#एस हल्दी
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शादी में शामिल होने वाली हर लड़की के लिए मेकअप हैक - टाइम्स ऑफ इंडिया
शादी में शामिल होने वाली हर लड़की के लिए मेकअप हैक – टाइम्स ऑफ इंडिया
अपने मेकअप स्पॉट को पाने के लिए आपको घंटों आईने के सामने बिताने की ज़रूरत नहीं है। हालांकि कभी-कभी ऐसा हो सकता है लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। कल्पना कीजिए, शादी के बाद अपने पहले परिवार के खाने में शामिल हो रहे हैं? आप देर से प्रवेश करने का जोखिम नहीं उठा सकते। ��से सभी प्रकार के मेकअप हैक्स हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं जो सौंदर्य प्रसाधनों को लगाना बहुत आसान बना देंगे और साथ ही आपको मनचाहा लुक…
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जाना था दूल्हे का बारात, पर घर से निकली 13 बच्चियों व महिलाओं की अर्थी
जाना था दूल्हे का बारात, पर घर से निकली 13 बच्चियों व महिलाओं की अर्थी
कुशीनगर (यूपी)। हल्दी की रस्म के दौरान कुएं में गिरकर जान गवाने वाले 13 लोगों के शव पोस्टमार्टम के बाद गुरुवार को गांव पहुंचा। इसके बाद तो परिजनों की चीत्कार से पूरा क्षेत्र दहल उठा। वही एक साथ तेराह अर्थी उठी। मालूम हो कि जिले के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के ग्राम नौरंगिया में बुधवार की देर रात हादसा हुआ था। जिलाधिकारी एस राज लिंगम और एसपी सचिंदर पटेल की मौजूदगी में पुलिस और राजस्व विभाग के…
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Patna: “घायल पक्षी का इलाज और संरक्षण” विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन
Patna: 12 सितंबर, 2021, पर्यावरण एवं पक्षी संरक्षण की दिशा में काम कर रही ‘हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा’ द्वारा आज “घायल पक्षी का इलाज और संरक्षण” विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में अतिथि वक्ता भागलपुर एवं बांका वन प्रमंडल के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजीत कुमार ने कहा कि हम जब भी किसी घायल पशु-पक्षी को देखें तो सबसे पहले हमें उनका घरेलू उपचार करना चाहिए। जैसे, पानी और चीनी का घोल बनाकर पक्षी को देने से तेजी से सुधार संभव होता है। या फिर पॉलिबिन या नेउरोबिओन दवा जो बहुत ही सस्ती है देनी चाहिये। अगर ब्लीडिंग हो रही हो तो ऐसे में हल्दी का लेप या फिटकिरी लगाने से खून निकलना बंद हो जाता है। डॉ कुमार ने कहा कि अगर किसी जंगली पक्षी का इलाज कर रहे हों तो इलाज उपरांत उसे तुरंत छोड़ देना चाहिए नहीं तो उसे ऐसा महसूस होगा कि वह किसी शिकारी के चपेट में आ गया है और हम अनजाने में उसकी जान बचाने के बजाय नुकसान ही कर देंगे। उन्होंने कहा कि इंटरनेट या विशेषज्ञों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करके घायल पशु-पक्षियों को खाना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पशु-पक्षियों के सरंक्षण के तो नियम बहुत बने हुए हैं, लेकिन हम जन-जागरूकता के तरीके से ही बेहतर समाधान कर सकते हैं। परिचर्चा को संबोधित करते हुए अतिथि वक्ता गंगा प्रहरी, संरक्षक, पशु-पक्षी प्रेमी एवं शिक्षक ज्ञानचंद ज्ञानी ने कहा कि वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो पर्यावरण और पर्यावरणीय जीवों के संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमें शुद्ध वातावरण चाहिए तो सबसे पहले वातावरण के सभी निवासियों यानी पशु-पक्षियों एवं जीव-जंतुओं का संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें जीव-जंतुओं के प्रति संवेदना का भाव रखना होगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ हमलोग प्रकृति से दूर होते चले जा रहे हैं। एक समय था जब हम छाँव को देखकर समय बता दिया करते थे। पीपल की पूजा किया करते थे। कौओ की भाषा समझ जाया करते थे। लेकिन यह सब खत्म होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीव-जंतुओं की संख्या घटने से प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इकोसिस्टम के संरक्षण में सभी का योगदान बेहद जरूरी है।श्री ज्ञानी ने कहा कि असली शांति शुद्ध वातावरण और पशु-पक्षियों के बीच ही है, ना कि सुविधायुक्त बंद कमरों में या कंक्रीट के जंगलों में। हमारी गौरैया के संयोजक और गौरैया संरक्षक-लेखक संजय कुमार ने परिचर्चा का संचालन करते हुए कहा कि हम आए दिन सड़क किनारे किसी ना किसी पक्षी या पशु को घायल अवस्था में देखते हैं, लेकिन हमारे हाथ उनकी मदद के ��िए कभी आगे नहीं बढ़ते और ऐसे में उनकी मौत हो जाती। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि प्रकृति के जीव-जंतुओं और मनुष्यों के बीच परस्पर संबंध हैं। हमारा और उनका जुड़ाव प्रकृति का निर्माण करता है। लिहाजा हमें उनकी देखभाल और सुरक्षा ठीक वैसे ही करनी चाहिए, जैसे हम अपनों परिवारजनों का करते हैं। धन्यवाद ज्ञापन देते हुये पर्यावरण योद्धा,पटना के अध्यक्ष निशान्त रंजन ने कहा कि पक्षियों और पर्यावरण के संरक्षण के लिये सबको मिलकर काम करना होगा। परिचर्चा के दौरान देश भर से, पक्षी प्रेमी शुभम कुमार, सोनू कुमार, आकाश दत्त, अनिकेत राज आदि ने घायल पक्षियों के उपचार और संरक्षण पर सवाल पूछे गये सवाल का जवाब वक्ताओं ने दिया। मौके पर पवन कुमार सिन्हा, तरुण कुमार रंजन, रंजीत कुमार सिंह, राजेंद्र प्रसाद ,जिज्ञासा सिंह, नीतीश चंद्रा ब्रांड एनसी, अमित कुमार पांडे, एस रिजवी पंकज कुमार, अरविंद कुमार, हरिलाल प्रसाद, आशीष नेहरा, राजेश राज, पल्लवी श्रीवास्तव, रवी प्रकाश, विमलेंदु सिंह सहित कई गणमान्य लोग जुड़े रहे। जिला ब्यूरों की रिपोर्ट Read the full article
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नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी) जन्म - 9 मई, 1540 ई. जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई. पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी माता - राणी जीवत कँवर जी राज्य - मेवाड़ शासन काल - 1568–1597ई. शासन अवधि - 29 वर्ष वंश - सुर्यवंश राजवंश - सिसोदिया राजघराना - राजपूताना धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध राजधानी - उदयपुर पूर्वाधिकारी - म���ाराणा उदयसिंह उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह अन्य जानकारी - महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम 'चेतक' था। राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि राणा प्रताप का जन्म हुआ। महाराणा का नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:- 1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे। 2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं | 3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था| कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था। 4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं | 5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी| लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया | 6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए | 7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है | 8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज (at Ramgarh Kaimur Bihar) https://www.instagram.com/p/COo6a2trpr3/?igshid=obkyakt362em
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महाराणा प्रताप सिंह के बारे मे रोचक जानकारी
____________________________
नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान
पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य - मेवाड़
शासन काल - 1568–1597ई.
शासन अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह
अन्य जानकारी -
महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,
जिसका नाम 'चेतक'🐎 था।
राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,
मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।
वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि
राणा प्रताप का जन्म हुआ।
महाराणा का नाम
इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।
महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर
के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती
है।
महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-
1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत🏇 दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन💂🏻 भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने
अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर
आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि
हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल🌪 लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान👑 के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़
प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब 📘में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले🏑 का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, 👤भाला,🏑 ढाल,🏵 और हाथ में तलवार🗡 का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।
4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान
उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और
अकबर की ओर से 85,000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |
7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक 🐎���ा मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |
8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| 🗡🗡🗡🗡
इसी
समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार⛩ कहा जाता है|
मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |
9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |
10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60,000 मुगलो से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे
जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे|
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |
13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक🐎 महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी
की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|
15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया
हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और
महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |
16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
महाराणा प्रताप के हाथी🐘
की कहानी:
मित्रो आप सब ने महाराणा
प्रताप के घोड़े चेतक के बारे
में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी
भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।
रामप्रसाद हाथी का उल्लेख
अल- बदायुनी, जो मुगलों
की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।
वो लिखता है की जब महाराणा
प्रताप पर अकबर ने चढाई की
थी तब उसने दो चीजो को
ही बंदी बनाने की मांग की
थी एक तो खुद महाराणा
और दूसरा उनका हाथी
रामप्रसाद।
आगे अल बदायुनी लिखता है
की वो हाथी इतना समझदार
व ताकतवर था की उसने
हल्दीघाटी के युद्ध में अके���े ही
अकबर के 13 हाथ���यों को मार
गिराया था
वो आगे लिखता है कि
उस हाथी को पकड़ने के लिए
हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर
14 महावतो को बिठाया तब
कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।
अब सुनिए एक भारतीय
जानवर की स्वामी भक्ति।
उस हाथी को अकबर के समक्ष
पेश किया गया जहा अकबर ने
उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने
और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने
18 दिन तक मुगलों का न
तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद
हो गया।
तब अकबर ने कहा था कि
🔹जिसके हाथी को मैं अपने सामने
नहीं झुका पाया उस महाराणा
प्रताप को क्या झुका पाउँगा।🔹
ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ
जानवर थे।
इसलिए हमेशा अपने भारतीय होने पे गर्व करो l
DAY 4078
Jalsa, Mumbai May 8/9, 2019 Wed/Thu 3:06 AM
This be the greater DAY than the one that had to be brought on record so the record doesn’t get destroyed .. its important to maintain its regularity, it continuity and it’s delivery each DAY ..
birthday greetings asked for from them that does not have the connect of the Ef .. they are humble and in great insistence and there is reason then to oblige and send .. so I do .. but do not make a habit of it .. it shall not be brought into practice for all .. 🙏🏻
buzz .. the buzz .. the consistency of the buzz ..
.. and as you contend with it , the many desires and need to be in operation for a content, emerge from the horizon .. it is a strange phenomena .. for those special moments , those heightened moments, the credible execution of the creativity would have surpassed all .. but it does not happen that way .. in time it fades away and one is left struggling with merely the thought - its execution gone with the next tweet or FB or just the read of a fresh piece of document, or call or meeting .. there is in this strange world far too much happening in far too diverse regions and angles that it is well neigh impossible to trace address absorb them .. and when it does look like that the matter could be absorbed, the creative has flown out of the window ..
Inspiring visuals .. letters of value, words from readers books and digests .. stories form them that narrate them .. pictorial instances, and guides .. all .. all seem wished for immediacy .. BUT .. it never does happen .. well at least for commoners like me .. the trick though which I seem to realise now is that the moment the thought or work comes by the mind address it immediately and leave aside the matter on hand .. The speed of execution being so strong and rapid that there is will to take on more and put oneself in such situation again again and again …
Some day it shall all fall into place .. someday ..
Planning at matters that may take a vision of the next 10 years is looked and thought upon with a vast amount of life expectancy .. and that time barrier rears its ugly head .. but dealing with such is an ultimate aim .. succumbing to it would obviously change thought and temperament .. no .. that we cannot have .. stay with it .. let it rest and reassemble .. tackle it then .. grab the legs first .. legs propel .. stop the propulsion first .. the rest falls accordingly ..
Problem is and the real issue is .. to find the legs first , then to grab them and finally to prevent it from moving out .. happens often in sport .. the legs .. they attack the legs first .. once that drops or stops the acceleration forward, all else drops like a heap on the ground .. be it American football, of Kabaddi .. its all in the legs ..
Not these yellow coated ones … but ..
.. so good night .. and sleep well, while I struggle with the slumber badumbaa !
Naaah .. its not really the Badumbaaaaaa we often talk of and specify .. its that adjustment for the sleep .. a sleep hopefully that shall bring back the required repair, the required rest for propriety and knowledge .. and the freshness of thought word and deed !!
It’s really quite a smart move .. so see ya soon ..
Amitabh Bachchan
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रूखे और बेजान बाल की खूबसूरती का राज़ छिपा है घर में जानिए कैसे
रूखे और बेजान बाल की खूबसूरती का राज़ छिपा है घर में जानिए कैसे
एस. खान। यदि आप के सर में खुश्की है और आपके बाल रूखे और बेजान बाल हैं। तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। कुछ खट्टी दही में जो आपके बालों के लिए काफी हो थोड़ी सी फिटकरी और आधा चम्मच हल्दी मिला ले 5 मिनट के बाद उसे बालों की जड़ों पर अच्छी तरह लगाएं। आधे घंटे बाद शैंपू कर लें आपके सर की गंदगी और रूसी सब खत्म हो जाएगी। आपके बाल मुलायम और चमकदार हो जाएंगे। 2. आप अपने सर में तेल का खूब अच्छी तरह…
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फसल डाक्टर: क्या है धान में हल्दी गांठ या पीली डोडी (फाल्स स्मट) रोग और कैसे करें इससे फसल का बचाव; विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख
फसल डाक्टर: क्या है धान में हल्दी गांठ या पीली डोडी (फाल्स स्मट) रोग और कैसे करें इससे फसल का बचाव; विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख
लेखक: आदित्य, डॉ. आर एस जरियाल, डॉ. कुमुद जरियाल एवं डॉ. जे. एन. भाटिया
खरीफ मौसम के दौरान धान मुख्य फसल में से एक है। खेत में बिजाई से लेकर रोपाई और कटाई के दौरान यह कई बीमारियों से प्रभावित होती रहती हैं। चालू खरीफ सीजन में धान की फसल अब बालियां निकलने की अवस्था में पहुंच रही है। धान की फसल में इस समय सबसे महत्वपूर्ण बीमारी है “फाल्स स्मट/कंडुआ रोग/हल्दी गांठ या पीली डोडी रोग”। इस रोग में…
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अमूल ने हल्दी दूध के बाद 'हल्दी आइसक्रीम' को किया लॉन्च, रोगों से लड़ने में करेगी मददDainik Bhaskar
अमूल ने हल्दी दूध के बाद ‘हल्दी आइसक्रीम’ को किया लॉन्च, रोगों से लड़ने में करेगी मददDainik Bhaskar
कोरोनावायरस महामारी के दौरान इम्युनिटी पावर बढ़ाने के मकसद से अमूल ने हल्दी वाली आइसक्रीम लॉन्च की है। इसमें हल्दी और दूध के अलावा आपको शहद, काली मिर्च, खजूर, काजू और बादाम का भी स्वाद मिलेगा। अमूल ने ट्वीटर पर लिखा है कि ये एंज्वाय करने की चीज तो है ही साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसके 125 एमएल के पैक की कीमत 40 रुपए है।
अमूल के एमडी आर एस सोढ़ी ने कहा कि कोरोनावायरस के कारण लोग रोग-…
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कोटा। लिवर हमारे शरीर के सबसे अहम अंगों में से एक है। हमारे जीवन से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण फंक्शन्स डाइजेशन, मेटाबॉलिजम और इम्यूनिटी यानी रोगों से रक्षा करने में मदद करता है लिवर। इसके अलावा हम जो भी खाते हैं, उसमें मौजूद पोषक तत्वों को अलग करके हमारा शरीर लिवर में ही स्टोर करता है, ताकि जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल कर सके।
ऐसे में लिवर को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुधींद्र श्रृंगी कहते हैं हाल में हुई रिसर्च में कुछ ऐसे फूड आइटम्स के बारे में बताया गया है जिन्हें खाने से लिवर की अच्छी तरह सफाई हो जाती है और लिवर हमेशा हेल्दी बना रहता है।
हल्दी :हल्दी को सैकड़ों बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है, मगर ये सभी फायदे एक ही तत्व के कारण होते हैं, जिसका नाम है कर्क्युमिन। हल्दी में मौजूद कर्क्युमिन तत्व शरीर में एक खास तत्व ग्लूटाथिओइन एस-ट्रांसफरेस के प्रॉडक्शन को बढ़ा देता है, जो लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसके अलावा हल्दी डैमेज सेल्स को रिपेयर करने में भी मदद करती है।
हरी सब्जियां और चुकंदर: हरी सब्जियां, खासकर पत्ते वाली सब्जियां खाने से शरीर को काफी फायदा होता है। इन हरे पत्तों में मिनरल्स और विटमिंस तो होते ही हैं, साथ ही ढेर सारे ऐंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं, जो गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। कोई सब्जी जितनी गहरी हरी होगी, उसमें उतने ही ज्यादा ऐंटीऑक्सिडेंट्स होंगे। पालक, मेथी, धनिया, साग आदि के सेवन से लिवर की गंदगी अच्छी तरह साफ होती है।
ग्रीन टी : ग्रीन टी में भी लिवर फंक्शन को बेहतर बनाने वाले ऐंटीऑक्सिडेंट्स और मिनरल्स पाए गए हैं। दूध वाली चाय, कॉफी या ब्लैक टी से बेहतर है कि आप रोजाना ग्रीन टी पिएं। मगर ध्यान रखें एक दिन में 2-3 कप से ज्यादा ग्रीन टी भी नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही पिएं।
सेब : सेब को सभी फलों में सबसे हेल्दी माना जाता है। इसका कारण यह कि सेब में आपके शरीर के लिए जरूरी लगभग सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। सेब में मौजूद मैलिक एसिड लिवर की अच्छी तरह सफाई करता है और खून की गंदगी को साफ करता है।
अखरोट: वैसे तो सभी नट्स हेल्दी होते हैं, मगर अखरोट को लिवर और हार्ट के लिए सबसे हेल्दी माना जाता है। अखरोट में अर्जीनिन नाम का खास अमिनो ऐसिड होता है, जो लिवर की सफाई करता है।
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source https://lendennews.com/archives/64958 https://ift.tt/2Ffwx05
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बेरोजगारी दूर करने के लिए
अगर आप लंबे अरसे से बेरोजगार हैं और नौकरी पाने के इच्छुकक हैं तो आप सवा किलो गुड़ जमीन में दबाने से लाभ होता है। यह प्रयोग केवल मंगलवार को ही करें। हालांकि यह उपाय किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें क्योंकि कुंडली में मंगल और सूर्य की स्थिति देखी जाती है।
जल्द विवाह के लिए
योग्य युवा को शीघ्र विवाह के लिए गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए। साथ ही थोड़ा सा गुड़ व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है।
आरामदायक नींद के लिए
आपको जानकर हैरानी होगी की गुड़ की मदद से आप एक निश��चिंत नींद सो सकते हैं। यदि किसी जातक को समय पर नींद नहीं आती है, तो वह अपने कमरे में दो किलो सफेद गुड़ लाल कपड़े में बांधकर रखें। बस कुछ ही दिनों में उस व्यक्ति को आराम मिलने लगेगा।
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चुपचाप जमीन में गाढ़ दें सवा किलो गुड़, फिर बदल जाएगी आपकी किस्मत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का कोई ग्रह अशुभ होतो व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां आती है। अशुभ ग्रहों के प्रभावों को दूर करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं जिनके कारण किसी भी व्यक्ति की समस्या का समाधान आसानी से किया जा सकता है। ज्योतिष में लाल किताब द्वारा बताए गए कुछ टोटके और उपाय इसने असरदार होते हैं जिन्हें सही तर��के से किए जाएं तो जीवन में आ रही मुसीबतों पर विराम लगाया जा सकता है। इस उपायों को करने से आपको बहुत कम समय में सकारात्मक परिणाम दिखने लगते हैं। ऐसा ही लाल किताब के अनुसार गुड़ कई समस्याओं का समाधान कर सकता है। जी हां आपने अभी तक गुड़ का उपयोग सिर्फ खाने में या पूजा में किया होगा। गुड को पुराने जमाने में मिठाई के तौर पर काम में लिया जाता था। लेकिन गुड से कई ज्योतिषीय उपाय भी किए जाते हैं, जो हमारे जीवन को संवार कर उसमें खुशियां भर देते हैं और जीवन में सफलता दिलाकर सभी मनोकामना की पूर्ती करते हैं। आइए जानते हैं गुड़ के ऐसे ही कुछ असरदार और सरल टोटके….
मनोकामना पूरी करने के लिए
हर व्यक्ति चाहता है की जो ङी उसकी मनोकामना है वे जल्द से जल्द पूरी हो जाए, तो इसके लिए आपको एस बहुत ही आसरदार टोटका बताने जा रहे हैं। आप 7 गुड़ की डलियों के साथ, एक रुपए का सिक्का और हल्दी की 7 साबुत गाठें रविवार के दिन पीले कपड़े में बांधकर रेलवे लाईन के पार फेंक दें। फेंकते समय अपनी कामना बोलें। ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।
संपति प्राप्ति के लिए
यदि लाख प्रयत्न करने के बाद भी आपका कोई मकान नहीं बन पा रहा है या बनने के बाद बिकने की नौबत आ जाती हो तो यह तीन टोटके आजमाएं। प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं, दूसरा किसी रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं। तीसरा शनिवार के दिन शनि मंदिर में छाया दान करें। ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी।
कर्ज मुक्ति के लिए
कर्ज से जल्द ही मुक्ति पाना चाहते हैं, तो अपने भोजन में गुड़ का प्रयोग करें। थोड़ा-थोड़ा गुड़ खाते रहने से धन की आवक बढ़ती है। इसके अलावा आप लड्डू अथवा गुड़-चना के साथ हनुमानजी के मंदिर में जाकर उनके चरणों में अर्पित करके ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपको तत्काल ही लाभ प्राप्त होगा।
बेरोजगारी दूर करने के लिए
अगर आप लंबे अरसे से बेरोजगार हैं और नौकरी पाने के इच्छुकक हैं तो आप सवा किलो गुड़ जमीन में दबाने से लाभ होता है। यह प्रयोग केवल मंगलवार को ही करें। हालांकि यह उपाय किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें क्योंकि कुंडली में मंगल और सूर्य की स्थिति देखी जाती है।
जल्द विवाह के लिए
योग्य युवा को शीघ्र विवाह के लिए गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए। साथ ही थोड़ा सा गुड़ व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है।
आरामदायक नींद के लिए
आपको जानकर हैरानी होगी की गुड़ की मदद से आप एक निश्चिंत नींद सो सकते हैं। यदि किसी जातक को समय पर नींद नहीं आती है, तो वह अपने कमरे में दो किलो सफेद गुड़ लाल कपड़े में बांधकर रखें। बस कुछ ही दिनों में उस व्यक्ति को आराम मिलने लगेगा।
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(विटामिन डी क्यों जरूरी)
हड्डियों और मसल्स में दर्द इन दिनों सबसे कॉमन प्रॉब्लम बन गया है। कम उम्र के लड़के-लड़कियां भी इस दर्द का शिकार बन रहे हैं। अक्सर दर्द की वजह विटामिन डी की कमी होती है। अपने देश में शहरों में रहनेवाले करीब 80-90 फीसदी लोग विटामिन डी की कमी से होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं। विटामिन डी की कमी से कैसे पाएं छुटकारा, एक्सपर्ट्स से बातचीत...
एक्सपर्ट्स पैनल
डॉ. पी. के. दवे, चेयरमैन ऑर्थोपीडिक डिपार्टमेंट, रॉकलैंड हॉस्पिटल
डॉ. सी. एस. यादव, प्रफेसर, ऑर्थोपीडिक डिपार्टमेंट, एम्स
डॉ. अमित नाथ मिश्रा, सीनियर ऑर्थोपीडिक कंसल्टंट, मैक्स हॉस्पिटल
डॉ. शिशिर भटनागर, सीनियर पीडियाट्रिशन
डॉ. प्रताप चौहान, डायरेक्टर, जीवा आयुर्वेद
नीलांजना सिंह, न्यूट्री डाइट एक्सपर्ट
ममता मान (47 साल) अक्सर शरीर में तेज दर्द की शिकायत करती थीं। उन्हें यूरिक एसिड से लेकर गठिया तक की दवा दी गई लेकिन दर्द कम नहीं हुआ। तब डॉक्टर ने उनसे विटामिन डी की जांच कराने को कहा। टेस्ट में विटामिन डी लेवल निकला 3, जोकि नॉर्मल (20 से 50 ng/mL) ��े बहुत-बहुत कम था। डॉक्टर ने विटामिन डी की डोज दी। 3 महीने में ही ममता की दर्द की शिकायत खत्म हो गई। सूर्यम तिवारी की उम्र 35 साल है। हाल के दिनों में वह अक्सर थके रहने और कभी-कभार शरीर में दर्द की शिकायत करते हैं। हालांकि उन्हें कभी कोई चोट आदि नहीं लगी। कई तरह के टेस्ट कराए, पर मर्ज समझ नहीं आया। फिर विटामिन डी का टेस्ट कराया तो पता लगा कि उनके शरीर में विटामिन डी लेवल काफी कम है। डॉक्टर की सलाह से उन्होंने विटामिन डी की डोज ली।
दरअसल, विटामिन डी हॉर्मोन की कमी और उससे होने वाली समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर शहरों में। वजह, अब लोग धूप में ज्यादा नहीं निकलते। इससे शरीर में विटामिन डी की कमी और उससे जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। दिक्कत यह है कि ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं होती। अगर विटामिन डी की डोज नियमित रूप से ली जाए तो आसानी से दर्द से राहत मिल सकती है।
विटामिन डी क्यों जरूरी
हड्डियों, मसल्स और लिगामेंट्स की मजबूती के लिए
शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए
नर्व्स और मसल्स के कॉर्डिनेशन को कंट्रोल करने के लिए
सूजन और इन्फेक्शन से बचाने के लिए
किडनी, लंग्स, लिवर और हार्ट की बीमारियों की आशंका कम करने के लिए
- कैंसर की रोकने में मदद के लिए
कमी से होने वालीं दिक्कतें
हड्डियों का कमजोर और खोखला होना
जोड़ों और मसल्स का कमजोर होना
कमर और शरीर के निचले हिस्सों में दर्द होना खासकर पिंडलियों में
हड्डियों से कट की आवाज आना
इम्युनिटी कम होना
बाल झड़ना
बहुत थकान और सुस्ती रहना
बेचैन और तुनकमिजाज रहना
इनफर्टिलिटी का बढ़ना
पीरियड्स का अनियमित होना
ऑस्टियोपोरो��िस (हड्डियों का खोखला होना) और ऑस्टियोमलेशिया (हड्डियों का कमजोर होना) जैसी बीमारियां
बार-बार फ्रेक्चर होना
कितना विटामिन डी चाहिए
किसी भी सेहतमंद शख्स में विटामिन डी का लेवल 50 ng/mL या इससे ज्यादा होना चाहिए। हालांकि 20 से 50 ng/mL के बीच नॉर्मल रेंज है लेकिन डॉक्टर 50 को ही बेहतर मानते हैं। अगर लेवल 25 से कम है तो डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लिमेंट जरूर लेना चाहिए।
टेस्ट और इलाज
अगर हड्डियों या मसल्स में दर्द रहता है तो 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी ब्लड टेस्ट कराएं। इसे विटामिन डी डिफिसिएंशी टेस्ट भी कहते हैं। अगर शरीर में दर्द नहीं है तो भी यह टेस्ट करा सकते हैं। अगर लेवल काफी कम निकलता है तो छह महीने या साल भर बाद दोबारा करा सकते हैं।
कीमत: करीब 1200-1300 रुपये
इलाज: विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए बच्चों को एक बार में 6 लाख IU (इंटरनैशनल यूनिट) दी जाती हैं। यह कई बार इंजेक्शन के जरिए भी दिया जाता है। फिर नॉर्मल रेंज आने तक एक महीने हर हफ्ते 60,000 यूनिट और फिर हर महीने 60,000 यूनिट दी जाती है, जोकि ओरली दी जाती है। बड़ों में पहले तीन महीने हर हफ्ते 60,000 यूनिट और फिर हर महीने एक बार 60,000 यूनिट का सैशे दिया जाता है। अगर धूप में नहीं निकलते हैं तो 25-30 साल की उम्र के बाद हर महीने एक सैशे लेना चाहिए।
नोट: वैसे, ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि यह टेस्ट कराए बिना और डॉक्टर की सलाह के बिना भी हर किसी को विटामिन डी की डोज लेनी चाहिए क्योंकि इसकी पूर्ति खाने से नहीं हो पाती और ज्यादातर लोगों में इसकी कमी होती है। महीने में एक बार सैशे लेने का नुकसान नहीं है। एक सैशे से महीने भर के विटामिन डी का कोटा पूरा हो जाता है। इसकी कीमत भी 25-30 रुपये तक ही होती है यानी महंगा भी नहीं है। जहां तक बच्चों की बात है तो 50 किलो से ज्यादा वजन के बच्चे को अडल्ट के मुताबिक ही डोज दी जा सकती है लेकिन छोटे बच्चों को डॉक्टर की सलाह से डोज दें। इंटरनैशनल गाइडलाइंस के मुताबिक बच्चे को जन्म से लेकर 12 महीने का होने तक रोजाना 4000 यूनिट दी जानी चाहिए। इसके लिए मां को विटामिन डी लेने की सलाह दी जाती है ताकि दूध के जरिए यह बच्चे तक में पहुंच सके। अगर मां बच्चे को दूध नहीं पिलाती है तो डॉक्टर बच्चे के लिए सिरप लिखते हैं। उम्र बढ़ने पर बच्चे में विटामिन डी की जरूरत बढ़ जाती है। वैसे एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चों को रोजाना एक घंटे धूप में खेलने के प्रेरित करना चाहिए। इस दौरान बच्चे का शरीर कुछ खुला हो ताकि उसे पर्याप्त विटामिन डी मिल सके। अगर फिर भी बच्चा धूप में ज्यादा नहीं खेलता तो उसे विटामिन डी दे सकते हैं लेकिन पहले डॉक्टर से पूछ लें या फिर टेस्ट करा कर लेवल चेक कर लें।
कब लें खुराक
विटामिन डी की खुराक यूं तो खाली या भरे पेट कभी भी ले सकते हैं लेकिन फिर भी इसे ��ाने के बाद लेना बेहतर है।
ज्यादा हो तो खतरनाक
वैसे, विटामिन डी अगर बहुत ज्यादा हो तो ��हुत खतरनाक हो सकता है। ज्यादा तब माना जाता है, जब शरीर में लेवल 800-900 नैनोग्राम/मिली तक पहुंच जाए। ऐसा होने पर किडनी फंक्शन से लेकर मेटाबॉलिजम तक पर असर पड़ता है। हालांकि विटामिन डी बहुत ही कम मामलों में इस लेवल तक जा पाता है। कई बार लोगों को लगता है कि विटामिन डी ज्यादा लेने से नुकसान हो सकता है। मुंह से लिए जानेवाले विटामिन डी का कोई नुकसान नहीं है। यह एक्स्ट्रा विटामिन डी शरीर से पॉटी या यूरीन के रास्ते निकल जाता है। लेकिन इंजेक्शन से लिया जानेवाला सारा विटामिन डी शरीर में ही रह जाता है इसीलिए विटामिन डी के सैशे, टैब्लेट या कैप्लूस ही लेने की सलाह दी जाती है।
...ताकि न हो कमी
1. कैसे मिलेगा कुदरती तरीके से विटामिन डी
विटामिन डी का सबसे बढ़िया सोर्स सूरज की रोशनी है। विटामिन डी पाने के लिए आप धूप में बैठें। खासियत यह है कि एक बार शरीर में जाने के बाद विटामिन डी लिवर में स्टोर हो जाता है और फिर धीरे-धीरे लिवर जरूरत के मुताबिक इसे ब्लड में रिलीज करता रहता है। ऐसे में रोजाना धूप में बैठना या निकलना भी जरूरी नहीं है। अगर आप हफ्ते में 1-2 दिन या महीने में कुल 4-5 दिन और साल भर में औसतन 45-50 दिन आप 45 मिनट के लिए धूप में निकलते हैं या बैठते हैं तो काफी हद तक विटामिन डी की खुराक पूरी हो जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि इस दौरान शरीर का कम-से-कम 80-85 फीसदी हिस्सा खुला हो। वैसे, जब सूरज की किरणें बहुत तेज हों, तब विटामिन डी भी ज्यादा मिलता है लेकिन उस वक्त अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से शरीर को होनेवाले संभावित नुकसान को ध्यान में रखते हुए सुबह या शाम की धूप में बैठना ही बेहतर है। यूं भी दिन की धूप में बैठना प्रैक्टिकली मुमकिन नहीं है। ऐसे में गर्मियों में सुबह 8-10 बजे और शाम को 4-6 बजे और सर्दियों में सुबह 9-12 बजे और शाम को 3-5 बजे के बीच का समय चुनें। अगर शरीर को खुला वैसे बेहतर यह है कि आप खुद को किसी नियम में बांधने की बजाय सोच लें कि जब भी मुमकिन होगा, धूप में निकलेंगे या बैठेंगे तो शरीर को विटामिन डी मिलता रहेगा।
नोट: कई बार जन्म से ही विटामिन डी की कमी होती है। इस बीमारी को रिकेट्स कहते हैं और इ��� बच्चों के पैर टेढ़े हो जाते हैं। हालांकि यह बीमारी अब काफी कम होती है। इसके अलावा अगर किडनी विटामिन डी को ऐक्टिव फॉर्म में नहीं बदलती तो भी विटामिन डी की कमी हो सकती है। लेकिन ऐसे मामले भी चुनींदा ही होते हैं।
2. डाइट
विटामिन डी फैट में घुलनेवाला विटामिन है। यह शरीर में अच्छी तरह जज्ब हो, इसके लिए हमें हेल्दी फैट जैसे कि ड्राई-फ्रूट्स, कम फैट वाले डेयरी प्रॉडक्ट्स, चीज़ आदि जरूर लेने चाहिए।
मछली, मशरूम, अंडे और मीट में विटामिन डी पाया जाता है, लेकिन यह इतना नहीं होता कि आपके शरीर की जरूरत पूरी कर सके।
दूध और दूध से बनी चीजें जैसे कि ��नीर, दही, योगर्ट आदि में कैल्शियम काफी होता है। रोजाना कम-से-कम एक गिलास दूध (लगभग 230 ml कैल्शियम), एक कटोरी दही (करीब 250 mg) और हफ्ते में 250 ग्राम पनीर (करीब 200 mg कैल्शियम) जरूर खाना चाहिए।
हरी सब्जियों जैसे कि मशरूम, पालक, बीन्स, ब्रोकली, चुकंदर, कमल ककड़ी आदि और केला, संतरा, शहतूत, सिंघाड़ा आदि फलों में भी कैल्शियम पाया जाता है।
ड्राई-फ्रूट्स (बादाम, किशमिश, खजूर, अंजीर, अखरोट आदि), तिल और अंडे भी खाना चाहिए क्योंकि इनमें काफी कैल्शियम होता है। राजमा, मूंगफली, तिल, टूना मछली खाना भी फायदेमंद हैं।
3. एक्सरसाइज है जरूरी
रोजाना कम-से-कम 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। एक्सरसाइज शरीर को फिट रखने और उसके सही तरीके से काम करने के लिए बेहद जरूरी है। यहां तक एक्सरसाइज ब्लड में मौजूद विटामिन डी और कैल्शियम को जज्ब करने में भी मदद करती है। डॉ. सी. एस. यादव कहते हैं कि अगर आप रोजाना 1 घंटा एक्सरसाइज करते हैं तो बाकी 23 घंटे फिट और खुशहाल रह सकते हैं। अगर यह एक घंटा अपने लिए नहीं निकाल सकते तो फिर 24 घंटे हेल्थ को लेकर परेशान रहेंगे। एक्सरसाइज में कार्डियोवसकुलर, स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग को मिलाकर करें। कार्ड्रियो के लिए साइकलिंग, अरोबिक्स, स्वीमिंग या डांस, स्ट्रेंथनिंग के लिए वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेचिंग के लिए योग करें। अगर वॉक करना चाहते हैं तो कम-से-कम 45 मिनट ब्रिस्क वॉक यानी तेज-तेज चलें।
सनस्क्रीन को लेकर कन्फ्यूजन
आजकल लोग घर से बाहर निकलते हुए सनस्क्रीन लगाते हैं। सनस्क्रीन सूरज की किरणों को ब्लॉक करता है। इससे शरीर को धूप नहीं मिल पाती। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि सनस्क्रीन न लगाएं जबकि कुछ कहते हैं कि सनस्क्रीन न लगाने से स्किन को नुकसान की आशंका भी बनी रहती है। ऐसे में बेहतर है कि सनस्क्रीन लगाना जारी रखें लेकिन विटामिन डी पाने के लिए अलग से धूप में बैठने का समय तय कर लें।
आयर्वेद में इलाज
आयुर्वेद में दवा, मालिश और लेप को मिलाकर विटामिन डी की कमी से होनेवाले दर्द का इलाज किया जाता है। आमतौर पर इलाज का नतीजा सामने आने में 3 महीने लग जाते हैं।
पूरे शरीर पर तेल की धारा डालते हैं। इसके लिए क्षीरबला तेल, धनवंतरम तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे 40 मिनट रोजाना और 5 दिन लगातार करते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
महिलाएं शतावरी सुबह और शाम एक-एक टैब्लेट लें। वैसे तो किसी भी उम्र में ले सकते हैं लेकिन मिनोपॉज के बाद जरूर लें।
रोजाना एक चम्मच मेथी दाना भिगोकर खाएं। मेथी दर्दनिवारक है और हड्डियों के लिए अच्छी है।
गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पिएं।
रोजाना एक चम्मच बादाम का तेल (बादाम रोगन) दूध में डालकर पिएं।
विटामिन डी के सप्लिमेंट ले सकते हैं।
कैल्शियम के साथ क्या कनेक्शन
कैल्शियम हड्डियों का एक मुख्य तत्व है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा, यह न्यूरो सिस्टम को दुरुस्त रखता है। शरीर के कई अंगों के काम करने में मदद करता है। खास बात यह है कि कैल्शियम तभी शरीर में जज्ब हो पाता है, जबकि विटामिन डी का लेवल ठीक हो यानी अगर विटामिन डी कम है तो कैल्शियम शरीर में नहीं जा पाता और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में कैल्शियम अगर पूरा ले भी रहे हैं तो भी उसका फायदा नहीं मिलता। शरीर को कैल्शियम अगर पूरा नहीं मिलता तो वह हड्डियों में मौजूद कैल्शियम को इस्तेमाल करना शुरू करता है क्योंकि कैल्शियम ब्लड के जरिए शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर काम करता है। अगर हड्डियों से कैल्शियम निकलना शुरू हो जाता है तो फिर उनमें दर्द होने लगता है। इस तरह यह कमी और दर्द का पूरा एक पूरा चक्र बन जाता है, जिससे निकलने के लिए विटामिन डी लेवल सही रखना जरूरी है।
कितना होना चाहिए कैल्शियम
शरीर में कैल्शियम का लेवल 8.8 से 10.6 mg/dl होना चाहिए। इसके लिए रोजाना 1000 mg यानी 1 ग्राम कैल्शियम लेने की जरूरत होती है। कैल्शियम से भरपूर डाइट (दूध और दूध से बनी चीजें, हरी पत्तेदार सब्जियां और ड्राई-फ्रूट्स) लेने से यह जरूरत काफी हद तक पूरी हो जाती है। प्रेग्नेंट महिलाओं, दूध पिलाने वाली मांओं और बढ़ते बच्चों को भी ज्यादा मात्रा में कैल्शियम की जरूरत होती है। प्रेग्नेंट और दूध पिलाने वाली मांओं को दोगुनी यानी करीब 2 ग्राम कैल्शियम रोजाना की जरूरत होती है। इसी तरह 1-4 साल के बच्चों को रोजाना 700 mg, 4-8 साल के बच्चों को 1000 mg और 9-18 साल के बच्चों को 1300 mg कैल्शियम चाहिए होता है। उम्र बढ़ने के साथ खासकर महिलाओं में कैल्शियम सप्लिमेंट या टैब्लेट लेने की जरूरत पड़ने लगती है।
कैल्शियम के लिए कौन-सा टेस्ट
कैल्शियम की जांच के लिए 2 टेस्ट होते हैं:
ब्लड कैल्शियम: यह ब्लड में मौजूद कैल्शियम की जानकारी देता है। हालांकि यह बहुत फायदेमंद नहीं है क्योंकि हमें हड्डियों में मौजूद कैल्शियम की जानकारी चाहिए होती है, न कि ब्लड में मौजूद कैल्शियम की।
कीमत: 300-400 रुपये
डेक्सास्कैन: इसे बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट भी कहते हैं। इससे हड्डियों में मौजूद कैल्शियम के लेवल की जानकारी मिलती है। हड्डियों के दर्द या किसी और दिक्कत को जानने के लिए यही टेस्ट कराना बेहतर है।
कीमत: 1200 से 1500 रुपये
नोट: अक्सर गली-मोहल्ले में फ्री में बोन डेंसिटी टेस्ट के कैंप लगते हैं। इनमें एड़ी के जरिए हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा की जांच की जाती है। लेकिन यह तरीका सही नहीं है। इस टेस्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
कौन-सी दवा लें
हमें रोजाना 1 ग्राम (1000 mg) कैल्शियम की जरूरत पड़ती है। 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं और 70 साल के ज्यादा उम्र के पुरुषों को रोजानना 1200 mg कैल्शियम लेना चाहिए। खाने से यह जरूरत पूरी नहीं हो रही हो तो डॉक्टर की सलाह से हर दिन 500 mg की 1 टैब्लेट ले सकते हैं। 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को और 40 साल के बाद पुरुषों को कैल्शियम टैब्लेट लेनी चाहिए। कैल्शियम लेने पर कई बार गैस, अपच, कब्ज आदि की शिकायत हो सकती है। ऐसे में खाने के बाद लेना और खूब सारा पानी पीना चाहिए।
चंद अहम सवाल
क्या सबको कैल्शियम टैब्लेट लेनी चाहिए?
अगर आप डाइट के जरिए कैल्शियम बहुत अच्छी मात्रा में ले रहे हैं तो अलग से कै���्शियम टैब्लेट लेना जरूरी नहीं है। हां, उम्र बढ़ने के साथ कैल्शियम टैब्लेट लेने की सलाह दी जाती है।
कैल्शियम ज्यादा हो तो क्या शरीर में पथरी बन जाती हैं?
पथरी बनने के पीछे दूसरी वजह होती हैं। कैल्शियम का इसमें सीधे तौर पर कोई रोल नहीं होता।
किडनी और दिल के मरीजों को कैल्शियम ज्यादा नहीं लेना चाहिए?
वैसे तो कैल्शियम का सीधे तौर पर इन दोनों बीमारियों से कनेक्शन नहीं है लेकिन फिर भी बेहतर है कि कैल्शियम टैब्लेट लेना शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें।
कौन-सा कैल्शियम लेना बेहतर है?
कई तरह के कैल्शियम मार्केट में मिलते हैं। कैल्शियम कार्बोनेट सबसे कॉमन है और इसे खाने के साथ लेना बेहतर है, जबकि कैल्शियम साइट्रेट के साथ ऐसा कोई नियम नहीं है। कोई भी कैल्शियम टैब्लेट खरीदते वक्त उसमें कैल्शियम की मात्रा जरूर चेक कर लें।
कहते हैं कि गेंहू के दाने के बराबर चूना रोजाना पानी में डालकर रोज खाली पेट लेने से कैल्शियम की जरूरत पूरी हो जाती है। यह सही है क्या?
यह पूरी तरह गलत है। मॉर्डन मेडिसिन के सभी जानकार इसे पूरी तरह गलत बताते हैं और चूने से दूर रहने की सलाह देते हैं।
ज्यादा जानकारी के लिए
यूट्यूब विडियो
विटामिन डी की कमी से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं, इस 1:38 मिनट के इस विडियो से जान सकते हैं।
youtube
विटामिन डी की कमी पूरी करनेवाले फूड आइटम्स की जानकारी के लिए देखें यह विडियो, जोकि कुल 1:32 मिनट का है।
youtube
वेबसाइट्स
webmd.com: विटामिन डी से जुड़ी ढेर सारी जानकारी आपको यहां मिल सकती है।
nhs.uk: विटामिन डी को लेकर नई गाइडलाइंस क्या कहती हैं, पढ़ें इस साइट पर।
ऐप
dminder: यह ऐप आपके मोबाइल का जीपीएस यूज कर बताता है कि आप जहां हैं, वहां आपको कितनी धूप मिल रही है। इसमें लगा टाइमर आपको धूप में बैठने के लिए भी रिमाइंड कराएगा। पेड वर्जन में हिस्ट्री को भी मैनेज कर सकते हैं। साथ ही, फिलहाल आपका क्या लेवल चल रहा है, यह भी जान सकते हैं।
कीमत: फ्री, प्लैटफॉर्म: विंडोज़, एंड्रॉयड, ios
D-Rise: विटामिन डी से जुड़ी सारी जानकारी आपको इस ऐप से मिल सकती है। आपके लिए कितना विटामिन डी जरूरी है, वह कैसे मिलेगा, क्या खाएं आदि तमाम जानकारियां आपको इसके जरिए मिल सकती हैं।
कीमत: फ्री, प्लैटफॉर्म: विंडोज़, एंड्रॉयड, ios
एक्सपर्ट से पूछें
विटामिन डी की कमी से जुड़ा कोई सवाल हो तो हमें [email protected] पर भेजें। सब्जेक्ट में vitaminD लिखें। हम एक्सपर्ट से पूछकर हम आपके सवालों के जवाब छापेंगे।
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फसल डाक्टर: क्या है धान में हल्दी गांठ या पीली डोडी (फाल्स स्मट) रोग और कैसे करें इससे फसल का बचाव; विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख
फसल डाक्टर: क्या है धान में हल्दी गांठ या पीली डोडी (फाल्स स्मट) रोग और कैसे करें इससे फसल का बचाव; विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख
लेखक: आदित्य, डॉ. आर एस जरियाल, डॉ. कुमुद जरियाल एवं डॉ. जे. एन. भाटिया
खरीफ मौसम के दौरान धान मुख्य फसल में से एक है। खेत में बिजाई से लेकर रोपाई और कटाई के दौरान यह कई बीमारियों से प्रभावित होती रहती हैं। चालू खरीफ सीजन में धान की फसल अब बालियां निकलने की अवस्था में पहुंच रही है। धान की फसल में इस समय सबसे महत्वपूर्ण बीमारी है “फाल्स स्मट/कंडुआ रोग/हल्दी गांठ या पीली डोडी रोग”। इस रोग में…
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