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#कालापानी बीओपी
newshindiplus · 4 years
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भारत की सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ा रहा नेपाल... कालापानी BOP बनेगी बटालियन, दार्चुला BOP होगी गढ़
भारत की सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ा रहा नेपाल… कालापानी BOP बनेगी बटालियन, दार्चुला BOP होगी गढ़
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भारतीय सीमा पर नेपाल की बीओपी. (फ़ाइल फ़ोटो) नेपाल विवादित इलाके में 4 नई BOP जल्द ही खोलने जा रहा है. इसके बाद छांगरु से पंचेश्वर तक नेपाल की 10 BOP हो जाएंगी.
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onlinekhabarapp · 4 years
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भारतीय गस्ती बढेपछि कालापानी नजिक बीओपी स्थापनाको तयारी
२० असोज, काठमाडौं । कालापानी क्षेत्रमा भारतले सुरक्षागस्ती बढाइरहेका बेला नेपालले पनि सशस्त्र प्रहरी बलको बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) स्थापनाको तयारी थालेको छ ।
नेपालले दार्चुला जिल्लाको ब्याँस गाउँपालिका–१, स्थित तल्लोकौवामा बीओपी स्थापना गर्न लागेको हो । तल्लोकौवामा बीओपी राख्नका लागि ४८६ कित्ता नम्बरको २० रोपनी जग्गा माग्ने निर्णय भएको ब्याँस–१ का वडाध्यक्ष अशोक बोहरा ब्याँसीले जानकारी दिए ।
कतिपयले माथिल्लो कौवामा राख्न माग गरे पनि सुरक्षाकर्मी बाह्रै महिना बस्न सकिने हुनाले तल्लोकौवा रोजिएको अध्यक्ष बोहरा बताउँछन् ।
यो स्थान गत वैशाखमा बीओपी स्थापना भएको छाङरुभन्दा करिब सात किलोमिटर पश्चिममा पर्छ । तल्लो कौवामा करिब तीन सय रोपनीको चौर रहेको स्थानीयवासी बताउँछन् । स्थानीयले सुरुदेखि नै कौवामै बीओपी राख्नुपर्ने माग गर्दै आएका थिए ।
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यो पनि पढ्नुहोस प्रहरीचौकी भएकै गाउँमा बीओपी ! स्थानीय भन्छन्– छाङरुमा हाेइन, कौवामा राखौं
दार्चुलाका प्रमुख जिल्ला अधिकारी शरदकुमार पोखरेलले भने बीओपी राख्ने जग्गाको विषयमा अन्तिम निर्णय हुन बाँकी रहेको बताए । गाउँपालिका, नापी र मालपोत कार्यालयलाई उपर्युक्त स्थान पहिचान गर्न जिम्मा दिइएको उनले जानकारी दिए ।
भारतले गस्ती बढाएपछि बीओपी !
भारतद्वारा अतिक्रमित लिम्पियाधुरा, कालापानी, लिपुलेक लगायतका क्षेत्र समेटेर नेपालले प्रशासनिक तथा राजनीतिक नक्सा सार्वजनिक गरेपछि भारतले त्यसक्षेत्रमा सुरक्षागस्ती बढाएको देखिन्छ । देखिने गरी नै स्थल तथा हवाई गस्ती बढेको स्थानीयहरू बताउँछन् ।
भारतले २ नोभेम्बर २०१९ मा नेपाली भूमिसमेत आफ्नोतर्फ पारेर राजनीतिक नक्सा जारी गरेपछि नेपालले कूटनीतिक संवादमार्फत समस्याको समाधान खोजे���ो थियो । नेपालको प्रस्तावलाई ठाडै अस्वीकार नगरे पनि भारत वार्ताका लागि तयार भएको थिएन ।
गत वैशाखमा भारतले नेपाली भूभाग हुँदै कैलाश मानसरोवर जाने सडक उद्घाटन गर्‍यो । त्यसपछि नेपालले छाङरुमा बीओपी स्थापना गर्‍यो । भलै त्यहाँ त्यसअघि पनि नेपाल प्रहरीको चौकी थियो ।
भारतले सुरक्षा गस्ती बढाएपछि आफूहरूले लगातार संघीय सरकारलाई बीओपी स्थापनाका लागि दबाव दिइरहेको स्थानीय जनप्रतिनिधिहरू बताउँछन् ।
प्रजिअ पोखरेल सीमा विवादपछि नेपालले पनि आफ्नो क्षेत्रमा सुरक्षाकर्मी बढाएको बताउँछन् । उनी भन्छन्, ‘कसैको विरोधमा नभई हाम्रो सीमाना रक्षाका लागि सुरक्षाकर्मी खटेका छन् ।’
तम्बाकु भीरको पीर
गत सोमबार ब्याँस–२, घाँटीबगर क्षेत्रमा नेपाली सेनाले बनाएको घोडेटोबाट सुदुरपश्चिम प्रदेशका मुख्यमन्त्री त्रिलोचन भट्टको उपस्थितिमा स्थानीयलाई हस्तान्तरण गरियो ।
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यो पनि पढ्नुहोस घाँटीबगरमा सेनाले बनायो गोरेटो, छाङरुवासीलाई सदरमुकाम आउन सहज
यो बाटो नबन्दा ब्याँसीबासीले भारतको बाटो प्रयोग गर्नुपर्ने बाध्यता थियो । नोवेल कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) र कालापानी क्षेत्रको सीमा विवादलाई कारण बताउँदै भारतले नेपालीहरूलाई धार्चुला, गर्ब्याङ हुँदै छाङरु–तिङ्कर जाने बाटो प्रयोगमा रोक लगाएको थियो ।
तम्बाकु क्षेत्रमा आएको पहिरोका कारण अझै पनि नेपालीहरुलाई हिँड्नका लागि सहज भइनसकेको स्थानीय बताउँछन् । अध्यक्ष बोहरा भन्छन्, ‘सेनाले धेरै दुःख गरेर बाटो बनाएको छ, तर तम्बाकु भीर क्षेत्रको बाटो अझै हिँड्नलायक छैन ।’
प्रजिअ पोखरेलले तम्बाकु क्षेत्रको बाटो मर्मतका लागि पनि सेनालाई आग्रह गरिएको अनलाइनखबरलाई बताए ।
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khabaruttarakhandki · 4 years
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चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक बिछा रहा सड़कों का जाल, तेजी से हो रहा काम
भक्त दर्शन पांडेय, अमर उजाला, पिथौरागढ़ Updated Sat, 27 Jun 2020 01:15 AM IST
नेपाल सीमा पर तैनात जवान – फोटो : फाइल फोटो
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चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछा रहा है। दार्चुला-तिंकर मोटर मार्ग के साथ ही इस समय नेपाल में पिथौरागढ़ जिले से लगी सीमा पर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दार्चुला और बैतड़ी में दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी के किनारे बसे गांवों तक सड़कों का निर्माण हो रहा है। 
उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों से लगी 350 किमी लंबी सीमा तक चीन पहले ही सड़कें बना चुका है। अब नेपाल भी भारत की सीमा के नजदीक तक तेजी से सड़कों का निर्माण करा रहा है। उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है।
यह भी पढ़ें: चीन सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों ने लिपुलेख में सुरक्षा बढ़ाई, आईटीबीपी ने छुट्टी पर गए जवानों को वापस बुलाया
पिथौरागढ़, चंपावत और उधमसिंहनगर जिलों की सीमाओं से लगी भारत-नेपाल सीमा की लंबाई पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। तीनों जिलों में केवल चंपावत जिले के बनबसा में ही मोटर पुल है, जबकि पिथौरागढ़ जिले में झूलाघाट से लेकर कालापानी में स्थित सीतापुल तक झूला पुलों से ही आवागमन होता है।
भारत की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क निर्माण करने के बाद से नेपाल के सुर भी बदल गए हैं। भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने छांगरू में बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों की तैनाती कर दी है।
इसके अलावा, काली नदी किनारे आधा दर्जन स्थानों पर बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों को तैनात करने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, नेपाल ने भारत और चीन सीमा के निकट स्थित अपने अंतिम गांव छांगरू और तिंकर तक सड़क का निर्माण भी तेज कर दिया है।
130 किलोमीटर लंबी इस सड़क में 43 किलोमीटर सड़क बन चुकी ���ै। शेष सड़क बनाने का काम नेपाल सेना को सौंपा गया है। इसके अलावा, भारत से लगे नेपाल के दो जिलों दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। 
सूत्रों के अनुसार नेपाल की योजना सीमा से लगे अधिक से अधिक गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने की है। छांगरू, तिंकर के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ जाने के बाद भारतीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी।
सार
छांगरू-तिंकर के साथ ही सीमा से सटे अन्य गांवों के लिए भी तेजी से बन रही हैं सड़कें
130 किलोमीटर लंबी सड़क में 43 किलोमीटर बन चुकी सड़क
दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा 
विस्तार
चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछा रहा है। दार्चुला-तिंकर मोटर मार्ग के साथ ही इस समय नेपाल में पिथौरागढ़ जिले से लगी सीमा पर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दार्चुला और बैतड़ी में दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी के किनारे बसे गांवों तक सड़कों का निर्माण हो रहा है। 
उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों से लगी 350 किमी लंबी सीमा तक चीन पहले ही सड़कें बना चुका है। अब नेपाल भी भारत की सीमा के नजदीक तक तेजी से सड़कों का निर्माण करा रहा है। उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है।
यह भी पढ़ें: चीन सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों ने लिपुलेख में सुरक्षा बढ़ाई, आईटीबीपी ने छुट्टी पर गए जवानों को वापस बुलाया
पिथौरागढ़, चंपावत और उधमसिंहनगर जिलों की सीमाओं से लगी भारत-नेपाल सीमा की लंबाई पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। तीनों जिलों में केवल चंपावत जिले के बनबसा में ही मोटर पुल है, जबकि पिथौरागढ़ जिले में झूलाघाट से लेकर कालापानी में स्थित सीतापुल तक झूला पुलों से ही आवागमन होता है।
बीओपी पर की जवानों की तैनाती
भारत की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क निर्माण करने के बाद से नेपाल के सुर भी बदल गए हैं। भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने छांगरू में बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों की तैनाती कर दी है।
इसके अलावा, काली नदी किनारे आधा दर्जन स्थानों पर बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों को तैनात करने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, नेपाल ने भारत और चीन सीमा के निकट स्थित अपने अंतिम गांव छांगरू और तिंकर तक सड़क का निर्माण भी तेज कर दिया है।
भारतीय सीमा तक आसानी से पहुंच जाएंगे नेपाली सैनिक
130 किलोमीटर लंबी इस सड़क में 43 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। शेष सड़क बनाने का काम नेपाल सेना को सौंपा गया है। इसके अलावा, भारत से लगे नेपाल के दो जिलों दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। 
सूत्रों के अनुसार नेपाल की योजना सीमा से लगे अधिक से अधिक गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने की है। छांगरू, तिंकर के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ जाने के बाद भारतीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी।
आगे पढ़ें
बीओपी पर की जवानों की तैनाती
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India Nepal Dispute: Nepal Will Build Bop On Kalapani And China Border - भारत-नेपाल विवाद: कालापानी और चीन सीमा पर निगरानी के लिए एक और बीओपी बनाने जा रहा नेपाल
India Nepal Dispute: Nepal Will Build Bop On Kalapani And China Border – भारत-नेपाल विवाद: कालापानी और चीन सीमा पर निगरानी के लिए एक और बीओपी बनाने जा रहा नेपाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, झूलाघाट(पिथौरागढ़) Updated Thu, 25 Jun 2020 10:35 PM IST
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नेपाल भारत के कालापानी और चीन सीमा के तिंकर में निगरानी के लिए एक और बीओपी (बॉर्डर आउट ऑफ फोर्स) बनाने जा रहा है। बीओपी बनाने का प्रस्ताव जिला योजना में पास कर स्वीकृति के लिए मुख्यालय भेज दिया…
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acharya123himal · 4 years
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छाङरु पुगेर फर्किए प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपी
छाङरु पुगेर फर्किए प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपी
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३ असार, काठमाडौं । प्रधानसेनापति पूर्णचन्द्र थापा र सशस्त्र प्रहरी बलका महानिरीक्षक शैलेन्द्र खनाल कालापानी नजिकै रहेको छाङरुमा पुगेर फर्किएका छन् ।
छाङरुमा स्थापना गरिएको बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) निरीक्षण गरेर थापा र खनाल धनगढी फर्किएका हुन् । नेपाली सेनाको हेलिकप्टरबाट दुवै जना बुधबार त्यहाँ गएका थिए ।
छाङरुमा रहेको सशस्त्र प्रहरीको फौजबाट दुई सुरक्षा निकायका प्रमुखले व्रिफिङ लिएका छन् ।…
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starnews18 · 4 years
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कालापानी को नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने की सशस्त्र बलों की तैनाती, चांगरू पोस्ट पर अब तक रहते थे लाठीवाले पुलिसकर्मी
कालापानी को नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने की सशस्त्र बलों की तैनाती, चांगरू पोस्ट पर अब तक रहते थे लाठीवाले पुलिसकर्मी
भारतीय इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने अब कालापानी के पास सशस्त्र बलों की तैनाती कर दी है। पड़ोसी देश ने कालापानी के पास चांगरू में अपनी सीमा चौकी (बीओपी) को अपग्रेड किया है और इसे स्थायी चौकी बना दिया है जहां सशस्त्र पुलिसकर्मी तैनात होंगे। एक अधिकारी ने गुरुवार को यहां जानकारी दी।
इससे पहले चांगरू सीमा चौकी पर लाठी रखने वाले पुलिसकर्मी तैनात रहते थे। यह चौकी हर साल नवंबर से…
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capitalkhabar · 4 years
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प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपी कालापानीमा
प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपी कालापानीमा
३ असार,काठमाडौँ।बुधबार नेपाली सेनाका प्रधानसेनापति पूर्णचन्द्र थापा र सशस्त्र प्रहरी महानिरीक्षक (ईजीपी) शैलेन्द्र खनाल बुधबार दार्चुला पुग्नु भएको छ ।
उहाँहरु कालापानी नजिकै सेनाले खडा गरेको अस्थायी क्याम्प र सशस्त्र प्रहरीको बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) को निरीक्षण गर्न उहाँहरु बुधबार पुग्नु भएको हो ।
लिपुलेक पुग्ने सडकको भारतले एकतर्फी रुपमा सडक निर्माण गरी उद्घाटन गरेपछि बैशाख ३१ मा सशस्त्र…
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janatakoawaz · 4 years
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कालापानीमा भारतले बढायो हवाई गस्ती
कालापानीमा भारतले बढायो हवाई गस्ती
दार्चुला : नेपालले व्यास क्षेत्रमा सशस्त्र प्रहरीको बीओपी राखेपछि भारतले कालापानी क्षेत्रमा हवाई गस्ती बढाएको छ । पछिल्लो समय भारतले कालापानीलगायतका क्षेत्रमा दिनमा एक दर्जन पटकभन्दा बढी हवाई गस्ती गर्दै आएको छ ।
केही दिनअगाडि भारतीय सेनाको चिनूक हेलिकप्टरले गुन्जीमा सामग्री ढुवानी गर्दै तस्बिर : एएनआई
भारतले यसअघि कालापानीलगायत क्षेत्रमा हेलिकप्टरबाट दिनमा एक/दुई पटक उडान गर्ने गरेको थियो ।…
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youthsansar · 5 years
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सरकारले अनुमति दिए कालपानीको सुरक्षामा पनि खटिन तयार छौ:-सशस्त्र प्रहरी
सशस्त्र प्रहरीले भारतीय अतिक्रमणकाे चपेटामा परेकाे कालापानी क्षेत्रको सुरक्षामा खटिन तयार रहेको बताएको छ ।
नेपाल–भारतको सीमा सुरक्षामा खटिएकाे सशस्त्र प्रहरीले सरकारले अनुमति दिएमा कालपानीको सुरक्षामा पनि खटिन तयार रहेको जनाएको हो ।
हाल सशस्त्रले दक्षिणतर्फ नेपाल–भारत खुला सीमा भएका स्थानमा १७ देखि १८ किलोमिटरको दुरीमा ‘बीओपी’ राख्दै आएको छ । कालापानीको सीमामा सुरक्षा नभएको समाचार बाहिरिएसँगै…
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onlinekhabarapp · 4 years
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दार्चुलाको व्यासमा आवतजावत गर्न भारतीय अवरोध   
३१ असार, दार्चुला । दार्चुलाको व्यास अन्तगर्गत कालापानी क्षेत्रसम्म स्थानीयवासीलाई आवतजावत गर्न भारतले रोक लगाएको छ । विगतमा कालापानी मुहान नजिकैसम्म आवतजावत गर्न दिएको ठाउँसम्म अहिले भारतीय सुरक्षाकर्मीले जान दिएको छैन ।
नेपाल सरकारले कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरासहितको भूगोल समेटेर नक्सा सार्वजनिक गरेपछि झन् भारतले कालापानीभन्दा तल आएर सुरक्षा तैनाथी बढाएको छ । पहिलाको भन्दा झण्डै एक किलोमिटर तलसम्म भारतले छेकबार लगाएको छ । कालापानीसम्म नेपालका सुरक्षाकर्मीले समेत जान पाएका छैनन् । व्यासको गागामा रहेका सशस्त्र प्रहरी र नेपाल प्रहरीले काली मन्दिरसम्म जाने प्रयास गरे पनि भारतीय सुरक्षाकर्मीले अवरोध गरेका छन् । महाकाली नदीको मुहान हेर्न गएका सुरक्षाकर्मीलाई भारतीय सुरक्षाकर्मीले रोकेका हुन् ।
स्थानीयवासी यो क्षेत्रमा अहिले जान सक्ने अवस्था छैन । चीनसँग पछिल्लो समय सीमा विवाद बढेपछि कालपानी क्षेत्रमा भारतीय सुरक्षाकर्मीले बाक्लो उपस्थिति जनाएको छ । यो क्षेत्रमा दैनिक सयौँ गाडीमा सुरक्षाकर्मी पुर्‍याइएको छ । व्यासमा खटिएका एक नेपाली सुरक्षाकर्मीका अनुसार भारतीय सुरक्षाकर्मीले महाकालीको मुहानसम्म जान रोक लगाएको छ । ‘बिना हतियार त्यहाँसम्म जान दिन आग्रह गर्‍यौँ,’ ती सुरक्षाकर्मीले भने, ‘तर उनीहरुले त्यो ठाउँसम्म जान नपाइने भन्दै रोके ।’ नेपालका सुरक्षाकर्मी कौवा क्षेत्रमा जानेबित्तिकै भारतपट्टिबाट सुरक्षाकर्मीले रेकी गर्छन् । गस्ती गरेकोबारे उनीहरुले माथिल्लो क्षेत्रमा मोटरसाइकलमा परिचालन भएर खबर गर्ने गरेका छन् ।
कालापानी क्षेत्रमा प्रवेश गर्न नदिने माथिकै आदेश छ भन्दै एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) ले रोक्ने गरेको छ । पहिलो घेरामा एसएसबी तैनाथ छन् । सशस्त्र प्रहरी निरीक्षक लिलीबहादुर चन्द नेतृत्वको गस्ती टोली त्यस क्षेत्रमा जाँदा समेत भारतीय एसएसबीले फर्काएको थियो । माथिल्लो कौवा क्षेत्रसम्म पनि स्थानीयवासी अहिले जानलाई डराउने गरेका छन् । आफ्नै भूमि भएर जान पनि स्थानीयवासीमा अहिले त्रास छ । कालापानी क्षेत्रमा पुगेका दीपक खातीले भारतीय सुरक्षाकर्मीले नेपाली जनता र सुरक्षाकर्मीलाई यो क्षेत्रमा आवतजावत गर्न नदिनु दुःखद् भएको बताए ।
सरकारले जारी गरेको नयाँ नक्साअनुसार नेपालका तीन गाउँ कुटी, गुञ्जी र नावी अहिले पनि भारतमा छन् । गुञ्जी र नावी गाउँ छाङ्गरु र माथिल्लो कौवा क्षेत्रबाट देख्न सकिन्छ । तर कुटी देखिँदैन । पुरानो नक्साअनुसार ६२ वर्गकिलोमिटरभित्रको कालापानी क्षेत्रसम्म पनि नेपालीको पहुँच पुगेको छैन । खाती भन्छन्, ‘नयाँ भूमिमा पुग्न त कहाँ हो कहाँ, पुरानै भूगोलसम्म पनि भारतले अवरोध गरेको देख्दा नरमाइलो लाग्छ ।’
छाङ्गरुका स्थानीयवासीका अनुसार काठमाडौँमा राष्ट्रियताको नारा लाग्दा यो क्षेत्रका नागरिकले बढी समस्या झेल्छन् । स्थानीय पुष्कर बोहरा भन्छन्, ‘जति काठमाडौँमा राष्ट्रियताको नारा लगाउँदै कालापानी हाम्रो भूमि हो भन्दै जान्छौँ त्यति भारतीय सुरक्षाकर्मीले यो क्षेत्रमा मजबुत उपस्थित जनाउँदै नेपालीलाई यो क्षेत्रमा हिँड्डुल गर्नमा समस्या गर्छ ।’
विगतमा नेपालका सुरक्षाकर्मी र स्थानीय बासिन्दा कालापानी क्षेत्रको दक्षिणी किनारासम्म आवतजावत गर्ने गर्थे । कालापानीमा निर्माण गरिएको काली मन्दिर र महाकालीको नक्कली मुहानसम्म विगतमा छाङ्गरुका स्थानीयवासीसमेत जाने गरेका थिए । कालापानी क्षेत्रको भूगोल र भारतीय सुरक्षा उपस्थितिबारे नेपाली पक्षलाई जानकारी हुन्छ भनेर अवरोध गरिएको बुझाइ छ सुरक्षाकर्मीको ।
भारतीय सुरक्षाकर्मीले माथिल्लो कौवासम्म आफ्नो नियन्त्रणमा राख्न थालेपछि स्थानीयवासीले नेपालको सशस्त्र प्रहरीलाई कौवा क्षेत्रमा राख्न पटक–पटक माग गर्दै आएका छन् । “सशस्त्र प्रहरी गागाभन्दा पनि कौवा क्षेत्रमा उपयुक्त हुन्छ भनेर पटक–पटक आग्रह गर्दै आएका छौँ”, व्यास गाउँपालिका–१ का वडाध्यक्ष अशोकसिंह बोहराले भने, ‘तर सशस्त्र प्रहरी गागामै बस्यो । सशस्त्र प्रहरीका लागि कौवा क्षेत्र उपयुक्त हुन्छ । भारतको गुञ्जीमा तीनवटै सुरक्षा निकायको उपस्थिति छ । तर हाम्रो भने झण्डै १० किलोमिटर तल गागामा बसेर हुँदैन ।’
सशस्त्र प्रहरीले कौवा क्षेत्रमा बीओपी स्थापना गर्ने तयारी गरेको छ । सीमाक्षेत्रको निगरानीका लागि व्यासको कौवा क्षेत्र र तिङ्करमा बिओपी स्थापना गर्ने तथा छाङ्गरुमा गुल्म राख्ने तयारी गरिएको छ । सशस्त्र प्रहरीको भवन निर्माणका लागि सरकारले बोलपत्र आह्वान गरिसकेको छ ।
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onlinekhabarapp · 4 years
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छाङरुमा सडक मर्मत गर्दै सशस्त्र प्रहरी, तीन बीओपी थपियो
१८ असार, काठमाडौैं । सशस्त्र प्रहरी बलको छाङरुमा रहेको बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) ले छाङरुदेखि तिङ्कर भन्ज्याङ जाने बाटो मर्मत गरेको छ । सशस्त्र प्रहरीका निरीक्षक लिलिबहादुर चन्द नेतृत्वको टोलीले करिब ११ किलोमिटरको गोरेटो बाटो मर्मत गरेको हो ।
स्थानीयवासीसँगको सहकार्यमा सुख्खा तथा हिउँ पहिरो हटाएर गोरेटो बाटो सुचारु गराइएको सशस्त्र प्रहरीले जनाएको छ । सुख्खा पहिरोका कारण लामो समयदेखि उक्त गोरेटो बाटोमा आवतजावत बन्द भएको थियो ।
सशस्त्रले बाटो सुचारु गराएपछि स्थानिय जनता खुशी भएका छन् । बाटो मर्मतपछि सदरमुकाम बसाइँ सरेर आएका तिंकरका बासिन्दालाई गाउँ फर्कन र चौपाया तथा खाद्यान्न लैजान समेत सहज भएको छ ।
यस्तै, १७.४५ किलोवाटको छाङरु जलविद्युत आयोजनाको नहर समेत सशस्त्र प्रहरीले मर्मत गरेको छ । हिउँ पहिरोका कारण ठाउँ ठाउँमा भत्किएकोे नहरको हिउँ पन्छाएर जलविद्युत सेवा सुचारु गर्न सशस्त्र प्रहरीले सहयोग गरेको हो ।
तीन बीओपी थपियो
सशस्त्र प्रहरीले दार्चुलामा तीन वटा बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) स्थापना गरेको छ ।
भारतले कालापानी, लिम्पियाधुरा र लिपुलेकको नेपाली भूमि समेटेर नयाँ नक्सा जारी गरेपछि सरकारले दार्चुलाको सीमा सुरक्षामा उपस्थिति बढाइरहेको छ । त्यही क्रममा बिहीबार एकैदिन दार्चुलामा तीन वटा बीओपी स्थापना गरिएको हो ।
सशस्त्र प्रहरी बलको मुख्यालय, हल्चोकका एक अधिकृतका अनुसार दार्चुलाको मालिका अर्जुन गाउँपालिका–४, जोलजिबी, लेकम गाउँपालिका–३, लाली र ब्यास गाउँपालिका–२, दुम्लिङमा बीओपी राखिएको छ ।
यसअघि सरकारले कालापानीबाट केही वर छाङरुमा बीओपी राखिसकेको छ । तीन वटै बीओपीको सशस्त्र प्रहरी बल नम्बर ७, बैध्यनाथ बाहिनीका बाहिनिपति सशस्त्र प्रहरी नायब महानिरीक्षक हरिशंकर बुढाथोकीले उद्घाटन गरेका थिए ।
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khabaruttarakhandki · 4 years
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चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक बिछा रहा सड़कों का जाल, तेजी से हो रहा काम
भक्त दर्शन पांडेय, अमर उजाला, पिथौरागढ़ Updated Sat, 27 Jun 2020 01:15 AM IST
नेपाल सीमा पर तैनात जवान – फोटो : फाइल फोटो
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चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछा रहा है। दार्चुला-तिंकर मोटर मार्ग के साथ ही इस समय नेपाल में पिथौरागढ़ जिले से लगी सीमा पर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दार्चुला और बैतड़ी में दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी के किनारे बसे गांवों तक सड़कों का निर्माण हो रहा है। 
उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों से लगी 350 किमी लंबी सीमा तक चीन पहले ही सड़कें बना चुका है। अब नेपाल भी भारत की सीमा के नजदीक तक तेजी से सड़कों का निर्माण करा रहा है। उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है।
यह भी पढ़ें: चीन सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों ने लिपुलेख में सुरक्षा बढ़ाई, आईटीबीपी ने छुट्टी पर गए जवानों को वापस बुलाया
पिथौरागढ़, चंपावत और उधमसिंहनगर जिलों की सीमाओं से लगी भारत-नेपाल सीमा की लंबाई पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। तीनों जिलों में केवल चंपावत जिले के बनबसा में ही मोटर पुल है, जबकि पिथौरागढ़ जिले में झूलाघाट से लेकर कालापानी में स्थित सीतापुल तक झूला पुलों से ही आवागमन होता है।
भारत की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क निर्माण करने के बाद से नेपाल के सुर भी बदल गए हैं। भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने छांगरू में बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों की तैनाती कर दी है।
इसके अलावा, काली नदी किनारे आधा दर्जन स्थानों पर बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों को तैनात करने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, नेपाल ने भारत और चीन सीमा के निकट स्थित अपने अंतिम गांव छांगरू और तिंकर तक सड़क का निर्माण भी तेज कर दिया है।
130 किलोमीटर लंबी इस सड़क में 43 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। शेष सड़क बनाने का काम नेपाल सेना को सौंपा गया है। इसके अलावा, भारत से लगे नेपाल के दो जिलों दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। 
सूत्रों के अनुसार नेपाल की योजना सीमा से लगे अधिक से अधिक गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने की है। छांगरू, तिंकर के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ जाने के बाद भारतीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी।
सार
छांगरू-तिंकर के साथ ही सीमा से सटे अन्य गांवों के लिए भी तेजी से बन रही हैं सड़कें
130 किलोमीटर लंबी सड़क में 43 किलोमीटर बन चुकी सड़क
दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा 
विस्तार
चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछा रहा है। दार्चुला-तिंकर मोटर मार्ग के साथ ही इस समय नेपाल में पिथौरागढ़ जिले से लगी सीमा पर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दार्चुला और बैतड़ी में दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी के किनारे बसे गांवों तक सड़कों का निर्माण हो रहा है। 
उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों से लगी 350 किमी लंबी सीमा तक चीन पहले ही सड़कें बना चुका है। अब नेपाल भी भारत की सीमा के नजदीक तक तेजी से सड़कों का निर्माण करा रहा है। उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है।
यह भी पढ़ें: चीन सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों ने लिपुलेख में सुरक्षा बढ़ाई, आईटीबीपी ने छुट्टी पर गए जवानों को वापस बुलाया
पिथौरागढ़, चंपावत और उधमसिंहनगर जिलों की सीमाओं से लगी भारत-नेपाल सीमा की लंबाई पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। तीनों जिलों में केवल चंपावत जिले के बनबसा में ही मोटर पुल है, जबकि पिथौरागढ़ जिले में झूलाघाट से लेकर कालापानी में स्थित सीतापुल तक झूला पुलों से ही आवागमन होता है।
बीओपी पर की जवानों की तैनाती
भारत की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क निर्माण करने के बाद से नेपाल के सुर भी बदल गए हैं। भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने छांगरू में बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों की तैनाती कर दी है।
इसके अलावा, काली नदी किनारे आधा दर्जन स्थानों पर बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों को तैनात करने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, नेपाल ने भारत और चीन सीमा के निकट स्थित अपने अंतिम गांव छांगरू और तिंकर तक सड़क का निर्माण भी तेज कर दिया है।
भारतीय सीमा तक आसानी से पहुंच जाएंगे नेपाली सैनिक
130 किलोमीटर लंबी इस सड़क में 43 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। शेष सड़क बनाने का काम नेपाल सेना को सौंपा गया है। इसके अलावा, भारत से लगे नेपाल के दो जिलों दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। 
सूत्रों के अनुसार नेपाल की योजना सीमा से लगे अधिक से अधिक गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने की है। छांगरू, तिंकर के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ जाने के बाद भारतीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी।
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बीओपी पर की जवानों की तैनाती
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नेकपा बैठक : नेपाल भारत सीमामा तारबार लगाउन माग
१२ असार, काठमाडौं । सत्तारुढ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (नेकपा)को स्थायी कमिटी बैठकमा नेपाल भारत सीमामा तारबार लगाउनुपर्ने मत बलियोसँग प्रकट भएको छ ।
प्रधानमन्त्रीको सरकारी निवास बालुवाटारमा शुक्रबार बसेको बैठकमा स्थायी कमिटी सदस्यहरूले सीमा नियमन मात्र होइन, सिल गर्नुपर्ने धारणा समेत राखेका छन् । बैठकको सुरुमा नै परराष्ट्रमन्त्री प्रदीपकुमार ज्ञवालीले नेपाल भारत सीमा विवादको ऐतिहासिक तथ्यसहित आफ्नो धारणा राखेका थिए ।
नेपालले कूटनीतिक सम्वादमार्फत नै अतिक्रमित भूमि फिर्ता गर्न पहल गरिरहेको तर अहिलेसम्म भारत वार्ताका लागि सकारात्मक नदेखिएको उनले बताए । यद्यपि भारत वार्तामा बस्न तयार हुने र कूटनीतिक सम्वादमार्फत नै समस्या समाधान हुने विश्वास सरकारले लिएको उनले बताए । ज्ञवालीले भने भने, ‘भारत वार्तामा आउनुपर्छ र आउँछ भन्ने हाम्रो विश्वास छ ।’
बैठकमा नेताहरूले भने नेपाल भारत सीमा सिल गरेर तारबार लगाउनुपर्ने माग राखेका छन् ।
स्थायी कमिटी सदस्यहरू देव गुरुङ, लीलामणि पोखरेल, पम्फा भुसाल, अमृत बोहोरालगायतले तारबार लगाएर सीमा सिल गर्नुपर्ने बताएको स्रोतले बताएको छ ।
‘यतिबेला अवसर छ, कोरोनाका कारण सुरक्षाका लागि सशस्त्र प्रहरी परिचालन गरिएको छ । अब यसलाई निरन्तरता दिएर सीमामा नियमन गरौं’ नेता पोखरेलले अनलाइनखबरसँग भने, ‘र हामी जाने कता हो भन्दा सिलतिर हो ।’
ठोरीका जनता आफैँले चार किलोमिटर सीमामा तारबार लगाएको उल्लेख गर्दै पोखरेलले भने, ‘अतिक्रमणलाई रोक्न अब सीमा सिल गर्नेतिर जानुको विकल्प छैन ।’
आफूसहितका नेताहरूले बोर्डर आउटपोस्ट (बीओपी)लाई सुरक्षा बल बनाउनुपर्ने र आवागमनका लागि कच्ची नै भए पनि सडक बनाउनुपर्ने धारणा राखेको उनले बताए । नेकपाका नेताहरूले सीमा क्षेत्रका जनताका लागि विशेष सुविधाको प्याकेज ल्याउन समेत सरकारसँग माग गरेका छन् ।
प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठले भने सीमा सिलको सट्टा नियमन र नियन्त्रण गर्नुपर्ने बताएका छन् । ‘सीमा खुला राख्नुपर्छ भन्ने होइन तर आउजाउका लागि निश्चित बिन्दु तोकेर नियमन र नियन्त्रण गर्नुपर्छ । अन्यत्र तारबार गर्न सकिन्छ’ उनले भने ।
पूर्व परराष्ट्रमन्त्री समेत रहेका श्रेष्ठले नेपाल भारत सीमा समस्या तीन खालको भएको विश्ेलषण सुनाए । पहिलो, रणनीतिक महत्वको भूमि, लिम्पियाधुरा, कालापानी क्षेत्रमा भारतले कब्जा नै गरेको हो । दोस्रो, भारतको हेपाह प्रवृत्तिका कारण सुस्तालगायतका क्षेत्रमा नेपाली भूमि अतिक्रमणमा परेको छ । तेस्रो, फक्स बाउण्ड्री सिद्धान्तले पनि सीमामा समस्या देखिएको छ ।
भारतले अतिक्रमण गरेको भूमि फिर्ता ल्याउन कूटनीतिक सम्वाद गर्नुपर्ने उनको जोड छ । ‘अहिले हामीले कसैलाई पनि उत्तेजित पार्ने काम नगरौं’ उनले भने, ‘वार्ताका लागि निरन्तर प्रयास गर्नुपर्छ, कूटनीतिक पहललाई जारी राख्नुपर्छ ।’
साथै, इतिहासको समीक्षाका नाममा राष्ट्रिय एकता कमजोर पार्न नहुने उनले बताएका छन् । भारतले अतिक्रमण गरेको भूमि फिर्ता ल्याउन सबै एक भएको भन्दै उनले भने, ‘इतिहासमा कमी कमजोरी भएन भन्ने होइन । तर सुगौली सन्धिपछि कुनै शासकले सम्झौता गरेर नेपाली भूमि भारतलाई दिएको छैन ।’
उनले २०१५ मा लिपुलेकबारे भएको सम्झौताबारे चीनसँग वार्ता गर्नुपर्ने समेत बताएका छन् । भारतले समेत विवादित भूमि भनेर स्वीकार गरेको तथा त्रिदेशीयबिन्दु समेत तय नभइसकेको यथार्थलाई बिर्सिएर चीन र भारतले लिपुलेकलाई द्विपक्षीय व्यापारिक मार्ग बनाउने सहमति गर्नु गलत भएको श्रेष्ठले बताएको एक स्थायी कमिटी सदस्यले जानकारी दिएका छन् ।
बैठकमा भीम रावलले पूर्व सञ्चारमन्त्री गोकुल बास्कोटा भारतीय दूतावास गएको विषय उठाएका छन् । अनौपारिक सम्वादका लागि पूर्वप्रधानमन्त्री माधवकुमार नेपाललाई भनेर भन्ने तर भ्रष्टाचारको आरोपमा मन्त्रीबाट राजीनामा दिएका व्यक्तिलाई दूतावास पठाउनु आपत्तिजनक भएको उनले बताएका छन् ।
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१ नम्बर पिल्लर पुगेर फर्कियो छाङरुको फौज
९ असार, काठमाडौं । सरकारले दार्चुलाको छाङरुमा राखेको बोडर आउट पाेष्ट (बीओपी) को टोली नेपाल–भारत-चीन सीमाको १ नम्बर पिल्लर पुगेर फर्किएको छ ।
बीओपी स्थापनापछि नजिकै मात्र गस्ती गरिरहेको सशस्त्र प्रहरी हालै १ नम्बर स्तम्भसम्म पुगेको हो ।
बीओपीका प्रमुख प्रहरी निरीक्षक लिलिबहादुर चन्द नेतृत्वको २५ जनाको टोली गस्ती १ नम्बर स्तम्भसम्म पुगेर फर्किएको सशस्त्र प्रहरी बल नेपाल नम्बर ५० गुल्म हेडक्वाटर दार्चुलाका डीएसपी डम्बरबहादुर विष्टले बताए ।
भारतले कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुराको नेपाली भूमि मिचेर सडक बनाएपछि जनस्तरबाट तीब्र विरोध भएको थियो । र, सरकारले छाङरुमा सशस्त्र प्रहरीको बीओपी स्थापना गरेको थियो । त्यसयता पहिलो पटक १ नम्बर पिल्लरसम्म फौज पुगेको सशस्त्र प्रहरीका अधिकृतहरुको दाबी छ ।
प्रधानसेनापति पूर्णचन्द्र थापा र सशस्त्र प्रहरी बलका प्रमुख आईजीपी शैलेन्द्र खनालले पनि बुधबार त्यस क्षेत्रको भ्रमण गरेका छन् ।
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यो पनि पढ्नुहोस प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपीको छाङरु भ्रमणको सन्देश
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प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपीको छाङरु भ्रमणको सन्देश
५ असार, काठमाडौं । द्वन्द्वकालको स्मरण गराउने गरी बुधबार नेपाली सेनाका प्रधानसेनापति पूर्णचन्द्र थापाले कालापानी नजिकै सशस्त्र प्रहरीका जवानहरुलाई सम्बोधन गरे ।
०६२/०६३ को आन्दोलनका वेला युटिफाइड कमाण्डमा नेपाली सेना, नेपाल प्रहरी, सशस्त्र प्रहरी र राष्ट्रिय अनुसन्धान विभागका प्रमुखसँगै हिँड्ने र एकअर्काको एजेन्सीमा गएर सम्बोधन गर्ने गर्थें ।
त्यसैको झल्को दिँदै सशस्त्र प्रहरीका महानिरीक्षक शैलेन्द्र खनाललाई छेऊमा राखेर प्रधानसेनापति थापाले छाङरुस्थित बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) मा रहेका फौजलाई भने, ‘जुन सुरक्षा निकाय भए पनि हाम्रो उद्देश्य एउटै हो, दुवै निकायबीच सदैव सहकार्य रहन्छ । उच्च मनोबलका साथ सरकारले दिएको जिम्मेवारी पूरा गर्नुस् ।’
सशस्त्र प्रहरी प्रमुख खनालले पनि सीमा सुरक्षा जस्तो गहन जिम्मेवारी पूरा गर्न दत्तचित्त भएर लाग्न निर्देशन दिए । भ्रमण दलका एक अधिकृतका अनुसार खनालले भनेका छन्, ‘यहाँका जनतालाई शान्ति सुरक्षाको प्रत्याभूति दिलाउनुस् र एउटा परिवार जस्तो भएर बस्नुस् ।’
नेपाली सेनाका प्रवक्ता विज्ञानदेव पाण्डेले प्रधानसेनापति थापा पृतनाको निरीक्षणका लागि सुदुरपश्चिम गएको दाबी गरेका छन्, त्यसक्रममा मातहतका इकाइको निरीक्षण गर्नु नियमित भएको उनको भनाइ छ । सशस्त्र प्रहरी बलले पनि आईजीपी खनालको भ्रमणलाई जिल्लामा रहेको ५० नं. गुल्म हेडक्वार्टर भवनको उद्घाटन प्रायोजनका लागि भएको भनेको छ ।
तर, लद्दाखमा पछिल्लो पटक सिर्जित तनावपछि त्रिदेशीय सीमामा भारत र चीन दुवै मुलुकले उपस्थिति बढाइरहेका वेला नेपालीका दुई सुरक्षा अंगका प्रमुख छाङरु पुग्नु संयोग मात्र हुन नसक्ने सुरक्षा एवं कूटनीतिक मामिलाका जानकारहरुको विश्लेषण छ ।
छाङरुमा सशस्त्र प्रहरीको गस्ती ।
सीमा विवादलाई संवेदनशीलरुपमा लिएको सन्देश दिने प्रयास
भारतले नेपाली भूमि कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरा मिचेर सडक बनाएपछि नेपालमा तीब्र जनआक्रोश छ । सडकदेखि सदनसम्म प्रदर्शन भइरहेका छन् ।
हाल राज्यको दुवै सदनले विवादित भूमि समेटेर नक्सा पारित गरिसकेको परिस्थिति छ । र, राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारीले पनि बिहीबार संविधान संशोधन विधयेकलाई प्रमाणीकरण गरिसकेकी छन् । भारतले भने नेपालको नयाँ नक्सा अस्वीकार्य भएको बताउँदै आएको छ ।
अब नयाँ नक्सामा समेटिएको भूमिबाट भारतीय सेनालाई हटाउनुपर्ने जिम्मेवारी ओली सरकारमाथि छ । यस्तो परिस्थितिमा दुई सुरक्षा अंगका प्रमुख छाङरु जानु त्यस क्षेत्रलाई सरकारले कति संवेदनशिल रुपमा लिएको छ भन्ने सन्देश दिने प्रयास भएको सुरक्षा मामिलाका एक जानकार बताउँछन् । त्यसैले समसामयिक राजनीतिक घटनाक्रमको परिणाम स्वरुप यो निर्णय भएको हुन सक्ने जानकारहरु बताउँछन् ।
सुरक्षाविद् गेजा शर्मा वाग्ले पनि सामरिक रुपमा महत्वपूर्ण क्षेत्रमा दुई सुरक्षा अंगको प्रमुखको उपस्थिति भारत र चीनसँगै स्थानीय भेगका जनताका लागि पनि आफैंमा सन्देशमूलक भएको बताउँछन् । उनी भन्छन्, ‘नक्सा जारी गरिसकेपछि त्यहाँ जानु सकरात्मक हो, यसले स्थानीय जनतालाई राज्यको अनुभूति दिलाउँछ ।’
‘अहिले भारतीय पक्षको बुझाइ नक्सा जारी गरेपछि नेपाल चुप लागेर बस्छ भन्ने रहेको देखिन्छ’, वाग्लेले अनलाइनखबरसँग भने, ‘प्रधानसेनापति थापा र आईजीपी खनालको भ्रमणले भारतको बुझाइ गलत हो, राष्ट्रपतिबाट पनि नक्सा प्रमाणिकरण भइसकेको अवस्थामा नेपाल भारतले मिचेको भूमि र त्यहाँका जनताको रक्षा गर्न प्रतिबद्ध छ भन्ने कुटनीतिक र सामरिक सन्देश दिएको छ ।’
रणनीति तय गर्न सघाउन पुग्ने विश्वास
सशस्त्र प्रहरी प्रमुख खनालले छाङरुमा अहिले प्रहरी निरीक्षकको नेतृत्वमा २५ जनाको बीओपी रहे पनि छिट्टै १ सय ६० जनाको फौज रहने गरी गुल्म राख्ने तयारी भइरहेको बताएका छन् । यसका लागि भवन निर्माण प्रक्रिया सुरु गरिसकिएको उनको भनाइ छ ।
गृह मन्त्रालयको सिफारिसमा सरकारले भवन बनाउनका लागि ९ करोड रुपैयाँ विनियोजन गरिसकेको छ भने १५ रोपनी जग्गामा भौतिक संरचना बन्दैछ । यही परिस्थितिमा अन्तर्राष्ट्रिय सीमा रक्षाको जिम्मा पाएको सेना र ‘आन्तरिक सीमा’ सुरक्षा गरिरहेको मुलुकको अर्धसैन्य बलका प्रमुखको संयुक्त भ्रमणले विवादमा पारिएको क्षेत्रमा सुरक्षा रणनीति तय गर्न पनि सघाउ पुग्ने विश्वास गरिएको छ ।
नेपाली सेनाबाट अवकाश प्राप्त एक वरिष्ठ अधिकृतले अनलाइनखबरसँग भने, ‘प्रत्यक्ष रुपमा होइन तर, नयाँ नक्सा जारी भइसकेको अवस्थामा कुनै न कुनै रुपले सीमा क्षेत्रमा सुरक्षा फौजको परिचालन र भावी र���नीति तय गर्न पनि भ्रमणले सहजता प्रदान गर्नेछ ।’
प्रधानसेनापति थापाको दार्चुला भ्रमणबारे राष्ट्रिय सुरक्षा परिषद्मा पनि केही साता अघि कुरा उठेको स्रोत बताउँछ । गृहमा पनि खनालको भ्रमणबारे लामै समयदेखि छलफल भइरहेको थियो । छाङरुमा ३१ वैशाखमा भएको सशस्त्र प्रहरीको बीओपी उद्घाटनमा पनि आईजीपी खनाल जाने भनिएको थियो । यद्यपि, अन्तिम समयमा सीमा सुरक्षा विभागका प्रमुख अतिरिक्त महानिरीक्षक (एआईजी) नारायणबाबु थापालाई त्यहाँ पठाइएको थियो ।
छाङरु ।
सुरक्षा समन्वयमा सहयोगी हुने दाबी
सेनापति थापा र सशस्त्रका महानिरीक्षक खनालले भ्रमण गरेको नेपाली भूमि हो । उनीहरु ८ किलोमिटर पर भारतले कब्जा गरेको कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरा क्षेत्रमा गएका होइनन् । त्यसैले यसमा विवाद गर्नुपर्ने कारण नभएको नेपाली सेनाका एक उच्च अधिकारीले अनलाइनखबरलाई बताए ।
तर, नेपाल प्रहरीका अवकाश प्राप्त नायब महानिरीक्षक (डीआईजी) हेमन्त मल्ल ठकुरी भने भारत–चीन विवादका बीच भएको सीमा क्षेत्रको भ्रमणले राम्रो सन्देश नदिने बताउँछन् । उनी प्रश्न गर्छन्, ‘साचौं, अहिले भारतीय सेना प्रमुखले कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरा क्षेत्रको भ्रमण गरे, हामीलाई कस्तो मनोवैज्ञानिक असर पर्छ ?’
आफ्नो भूगोलमा सुरक्षा निकायका प्रमुखको भ्रमण गलत नभए पनि समयले असर पार्न सक्नेप्रति मल्लको चिन्ता छ ।
सशस्त्र प्रहरीका पूर्वअतिरिक्त महानिरीक्षक (एआईजी) सुबोध अधिकारी यो भ्रमणलाई राष्ट्रवादसँग जोडेर हेर्दा गलत अर्थ लाग्न सक्ने बताउँछन् । यद्यपि, सेना र सशस्त्र प्रहरी प्रमुखले त्यस क्षेत्रको भूगोल र जनताको संवेदनशीलताबारे जानकार रहेको सन्देश दिन खोजेको कुरालाई भने नकार्न नसकिने उनको भनाइ छ ।
उनी भन्छन्, ‘भौगोलिक हिसाबले पनि विकट ठाउँमा संगठन प्रमुख पुग्नुले फौजको मनोबल बढाउन भूमिका खेल्छ । साथै, स्थानीय स्तरमा दुई सुरक्षा अंगबीचको एकता र समन्वयलाई पनि मजबुद बनाउँछ ।’
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प्रधानसेनापति र सशस्त्रका आईजीपीको छाङरु भ्रमणको सन्देश
५ असार, काठमाडौं । द्वन्द्वकालको स्मरण गराउने गरी बुधबार नेपाली सेनाका प्रधानसेनापति पूर्णचन्द्र थापाले कालापानी नजिकै सशस्त्र प्रहरीका जवानहरुलाई सम्बोधन गरे ।
०६२/०६३ को आन्दोलनका वेला युटिफाइड कमाण्डमा नेपाली सेना, नेपाल प्रहरी, सशस्त्र प्रहरी र राष्ट्रिय अनुसन्धान विभागका प्रमुखसँगै हिँड्ने र एकअर्काको एजेन्सीमा गएर सम्बोधन गर्ने गर्थें ।
त्यसैको झल्को दिँदै सशस्त्र प्रहरीका महानिरीक्षक शैलेन्द्र खनाललाई छेऊमा राखेर प्रधानसेनापति थापाले छाङरुस्थित बोर्डर आउट पोष्ट (बीओपी) मा रहेका फौजलाई भने, ‘जुन सुरक्षा निकाय भए पनि हाम्रो उद्देश्य एउटै हो, दुवै निकायबीच सदैव सहकार्य रहन्छ । उच्च मनोबलका साथ सरकारले दिएको जिम्मेवारी पूरा गर्नुस् ।’
सशस्त्र प्रहरी प्रमुख खनालले पनि सीमा सुरक्षा जस्तो गहन जिम्मेवारी पूरा गर्न दत्तचित्त भएर लाग्न निर्देशन दिए । भ्रमण दलका एक अधिकृतका अनुसार खनालले भनेका छन्, ‘यहाँका जनतालाई शान्ति सुरक्षाको प्रत्याभूति दिलाउनुस् र एउटा परिवार जस्तो भएर बस्नुस् ।’
नेपाली सेनाका प्रवक्ता विज्ञानदेव पाण्डेले प्रधानसेनापति थापा पृतनाको निरीक्षणका लागि सुदुरपश्चिम गएको दाबी गरेका छन्, त्यसक्रममा मातहतका इकाइको निरीक्षण गर्नु नियमित भएको उनको भनाइ छ । सशस्त्र प्रहरी बलले पनि आईजीपी खनालको भ्रमणलाई जिल्लामा रहेको ५० नं. गुल्म हेडक्वार्टर भवनको उद्घाटन प्रायोजनका लागि भएको भनेको छ ।
तर, लद्दाखमा पछिल्लो पटक सिर्जित तनावपछि त्रिदेशीय सीमामा भारत र चीन दुवै मुलुकले उपस्थिति बढाइरहेका वेला नेपालीका दुई सुरक्षा अंगका प्रमुख छाङरु पुग्नु संयोग मात्र हुन नसक्ने सुरक्षा एवं कूटनीतिक मामिलाका जानकारहरुको विश्लेषण छ ।
छाङरुमा सशस्त्र प्रहरीको गस्ती ।
सीमा विवादलाई संवेदनशीलरुपमा लिएको सन्देश दिने प्रयास
भारतले नेपाली भूमि कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरा मिचेर सडक बनाएपछि नेपालमा तीब्र जनआक्रोश छ । सडकदेखि सदनसम्म प्रदर्शन भइरहेका छन् ।
हाल राज्यको दुवै सदनले विवादित भूमि समेटेर नक्सा पारित गरिसकेको परिस्थिति छ । र, राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारीले पनि बिहीबार संविधान संशोधन विधयेकलाई प्रमाणीकरण गरिसकेकी छन् । भारतले भने नेपालको नयाँ नक्सा अस्वीकार्य भएको बताउँदै आएको छ ।
अब नयाँ नक्सामा समेटिएको भूमिबाट भारतीय सेनालाई हटाउनुपर्ने जिम्मेवारी ओली सरकारमाथि छ । यस्तो परिस्थितिमा दुई सुरक्षा अंगका प्रमुख छाङरु जानु त्यस क्षेत्रलाई सरकारले कति संवेदनशिल रुपमा लिएको छ भन्ने सन्देश दिने प्रयास भएको सुरक्षा मामिलाका एक जानकार बताउँछन् । त्यसैले समसामयिक राजनीतिक घटनाक्रमको परिणाम स्वरुप यो निर्णय भएको हुन सक्ने जानकारहरु बताउँछन् ।
सुरक्षाविद् गेजा शर्मा वाग्ले पनि सामरिक रुपमा महत्वपूर्ण क्षेत्रमा दुई सुरक्षा अंगको प्रमुखको उपस्थिति भारत र चीनसँगै स्थानीय भेगका जनताका लागि पनि आफैंमा सन्देशमूलक भएको बताउँछन् । उनी भन्छन्, ‘नक्सा जारी गरिसकेपछि त्यहाँ जानु सकरात्मक हो, यसले स्थानीय जनतालाई राज्यको अनुभूति दिलाउँछ ।’
‘अहिले भारतीय पक्षको बुझाइ नक्सा जारी गरेपछि नेपाल चुप लागेर बस्छ भन्ने रहेको देखिन्छ’, वाग्लेले अनलाइनखबरसँग भने, ‘प्रधानसेनापति थापा र आईजीपी खनालको भ्रमणले भारतको बुझाइ गलत हो, राष्ट्रपतिबाट पनि नक्सा प्रमाणिकरण भइसकेको अवस्थामा नेपाल भारतले मिचेको भूमि र त्यहाँका जनताको रक्षा गर्न प्रतिबद्ध छ भन्ने कुटनीतिक र सामरिक सन्देश दिएको छ ।’
रणनीति तय गर्न सघाउन पुग्ने विश्वास
सशस्��्र प्रहरी प्रमुख खनालले छाङरुमा अहिले प्रहरी निरीक्षकको नेतृत्वमा २५ जनाको बीओपी रहे पनि छिट्टै १ सय ६० जनाको फौज रहने गरी गुल्म राख्ने तयारी भइरहेको बताएका छन् । यसका लागि भवन निर्माण प्रक्रिया सुरु गरिसकिएको उनको भनाइ छ ।
गृह मन्त्रालयको सिफारिसमा सरकारले भवन बनाउनका लागि ९ करोड रुपैयाँ विनियोजन गरिसकेको छ भने १५ रोपनी जग्गामा भौतिक संरचना बन्दैछ । यही परिस्थितिमा अन्तर्राष्ट्रिय सीमा रक्षाको जिम्मा पाएको सेना र ‘आन्तरिक सीमा’ सुरक्षा गरिरहेको मुलुकको अर्धसैन्य बलका प्रमुखको संयुक्त भ्रमणले विवादमा पारिएको क्षेत्रमा सुरक्षा रणनीति तय गर्न पनि सघाउ पुग्ने विश्वास गरिएको छ ।
नेपाली सेनाबाट अवकाश प्राप्त एक वरिष्ठ अधिकृतले अनलाइनखबरसँग भने, ‘प्रत्यक्ष रुपमा होइन तर, नयाँ नक्सा जारी भइसकेको अवस्थामा कुनै न कुनै रुपले सीमा क्षेत्रमा सुरक्षा फौजको परिचालन र भावी रणनीति तय गर्न पनि भ्रमणले सहजता प्रदान गर्नेछ ।’
प्रधानसेनापति थापाको दार्चुला भ्रमणबारे राष्ट्रिय सुरक्षा परिषद्मा पनि केही साता अघि कुरा उठेको स्रोत बताउँछ । गृहमा पनि खनालको भ्रमणबारे लामै समयदेखि छलफल भइरहेको थियो । छाङरुमा ३१ वैशाखमा भएको सशस्त्र प्रहरीको बीओपी उद्घाटनमा पनि आईजीपी खनाल जाने भनिएको थियो । यद्यपि, अन्तिम समयमा सीमा सुरक्षा विभागका प्रमुख अतिरिक्त महानिरीक्षक (एआईजी) नारायणबाबु थापालाई त्यहाँ पठाइएको थियो ।
छाङरु ।
सुरक्षा समन्वयमा सहयोगी हुने दाबी
सेनापति थापा र सशस्त्रका महानिरीक्षक खनालले भ्रमण गरेको नेपाली भूमि हो । उनीहरु ८ किलोमिटर पर भारतले कब्जा गरेको कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरा क्षेत्रमा गएका होइनन् । त्यसैले यसमा विवाद गर्नुपर्ने कारण नभएको नेपाली सेनाका एक उच्च अधिकारीले अनलाइनखबरलाई बताए ।
तर, नेपाल प्रहरीका अवकाश प्राप्त नायब महानिरीक्षक (डीआईजी) हेमन्त मल्ल ठकुरी भने भारत–चीन विवादका बीच भएको सीमा क्षेत्रको भ्रमणले राम्रो सन्देश नदिने बताउँछन् । उनी प्रश्न गर्छन्, ‘साचौं, अहिले भारतीय सेना प्रमुखले कालापानी, लिपुलेक र लिम्पियाधुरा क्षेत्रको भ्रमण गरे, हामीलाई कस्तो मनोवैज्ञानिक असर पर्छ ?’
आफ्नो भूगोलमा सुरक्षा निकायका प्रमुखको भ्रमण गलत नभए पनि समयले असर पार्न सक्नेप्रति मल्लको चिन्ता छ ।
सशस्त्र प्रहरीका पूर्वअतिरिक्त महानिरीक्षक (एआईजी) सुबोध अधिकारी यो भ्रमणलाई राष्ट्रवादसँग जोडेर हेर्दा गलत अर्थ लाग्न सक्ने बताउँछन् । यद्यपि, सेना र सशस्त्र प्रहरी प्रमुखले त्यस क्षेत्रको भूगोल र जनताको संवेदनशीलताबारे जानकार रहेको सन्देश दिन खोजेको कुरालाई भने नकार्न नसकिने उनको भनाइ छ ।
उनी भन्छन्, ‘भौगोलिक हिसाबले पनि विकट ठाउँमा संगठन प्रमुख पुग्नुले फौजको मनोबल बढाउन भूमिका खेल्छ । साथै, स्थानीय स्तरमा दुई सुरक्षा अंगबीचको एकता र समन्वयलाई पनि मजबुद बनाउँछ ।’
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