#औषधीय गुण
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पिप्पली पाउडर के फायदे
पिप्पली, जिसे अंग्रेजी में "Long Pepper" कहा जाता है, एक प्रकार की मसाला होती है जो भारतीय रसोई में इस्तेमाल होती है। यह आमतौर पर ड्राई रूप में पाई जाती है और अपने खास स्वाद और गुणों के लिए जानी जाती है।
पिप्पली के कुछ गुण हैं:
अच्छे स्वाद और खुशबू: पिप्पली का तेज़ स्वाद और खुशबू खाने को और भी स्वादिष्ट बनाती है।
गैस्ट्रोइंटेस्टिनल स्वास्थ्य: पिप्पली का सेवन पाचन को बेहतर बनाता है और अपाचन, गैस, और एसिडिटी जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
स्नेहन प्रोपर्टी: इसकी स्नेहन गुणवत्ता से जुड़ा होता है और यह ठंडा महसूस करने में मदद कर सकती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल: इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में उष्णता और वात विद्धि को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
पिप्पली के सेवन से पहले, खासकर मेडिकल शर्तों या अन्य दवाओं के साथ लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन हो सकता है तो यह शरीर के नुकसान का कारण बन सकता है।
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Embracing Purity on Tulsi Divas !
Today, we celebrate Tulsi Divas, a day dedicated to the sacred Tulsi plant, also known as Holy Basil . In Hindu tradition, Tulsi is revered as a goddess, embodying purity, health, and spiritual well-being. This day reminds us of the importance of nature in our lives and the power of plants to heal and purify both our bodies and minds.
Tulsi, or Holy Basil, is more than just a plant; it's a symbol of:
Purity: Tulsi is believed to purify the environment and create a positive atmosphere.
Health: It has numerous medicinal properties and is used in traditional medicine for various ailments.
Devotion: Tulsi is offered in worship to deities, symbolizing devotion and faith.
Peace: The presence of Tulsi is said to bring peace and harmony to the home.
On this Tulsi Divas, let us reflect on the importance of respecting nature and living in harmony with it. Let us embrace the values that Tulsi represents – purity, health, and devotion – and strive for inner peace and well-being.
Celebrating the divine essence of Tulsi on Tulsi Divas. May this sacred plant bring purity, health, and peace to your life.
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पवित्र तुलसी का सम्मान: पवित्रता और शांति का उत्सव
आज हम तुलसी दिवस मना रहे हैं, जो पवित्र तुलसी पौधे को समर्पित एक दिन है, जिसे होली बेसिल के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू परंपरा में, तुलसी को एक देवी के रूप में पूजा जाता है, जो पवित्रता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक कल्याण का प्रतीक है। यह दिन हमें हमारे जीवन में प्रकृति के महत्व और हमारे शरीर और मन दोनों को उपचारित और शुद्ध करने के लिए पौधों की शक्ति की याद दिलाता है।
तुलसी, या होली बेसिल, केवल एक पौधा नहीं है; यह का ��्रतीक है:
पवित्रता: माना जाता है कि तुलसी पर्यावरण को शुद्ध करती है और सकारात्मक वातावरण बनाती है।
स्वास्थ्य: इसमें कई औषधीय गुण हैं और इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न रोगों के लिए किया जाता है।
भक्ति: तुलसी को भगवान को अर्पित किया जाता है, जो भक्ति और विश्वास का प्रतीक है।
शांति: कहा जाता है कि तुलसी की उपस्थिति घर में शांति और सद्भाव लाती है।
इस तुलसी दिवस पर, आइए हम प्रकृति का सम्मान करने और उसके साथ सद्भाव में रहने के महत्व पर विचार करें। आइए हम तुलसी के प्रतिनिधित्व वाले मूल्यों - पवित्रता, स्वास्थ्य और भक्ति - को अपनाएं और आंतरिक शांति और कल्याण के लिए प्रयास करें।
तुलसी दिवस पर तुलसी (होली बेसिल) के दिव्य सार का जश्न मनाना। ईश्वर करें कि यह पवित्र पौधा आपके जीवन में पवित्रता, स्वास्थ्य और शांति लाए। #तुलसीदिवस #होलीबेसिल #पवित्रपौधा #भारतीयसंस्कृति #हिंदूधर्म #आध्यात्मिकता #शांति #कल्याण #प्रकृति #हर्बलउपचार #पवित्रता #भक्ति #तुलसीपौधा
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सनाय पत्ती की तासीर कैसी होती है इसके फायदे नुकसान की जानकारी
सनाय पत्ती की तासीर कैसी होती है इसके फायदे नुकसान की जानकारी – सनाय को भारत में कई नामों से जाना जाता हैं। इसे मार्कण्डी और सोनामुखी भी कहा जाता हैं। इसमें पाएं जाने वाले औषधीय गुण शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता हैं। सनाय में पीले कलर की खुबसुरत और मन को आकर्षित करने वाले फुल लगते हैं। इसमें लैक्सेटिव और एंटीवायरल गुण होते हैं। इसमें मुख्य रूप से सेनोसाइड्स होते है जो ��से बेस्ट…
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सर्दियों में अदरक का फायदा: घर पर कैसे उगाएं ताजा अदरक, जानें आसान तरीका
How to Grow Ginger at Home : सर्दियों का मौसम आते ही अदरक (Ginger) का सेवन हमारे घरों में बढ़ जाता है��� चाहे चाय हो, काढ़ा हो या फिर खाना बनाने का मसाला, अदरक हर जगह अपनी खास जगह बना चुका है। इसके औषधीय गुण न केवल हमारी इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं, बल्कि सर्दियों में शरीर को गर्म भी रखते हैं। अगर आप भी घर पर ताजा और केमिकल-फ्र��� अदरक उगाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहां हम आपको बताएंगे…
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वनस्पति सम्पदा स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के सार्वभौमिक प्रतीक के रूप में विद्यमान है, जो विश्व के लोगों को संतुष्टि एवं सुख प्रदान करती है। बचपन से ही मैंने अपने को प्रकृति के अधिक सन्निकट पाया। प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम के कारण मैं धरती पर मौजूद पेड़-पौधों विशेषकर औषधीय पौधों के चिकित्सीय गुणों के प्रति अधिक आकर्षित हुआ और उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करने लगा। इसके लिए मैंने अनेक ग्रंथों, निघंटुओं, संहिताओं आदि का गहन अध्ययन करना प्रारम्भ किया और पाया कि औषधीय पौधों में कई ऐसे गुण पाये जाते हैं जिनसे बहुत सी छोटी-बड़ी बीमारियाँ ठीक की जा सकती हैं।
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श्याम तुलसी माला को पहनने के फायदे!
श्याम तुलसी माला हिंदू धर्म में एक पवित्र और विशेष महत्व रखने वाली माला है। जिसका उपयोग साधना भक्ति और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। तुलसी माला के कई प्रकार होते हैं जिनमें श्याम तुलसी माला एक प्रमुख प्रकार है। श्याम तुलसी माला विशेष रूप से श्याम रंग की होती है। और इसे पहनने के अद्भुत फायदे होते हैं। आइए जानते हैं श्याम तुलसी माला पहनने के कुछ प्रमुख लाभों के बारे में।
आध्यात्मिक उन्नति श्याम तुलसी माला का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है। इसे नियमित रूप से पहनने से व्यक्ति की भक्ति और साधना में वृद्धि होती है। तुलसी माला विशेष रूप से भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की उपासना के लिए उत्तम मानी जाती है। इसके साथ जप करने से मन शांत और एकाग्र होता है। जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा को मदद मिलती है।
मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति आज के तनावपूर्ण जीवन में मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति पाने की आवश्यकता सभी को है। श्याम तुलसी माला को पहनने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। इसके नियमित प्रयोग से मानसिक तनाव-चिंता और अवसाद में कमी आती है। तुलसी माला में एक विशेष ऊर्जा होती है जो व्यक्ति को शांति और संतुलन प्रदान करती है। यह मानसिक समस्याओं को दूर करने में मदद करती है और एक सकारात्मक मानसिक स्थिति उत्पन्न करती है।
शरीर की शुद्धि और स्वस्थ जीवन तुलसी माला का शारीरिक रूप से भी लाभ होता है। तुलसी के बीज में औषधीय गुण होते हैं। जो शरीर को शुद्ध करने और विभिन्न बीमारियों से बचाने में सहायक होते हैं। श्याम तुलसी माला पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो शरीर को ताजगी और स्फूर्ति प्रदान करता है। यह शरीर को शुद्ध करती है और रोग प्रतिकारक क्षमता को भी बढ़ाती है।
व्यक्तिगत सुरक्षा और बुरी ऊर्जा से बचाव तुलसी माला को पहनने से न केवल मानसिक और शारीरिक लाभ होते हैं। बल्कि यह एक सुरक्षा कवच की तरह भी कार्य करती है। श्याम तुलसी माला पहनने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी ताकतों से सुरक्षा मिलती है। यह माला नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद करती है और व्यक्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाती है।
धार्मिक कर्तव्यों में मदद किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा में श्याम तुलसी माला का विशेष महत्व है। यह माला भगवान के नामों का जप करने में सहायक होती है और भक्ति को प्रगाढ़ बनाती है। यदि आप किसी विशेष देवता के प्रति श्रद्धा रखते हैं, तो श्याम तुलसी माला के साथ पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त करना सरल होता है। यह माला पूजा की गुणवत्ता को बढ़ाती है और व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक सुख लाती है।
व्यक्ति��्व में सकारात्मक बदलाव श्याम तुलसी माला पहनने से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। बल्कि इससे उसके व्यक्तित्व में ��ी सकारात्मक बदलाव आता है। व्यक्ति अधिक सच्चा, ईमानदार और संयमित बनता है। यह माला उसके अंदर आध्यात्मिक जागरूकता और ध्यान की शक्ति को बढ़ाती है। जिससे वह अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में सक्षम होता है।
धैर्य और समर्पण की भावना में वृद्धि श्री कृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना के दौरान श्याम तुलसी माला का विशेष स्थान है। यह माला एक प्रकार से भक्त के समर्पण और धैर्य को बढ़ाती है। जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से तुलसी माला का जाप करता है, तो उसके अंदर सहनशीलता धैर्य और भगवान के प्रति अडिग विश्वास विकसित होता है।
समृद्धि और सुख-शांति का आगमन तुलसी माला का धार्मिक दृष्टिकोण से भी एक विशेष स्थान है। इसे पहनने से घर में समृद्धि, सुख और शांति का वास होता है। श्याम तुलसी माला न केवल भक्ति और साधना में सहायक होती है। बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सौभाग्य और शांति का प्रतीक बनती है।
निष्कर्ष श्याम तुलसी माला के पहनने से व्यक्ति के जीवन में अनेक फायदे होते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। बल्कि मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा के लिए भी लाभकारी है। यदि आप धार्मिक जीवन जीने की इच्छा रखते हैं और अपनी मानसिक शांति को बढ़ाना चाहते हैं तो श्याम तुलसी माला आपके जीवन में एक अमूल्य सहायक बन सकती है। इसके नियमित प्रयोग से आप न केवल भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे बल्कि एक संतुलित और शांतिपूर्ण जीवन की ओर भी कदम बढ़ाएंगे।
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खांसी,जुकाम,खांसी इन सबका जनक है छोटा सा अनाज! नियमित सेवन से डिप्रेशन दूर हो जाएगा
खांसी का घरेलू इलाज: काली मिर्च आपके किचन में मौजूद कोई मसाला नहीं है, लेकिन इसके औषधीय गुण सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। आपको बता दें कि कोरोना महामारी से बचने के लिए लोग नियमित रूप से काली मिर्च का सेवन करते थे. काली मिर्च का सेवन करने के कई तरीके हैं। आप इसे साबूत या मसाले के साथ खा सकते हैं. एक शोध के अनुसार काली मिर्च का सेवन करने से आपको कई गंभीर समस्याओं से राहत मिलती है। काली मिर्च या…
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शरद पूर्णिमा: महत्व, तिथि, और पूजा विधि
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मान्यता है कि चंद्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ प्रकट होता है। शरद पूर्णिमा की रात, चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इसे कोजागर पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा 2024: तिथि और समय
2024 में शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर (बुधवार) को मनाई जाएगी। ज्योतिष गणना के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 08:40 बजे शुरू होगी और 17 अक्टूबर को शाम 04:55 बजे समाप्त होगी।
स्नान और दान का समय:
शरद पूर्णिमा पर स्नान और दान करने का समय सुबह 04:42 बजे से सुबह 06:22 बजे तक है। इसके अलावा, राहुकाल और भद्रा के समय के अलावा किसी भी समय स्नान और दान किया जा सकता है।
चंद्रमा निकलने का समय:
इस दिन चंद्रमा शाम 05:04 बजे निकलेगा।
खीर रखने का समय:
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का उत्तम समय शाम 07:18 बजे तक रहेगा, जब रवि योग रहेगा। यदि इस समय खीर रखना संभव नहीं है, तो खीर 08:40 बजे से पहले चंद्रमा की रोशनी में रख दें, क्योंकि इसके बाद भद्राकाल शुरू हो जाएगा।
खीर का महत्व:
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों में उपचारात्मक गुण होते हैं, जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस दिन चंद्र देव की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में खीर रखने की परंपरा है। चंद्रमा की किरणों से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं।
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Bhasma: Best Sexologist Doctor in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
समस्त गुप्त व यौन रोगों के उपचार के लिए प्रभावी भस्म:
भस्म एक संस्कृत का शब्द है जो एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधीय तैयारी को संदर्भित करता है जो कि कैल्सीनेटेड धातुओं या खनिजों से तैयार की जाती है। यह धातुओं या खनिजों को एक ऐसे रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है जिसे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। यह एक प्रभावी चिकित्सा व उपचार की पद्धति है जो आयुर्वेद के विशेषज्ञ द्वारा तैयार की जाती है।
बहुत से लोग अपने गुप्त व यौन उपचार को लेकर भ्रमित रहते हैं और उन्हें अपनी चिकित्सा या यौन समस्याओं के उपचार के बारे में सही से पता नहीं होता है। आज के समय में, भारत में एक चौथाई लोग (18 वर्ष से ऊपर) किसी न किसी गुप्त व यौन समस्या से पीड़ित हैं और दस लाख लोग हर दिन छोटी या पुरानी यौन समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। यहां, यौन रूप से बीमार या असहाय सभी लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण बात है कि वे अपनी समस्याओं को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए अपना इलाज और दवा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति द्वारा लें। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, जो कि पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक हैं, कहते हैं कि आयुर्वेदिक उपचार और चिकित्सा में किसी भी गुप्त व यौन समस्या का स्थायी समाधान है। आयुर्वेदिक उपचार में, शरीर पर किसी भी तरह के दुष्प्रभाव के बिना समस्याओं को हमेशा के लिए ठीक करने के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक भस्म की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। इसे एक अनुभवी व आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी विशेषज्ञ ही सही तरीकों से तैयार कर सकता है।
वे आगे बताते हैं कि भस्म बनाने की प्रक्रिया में शोधन, कैल्सीनेशन और शमन आदि शामिल है। इसके बाद इसे विभिन्न प्रकार की गुणवत्ता-पूर्ण भस्मों का रूप दिया जाता है। चलिए जानते हैं कि इसे कैसे तैयार किया जाता है और यह क्यों गुप्त व यौन रोगियों के लिए वरदान है।
शुद्धिकरण: धातु या खनिज को कई प्रक्रियाओं के माध्यम से इसे शुद्ध किया जाता है।
कैल्सीनेशन: शुद्ध सामग्री को उच्च तापमान पर एक क्रूसिबल में गर्म किया जाता है, जिससे यह राख जैसी अवस्था में परिवर्तित हो जाती है।
शमन: फिर राख को गर्म करने की प्रक्रिया को रोकने के लिए घी या पानी जैसे तरल में इसे बुझाया जाता है।
वास्तव में, यह आयुर्वेदिक व प्रभावी भस्म बनाने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जहां इस आयुर्वेदिक दवा का प्रभाव शीर्ष स्तर पर होता है जो गुणवत्ता-सिद्ध और 100% शुद्ध होता है। इसके प्रयोग से शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। यह न केवल रोग को बल्कि समग्र शरीर को विकसित व सुदृढ़ बनाने में मदद करता है।
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आयुर्वेदिक भस्म का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों को सुधारने के लिए किया जाता है-
भस्म का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार में व्यक्ति की विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के सुधार के लिए किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित गुण शामिल हैं-
विषहरण के लिए।
प्रतिरक्षा बढ़ाने हेतु।
सूजनरोधी प्रभाव हेतु।
एंटी-ऑक्सीडेंट गुण।
कायाकल्प और बुढ़ापा रोधी।
आयुर्वेदिक उपचार में भस्म के कुछ सामान्य प्रकार-
डॉ. सुनील दुबे एक लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा अनुसंधान, सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान और यौन स्वास्थ्य देखभाल के विशेषज्ञ रहे हैं। वे पिछले 35 वर्षों से दुबे क्लिनिक में क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में काम करते हुए बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट रहे हैं। उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के विभिन्न गुप्त व यौन रोगों पर अपना शोध किया है और उनके लिए सबसे प्रभावी हर्बल उपचार, आयुर्वेदिक दवाएं और प्रभावी भस्म की खोज की है। उनका कहना है कि भस्म के कुछ सामान्य प्रकार हैं जिनका उपयोग गुप्त व यौन समस्याओं को सुधारने के लिए किया जाता है।
स्वर्ण भस्म (सोना)
रजत भस्म (चांदी)
ताम्र भस्म (तांबा)
लौह भस्म (लौह)
अभ्रक भस्म (अभ्रक)
उनका मानना है कि यह ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है कि भस्म की तैयारी केवल एक योग्य, अनुभवी और विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में की जानी चाहिए, क्योंकि अनुचित तैयारी शरीर के हानिक���रक हो सकती है। इसके अतिरिक्त, भस्म का सेवन चिकित्सकीय देखरेख में ही किया जाना चाहिए, क्योंकि यह अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है या कुछ व्यक्तियों में दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। गुप्त व यौन रोग के आयुर्वेदिक भस्मो के निर्माण हेतु, आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी मे��िसिन के विशेषज्ञ का होना ज्यादा लाभकारी है।
दुबे क्लिनिक में गुप्त व यौन रोगियों के लिए सटीक आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
डॉ. सुनील दुबे आयुर्वेदिक सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर के पेशे में एक विश्व प्रसिद्ध नाम हैं, जिन्हें पुरे विश्व में आयुर्वेदाचार्य के रूप में जाना जाता है। वह दुबे क्लिनिक में अभ्यास करते हैं और रोगियों को चिकित्सा व उपचार हेतु अपने व्यापक आयुर्वेदिक उपचार, दवा और आवश्यक स्वास्थ्य संबंधी यौन परामर्श प्रदान करते हैं। विभिन्न प्रकार के पुरुष और महिला गुप्त व यौन रोगी अपना उपचार और दवा प्राप्त करने के लिए फोन पर दुबे क्लिनिक से संपर्क करते हैं।
वह उनकी समस्याओं के अनुसार उन सभी की मदद करते हैं और बुनियादी से लेकर उन्नत स्तर तक की गुप्त व यौन समस्याओं का इलाज करते हैं। दुबे क्लिनिक के आयुर्वेदिक उपचार और दवा से अब तक भारत के 7.65 लाख से ज़्यादा गुप्त व यौन रोगी लाभान्वित हुए हैं। अगर आप किसी भी तरह की गुप्त व यौन समस्या का सामना कर रहे हैं और यह आपके यौन जीवन में लगातार बनी हुई है, तो आपको व्यक्तिगत उपचार, दवा, मार्गदर्शन और सहायता के लिए सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श करने में देरी नहीं करनी चाहिए। दुबे क्लिनिक सभी गुप्त व यौन रोगियों के लिए सबसे अच्छे और सबसे भरोसेमंद विकल्पों में से एक है। बस इस क्लिनिक से फ़ोन पर अपॉइंटमेंट लें और समय पर क्लिनिक जाएँ। आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा, सुरक्षित व प्रभावी उपचार पाए।
वास्तविक जरूरतमंद व्यक्ति अधिक जानकारी या अपॉइंटमेंट के लिए हमें कॉल कर सकते हैं-
अधिक जानकारी हेतु:
दुबे क्लिनिक
भारत का एक प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
डॉ. सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट
बी.ए.एम.एस. (रांची), एम.आर.एस.एच. (लंदन), आयुर्वेद में पीएचडी (यूएसए)
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा और पटना-04
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एक्जिमा के बारे में आपने भी सुना होगा। यह एक तरह का चर्म रोग है। शरीर में जिस ही स्थान पर एक्जिमा होती। खुजली करते -करते कभी -कभी खून भी निकल आता है। आमतौर पर लोग ऐलोपैथिक दवाओं से एक्जिमा का इलाज करने की कोशिश करते हैं लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि एक्जिमा का पूरी तरह उपचार नहीं हो पाता है।
ऐसे में आप आयुर्वेदिक उपाय को आजमा सकते हैं। यह ना सिर्फ एक्जिमा को खत्म करने में सहायता करता है बल्कि अनेक तरह के चर्म रोगों में भी ��ाम आता है।
एक्जिमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा वचा शुष्क होकर फटने लगती है। एक्जिमा होने पर त्वचा लालिमा और लाल रंग के धब्बे नजर आते हैं। इतना ही नहीं इससे कभी -कभी फफोले भी पड़ सकते हैं। एक्जिमा के कारण त्वचा के कुछ हिस्से खुजलीदार फटे और खुरदरे हो जाते हैं। एक्जिमा मुख्य रूप से पीठ ,पेट ,हाथ ,मुंह ,कान के आसपास के हिस्से को प्रभावित करता है। कई बार लोग इसे मामूली खुजली समझकर नजर अंदाज कर देते हैं जिससे ये धीरे -धीरे फैलने लगता है। एक्जिमा का जल्दी उपचार करना बहुत जरूरी है वरना यह बीमारी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। एक्जिमा के इलाज के लोग दवाओं ,क्रीम और लोशन का सहारा लेते हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी एक्जिमा को ठीक कर सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बता रहे हैं जिससे आप एक्जिमा इलाज कर सकते हैं।
एक्जिमा क्या है ?
वास्तव में एक्जिमा एक तरह का खुजली का रोग है लेकिन यह सामान्य खुजली से अलग होता है। यह अपने आप में एक रोग है। त्वचा को कई संक्रमणों का सामना करना पड़ता है और उसी में से एक एक्जिमा त्वचा रोगों में होने वाली सबसे आम समस्या है
एक्जिमा होने के क्या कारण है ?
निम्नलिखित कारणों से एक्जिमा हो सकता है -
रोग प्रतिरोधक क्षमता आवश्यकता अधिक कार्य करने लगे
जेनेटिक कारणों से
खराब पर्यावरण से
विटामिन बी -6 की कमी से
चिंतनमय जीवन जीने से
असमान्य वातवरणिक ताप से अत्यधिक उच्च ताप व अत्यधिक निच्च ताप एक्जिमा को बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाते है
हार्मोनल बदलाव आने से
साबुन ,शैम्पू और केमिकल उत्पादों से
कुछ खाद्य पदार्थों की एलर्जी से
एक्जिमा के क्या लक्षण है ?
एक्जिमा के कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित है -
काफी खुजली होना ( खासकर रात के समय )
त्वचा में ���ूखापन
लाल और भूरे रंग के थक्के
त्वचा में पपड़ी सी जमना
हाथो ,पांवो ,और गले आदि स्थानों को अधिक प्रभावित करती है
खाज व सूखापन बढ़ जाना
फ़िसर्स बनना
छोटे -छोटे फुंसी से हो जाना
हल्की सूजन हो जाना
त्वचा के उस हिस्से का रंग बदल जाना
एक्जिमा का घरेलू उपाय
हल्दी
हल्दी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए हल्दी एक प्रभावी घरेलू उपाय है। एक्जिमा के उपचार के लिए हल्दी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। हल्दी में एंटी -बैक्टीरियल और एंटी -इंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं। ��सके लिए हल्दी में गुलाब जल या दूध मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं 15 -20 मिनट के बाद ठंडे पानी से धो लें।
नीम का तेल
एक्जिमा के इलाज के लिए नीम का तेल भी बहुत लाभकारी माना जाता है। नीम के तेल में एंटी -बैक्टीरियल और एंटी -एलर्जिक गुण होते हैं जो त्वचा की खुजली और जलन को ठीक करते हैं इसमें मौजूद एंटी -इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन से राहत दिलाते हैं। इसके लिए आप पानी में नीम के तेल की दो -चार बूंदें मिलाकर नहाएं। इसके अलावा नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर लगाने से भी प्रभावित त्वचा को राहत मिलती है।
सरसों का तेल और नीम
250 ग्राम सरसों का तेल लेकर लोहे की कढ़ाही में चढ़ाकर आग पर रख दें। जब तेल खूब उबलने लगे तब इसमें 50 ग्राम नीम की कोमल कोंपल ( नई पत्तियाँ ) डाल दें। कोपलों के काले पड़ते ही कड़ाही को तुरन्त नीचे उतार लें अन्यथा तेल में आग लगकर तेल जल सकता है। ठण्डा होने पर तेल को छानकर बोतल में भर लें। दिन में चार बार एग्जिमा पर लगाएँ कुछ ही दिनों में एक्जिमा नष्ट हो जायेगा। एक वर्ष तक लगाते रहें तो फिर यह रोग दोबारा कभी नहीं होगा।
चिरायता और कुटकी
चार ग्राम चिरायता और चार ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी के पात्र में 125 ग्राम पानी डालकर रात को उसमें भिगो और ऊपर से ढक कर रख दें। प्रात:काल रात भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपड़े से छानकर पी लें और पीने बाद 3 -4 घंटे तक कुछ नहीं खायें और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी और डाल दें। इस प्रकार चार दिन तक वही चिरायता और कुटकी काम देगें। तत्पश्चात उनको फेंककर नया चार -चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोयें और चार -चार दिन के बाद बदलते रहें। यह पानी ( कड़वी चाय ) लगातार दो -चार सप्ताह पीने एक्जिमा ,फोड़े ,फुन्सी आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं मुँहासे निकलना बन्द होते हैं और रक्त साफ होता है।
एक्जिमा में इस कड़वे पानी को पीने के अलावा इस पानी से एक्जिमा वाले स्थान को धोया करें।
इस प्रयोग एक्जिमा और रक्तदोष के अतिरिक्त हड्डी की टी.बी. पेट के रोग ,अपरस और कैंसर आदि बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं इन कठिन बीमारियों में आवश्यकतानुसार एक -दो महीनों तक चिरायता और कुटकी का पानी पीना चाहिए। इसे भी पढ़े :
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चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है - उपयोग और दुष्प्रभाव की जानकारी
चिरचिटा का पौधा की जड़ किस बीमारी में काम आता है – उपयोग और दुष्प्रभाव की जानकारी – चिरचिटा जिसका वैज्ञानिक नाम अचिरांथिस अस्पेरा हैं एक औषधीय गुण वाला पौधा हैं। जिसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता हैं। इसे भारत में कई नामों से जाना जाता हैं। इसे गाँव देहात में चिरचिरी और चिरचिरा के नाम से भी जानते हैं। बारिश के दिनों में खेत-खलिहानों में अक्सर उग आते हैं। इस पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल…
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800 रुपये किलो! जानिए हिमाचल के लाल चावल की अनूठी कहानी
Red rice price in India: भारत में चावल की कई किस्में होती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में उगाए जाने वाले लाल चावल की कीमत 800 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है? यह अनोखा चावल न केवल अपने स्वाद और सुगंध के लिए मशहूर है, बल्कि इसमें छिपे औषधीय गुण इसे और भी खास बनाते हैं। लाल चावल का इतिहास और महत्व कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, लाल चावल का उपयोग लगभग 10,000 वर्षों से हो रहा है। इसे…
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अजवाइन के अद्भुत फ़ायदे: आपकी पाचन समस्या का घरेलू समाधान आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, हमारी सबसे बड़ी चुनौती है अनहेल्दी लाइफस्टाइल। इसका असर सीधा हमारे शरीर और पाचन तंत्र पर पड़ता है। बहुत से लोग पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कब्ज, अपच और गैस से परेशान रहते हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक अद्भुत और प्रभावी घरेलू उपाय— अजवाइन। आइए जानते हैं, कैसे अजवाइन के सेवन से आप इन परेशानियों से निजात पा सकते हैं। 1. अजवाइन के फ़ायदे: पाचन से जुड़ी समस्याओं का रामबाण इलाज अजवाइन, एक ऐसा घरेलू मसाला है जो हर भारतीय रसोई में मिलता है, और इसके पीछे छिपी है औषधीय ताकत। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। अजवाइन के कुछ प्रमुख गुण: एंटीऑक्सीडेंट: यह आपके शरीर में से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। एंटीफंगल: यह पेट के संक्रमण को रोकने में मदद करता है। एंटी-इन्फ्लेमेटरी: यह पेट की सूजन और जलन को कम करता है। 2. अजवाइन का सेवन कैसे करें? अजवाइन को कई तरीकों से अपने डेली रूटीन में शामिल किया जा सकता है। यहाँ कुछ आसान और असरदार तरीके दिए गए हैं: 2.1 अजवाइन की चाय अगर आपको कब्ज और पेट दर्द की समस्या है, तो अजवाइन की चाय आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। कैसे बनाएं: एक गिलास पानी लें। उसमें एक चम्मच अजवाइन डालें और इसे उबाल लें। सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। इससे आपका पेट पूरी तरह साफ होगा और पेट दर्द से राहत मिलेगी। 2.2 अजवाइन का पाउडर अगर आपको बार-बार कब्ज की समस्या हो रही है, तो आप अजवाइन को पीसकर उसका पाउडर बना सकते हैं। कैसे इस्तेमाल करें: रात में सोने से पहले एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच अजवाइन पाउडर मिलाएं। इसका नियमित सेवन करें। यह आपके शरीर को डिटॉक्स करता है और कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। 2.3 अजवाइन का पानी अजवाइन का पानी कब्ज और अपच जैसी समस्याओं के लिए बेहद प्रभावी उपाय है। कैसे बनाएं: रात में एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पिएं। इससे आपका पाचन तंत्र मजबूत होगा और पेट संबंधी समस्याओं से राहत मिलेगी। 2.4 साबुत अजवाइन के बीज अगर आपको गैस, अपच, या कब्ज की शिकायत है, तो आप अजवाइन के साबुत बीज भी चबा सकते हैं। कैसे करें सेवन: एक चुटकी अजवाइन लें और इसे धीरे-धीरे चबाएं। इससे पेट दर्द और गैस की समस्या में राहत मिलेगी और आपका पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करेगा। 3. क्या खाली पेट अजवाइन का सेवन किया जा सकता है? हां, अजवाइन का सेवन खाली पेट करने से और भी ज़्यादा लाभ मिलता है। सुबह खाली पेट अजवाइन का पानी पीने से कब्ज और अपच की समस्या को जल्दी ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, यह पेट की गैस को भी कम करता है और पेट को साफ रखने में मदद करता है। 4. अजवाइन से होने वाले अन्य स्वास्थ्य लाभ अजवाइन सिर्फ पाचन से जुड़ी समस्याओं के लिए ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में भी फायदेमंद है: सर्दी-खांसी में आराम: अजवाइन का काढ़ा पीने से सर्दी और खांसी में आराम मिलता है। वज़न कम करने में मददगार: अजवाइन का नियमित सेवन करने से मेटाबॉलिज्म तेज़ होता है, जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है। जोड़ों के दर्द में राहत: अजवाइन के पानी ��े जोड़ों के दर्द को कम किया जा सकता है। 5. अजवाइन का सेवन कब और कितनी मात्रा में करना चाहिए? हालांकि अजवाइन एक प्राकृतिक औषधि है, फिर भी इसका सेवन सही मात्रा में ही करना चाहिए। दिन में 1-2 चम्मच अजवाइन का सेवन करना सुरक्षित है। यदि आप किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं या गर्भवती हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 6. क्या अजवाइन के सेवन से कोई साइड इफेक्ट हो सकते हैं? अजवाइन के अत्यधिक सेवन से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे: पेट में जलन: यदि आप ज्यादा मात्रा में अजवाइन का सेवन करेंगे, तो इससे पेट में जलन हो सकती है। एलर्जी: कुछ लोगों को अजवाइन से एलर्जी हो सकती है, इसलिए यदि आपको कोई भी असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए अजवाइन का उपयोग करें अगर आप पेट संबंधी समस्याओं से परेशान हैं और बिना किसी साइड इफेक्ट्स के प्राकृतिक उपाय ढूंढ रहे हैं, तो अजवाइन आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह न सिर्फ आपकी पाचन क्रिया को सुधारता है, बल्कि कब्ज, अपच, और गैस जैसी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। अजवाइन को अपने डेली रूटीन में शामिल करें और देखें कि कैसे आपका स्वास्थ्य बेहतर होता है।
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डायबिटीज का काल है ये पहाड़ी सब्जी, बढ़े शुगर लेवल को फटाफट कर देगी कंट्रोल, कूटकर भरे हैं औषधीय गुण
Image Source : FREEPIK डायबिटीज में राम करेला आजकल डायबिटीज एक आम बीमारी बन गई है। उम्र बढ़ने पर होने वाली ये बीमारी अब कम उम्र के लोगों को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है। डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। शुगर के मरीज को खाने में ऐसी चीजों को शामिल करना होता है जिससे ब्लड शुगर आसानी से कंट्रोल हो सके। इसके लिए एक पहाड़ी सब्जी रामकरेला असरदार साबित होती है। रामकरेला…
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