#कबहैअंतरराष्ट्रीयपुरुषदिवस
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस: न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुषों का भी होता है शोषण, देखें क्या कहते हैं आंकड़े
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चैतन्य भारत न्यूज हर साल 19 नवंबर को 'अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस' (International Men's Day) मनाया जाता है। इस दिन पुरुषों की उपलब्धियों को लेकर सराहा जाता है, साथ ही समाज, परिवार, विवाह और बच्चों की देखभाल में पुरुषों के सहयोग पर भी चर्चा होती है। बता दें 80 देशों में 19 नवंबर को 'अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस' मनाया जाता है और इसे युनेस्को का भी सहयोग प्राप्त है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); पुरुष दिवस की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस, 19 नवंबर को मनाया जाने वाला एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत 7 फरवरी 1992 को थॉमस ओस्टर द्वारा की गई थी। अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की परियोजना की कल्पना इसकी शुरुआत होने से एक साल पहले यानी 8 फरवरी 1991 को की गई थी। इसके बाद 1999 में इस परियोजना को त्रिनिदाद और टोबैगो में फिर से शुरू किया गया और इसका सारा क्रेडिट डॉ. जीरोम तिलकसिंह को जाता है। दरअसल, जीरोम तिलकसिंह ने ही इस दिन को मनाने की पहल की और इसके लिए 19 नवंबर का दिन निर्धरित किया। उनके इस प्रयास के बाद से ही प्रति वर्ष 19 नवंबर को दुनिया भर के 60 देशों में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को भी उनकी इस कोशिश की सराहना कर चुकी है। भारत में पहली दफा 2007 में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया। इसे पुरुषों के अधिकार के लिए आवाज उठाने वाली संस्था ‘सेव इंडियन फैमिली’ ने पहली बार मनाया था। पुरुष भी होते हैं असमानता का शिकार यह दिवस पुरुषों को पक्षपात, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता से बचाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए भी मनाया जाता है। दरअसल महिलाओं के जैसे ही कई बार पुरुष भी असमानता के शिकार होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में होने वाली कुल आत्महत्याओं में 76 प्रतिशत पुरुष होते हैं। पूरे विश्व में 85 फीसदी बेघर पुरुष हैं। यहां तक कि घरेलू हिंसा के शिकार लोगों में 40 फीसदी तादाद पुरुषों की है।ऐसे में महिला और पुरुष को समानता के पैमाने पर रखना है तो महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाना आवश्यक है। हालांकि पुरुष दिवस को लेकर समाज के बीच अभी भी उतनी जागरूकता नहीं है लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में पुरूष दिवस ने भी अपनी अलग पहचान बनानी शुरू कर दी है। ये भी पढ़े... विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस: बुजुर्ग बोझ नहीं हैं, उन्हें हंसने-मुस्कुराने दीजिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः भोपाल-बिलासपुर एक्सप्रेस में महिला स्टॉफ ने संभाली कमान विश्व साक्षरता दिवस : भारत में 3.5 करोड़ बच्चे नहीं जा पाते स्कूल, इतना पढ़ा-लिखा है हमारा देश Read the full article
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