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वीमेन हॉकी टीम के कबीर खान से मिलते है -
वीमेन हॉकी टीम और गर्व के पल -
वीमेन हॉकी टीम की उपलब्धि से पूरा भारत गदगद है। हो भी क्यों न हो हॉकी ही हमारा राष्ट्रीय खेल है।हॉकी में हमारी कई उपलब्धियां है जो इतिहास में दर्ज है लेकिन कई सालों से हम हॉकी में अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है।भारतीय हॉकी को तो ज्यादा सुविधा नहीं मिल पा रही है और तो और इन्हे कोई प्रायोजक नहीं मिल रहा था तो ओडिसा सरकार ने इन्हे प्रायोजित किया है। मैं ओडिसा के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूँ इस नेक कार्य के लिए। लेकिन हॉकी की दोनों टीमों ने ये दिखा दिया किया वो किसी से कम नहीं है। और खासकर महिला हॉकी टीम की जितनी तारीफ की जाये वो कम ही होगी। लड़कियों बहुत अच्छा खेला।हॉकी पर बनी फिल्म 'चक दे इंडिया ' सबने देखी होगी और सबको अच्छी लगी होगी।कुछ लोगों को तो फ़िल्मी कलाकारों के नाम रट गए होंगे। लेकिन असली नायको और नायिकाओं को कम ही लोग जानते होंगे। लेकिन आज हम फिल्म चक दे में कोच -कबीर खान की बात करेंगे। लेकिन असली टीम के असली कोच जिनका नाम है -मारजेन है ।
असली कबीर खान - कोच सोर्ड मारजेन
भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार ओलिंपिक खेलों में सेमीफाइनल तक पहुंची है।काफी हद तक इसका क्रेडिट कोच सोर्ड मारजेन को ही जाता है।चार साल पहले जब सोर्ड मारजेन ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभाली थी, तब हालात जुदा थे। कई सीनियर प्लेयर्स रिटायर हो रहे थे।टीम को फिर से खड़ा करने की जरूरत थी और मारजेन ने यह काम बखूबी किया।आज तोक्यो ओलिंपिक में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराने पर हमें जो खुशी है,उसकी एक बड़ी वजह मारजेन हैं।मारजेन से इस टीम को संवारा और तराशा है।आज भारत की महिला हॉकी टीम दुनिया के सबसे बड़े खेलमंच पर अगर यूं खेल पा रही है तो मारजेन को उसके लिए शुक्रिया बनता है।
मारजेन ने खुद 10 साल तक फील्ड हॉकी खेली है।उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के अलावा पुरुष टीम को भी ट्रेन किया है। जब उन्हें 2017 में भारतीय महिला टीम का कोच बनाया गया तो उनके लिए यह एक चुनौती थी। मारजेन मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं तो लोगों में जोश फूंकना तो उन्हें बखूबी आता है मगर स्किल्स का क्या ? ऐसे में मारजेन ने एक प्लान तैयार किया।सबसे अहम था खिलाड़ियों का माइंडसेट बदलना।काफी कुछ 'चक दे इंडिया' फिल्म में शाहरुख खान के किरदार 'कबीर खान' की तरह।आज की जीत के बाद मारजेन को असल जिंदगी का कबीर खान कहा जा रहा है।मारजेन चाहते थे कि लड़कियां मैच में किसी भी वक्त कमजोर ना पड़ें। ऐसा होने में वक्त जरूर लगा मगर नतीजा हमारे आपके सामने है।
मारजेन का सोचने का तरीका अलग है -
सोर्ड मारजेन को बाकी हॉकी कोचेज से जो बात अलग करती है, वह यह कि उनका जोर पिच पर लीडर्स की मौजूदगी पर रहता है।मारजेन के बारे में गुरजीत कौर ने ओलिंपिक डॉट कॉम से कहा, "हर कोच का नेचर और स्टाइल अलग-अलग होता है।वह खिलाड़ियों के साथ अलग ढंग से काम करते हैं। वह चाहते हैं कि हम अपनी परेशानियों का हल खुद खोजें। हां, वह हमेशा पिच पर मदद को रहते हैं मगर सोर्ड के साथ रास्ते ढूंढने का जिम्मा हमारा है।" मारजेन का यह तरीका भारतीय टीम के खासा काम आया है।टीम के माइडंसेट, गेम को लेकर एटिट्यूड में मारजेन की झलक अब साफ दिखाई देती है।
उनके कोच बनने के बाद से भारतीय टीम के प्रदर्शन में खासा सुधार हुआ है। फिर चाहे वह पिछली बार ओलिंपिक चैम्पियन ग्रेट ब्रिटेन को उनके घर में हराना हो या वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज जीतने वाले स्पेन को चुनौती देना, भारतीय टीम चुनौतियों से घबराना भूल गई। मारजेन की छाप पिछले साल ओलिंपिक क्वालिफिकेशन की खातिर हुए मुकाबलों में भी दिखी।पहले मैच में भारतीय टीम ने अमेरिकन मिडफील्ड को धता बताया और दूसरे में उसके डिफेंस के आगे तगड़ी चुनौती थी। मारजेन मानते हैं कि टीम ने शानदार खेल दिखाया था।
मारजेन का ट्वीट बहुत वायरल हो रहा है -" घर आने में फिर देर होगी"।-
ओलिंपिक खेलों की शुरुआत से पहले मारजेन ने कहा था, "दो-तीन साल पहले टीम आमतौर पर हार मान लेती थी लेकिन अब वे एक-दूसरे से बात करते हैं और मैच को पूरी तरह बदल देते हैं और ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि उनकी मेंटल हेल्थ सुधरी है।" इसी मेंटल टफनेस के दमपर मारजेन टीम को ओलिंपिक के सेमीफाइनल तक ले आए हैं। उन्होंने कहा था, "हम जितना एक-दूसरे के साथ रहेंगे, उतना बेहतर।" सेमीफानल में प्रवेश के ��ाद मारजेन का ट्वीट बहुत वायरल हो रहा है -जिसमे उन्होंने लिखा -" घर आने में फिर देर होगी"।महिला टीम ने वो करके दिखा दिया है। जी उनको जिम्मेदारी दी गयी थी। अब ये देखना है की वो सोने पे अपना निशाना लगाते है की नहीं।
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#ओलंपिकखेलटोक्यो2020#सोर्डमारजेन#वीमेनहॉकीटीम#कोचसोर्डमारजेन#ओलिंपिकखेलोंमेंसेमीफाइनल#ओडिसासरकार#womenshockeyteam#kabirkhanchakedeindia#indianwomenhockey team#chakdeindia
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वीमेन हॉकी टीम के कबीर खान से मिलते है -
वीमेन हॉकी टीम और गर्व के पल -
वीमेन हॉकी टीम की उपलब्धि से पूरा भारत गदगद है। हो भी क्यों न हो हॉकी ही हमारा राष्ट्रीय खेल है।हॉकी में हमारी कई उपलब्धियां है जो इतिहास में दर्ज है लेकिन कई सालों से हम हॉकी में अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है।भारतीय हॉकी को तो ज्यादा सुविधा नहीं मिल पा रही है और तो और इन्हे कोई प्रायोजक नहीं मिल रहा था तो ओडिसा सरकार ने इन्हे प्रायोजित किया है। मैं ओडिसा के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूँ इस नेक कार्य के लिए। लेकिन हॉकी की दोनों टीमों ने ये दिखा दिया किया वो किसी से कम नहीं है। और खासकर महिला हॉकी टीम की जितनी तारीफ की जाये वो कम ही होगी। लड़कियों बहुत अच्छा खेला।हॉकी पर बनी फिल्म 'चक दे इंडिया ' सबने देखी होगी और सबको अच्छी लगी होगी।कुछ लोगों को तो फ़िल्मी कलाकारों के नाम रट गए होंगे। लेकिन असली नायको और नायिकाओं को कम ही लोग जानते होंगे। लेकिन आज हम फिल्म चक दे में कोच -कबीर खान की बात करेंगे। लेकिन असली टीम के असली कोच जिनका नाम है -मारजेन है ।
असली कबीर खान - कोच सोर्ड मारजेन
भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार ओलिंपिक खेलों में सेमीफाइनल तक पहुंची है।काफी हद तक इसका क्रेडिट कोच सोर्ड मारजेन को ही जाता है।चार साल पहले जब सोर्ड मारजेन ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभाली थी, तब हालात जुदा थे। कई सीनियर प्लेयर्स रिटायर हो रहे थे।टीम को फिर से खड़ा करने की जरूरत थी और मारजेन ने यह काम बखूबी किया।आज तोक्यो ओलिंपिक में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराने पर हमें जो खुशी है,उसकी एक बड़ी वजह मारजेन हैं।मारजेन से इस टीम को संवारा और तराशा है।आज भारत की महिला हॉकी टीम दुनिया के सबसे बड़े खेलमंच पर अगर यूं खेल पा रही है तो मारजेन को उसके लिए शुक्रिया बनता है।
मारजेन ने खुद 10 साल तक फील्ड हॉकी खेली है।उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के अलावा पुरुष टीम को भी ट्रेन किया है। जब उन्हें 2017 में भारतीय महिला टीम का कोच बनाया गया तो उनके लिए यह एक चुनौती थी। मारजेन मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं तो लोगों में जोश फूंकना तो उन्हें बखूबी आता है मगर स्किल्स का क्या ? ऐसे में मारजेन ने एक प्लान तैयार किया।सबसे अहम था खिलाड़ियों का माइंडसेट बदलना।काफी कुछ 'चक दे इंडिया' फिल्म में शाहरुख खान के किरदार 'कबीर खान' की तरह।आज की जीत के बाद मारजेन को असल जिंदगी का कबीर खान कहा जा रहा है।मारजेन चाहते थे कि लड़कियां मैच में किसी भी वक्त कमजोर ना पड़ें। ऐसा होने में वक्त जरूर लगा मगर नतीजा हमारे आपके सामने है।
मारजेन का सोचने का तरीका अलग है -
सोर्ड मारजेन को बाकी हॉकी कोचेज से जो बात अलग करती है, वह यह कि उनका जोर पिच पर लीडर्स की मौजूदगी पर रहता है।मारजेन के बारे में गुरजीत कौर ने ओलिंपिक डॉट कॉम से कहा, "हर कोच का नेचर और स्टाइल अलग-अलग होता है।वह खिलाड़ियों के साथ अलग ढंग से काम करते हैं। वह चाहते हैं कि हम अपनी परेशानियों का हल खुद खोजें। हां, वह हमेशा पिच पर मदद को रहते हैं मगर सोर्ड के साथ रास्ते ढूंढने का जिम्मा हमारा है।" मारजेन का यह तरीका भारतीय टीम के खासा काम आया है।टीम के माइडंसेट, गेम को लेकर एटिट्यूड में मारजेन की झलक अब साफ दिखाई देती है।
उनके कोच बनने के बाद से भारतीय टीम के प्रदर्शन में खासा सुधार हुआ है। फिर चाहे वह पिछली बार ओलिंपिक चैम्पियन ग्रेट ब्रिटेन को उनके घर में हराना हो या वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज जीतने वाले स्पेन को चुनौती देना, भारतीय टीम चुनौतियों से घबराना भूल गई। मारजेन की छाप पिछले साल ओलिंपिक क्वालिफिकेशन की खातिर हुए मुकाबलों में भी दिखी।पहले मैच में भारतीय टीम ने अमेरिकन मिडफील्ड को धता बताया और दूसरे में उसके डिफेंस के आगे तगड़ी चुनौती थी। मारजेन मानते हैं कि टीम ने शानदार खेल दिखाया था।
मारजेन का ट्वीट बहुत वायरल हो रहा है -" घर आने में फिर देर होगी"।-
ओलिंपिक खेलों की शुरुआत से पहले मारजेन ने कहा था, "दो-तीन साल पहले टीम आमतौर पर हार मान लेती थी लेकिन अब वे एक-दूसरे से बात करते हैं और मैच को पूरी तरह बदल देते हैं और ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि उनकी मेंटल हेल्थ सुधरी है।" इसी मेंटल टफनेस के दमपर मारजेन टीम को ओलिंपिक के सेमीफाइनल तक ले आए हैं। उन्होंने कहा था, "हम जितना एक-दूसरे के साथ रहेंगे, उतना बेहतर।" सेमीफानल में प्रवेश के बाद मारजेन का ट्वीट बहुत वायरल हो रहा है -जिसमे उन्होंने लिखा -" घर आने में फिर देर होगी"।महिला टीम ने वो करके दिखा दिया है। जी उनको जिम्मेदारी दी गयी थी। अब ये देखना है की वो सोने पे अपना निशाना लगाते है की नहीं।
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वीमेन हॉकी टीम की उपलब्धि से पूरा भारत गदगद है। हो भी क्यों न हो हॉकी ही हमारा राष्ट्रीय खेल है।हॉकी में हमारी कई उपलब्धियां है जो इतिहास में दर्ज है लेकिन कई सालों से हम हॉकी में अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे है।भारतीय हॉकी को तो ज्यादा सुविधा नहीं मिल पा रही है और तो और इन्हे कोई प्रायोजक नहीं मिल रहा था तो ओडिसा सरकार ने इन्हे प्रायोजित किया है। मैं ओडिसा के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूँ इस नेक कार्य के लिए। लेकिन हॉकी की दोनों टीमों ने ये दिखा दिया किया वो किसी से कम नहीं है। और खासकर महिला हॉकी टीम की जितनी तारीफ की जाये वो कम ही होगी। लड़कियों बहुत अच्छा खेला।हॉकी पर बनी फिल्म 'चक दे इंडिया ' सबने देखी होगी और सबको अच्छी लगी होगी।कुछ लोगों को तो फ़िल्मी कलाकारों के नाम रट गए होंगे। लेकिन असली नायको और नायिकाओं को कम ही लोग जानते होंगे। लेकिन आज हम फिल्म चक दे में कोच -कबीर खान की बात करेंगे। लेकिन असली टीम के असली कोच जिनका नाम है -मारजेन है ।
असली कबीर खान - कोच सोर्ड मारजेन
भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार ओलिंपिक खेलों में सेमीफाइनल तक पहुंची है।काफी हद तक इसका क्रेडिट कोच सोर्ड मारजेन को ही जाता है।चार साल पहले जब सोर्ड मारजेन ने भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभाली थी, तब हालात जुदा थे। कई सीनियर प्लेयर्स रिटायर हो रहे थे।टीम को फिर से खड़ा करने की जरूरत थी और मारजेन ने यह काम बखूबी किया।आज तोक्यो ओलिंपिक में ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराने पर हमें जो खुशी है,उसकी एक बड़ी वजह मारजेन हैं।मारजेन से इस टीम को संवारा और तराशा है।आज भारत की महिला हॉकी टीम दुनिया के सबसे बड़े खेलमंच पर अगर यूं खेल पा रही है तो मारजेन को उसके लिए शुक्रिया बनता है।
मारजेन ने खुद 10 साल तक फील्ड हॉकी खेली है।उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के अलावा पुरुष टीम को भी ट्रेन किया है। जब उन्हें 2017 में भारतीय महिला टीम का कोच बनाया गया तो उनके लिए यह एक चुनौती थी। मारजेन मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं तो लोगों में जोश फूंकना तो उन्हें बखूबी आता है मगर स्किल्स का क्या ? ऐसे में मारजेन ने एक प्लान तैयार किया।सबसे अहम था खिलाड़ियों का माइंडसेट बदलना।काफी कुछ 'चक दे इंडिया' फिल्म में शाहरुख खान के किरदार 'कबीर खान' की तरह।आज की जीत के बाद मारजेन को असल जिंदगी का कबीर खान कहा जा रहा है।मारजेन चाहते थे कि लड़कियां मैच में किसी भी वक्त कमजोर ना पड़ें। ऐसा होने में वक्त जरूर लगा मगर नतीजा हमारे आपके सामने है।
मारजेन का सोचने का तरीका अलग है -
सोर्ड मारजेन को बाकी हॉकी कोचेज से जो बात अलग करती है, वह यह कि उनका जोर पिच पर लीडर्स की मौजूदगी पर रहता है।मारजेन के बारे में गुरजीत कौर ने ओलिंपिक डॉट कॉम से कहा, "हर कोच का नेचर और स्टाइल अलग-अलग होता है।वह खिलाड़ियों के साथ अलग ढंग से काम करते हैं। वह चाहते हैं कि हम अपनी परेशानियों का हल खुद खोजें। हां, वह हमेशा पिच पर मदद को रहते हैं मगर सोर्ड के साथ रास्ते ढूंढने का जिम्मा हमारा है।" मारजेन का यह तरीका भारतीय टीम के खासा काम आया है।टीम के माइडंसेट, गेम को लेकर एटिट्यूड में मारजेन की झलक अब साफ दिखाई देती है।
उनके कोच बनने के बाद से भारतीय टीम के प्रदर्शन में खासा सुधार हुआ है। फिर चाहे वह पिछली बार ओलिंपिक चैम्पियन ग्रेट ब्रिटेन को उनके घर में हराना हो या वर्ल्ड कप में ब्रॉन्ज जीतने वाले स्पेन को चुनौती देना, भारतीय टीम चुनौतियों से घबराना भूल गई। मारजेन की छाप पिछले साल ओलिंपिक क्वालिफिकेशन की खातिर हुए मुकाबलों में भी दिखी।पहले मैच में भारतीय टीम ने अमेरिकन मिडफील्ड को धता बताया और दूसरे में उसके डिफेंस के आगे तगड़ी चुनौती थी। मारजेन मानते हैं कि टीम ने शानदार खेल दिखाया था।
मारजेन का ट्वीट बहुत वायरल हो रहा है -" घर आने में फिर देर होगी"।-
ओलिंपिक खेलों की शुरुआत से पहले मारजेन ने कहा था, "दो-तीन साल पहले टीम आमतौर पर हार मान लेती थी लेकिन अब वे एक-दूसरे से बात करते हैं और मैच को पूरी तरह बदल देते हैं और ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि उनकी मेंटल हेल्थ सुधरी है।" इसी मेंटल टफनेस के दमपर मारजेन टीम को ओलिंपिक के सेमीफाइनल तक ले आए हैं। उन्होंने कहा था, "हम जितना एक-दूसरे के साथ रहेंगे, उतना बेहतर।" सेमीफानल में प्रवेश के बाद मारजेन का ट्वीट बहुत वायरल हो रहा है -जिसमे उन्होंने लिखा -" घर आने में फिर देर होगी"।महिला टीम ने वो करके दिखा दिया है। जी उनको जिम्मेदारी दी गयी थी। अब ये देखना है की वो सोने पे अपना निशाना लगाते है की नहीं।
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