#एस्ट्राजेनेका
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10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी ��ी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
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वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने खुद अदालत में स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन से रक्त के थक्के जमने की स्थिति पैदा हो सकती है, हार्ट अटैक , ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है लेकिन अंधभक्त है कि मानने को तैयार ही नहीं
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कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट; 5 लक्षणों से तुरंत पहचाने
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन जो कोरोना से बचने के लिए बनाई गई थी हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा तेज हो गई है, एक व्यक्ति को जब कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट दिखाई दिए तब उसने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर कोर्ट केस कर दिया। जिसके बाद कंपनी ने इस बात को स्वीकार किया कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट Read more..
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covishield new information: कोविशील्ड,कोरोना वैक्सीन से ब्रेन स्ट्रॉक व हार्ट अटैक का खतरा, निर्माता ब्रिटिश कंपनी का कोर्ट में हलफनामा, 175 करोड़ लोंगो को लगे थे डोज, आईसीएमआर की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में
नयी दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा. एस्ट्राजेनेका का ��ो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई. ब्रिटिश मीडिया के अनुसार, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई. वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का ��ामना करना…
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सौदों की तलाश में एस्ट्राजेनेका, लेकिन टीकों में नहीं रह सकती: रिपोर्ट
सौदों की तलाश में एस्ट्राजेनेका, लेकिन टीकों में नहीं रह सकती: रिपोर्ट
एस्ट्राजेनेका लंबे समय तक वैक्सीन व्यवसाय में नहीं रह सकती है और ऑन्कोलॉजी और हृदय उपचार में विशेषज्ञता वाली छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों को खरीदना चाह रही है, मुख्य कार्यकारी पास्कल सोरियट ने मंगलवार को रॉयटर्स न्यूजमेकर साक्षात्कार में कहा। उत्पादन में देरी, गंभीर दुष्प्रभावों के दुर्लभ मामलों के बाद नियामकों द्वारा जांच और अन्य शॉट्स की तुलना में इसके अपेक्षाकृत कम शेल्फ जीवन के बारे में…
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एईएफआई: 2 हजार एईएफआई के गंभीर मामले, दिए गए 123 करोड़ शॉट्स में से 0.004%: सरकार | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
एईएफआई: 2 हजार एईएफआई के गंभीर मामले, दिए गए 123 करोड़ शॉट्स में से 0.004%: सरकार | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (एईएफआई) कुल लगभग 123 करोड़ में से 0.004% के बाद दर्ज किए गए थे कोविड जाब्स 30 नवंबर तक प्रशासित। सरकार ने मंगलवार को संसद को बताया कि 49,819 प्रतिकूल घटनाओं में से 47,691 मामूली, 163 गंभीर और 1,965 गंभीर मामले थे। एईएफआई कोई भी अप्रिय चिकित्सा घटना है जो इनोक्यूलेशन के बाद होती है और जरूरी नहीं कि इसका कोविड -19 वैक्सीन के साथ एक कारण संबंध हो। उन्हें…
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#आज की खबर#एईएफआई#एस्ट्राजेनेका#कोविड जाब्स#कोवैक्सिन#गूगल समाचार#ताज़ा खबर#भारत#भारत समाचार#भारत समाचार आज#भारती प्रवीण पवार#विश्व स्वास्थ्य संगठन#सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के नोवोवाक्स
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भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को ओमान की स्वीकृत कोविद -19 टीकों की सूची में जगह मिली
भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को ओमान की स्वीकृत कोविद -19 टीकों की सूची में जगह मिली
भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को बिना क्वारंटाइन के ओमान की यात्रा के लिए कोविड-19 टीकों की अनुमोदित सूची में शामिल किया गया है। एक ट्वीट में, भारत बायोटेक ने उल्लेख किया: “कोवैक्सिन को अब # COVID19 टीकों की अनुमोदित सूची में जोड़ा गया है, जो बिना संगरोध के ओमान की यात्रा के लिए हैं। इससे भारत के यात्रियों को कोवैक्सिन का टीका लगाने में सुविधा होगी।” वैक्सीन प्रमुख ने इस संबंध में भारतीय दूतावास,…
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#इंडियन एक्सप्रेस#एस्ट्राजेनेका#ओमान कोविद -19 मामले#ओमान ने कोवैक्सिन को मंजूरी दी#ओमान में कोवैक्सिन#कोविड -19 टीके#कोविशील्ड#कोवैक्सिन#भारत बायोटेक
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पतंजलि की नाक में तो दम हो गया, लेकिन वाहियात विज्ञापनों से अटी पड़ी है फार्मा इंडस्ट्री, उसकी सुध कौन लेगा?
लेखक- किशोर पटवर्द्धनसाक्ष्य-आधारित दवाइयां तीन स्तंभों के आधार पर बनाए जाती हैं- रोगी की पसंद, डॉक्टर अनुभव और हालिया उपलब्ध साक्ष्य। गलत सूचना इन तीनों को कमजोर करती है और यही बात सुप्रीम कोर्ट में चल रहे पतंजलि के मामले को क्रिटिकल बनाती है। इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में उत्तराखंड राज्य ला��सेंसिंग प्राधिकरण ने कहा कि उसने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनी दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यह कार्रवाई तब की गई जब सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए राज्य प्राधिकरण की तीखी आलोचना की।नवंबर 2023 में, पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह अब अपने अपने उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करेगी। साथ ही दवा के असर का दावा करने वाले या किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ कोई भी किसी भी रूप में मीडिया को जारी नहीं किया जाएगा। लेकिन कंपनी ने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखा। इनमें उच्च रक्तचाप और मधुमेह सहित कई हेल्थ कंडीशंस के इलाज का झूठा वादा किया गया और साथ ही पश्चिमी चिकित्सा की विफलताओं की आलोचना भी की। इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करने वाले उत्पादों के विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखा था जबकि नवंबर में उसने कोर्ट को अंडरटेकिंग दी थी। इसके बाद पतंजलि को प्रमुख समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी भी प्रकाशित करनी पड़ी। पतंजलि से आगे पतंजलि के विज्ञापनों में यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने शोध के माध्यम से अपने फॉर्मूलेशन की प्रभावकारिता को साबित किया है। ऐसे कई शोध उद्धरणों के साथ समस्या यह है कि इनमें जरूरी शर्तों का अभाव है और यह विभिन्न बीमारियों के 'इलाज' के दावों को साबित करने के लिए नाकाफी हैं। इस खास फार्मा उद्योग में पेटेंट और मालिकाना दवाओं से जुड़ी समस्या है। इन फॉर्मूलेशन का उल्लेख आयुर्वेद की शास्त्रीय पाठ्यपुस्तकों में नहीं किया गया है लेकिन इनमें अलग-अलग मात्रा और संयोजन में बताए गए तत्व शामिल हैं। साथ ही फॉर्मूलेशन का लाइसेंस देने के लिए विभिन्न राज्य प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित सुरक्षा और प्रभावकारिता मानक भी बहुत कड़े नहीं हैं।शास्त्रीय आयुर्वेद की पाठ्यपुस्तकों में सीधे दर्ज किए गए फॉर्मूलेशन में भारी मात्रा में धातु और अन्य संभावित विषाक्त अवयवों की मौजूदगी के कारण इनकी सेफ्टी पर पहले से ही बहस चल रही है। नए फॉर्मूलेशन को बाजार में लाने से पहले विश्वसनीय डेटा की आवश्यकता होती है। हाल में यूपी ने 30 से अधिक आयुर्वेद उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसकी वजह यह थी कि इनमें से कई उत्पादों में स��टेरॉयड, दर्द निवारक और ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट पाए गए थे। पब्लिक हेल्थ के लिए आगे के जोखिम से बचने के लिए आयुर्वेद प्रतिष्ठान को नकली और मिलावटी उत्पादों के मुद्दे पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। आयुर्वेद से आगे यह समस्या सिर्फ आयुष क्षेत्र तक सीमित नहीं है। हाल के वर्षों में फार्मा उद्योग में व्यावसायिक हितों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने वाले कई मामले सामने आए हैं। केवल पतंजलि पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय इस बहस को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कुछ ऐसे हालिया मामलों पर विचार करें जो उद्योग और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संघर्ष को उजागर करते हैं। ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया कि उसके कोविड वैक्सीन से एक दुर्लभ दुष्प्रभाव थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (Thrombosis with thrombocytopenia syndrome) हो सकता है। टीटीएस रक्त के थक्के बना सकता है जो डीप वेन थ्रोम्बोसिस, दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। यह दुष्प्रभाव सभी एडेनोवायरस वेक्टर-आधारित टीकों के लिए जाना जाता है। कई देशों ने इसका पता चलते ही इन टीकों को रोक दिया या एज-रेस्टिक्टेड कर दिया।इसी तरह यूके की एक अथॉरिटी ने हाल ही में फैसला दिया कि फाइजर ने ट्विटर पर अपनी बिना लाइसेंस वाली कोविड वैक्सीन का प्रचार किया लेकिन इसके साइड-इफेक्ट्स के बारे में कुछ भी नहीं बताया। इस कंपनी पर यूके में जुर्माना लगाया गया। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी को गहरा खेद है और वह अथॉरिटी के फैसले में उठाई गई बातों से पूरी तरह वाकिफ है और इसे स्वीकार करती है। तीसरा उदाहरण जिसे हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का ध्यान जाना चाहिए, वह यह है कि यूरोपीय संघ के खाद्य सुरक्षा एजेंसियों ने भारत से निर्यात किए जाने वाले 500 से अधिक खाद्य उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति का खतरा बताया है।… http://dlvr.it/T6J9ZZ
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कोविशील्ड को मान्यता प्राप्त वैक्सीन के रूप में माना जाएगा: ऑस्ट्रेलिया
कोविशील्ड को मान्यता प्राप्त वैक्सीन के रूप में माना जाएगा: ऑस्ट्रेलिया
कोविशील्ड को मान्यता प्राप्त वैक्सीन के रूप में माना जाएगा: ऑस्ट्रेलिया ऑस्ट्रेलिया ने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता दी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित। मीडिया को दिए एक बयान में, प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शुक्रवार को कहा कि कोविशील्ड को ऑस्ट्रेलिया में “मान्यता प्राप्त टीकों” के हिस्से के रूप में माना जाएगा। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि भारत निर्मित वैक्सीन की…
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#WHO#आईसीएमआर#एसआईआई#एस्ट्राजेनेका#ऑस्ट्रेलिया कोरोनावायरस#ऑस्ट्रेलिया ने SII के कोविशील्ड को मंजूरी दी#ऑस्ट्रेलियाई वैक्सीन रणनीति#केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय#कोविशील्ड वैक्सीन#चिकित्सीय सामान प्रशासन#पूनावाला#भारत निर्मित कोविड वैक्सीन#सिनोवैक#सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया#स्कॉट मॉरिसन
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COVID-19 Patients at Higher Risk of Blood Clotting Than Those Vaccinated With 1st Dose of Vaccine, Says Study
COVID-19 Patients at Higher Risk of Blood Clotting Than Those Vaccinated With 1st Dose of Vaccine, Says Study
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, COVISHIELD (एस्ट्राजेनेका) या फाइजर वैक्सीन शॉट्स के साथ टीकाकरण करने वालों की तुलना में COVID-19 रोगियों में रक्त के थक्कों के विकसित होने का अधिक जोखिम होता है। एनडीटीवी द्वारा प्रकाशित ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन बड़े पैमाने पर किया गया था और दिसंबर 2020 और अप्रैल के बीच 29 मिलियन प्रतिभागियों ने…
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एस्ट्राजेनेका दक्षिण पूर्व एशिया, थाईलैंड के लिए अधिक वैक्सीन खुराक के लिए आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करता है
एस्ट्राजेनेका दक्षिण पूर्व एशिया, थाईलैंड के लिए अधिक वैक्सीन खुराक के लिए आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करता है
जुलाई के अंत तक एस्ट्राजेनेका थाईलैंड के लिए 11.3 मिलियन खुराक वितरित कर चुकी होगी: आधिकारिक (फाइल) बैंकॉक, थाईलैंड: ड्रगमेकर एस्ट्राजेनेका ने शनिवार को कहा कि वह दक्षिण पूर्व एशिया के लिए अपने कोविड -19 वैक्सीन की अधिक खुराक खोजने के लिए अपनी आपूर्ति श्रृंखला को खंगाल रही है, जो अभी तक वायरस के सबसे गंभीर प्रकोप का सामना कर रहा है। एंग्लो-स्वीडिश कंपनी का बयान – जो घरेलू और पड़ोसी देशों में…
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Financetime.in यूएसएफडीए ने ग्लेनमार्क के सैक्सैग्लिप्टिन टैबलेट को मंजूरी दी, हेल्थ न्यूज, ईटी हेल्थवर्ल्ड
Mahwah: Glenmark Pharmaceuticals, USA ने घोषणा की कि उसे Saxagliptin Tablets, 2.5mg और 5mg, Onglyza1 Tablets के सामान्य संस्करण, 2.5 mg और 5mg के लिए US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) से दूसरी प्रारंभिक स्वीकृति प्राप्त हुई है। एमजी, एस्ट्राजेनेका एबी से। सैक्सैग्लिप्टिन टैबलेट, 2.5 मिलीग्राम और 5 मिलीग्राम के लिए ग्लेनमार्क का पहला अस्थायी अनुमोदन पत्र 12 जून, 2017 को प्राप्त हुआ था। दिसंबर…
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एस्ट्राजेनेका ने कोविड के बीटा संस्करण के खिलाफ बूस्टर वैक्सीन का परीक्षण किया
एस्ट्राजेनेका ने कोविड के बीटा संस्करण के खिलाफ बूस्टर वैक्सीन का परीक्षण किया
COVID-19: एस्ट्राजेनेका के ‘बूस्टर’ वैक्सीन के परीक्षण में लगभग 2,250 प्रतिभागी शामिल होंगे (फाइल)। लंडन: एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने रविवार को बीटा संस्करण के खिलाफ एक संशोधित टीके का परीक्षण करने के लिए नए परीक्षण शुरू किए, जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में उभरा। ‘बूस्टर’ वैक्सीन के परीक्षण में ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और पोलैंड के लगभग 2,250 प्रतिभागी शामिल होंगे। इनमें…
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ऑस्ट्रेलिया कोवाक्सिन को मान्यता देता है, ताकि आगंतुकों को इसके साथ छेड़छाड़ करने की अनुमति मिल सके; मोदी ने आस्ट्रेलियाई समकक्ष को धन्यवाद दिया - टाइम्स ऑफ इंडिया
ऑस्ट्रेलिया कोवाक्सिन को मान्यता देता है, ताकि आगंतुकों को इसके साथ छेड़छाड़ करने की अनुमति मिल सके; मोदी ने आस्ट्रेलियाई समकक्ष को धन्यवाद दिया – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली/हैदराबाद: ऑस्ट्रेलिया पहचानेगा कोवैक्सिन, कोविशील्ड के अलावा, उनके साथ टीकाकरण करने वालों को महाद्वीप में प्रवेश की अनुमति देना। पीएम मोदी अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष और “प्रिय मित्र” को धन्यवाद दिया स्कॉट मॉरिसन “भारत के कोवैक्सिन की मान्यता” के लिए। “यह भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोविद के बाद की साझेदारी में एक महत्वपूर्ण कदम है,” उन्होंने कहा। जबकि भारत के लिए WHO आपातकालीन उपयोग सूची…
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