करीमा बलूच के निधन ने सवालों को जन्म दिया -
ये बात यहाँ करने की जरुरत इसलिए पड़ रही है क्योकि अभी दुखद खबर मिली है की करीमा बलूच का कनाडा में निधन हो गया है ये वही महिला है जो मोदी को रक्षाबंधन पर मोदी को राखिया भेजी करती थी |करीमा बलोच को आखिरी बार रविवार (20 दिसंबर) को शाम करीब तीन बजे देखा गया था| इसके बाद वो गायब हो गईं| टोरंटो पुलिस ने करीमा बलोच के गायब होने के बाद अपनी वेबसाइट पर उनकी एक तस्वीर डाली थी और लोगों को उन्हें तलाशने में मदद करने के लिए कहा था|लेकिन अभी उनके मौत के कारणों का पता नहीं चला है |
राखी भेजने का मकसद -
37 साल की करीमा बलूच कनाडा में एक शरणार्थी के तौर पर रह रही थीं| बीबीसी ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे अधिक प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था|करीमा बलोच ने कुछ साल पहले रक्षा बंधन के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील भी की थी|करीमा ने कहा था कि बलूचिस्तान की बहनें आपको भाई मानती हैं| आपसे उम्मीद रखते हैं कि आप बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलूचों की और अपने भाइयों को खोने वाली बहनों की आवाज़ बनेंगे|
करीमा बलूच एक शख्स से शख्सियत बनने का सफर -
करीमा तब मशहूर हुई थी जब एक शख्स के गायब होने के बाद उसकी तस्वीर हाथों में लिए वो सड़क पर आयी थी उस समय उन्होंने बुरखा पहने हुए था |ये घटना 2005 की बलूचिस्तान की है | तब किसी को नहीं पता था की इस बुरखे में ये लड़की करीमा बलूच है |करीमा के मामा और चाचा बलूच राजनीती में सक्रीय थे जबकि उनके माता -पिता का इस राजनीती से कोई लेना देना नहीं था |
बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन का अध्यक्ष कैसे बनी -
जब बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (बीएसओ) के तीन धड़ों का साल 2006 में विलय हो गया तो तो करीमा बलोच को केंद्रीय समिति का सदस्य चुना गया|बीएसओ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज़ाकिर मजीद के लापता होने के बाद करीमा को संगठन का अध्यक्ष बनाया गया| वो बीएसओ की पहली महिला अध्यक्ष बनीं| संगठन के लिए वो एक मुश्किल समय था जब उसके नेता अचानक लापता हो रहे थे, कुछ छुप गए थे और कुछ ने रास्ते अलग कर लिए थे|बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग करने वाले एक छात्र संगठन 'बीएसओ आज़ाद' पर पाकिस्तान की सरकार ने साल 2013 में प्रतिबंध लगा दिया था|
कनाडा में क्यों लेनी पड़ी शरण -
जब पाकिस्तान में हालात बहुत खराब हो गए तो वो कनाडा चली गईं जहां उन्होंने राजनीतिक शरण ली |कनाडा में करीमा बलोच ने राजनीतिक कार्यकर्ता हमाल से शादी की और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगींलूच नैशनल मूवमेंट ने करीमा बलोच की मौत पर 40 दिनों तक शोक की घोषणा की है| करीमा बलोच ने ना सिर्फ़ मुश्किल वक़्त में बीएसओ की जिम्मेदारी संभाली बल्कि पूरे बलूच राष्ट्रीय अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया|
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करीमा बलूच के निधन ने सवालों को जन्म दिया -
ये बात यहाँ करने की जरुरत इसलिए पड़ रही है क्योकि अभी दुखद खबर मिली है की करीमा बलूच का कनाडा में निधन हो गया है ये वही महिला है जो मोदी को रक्षाबंधन पर मोदी को राखिया भेजी करती थी |करीमा बलोच को आखिरी बार रविवार (20 दिसंबर) को शाम करीब तीन बजे देखा गया था| इसके बाद वो गायब हो गईं| टोरंटो पुलिस ने करीमा बलोच के गायब होने के बाद अपनी वेबसाइट पर उनकी एक तस्वीर डाली थी और लोगों को उन्हें तलाशने में मदद करने के लिए कहा था|लेकिन अभी उनके मौत के कारणों का पता नहीं चला है |
राखी भेजने का मकसद -
37 साल की करीमा बलूच कनाडा में एक शरणार्थी के तौर पर रह रही थीं| बीबीसी ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे अधिक प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था|करीमा बलोच ने कुछ साल पहले रक्षा बंधन के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील भी की थी|करीमा ने कहा था कि बलूचिस्तान की बहनें आपको भाई मानती हैं| आपसे उम्मीद रखते हैं कि आप बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलूचों की और अपने भाइयों को खोने वाली बहनों की आवाज़ बनेंगे|
करीमा बलूच एक शख्स से शख्सियत बनने का सफर -
करीमा तब मशहूर हुई थी जब एक शख्स के गायब होने के बाद उसकी तस्वीर हाथों में लिए वो सड़क पर आयी थी उस समय उन्होंने बुरखा पहने हुए था |ये घटना 2005 की बलूचिस्तान की है | तब किसी को नहीं पता था की इस बुरखे में ये लड़की करीमा बलूच है |करीमा के मामा और चाचा बलूच राजनीती में सक्रीय थे जबकि उनके माता -पिता का इस राजनीती से कोई लेना देना नहीं था |
बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन का अध्यक्ष कैसे बनी -
जब बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (बीएसओ) के तीन धड़ों का साल 2006 में विलय हो गया तो तो करीमा बलोच को केंद्रीय समिति का सदस्य चुना गया|बीएसओ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज़ाकिर मजीद के लापता होने के बाद करीमा को संगठन का अध्यक्ष बनाया गया| वो बीएसओ की पहली महिला अध्यक्ष बनीं| संगठन के लिए वो एक मुश्किल समय था जब उसके नेता अचानक लापता हो रहे थे, कुछ छुप गए थे और कुछ ने रास्ते अलग कर लिए थे|बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग करने वाले एक छात्र संगठन 'बीएसओ आज़ाद' पर पाकिस्तान की सरकार ने साल 2013 में प्रतिबंध लगा दिया था|
कनाडा में क्यों लेनी पड़ी शरण -
जब पाकिस्तान में हालात बहुत खराब हो गए तो वो कनाडा चली गईं जहां उन्होंने राजनीतिक शरण ली |कनाडा में करीमा बलोच ने राजनीतिक कार्यकर्ता हमाल से शादी की और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगींलूच नैशनल मूवमेंट ने करीमा बलोच की मौत पर 40 दिनों तक शोक की घोषणा की है| करीमा बलोच ने ना सिर्फ़ मुश्किल वक़्त में बीएसओ की जिम्मेदारी संभाली बल्कि पूरे बलूच राष्ट्रीय अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया|
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करीमा बलूच :बलूच नेता क्यों भेजती थी मोदी को राखी ?
करीमा बलूच के निधन ने सवालों को जन्म दिया -
ये बात यहाँ करने की जरुरत इसलिए पड़ रही है क्योकि अभी दुखद खबर मिली है की करीमा बलूच का कनाडा में निधन हो गया है ये वही महिला है जो मोदी को रक्षाबंधन पर मोदी को राखिया भेजी करती थी |करीमा बलोच को आखिरी बार रविवार (20 दिसंबर) को शाम करीब तीन बजे देखा गया था| इसके बाद वो गायब हो गईं| टोरंटो पुलिस ने करीमा बलोच के गायब होने के बाद अपनी वेबसाइट पर उनकी एक तस्वीर डाली थी और लोगों को उन्हें तलाशने में मदद करने के लिए कहा था|लेकिन अभी उनके मौत के कारणों का पता नहीं चला है |
राखी भेजने का मकसद -
37 साल की करीमा बलूच कनाडा में एक शरणार्थी के तौर पर रह रही थीं| बीबीसी ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे अधिक प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था|करीमा बलोच ने कुछ साल पहले रक्षा बंधन के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की अपील भी की थी|करीमा ने कहा था कि बलूचिस्तान की बहनें आपको भाई मानती हैं| आपसे उम्मीद रखते हैं कि आप बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलूचों की और अपने भाइयों को खोने वाली बहनों की आवाज़ बनेंगे|
करीमा बलूच एक शख्स से शख्सियत बनने का सफर -
करीमा तब मशहूर हुई थी जब एक शख्स के गायब होने के बाद उसकी तस्वीर हाथों में लिए वो सड़क पर आयी थी उस समय उन्होंने बुरखा पहने हुए था |ये घटना 2005 की बलूचिस्तान की है | तब किसी को नहीं पता था की इस बुरखे में ये लड़की करीमा बलूच है |करीमा के मामा और चाचा बलूच राजनीती में सक्रीय थे जबकि उनके माता -पिता का इस राजनीती से कोई लेना देना नहीं था |
बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन का अध्यक्ष कैसे बनी -
जब बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (बीएसओ) के तीन धड़ों का साल 2006 में विलय हो गया तो तो करीमा बलोच को केंद्रीय समिति का सदस्य चुना गया|बीएसओ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज़ाकिर मजीद के लापता होने के बाद करीमा को संगठन का अध्यक्ष बनाया गया| वो बीएसओ की पहली महिला अध्यक्ष बनीं| संगठन के लिए वो एक मुश्किल समय था जब उसके नेता अचानक लापता हो रहे थे, कुछ छुप गए थे और कुछ ने रास्ते अलग कर लिए थे|बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग करने वाले एक छात्र संगठन 'बीएसओ आज़ाद' ��र पाकिस्तान की सरकार ने साल 2013 में प्रतिबंध लगा दिया था|
कनाडा में क्यों लेनी पड़ी शरण -
जब पाकिस्तान में हालात बहुत खराब हो गए तो वो कनाडा चली गईं जहां उन्होंने राजनीतिक शरण ली |कनाडा में करीमा बलोच ने राजनीतिक कार्यकर्ता हमाल से शादी की और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगींलूच नैशनल मूवमेंट ने करीमा बलोच की मौत पर 40 दिनों तक शोक की घोषणा की है| करीमा बलोच ने ना सिर्फ़ मुश्किल वक़्त में बीएसओ की जिम्मेदारी संभाली बल्कि पूरे बलूच राष्ट्रीय अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया|
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3hbhvdX
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