#कबीर परमात्मा वेदों अनुसार लीला करता है*
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#कबीरसाहेब_की_प्रमाणित_लीला
At the time of Kabir Parameshwara's journey to Satlok, Hindus and Muslims were bent on fighting over his last rites. Showing his ability, God Kabir Ji avoided this civil war and got fragrant flowers like his body in place of his body.
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कबीर परमेश्वर जब पृथ्वी पर शिशु रूप में प्रकट होते हैं तो उनकी परवरिश कंवारी गाय के दूध से की जाती है।
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Sadhna TV Satsang || 13-08-2024 || Episode: 2997|| Sant Rampal Ji Mahara...
🙏🙇♂️🙏💖🌺🥀💖
*📯🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की
🙏📯*🌷🌷🌷🌷🌷
*13/08/24 Tuesday/मंगलवार*
🎈🌷🌼🌷🎈
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1🥁📚परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2🥁📚कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
3🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
4🥁📚श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।7
5🥁📚परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
7🥁📚ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
8🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
9🥁📚पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
10🥁📚जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
11🥁📚"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
12🥁📚परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
13🥁📚ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
14🥁📚परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
15🥁📚कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक हैं।
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
16🥁📚पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
17🥁📚पवित्र कुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
18🥁📚पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52
कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अडिग रहना।
19🥁📚आदरणीय गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) स्वयं सत्यभक्ति प्रदान करके सत्यलोक लेकर गए थे, तब अपनी अमृतवाणी में आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने आँखों देखकर कहाः-
गरीब, अजब नगर में ले गए, हमकुँ सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सुते चादर तान।।
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#कबीर परमात्मा वेदों अनुसार लीला करता है।
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#कुल_का_मालिक_एक
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कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जो वेदों अनुसार लीला करते हैं।
कुंवारी गाय के दूध से परवरिश लीला का वेद में प्रमाण
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त । मन्त्र 9
पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है
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Sant Rampal Ji Maharaj
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कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जो वेदों अनुसार लीला करते हैं।
कंवारी गाय के दूध से परवरिश लीला का वेद प्रमाण
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
पूर्ण परमात्मा अमर पूरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है
सुख सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुंवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात उस समय कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
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#Kabir_Is_AlmightyGod
True Guru Sant Rampal Ji
कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जो वेदों अनुसार लीला करते हैं। कुंवारी गाय के दूध से परवरिश लीला का वेद में प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त । मन्त्र 9 पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-स
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Sadhna TV Satsang || 22-12-2024 || Episode: 3124 || Sant Rampal Ji Mahar...
#Kabir_Is_AlmightyGod
True Guru Sant Rampal Ji
कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जो वेदों अनुसार लीला करते हैं। कुंवारी गाय के दूध से परवरिश लीला का वेद में प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त । मन्त्र 9 पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है सुख-स
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#परमात्मा_साकार_है
*Kabir Is God*
💠ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
💠पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है।
💠ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5
अग्निः होता कविः क्रतुः सत्यः चित्रश्रवस्तम् देवः देवेभिः आगमत् ।।5 ।।
सर्व सृष्टी रचनहार कुल का मालिक कविर्देव अर्थात् कबीर साहेब है जो तेजोमय शरीर युक्त है। जो साधकों के लिए पूजा करने योग्य है।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
💠परमात्मा साकार है!
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश - पृष्ठ 463
💠आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ।
दुयी कुदरति साजीऐ करि आसणु डिठो चाउ।
दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करहि पसाउ।
तूं जाणोइ सभसै दे लैसहि जिंद कवाउ करि आसणु डिठो चाउ।
उपरोक्त अमृतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं कह रहे हैं कि पूर्ण परमात्मा जिंदा का रूप बनाकर बेई नदी पर आए, अर्थात जिंदा कहलाए तथा स्वयं ही दो दुनिया ऊपर (सतलोक आदि) तथा नीचे (ब्रह्म व
परब्रह्म के लोक) को रचकर ऊपर सत्यलोक में आकार में आसन पर बैठ कर चाव के साथ अपने द्वारा रची दुनिया को देख रहे हो।
💠यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1 : परमात्मा साकार है।
अगने तनुः असि | विश्नवे त्व सोमस्य तनूर' असि ||
यहां दो बार कहा है कि परमेश्वर का शरीर है। उस सनातन पुरुष के पास सबका पालन-पोषण करने के लिए शरीर है अर्थात् जब भगवान तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय के लिए इस संसार में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वे अपने वास्तविक शरीर पर प्रकाश के हल्के पुंज का शरीर धारण करके आते हैं।
💠परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 से 20 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है तथा अपना निर्मल ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान कबीर वाणी के द्वारा अपने अनुयायियों को बोल-बोल कर वर्णन करता है। वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ब्रह्म के धाम तथा परब्रह्म के धाम से भिन्न जो पूर्ण ब्रह्म का तीसरा ऋतधाम (सतलोक) है, उसमें आकार में विराजमान है तथा सतलोक से चौथा अनामी लोक है, उसमें भी यही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) अनामी पुरुष रूप में मनुष्य सदृश आकार में विराजमान है।
💠अल्लाह साकार है, बेचून नहीं!
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17, 18
पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में सिंहासन पर विराजमान है।
💠ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 5
कूचिज्जायते सनयासु नव्यो वने तस्थौ पलितो धूमकेतुः। अस्नातापो वृषभो न प्रवेति सचेतसो यं प्रणयन्त मर्ताः।।5 ।।
पूर्ण परमात्मा जब मानव शरीर धारण कर पृथ्वी लोक पर आता है उस समय अन्य वृद्ध रूप धारण करके पूर्व जन्म के भक्ति युक्त भक्तों के पास तथा नए मनुष्यों को नए भक्ति संस्कार उत्पन्न करने के लिए विद्युत जैसी तीव्रता से जाता है अर्थात् जब चाहे जहाँ प्रकट हो जाता है। उन्हें सत्य भक्ति प्रदान करके मोक्ष प्राप्त कराता है।
💠परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
💠परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
💠यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15 में प्रमाण है कि परमात्मा का शरीर है और वह आकार में है।
💠पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
💠पवित्र वेद में प्रमाण है कि परमात्मा साकार है!
पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4, अनुवाक 1 मंत्र 1:-
ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्त्ताद् वि सीमतः सुरुचो वेन आवः।
सः बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च वि वः।। 1।।
पवित्र वेदों को बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि सनातन परमेश्वर ने स्वयं अनामय लोक से सत्यलोक में प्रकट होकर अपनी सूझ-बूझ से कपड़े की तरह रचना करके ऊपर के सतलोक आदि को सीमा रहित स्वप्रकाशित अजर - अमर अर्थात अविनाशी ठहराए तथा नीचे के परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्ड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्माण्ड व इनमें छोटी-से छोटी रचना भी उसी परमात्मा ने अस्थाई की है।
💠वेदों में प्रमाण है, परमात्मा साकार है।
यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
💠पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)
छटवां दिन:- प्राणी और मनुष्य,अन्य प्राणियों की रचना करके
26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
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*🔅बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🔅*
17/10/24
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💠 *मालिक की दया से ईसाई धर्म से संबन्धित सेवा करनी है।*
*टैग हैं⤵️*
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💠परमात्मा साकार है।
पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)
छटवां दिन:- प्राणी और मनुष्य:
अन्य प्राणियों की रचना करके
26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
💠भ्रांति : ईसाई धर्म के लोग मानते हैं कि परमात्मा निराकार है।
सच्चाई : जबकि संत रामपाल जी महाराज पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रंथ 1:26, 27 से बताते हैं कि परमेश्वर ने मानव को अपने स्वरूप में उत्पन्न किया। जिससे स्पष्ट है कि परमात्मा साकार है।
💠पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है।
💠ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5
अग्निः होता कविः क्रतुः सत्यः चित्रश्रवस्तम् देवः देवेभिः आगमत् ।।5 ।।
सर्व सृष्टी रचनहार कुल का मालिक कविर्देव अर्थात् कबीर साहेब है जो तेजोमय शरीर युक्त है। जो साधकों के लिए पूजा करने योग्य है।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
💠परमात्मा साकार है!
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश - पृष्ठ 463
💠आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ।
दुयी कुदरति साजीऐ करि आसणु डिठो चाउ।
दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करहि पसाउ।
तूं जाणोइ सभसै दे लैसहि जिंद कवाउ करि आसणु डिठो चाउ।
उपरोक्त अमृतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं कह रहे हैं कि पूर्ण परमात्मा जिंदा का रूप बनाकर बेई नदी पर आए, अर्थात जिंदा कहलाए तथा स्वयं ही दो दुनिया ऊपर (सतलोक आदि) तथा नीचे (ब्रह्म व
परब्रह्म के लोक) को रचकर ऊपर सत्यलोक में आकार में आसन पर बैठ कर चाव के साथ अपने द्वारा रची दुनिया को देख रहे हो।
💠यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1 : परमात्मा साकार है।
अगने तनुः असि | विश्नवे त्व सोमस्य तनूर' असि ||
यहां दो बार कहा है कि परमेश्वर का शरीर है। उस सनातन पुरुष के पास सबका पालन-पोषण करने के लिए शरीर है अर्थात् जब भगवान तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय के लिए इस संसार में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वे अपने वास्तविक शरीर पर प्रकाश के हल्के पुंज का शरीर धारण करके आते हैं।
💠परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 से 20 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है तथा अपना निर्मल ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान कबीर वाणी के द्वारा अपने
अनुयायियों को बोल-बोल कर वर्णन करता है। वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ब्रह्म के धाम तथा परब्रह्म के धाम से भिन्न जो पूर्ण ब्रह्म का तीसरा ऋतधाम (सतलोक) है, उसमें आकार में विराजमान है तथा सतलोक से चौथा अनामी लोक है, उसमें भी यही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) अनामी पुरुष रूप में मनुष्य सदृश आकार में विराजमान है।
💠अल्लाह साकार है, बेचून नहीं!
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17, 18
पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में सिंहासन पर विराजमान है।
💠ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 5
कूचिज्जायते सनयासु नव्यो वने तस्थौ पलितो धूमकेतुः। अस्नातापो वृषभो न प्रवेति सचेतसो यं प्रणयन्त मर्ताः।।5 ।।
पूर्ण परमात्मा जब मानव शरीर धारण कर पृथ्वी लोक पर आता है उस समय अन्य वृद्ध रूप धारण करके पूर्व जन्म के भक्ति युक्त भक्तों के पास तथा नए मनुष्यों को नए भक्ति संस्कार उत्पन्न करने के लिए विद्युत जैसी तीव्रता से जाता है अर्थात् जब चाहे जहाँ प्रकट हो जाता है। उन्हें सत्य भक्ति प्रदान करके मोक्ष प्राप्त कराता है।
💠परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
💠ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
💠परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
💠यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15 में प्रमाण है कि परमात्मा का शरीर है और वह आकार में है।
💠पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
💠पवित्र वेद में प्र��ाण है कि परमात्मा साकार है!
पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4, अनुवाक 1 मंत्र 1:-
ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्त्ताद् वि सीमतः सुरुचो वेन आवः।
सः बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च वि वः।। 1।।
पवित्र वेदों को बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि सनातन परमेश्वर ने स्वयं अनामय लोक से सत्यलोक में प्रकट होकर अपनी सूझ-बूझ से कपड़े की तरह रचना करके ऊपर के सतलोक आदि को सीमा रहित स्वप्रकाशित अजर - अमर अर्थात अविनाशी ठहराए तथा नीचे के परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्ड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्माण्ड व इनमें छोटी-से छोटी रचना भी उसी परमात्मा ने अस्थाई की है।
- जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
💠वेदों में प्रमाण है, परमात्मा साकार है।
यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
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💠परमात्मा साकार है।
पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)
छटवां दिन:- प्राणी और मनुष्य:
अन्य प्राणियों की रचना करके
26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
💠भ्रांति : ईसाई धर्म के लोग मानते हैं कि परमात्मा निराकार है।
सच्चाई : जबकि संत रामपाल जी महाराज पवित्र बाइबिल के उत्पत्ति ग्रंथ 1:26, 27 से बताते हैं कि परमेश्वर ने मानव को अपने स्वरूप में उत्पन्न किया। जिससे स्पष्ट है कि परमात्मा साकार है।
💠पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है।
💠ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 1 मंत्र 5
अग्निः होता कविः क्रतुः सत्यः चित्रश्रवस्तम् देवः देवेभिः आगमत् ।।5 ।।
सर्व सृष्टी रचनहार कुल का मालिक कविर्देव अर्थात् कबीर साहेब है जो तेजोमय शरीर युक्त है। जो साधकों के लिए पूजा करने योग्य है।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
💠परमात्मा साकार है!
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश - पृष्ठ 463
💠आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ।
दुयी कुदरति साजीऐ करि आसणु डिठो चाउ।
दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करहि पसाउ।
तूं जाणोइ सभसै दे लैसहि जिंद कवाउ करि आसणु डिठो चाउ।
उपरोक्त अमृतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं कह रहे हैं कि पूर्ण परमात्मा जिंदा का रूप बनाकर बेई नदी पर आए, अर्थात जिंदा कहलाए तथा स्वयं ही दो दुनिया ऊपर (सतलोक आदि) तथा नीचे (ब्रह्म व
परब्रह्म के लोक) को रचकर ऊपर सत्यलोक में आकार में आसन पर बैठ कर चाव के साथ अपने द्वारा रची दुनिया को देख रहे हो।
💠यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1 : परमात्मा साकार है।
अगने तनुः असि | विश्नवे त्व सोमस्य तनूर' असि ||
यहां दो बार कहा है कि परमेश्वर का शरीर है। उस सनातन पुरुष के पास सबका पालन-पोषण करने के लिए शरीर है अर्थात् जब भगवान तत्वज्ञान समझाने के लिए कुछ समय के लिए इस संसार में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वे अपने वास्तविक शरीर पर प्रकाश के हल्के पुंज का शरीर धारण करके आते हैं।
💠परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
💠पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 से 20 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है तथा अपना निर्मल ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान कबीर वाणी के द्वारा अपने
अनुयायियों को बोल-बोल कर वर्णन करता है। वह कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ब्रह्म के धाम तथा परब्रह्म के धाम से भिन्न जो पूर्ण ब्रह्म का तीसरा ऋतधाम (सतलोक) है, उसमें आकार में विराजमान है तथा सतलोक से चौथा अनामी लोक है, उसमें भी यही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) अनामी पुरुष रूप में मनुष्य सदृश आकार में विराजमान है।
💠अल्लाह साकार है, बेचून नहीं!
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है।
💠ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17, 18
पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में सिंहासन पर विराजमान है।
💠ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 5
कूचिज्जायते सनयासु नव्यो वने तस्थौ पलितो धूमकेतुः। अस्नातापो वृषभो न प्रवेति सचेतसो यं प्रणयन्त मर्ताः।।5 ।।
पूर्ण परमात्मा जब मानव शरीर धारण कर पृथ्वी लोक पर आता है उस समय अन्य वृद्ध रूप धारण करके पूर्व जन्म के भक्ति युक्त भक्तों के पास तथा नए मनुष्यों को नए भक्ति संस्कार उत्पन्न करने के लिए विद्युत जैसी तीव्रता से जाता है अर्थात् जब चाहे जहाँ प्रकट हो जाता है। उन्हें सत्य भक्ति प्रदान करके मोक्ष प्राप्त कराता है।
💠परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
💠ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
💠परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
💠यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15 में प्रमाण है कि परमात्मा का शरीर है और वह आकार में है।
💠पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
💠पवित्र वेद में प्रमाण है कि परमात्मा साकार है!
पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4, अनुवाक 1 मंत्र 1:-
ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्त्ताद् वि सीमतः सुरुचो वेन आवः।
सः बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च वि वः।। 1।।
पवित्र वेदों को बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि सनातन परमेश्वर ने स्वयं अनामय लोक से सत्यलोक में प्रकट होकर अपनी सूझ-बूझ से कपड़े की तरह रचना करके ऊपर के सतलोक आदि को सीमा रहित स्वप्रकाशित अजर - अमर अर्थात अविनाशी ठहराए तथा नीचे के परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्ड तथा ब्रह्म के 21 ब्रह्माण्ड व इनमें छोटी-से छोटी रचना भी उसी परमात्मा ने अस्थाई की है।
- जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
💠वेदों में प्रमाण है, परमात्मा साकार है।
यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
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#भगवान_कौन_है
कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जो वेदों अनुसार लीला करते हैं।कुंवारी गाय के दूध से परवरिश लीला का वेद में प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त । मन्त्र 9
पूर्ण पर���ात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है
सुख-सुविधा के लिए जो आवश्यक पदार्थ शरीर वृद्धि के लिए चाहिए वह पूर्ति कुँवारी गायों द्वारा की जाती है अर्थात् उस समय (अध्नि धेनु) कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
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Sadhna TV Satsang || 13-08-2024 || Episode: 2997|| Sant Rampal Ji Mahara...
🙏🙇♂️🙏💖🌺🥀💖
*📯🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की
🙏📯*🌷🌷🌷🌷🌷
*13/08/24 Tuesday/मंगलवार*
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1🥁📚परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2🥁📚कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
3🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
4🥁📚श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।7
5🥁📚परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
7🥁📚ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
8🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
9🥁📚पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
10🥁📚जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
11🥁📚"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
12🥁📚परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
13🥁📚ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
14🥁📚परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
15🥁📚कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक हैं।
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांत��� दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
16🥁📚पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
17🥁📚पवित्र कुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
18🥁📚पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52
कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अडिग रहना।
19🥁📚आदरणीय गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) स्वयं सत्यभक्ति प्रदान करके सत्यलोक लेकर गए थे, तब अपनी अमृतवाणी में आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने आँखों देखकर कहाः-
गरीब, अजब नगर में ले गए, हमकुँ सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सुते चादर तान।।
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