढ़ाता है, जिस कारण भी आपका वजन कम हो सकता है। अलसी के बीज के पाउडर वजन कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, अध्ययनों से यह भी पता चला है कि अलसी के बीज फैट निकालने में मदद करता है, जिससे शरीर में वसा की मात्रा कम हो जाती है (3)।
2. ब्लड प्रेशर को करता है कम
जैसे ही इंसान तनाव में आने लगता है, तो उसके शरीर में कई तरह की बीमारियां घर करने लगती है और हाई ब्लड प्रेशर उन्हीं में से एक है। हाई ब्लड प्रेशर होने से दिल के दौरे का या ब्रेन हैमरेज होने के अलावा अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। इसलिए, आप रोज जितनी जरूरत हो सके उतना व्यायाम करें और खानपान का ध्यान रखें। इसके लिए आप अपने खाने में अलसी के बीज को शामिल करें। इसमें लिनोलिक एसिड, लिगनेन व फाइबर होते हैं, जो कुछ हद तक ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं (4) (5)।
3. मधुमेह के लिए
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इन दिनों हर कोई मधुमेह से ग्रस्त है। इसलिए, जरूरी है कि लोग ��क्त रहते इस पर ध्यान दें। मधुमेह में अगर अलसी का सेवन किया जाए, तो ब्लड शुगर का स्तर कुछ प्रतिशत तक कम हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें म्यूसिलेज होता है, जो एक प्रकार का फाइबर होता है। यह पाचन को नियंत्रित कर खून में ग्लूकोज कम करताा है।
इसके अलावा, प्रारंभिक अध्ययनों से यह भी पता चला है कि फ्लैक्ससीड्स मधुमेह को होने से कुछ हद तक रोक भी सकता है। इसमें एसडीजी नामक एक यौगिक होता है, जो टाइप-1 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है और टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका को कम कर सकता है (6)।
4. सर्दी-खांसी में असरदार
बदलते मौसम के साथ सर्दी-जुकाम होना आम बात है, लेकिन अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी का भी रूप ले सकती है। ऐस में अगर आप अलसी के बीज को घरेलू उपाय के रूप में अपनाएंगे, तो सर्दी-जुकाम की परेशानी कम हो सकती है। सर्दी-जुकाम होने पर अलसी के पाउडर की चाय पिएं या फिर आप दो चम्मच अलसी को एक कप पानी में तब तक उबालें, जब तक वो गाढ़ा न हो जाए। अब इसको छान लें और इसमें तीन चम्मच शहद और नींबू का रस मिलाकर पिएं। आप अलसी के बीज को अपने सूप, स्मूदी या अन्य खाद्य पदार्थ में भी शामिल कर सकते हैं। अलसी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मौजूद हैं। इसे प्राचीन काल से सर्दी-जुकाम के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है (7)।
5. कोलेस्ट्रॉल को करता है कम
जब बात आए कुछ हेल्दी खाने की, तो अलसी एक अच्छा ऑप्शन है, अलसी शरीर के हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम करता है (8) (9)। आप हर रोज छोटे चम्मच से एक या दो चम्मच अलसी के पाउडर का सेवन करें। इससे आपका कोलेस्ट्रॉल काफी हद तक कम होगा और आपको एनर्जी भी मिलेगी, क्योंकि अलसी में फाइबर और ओमेगा-3 होता है, जो आपको ऊर्जा देगा।
6. दिल के लिए फायदेमंद
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शरीर को स्वस्थ रखना है, तो दिल को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। तनाव, गलत खानपान और कई अन्य कारणों से हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में अगर आप अलसी के बीज का सेवन शुरू करें, तो दिल की बीमारी का खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है, जो दिल के बीमारी का खतरा कम करता है (10) (11)। यह धमनियों के काम को सुधारता है। एक और अध्ययन के अनुसार, अगर कोई एएलए (ALA), जो एक तरह का ओमेगा-3 फैटी एसिड का प्रकार होता है, उसका सेवन करे, तो हार्ट अटैक का खतरा कम हो सकता है (12) (13)।
7. जोड़ों के दर्द या गठिया में खाएं अलसी
एक वक्त था जब हड्डियों और जोड़ों का दर्द बढ़ती उम्र की निशानी हुआ करती थी, लेकिन आजकल लगभग हर कोई हड्डियों और जोड़ों के दर्द से परेशान रहता है। कभी पूरा दिन कुर्सी पर बैठे रहने से, कभी जरूरत से ज्यादा दौड़-भाग करने से, तो कभी बदलते मौसम की मार से। कई बार लोग शुरुआत में इन दर्द को अनदेखा कर देते हैं, जो आगे चलकर मुसीबत बन जाता है। इसलिए, यह जरूरी है कि आप पहले से ही सावधानियां बरतें। आप जोड़ों के दर्द के लिए अलसी का सेवन कर सकते हैं या फिर अलसी के पाउडर को सरसों के तेल में गुनगुना करके जोड़ों पर लगाएं, आपको आराम मिलेगा। हालांकि, यह कहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि अलसी के बीज गठिया में असरदार होगा या नहीं, लेकिन इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है, जिससे गठिया की परेशानी कम हो सकती है। इसलिए, यह कह सकते हैं कि अलसी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द या गठिया की बीमारी में काफी असरदार हो सकते हैं (14) (15)।
8. गर्भावस्था के दौरान अलसी का सेवन
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को अपने गर्भ में पल रहे शिशु का खास ध्यान रखना होता है। इसलिए, गर्भावस्था में महिला को खानपान का ध्यान रखना जरूरी है, ऐसे में अगर अलसी का सेवन किया जाए, तो गर्भवती महिला के लिए काफी लाभकारी हो सकता है। अलसी में प्रचुर मात्रा में फाइबर, ओमेगा-3 और प्रोटीन होता है और एक गर्भवती महिला को इन सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है (1)। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को कब्ज की परेशानी होती है, लेकिन सीमित मात्रा में अलसी के सेवन से यह समस्या दूर हो सकती है, क्योंकि अलसी में फाइबर होता है, जो कब्ज से राहत दिला सकता है। वहीं प्रोटीन और ओमेगा-3 गर्भ में पल रहे शिशु के लिए महत्वपूर्ण होता है।
नोट: जैसा कि सभी जानते हैं कि गर्भावस्था महिला के लिए एक नाजुक दौर होता है और हर महिला की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती है। अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है या है, तो गर्भावस्था के दौरान अलसी खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। इसके अलावा, अलसी की तासीर गर्म होती है, इसलिए भी गर्भावस्था में इसके सेवन से पहले विशेषज्ञ की राय लें।
9. इम्यून सिस्टम के लिए
मनुष्य का इम्यून सिस्टम सही होना बहुत जरूरी है, अगर किसी का इम्यून सिस्टम ठीक नहीं है, तो वो बार-बार बीमारी का शिकार होने लगता है। किसी भी व्यक्ति को अपना इम्यून सिस्टम सही रखने के लिए न सिर्फ अपनी दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि खाने का भी ध्यान रखना चाहिए। इम्यून पावर बढ़ाने के लिए आप अलसी का सेवन कर सकते हैं, इसमें एएलए (ALA) होता है, जो एक तरह का ओमेगा-3 फैटी एसिड है�� अलसी में फाइबर, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व भी होते हैं, जो इम्यून पावर को बढ़ाने में मददगार होते हैं। इससे आपके शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता आती है (7)। आप अलसी के बीज या उसके पाउडर को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
10. लिवर के लिए अलसी
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व्यस्त दिनचर्या की वजह से लोग खानपान का ठीक से ध्यान नहीं रख पाते, नतीजतन पेट और लिवर संबंधी परेशानियां हो जाती हैं। इनसे बचने के लिए और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए आप अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इससे न सिर्फ आपको ऊर्जा मिलेगी, बल्कि आपका लिवर भी स्वस्थ रहेगा (16)। इसके सेवन के साथ-साथ आपको अपनी जीवनशैली और खानपान का खास ख्याल रखना होगा, तब जाकर आपको पेट और लिवर संबंधी समस्यायों से छुटकारा मिल पाएगा।
11. कैंसर से बचाव
एक वक्त था जब कैंसर कुछ गिने-चुने लोगों को ही होता था, लेकिन अभी की जीवनशैली की वजह से कैंसर सर्दी-जुकाम और बुखार की तरह बन चुका है। ऐसे में गुणों का खजाना माने जाने वाले अलसी का सेवन किया जाए, तो यह खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है। कुछ अध्यनों के अनुसार रजोनिवृत्ति के बाद अगर महिलाएं अपने आहार में अलसी को शामिल करें, तो ब्रेस्ट कैंसर होने से बचा जा सकता है (17) (18)। अलसी के बीज कैंसर वाले मरीजों में ट्यूमर की वृद्धि को भी कम कर सकते हैं (19) (20)। अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो कई तरह के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद लिगनेन भी कैंसर ट्यूमर को बढ़ने से रोकता है (7)। शोध के अनुसार, अलसी के बीज से प्रोस्टेट कैंसर की आशंका कम हो सकती है (21)।
12. फंगल इंफेक्शन में फायदेमंद
कभी-कभी बदलते मौसम, धूल-मिट्टी या प्रदूषण की वजह से त्वचा संबंधी परेशानियां होने लगती है। इन्हीं परेशानियों में से एक है फंगल इन्फेक्शन, जिसमें त्वचा में खुजली व जलन होने लगती है और कभी-कभी तो त्वचा के ऊपरी सतह पर रैशेज, पपड़ी व लाल निशान उबर आते हैं। जरूरी नहीं कि यह सिर्फ बदलते मौसम के कारण ही हो, कभी-कभी दवाई के साइड इफेक्ट से भी फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इस पर ध्यान दें। फंगल इंफेक्शन के लिए आप अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। अलसी में एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण फंगल इंफेक्शन की परेशानी से बचाव हो सकता है (22)। अलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो फंगस को बढ़ने से रोकते हैं (23)।
13. किडनी के लिए
आजकल की लाइफस्टाइल की वजह से लोगों में तरह-तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। किडनी की बीमारी उन्हीं में से एक है। कम पानी पीना, गलत खानपान, डायबिटीज या यूटीआई (uti) जैसी समस्याएं कई बार किडनी की समस्या का कारण बन जाती हैं। इसलिए, जरूरी है कि वक्त रहते इस पर ध्यान दिया जाए। आप अपने आहार का खास ध्यान रखें और अपने खाने में अगर अभी तक आपने अलसी के बीज शामिल नहीं किए हैं, तो इसे शामिल करें। अलसी में मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड (Alpha Linolenic Acid – ALA) किडनी की परेशानी का जोखिम कुछ हद तक कम कर सकता है (24)। इसलिए, अगर किडनी की समस्या से बचना है, तो अलसी को अपनी डाइट में शामिल करें। साथ ही सही जीवनशैली को अपनाएं।
14. पेट में सूजन या गैस्ट्राइटिस (Gastritis)
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कई लोग पेट संबंधी समस्या��ों से परेशान हो रहे हैं। इसका कारण सही वक्त पर खाना न खाना, ज्यादा तेल-मसाले वाला या बाहर का तला-भुना खाना। पेट की समस्या लोगों में भले ही आम हो, लेकिन हम इसे अनदेखा नहीं कर सकते। अगर इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह पेट में सूजन या अल्सर का रूप ले सकती है। इसलिए, यह जरूरी है कि आप अपने खानपान में सुधार करें और आहार में अलसी को शामिल कर पेट की सूजन को सही वक्त पर ठीक करें (25)। आप चाहें तो अलसी के तेल का भी सेवन कर सकते हैं। आप इसे सलाद या स्मूदी के साथ भी उपयोग कर सकते हैं। इसके तेल से भी पेट की परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है (26)।
15. ब्लड शुगर के लिए
ब्लड शुगर का संतुलित रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि ब्लड शुगर का उतार-चढ़ाव आपको डायबिटीज का मरीज बना सकता है। ऐसे में ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए आप अपनी डाइट में अलसी को शामिल करें। इसमें ब्लड शुगर को कम करने के गुण तो है ही साथ ही यह डायबिटीज के दौरान इस्तेमाल की जानें वाली दवाइयों का प्रभाव भी बढ़ाता है (27)।
16. बुखार में अलसी का सेवन
बदलते मौसम के साथ सर्दी-जुकाम और बुखार होना आम बात है। ऐसे में जरूरी है कि मौसम के शुरुआत से ही सावधानी बरती जाए। आप अलसी का सेवन कर सकते हैं, इसे कई सालों से आयुर्वेदिक औषधीय के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है। इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण बुखार से बचाव कर सकते हैं (7) (28), आप चाहें तो अलसी के लड्डू खा सकते हैं।
17. गले में खराश के लिए
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मौसम ठंडा हो या गर्म गले में खराश की परेशानी कभी भी हो सकती है। अगर शुरुआत में गले की खराश पर ध्यान न दिया जाए, तो यह आगे चलकर बहुत बड़ा रूप भी ले सकती है। हालांकि, कई लोग तुरंत दवाइयों का भी सेवन शुरू कर देते हैं, जो कई बार सही नहीं होता है, इसलिए घरेलू उपाय आजमाने चाहिए। गले में खराश के लिए अलसी एक अच्छा घरेलू उपाय साबित हो सकता है। आप अपने गले को आराम देने के लिए एक कप पानी में दो से तीन चम्मच अलसी के बीज को तब तक उबालें, जब तक यह गाढ़ा न हो जाए। फिर इस पानी को छान लें और इसमें थोड़ा-सा शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन करें। अलसी को कई सालों से आयुर्वेदिक औषधि की तरह उपयोग किया जाता आ रहा है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले की खराश को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं (7) (29)।
18. अस्थमा या दमे में करें सेवन
अस्थमा या दमा की समस्या किसी को भी हो सकती है। जिन्हें यह परेशानी होती है, उन्हें बदलते मौसम या धूल-मिट्टी और प्रदूषण से बचना चाहिए। इस दौरान अपना खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही कुछ घरेलू नुस्खे भी आजमाने चाहिए। दमे के मरीज अगर सुबह एक गिलास पानी में एक चम्मच अलसी के पाउडर को भिगो दें और शाम को इसे छानकर पिएं, तो दमे की परेशानी से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। ध्यान रहे कि आप कांच के गिलास का ही इस्तेमाल करें। आप इस पाउडर को सुबह पानी में भिगोकर शाम को सेवन कर सकते हैं या शाम को भिगोकर सुबह सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद, ओमेगा-3 फैटी एसिड दमा की परेशानी से राहत दे सकता है (30)।
19. कान में दर्द के लिए अलसी
कई बार धूल-मिट्टी के वजह से, नहाते वक्त कान में पानी चले जाने से या अन्य कई कारणों से कान में संक्रमण हो जाता है और कान में असहनीय दर्द होता है। कई बार यह दर्द रात में भी होता है, लेकिन उस समय कोई दवाई घर में न होने से परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसे में अलसी का तेल कान दर्द से कुछ देर के लिए राहत दिला सकता है। हालांकि, अभी तक इसका कहीं कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन कई लोगों ने इस नुस्खे का अनुभव किया है।
20. दांत दर्द में अलसी के बीज
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आजकल दांत और मसूड़ों में दर्द की समस्या आम हो गई है। कभी ज्यादा मीठा खाने से कैविटी की परेशानी, कभी ठंड की वजह से मसूड़ों में सूजन और दर्द किसी को भी हो सकती है। जरूरी नहीं कि हर बार दवाई का सेवन किया जाए। आप दवा की जगह घरेलू उपाय भी कर सकते हैं, अलसी इन्हीं घरेलू उपायों में से एक है। आप अलसी को अपने स्मूदी में उपयोग कर सकते हैं। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे हर प्रकार की सूजन या मसूड़ों की परेशानी दूर हो सकती है। अगर परेशानी ज्यादा दिनों तक हो, तो अपने डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाएं (31)।
अब हम त्वचा के लिए अलसी खाने के फायदे जान लेते हैं।
त्वचा के लिए अलसी के फायदे – Skin Benefits of Flax Seeds in Hindi
स्वास्थ्य के लिए अलसी के लाभ तो आप जान ही गए हैं मुलायम, बेदाग़ त्वचा की चाहत हर किसी को होती है और इसके लिए लोग तरह-तरह के उपाय और घरेलू नुस्खे भी अपनाते हैं। इन्हीं घरेलू उपाय में अगर आप अलसी को शामिल करें तो आपकी त्वचा और खूबसूरत हो सकती है। नीचे हम त्वचा के लिए अलसी के बीज के फायदे आपको बता रहे हैं।
1. कील-मुंहासों के लिए अलसी
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कील-मुंहासे किसी को भी हो सकते हैं। इसके लिए लोग कई तरह की क्रीम, फेसवॉश या घरेलू उपाय का प्रयोग करते हैं। इन उपायों में अगर अलसी को शामिल किया जाए, तो कुछ हद कील-मुंहासों से छुटकारा पाया जा सकता है। आप चाहें तो हर रोज एक या दो चम्मच अलसी का सेवन करें या फिर आप इसे फेस मास्क की तरह भी उपयोग कर सकते हैं। नीचे हम फेस मास्क बनाने की विधि आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
अलसी का फेस पैक
सामग्री
एक चम्मच अलसी का पाउडर
तीन से चार चम्मच पानी
बनाने की विधि
आप अलसी के बीज का पाउडर बना लें। यह आपको बाजार से भी मिल जाएगा।
एक चम्मच अलसी के पाउडर को तीन चम्मच पानी में 10 से 15 मिनट के लिए भिगो दें।
कुछ देर बाद आप देखेंगे की यह चिपचिपा पेस्ट तैयार होने लगा है।
अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं।
फिर इसे सूखने दें।
उसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धोकर मॉइश्चराइजर लगा लें।
कैसे फायदेमंद है
अलसी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कई तरह के विटामिन, प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है (7) (32), जो त्वचा में निखार ला सकता है । इसके अलावा, इसके सेवन से कब्ज की परेशानी भी दूर हो सकती है (33) (34), जिस कारण शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं और कील-मुंहासों की परेशानी दूर होती है।
2. सोरायसिस में अलसी
सोरायसिस एक त्वचा संबंधी बीमारी है, यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। यह ज्यादातर कोहनी, हाथ-पैर, स्कैल्प, घुटनों, हथेलियों व पांव के तलवों में होती है। इसमें त्वचा पर लाल रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं और खुजली या जलन हो सकती है। ऐसे में आप अलसी का तेल लगा सकते हैं। इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की समस्याओं को कुछ हद तक दूर सकता है, लेकिन इस बारे में अपने डॉक्टर से बात जरूर करें, क्योंकि हर किसी की त्वचा एक जैसी नहीं होती है। अगर आपकी त्वचा में किसी भी चीज से जल्दी इंफेक्शन या एलर्जी होती है, तो पहले इसका पैच टेस्ट कर लें।
3. एक्जिमा में अलसी के बीज
दवाई के साइड इफेक्ट, ज्यादा साबुन या डिटर्जेंट के इस्तेमाल से, धूल-मिट्टी व अन्य कारणों से त्वचा में संक्रमण हो जाता है, एक्जिमा उन्हीं में से एक है। बार-बार खुजली या जलन होना या कभी-कभी रैशेज होना एक्जिमा के लक्षण होते हैं। इस बीमारी को दूर करने के लिए रोज एक या दो चम्मच अलसी का सेवन करें। एक्जिमा के साथ-साथ अलसी दाद जैसी त्वचा संबंधी परेशानी में भी फायदा करता है।
4. फोड़े-फुंसी के लिए
फोड़े-फुंसी की समस्या कभी भी हो सकती है। अगर यह ज्यादा बढ़ जाए, तो काफी कष्टदायी होता है। ऐसे में आप इसे कम करने के लिए शुरुआत में ही अलसी का लेप लगा सकते हैं। आप एक चौथाई अलसी के बीज को थोड़े या बराबर मात्रा में सरसों के साथ पीसकर लेप बनाकर लगाएं। इससे आपको कुछ हद तक आराम मिल सकता है। अगर आपको दर्द ज्यादा महसूस हो या आपको लगे कि ठीक होने में वक्त लग रहा है, तो एक बार डॉक्टर से जांच करवा लें।
5. एंटी-एजिंग के लिए
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धूल-मिट्टी, प्रदूषण, सूरज की हानिकारक किरणें और तरह-तरह की चीजों के इस्तेमाल से त्वचा रूखी, बेजान और वक्त से पहले झुर्रियों का शिकार होने लगती है। उम्र के साथ झुर्रियों का होना सामान्य है, लेकिन यह झुर्रियां अगर उम्र से पहले दिखने लगें, तो चिंता का कारण है। ऐसे में आप अलसी को घरेलू उपाय के तौर पर उपयोग कर सकते हैं। आप अलसी का तेल लगा सकते हैं या अलसी का सेवन भी कर सकते हैं। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और कई अन्य तत्व मौजूद होते हैं (1), जो एंटी-एजिंग का काम करते हैं और झुर्रियों को कम कर सकते हैं। त्वचा को जवां रखने के लिए पोषक तत्वों की बहुत जरूरत होती है और यही पोषक तत्व आपको अलसी में आसानी से मिल जाएगा (35)। इसके अलावा, यह त्वचा को हाइड्रेट भी रखता है (36)।
6. स्ट्रेच मार्क्स के लिए अलसी
स्ट्रेच मार्क्स की समस्या सिर्फ गर्भावस्था में ही नहीं, बल्कि वजन बढ़ने और कई अन्य कारणों से भी होती है। स्ट्रेच मार्क्स आमतौर पर कमर, पेट, स्तन व जांघों पर होते हैं और इसे होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। अगर एक बार स्ट्रेच मार्क्स हो जाएं, तो उसके दाग मिटाने मुश्किल हो जाते हैं। इस पर अगर वक्त रहते ध्यान दिया जाए, तो इस दाग को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसे ठीक करने के लिए घरेलू उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है और अलसी के बीज उन्हीं में से एक हैं। अलसी स्ट्रेच मार्क्स को हटाने में सक्षम है। आप नहाने के बाद या सोने से पहले स्ट्रेच मार्क्स पर अलसी के तेल को लगा सकते हैं। इसके लगातार उपयोग से कुछ हद तक दाग कम ह��� सकते हैं। हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं है, यह सिर्फ अनुमान व लोगों के अनुभवों पर आधारित है। इसके अलावा यह इस पर भी निर्भर करता है कि दाग कितने पुराने हैं।
इस लेख में हम आगे बात करेंगे कि अलसी बालों के लिए किसी प्रकार लाभकारी है।
बालों के लिए अलसी के फायदे – Hair Benefits of Flax Seeds in Hindi
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हर कोई चाहता है कि उसके बाल लंबे, घने, मुलायम, चमकदार और खूबसूरत हों। इसके लिए लोग बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। इनसे बाल अच्छे नजर आने की जगह रूखे और बेजान होकर गिरने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि कुछ घरेलू उपायों को अपनाया जाए, अलसी उन्हीं में से एक है।
1. बालों को झड़ने से रोके अलसी
खूबसूरत लंबे बाल जब झड़ने लगते हैं, तो यह काफी दुखदायी होता है। बालों का झड़ना अक्सर मौसम की वजह से, पोषक तत्वों की कमी से या किसी चीज के साइड इफेक्ट से होता है। जरूरी नहीं कि आप हर चीज के लिए दवाइयों का ही सेवन करें, कुछ घरेलू नुस्खे और पोषक तत्वों के सेवन से भी आपके बालों का झड़ना कम हो सकता है (37)। बालों का झड़ना रोकने के लिए आप अलसी का उपयोग कर सकते हैं। अलसी में प्रचुर मात्रा में विटामिन, ओमेगा – 3 फैटी एसिड, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व हैं (1), जो बालों को जड़ों से मजबूत बनाते हैं। अलसी बालों की जड़ों को नमी प्रदान करती और उन्हें खूबसूरत व चमकदार बनाती है। आप अलसी का जेल बनाकर अपने बालों में लगा सकते हैं। इसकी विधि हम नीचे आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
अलसी का जेल
सामग्री
दो कप पानी
चार चम्मच अलसी के बीज
नोट: सामग्री आप अपनी आवश्यकतानुसार ले सकते हैं।
बनाने और लगाने की विधि
दो कप पानी को उबालें।
जब पानी उबलने लगे, तो इसमें चार चम्मच अलसी के बीज मिला दें।
अब इसे किसी चीज से ढककर 10 से 15 मिनट तक उबलनें दें।
इसके बाद गैस बंद कर दें और छान लें।
इस मिश्रण को आप सुबह बालों पर लगाएं और कुछ मिनट बाद धो लें।
कब लगाएं?
आप इसे हर रोज या हर दूसरे दिन सुबह लगा सकते हैं।
इसके अलावा, आप अलसी का तेल भी लगा सकते हैं या अलसी का सेवन भी कर सकते हैं।
2. डैंड्रफ के लिए अलसी
डैंड्रफ और स्कैल्प में खुजली की परेशानी किसी को भी हो सकती है। इसमें कई बार शैंपू भी असर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आप अलसी के तेल से बालों की मालिश कर सकते हैं। अलसी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो डैंड्रफ और स्कैल्प की खुजली की समस्या को कम कर सकते हैं (29) (1)।
अलसी के पौष्टिक तत्व – Flax Seeds Nutritional Value in Hindi
अलसी के औषधीय गुण अनेक हैं। इसलिए, भारत में इसे आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उपयोग किया जा रहा है। अलसी को सुपर फूड कहा जाता है, क्योंकि यह गुणों और पौष्टिक तत्वों का खजाना होता है। अलसी के फायदे बताने के बाद अब हम इसके पौष्टिक तत्व की सूची आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
प्रिंसिपल न्यूट्रिएंट वैल्यू पर्सेंटेज ऑफ आरडीए एनर्जी 534 Kcal 27% कार्बोहाइड्रेट 28.8 g 22% प्रोटीन 18.3 g 32.5% टोटल फैट 42.16 g 170% कोलेस्ट्रॉल 0 mg 0% डाइट्री फाइबर 27.3gm 68% विटामिन्स फोलेट्स 87 µg 22% नियासिन 3.08 mg 19% पैंटोथेनिक एसिड 0.985 mg 20% पायरीडॉक्सीन 0.473 mg 36% राइबोफ्लेविन 0.161 mg 12% थायमिन 1.64 mg 137% विटामिनए 0 IU 0% विटामिनसी 0.6 mg 1% विटामिनई 19.95 mg 133% विटामिनके 4.3 µg 3.5% इलेक्ट्रोलाइट्स सोडियम 30mg 2% पोटेशियम 813mg 17% मिनरल्स कैल्शियम 255 mg 22% कॉपर 1.12 mg 124% आयरन 5.73 mg 72% मैग्नीशियम 392 mg 98% मैंगनीज 2.48 mg 108% जिंक 4.34 mg 39% फाइटोन्यूट्रीएंट्स बीटा कैरोटीन 0 µg – लुटिनजियाजैंथिन 651 µg –
भले ही अलसी पोषक तत्वों का खजाना है, लेकिन आप याद रखें कि यह कोई जादू की गोली नहीं है कि आप तुरंत इसका सेवन करो और आपको फायदा नजर आने लगे। आपको इसके सेवन के बाद धैर्य रखना होगा और साथ ही अपनी जीवनशैली व खानपान का भी ध्यान रखना होगा।
अलसी खाने के फायदे बताने के बाद हम आपको यह भी बता रहे हैं कि अलसी कितने प्रकार की होती है।
अलसी के प्रकार – Types of Flax Seeds in Hindi
अलसी दो प्रकार के होते हैं।
भूरी अलसी – भूरी अलसी दिल के लिए फायदेमंद होती है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम करती है।
पीली या सुनहरे रंग की अलसी – सुनहरी या पीली अलसी में प्रोटीन की मात्रा थोड़ी ज्यादा होती है।
ये दोनों ही अलसी के प्रकार आपको बाजार में मिल जाएंगे।
अलसी खाने का सही समय और सही तरीका – Best Way to Eat Flax Seeds in Hindi
अलसी के फायदे जानने के बाद आप इसे अपने आहार में शामिल करने का अगर सोच रहे हैं, तो इसके सेवन करने के बारे में भी विस्तार से जान लें। अलसी के बीज का अगर आप सेवन करते हैं, तो हो सकता है कि यह आपके शरीर से बिना पचे ही निकल जाए। अलसी खाने के फायदे तब और ज्यादा बढ़ जाएंगे, जब आप इसे सही समय और सही तरीके से खाएंगे। यहां हम आपको अलसी खाने का सही समय और सही तरीका बता रहे हैं।
आप अलसी को पाउडर के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इससे आपको अलसी में मौजूद सारे पोषक तत्व मिलेंगे।
आप अलसी के बीज को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगो दें और फिर उसका सेवन करें।
अगर आप ठंडे पानी में अलसी के बीज भिगो रहे हैं, तो दो से तीन घंटे के लिए भिगोएं।
ध्यान रहे आप अलसी के बीज के साथ खूब पानी पिएं।
आप अलसी के लड्डू खा सकते हैं।
आप अपने नाश्ते के साथ, स्मूदी के साथ या सलाद के साथ भी अलसी खा सकते हैं।
आप अलसी के पाउडर को दही व दलिये में डालकर खा सकते हैं।
अलसी को खाने का सबसे अच्छा वक्त है सुबह का है। आप सुबह नाश्ते के साथ अलसी का सेवन करें।
अलसी को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें – How to Store Flax Seeds in Hindi
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कई लोगों के मन में सवाल आता होगा कि अलसी को सुरक्षित कैसे और कितने दिनों तक रख सकते हैं। इस बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
आप अलसी के बीज को किसी एयर टाइट जार में डालकर अच्छे से बंद करके फ्रिज में स्टोर करके रखें।
आप अलसी के बीज का पाउडर बनाकर उसे भी एयर टाइट कंटेनर में बंद करके फ्रिज में रख सकते हैं।
इसके अलावा आप जब भी अलसी खरीदने जाएं, तो उसकी पैकिंग की तिथि और कब तक इस्तेमाल कर सकते हैं वो तिथि भी देख लें।
इसके अलावा, अगर आप अलसी के बीज का सेवन या उसका उपयोग ज्यादा नहीं करते हैं, तो कोशिश करें कि उसका छोटा पैक���ट ही खरीदें।
अलसी के नुकसान – Side Effects of Flax Seeds in Hindi
हर चीज का फायदा और नुकसान दोनों है, अगर किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाए, तो उसका नुकसान भी होता है। उसी तरह अगर अलसी के फायदे हैं, तो अलसी के नुकसान भी हैं। इसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
जरूरत से ज्यादा अलसी खाने से पेट खराब की समस्या हो सकती है।
जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की परेशानी है, वो अगर अलसी का सेवन करेंगे तो उनका ब्लड प्रेशर और कम हो सकता है।
अलसी की तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्भावस्था में इसका सेवन खतरनाक हो सकता है।
अलसी से एलर्जी जैसे – रैशेज, जलन या खुजली की परेशानी हो सकती है।
अलसी का सेवन खून को पतला करता है। ऐसे में अगर आपको चोट लगे या घाव हो, तो घाव भरने में वक्त लग सकता है।
डायबीटीज के मरीज अगर अलसी का सेवन कर रहे हैं, तो हर कुछ दिनों में अपना ब्लड शुगर लेवल जांचते रहे, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल बहुत कम कर देता है।
अलसी खाने के नुकसान के साथ-साथ यह भी जान लीजिए कि किन्हें अलसी नहीं खानी चाहिए।
अलसी किन किन लोगों को नहीं खाना चाहिए – Who Should Avoid Flax Seeds in Hindi
अलसी के नुकसान के साथ-साथ हम इस लेख में आपको यह भी बता रहे हैं कि किन किन लोगों को अलसी का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
बच्चों को अलसी का सेवन न कराएं।
गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली माताएं अलसी से परहेज करें। अगर उन्हें अलसी खानी भी है, तो एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
जिनको मासिक धर्म के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग की परेशानी होती है।
जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर रह चुका हो।
जिन पुरुषों को प्रोस्टेट की परेशानी हो।
जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां ले रही हों।
अलसी खाने के फायदे जानने के बाद आप इसे अपने खाने में जरूर शामिल करना चाहेंगे, लेकिन याद रखें कि अगर आपको किसी चीज से जल्दी एलर्जी होती है, तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें। इसके अलावा, डॉक्टर से जरूर पूछ लें कि इसे कब, कितना और कैसे खाना है, क्योंकि हर किसी के शरीर की बनावट और जरूरत अलग-अलग होती है। बेशक, अलसी खाने के फायदे हैं, लेकिन आपको इसके लिए धैर्य रखना होगा, क्योंकि इसका असर नजर आने में समय लगता है। अलसी खाएं और हमारे साथ अपने अनुभव कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें।
अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/alsi-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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