#एक अच्छी पत्नी के क्या गुण होते हैं?
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varshablogs · 19 days ago
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पति पत्नी के रिश्ते का महत्व
*पति_पत्नी_का_रिश्ता…* शादी के दिन एक अटैची की तरफ इशारा करती नवविवाहित दुल्हन ने अपने पति से वादा लिया था कि वह उस अटैची को कभी नहीं खोलेंगे। उसके पति ने भी उससे वादा किया कि वह बिना उसके परमिशन के उस अटैची को कभी नहीं खोलेगा। शादी के पचासवें साल में,जब पत्नी बिस्तर पर ज़िंदगी की आखरी साँसे ले रही थी तो पति ने अपनी पत्नी को उस अटैची की याद दिला दी।पत्नी बोली: अब इस अटैची का राज़ खोलने का वक़्त आ…
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pawankumardas · 3 years ago
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#कबीरसागर_का_सरलार्थPart153
‘‘कबीर सागर’’ से अध्याय ‘‘हनुमान बोध’’ का सारांश:- Part E
काल ने अपने दूसरे पुत्र विष्णु को कर्मानुसार पालन करने का विभाग दिया है, विष्णु सतगुण है। काल ने तीसरे पुत्र शिव तमगुण को इन एक लाख मानव शरीरधारी जीवों को मारकर उसके पास भेजने का विभाग दे रखा है। वह स्वयं अव्यक्त (गुप्त) रहता है। आप देख रहे हो, यहाँ कोई भी जीव अमर नहीं है, देवता भी मरते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शिव भी जन्मते-मरते हैं। जो पूरी आयु जीते हैं, व���द्धावस्था भी सब में आती है। एक लोक ऐसा है जहाँ पर वृद्धावस्था तथा मरण नहीं है। वहाँ कोई रावण किसी की पत्नी का अपहरण नहीं करता। आपकी आँखों के सामने लंका में हुए राम-रावण युद्ध में कितने व्यक्ति तथा अन्य प्राणी मारे गए। एक सीता को छुड़ाने के लिए। आपने श्री रामचन्द्र जी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाकर लंका को जलाया। रावण का भाई अहिरावण जो पाताल का राजा था। वह राम तथा लक्ष्मण का अपहरण करके ले गया। उनकी बली देने वाला था। आप वहाँ गए और उन दोनों को जीवित लाए। आप ही बताऐं, वे परमात्मा हैं। जिस समय नाग फांस शस्त्र के छोड़ने से सर्पों ने श्री राम तथा आप तथा सर्व सेना व लक्ष्मण तक बाँध दिया था। सर्प आप सबको जकड़े हुए थे। आप सब विवश थे। कुछ समय में आप सबको रावण की सेना आसानी से काट डालती। उस समय गरूड़ को पुकारा गया। उसने नागों को काटा��� आप तथा रामचन्द्र बंधनमुक्त हुए। यदि परमात्मा इतना विवश है कि अपना बंधन नहीं काट सका तो पुजारियों का क्या होगा? विचार करो।
काटे बंधत विपत में, कठिन कियो संग्राम। चिन्हो रे नर प्राणियो, गरूड़ बड़ो के राम।।
हनुमान जी ने कहा ऋषि जी! समुद्र पर पुल बनाना क्या आम आदमी का कार्य है? यह परमात्मा बिना नहीं बनाया जा सकता।
समन्दर पांटि लंका गयो, सीता को भरतार। अगस्त ऋषि सातों पीये, इनमें कौन करतार।।
यदि आप समुद्र के ऊपर सेतु बनाने से श्री रामचन्द्र जी को परमात्मा मानते हो तो अगस्त ऋषि ने सातों सागरों को पी लिया था। इनमें कौन है परमात्मा?
ऋषि मुनीन्द्र जी ने बताया कि आप भूल गए क्या? एक ऋषि आए थे। उन्होंने एक पर्वत के पत्थरों को अपनी डण्डी से रेखा खींचकर हल्का किया था। तब पत्थर तैरे थे, तब पुल बना था। रामचन्द्र तो तीन दिन से रास्ता माँग रहे थे। समुद्र ने ही बताया था नल-नील के विषय में। हनुमान जी ने कहा कि वह तो विश्वकर्मा जी थे जो वेश बदलकर श्री रामचन्द्र जी के बुलाने पर आए थे। परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि विश्वकर्मा जी तो पुल का निर्माण कर सकते हैं, जल के ऊपर पत्थर नहीं तैरा सकते। नल-नील के हाथों में शक्ति थी। उनके हाथों से डाली गई वस्तु जल के ऊपर तैरा करती थी। उस दिन उनमें अभिमान आ गया था। उनकी शक्ति समाप्त हो गई थी। वह आशीर्वाद मेरा ही था। हनुमान जी ने कहा, क्या आप ऋषि मुनीन्द्र जी हैं? परमेश्वर जी ने कहा, हाँ। मुनीन्द्र जी ने कहा कि आपने अपने प्राणों की परवाह न करके राम जी के लिए क्या नहीं किया? जब स��ता ने आपको अपशब्द कहे और घर छोड़ने को कहा। उस समय श्रीराम वहीं विराजमान थे। एक शब्द भी नहीं कहा कि सीता ऐसा न कर। पवन सुत अंदर से तो मान रहे थे, परंतु ऊपर से कह रहे थे कि ऋषि जी! किसी की आलोचना नहीं करनी चाहिए। मुनीन्द्र जी ने कहा कि सत्य कहना आलोचना नहीं होती। यदि श्री रामचन्द्र और सीता के अंदर अच्छे इंसान वाले गुण भी होते तो भी आपका आजीवन अहसान मानते और अपने चरणों में रखते। आप तो उनके बिना जीना भी उचित नहीं मानते। और सुनो! आपके साथ जैसा व्यवहार किया, उसका फल भी सीता तथा रामचन्द्र को मिल गया है। कुछ वर्षों के पश्चात् सीता को श्री राम ने घर से निकाल दिया। उस समय वह गर्भवती थी। यह सुनकर हनुमान की आँखों से आँसू निकल आए और ऋषि जी के चरणों में गिर गए। कुछ नहीं बोले। अयोध्यावासियों ने दो वर्ष दिपावली और दशहरा मनाया था। उसके पश्चात् बंद कर दिया था कि जिस देवी के लिए रावण मारा, आज वह फिर कितने रावणों का कष्ट झेलेगी। दीपमाला खुशी का प्रतीक है। जब राजा और रानी भिन्न-भिन्न हो गए तो न दीपावली राजा को अच्छी लगे और न प्रजा को। इसलिए दीपावली का पर्व उसी समय से बंद हो गया था। जो दो वर्ष मनाया था, उसी के आधार से भोली जनता यह पर्व मना रही है।
इसी प्रकार दशहरा तथा रावण दहन की परंपरा चली आ रही है। यदि किसी के घर पर किसी जवान की मृत्यु हो जाती है तो वह परिवार तथा रिश्तेदार कोई त्यौहार नहीं मनाते।
हनुमान जी ने कहा, प्रभु! परमेश्वर की चर्चा करो। कबीर परमेश्वर जी ने सृष्टि रचना सुनाई। सत्यकथा सुनकर हनुमान जी गदगद हुए। सत्यलोक देखने की प्रार्थना की। परमेश्वर आकाश में उड़ गए। हनुमान जी देख रहे थे। कुछ देर अंतध्र्यान हो गए। हनुमान जी चिंतित हो गए कि अब ये ऋषि कैसे मिलेंगे? इतने में आकाश में विशेष प्रकाश दिखाई दिया। हनुमान जी को दिव्य दृष्टि देकर सतलोक दिखाया। ऋषि मुनीन्द्र जी सिंहासन पर बैठे दिखाई दिए। उनके शरीर का प्रकाश अत्यधिक था। सिर पर मुकुट तथा राजाओं की तरह छत्रा था। कुछ देर वह दृश्य दिखाकर दिव्य दृष्टि समाप्त कर दी। मुनीन्द्र जी नीचे आए। हनुमान जी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है। परमेश्वर कबीर जी से दीक्षा ली। अपना जीवन धन्य किया। मुक्ति के अधिकारी हुए। इस प्रकार पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं। संसारिक व्यक्ति जो परमार्थी को धोखा देते हैं, वे आजीवन कष्टमय जीवन व्यतीत करते हैं।
श्री रामचन्द्र जी को अंत समय में अपने ही पुत्रों लव तथा कुश से पराजय का मुँह देखना पड़ा। सीता जी ने उनके दर्शन करना भी उचित नहीं समझा। देखते-देखते पृथ्वी में समा गई। इस ग्लानि से श्री रामचन्द्र जी ने अयोध्या के पास बह रही सरयु नदी में छलांग लगाकर अपनी जीवन लीला जल समाधि लेकर समाप्त की। परमार्थी हनुमान जी को निस्वार्थ दुःखियों की सहायता करने का फल मिला। परमात्मा स्वयं आए, मोक्ष मार्ग बताया। जीव का कल्याण हुआ। हनुमान जी फिर मानव जीवन प्राप्त करेंगे। तब परमेश्वर कबीर जी उनको शरण में लेकर मुक्त करेंगे। उस आत्मा में सत्य भक्ति बीज डल चुका है।
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bhaskarhindinews · 6 years ago
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Here men are given training to make a good husband
यहां पुरुषों को काबिल पति बनाने के लिए दी जा रही है झाड़ू-पोछा की ट्रेनिंग
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एक तरफ जहां भारत के नामचीन विश्व विद्यालय बनारस हिंदी यूनिवर्सिटी यानी की बीएचयू में एक अच्छी बहू बनने की ट्रेनिंग देने के लि कोर्स जारी किया गया,वहीं दुनिया दूसरे छोर पर एक अच्छा पति बने के गुण सिखाए जा रहे हैं। ये दोनों ही बातें अपने आप में अजीब है। क्योंकि किसी को एक अच्छा इंसान तो बनाया जा सकता है, लेकिन किसी को एक अच्छा किरदार निभाने की ट्रेनिंग दी जाए ये सुनने में बेहद अजीब लगता है। बीएचयू में एक अच्छी बहू बनने की ट्रेनिंग को लोगों बेतुका बताया। सोशल मीडिया पर इसका काफी मजाक बना, लेकिन जनाब जब आप एक अच्छे पति बनने के ट्रनिंग के बारे में सुनेंगे तो शायद चाहेंगे की बीएचयू भी अपने कोर्स में बहू की जगह पतियों को शामिल कर ले। मामला नाइजर के एक गांव का है। जहां करीब 20 पति स्कूल ��ाते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि वो किसी पढ़ाई या व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए जा रहे हैं तो आप गलत हैं। यहां पर पुरुषों को घरेलू कामकाज की ट्रेनिंग दी जा रही है।
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क्यों आया पतियों को ट्रेनिंग देने का ख्याल
घरेलू कामों की मौलिक शिक्षा पुरुषों और महिलाओं को बराबर नहीं मिलती जिस वजह से महिलाओं पर ही घर के सारे कामकाज का बोझ पड़ जाता है। इस समस्या के निदान के लिए संयुक्त राष्ट्र ने नाइजर देश में पतियों के विद्यालय चालू किए। यूएन की इस पहल का काफी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। 2011 में दक्षिणी नाइजर में करीब 137 हज्बैंड स्कूल खोले गए। 2006 डीएचएस सर्वे के मुताबिक, नाइजर में 100,000 शिशु जन्म पर मातृ मृत्यु दर 648 है। अधिकतर महिलाएं घर पर ही बच्चों को जन्म देती हैं और कुछ ही महिलाएं गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करती हैं। यहां औसतन हर महिला करीब 7 बच्चों को जन्म देती है। ऐसे में नाइजर में घरेलू कामकाज और बच्चों का लालन-पोषण महिलाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है।
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दुनिया के सबसे काबिल पतियों में होगी इनकी गिनती
नाइजर के पति दुनिया के सबसे काबिल पतियों में बदलते जा रहे हैं। वो रोज खाना बनाना, झाड़ू-पोछा कर रहे हैं और अपना घर संभाल रहे हैं और इन कार्यों में व्यस्त रहने की वजह से जनसंख्या भी अब ढलान पर है। जब नाइजर के पतियों इन पतियों से पूछा  गया कि आप अपनी पत्नी के लिए क्या कर सकते है तो वो कहते हैं कि हम पानी ला सकते हैं, घर साफ कर सकते हैं, महिलाएं लकड़ियां काटने जंगल जाती हैं, हम उन्हें रोक कर खुद ये काम कर सकते हैं। जब महिलाओं के पास इतने सारे काम होते हैं तो हम उनकी मदद कर सकते हैं। महिलाएं जब खाना बना रही हों तो हम बर्तन और कपड़े धुल सकते हैं। नाइजर की महिलाओं की जिंदगी बहुत ज्यादा मुश्किल होती है। 8-8 बच्चों वाले बड़े परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी संभालनी होती है। जरूरत की हर एक चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है। नाइजर में पतियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे कैसे गृहस्थी का कामकाज में कैसे हाथ बटाएं। चार बच्चों के पिता लामिनु कहते हैं, मैंने बहुत कुछ सीख लिया है, जब वह खाना पका रही होती है तो मैं बच्चों की देखभाल करता हू��।
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बदल रही महिलाओं के प्रति सोच
बहुत से पति जो कुछ समय पहले तक घरेलू काम को महिलाओं का काम समझते थे, अब उन्हें ये पता चल गया है कि घर में हाथ बंटाने से परिवार पर कितना सकारात्मक असर पड़ता है। ये लोग कहते हैं कि बहुत बदलाव हुआ है, जब मैं अपनी पत्नी को देखता हूं, तो लगता है कि अब वो पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई है और अब बच्चे भी ज्यादा एनर्जेटिक हो गए हैं क्योंकि अब उन्हें मां-पिता दोनों की देखभाल मिलती है। एक महिला कहती है, जबसे स्कूल बने हैं, तबसे हमारी जिंदगी में बहुत बदल गई है, "आदमी अब ज्यादा जागरूक हो गए हैं। अब वो खुद हमें कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर ले जाते हैं।" Source: Bhaskarhindi.com
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jayveer18330 · 7 years ago
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फिक्शन को टक्कर देती झुंझलाहट
फिक्शन के मुकाबले सच्चाई की झुंझलाहट? निम्नलिखित कहानी एक ब्रिटिश व्यापारी द्वारा लेखकों को उपलब्ध कराई गई थी जिन्होंने गुमनाम रहने का अनुरोध किया है। नर्स और अस्पताल की पहचान उनके लिए जाने जाते हैं। हम इसमें बिना किसी टिप्पणी के शामिल हैं पत्र अप्रकाशित है। मूल रूप में विराम चिह्न और वर्तनी मैं कई वर्षों के लिए एक टर्मिनल जैरीट्रिक वार्ड के प्रभारी एक रात की नर्स रहा हूं और जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं कि कुछ बहुत भयानक जगहें हैं, लेकिन फिर भी कुछ दिलचस्प लोगों से मिले, जो वास्तव में आकर्षक था वह यह जर्मन अध्यापन था जो मैंने आपको बताया था समय पहले, गरीब चरम एक टर्मिनल केस था, पेट का एक भयानक कार्सिनोमा, वह अपने आप में एक साइड वार्ड में था क्योंकि वह शायद ही कभी कुछ ही घंटों से अधिक रात में हीरोइन के भारी इंजेक्शन के साथ एक रात सोते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी शिकायत नहीं की और हमेशा चैट करने के लिए तैयार था और कई रात जब वह चुप था तब उसे एक कप कॉफी में ले जाया गया और उसके साथ बैठ गया और एक घंटे या उससे भी ज्यादा समय के लिए चैट कर दिया, वह अंग्रेजी के साथ अच्छी तरह से बात कर रहा था, एक अद्भुत जर्मन, अमेरिकी उच्चारण जिसे उन्होंने अमेरिका में उठाया था, वह एक साल से हमारे साथ रहे थे, जब एक रात मैं नौसेना में मेरी सेवा के बारे में बात कर रहा था और बातचीत फ्लाईंग सॉसर्स पर हुई थी। । । वह बहुत चुप गया और मुझे एक अजीब लग रहा था, मैं हँसे और कहा: "क्या मैं फ्लाइंग सॉसर्स के बारे में बात कर पागल हूं?" उन्होंने कहा, नहीं, और फिर कहा, मुझे लगता है कि वह पागल हो सकता है क्योंकि वह एक में उड़ गया था, वैसे भी मुझे छोड़ना था, लेकिन अगली रात हमने बातचीत जारी रखी, प��ली बार उसने मुझे बताया कि वह लूफ़्ट वाफे में है, एक रिक्लिन नामक एक सुरक्षा अधिकारी, जहां वे लगभग हर तरह के विज्ञान गल्प प्रकार के हथियारों के साथ प्रयोग कर रहे थे, उन्होंने एक हवा बंदूक, रॉकेट और हँसे का हवाला दिया और कहा कि बाकी दुनिया से जर्मनी की यह बहुत पहले थी। उन्हें और जो कि एक और साल या तो दिया, युद्ध का एक पूरी तरह से समाप्त हो गया होता, और अब भी चीजें अभी भी रीच द्वारा इंजीनियर हो सकती हैं जो विश्व के भविष्य को बदल सकती हैं। मैं हँसे, और वह जारी रखा, युद्ध के वर्षों में किया गया था कि प्रगति के बारे में और पर, मैंने सुना है, लेकिन कुछ है कि इस दुनिया से बाहर लग रहा था कि कुछ चीजें हैं। । । गर्मी की किरणें, नए विस्फोटक और नए प्रकार के उड़ने वाले वाहनों के बारे में, फिर वह सॉस के बारे में चले गए, कैसे एक छोटे से खुले हुए लोगों के साथ एक आदमी के साथ शुरू होकर बड़े और बड़े लोगों के लिए कॉकपिट किया गया। बाद में वे एक और बेस में चले गए, और यहां पहली बार उसने अंटार्कटिक में "नीयर ड्यूशलैंड" के बारे में सुना, पूर्व युद्ध अफवाहें थीं, लेकिन कभी भी कई विवरण नहीं थे, नए बेस में कई वैज्ञानिक थे और उड़ने लगे केवल रात तक मित्र देशों में लगातार उड़ान भर रहे थे, और लगातार हमले हुए, जैसे समय बीत गया और युद्ध का नतीजा अधिक स्पष्ट हो गया, काम को अधिक से अधिक और देर से 1 9 43 में तेजी से बढ़ाया गया था, सबसे बड़ी सॉस के पहले उड़ान और फिर खबर मिली कि कुछ विशेषज्ञों को एक गुप्त आधार पर जाने के लिए चुना जा रहा था जहां युद्ध जारी रखा गया था, वह कई अवसरों पर विमानों में नॉर्वे के नॉर्स के आधार पर उड़ान भरे, पुरुषों और महिलाओं को अनुरक्षण वैज्ञानिकों के उपकरणों, फाइलें, विशेष लंबी दूरी की यू नावों को सीधे ले जाया जाता है और सीधे बोर्ड पर रख दिया जाता है, हथियार बहुत आधुनिक होते थे और उन्होंने उन्हें ब्रांड्स के नए स्वचालित राइफल्स के रूप में वर्णित किया था जिसे बाद में एमपी 44 के रूप में जाना जाता था, वहां भी बड़ी मात्रा में विस्फोटक तश्तरी निरंतर उड़ गए और जैसे ही एक नया निर्माण और परीक्षण किया गया, यह उपकरणों और चालकों के साथ लोड किया गया और जब रात गिर गई तब वे उतार चले गए और वापस नहीं गए, जैसे कि यू नौकाओं की कहानियां आ रही हैं और जनता के बाहर जा रही है आपूर्ति और लोग, न केवल वैज्ञानिक कर्मियों बल्कि प्रशासन और सैन्य, सुरक्षा, रसोइए, और उनमें से महिलाओं का एक उचित दल। युद्ध के अंत के रूप में संगठन के पास आना शुरू हुआ और आपूर्ति कम हो गई थी, इसलिए उन पर बमबारी की जा रही थी और एलाइड सेनानी बमवर्षकों द्वारा रोज़ाना शुरू किया गया था, जब आखिरी तश्तरी छोड़ दिया गया था, आधार को त्याग दिया गया था, वह अंतिम विमानों में से एक में चले गए आधार को एक हेइन्केल बीला छोड़ दें, वे एक रूसी लड़ाकू विमान पर हमला करके क्षतिग्रस्त हो गए थे और अंततः ओस्लो के बाहर पहुंचे थे। नॉर्वे इस समय अराजकता में था लेकिन उन्हें एक एसएस अधिकारी के साथ एक कार में लिफ्ट मिली, उन्होंने बताया कि वह यू बोट बेस के लिए जा रहे थे और एक संभव तरीके से बाहर निकलते थे, एसएस मैन के पास कोई बेहतर विचार नहीं था और वे उत्तर गए, वे पहुंच गए आधार दो दिन बाद और दो यू-नौकाओं ने अपनी अंतिम यात्राओं के लिए ईंधन भरने और पुनर्स्थापना पाया, युद्ध के बाद घर जाने के लिए जहाज़ों का उपयोग करने के लिए बहुत से लोग नहीं चाहते थे, वास्तव में नौकाओं को ले जाने वाले कार्गो भी कम थे कर्मचारियों, वे सभी प्रकार की आपूर्ति से भरा था, दिन वे आ रहे थे, जहां अमेरिकी हमलावरों द्वारा छापे गए थे, बहुत सारी इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था लेकिन नौकाएं नहीं थीं। । । वे उस रात रवाना हुए वे लंबे समय तक यात्रा के बाद अंटार्कटिका बेस पर पहुंच गए, समुद्र और बर्फ की टोपी में, लेकिन कुछ हफ़्ते बाद वह तट पर वापस लौट गया ताकि वह यूबेट पर कुछ आखिरी मिनट के आगमन के साथ अपनी सुरक्षा कार्य जारी रख सके, तब वह निर्देशों के साथ चला गया अटलांटिक में एक और नाव को पूरा करने के लिए, हालाँकि वह गलत हो गया था और उसके पोत को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और उसे गश्ती दल द्वारा डूब गया था, उसे बचा लिया गया था और उसे पावर बनाया गया था, उनके कैदों को नहीं पता था कि वह कौन था जैसा कि उन्होंने अपने कागजात से छुटकारा दिलाया था नौसैनिक ठंड मौसम गियर पहन रहा था वह पीओ के रूप में आयोजित किया गया था। अमेरिका में, और उनकी रिहाई के बाद जर्मनी में वापस आ गया, जब उन्होंने देखा कि जिस तरह से कामकाज के तहत वहां जा रहे थे, उन्होंने खुद को कुछ नए कागजात, पोलिश और शरणार्थी के रूप में ब्रिटेन पहुंचने में कामयाब रहे, वह बसे, विवाहित, उनकी पत्नी 1 9 50 के दशक के आखिर में मृत्यु हो गई और वह कैंसर के लिए उपचार कर रहे थे, रेडियम उपचार की कोशिश की गई लेकिन धीरे-धीरे चीजें खराब हो गईं और अंत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका मृत्यु हो गया। पत्र का अंत जो कुछ भी इस मरते हुए आदमी की कहानी की गुण हैं, एक बात हम बहुत निश्चित हो सकती है और वह फूहरर के आदेश पर एक भयानक हथियार का है और हिटलर युद्ध के अंत की ओर जब उसने स्पष्ट रूप से परमा��ु बम के संदर्भ में कहा था "मई आकाश मुझे माफ़ कर देता है, अगर मेरे पास अभी भी उस अंतिम भयानक हथियार तक पहुंच जाना चाहिए! आज हम पहले से ही आधा ग्रह को उड़ाने में सक्षम हैं "। एक और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि काफी निश्चित रूप से साबित हो रहा है कि WW 11 8 मई, 1 9 45 को समाप्त नहीं हुआ, "फ़्रांस सॉर" में निम्नलिखित खाते हैं, एक गंभीर पेपर (एक स्कैंडल शीट नहीं): "लगभग एल / /; साल बादमशीनरी और यूरोप में शत्रुता की समाप्ति, लिस्लैंडिक व्हालर, "जुलियाना" को एक बड़ी जर्मन यू नाव से रोका गया था। जुलियाना माल्विनास द्वीपसमूह के आसपास अंटार्कटिक क्षेत्र में था, जब एक जर्मन पनडुब्बी ने जर्मन आधिकारिक नौसेना को उतार दिया और उठाया, धार। पनडुब्बी कमांडर ने एक बोर्डिंग पार्टी को भेजा, जिसने रबर डिंगा में जुलिआना से संपर्क किया, और अपने नए खाद्य स्टॉक के कैप्टन हेक्ला हिस्से के लिए मांग करने वाले व्हेलर पर चढ़ा। यह अनुरोध एक आदेश के निश्चित स्वर में किया गया था जिसके लिए प्रतिरोध मूर्खता का होता। जर्मन अधिकारी ने एक सही अंग्रेजी बोलकर अमेरिका में अपने प्रावधानों के लिए भुगतान किया। डॉलर, कप्तान को जूलियाना क्रू के प्रत्येक सदस्य के लिए $ 10 का एक बोनस दें। हालांकि, खाद्य पदार्थों को पनडुब्बी में स्थानांतरित किया जा रहा था, पनडुब्बी कमांडर ने कैप्टन हेक्ला को एक बड़े स्कूल व्हेल के सटीक स्थान के बारे में बताया। बाद में जुलियाना को व्हेल का स्कूल पाया गया जहां नामित किया गया था। यह "फ़्रांस सोयर" से सीधे उद्धरण है इसके अलावा फ्रांस के स्वयंसेवा एजेंस फ्रांस प्रेस द्वारा 25 सितंबर 1 9 46 को इस वायरल बुलेटिन का एक तार सेवा बुलेटिन होना चाहिए, जो उपरोक्त स्पष्टीकरण को आगे बढ़ाता है: "टीएरा डेल फूएगो (जर्मन में जर्मन यू नाव गतिविधि के बारे में लगातार अफवाहें ), लैटिन अमेरिका और अंटार्कटिका के महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व टिप के बीच सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं "। इन सभी विवरणों को उचित अनुक्रम और परिप्रेक्ष्य में डालना एक स्पष्ट तस्वीर उभरती है। तीसरे रैच के चयनित खंड जर्मनी के पतन से बच गए और स्पष्ट रूप से सहयोगी दलों को आत्मसमर्पण नहीं किया क्योंकि वे जर्मन लोगों की ओर से डोनिट्स द्वारा हस्ताक्षरित "बिना शर्त समर्पण" के तहत किए गए थे। बल्कि बड़े रहस्य नाजी आधारों पर होना चाहिए जहां यूएफओ और अन्य गुप्त हथियारों पर का�� जारी है। जांच से पता चलता है कि दुनिया भर में नाजी मोर्चा के लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर पैसा लगाया गया था, लेकिन विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका में। 1 9 जून, 1 9 47 को चिली में सैंटियागो में अखबार "ज़िग ज़ग" में एक अधूरा, लेकिन फिर भी आश्चर्यजनक सांख्यिकीय संकलन दिखाई दिया। इस संकलन के अनुसार, स्पेन को 300 मिलियन अमरीकी डालर, स्वीडन में 250 मिलियन, स्विट्जरलैंड के 00 मिलियन और पुर्तगाल 50 मिलियन और यह केवल 25 डिग्री का प्रतिनिधित्व करता है।) ऐसे निवेशों में से यह करीब 3 अरब डॉलर के रिमोट जंगल के बड़े इलाकों में निवेश किया जाता है और अचल संपत्ति, कारखानों, परिवहन, एयरलाइंस, शिपिंग (!!!) कंपनियां, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि के क्षेत्र में निवेश किया जाता है। जर्मन युद्ध के खिलाफ युद्ध के बाद यहूदी युद्ध और युद्ध की रणनीतियों के संबंध में माइकल बार सोहर द्वारा लिखी हुई "द एवेंजर्स" नामक पुस्तक में, हम जर्मन धन के विदेशी क्षेत्रों में हस्तांतरण के बारे में विस्तृत जानकारी पाते हैं। कुछ अंश यहाँ पुन: उत्पन्न होते हैं। जर्मन अधिकारियों और उद्योगपतियों की एक सबसे असामान्य सम्मेलन अगस्त IO, I944 पर स्ट्रासबर्ग में Maison Rouge होटल में आयोजित किया गया था। इस "रेड हाउस" सम्मेलन की कार्यवाही शॉर्टहैंड रिपोर्ट से जानी जाती है, जो युद्ध के अंत में अमेरिकी ओ.ए.एस.एस. के हाथों में आती है। लेफ्टिनेंट रेवक्रज़ ने इसे साइमन विसेंथल को दिखाया, जिन्होंने फोटस्टेट ले लिया और कुछ साल बाद इसे प्रकाशित किया। इस सम्मेलन में उपस्थित लोगों में से ही मुक्ति संगठनों और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों, बड़े औद्योगिक सम्मेलनों के प्रतिनिधियों-कृपप्स मेसर्सच्चिट, रोहलिंग, गोयरिंग वेर्के, हेंनेंन्सफोर्डके और कई वरिष्ठ सिविल सेवर्स। बैठक का उद्देश्य तीसरी रैच के राजकोष की सुरक्षा के उपायों पर निर्णय करना था। वे दो पर पहुंच गए हथियार, यह सब था । मुख्य निर्णयों में कुछ धन राइश के क्षेत्र में छिपाए जाएंगे; और जर्मन राजधानी को विदेश भेजा जाएगा सम्मेलन ने आग्रह किया कि हार की स्थिति में नाजी पार्टी भूमिगत होनी चाहिए, और सुरक्षित रूप से छिपे हुए खजाने की सहायता से सत्ता में लौटने के लिए तैयार रहना चाहिए। ये निर्णय निम्नलिखित महीनों में प्रभावी होने लगे। लेक टॉटलित्ज़ ��े पास एक "प्रायोगिक स्टेशन" स्थापित किया गया था और झुंड में नकली पाउंड नोटों और दस्तावेजों के साथ पैक किए गए कई कंटेनरों को झील में डूबे हुए थे, और कुछ अन्य कंटेनर पहाड़ियों में पुरानी खानों में छिपा हुआ था। उनमें से अधिकांश को फिर से हटा दिया गया जब मित्र देशों की सेना इस क्षेत्र में आ रही थी। हालांकि "लाल हाउस" सम्मेलन की रिपोर्ट तक उनके हाथों में गिर जाने तक सहयोगी दलों को इन छुपाने वाले स्थानों का पूरा ज्ञान नहीं था, हालांकि नाजियों की युद्ध योजनाओं की कुछ जानकारी 1 9 45 की शुरुआत में संबद्ध गुप्त सेवाओं तक पहुंच गई थी। इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट वॉशिंगटन में राज्य विभाग को सौंपी गई थी: "नाजी शासन ने युद्ध के बाद अपने सिद्धांत और वर्चस्व को बनाए रखने के लिए बहुत ही सटीक योजना बनायी है। इनमें से कुछ योजनाओं को पहले से ही लागू किया जा रहा है। "नाजी पार्टी के सदस्य जर्मन उद्योगपतियों और सेना के नेताओं, यह जानकर कि विजय की कोई उम्मीद नहीं है, वर्तमान में युद्धकाल की अवधि के लिए वाणिज्यिक योजनाएं तैयार कर रही हैं, जो कि पूर्ववर्ती कार्टेलों को फिर से स्थापित करने की आशा में विदेशों में औद्योगिक हलकों के साथ कनेक्शनों को नवीनीकृत करने का प्रयास करता है। युद्ध के बाद। इरादा 'सामने वाले लोगों' के लिए है ताकि युद्ध के फैलने पर मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मन औद्योगिक चिंताओं और अन्य जर्मन संपत्तियों के 'अवैध' जब्ती के खिलाफ विभिन्न देशों की अदालतों से अपील की जा सके। घटना में यह विधि सफल नहीं होती है, जर्मन संपत्ति की वसूली अपेक्षित नागरिकता रखने वाले आंकड़ों के माध्यम से की जाएगी। तत्काल युद्ध काल के दौरान तकनीकी प्रगति के नियंत्रण और विकास में हिस्सेदारी रखने की जर्मन प्रयासों को पिछले दो सालों के दौरान कुछ विदेशी देशों में पंजीकृत जर्मन पेटेंटों में असाधारण वृद्धि से परिलक्षित होता है। ये पंजीकरण एल 944 में अपने चरम पर पहुंच गए .... "जर्मनी की राजधानी और अल्ट्रामोडर्न तकनीकी स्कूलों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिए योजनाएं बहुत ही लाभप्रद टीसीटीएनएस पर उपलब्ध कराई जा रही हैं, इस तथ्य के मद्देनजर कि जर्मन इस तरह के नए हथियार बनाने और सही करने में सक्षम होंगे। "जर्मन जनगणना कार्यक्रम THC युद्ध के बाद की अवधि के लिए इस सामान्य योजना का एक अभिन्न अंग है इस प्रचार कार्यक्रम का तत्काल उद्देश्य बहस पर मित्र राष्ट्रों के नियंत्रण में छूट लाने के लिए होगा ताकि जर्मनों को 'सम्मानपूर्वक' माना जाए। बाद में, इस कार्यक्रम को नाजी सिद्धांत को पुनर्जीवित करने और जर्मन महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए विस्तारित किया जाएगा विश्व प्रभुत्व की जब तक इन योजनाओं का विरोध नहीं किया जाता, वे युद्ध के बाद की दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बनते हैं। " अमेरिकी विशेषज्ञों ने युद्ध के अंत तक इस विषय के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाया था। उनके पास जल्द ही जर्मनी की राजधानी के साथ स्थापित या खरीदी गई तटस्थ देशों में प्रमुख कार्यालयों के साथ 750 कंपनियों की एक सूची थी। स्विटजरलैंड की सूची 274 कंपनियों के साथ है; तो पुर्तगाल के साथ 258, स्पेन के साथ 112, अर्जेंटीना में 98 और तुर्की के साथ 35. अर्जेंटीना के अलावा अन्य दक्षिण अमेरिका में कई फर्म भी अधिग्रहित किए गए थे। स्विस और लिकटेंस्टीन बैंकों के विशेष खातों को आधिकारिक तौर पर अपने औद्योगिक विकास के लिए आधिकारिक तौर पर अर्जेंटीना गोयमेमेंट के निपटान में रखा गया था। अर्जेंटीना के नेताओं के लिए कुछ खातों को व्य��्तिगत रूप से उपलब्ध कराया गया था जैसे-जैसे सैन्य हार और अंतिम नक्षत्र अधिक निश्चित हो गए थे, नाजी प्रमुखों ने भविष्य के लिए उनकी तैयारी को आगे बढ़ाया, जिसमें भविष्य का हिस्सा था, जिसमें उनका हिस्सा होना था। उन्होंने तटस्थ देशों में बैंकों के साथ बड़ी रकम जमा की थी और लिकटेंस्टीन में जाहिरा तौर पर सम्मानित व्यक्तियों के पोर्टफोलियो में उतना ज्यादा नमकीन था। पुर्तगाल, और पाटगेनिआ, और ऑस्ट्रिया में पुराने नमक खानों की गहराई और अल्पाइन झीलों के अंधेरे पानी के नीचे बहुत अधिक धन छिपा दिया था। ये छिपे हुए खज़ाना वास्तव में एक दिन नाज़ीवाद के पुनरुद्धार की अनुमति दे सकते हैं- जब तक वहां नाजियां अभी भी इस पर आकर्षित करने में सक्षम थीं।इस तथ्य को जोड़ा जाना चाहिए कि 1 9 33 में नव निर्वाचित नेशनल सोशलिस्ट सरकार के उच्च प्राथमिकता कार्य पूरे आबादी के लिए पर्याप्त खाद्य आपूर्ति हासिल करना था। कृत्रिम भोजन की खेती के क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान को तुरंत शुरू किया गया, जिसमें विशाल ग्रीनहाउस में, "रासायनिक मिट्टी" पर और कृत्रिम प्रकाश के तहत पैदा होने वाली सभी चीज़ों के साथ। जाहिरा तौर पर मक्खन कोयले से बनाया गया था और सूखी दूध एक और जर्मन खोज था गेहूं के आटे को अनिश्चितकालीन रूप से संरक्षित करने के लिए एक विधि भी खोजी गई थी सभी तरह के खाद्य पदार्थों को फ्रीज में सुखाने में भी बड़ी प्रगति हुई थी और हेल्मस्टेड के क्षेत्र में स्थित विशेषकर प्रयोगात्मक पौधों में किया गया था। हिटलर उन परियोजनाओं में बहुत दिलचस्पी रखते थे जो उन्हें अक्सर दौरा करते थे एक बहुत ही कम समय में, जर्मनी कम या ज्यादा आत्मनिर्भर था और सदियों में पहल�� बार। 1 9 45 में सहयोगी दलों ने अपनी सामग्रियों के सभी विशाल गोदामों को जला दिया या लूटने तक किसी भी जर्मन को कभी भी भूख और भूख नहीं लगी। किसी भी जर्मन ने उस भयावह समय के दौरान जीना होगा, जो आपको बताएगा कि जर्मनी की मानवतावादी मुक्तिदाता अपनी जीत के बाद खाना राशन के रूप में बाहर निकल रहे हैं। फ्रेंच क्षेत्र में कब्जे में यह आधिकारिक तौर पर 850 कैलोरी था, अमेरिकी क्षेत्र में थोड़ी अधिक, जबकि हिटलर के एकाग्रता शिविरों के कैदियों (जिनकी हड्डी के लाश आप अभी भी टीवी पर दैनिक देख रहे हैं और अखबारों में), अधिक प्राप्त हुए दैनिक कैलोरी की मात्रा में दोगुना से दोगुना परिणामी अकाल और भूख से मृत्यु, बुजुर्गों और शिशुओं में घबराहट से जर्मन आबादी द्वारा अच्छी तरह से याद किया जाता है। वे इसे "शांति अपराध" कहते हैं किसी भी गुप्त उफौ बल के लिए भोजन की आपूर्ति, (जिसे हम हिटलर के नाम से बुलाएंगे, उसने इसे दिया था) अंतिम बटालियन, पहले से ही हल हो चुका है। लेकिन इस तरह के एक एंटरप्राइज को चलाने के लिए आवश्यक पैसा कैसे? हिटलर ने पहले से ही इस अनिवार्यता के लिए महान दूरदर्शिता के साथ योजना बनाई थी। डैचौ, बुकेनवाल्ड और ऑशविट्ज़ जैसे एकाग्रता शिविरों में कैद में यूरोप के सबसे प्रसिद्ध और सबसे कुशल अफगानिस्तान थे-उनमें से कई यहूदी वे अपने विशेष शिल्प में प्रतिभाशाली थे। एक दिन, एक गुप्त आदेश "ऑपरेशन बर्नहार्ड" नामक बर्लिन कोड से आया था। सभी जालसाजी विशेषज्ञों को इकट्ठा किया गया और उन्हें जीवन और स्वतंत्रता की पेशकश की गई, यदि वे हिटलर के लिए उत्पादन में सहयोग करते थे, कुछ संबद्ध मुद्राओं की सही भड़काने की, लेकिन विशेष रूप से, ब्रिटिश पाउंड और अमेरिकी डॉलर की मिथ्या। सबसे पहले उन्होंने इनकार कर दिया था, लेकिन एक-एक करके उन्होंने सहयोग किया और समय के एक आश्चर्यजनक रूप से कम समय में, उन्होंने उत्पादित किया जो सही प्रसंगों के लिए लग रहा था। जर्मन सरकार अपने स्वयं के पम्पर्मलों से आपूर्ति करती है, जो आम तौर पर सही नकली उच्च गुणवत्ता वाले कागज के लिए बाधा है। प्लेट्स और पेपर परिपूर्ण थे, लेकिन अपने फैसले से संतुष्ट नहीं थे, एक गुप्त एजेंट तटस्थ स्विटजरलैंड को "जर्मन बनाया" पाउंड और डॉलर और साथ ही साथ सभी संप्रदायों में अन्य मुद्राओं के सूटकेस के साथ भेजा गया था। यह एजेंट स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े बैंकों में से एक गया और मैनेजर को देखने के लिए अनुरोध किया और कहा: "मैं एक ऐसे व्यक्ति के साथ एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा हूं जो मुझे नाजी एजेंट ��ोने का संदेह है, और वह इन बिलों के साथ मुझे इस मुद्रा में भुगतान करने का इरादा रखता है। कृपया उनको जांचें और देखें कि क्या वे वास्तविक हैं "। बैंक मैनेजर ने समझाया कि वह अभी तक ऐसा नहीं कर सका क्योंकि यह विदेशी मुद्रा में था, इसलिए नाजी एजेंट ने कुछ दिनों के भीतर लौटने की व्यवस्था करने वाले बैंक प्रबंधक के साथ बिलों को छोड़ दिया। उनकी वापसी पर, उन्हें बताया गया कि पैसा वास्तविक था, और यह बैंक विनिमय के लिए इसे स्वीकार करने में प्रसन्न होगा। एजेंट जर्मनी लौट आया और प्रिंटिंग प्रेस ने आउश्वित्ट्ज़ और बुचेनवाल्ड में रोलिंग शुरू कर दिया। अनकही लाखों छापे गए थे, इतने कि युद्ध के बाद ब्रिटेन ने अपने पहले पाउंड नोट को परिसंचरण से वापस ले लिया, जो पहले ब्रिटिश इतिहास में था इस कहानी का एक दिलचस्प क्रम है अफवाहें युद्ध के अंत के बाद बर्नहार्ड के संचालन के बारे में बनीं और एक ऐसी अफवाह की जांच की गई। ऑस्ट्रिया सरकार के frogmen के एक समूह ऑस्ट्रिया में झील Toplitz खोज के लिए सप्ताह के लिए आखिरकार उन्हें जर्मन विमान का मलबा मिला, मृत पायलट का कंकाल अभी भी अपनी सीट पर लटकी हुई थी। पकड़ में बड़ी धातु की चड्डी थी, जो जब खुशियां लगाई थी, 300,000 ब्रिटिश पाँच पाउंड नोटों से साफ बंडलों में, पूरी तरह से ठीक नहीं किया गया था और उनके साथ, कुछ मुद्रण प्लेटें पैसा ऑस्ट्रिया के अधिकारियों द्वारा जब्त कर लिया गया था, हालांकि यह उस समय बेकार था, युद्ध के बाद ब्रिटिश द्वारा प्रचलन से पाँच पौंड नोट वापस ले लिया गया था। अब याद है कि यू बोट कप्तान ने अपने भोजन के लिए अमरीकी डॉलर में भुगतान किया था और जाहिर तौर पर धन की कोई कमी नहीं थी क्योंकि व्हेलर के प्रत्येक चालक दल को $ 10 बोनस दिया गया था। यह आम तौर पर ज्ञात नहीं है कि युद्ध के अंत से पहले बर्लिन में बैंक वाल्टों से पूरे रिच्सबैंक खज़ाना (सभी जमीनी के भंडार) गायब हो गए थे। गिनीज "वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" किताब "सबसे बड़ी अनसुलझे डकैती" के तहत इस कहानी को सूचीबद्ध करता है! भुगतान संकट के यू.एस. संतुलन के दौरान, टाइम पत्रिका ने स्विट्जरलैंड के बेसल में विश्व मुद्रा कोष के मुख्यालय में होने वाली चर्चाओं के बारे में एक लेख लिखा था। उन्होंने पाया कि 15 बिलियन डॉलर परिसंचरण में थे, जो वास्तव में मौजूद नहीं होना चाहिए। एक आश्चर्य है कि पैसे की वह राशि कहाँ से आया है?
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bhagavadgitamultilingual · 7 years ago
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--कृपया पूरा श्लोक पढ़ें -- आज का श्लोक : श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप -- १५.२० अध्याय 16 : दैवी और आसुरी स्वभाव . . श्रीभगवानुवाच | अभयं सत्त्वसंश्रुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः | दानं दमश्र्च यज्ञश्र्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम् || १ || अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्या��ः शान्तिरपैशुनम् | दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम् || २ || तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता | भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत || ३ || . . श्रीभगवान् उवाच - भगवान् ने कहा; अभयम् - निर्भयता; सत्त्व-संशुद्धिः - अपने अस्तित्व की शुद्धि; ज्ञान - ज्ञान में; योग - संयुक्त होने की; व्यवस्थितिः - स्थिति; दानम् - दान; दमः - मन का निग्रह; च - तथा; यज्ञः - यज्ञ की सम्पन्नता; च - तथा; स्वाध्यायः - वैदिक ग्रन्थों का अध्ययन; तपः - तपस्या; आर्जवम् - सरलता; अहिंसा - अहिंसा;सत्यम् - सत्यता; अक्रोधः - क्रोध से मुक्ति; त्यागः - त्याग; शान्तिः - मनःशान्ति; अपैशुनम् - छिद्रान्वेषण से अरुचि; भूतेषु - समस्त जीवों के प्रति; अलोलुप्त्वम् - लोभ से मुक्ति; मार्दवम् - भद्रता; ह्नीः - लज्जा; अचापलम् - संकल्प; तेजः - तेज, बल; क्षमा - क्षमा; धृतिः - धैर्य; शौचम् - पवित्रता; अद्रोहः - ईर्ष्या से मुक्ति; न - नहीं; अति-मानिता - सम्मान की आशा; भवन्ति - हैं; सम्पदम् - गुण; दैवीम् - दिव्य स्वभाव; अभिजातस्य - उत्पन्न हुए का; भारत - हे भरतपुत्र | . . भगवान् ने कहा - हे भरतपुत्र! निर्भयता, आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक ज्ञान का अनुशीलन, दान, आत्म-संयम, यज्ञपरायणता, वेदाध्ययन, तपस्या, सरलता, अहिंसा, सत्यता, क्रोधविहीनता, त्याग, शान्ति, छिद्रान्वेषण में अरुचि, समस्त जीवों पर करुण, लोभविहीनता, भद्रता, लज्जा, संकल्प, तेज, क्षमा, धैर्य, पवित्रता, ईर्ष्या तथा सम्मान की अभिलाषा से मुक्ति - ये सारे दिव्य गुण हैं, जो दैवी प्रकृति से सम्पन्न देवतुल्य पुरुषों में पाये जाते हैं | . . तात्पर्य: पन्द्रहवें अध्याय के प्रारम्भ में इस भौतिक जगत् रूपी अश्र्वत्थ वृक्ष की व्याख्या की गई थी | उससे निकलने वाली अतिरिक्त जड़ों की तुलना जीवों के शुभ तथा अशुभ कर्मों से की गई थी | नवें अध्याय में भी देवों तथा असुरों का वर्णन हुआ है | अब, वैदिक अनुष्ठानों के अनुसार, सतोगुण में किये गये सारे कार्य मुक्तिपथ में प्रगति करने के लिए शुभ माने जाते हैं और ऐसे कार्यों को दैवी प्रकृति कहा जाता है | जो लोग इस दैवीप्रकृति में स्थित होते हैं, वे मुक्ति के पथ पर अग्रसर होते हैं | इसके विपरीत उन लोगों के लिए, जो रजो तथा तमोगुण में रहकर कार्य करते हैं, मुक्ति की कोई सम्भावना नहीं रहती | उन्हें या तो मनुष्य की तरह इसी भौतिक जगत् में रहना होता है या फिर वे पशुयोनि में या इससे भी निम्न योनियों में अवतरित होते हैं | इस सोलहवें अध्याय में भगवान् दैवीप्रकृति तथा उसके गुणों एवं आसुरी प्रकृति तथा उसके गुणों का समान रूप से वर्णन करते हैं | वे इन गुणों क��� लाभों तथा हानियों का भी वर्णन करते हैं | . दिव्यगुणों या दैवीप्रवृत्तियों से युक्त उत्पन्न व्यक्ति के प्रसंग में प्रयुक्त अभिजातस्य शब्द बहुत सार-गर्भित है | दैवी परिवेश में सन्तान उत्पन्न करने को वैदिक शास्त्रों में गर्भाधान संस्कार कहा गया है | यदि माता-पिता चाहते हैं कि दिव्यगुणों से युक्त सन्तान उत्पन्न हो, तो उन्हें सामाजिक जीवन में मनुष्यों के लिए बताये गये दस नियमों का पालन करना चाहिए | भगवद्गीता में हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि अच्छी सन्तान उत्पन्न करने के निमित्त मैथुन-जीवन साक्षात् कृष्ण है | मैथुन-जीवन गर्हित नहीं है, यदि इसका कृष्णभावनामृत में प्रयोग किया जाय | जो लोग कृष्णभावनामृत में हैं, कम से कम उन्हें तो कुत्ते-बिल्लियों की तरह सन्तानें उत्पन्न नहीं करनी चाहिए | उन्हें ऐसी सन्तानें उत्पन्न करनी चाहिए जो जन्म लेने के पश्चात् कृष्णभावनाभावित हो सकें | कृष्णभावनामृत में तल्लीन माता-पिता से उत्पन्न सन्तानों को इतना लाभ तो मिलना ही चाहिए | . वर्णाश्रमधर्म नामक सामाजिक संस्था - जो समाज को सामाजिक जीवन के चार विभागों एवं काम-धन्धों अथवा वर्णों के चार विभागों में विभाजित करती है - मानव समाज को जन्म के अनुसार विभाजित करने के उद्देश्य से नहीं है | ऐसा विभाजन शैक्षिक योग्यताओं के आधार पर किया जाता है | ये विभाजन समाज में शान्ति तथा सम्पन्नता बनाये रखने के लिए है | यहाँ पर जिन गुणों का उल्लेख हुआ है, उन्हें दिव्य कहा गया है और वे आध्यात्मिक ज्ञान में प्रगति करने वाले व्यक्तियों के निमित्त हैं, जिससे वे भौतिक जगत् से मुक्त हो सकें | . .वर्णाश्रम संस्था में संन्यासी को समस्त सामाजिक वर्णों तथा आश्रमों में प्रधान या गुरु माना जाता है | ब्राह्मण को समाज के तीन वर्णों - क्षत्रियों, वैश्यों तथा शूद्रों - का गुरु माना जाता है, लेकिन संन्यासी इस संस्था के शीर्ष पर होता है और ब्राह्मणों का भी गुरु माना जाता है | संन्यासी की पहली योग्यता निर्भयता होनी चाहिए | चूँकि संन्यासी को किसी सहायक के बिना एकाकी रहना होता है, अतएव भगवान् की कृपा ही उसका एकमात्र आश्रय होता है | जो यह सोचता है कि सारे सम्बन्ध तोड़ लेने के बाद मेरी रक्षा कौन करेगा, तो उसे संन्यास आश्रम स्वीकार नहीं करना चाहिए | उसे यह पूर्ण विश्र्वास होना चाहिए कि कृष्ण या अन्तर्यामी स्वरूप परमात्मा सदैव अन्तर में रहते हैं, वे सब कुछ देखते रहते हैं और जानते हैं कि कोई क्या करना चाहता है | इस तरह मनुष्य को दृढ़विश्र्वास होना चाहिए कि परमात्मा स्वरूप कृष्ण शरणागत व्यक्ति की रक्षा करेंगे | उसे सोचना चाहिए 'मैं कभी अकेला नहीं हूँ, भले ही मैं गहनतम जंगल में क्यों न रहूँ | मेरा साथ कृष्ण देंगे और सब तरह से मेरी रक्षा करेंगे |' ऐसा विश्र्वास अभयम् या निर्भयता कहलाता है | संन्यास आश्रम में व्यक्ति की ऐसी मनोदशा आवश्यक है |. तब उसे अपने अस्तित्व को शुद्ध करना होता है | संन्यास आश्रम में पालन किये जाने के लिए अनेक विधि-विधान हैं | इनमें सबसे महत्त्व��ूर्ण यह है कि संन्यासी को किसी स्त्री के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं रखना चाहिए | उसे एकान्त स्थान में स्त्री से बातें करने तक की मनाही है | भगवान् चैतन्य आदर्श संन्यासी थे और जब वे पुरी में रह रहे थे, तो उनकी भक्तिनों को उनके पास नमस्कार करने तक के लिए नहीं आने दिया जता था | उन्हें दूर से ही प्रणाम करने के लिए आदेश था | यह स्त्री जाति के प्रति घृणाभाव का चिह्न नहीं था, अपितु संन्यासी पर लगाया गया प्रतिबन्ध था कि उसे स्त्रियों के निकट संपर्क नहीं रखना चाहिए | मनुष्य को अपने अस्तित्व को शुद्ध बनाने के लिए जीवन की विशेष परिस्थिति (स्तर) में विधि-विधानों का पालन करना होता है | संन्यासी के लिए स्त्रियों के साथ घनिष्ट सम्बन्ध तथा इन्द्रियतृप्ति के लिए धन-संग्रह वर्जित हैं| आदर्श संन्यासी तो स्वयं भगवान् चैतन्य थे और उनके जीवन से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि वे स्त्रियों के विषय में कितने कठोर थे | यद्यपि वे भगवान् के सबसे वदान्य अवतार माने जाते हैं, क्योंकि वे अधम से अधम बद्ध जीवों को स्वीकार करते थे, लेकिन जहाँ तक स्त्रियों की संगति का प्रश्न था, वे संन्यास आश���रम के विधि-विधानों का कठोरता से पालन करते थे | उनका एक निजी पार्षद, छोटा हरिदास, अन्य पार्षदों के साथ निरन्तर रहा, लेकिन किसी कारणवश उसने एक तरुणी को कामुक दृष्टि से देखा | भगवान् चैतन्य इतने कठोर थे कि उन्होंने उसे अपने पार्षदों की संगति से तुरन्त बाहर निकाल दिया | भगवान् चैतन्य ने कहा, 'जो संन्यासी या अन्य कोई व्यक्ति प्रकृति के चंगुल से छूटने का इच्छुक है और अपने को आध्यात्मिक प्रकृति तक ऊपर उठाना चाहता है तथा भगवान् के पास वापस जाना चाहता है, वह यदि भौतिक सम्पत्ति तथा स्त्री की ओर इन्द्रियतृप्ति के लिए देखता है - भले ही वह उनका भोग न करे, केवल उनकी ओर इच्छा-दृष्टि से देखे, तो भी वह इतना गर्हित है कि उसके लिए श्रेयस्कर होगा कि वह ऐसी अवैध इच्छाएँ करने के पूर्व आत्महत्या कर ले |' इस तरह शुद्धि की ये विधियाँ हैं | ... अगला गुण है, ज्ञानयोग व्यवस्थिति - ज्ञान के अनुशीलन में संलग्न रहना | संन्यासी का जीवन गृहस्थों तथा उन सबों को, जो आध्यात्मिक उन्नति के वास्तविक जीवन को भूल चुके हैं, ज्ञान वितरित करने के लिए होता है | संन्यासी से आशा की जाती है कि वह अपनी जीविका के लिए द्वार-द्वार भिक्षाटन करे, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह भिक्षुक है | विनयशीलता भी आध्यात्मिकता में स्थित मनुष्य की एक योग्यता है | संन्यासी मात्र विनयशीलता वश द्वार-द्वार जाता है, भिक्षाटन के उद्देश्य से नहीं जाता, अपितु गृहस्थों को दर्शन देने तथा उनमें कृष्णभावनामृत जगाने के लिए जाता है | यह संन्यासी का कर्तव्य है | यदि वह वास्तव में उन्नत है और उसे गुरु का आदेश प्राप्त है, तो उसे तर्क तथा ज्ञान द्वारा कृष्णभावनामृत का उपदेश करना चाहिए और यदि वह इतना उन्नत नहीं है, तो उसे संन्यास आश्रम ग्रहण नहीं करना चाहिए | लेकिन यदि किसी ने पर्याप्त ज्ञान के बिना संन्यास आश्रम स्वीकार कर लिया है, तो उसे ज्ञान अनुशीलन के ��िए प्रामाणिक गुरु से श्रवण में रत होना चाहिए | संन्यासी को निर्भीक होना चाहिए, उसे सत्त्वसंशुद्धि तथा ज्ञानयोग में स्थित होना चाहिए | . अगला गुण दान है | दान गृहस्थों के लिए है | गृहस्थों को चाहिए कि वे निष्कपटता से जीवनयापन करना सीखें और कमाई का पचास प्रतिशत विश्र्व भर में कृष्णभावनामृत के प्रचार में खर्च करें | इस प्रकार से गृहस्थ को चाहिए कि ऐसे कार्यों में लगे संस्थान-समितियों को दान दे | दान योग्य पात्र को दिया जाना चाहिए | जैसा आगे वर्णन किया जाएगा, दान भी कई तरह का होता है - यथा सतोगुण, रजोगुण तथा तमोगुण में दिया गया दान | सतोगुण में दिए जाने वाले दान की संस्तुति शास्त्रों ने की है, लेकिन रजो तथा तमोगुण में दिये गये दान की संस्तुति नहीं है, क्योंकि यह धन का अपव्यय मात्र है | संसार भर में कृष्णभावनामृत के प्रसार हेतु ही दान दिया जाना चाहिए | ऐसा दान सतोगुणी होता है | . जहाँ तक दम (आत्मसंयम) का प्रश्न है, यह धार्मिक समाज के अन्य आश्रमों के ही लिए नहीं है, अपितु गृहस्थ के लिए विशेष रूप से है | यद्यपि उसके पत्नी होती है, लेकिन उसे चाहिए कि व्यर्थ ही अपनी इन्द्रियों को विषयभोग की ओर न मोड़े | गृहस्थों पर भी मैथुन-जीवन के लिए प्रतिबन्ध है और इसका उपयोग केवल सन्तानोत्पत्ति के लिए किया जाना चाहिए | यदि वह सन्तान नहीं चाहता, तो उसे अपनी पत्नी के साथ विषय-भोग में लिप्त नहीं होना चाहिए | आधुनिक समाज मैथुन-जीवन का भोग करने के लिए निरोध-विधियों का या अन्य घृणित विधियों का उपयोग करता है, जिससे सन्तान का उत्तरदायित्व न उठाना पड़े | यह दिव्य गुण नहीं, अपितु आसुरी गुण है | यदि कोई व्यक्ति, चाहे वह गृहस्थ ही क्यों न हो, आध्यात्मिक जीवन में प्रगति करना चाहता है, तो उसे अपने मैथुन-जीवन पर संयम रखना होगा और उसे ऐसी सन्तान नहीं उत्पन्न करनी चाहिए, जो कृष्ण की सेवा में काम न आए | यदि वह ऐसी सन्तान उत्पन्न करता है, जो कृष्णभावनाभावित हो सके, तो वह सैकड़ों सन्तानें उत्पन्न कर सकता है | लेकिन ऐसी क्षमता के बिना किसी को इन्द्रियसुख के लिए काम-भोग में लिप्त नहीं होना चाहिए | . गृहस्थों को यज्ञ भी करना चाहिए, क्योंकि यज्ञ के लिए पर्याप्त धन चाहिए | ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ तथा संन्यास आश्रम वालों के पास धन नहीं होता | वे तो भिक्षाटन करके जीवित रहते हैं | अतएव विभिन्न प्रकार के यज्ञ गृहस्थों के दायित्व हैं | उन्हें चाहिए कि वैदिक साहित्य द्वारा आदिष्ट अग्निहोत्र यज्ञ करें, लेकिन आज-कल ऐसे यज्ञ अत्यन्त खर्चीले हैं और हर किसी गृहस्थ के लिए इन्हें सम्पन्न कर पाना कठिन है | इस युग के लिए संस्तुत सर्वश्रेष्ठ यज्ञ है - संकीर्तनयज्ञ | यह संकीर्तनयज्ञ - हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे - का जप सर्वोतम और सबसे कम खर्च वाला यज्ञ है और प्रत्येक व्यक्ति इसे करके लाभ उठा सकता है | अतएव दान, इन्द्रियसंयम तथा यज्ञ करना - ये तीन बातें गृहस्थ के लिए हैं | . स्वाध्याय या वेदाध्ययन ब्रह्मचर्य आश्रम या विद्यार्थी जीवन के लिए है | ब्रह्मचारियों का स्त्रियों से किसी प्रकार सम्बन्ध नहीं होना चाहिए | उन्हें ब्रह्मचर्यजीवन बि��ाना चाहिए और आध्यात्मिक ज्ञान के अनुशीलन हेतु, अपना मन वेदों के अध्ययन में लगाना चाहिए | यही स्वाध्याय है | . तपस् या तपस्या वानप्रस्थों के लिए है | मनुष्य को जीवन भर गृहस्थ ही नहीं बने रहना चाहिए | उसे स्मरण रखना होगा कि जीवन के चार विभाग हैं - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास | अतएव गृहस्थ रहने के बाद उसे विरक्त हो जाना चाहिए | यदि कोई एक सौ वर्ष जीवित रहता है, तो उसे २५ वर्ष तक ब्रह्मचर्य, २५ वर्ष तक गृहस्थ, २५ वर्ष तक वानप्रस्थ तथा २५ वर्ष तक संन्यास का जीवन बिताना चाहिए | ये वैदिक धार्मिक अनुशासन के नियम हैं | गृहस्थ जीवन से विरक्त होने पर मनुष्य को शरीर, मन तथा वाणी का संयम बरतना चाहिए | यही तपस्या है | समग्र वर्णाश्रमधर्म समाज ही तपस्या के निमित्त है | तपस्या के बिना किसी को मुक्ति नहीं मिल सकती | इस सिद्धान्त की संस्तुती न तो वैदिक साहित्य में की गई है, न भगवद्गीता में कि जीवन में तपस्या की आवश्यकता नहीं है और कोई कल्पनात्मक चिन्तन करता रहे तो सब कुछ ठीक हो जायगा | ऐसे सिद्धान्त तो उन दिखावटी अध्यात्मवादियों द्वारा बनाये जाते हैं, जो अधिक से अधिक अनुयायी बनाना चाहते हैं | यदि प्रतिबन्ध हों, विधि-विधान न हों तो लोग इस प्रकार आकर्षित न हों | अतएव जो लोग धर्म के नाम पर अनुयायी चाहते हैं, वे केवल दिखावा करते हैं, वे अपनी विद्यार्थिओं के जीवनों पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगते और न ही अपने जीवन पर | लेकिन वेदों में ऐसी विधि को स्वीकृति नहीं की गई | . जहाँ तक ब्राह्मणों की सरलता (आर्जवम्) का सम्बन्ध है, इसका पालन न केवल किसी एक आश्रम में किया जाना चाहिए, अपितु चारों आश्रमों के प्रत्येक सदस्य को करना चाहिए चाहे वह ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ अतवा संन्यास आश्रम में हो | मनुष्य को अत्यन्त सरल तथा सीधा होना चाहिए | . अहिंसा का अर्थ है किसी जीव के प्रगतिशील जीवन को न रोकना | किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि चूँकि शरीर के वध किये जाने के बाद आत्मा-स्फुलिंग नहीं मरता, इसीलिए इन्द्रियतृप्ति के लिए पशुवध करने में कोई हानि नहीं है | प्रचुर अन्न, फल तथा दुग्ध की पूर्ति होते हुए भी आजकल लोगों में पशुओं का मांस खाने की लत पड़ी हुई है | लेकिन पशुओं के वध की कोई आवश्यकता नहीं है | यह आदेश हर एक के लिए है | जब कोई विकल्प न रहे, तभी पशुवध किया जाय | लेकिन इसकी यज्ञ में बलि की जाय | जो भी हो, जब मानवता के लिए प्रचुर भोजन हो, तो जो लोग आध्यात्मिक साक्षात्कार में प्रगति करने के इच्छुक हैं, उन्हें पशुहिंसा नहीं करनी चाहिए | वास्तविक अहिंसा का अर्थ है किसी की प्रगतिशील जीवन को रोका न जाय | पशु भी अपने विकास काल में एक पशुयोनि से दूसरी पशुयोनि में देहान्तरण करके प्रगति करते हैं | यदि किसी ऐसे पशु का वध कर दिया जाता है, तो उसकी प्रगति रुक जाती है | यदि कोई पशु किसी शरीर में बहुत दिनों से या वर्षों से रह रहा हो और उसे असमय ही मार दिया जाय तो उसे पुनः उसी जीवन में वापस आकर शेष दिन पूरे करने के बाद ही दूसरी योनि में जा��ा पड़ता है | अतएव अपने स्वाद की तुष्टि के लिए किसी की प्रगति को नहीं रोकना चाहिए | यही अहिंसा है | . सत्यम् का अर्थ है कि मनुष्य को अपने स्वार्थ के लिए सत्य को ताड़ना-मरोड़ना नहीं चाहिए | वैदिक साहित्य में कुछ अंश अत्यन्त कठिन हैं, लेकिन उनका अर्थ किसी प्रामाणिक गुरु से जानना चाहिए | वेदों को समझने की यही विधि है | श्रुति का अर्थ है, किसी अधिकारी से सुनना | मनुष्य को चाहिए कि अपने स्वार्थ के लिए कोई विवेचना न गढ़े | भगवद्गीता की अनेक टीकाएँ हैं, जिसमें मूलपाठ की गलत व्याख्या की गई है | शब्द का वास्तविक भावार्थ प्रस्तुत किया जाना चाहिए और इसे प्रामाणिक गुरु से ही सीखना चाहिए | . अक्रोध का अर्थ है, क्रोध को रोकना | यदि कोई क्षुब्ध बनावे तो ही सहिष्णु बने रहना चाहिए, क्योंकि एक बार क्रोध करने पर सारा शरीर दूषित हो जाता है | क्रोध रजोगुण तथा काम से उत्पन्न होता है | अतएव जो योगी है उसे क्रोध पर नियन्त्रण रखना चाहिए | अपैशुनम् का अर्थ है कि दूसरे के दोष न निकाले और व्यर्थ ही उन्हें सही न करे | निस्सन्देह चोर को चोर कहना छिद्रान्वेषण नहीं है, लेकिन निष्कपट व्यक्ति को चोर कहना उस व्यक्ति के लिए परम अपराध होगा जो आध्यात्मिक जीवन में प्रगति करना चाहता है | ह्री का अर्थ है कि मनुष्य अत्यन्त लज्जाशील हो और कोई गर्हित कार्य न करे | अचापलम् या संकल्प का अर्थ है कि मनुष्य किसी प्रयास से विचलित या उदास न हो | किसी प्रयास में भले ही असफलता क्यों न मिले, किन्तु मनुष्य को उसके लिए खिन्न नहीं होना चाहिए | उसे धैर्य तथा संकल्प के साथ प्रगति करनी चाहिए | . यहाँ पर प्रयुक्त तेजस् शब्द क्षत्रियों के निमित्त है | क्षत्रियों को अत्यन्त बलशाली होना चाहिए, जिससे वह निर्बलों की रक्षा कर सकें | उन्हें अहिंसक होने का दिखावा नहीं करना चाहिए | यदि हिंसा की आवश्यकता पड़े, तो हिंसा दिखानी चाहिए | लेकिन जो व्यक्ति अपने शत्रु का दमन कर सकता है, उसे चाहिए कि कुछ विशेष परिस्थितियों में क्षमा कर दे | वह छोटे अपराधों के लिए क्षमा-दान कर सकता है | . शौचम् का अर्थ है पवित्रता, जो न केवल मन तथा शरीर की हो, अपितु व्यवहार में भी हो | यह विशेष रूप से वणिक वर्ग के लिए है | उन्हें चाहिए कि वे काला बाजारी न करें | नाति-मानिता अर्थात् सम्मान की आशा न करना शूद्रों अर्थात् श्रमिक वर्ग के लिए है, जिन्हें वैदिक आदेशों के अनुसार चारों वर्णों में सबसे निम्न माना जाता है | उन्हें वृथा सम्मान या प्रतिष्ठा से फूलना नहीं चाहिए, बल्कि अपनी मर्यादा में बने रहना चाहिए | शूद्रों का कर्तव्य है कि सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए वे उच्चवर्णों का सम्मान करें | . यहाँ पर वर्णित छब्बीसों गुण दिव्य हैं | वर्णाश्रमधर्म के अनुसार इनका आचरण होना चाहिए | सारांश यह है कि भले ही भौतिक परिस्थितियाँ शौचनीय हों, यदि सभी वर्णों के लोग इन गुणों का अभ्यास करें, तो वे क्रमशः आध्यात्मिक अनुभूति के सर्वोच्च पद तक उठ सकते हैं | . प्रश्न १ : वर्णाश्रम धर्म के अनुसार ब्रह्मचार�� एवं गृहस्थ के क्या कर्तव्य इस श्लोक में बताये गये हैं ? . प्रश्न २ : रिक्त स्थान भरें : ____________ नामक सामाजिक संस्था - जो समाज को सामाजिक जीवन के चार विभागों एवं काम-धन्धों अथवा वर्णों के चार विभागों में विभाजित करती है - मानव समाज को ______________विभाजित करने के उद्देश्य से नहीं है | ऐसा विभाजन_________ के आधार पर किया जाता है | ये विभाजन समाज में ____________ बनाये रखने के लिए है |
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