#ओजोन परत क्या है?
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History 16 September; आज के दिन दुनिया भर में मनाया जाता है ओजोन दिवस; पढ़ें 16 सितंबर का इतिहास
History 16 September; आज के दिन दुनिया भर में मनाया जाता है ओजोन दिवस; पढ़ें 16 सितंबर का इतिहास #News #RightNewsIndia #RightNews
History 16 September: एक ऐसे मकान की कल्पना (AAJ KA ITIHAS)कीजिये जिसके ऊपर छत ही न हो. तब क्या होगा- धूप, गर्मी, बारिश, हवा हमें सीधे हानि पहुंचाएगी. अब ज़रा हमारी पृथ्वी को घर समझिये और उसकी छत यानी की ओज़ोन परत के ना होने की कल्पना कीजिये. ये वो दशा होगी जब सूर्य की गर्मी और रेडिएशन हमारे सीधे संपर्क में आएंगे और सम्पूर्ण मानव जाती समेत वनस्पतियों का विनाश हो जाएगा. इसी जीवनदायिनी ओज़ोन ��ेयर…
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विश्व ओजोन दिवस 2022: उद्धरण, नारे, महत्व, विषय और रोचक तथ्य
विश्व ओजोन दिवस 2022: उद्धरण, नारे, महत्व, विषय और रोचक तथ्य
छवि स्रोत: फ्रीपिक विश्व ओजोन दिवस 2022 विश्व ओजोन दिवस 2022 या ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 16 सितंबर को मनाया जाता है। ओजोन पृथ्वी के वायुमंडल में एक सुरक्षात्मक परत है जो सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचने वाले अधिकांश पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करती है। यह लगभग 10 किमी (6.2 मील) की ऊंचाई पर है जिसमें ओजोन की उच्च सांद्रता है। ओजोन परत की रक्षा में प्रभावी तरीकों के बारे में…
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ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2021: अधिक पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली जीने के 5 आसान तरीके
ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2021: अधिक पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली जीने के 5 आसान तरीके
ओजोन ओजोन परत में जो छेद सालाना विकसित होता है, वह “सामान्य से बड़ा” होता है और वर्तमान में अंटार्कटिका से बड़ा है, इसकी निगरानी के लिए जिम्मेदार वैज्ञानिकों का कहना है। कॉपरनिकस एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस साल का छिद्र तेजी से बढ़ रहा है और 1979 से इस मौसम में ओजोन छिद्र के 75% से भी बड़ा है। ओजोन पृथ्वी की सतह से लगभग सात से 25 मील (11-40 किमी) ऊपर, समताप मंडल में…
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ओजोन स्तर का क्या महत्व है और यह मानव जीवन के लिए क्यों जरूरी है?
ओजोन स्तर का क्या महत्व है और यह मानव जीवन के लिए क्यों जरूरी है?
पृथ्वी पर जीवन का बीज ही ओजन परत है इसलिए आज हम जानेंगे ओजोन स्तर का क्या महत्व है? (Ozone Star Ka Kya Mahatva Hai) और इसके क्या क्या गुण हैं जिससे यह इतना खास हो जाता है। हमें स्कूल से लेकर कॉलेज तक ओजन स्तर के बारे में पढ़ाया जाता है और उस का महत्व क्या है यह बताया जाता है क्योंकि यह हमारे जीवन के सुरक्षा के लिए एक प्रतिरोधक का काम करता है। हम ओजोन स्तर का क्या महत्व है? यह जानने से पहले…
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जानें आज क्या है ख़ास ? ये परत बचा रही है हमे बहुत साड़ी बिमारियों से.
जानें आज क्या है ख़ास ? ये परत बचा रही है हमे बहुत साड़ी बिमारियों से.
अगर आपसे पूछा जाए कि जीवन जीने के लिए सबसे अधिक आवश्यक क्या है? तो सबसे पहले दिमाग में आता है पानी और ऑक्सीजन। क्या आपको जरा सा भी ओजोन परत का नाम याद आया था? वह तो शायद मन के किसी कोने में भी दूर-दूर तक नहीं था और यही कारण है कि आज यानी 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। लोगों को ओजोन के प्रति जागरूक करने के लिए 1995 से 16 सितंबर को प्रतिवर्ष ‘विश्व ओजोन दिवस’ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप…
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कैसे विलुप्त हुए थे आदिमानव? वैज्ञानिकों को मिला जवाब लेकिन चिंता भी, विनाशकारी इतिहास दोहराने वाला तो नहीं? Divya Sandesh
#Divyasandesh
कैसे विलुप्त हुए थे आदिमानव? वैज्ञानिकों को मिला जवाब लेकिन चिंता भी, विनाशकारी इतिहास दोहराने वाला तो नहीं?
आदिमानव की प्रजाति नियंडरथल (Neanderthal) आखिर धरती से कैसे विलुप्त हुए थे? इस सवाल का जवाब मिलता दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपनी ताजा स्टडी में दावा किया गया है कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) खत्म होने और ध्रुवों (Poles) के पलटने के कारण ऐसा हुआ होगा। यह घटना (Laschamp Excursion) 42 हजार साल पहले हुई थी और करीब एक हजार साल तक ऐसे हालात बने रहे थे। वहीं, वैज्ञानिकों का आकलन है कि यह घटना 2 से 3 लाख साल के अंतर पर होती है और जिस तरह धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है, हो सकता है कि ध्रुवों के पलटने का वक्त करीब आ रहा हो। Neanderthals Extinction: एक स्टडी में दावा किया गया है कि ये आदिमानव प्रजाति जलवायु परिवर्तन से लड़ते हुए खत्म हो गई। धरती का चुंबकीय क्षेत्र खत्म होने और ध्रुवों के पलटने के कारण यह जलवायु परिवर्तन हुआ था।आदिमानव की प्रजाति नियंडरथल (Neanderthal) आखिर धरती से कैसे विलुप्त हुए थे? इस सवाल का जवाब मिलता दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपनी ताजा स्टडी में दावा किया गया है कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) खत्म होने और ध्रुवों (Poles) के पलटने के कारण ऐसा हुआ होगा। यह घटना (Laschamp Excursion) 42 हजार साल पहले हुई थी और करीब एक हजार साल तक ऐसे हालात बने रहे थे। वहीं, वैज्ञानिकों का आकलन है कि यह घटना 2 से 3 लाख साल के अंतर पर होती है और जिस तरह धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है, हो सकता है कि ध्रुवों के पलटने का वक्त करीब आ रहा हो। क्यों अहम है धरती का चुंबकीय क्षेत्र?धरती का चुंबकीय क्षेत्र इंसानों और दूसरे जीवों के लिए जीवन मुमकिन बनाता है। यह सूरज से आने वाली सोलर विंड, कॉस्मिक रेज और हानिकारक रेडिएशन से ओजोन की परत को बचाता है। यह क्षेत्र ध्रुवों पर सबसे ज्यादा होता है लेकिन कभी-कभी यह पलट भी जाता है। यही नहीं, खत्म होने से काफी पहले कमजोर होते चुंबकीय क्षेत्र के कारण बड़ा नुकसान हो सकता है। इसकी वजह से उपकरणों के संचालन में दिक्कत हो सकती है। खासकर अंतरिक्ष में घूम रहे सैटलाइट्स और दूसरे क्राफ्ट्स चलने बंद हो सकते हैं। ‘साइंस’ पत्रिका में छपी स्टडी में ��ताया गया है कि चुंबकीय क्षेत्र के कमजोर होने से जलवायु में तेजी से बदलाव हुआ। वैज्ञानिकों का मानना है कि Lascamp की घटना को ज्यादा विशेषता से स्टडी नहीं किया गया है। नाटकीय जलवायु परिवर्तनस्टडी में कहा गया है कि ध्रुवों में हुए बदलाव के नाटकीय नतीजे रहे होंगे और जलवायु के हालात भीषण बन गए होंगे। इसकी वजह से स्तनपायी जीव विलुप्त हो गए। प्रफेसर क्रिस टर्नी ने बताया ��ै, ‘हम इस काल में उत्तरी अमेरिका के ऊपर बर्फ की परत में तेज बढ़ोतरी देखते हैं, पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ट्रॉपिकल रेन बेल्ट्स तेजी से बदलती हुई दिखती हैं और दक्षिणी महासागर में हवाओं की बेल्ट और ऑस्ट्रेलिया का सूखना भी दिखता है।’ Photo Credit: Kennis and Kennis/MSF/SPLगुफाओं में रहने लगेवैज्ञानिकों का कहना है कि इन बदलावों की वजह से खराब मौसम से बचने के लिए निएंडरथल गुफाओं में छिपने लगे। इन हालात की वजह से आपस में हमारे पूर्वजों में प्रतिद्वंदिता बनने लगी होगी और आखिर में वे विलुप्त हो गए। अपनी स्टडी के लिए रिसर्चर्स ने रेडियोकार्बन अनैलेसिस की मदद ली। वायुमंडल में कार्बन-14 के बढ़ने को देखा गया जो कॉस्मिक रेडिएशन की वजह से पैदा होती है। दुनियाभर से मिले मटीरियल को स्टडी करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि जब कार्बन-14 की मात्रा बढ़ी हुई थी, उसी दौरान पर्यावरण में बड़े बदलाव हो रहे थे। तो क्या विनाश की ओर धरती?वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के ध्रुव हर 2 से 3 लाख साल में बदलते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने बताया है कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है। इसलिए हो सकता है कि ध्रुवों के पलटने का वक्त नजदीक आ रहा हो। हालांकि, कई वैज्ञानिक इस आशंका को नकारते भी हैं। दक्षिण ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम के ऐलन कूपर के मुताबिक यह जरूरी नहीं है कि ध्रुव फिर से पलटेंगे ही लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह विनाशकारी होगा।
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रिया-कंगना की लड़ाई अभी थमी नहीं, मगर अब जया बच्चन और जया प्रदा आमने-सामने हैं। वहीं, मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने किसान बिल के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
ये 4 आपके काम की खबरें 1. एसबीआई एटीएम से दिन में कभी भी 10 हजार रुपए या इससे ज्यादा रकम निकालने पर ओटीपी लगेगा। 10 हजार से कम की निकासी पर एटीएम पिन का उपयोग करना होगा। 2. आज से अधिकमास शुरू हो गया है। इस दौरान शा��ी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ काम नहीं करने चाहिए, लेकिन खरीदारी की जा सकती है। 3. सुशांत सिंह राजपूत की विसरा रिपोर्ट आ सकती है। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स इसे एम्स के डॉक्टरों को सौंपेंगे। 4. मुंबई की एक अदालत रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती की जमानत याचिकाओं पर आदेश पारित कर सकती है।
बिहार में चुनाव है, आज 3 सौगात 1. प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बिहार में बने कोसी महा-सेतु का उद्घाटन करेंगे। यह 516 करोड़ में बना है। 2. प्रधानमंत्री सरायगढ़ से आसनपुर कुपहा के बीच ट्रेन भी रवाना करेंगे। इससे निर्मली से सरायगढ़ की 298 किलोमीटर की दूरी घटकर 22 किलोमीटर रह जाएगी। 3. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में आधुनिक सुविधाओं वाले इंटर स्टेट बस टर्मिनस और कृषि भवन का उद्घाटन करेंगे। राज्य में अगले दो महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं।
अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें
1. टूटे ऑफिस की तस्वीरें साझा कर कंगना बोलीं- ये मेरे सपनों का बलात्कार कंगना रनोट ने बीएमसी की कार्रवाई के आठ दिन बाद गुरुवार को अपने टूटे ऑफिस की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर कीं। और लिखा, ‘ये बलात्कार है मेरे सपनों का, मेरे हौसलों का, मेरे आत्मसम्मान का और मेरे भविष्य का।’ बीएमसी ने 9 सितंबर को कंगना के पाली हिल स्थित ऑफिस में अवैध निर्माण तोड़ दिया था।
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2. कल से शुरू होगा आईपीएल का रोमांच आईपीएल का 13वां सीजन यूएई में 19 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। अब तक के 12 सीजन में सात बार तो मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स विनर रही हैं। इस बार डिफेंडिंग चैम्पियन मुंबई इंडियंस है, जो अब तक चार आईपीएल जीत चुकी है। चेन्नई सुपरकिंग्स तीन बार चैम्पियन रही है। उसने सबसे ज्यादा आठ बार फाइनल खेला है।
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3. मोदी के जन्मदिन पर ट्रेंड हुआ बेरोजगारी दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को 70 साल के हो गए। उन्हें जन्मदिन की बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। साथ ही सोशल मीडिया पर बेरोजगारी दिवस भी ट्रेंड होता रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने भी इस दिन को बेरोजगारी दिवस के तौर पर मनाया। क्या वाकई में बेरोजगारी दर बढ़ रही है?
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4. चीन का नया पैंतरा या सच में शांति चाहता है? लद्दाख में बॉर्डर पर चीनी सेना लाउडस्पीकर लगाकर पंजाबी गाने बजा रही है। माना जा रहा है कि वह भारतीय सैनिकों का ध्यान भटकाना चाहती है। ऐसा भी हो सकता है कि वह तनाव कम करना चाहती हो। हालांकि, इसकी उम्मीद कम है।
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5. अगले महीने खुल सकते हैं सिनेमाघर, लेकिन जोखिम है उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर से सिनेमाघर खुल सकते हैं। ऐसा हुआ तो सुरक्षा का बहुत ध्यान रखना होगा। हालांकि, एक्सपर्ट थिएटर में फिल्म देखने को सुरक्षित नहीं मानते। क्योंकि इनमें वेंटिलेशन की समस्या होती है और ऐसे स्थान पर संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा होती है।
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6. 58 साल बाद माइनस 50 डिग्री तापमान में डटी रहेगी भारतीय सेना भारतीय सेना लद्दाख में चीन से सटी फॉरवर्ड पोस्ट पर इस बार सर्दियों में नहीं हटेगी। 1962 के चीन युद्ध के बाद ऐसा पहली बार होगा। यहां सर्दियों में तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे में अक्टूबर के आखिर से पोस्ट खाली करने का काम शुरू हो जाता था, फिर मार्च में ही वापसी होती थी।
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7. मप्र की मंत्री बोलीं- जिस कलेक्टर को फोन करेंगे, वह सीट जिता देगा मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री ��मरती देवी का एक वीडियो विवादों में है। इसमें वे कह रही हैं कि हम जिस कलेक्टर को फोन करेंगे, वह सीट पर जीत दिला देगा। इमरती देवी ने यह बात चुनाव प्रचार के दौरान कही। कांग्रेस ने मामले की शिकायत चुनाव आयोग में की है। राज्य में अगले दो महीनों में 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं।
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अब 18 सितंबर का इतिहास
1803: अंग्रेजों ने ओडिशा के पुरी पर कब्जा किया।
1809: लंदन में रॉयल ओपेरा हाउस खुला।
1851: न्यूयार्क टाइम्स अखबार का प्रकाशन शुरू किया।
1997: ओजोन परत की रक्षा के लिए 100 देशों ने 2015 तक मिथाइल ब्रोमाइड का उत्पादन बंद करने का फैसला किया।
मशहूर हास्य कवि काका हाथरसी का 1906 में आज ही के दिन जन्म हुआ था। खास बात ये कि वे अपने जन्मदिन के ही दिन 1995 में 86 साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़ गए। आइए ब्रीफ के आखिरी में काका की गुदगुदाने वाली चंद पंक्तियां पढ़िए...
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Kangana's lies caught; Playing Punjabi songs on the border is not a Chinese move? Rules to withdraw money from SBI ATM changed from today
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विश्व ओजोन दिवस : पृथ्वी का सुरक्षा कवच है ओजोन परत, इसके बिना संकट में पड़ जाएगा सभी का जीवन
चैतन्य भारत न्यूज हर साल 16 सितंबर को पूरी दुनिया में 'विश्व ओजोन दिवस' मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा वाइलट किरणों से बचाना और साथ ही हमारे जीवन को संरक्षित रखनेवाली ओजोन परत के विषय में जागरूक करना है। बता पृथ्वी की सतह से करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन गैस की एक पतली परत पाई जाती है। यह परत सूर्य से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन को पृथ्वी पर आने से पहले ही सोख लेती है। यदि यह रेडिएशन पृथ्वी पर बिना किसी परत से सीधे पहुंच जाए तो सभी मनुष्य, पेड़-पौधे और जानवरों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए ओजोन परत होना बहुत जरूरी है। सूर्य से सीधी आने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन के प्रभाव से कैंसर जैसी कई खतरनाक बीमारियां भी हो सकती है। इन्हीं रेडिएशन से ओजोन परत हमें बचाती है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि, हमारे जीवन की रक्षा करने वाली ओजोन परत अब खुद खतरे में है। जी हां... बहुत पहले ही ओजोन परत पर छेद हो गए हैं, जिन्हें ओजोन होल्स कहा जाता है। पहली बार इन होल्स का साल 1985 में पता चला था। पृथ्वी पर इस्तेमाल हो रहे कई तरह के केमिकल ओजोन परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे ओजोन परत का और ज्यादा पतली होकर फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
फैक्ट्री में इस्तेमाल किए जाने वाले खतरनाक केमिकल हवा को प्रदूषित करते हैं। इससे ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचता है। दुनिया में कई ऐसे देश भी हैं जिन्होंने ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल पर पाबंदी लगा दी है। बता दें ओजोन परत के बिगड़ने से जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ावा मिलने लगता है। इसके कारण धरती का तापमान भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी गंभीर संकट को देखते हुए ही हर साल 16 सितंबर को दुनियाभर में ओजोन परत के संरक्षण को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता है। ये भी पढ़े... आज दुनियाभर में मनाया जा रहा विश्व पर्यावरण दिवस, जानिए क्या है इस साल की थीम केले से बनाया सेनेटरी पैड, 122 बार धोकर दो साल तक कर सकते हैं इस्तेमाल पेड़ों को कटते देख रो पड़ी 9 साल की बच्ची, मुख्यमंत्री ने बनाया ग्रीन मणिपुर मिशन का ब्रांड एंबेसडर Read the full article
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●Environmental Sciences (EVS): ● PRACTICAL ● Questions for practical file:- 1. why there is need of conservation of trees? (पेड़ों को बचाए जाने की आवश्यकता क्यों है?) 2. Explain in detail the three types of pollution, and what steps we can take to reduce the three types of pollution? (प्रदूषण के तीनों प्रकारों का विस्तार से वर्णन कीजिए और इन तीनों प्रकारों को रोकने के लिए हम क्या कदम उठा सकते हैं?) 3. What is the cause of ozone layer depletion, write in detail what are its preventive measures? (ओजोन परत के नष्ट होने का कारण क्या है इसे रोकने के उपायों का विस्तार से वर्णन कीजिए?) 4. How can we stop the environmental degradation by our own efforts? (किस प्रकार हम अपने प्रयासों से वातावरण को नष्ट होने से रोक सकते हैं?) 5. what is the main objective studying environmental Sciences? (एनवायरमेंटल साइंस पढ़ने का मुख्य उद्देश्य क्या है?) ● OR ● candidates have to plant 5 saplings with proper video recordings or photos. Plantation can be done at home or outside home or at any unusable land. विद्यार्थियों को 5 पौधे लगाने होंगे उपयुक्त वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटो खींचने के साथ| पौधे घर या बाहर या किसी भी प्रयोग में ना आने वाली जमीन पर लगा सकते हैं? Note:- 1. word limit for every question is 200 words. (हर प्रश्न के लिए शब्द सीमा 200 शब्द है) 2. video recording or photos will be checked by the invigilator, these should be real otherwise will be rejected (वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटो की अधीक्षक के द्वारा जांच की जाएगी यह वास्तविक होनी चाहिए नहीं तो रिजेक्ट कर दी जाएगी) 3. Students can take plants from nurseries or from their home Gardens or from any other places. ( विद्यार्थी पौधों को नर्सरी से अपने घर के गमलों या बगीचों से या किसी अन्य स्थान से भी ल�� सकते हैं) 4.Students can either write 5 questions or plant 5 saplings. (विद्यार्थियों को या तो 5 प्रश्न लिखने है या तो 5 पौधे लगाने है) 5. For writing answers of question any language can be use out of Hindi Punjabi and English. (प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए हिंदी, पंजाबी तथा अंग्रेजी किसी भी भाषा का प्रयोग किया जा सकता है) यह प्रैक्टिकल केवल b.a. और बीएससी थर्ड सेम वालों के लिए या फोर्थ सेमेस्टर के किसी भी ग्रुप के कंपार्टमेंट वाले विद्यार्थियों के लिए है (at S.R.P.A Adarsh Bhartiya College, Pathankot) https://www.instagram.com/p/B6CZuSkH2aa/?igshid=1tonekrw0hz7e
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Geography Questions for SSC, Bank & Railway Govt. Exams 2020
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Geography Questions for SSC, Bank & Railway Govt. Exams 2020
Geography Questions Quiz
Consider the following statements:
Electric current is a vector quantity.
Temperature is a scalar quantity.
Which of the statements given above is/are correct? 2 only
Consider the following statements:
Magnetic field intensity is a vector quantity.
Density is a scalar quantity.
Which of the statements given above is/are NOT correct? Neither 1 nor 2
Which of the following is the distance between Sun and Earth? 1.495 × 1011 meters
How many kilometers in one mile? 1.609344
The thickness of the ozone layer is measured? Dobson
When an object revolves around its axis, then what is its speed called? Rotational motion
When an object moves on both sides of its mean position, then this type of motion is called? Oscillation speed
How many dynes in Newton? 100000
A rotational motion rotates a particle with a certain angle in a second, it is called the ________ of the particle. Angular velocity
When we tied a piece of stone with one end of the string, then we have to put a strain on the string, this strain works as? Centripetal force
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
विद्युत धारा एक सदिश राशि है।
तापमान एक अदिश राशि है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?केवल 2
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है।
घनत्व एक अदिश राशि है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?न तो 1, न ही 2
3.सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी निम्न में से कौन सी है?1.495 ×1011 मीटर
एक मील में कितने किलोमीटर होते है?1.609344
ओजोन परत की मोटाई मापी जाती है?डाब्सन
जब कोई वस्तु अपने अक्ष के चारों ओर घूमती है तो उसकी गति क्या कहलाती है?घूर्णन गति
जब कोई वस्तु अपने माध्य स्थिति के दोनों ओर गति करती है तो इस प्रकार की गति को क्या कहते है?दोलन गति
एक न्यूटन में कितने डाईन होते है?100000
घूर्णन गति करता हुआ कोई कण एक सेकेण्ड में जितने कोण से घूमता है, उसे कण का________कहते है।कोणीय वेग
जब हम किसी पत्थर के एक टुकड़े को डोरी के एक सि��े से बांधकर घुमाते हैं तो हमें डोरी पर तनाव लगाना पड़ता है यह तनाव किसका कार्य करता है?अभिकेन्द्रीय बल
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आइये पेड़ लगाए - इस शीर्षक को पढ़कर आप के मन में कोई ना कोई विचार जरूर उठा होगा , होगा भी क्यों नहीं क्योकि इस ब्लॉग पर इन्टरनेट से जुडी सभी जानकारिया दी जाती है और आज इन सभी से ��टकर कुछ अलग ही .. नहीं ऐसा नहीं है आज हमने ये सोचकर कुछ जानकारी देने का प्रयास किया है की हमारी धरती को कैसे बचाया जाये , मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ ये आपको आगे पता चलेगा |
धरती वह जगह है जिस पर हम सभी रहते है इसी पे अपने दैनिक जीवन की क्रियाये करते है | ऐसे में हम सभी को इसका ख्याल रखना चाहिए | इस बात मैंने कितना आसानी से कह दिया की ख्याल रखना चाहिए , लेकिन हो रहा ठीक इसके विपरीत जहा इस स्वर्ग रुपी धरती को ख्याल रखने की बात है वही हम ने इसको अप्राकृतिक तरीके से इस के रखरखाव में लापरवाही बरती है | इसके सिस्टम को हमने बदलकर रख दिया है | हम जो - जो कार्य करते है उन्हें अमानवीय और अप्राकृतिक तरीके से कर रहे है |
हम क्या गलत कर रहे है ?
पेड़ - पौधों को अंधाधुंध काट रहे है , पहले गावो में लोग अपने पूरी ज़िन्दगी में कम से कम 1 पेड़ जरूर लगाते थे वो अब इसको भूल गए है , गाव के लोग शहरी जीवन से प्रेरित होकर अपने गाव को भी शहरी बनाने में लगे है | पहले लोग घर के बाहर एक पेड़ लगते थे छाया के लिए अब जैसे लगता है इसका रिवाज ही खत्म हो गया है | लोग कच्चे मकान की जगह टिकाऊ पक्के मकान बना रहे है , बहुत अच्छी बात है लेकिन अपने रिवाजो को ख़त्म करना ये बेईमानी है | यहाँ पर शहरी लोगो को के लिए अलग बात है वहा पर इतनी घनी बस्ती होती है की लोगो को यदि फुरसत से रहने के लिए घर मिल जाये तो बड़ी बात है | यहाँ अलग बात है की गावो की अपेक्षा यहाँ पर बहुत अच्छी सुविधाए मिल जाती है लेकिन इन्हें भी चाहिए की हमारे हित और धरती के पर्यावरण को ध्यान में रखकर चीजों का उपयोग करे | हम वनों को बहुत जल्दी काटकर ख़त्म कर रहे है जिससे उसमे रहने वाले जिव - जन्तु ख़त्म होते जा रहे है | हम जब कोई घर बनाते है तो अपने स्वार्थ के लिए उस जमीं में उगने वाले सभी पेड़ - पौधों को ख़त्म कर देते है , यदि जरूरी से उसको काटना पड़ता है तो उसके जगह पर कोई नया पेड़ नहीं लगते है जिससे पर्यावरण की हानि होती रहती है | हम फ्रिज का इस्तेमाल बहुत तेजी से कर रहे है साथ ही A.C. , पंखा कूलर आदि का इस्तेमाल बहुत ज्यादा कर रहे है , लेकिन आप को पता है की फ्रिज और ac से निकलने वाली गैस बहुत हानिकारक होती है ये गैस ऊपर जाकर ओजोन परत को ख़त्म कर देती है | आपको बताते चले की ओजोन परत को हमारी धरती की छतरी कहा जाता है क्योकि ये सूर्य से आने वाली हानिकारक किरणों को सोख लेती है और हमें इनसे रक्षा करती है , लेकिन हम लोग इसको नष्ट करने पर ही तु��े हुए है | इसी गलती में एक और बात है की हम बेहिसाब बच्चे पैदा कर रहे है जिससे जनसँख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है जो हमारी आने वाली सुख सुविधा के लिए घातक सिद्ध हो जाएगी | आपको तो पता ही होगा की जनसँख्या के मामले में चीन के बाद भारत का ही नंबर आता है | भारत में जनसँख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है की आने वाले 2050 तक चीन से आगे हो जायेगे | जो एक हर भारतीय के लिए चिंता का विषय है , लेकिन यहाँ पर कोई भारतीय नहीं मानेगा क्योकि लोग बच्चो को भगवान् की देन मानते है और वो ये जानते है की भगवान् ने पैदा किया है तो उसको वही खिलायेगा | ऐसा बिलकुल नहीं है जब तक आप कुछ नहीं करोगे तब तक कुछ नहीं होने वाला |
हमें क्या करना चाहिए
1. सबसे पहली बात अपनी जनसँख्या कम करने के बारे में सोचना चाहिए , हम दो हमारे दो वाली बात को अमल करना चाहिए क्योकि जितने हम कम लोग होंगे हमारी जरूरते उतनी ही कम होगी | जब जरूरते कम होगी तो उर्जा का इस्तेमाल भी कम होगा जिससे हमारी धरती पर दबाव कम होगा और इसका शोषण कम करेंगे | यहाँ पर आप जानते है की हम अपनी सारी जरूरते इसी धरती से ही पूरा करते है कही और किसी ग्रह से नहीं | ना ही ये संभव है क्योकि इसी धरती पर ही जीवन है , सिर्फ इसी पर . तो ऐसे में जनसँख्या कम होगी तो सभी चीज़े भी अपने - अपने जगह पर सही ढंग से रहेगी . जनसँख्या से हानि की बात करे तो , मान लीजिये आपके पास रहने के लिए एक मकान है और उसमे एक फॅमिली आराम से गुजारा करती है और उस परिवार में 4 लोग रहते है , ऐसे में आप उसी में 4 और लोगो को बुला लाये तो उस घर की स्थिति क्या होगी , जाहिर सी बात है की वो घर जो पहले सुचारू रूप से चल रहा था वो बिगड़ जायेगा | ऐसी स्थिति में भगवान् नहीं आयेंगे देखने की वो चार लोग कहा सोयेंगे , रहेंगे क्या खायेंगे आदि आदि | सभी चीजों का जुगाड़ आपको इसी धरती से ही करना होगा | मेरे विचार में जितने कम लोग होंगे उतने ही सुखी होंगे | 2. दूसरी बात की हम सभी को ज्यादा ज्यादा पेड़ लगाने की कोशिश करनी चाहिए , जहा भी पेड़ लगाने का मौका मिले वह पर पौधरोपण करना चाहिए , पेड़ - पौधे हमारे पुरे आवरण को शुद्ध करते है ,हमे अपने पूरी ज़िन्दगी में कम से एक पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करनी चाहिए | पेड़ जो की हमारे पूरी ज़िन्दगी भर किसी ना किसी रूप में फायदा ही पहुचाते है | वो बच्चे और पेड़ वाली कहानी जरूर पढ़ी होगी , अगर नहीं पढ़ा तो आप पढ़ लीजिये इससे आपको पेड़ की महत्ता के बारे में जान जायेंगे 3. अब हमे ac और फ्रिज का इस्तेमाल करना कम कर देना चाहिए क्योकि इसका जो परिणाम होगा वो बहुत ही घातक होगा , जिसे निपटने के लिए ना आप कुछ कर पाएंगे ना वैज्ञानिक , ओजोन को बचाने के लिए हमे CFC गैस के उत्सर्जन को कम करना ही होगा नहीं हमारे सर के ऊपर छत्री नहीं रहेगी और हम जल्दी ही काल कवलित हो जायेंगे |
निष्कर्ष
हमें चाहिए की हम ज्यादा ज्यादा से पेड़ पौधे लगाये और इनकी रक्षा करे | क्योकि ये रहेंगे तो हम रहेंगे नहीं हम सभी समाप्त हो जायेंगे | जीव - जन्तुओ को ना मारे इनकी रक्षा करे और सबसे बड़ी बात की पानी को बचाए क्योकि आप सभी जानते है की जल ही जीवन है |
आइये पेड़ लगाये और धरती के पर्यावरण को बचाये
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विश्व ओजोन दिवस || (World Ozone Day in Hindi): विश्व ओजोन दिवस कब मनाया जाता है?, विश्व ओज़ोन दिवस का इतिहास, ओजोन किसे कहते है?, ओज़ोन परत क्या है?, ओजोन क्षरण के प्रभाव, 'सितम्बर' माह में मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस की सूची
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Single Liner Top 50 Important Science GK Questions
Single Liner Top 50 Important Science GK Questions
Single Liner Top 50 Important Science GK Questions for HSSC/SSC/REET/CTET exams. Get Single Liner Top 50 Important Science GK Questions Notes. Click on the given link to download Single Liner Top 50 Important Science GK Questions for HSSC/SSC/REET/CTET exams.. 1.माचिस की डिबिया पर क्या लगाया जाता है ? उत्तर. रेड फास्फोरस मनुष्य के ऑसू मे क्या पाया जाता है ? उत्तर. सोडियम क्लोराइड सबसे लचीली धातु कौन सी है ? उत्तर. सोना रेड स्टार किसे कहते है ? उत्तर. मंगल ग्रह को पृथ्वी किस गति से घूमती है ? उत्तर. 1800 किमी. प्रति घंटा 2,4-D क्या है ? उत्तर. खरपतवारनाशी कत्थ बनाने मे किस लकडी का प्रयोग किया जाता है ? उत्तर. खैर सार्वाधिक कठोर तत्व कौन सा है ? उत्तर. हीरा गोबर गैस मे मुख्यतः कौन सी गैस होती है ? उत्तर. मीथेन गलकण्ड नामक रोग किसकी कमी से होता है ? उत्तर. आयोडीन की कमी से किस ताप पर पानी का घनत्व सबसे अधिक होता है ? उत्तर. 4°C पर रसोईघर मे प्रयोग की जाने वाली गैस मे कौन-कौन सी गैस मिश्रण होता है ? उत्तर. प्रोपेन, ब्यूटेन लॉफिंग गैस किसे कहते है ? उत्तर. नाइट्रस ऑक्साइड कच्चे फलो को पकाने के लिए किस गैस का उपयोग किया जाता है ? उत्तर. ऐथिलीन बल्ब का फिलामेंट किस धातु का बना होता है ? उत्तर. टंगस्टन का प्रकाश की गति कीतनी होती है ? उत्तर. 3 लाख किमी. प्रति सैकंड ध्वनि की गति कितनी होती है ? उत्तर. 332 मी. प्रति सैकंड बिजली का अविष्कार किस सन् मे हुआ था ? उत्तर. 1672 मे पत्तियाँ हरे रंग की क्यो होती है ? उत्तर. क्लोरोफिल के कारण चाँद तक पहुँचने मे कितना समय लगता है ? उत्तर. 3 दिन वाहन मे चाल की वृद्धि दर को मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है ? उत्तर. एक्सिलरोमीटर का विमानो की ऊँचाई मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है ? उत्तर. अल्टीमिटर का सूर्य से प्लूटो तक की दूरी कितनी है ? उत्तर. 586.56 करोड किमी. चाय मे कौन सा तत्व पाया जाता है ? उत्तर. कैफिन,टैनिस तथा थियोफाइलिन कौन सा रासायन है जो पानी मे भी जलता है ? उत्तर. सोडियम हवाई जहाज की गति मापने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है ? उत्तर. हैकोमीटर का प्रोटीन की फैक्ट्री किसे कहा जाता है ? उत्तर. राइबोसोम को तम्बाकू की पत्तियो मे क्या पाया जाता है ? उत्तर. निकोटिन अंगो का अध्ययन करने वाली शाखा क्या कहलाती है ? उत्तर. ऑरगेनोलॉजी फूलो का अध्ययन कहलाता है ? उत्तर. एन्थोलॉजी ओजोन परत----को रोकती है ? उत्तर. पराबैंगनी किरणो को मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी कौन सी है ? उत्तर.स्टेपस मानव शरीर की सबसे बडी हड्डी कौन सी है ? उत्तर. फीमर . मानव शरीर की सबसे बडी कोशिका कौन सी है ? उत्तर. न्यूरॉन मानव के गुरदे का भार कितना होता है ? उत्तर.150 ग्राम मानव शरीर की सबसे बडी ग्रंथि कौन सी है ? उत्तर. यकृत सबसे ��ेज दौडने वाले पक्षी का क्या नाम है ? उत्तर. शुतुरगमुर्ग एन्जाइमा नामक रोग से शरीर कौन सा अंग प्रभावित होता है? उत्तर. ह्रदय मानव शरीर मे कितनी हड्डीयाँ होती है ? उत्तर. 206 वायुमंडल मे कितने प्रतिशत ऑक्सीजन है ? उत्तर. 21% मानव शरीर का सबसे बडा अंग कौन सा है? उत्तर. त्वचा रक्त का PH मान कितना है ? उत्तर. 7.4 मूत्र का PH मान कितना है ? उत्तर. 6.0 सर्वदाता समूह कौन सा है ? उत्तर. O समूह दूध की शुध्दता किस यंत्र से मापी जाती है ? उत्तर. लेक्टोमीटर साधारण नमक का रासायनिक नाम क्या है ? उततर. सोडियमस क्लोराइड रणनितिक धातु किसे कहते है ? उत्तर. टाईटेनियम को सफेद सोना किसे कहते है ? उत्तर. प्लेटेनियम को सामान्य मनुष्य के ह्रदय का भार कितना होता है ? उत्तर. लगभग 300 ग्राम आम का वनस्पतिक नाम क्या है ? उत्तर. मेनजीफेरा इंडिका Join Whats App Group
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68500 SHIKSHK BHARTI: मंथन सामान्य ज्ञान
68500 SHIKSHK BHARTI: मंथन सामान्य ज्ञान
मंथन सामान्य ज्ञान💐💐💐1. पर्यावरण ( Environment) क्या है?— हमारे चारों ओर का वातावरण, जो कि हमें व अन्य जीवधारियों को प्रभावित ��रता है2. भारत में सबसे अधिक वन किस प्रदेश में हैं?— मध्य प्रदेश3. पौधे अपनी खाध निर्माण प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 ) गैस वायुमण्डल से लेते हैं और बदले में जीवधारियों को सांस लेने के लिए………..मुक्त करते हैं।— ऑक्सीजन4. कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड द्वारा कौनसा प्रदूषण होगा?— वायु प्रदूषण5. बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमाण्ड परीक्षा किस प्रदूषण को मापने के लिए की जाती है?— जल प्रदूषण6. परॉक्सीएसेटिल नाइट्रेट (PAN) क्या है?— वायु प्रदूषक7. राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान केन्द्र कहाँ स्थित है?— नागपुर ( महाराष्ट्र )8. वायुमण्डल में ओजोन परत हमारी रक्षा किन किरणों से करती है?— पराबैंगनी किरणों से9. वायुमण्डल में कौन-सी गैस सर्वाधिक पायी जाती है?— नाइट्रोजन10. आकाश नीला किसके कारण दिखाई देता है?— प्रकीर्णन के कारण11. विश्व पर्यावरण दिवस किस तिथि को मनाया जाता है?— 5 जून12. ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है या घटता है?— बढ़ जाता है13. ‘पर्यावरण का दुश्मन’ किस वृक्ष को कहा जाता है?— यूकेलिप्टस ( सफेदा )14. ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?— ग्रीन हाउस प्रभाव में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर आ तो जाती है, लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड गैस के घेरे के कारण वापस नहीं जा पाती है15. राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार कितने प्रतिशत भू-भाग पर वन होना अनिवार्य है?— 33 प्रतिशत16. ‘ग्रीन’ पीस क्या है?— पर्यावरण योजना17. चिपको आन्दोलन के पीछे मुख्य उददेश्य क्या है?— वनों की सुरक्षा18. भारत सरकार द्वारा केन्द्र में ‘पर्यावरण विभाग’ की स्थापना किस वर्ष की गई?— 1980 में19. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ( UNEP) का मुख्यालय कहाँ है?— नैरोबी ( केन्या )20. फोटो कॉपी मशीन में कौन-सी गैस उत्पादित होती हैं?— ओजोन21. विश्व वन्य जीव कोष द्वारा प्रतीक के रूप में किस पशु को लिया गया है?— पांडा22. भारत का कौनसा राज्य ‘टाइगर राज्य’ के रूप में जाना जाता है?— मध्य प्रदेश23. वन महोत्सव किसने प्रारम्भ किया था?— के. एम. मुंशी24. विश्व वन्यजीव संरक्षण कोष कहाँ पर स्थित हैं?— सिवटजरलैण्ड25. सबसे प्राचीन काल से उगाया जाने वाला फल वृक्ष कौन-सा है?— खजूर26. सफोकेशन क्या है?— ऑक्सीजन की कमी का जीवों पर प्रभाव27. जलवायु परिवर्तन में किन गैसों की मुख्य ��ूमिका होती है?— ग्रीन हाउस गैस28. सर्वाधिक ओजोन क्षयकारी गैस कौन-सी है?— CFC ( क्लोरोफ्लोरोकार्बन )29. ‘��्लोरोफ्लोरोकार्बन’ किन गैसों का संयुक्तरूप है?— क्लोरीन, क्लोरीन एवं कार्बन (CFC)30. भूतल पर CFC का प्रयोग कहां होता है?— स्प्रेकैन डिस्पेन्सर, वातानुकूलकों, रेफ्रिजरेटरों, हेयर स्प्रे, शेविंग क्रीम, विविध सौन्दर्य प्रसाधनों आदि में31. ग्रीन हाउस प्रभाव का प्रत्यक्ष परिणाम क्या होगा?— ग्लेशियर पिघलने लगेंगे32. भारत में ‘वृक्षों का आदमी’ किसे कहा जाता हैं?— सुन्दरलाल बहुगुणा33. सर्वाधिक जैवविविधता कहाँ पा���ी जाती है?— ट्रॉपिकल रेन फॉरेस्ट34. बायोटेक्नोलॉजी पार्क कहाँ पर स्थित है?— लखनऊ 35. पृथ्वी दिवस कब मनाया जाता है?— 22 अप्रैल36. भविष्य का ईंधन किसे कहा जाता है?— हाइड्रोजन37. पर्यावरण का रक्षा कवच किसे कहा जाता है?— ओजोन परत38. रेड डाटा बुक का सम्बन्ध किससे हैं?— विलुपित के संकट से ग्रस्त जीवों से39. विश्व का सबसे प्रदूषित नगर कौन-सा है?— मैकिसको सिटी40. एन्वायरॉनमेंट एजुकेशन फॉर किडस यूएसए में कहाँ पर स्थित है?— विस्कॉसिन41. CNG की फुल फार्म क्या है?— कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस42. ध्वनि प्रदूषण कितने डेसीबल से माना जाता है?— 65 डेसीबल43. जल प्रदूषण को मापने के लिए कौन-सा परीक्षण किया जाता है?— बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड44. ताजमहल के पीले पड़ने तथा उसके क्षरण होने के मुख्य कारण क्या है?— अम्लीय वर्षा45. मानव द्वारा निर्मित उपग्रह कहाँ स्थापित होते हैं?— ब्राह्म वायुमण्डल में46. देश का पारिस्थितिकी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र कहां स्थित है?— बंगलौर ( कर्नाटक )47. भारत का पर्यावरण शिक्षा केन्द्र कहाँ स्थित है?— अहमदाबाद ( गुजरात )48. इंदिरा गांधी वानिकी अकादमी कहाँ स्थित है?— देहरादून49. विश्व वानिकी दिवस कब मनाया जाता है?— 21 मार्च50. भारतीय वन सर्वेक्षण का मुख्यालय कहाँ स्थित है?— देहरादून में51. भारतीय वन प्रबंध संस्थान कहाँ है?— भोपाल में
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जब धरती बचाने की जंग में कूद पड़े थे 198 देश...कोरोना पर लड़ रही दुनिया ले सीख Divya Sandesh
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जब धरती बचाने की जंग में कूद पड़े थे 198 देश...कोरोना पर लड़ रही दुनिया ले सीख
शताक्षी अस्थानासाल है 2030। पिछले 40 साल में दुनियाभर में स्किन कैंसर के 20 लाख मामले और रेकॉर्ड किए जा चुके हैं। मोतियाबिंद के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। फसलें बर्बाद हो रही हैं। अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन छेद महाविशाल हो चुका है, आर्कटिक पर भी विशाल छेद बनता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर किसी को शक नहीं रहा लेकिन अब सूरज से आने वाले अल्ट्रावॉइलट रेडिएशन से बचना नामुमकिन सा हो गया है…ये पूरी कहानी सच हो सकती थी अगर 40 साल पहले कनाडा के एक शहर में इतिहास बदलने वाला फैसला न किया गया होता। साल 2021। एक महामारी ने 22 लाख से ज्यादा लोगों की दुनियाभर में जान ले ली है। वायरस कैसे फैला, कैसे इसे दुनिया से छिपाया गया, इलाज तैयार हुआ तो अमीर-गरीब देशों के बीच खाई पैदा होने लगी, वैक्सीन पर देश आपस में लड़ने। आज कोरोना वायरस का संकट कहीं ज्यादा, कहीं कम है लेकिन कल ऐसी ही कोई और त्रासदी हो सकती है। आज पूरी विश्व को सबसे ज्यादा एकजुटता की जरूरत है। ऐसे में याद आती है वह जीत जिसे 198 देशों ने एक साथ हासिल किया था। क्या थी इस जंग की कहानी…Success story of Montreal Protocol against Ozone Layer Depletion: फ्रिज, एसी में इस्तेमाल होने वाले CFC, HCFC, HFC और दूसरे केमिकल्स धरती को सूरज के अल्ट्रावॉइलट रेडिएशन से बचाने वाली ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए दुनिया साथ आई और रच दिया गया इतिहास।शताक्षी अस्थानासाल है 2030। पिछले 40 साल में दुनियाभर में स्किन कैंसर के 20 लाख मामले और रेकॉर्ड किए जा चुके हैं। मोतियाबिंद के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। फसलें बर्बाद हो रही हैं। अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन छेद महाविशाल हो चुका है, आर्कटिक पर भी विशाल छेद बनता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर किसी को शक नहीं रहा लेकिन अब सूरज से आने वाले अल्ट्रावॉइलट रेडिएशन से बचना नामुमकिन सा हो गया है…ये पूरी कहानी सच हो सकती थी अगर 40 साल पहले कनाडा के एक शहर में इतिहास बदलने वाला फैसला न किया गया होता। साल 2021। एक महामारी ने 22 लाख से ज्यादा लोगों की दुनियाभर में जान ले ली है। वायरस कैसे फैला, कैसे इसे दुनिया से छिपाया गया, इलाज तैयार हुआ तो अमीर-गरीब देशों के बीच खाई पैदा होने लगी, वैक्सीन पर देश आपस में लड़ने। आज कोरोना वायरस का संकट कहीं ज्यादा, कहीं कम है लेकिन कल ऐसी ही कोई और त्रासदी हो सकती है। आज पूरी विश्व को सबसे ज्यादा एकजुटता की जरूरत है। ऐसे में याद आती है वह जीत जिसे 198 देशों ने एक साथ हासिल किया था। क्या थी इस जंग की कहानी…100 पहले का आविष्कार बन गया सबसे बड़ा संकटसाल है 1928। जनरल मोटर्स के थॉमस मिडग्ले जूनियर ने बनाया ऐसा केमिकल जो उस वक्त के लोगों का जीवन आसान बनाने वाला था। क्लोरोफ्लोरोकार्बन। बड़े स्तर पर रेफ्रिजरेटर्स में इसका इस्तेमाल सुरक्षित पाया गया था। इससे पहले इस्तेमाल किए जाने वाले अमोनिया, मेथिल क्लोराइड और सल्फर डाइऑक्साइड लीक होने पर जहरीले साबित हो रहे थे। उस वक्त शायद ही किसी को पता था कि अगले 100 साल में CFC पूरी धरती के सुरक्षा कवच में सेंध लगा चुके होंगे, इनके खिलाफ आंदोलन छिड़ चुके होंगे और इन्हें हराने में मानव सभ्यता एक मिसाल पेश कर चुकी होगी।1970 का दशक। अमेरिका के एफ. शेरवुड रॉलेंड ने ब्रिटिश साइंटिस्ट जेम्स लवलॉक की एक रिसर्च के बारे में जाना। लवलॉक ने पाया था कि ट्राइक्लोरोफ्लोरो मीथेन वायुमंडल में लंबे वक्त तक बने रह जाते हैं। इससे रॉलेंड ने पर्यावरण में मौजूद CFCs पर रिसर्च शुरू की। रॉलेंड ने मारियो मॉलीना के साथ मिलकर दिखाया कि स्ट्रेटोस्फीयर में मौजूद CFC पर सूरज के अल्ट्रवॉइलट रेडिएशन का असर कैसे होता है। वायुमंडल की स्ट्रेटोस्फीयर परत धरती की सतह से 12 किमी ऊपर से शुरू होकर 50 किमी तक जाती है। यहां अल्ट्रावॉइलट रेडिएशन से CFC क्लोरीन ऐटम में टूट जाते हैं। ये ओजोन (ऑक्सिजन के तीन ऐटम) में मिलकर उसे ऑक्सिजन मॉलिक्यूल (ऑक्सिजन के दो ऐटम) में तोड़ देते थे।यह एक चेन रियेक्शन होता है यानी पहले रिएक्शन के प्रॉडक्ट से फिर से CFC का क्लोरीन अलग हो जाता है और फिर से ओजोन टूटकर ऑक्सिजन में तब्दील हो जाती है। इसलिए तुरंत CFC बैन करने के बावजूद जब तक इसका एक भी मॉलिक्यूल वायुमंडल में रहता, ओजोन परत कई साल तक खतरा झेलती रहती। अगर उत्पादन बंद नहीं होता तो यह नुकसान और भी ज्यादा होता। रॉलेंड का कहना था कि ये नती���े और ��ने वाले वक्त में बड़े संकट की आशंका देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए थे। (फोटो: UC Irvine)विज्ञान के सामने व्यापार बना चुनौती…अनसुनी गई चेतावनीसाल 1976। नैशनल अकैडेमीज ऑफ साइंस ने एक रिपोर्ट जारी की। इसमें CFC से हो रहे नुकसान को सही पाया गया। इसके साथ ही ऐरोसॉल कैन में CFC के इस्तेमाल पर बैन के बारे में सोचा जाने लगा। जाहिर है यह बात केमिकल इंडस्ट्री को खटकने लगी। उसने रिसर्च को बेनतीजा बताना शुरू कर दिया। जब भी रॉलेंड CFC पर कुछ कहते थे, उनकी बातों का खंडन जारी कर दिया जाता था। धीरे-धीरे इसे इस तरह पेश किया जाने लगा कि लोग रॉलेंड की बातों को अनसुना करने लगे। इसके अलावा ऐसे कई कारण थे जिससे रॉलेंड के आलोचकों को उनकी थिअरी पर सवाल करने का मौका मिलता था।स्ट्रेटोस्फीयर में ओजोन कई दूसरे तत्वों के बीच CFC से रिऐक्ट करती है। इसे लैब में बनाकर टेस्ट करना मुश्किल होता है। भूगोल और मौसमों के हिसाब से भी ओजोन की मात्रा बदलती रहती थी। यहां रिसर्च करना भी आसान नहीं होता है। खासकर 1970 में सैटलाइट टेक्नॉलजी इतनी अडवांस्ड नहीं थी कि उनके जरिए रिसर्च मुश्किल थी। ऐसे में कई लोग यह दावा करते थे कि रॉलेंड और मलीना की थिअरी के आधार पर इतने उपयोगी केमिकल्स के खिलाफ ऐक्शन नहीं लिया जा सकता। एरोसॉल कैन में इनका इस्तेमाल बंद किया जा सकता था लेकिन रेफ्रिजरेंट के तौर पर इनका कोई विकल्प न होने की वजह से इन पर बैन लगाना भी संभव नहीं था। (फोटो: Cornell University)आखिर आंखों के सामने दिखा भविष्य पर मंडराता खतरादुनिया के एक हिस्से में लैब के अंदर ओजोन के खतरे को भांपा जा रहा था, वहीं धरती के दूसरे कोने में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के हेली बे स्टेशन पर ब्रिटिश वैज्ञानिक दशकों से ओजोन को नाम रहे थे। 1984 में जोसेफ फारमैन और उनके साथियों ने डेटा में पाया कि स्ट्रेटोस्फीयर में ओजोन की मात्रा 1960 के बाद से कम हो गई थी। 1985 में नेचर में छपी एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ओजोन की मात्रा अंटार्कटिका में सितंबर में 40% कम हो गई थी। तब दुनिया को समझ आया कि उनके सामने कितना बड़ा संकट खड़ा हो गया है और इसे हल करने के लिए कोशिशें करना जरूरी हो गया। CFC के इस्तेमाल से स्किन कैंसर के मामले बढ़ने की आशंका जताई गई जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय हरकत में आया। इसके बाद शुरू हुई एक जंग जिसे जीत मिली मिसाल कायम करने वाले Montreal Protocol की शक्ल में। (फोटो: NASA- Greg Shirah (NASA/GSFC): Lead Animator, Paul Newman (NASA/GSFC): Scientist)अभी टला नहीं था खतराNASA के Goddard Space Flight Center के Universities Space Research Association की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सूसन स्ट्रेहन ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया है कि वायुमंडल में ओजोन प्राकृतिक रूप से बनती है और घटती भी है। CFC जैसे ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों की वजह से ओजोन तेजी से घटती है और यह कमी उसके ज्यादा उत्पादन से पूरी नहीं होती है। ओजोन परत CFC और HCFC के असर से तब तक उबर नहीं सकती है जब तक ये गैसें वायुमंडल में ऊंचाई पर सूरज की रोशनी से पूरी तरह टूट न जाएं। सूसन ने बताया, ‘HCFC होते हैं हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन। इन्हें सबसे पहले CFC की जगह इस्तेमाल किया गया था। इनका इस्तेमाल 1990 के दशक में शुरू हुआ था। CFC की तुलना में इनके कारण ओजोन को 10% नुकसान होता है लेकिन ये ग्रीनहाउस गैसें होती हैं। धरती को गर्म करने की इनकी क्षमता CFC से 10 गुना ज्यादा होती है।’ओजोन परत में छेद के बारे में यह बात समझने वाली है कि यह दरअसल छेद नहीं है। परत के एक बड़े से क्षेत्र में ओजोन की मात्रा में भारी कम होने से ही बड़ा नुकसान हो सकता है। ब्रिटेन की लैंकैस्टर यूनिवर्सिटी में अटमॉस्फीयर और क्लाइमेट साइंटिस्ट डॉ. पॉल यंग ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया है, ‘हर साल ओजोन का छेद सितंबर में बनता है और नवंबर-दिसंबर में भर जाता है।’ वह बताते हैं, ‘फ्रिज और स्प्रे कैन्स में इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल्स की वजह से ओजोन का छेद बनता है। चिंता की बात यह है कि ये केमिकल लंबे वक्त तक वायुमंडल में रहते हैं, इसलिए केमिकल बैन के बावजूद हर साल ओजोन का छेद बनता है।’ (फोटो: NASA)और इस तरह पड़ी मानव सभ्यता की सबसे बड़ी जीत की नींवपॉल के मुताबिक अच्छी बात यह है कि ओजोन का छेद औसतन हर साल छोटा होता जा रहा है, जो इन केमिकल्स की घटती मात्रा की वजह से है। हालांकि, मौसम की वजह से, जैसे ज्यादा ठंड होने पर छेद बड़ा भी हो जाता है। पिछले साल मौसम ज्यादा ठंडा था, इसलिए इतना बड़ा छेद अंटार्कटिका के ऊपर देखा गया। NASA के डेटा के मुताबिक 40 साल में यह 12वां सबसे बड़ा छेद था लेकिन अब CFC की मात्रा कम होने की वजह से ओजोन का छेद इतना बड़ा नहीं है, जो 20 साल पहले ऐसा ही मौसम होने पर हो सकता है।’ डॉ. सूसन बताती हैं, ‘Montreal Protocol पर 1987 में साइन किया गया था और उसके बाद से उसमें कई संशोधन किए गए थे। Montreal Protocol ने CFC के जरिए कम मात्रा की इजाजत दी गई लेकिन बाद के संशोधनों में उन पर बैन लगा दिया गया। ओजोन परत को बचाने के लिए यह अहम था।’ ओजोन को राहत…पर हो रहा था दूसरा नुकसानडॉ. सूसन ने बताया, ‘HCFC और फिर HFC (हाइड्रोफ्लोरोकार्बन) को ‘ओजोन फ्रेंडली’ मानकर रिप्लेसमेंट गैस के तौर पर इस्तेमाल किया गया। दोनों जलवायु को गर्म करने की क्षमता रखते हैं। अब HFO (हाइड्रोफ्लोरोऑलिफिन) इस्तेमाल किए जाते हैं। ये जलवायु को ��्यादा गर्म नहीं करते हैं और ओजोन को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।’ संयुक्त राष्ट्र एन्वायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP) के मुताबिक, ‘कार्बनडायऑक्साइड की तुलना में HCFC 2000 गुना ज्यादा ग्लोबल वॉर्मिंग पोटेंशियल (GWP) रखते हैं। इनकी जगह पर इस्तेमाल किए जा रहे HFC हाइड्रोफ्लोरोकार्बन एयर कंडीशनरों, रेफ्रिजरेटर, एयरोसॉल, फोम और दूसरे प्रॉडक्ट में इस्तेमाल होते हैं। ये ओजोन को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग पोटेंशियल 12-14000 तक है। एक आकलन के मुताबिक साल 2050 तक इनके उत्सर्जन में 7-19% तक की सालाना बढ़ोतरी हो सकती है। इसके लिए जब Montreal Protocol के सदस्य देशों ने 15 अक्टूबर, 2016 में रवांडा के किगाली में बैठक की तो HFC को भी हटाने पर सहमति बनाई गई। अब 2040 तक इन्हें 80-85% कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।’ (फोटो: AFP)दुनिया ने कैसे बनाई इस संकट से लड़ने की रणनीतिडॉ. सूसन ने बताया है, ‘CFC की वायुमंडल में मात्रा धीरे-धीरे कम होती जा रही है क्योंकि सूरज की रोशनी के असर से ये टूट रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस मात्रा से ओजोन परत इस सदी के मध्य तक रिकवर हो जाएगी। हमें उम्मीद है कि अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत 2070 तक खत्म हो जाएगा।’ वह बताती हैं कि Montreal Protocol के तहत विकासशील देशों को CFC और HCFC के फेज आउट के लिए ज्यादा वक्त दिया गया। इसके साथ ही इसके लिए किए गए समझौतों में विकासशील देशों के लिए फंड तैयार किया गया है ताकि वे उस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर सकें जिसकी जरूरत CFC से HCFC और दूसरी रिप्लेसमेंट गैसों के इस्तेमाल के लिए होगी। UNEP के मुताबिक विकसित देशों को 2020 तक पूरी तरह से HCFC का इस्तेमाल खत्म करने का लक्ष्य दिया गया था जबकि विकासशाल देशों ने 2013 में यह प्रक्रिया शुरू की और अब 2030 तक इन्हें पूरी तरह खत्म किया जाएगा।’ (फोटो: UNEP)टाल दिया गया ‘विनाशकारी’ अंत, और बदल गया भविष्यडॉ. सूसन से जब सवाल किया गया कि अगर Montreal Protocol न होता तो आज हालात कैसे होते। वह एक शब्द में इसकी अहमियत साफ करती हैं- ‘विनाशकारी’। डॉ. सूसन ने बताया, ‘अगर 1970-1980 की दर से CFC की मात्रा बढ़ती रहती तो आज आर्कटिक में भी छेद होता और अंटार्कटिक में ओजोन का छेद और ज्यादा बड़ा और ज्यादा वक्त के लिए होता और लोग हर जगह पूरे साल अल्ट्रावॉइलट रेडिएशन (UV Radiation) को झेल रहे होते। इससे इंसानों में स्किन कैंसर और मोतियाबिंद बढ़ जाता और फसलों को भी ज्यादा नुकसान होता।’ Montreal Protocol ने 2030 तक 20 लाख ���ोगों को स्किन कैंसर से बचाया है।इस लड़ाई का एक बड़ा हिस्सा था दुनिया को स्थिति की गंभीरता समझाने में रॉलैंड और मॉलीना का किया संघर्ष। डॉ. सूसन का कहना है जब रॉलेंड-मॉलीना ने CFC के बारे में लोगों को बताना शुरू किया था, तब (विज्ञान जगत की) इंडस्ट्री के साथ पार��टनरशिप नहीं हुआ करती थीं। अब साइंस, इंडस्ट्री और नीति बनाने वालों के बीच पार्टनरशिप है जो 1970 और 1980 में नहीं हुआ करती थीं। शायद इसी का नतीजा ��हा कि संयुक्त राष्ट्र के 198 सदस्य देशों ने साइन किया है। UNEP के मुताबिक आज तक ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों के उत्सर्जन को 1990 की तुलना में 98% तक खत्म किया जा चुका है। इसकी मदद से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन भी खत्म किया गया है। 1990-2010 के बीच समझौते के असर से कार्बनडायऑक्साइड के बराबर 135 गीगाटन और सालाना 11 गीगाटन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को खत्म किया है। (फोटो: UNEP)एकजुट हो मानव तो किसी भी चुनौती को हरा सकती है पृथ्वी1970 में रॉलेंड के लवलॉक की रिसर्च पढ़ने के बाद दशकों तक चली जंग के बाद आज जब ओजोन परत के जख्म भरते दिखते हैं, तो उससे यकीनन यह उम्मीद पैदा होती है कि पर्यावरण के सामने खड़ीं दूसरी चुनौतियों को भी ऐसे ही हराया जा जा सकता है। डॉ. सूसन से जब सवाल किया गया कि जिस तरह रेकॉर्डतोड़ देशों ने इस समझौते पर दस्तखत किया है, क्या उम्मीद कर सकते हैं कि ऐसा पर्यावरण से जुड़ीं दूसरी चुनौतियों के लिए भी हासिल किया जा सकता है। इस पर उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है, मैं ऐसी उम्मीद करती हूं।’ओजोन की सेहत जितनी सरकारों और इंडस्ट्री के हाथ में है, आम लोगों के हाथ में भी। यह समझना जरूरी है कि आज हवा में ये ग्रीनहाउस गैसें और ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व लीक कैसे हो रहे हैं। सूसन बताती हैं, ‘कई लोगों के पास फ्रिज होता है, एयर कंडीशनर भी। जब अप्लायंस पुराने हो जाते हैं और उनकी जगह दूसरा लाना होता है, तो पुराने को कचरे में नहीं डाल देना चाहिए क्योंकि इससे उनकी कॉइल में मौजूद CFC और HCFC वायुमंडल में लीक हो जाती हैं। यह सुनिश्चित करें कि कोई ऐसा इन्हें रीसाइकल करे जो सुरक्षित तरीके से इन गैसों को निकाल सके और फिर इन्हें डिस्पोज किया जाए।’ (फोटो: UNEP)
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इंसानों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने वाली ओजोन लेयर के लिए लॉकडाउन राहत वाला समय कहा जा सकता है। देश में लॉकडाउन का जो असर हुआ, उसका एक बड़ा फायदा ओजोन लेयर को भी मिला है।
एनसीबीआई जर्नल में प्रकाशित भारतीय वैज्ञानिकों की रिसर्च कहती है, दुनिया के कुछ देशों में 23 जनवरी से लॉकडाउन लगने के बाद प्रदूषण में 35 फीसदी की कमी और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 60 फीसदी की गिरावट आई है। इसी दौरान ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले कार्बन का उत्सर्जन भी 1.5 से 2 फीसदी तक घटा और कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल भी कम हुआ। ये सभी ऐसे फैक्टर हैं, जो ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसी साल अप्रैल महीने की शुरुआत में ओजोन लेयर पर बना सबसे बड़ा छेद अपने आप ठीक होने की खबर भी आई। वैज्ञानिकों ने पुष्टि कि आर्कटिक के ऊपर बना दस लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि वाला छेद बंद हो गया है।
सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों को रोकने वाली इस लेयर को कोरोनाकाल में कितनी राहत मिली है, इस पर पूरी रिपोर्ट आनी बाकी है। पर्यावरणविद् शम्स परवेज के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले कार्बन और दूसरी गैसों का उत्सर्जन 50 फीसदी तक घटा, जिसका पॉजिटिव इफेक्ट आने वाले समय में दिख सकता है। इस दौरान एयर ट्रैफिक 80 तक कम हुआ है, जो फिलहाल अच्छे संकेत रहे हैं। आज वर्ल्ड ओजोन डे है, इस मौके पर जानिए यह क्यों जरूरी है और क्या बढ़ते तापमान का असर इस पर पड़ेगा....
खबर से पहले ओजोन लेयर के बारे में ये 5 बातें समझें
1. ओजोन लेयर क्या है? ओजोन लेयर दो तरह की होती है। एक फायदेमंद है और दूसरी नुकसानदेह।
फायदे वाली ओजोन लेयर : ओजोन एक ऐसी पर्त है, जो सूर्य की ओर से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोखकर रोकने का काम करती हैं। ओजोन परत पृथ्वी के वातावरण के समताप मंडल के निचले हिस्से में में मौजूद है। सामान्य भाषा में समझें तो यह पराबैंगनी किरणों को छानकर पृथ्वी तक भेजती है। इसकी खोज 1957 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रो. गॉर्डन डोब्सन ने की थी।
नुकसान वाली ओजोन लेयर : यह ओजोन गैस की लेयर हमारे ब्रीदिंग लेवल (सांस लेने के स्तर पर) पर होती है, जो नुकसान पहुंचाती है। यह गाड़ियों और फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड से बनती है। यह कार्सिनोजेनिक होती है, जो कैंसर का कारण बन सकती है। हवा की जांच करके इसके स्तर को समझा जाता है।
1. ओजोन लेयर में छेद होने का मतलब क्या है? इस लेयर में छेद होने पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें सीधे धरती तक पहुंचेंगी। ये किरणें स्किन कैंसर, मलेरिया, मोतियाबिंद और संक्रमक रोगों का खतरा बढ़ाती हैं। अगर ओजोन लेयर का दायरा 1 फीसदी भी घटता है और 2 फीसदी तक पराबैंगनी किरणें इंसानों तक पहुंचती हैं तो बीमारियों का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है।
3. क्यों इस लेयर को पहुंच रहा नुकसान?
ऐसे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और स्प्रे का इस्तेमाल हो रहा जिसमें क्लोरोफ्लोरो कार्बन पाए जाते हैं। ये ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाते हैं।
स्मोक टेस्ट के मानकों पर न खरे उतरने वाले वाहनों से निकलता धुआं। इसमें कार्बन अधिक पाया जाता जो क्षरण का कारण बनता है।
फसल कटाई के बाद बचे हुए हिस्सों को जलाने से निकलने वाला कार्बन स्थिति को और बिगाड़ रहा है।
इसके अलावा प्लास्टिक व रबड़ के टायर और कचरे को जलाने से भी इस लेयर को नुकसान पहुंच रहा है।
अधिक नमी वाला कोयला जलाने पर सबसे बुरा असर पड़ रहा है।
4. ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले कण बनते कैसे हैं?
वातावरण में नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन जब सूर्य की किरणों के साथ रिएक्शन करते हैं तो ओजोन प्रदूषक कणों का निर्माण होता है।
वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाली कार्बन-मोनो-ऑक्साइड व दूसरी गैसों की रासायनिक क्रिया भी ओजोन प्रदूषक कणों क�� मात्रा को बढ़ाती हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, 8 घंटे के औसत में ओजोन प्रदूषक की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ओजोन लेयर को सुरक्षित रखने के लिए दुनियाभर के कई देशों के बीच हुए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को दिखाती तस्वीर। साभार : सोशल मीडिया
5. कैसे शुरू हुई वर्ल्ड ओजोन डे की शुरुआत ओजोन परत में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहल की। कनाडा के मॉन्ट्रियल में 16 सितंबर, 1987 को कई देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसे मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कहा जाता है। इसकी शुरुआत 1 जनवरी, 1989 को हुई। इस प्रोटोकॉल का लक्ष्य वर्ष 2050 तक ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों को कंट्रोल करना था। प्रोटोकॉल के मुताबिक, यह भी तय किया गया कि ओजोन परत को नष्ट करने वाले क्लोरोफ्लोरो कार्बन जैसी गैसों के उत्पादन और उपयोग को सीमित किया जाएगा। इसमें भारत भी शामिल था। इस साल वर्ल्ड ओजोन डे की थीम है 'ओजोन फॉर लाइफ' यानी धरती पर जीवन के लिए इसका होना जरूरी है।
इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाली ओजोन गैस घटी या बढ़ी? 6 महीने के लॉकडाउन में 50 फीसदी से अधिक प्रदूषण का स्तर घटा है, लेकिन ओजोन गैस का स्तर सिर्फ 20 फीसदी तक ही कम हुआ है। इसका स्तर इतना ही क्यों हुआ इसके जवाब में शम्स परवेज कहते हैं, लॉकडाउन के दौरान जगहों को सैनेटाइज करने में लिए सोडियम हायपो-क्लोराइड का इस्तेमाल हुआ। इससे ब्रीदिंग लेवल पर बनने वाली ओजोन गैस का स्तर उतना नहीं गिरा, जितना गिरना चाहिए था।
दुनिया का तापमान बढ़ रहा है, इसका ओजोन लेयर पर क्या असर पड़ेगा
दुनिया में बढ़ता तापमान और इस लेयर के बीच कोई संबंध नहीं है। वायुमंडल का तापमान तब बढ़ता है, जब प्रदूषण के कारण पर्यावरण में मौजूद कण सूरज की गर्मी को अवशोषित करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा कार्बन होते हैं। साउथ एशियाई देशों में प्रदूषण अधिक होने के कारण तापमान और भी बढ़ रहा है।
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world ozone day 2020 how to lockdown affected ozone layer depletion
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