#उपलब्धि
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मैं (#अरूण_दहिया_धारेडू.) धन्यवाद् करना चाहता हूं #आपका जिन्होंने पिछले साल मेरा साथ और सहयोग दिया। जाने अनजाने में यदि मेरे से कोई भूल हुई हो जिससे आपकी #भावनाओं को ठेस पहुंची हो,उसके लिए मैं #क्षमा प्रार्थी हूं।आपके इस #स्नेह, #प्यार और सम्मान के लिये मैं अत्यधिक #आत्मविभोर हूं और अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्दो का अभाव सा हो गया है। आप जैसे #दोस्त, #शुभचिंतक, #परिजन, #सगे_सम्बन्धी ही मेरी सबसे बड़ी #उपलब्धि, #पूंजी और कमाई हैं । एक बार फिर से आप सभी का दिल से #धन्यवाद हमेशा आपका आशीर्वाद, #प्रेम, #स्नेह यू ही बना रहे। आशा करता हूं कि कल आने वाले नए साल में भी आपका प्यार इसी तरह बना रहे। नव वर्ष 2023 की हार्दिक #शुभकामनाएं। 👏👏👏👏🙏🙏🙏 #अरुण_कुमार_धारेडू. (at Aks Common Service Center V.P.O Dhareru Bhiwani Haryana 127309) https://www.instagram.com/p/Cm3T8AcyUXU/?igshid=NGJjMDIxMWI=
#अरूण_दहिया_धारेडू#आपका#भावनाओं#क्षमा#स्नेह#प्यार#आत्मविभोर#दोस्त#शुभचिंतक#परिजन#सगे_सम्बन्धी#उपलब्धि#पूंजी#धन्यवाद#प्रेम#शुभकामनाएं।#अरुण_कुमार_धारेडू
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मुख्यमंत्री ने सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर गिनाईं उपलब्धियां
मुख्यमंत्री ने सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर गिनाईं उपलब्धियां
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर उपलब्धियां गिनायीं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने तीन वर्षों के कार्यकाल में आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के हक और अधिकार के लिए कई काम किये। उन्होंने 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बतायी। वे बुधवार को आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाहरी-भीतरी और आदिवासियों की राजनीति…
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भारत में गरीबी के कारण एवं समाधान।
गरीबी उपलब्धि की कमी नहीं है और अमीरी उपलब्धि का प्रभाव नहीं है, बल्कि गरीबी और अमीरी केवल दोषपूर्ण धन वितरण प्रणाली का परिणाम है।
#गरीबी उपलब्धि की कमी नहीं है और अमीरी उपलब्धि का प्रभाव नहीं है#बल्कि गरीबी और अमीरी केवल दोषपूर्ण धन वितरण प्रणाली का परिणाम है।
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त्रिपाठीप्रति जनलहर बढेपछि चौधरी काँग्रेसीलाई पकाउँदै, उपलब्धि शून्य
त्रिपाठीप्रति जनलहर बढेपछि चौधरी काँग्रेसीलाई पकाउँदै, उपलब्धि शून्य
नवलपरासी पश्चिम, १ मंसिर । नवलपरासी पश्चिमको क्षेत्र नं १ का जनता प्रगतिशील पार्टीका प्रतिनिधिसभा सदस्य उम्मेदवार हृदयेश त्रिपाठीप्रति जनलहर बढ्दै गएको छ । मतदाता पहुँचको राजनीति गर्नेभन्दा स्थानीय ठाउँमा रहेर काम गर्ने र राजनीति गर्ने उम्मेदवारलाई जिताउन चाहन्छन । एमाले र जसपा तालमेलका साझा उम्मेदवार प्रतापपुर गाउँपालिका का स्थानीयवासी र चार दशकदेखि सोही क्षेत्रमा सामाजिक, यातायात , राजनीतिक…
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DAY 5943
Jalsa, Mumbai May 26, 2024 Sun 11:18 PM
🪔 ,
May 27 .. birthday greetings to Ef Bhanu Kumar Bilala .. 🙏🏻🚩❤️
एक और संडे निकल गया , आशाएँ जो मन को डराती थीं दूर हो गयीं , प्यार आदर समर्पण मेरा सदा आप सब के प्रति । इससे बड़ी उपलब्धि मेरे लिये नहीं ।
🙏
... and here on this lit desk of mine , with thoughts that contemplate what needs to be expressed here and in what dimension and contextual content .. I sit .. at times a gaze on the clock, at times on the reflection on the day passed .. and at times just listening to a creative .. and the immediate visualisation of a cinematic representation, if at all it were to see the light of day ..
Happens so often .. an immediate putting of yourself in a situation which you have devised and associated with the sounds of the tone trunk and tenor of the music ..
There is dislike towards the idea of putting the self in the creativity of an event, a product, a campaign .. as has been expressed often enough here and several other states - the barricaded wall towards the I ME MINE syndrome ..
Many that make such consider it a moment of great sale value ..
Could be for them .. do it if you want to ..
But doing it with me , for me , from me ,does not .. repeat, DOES NOT have compliance ..
Never catered to it and never subscribed to it either .. you or any other brings joy to you .. do it without my participation .. that is a independent right .. you have an opinion, a criticism, laudatory or otherwise , a documented record not contributed by me - fine ..
But my participation in the exercise is uncomfortable for me ..
"Abhorrence towards self-aggrandizement stems from the distaste for excessive self-promotion and narcissism. Society values humility and teamwork, viewing self-aggrandizing behavior as a sign of insecurity and a lack of genuine accomplishment. This disdain is rooted in the belief that true success and worth are recognized through actions and contributions rather than boastful proclamations. Individuals who excessively promote themselves often alienate others, undermining trust and collaboration. The collective preference for modesty and authenticity over self-serving arrogance fosters a more cohesive and respectful community, where achievements are celebrated for their intrinsic value rather than the loudness of their declaration."
... and I glance through the pages of one that has corresponded with Babuji and has , with the collection of his letters, brought out a book ..
one such letter, Babuji's content text says :
.. he that writes a complicated mind set, does not give a suitable proof of the purity of the writing .. 'why' did Tulsidas write the Ramayan, 'how' did he write it , could be the subject of dissertation among some of the learned intellectual beings .. most of the people just know that Tulsidas wrote the Ramayan .. when there is no deeper thought on 'what' .. then to beat the drum on the 'why' and the 'how' does not clarify or contribute to any meaning ..
It is a response to a letter by someone that has been brought to his notice, and asked him why he does not refute these insincere and absolutely wrong impressions that people have expressed towards his works - in particular 'Madhushala', - which the letter writer complains, is a propagation and a promotion for alcoholism !
मेरे पास सीमित-शक्ति है । मूर्खताओं को उत्तर दूँ या किसी रचनात्मक कार्य में लगाऊँ
I have limited time and strengths .. do I spend my time replying and responding to foolish idiots, or putting my efforts in use towards more creative cognitive work ..
And here endeth the lesson for the day ..
The IPL Final is over and KKR have WON a most convincing victory .. SRH were simply outplayed .. disappointing in many ways becuse SRH is a good team and one has seen their very grand performances over the days when they played other matches ..
But what was most touching to observe was the pretty young lady , .. the owner of SRH, in the Stadium, get emotional after the loss and break into tears, turning her face away from the cameras, so as not to display her emotion .. I felt bad for her !!
Never mind .. tomorrow is another day .. my dear !!
Indeed .. to quote that famous line from the film 'Gone with the Wind' when the character of Rhett Butler, played by the great Clark Gable turns away from his lady love Scarlett O' Hara, played by the inimitable Vivien Leigh, in the climax and leaves saying :
" Frankly .. I couldn't give a damn ..!!
and she responds as he walks away :
'.. i'll get him back .. after all tomorrow is another day .. '
YES yes , yes ..
to all that fail .. do not give up .. for ..
'tomorrow is another day ...
My love .. ❤️
Amitabh Bachchan
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17.07.2024, जयपुर | शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान तथा संगीत, फिल्म एवं मनोरंजन इंडस्ट्री के क्षेत्र में परस्पर सहभागिता हेतु निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मध्य MOU | समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया | MOU | समझौता ज्ञापन पर निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान के प्रो0 चांसलर, प्रो0 अमेरिका सिंह तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने हस्ताक्षर किये |
इस अवसर पर निम्स यूनिवर्सिटी के प्रो0 चांसलर, प्रो0 अमेरिका सिंह ने कहा कि, "इस MOU | समझौता ज्ञापन का उद्देश्य शैक्षिक उत्कृष्टता, सांस्कृतिक संवर्धन और सामाजिक कल्याण तथा संगीत, फिल्म एवं मनोरंजन इंडस्ट्री के क्षेत्र में परस्पर सहभागिता को लेकर निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर, राजस्थान और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच एक सहयोगात्मक संबंध स्थापित करना है । दोनों पक्ष आपसी उद्देश्यों को प्राप्त करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हैं ।“
श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि “आज का यह अवसर हमारे लिए अत्यंत गर्व और उपलब्धि का है | निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर, राजस्थान और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच होने वाले MOU | समझौता ज्ञापन के माध्यम से हम एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं ।
हमारा उद्देश��य सदैव से ही जन हित में कार्य करना रहा है | शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में हम मिलकर अनेक परियोजनाओं पर कार्य करेंगे, जिससे न केवल हमारे छात्रों को लाभ होगा, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को भी इसका प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा ।
हम विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और सामाजिक अभियानों का आयोजन करेंगे, जो समाज के वंचित वर्गों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होंगे । हम छात्रों को केवल सैद्धांतिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान करेंगे, जिससे वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकें और एक बेहतर नागरिक बन सकें | हमे पूरा विश्वास है कि निम्स यूनिवर्सिटी और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का साथ हमारे समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा | हम सभी का सामूहिक प्रयास निश्चित रूप से हमारे उद्देश्यों की पूर्ति करेगा और समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएगा | निम्स यूनिवर्सिटी के समस्त सदस्यों का धन्यवाद एवं आभार, जिन्होंने इस MOU को बनाने में अपना योगदान दिया । साथ ही हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सभी सदस्यों का आभार जिनकी 12 वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण ने आज के दिन को ऐतिहासिक बना दिया है |
आप यदि समाजसेवा में अपना योगदान करना चाहें तो आप हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ सकतें हैं और ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान कर, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाज सेवा कर सकते हैं । यह आवश्यक नही है कि आप ट्रस्ट को आर्थिक सहयोग (Donation, Sponsorship, CSR आदि) ही प्रदान करें बल्कि आप अपने सेवा क्षेत्र के माध्यम से हमारे सलाहकार, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य, Coordinator, Goodwill Ambassador, संयुक्त तत्वावधान में आयोजन करके, भी अपना बहुमूल्य योगदान जनहित में प्रदान कर सकते हैं |”
निम्स यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, डॉ. (प्रो0) संदीप त्रिपाठी ने कहा कि “निम्स यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के मध्य MOU | समझौता ज्ञापन शिक्षा के साथ संगीत, मनोरंजन एवं फिल्म इंडस्ट्री में छात्र-छात्राओं को नई दिशा प्रदान करेगा |”
इस अवसर पर निम्स यूनिवर्सिटी से डॉ. (प्रो0) संदीप त्रिपाठी (रजिस्ट्रार), डॉ. हिमांशु त्रिपाठी, डॉ. तुषार जगावत, श्री आशीष माथुर, डॉ. दीप्ति रस्तोगी, डॉ. कुलदीप सिंह झाला, डॉ. पियूष पाठक, डॉ. गोविन्द उपाध्याय, श्री राधेश्याम गुर्जर, श्री अशोक कुमार मेर, श्री आशुतोष सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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पूर्ण आत्मज्ञान कब प्राप्त होता है?
अचिंत्य - हम में से बहुत सारे लोगों के मन में आत्मज्ञान के संबंध में कई तरह के भ्रम हैं, कई तरह की गलत धारणाएं हमने बना ली हैं। जैसे बहुत सारे लोगों को लगता है कि आत्मज्ञान में आपको किसी दिन किसी दिव्य ज्योति के दर्शन होते है, किसी परमात्मा के दर्शन होते है और फिर जैसे आपका चेहरा चमकने लगता है जैसे कोई ओरा आपको घेर लेता है। आत्मज्ञान को लेकर यह भ्रम है लोगों का।
इसी के साथ बहुत सारे लोगों को आत्मज्ञान के संबंध में ऐसा भी भ्रम रहता है कि आत्मज्ञान मिलने पर हमको कोई दिव्य ज्ञान, बहुत सारा ज्ञान एकदम से प्राप्त हो जाता है और फिर बुद्ध की तरह हमसे ज्ञान बरसने लगता है तो आत्मज्ञान मतलब क���ई अदभुत ज्ञान हमें मिल जायेगा फिर हम वो बांटेंगे और वो परेशान हो जाते हैं उनको ऐसा कोई ज्ञान नहीं मिलता है तो कि इतने दिन से साधना कर रहे है लेकिन अभी तक मिला क्यो नहीं।
इसी के साथ बहुत सारे लोगों के मन में ये भी धारणा होती है आत्मज्ञान के संबंध में कि आत्मज्ञान किसी तरह की कोई उपलब्धि है, कोई अचीवमेंट है जो किसी दिन जाकर समाप्त हो जाती है। माने एक दिन ऐसा आता है जब हमें आत्मज्ञान हो जाता हैं और फिर हो गया काम पूरा और ये बाते उन लोगों के मन में आती है जो आत्मज्ञान के नाम पर बहुत सारी विधियां या कुछ करते हैं तो उनको लगता है कि अच्छा इतने दिन तक करना पड़ेगी और जब मिल जायेगा फिर इनसे छुटकारा मिलेगा तो विधियां अपनाते है विधियां ही उनके लिए बोझ जाती है बंधन बन जाती है फिर परेशान होते रहते हैं कब होगा, कब होगा ताकि इस मुक्ति मिले।
तो क्या यही आत्मज्ञान है ? नहीं। आत्मज्ञान वो नहीं है जो आप सोच रहे है। जो इस तरह की कल्पना की जा रही है। इन सब से आत्मज्ञान का कोई संबंध नहीं है।
सबसे पहले तो आत्मज्ञान किसी तरह की कोई उपलब्धि, कोई अचीवमेंट नहीं है। आत्मज्ञान कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी दिन किसी स्थिति में पहुंच कर प्राप्त होगी और आत्मज्ञान का कभी कोई अंत नहीं होता है। किसी तरह का निष्कर्ष निकाल लेना आत्मज्ञान नहीं है क्योंकि जो मन कुछ निष्कर्ष निकाल कर वहीं पर रुक जाता है। जो मन सीखना, जानना बंद कर देता है वह मन तो मुर्दा है। तो ना तो आत्मज्ञान कोई उपलब्धि है, ना ही ये कभी खत्म होता है और ना ही इस में किसी निष्कर्ष पर रुक जाना होता है बल्कि आत्मज्ञान तो स्वयं को जानते रहने की एक सतत प्रक्रिया है। क्यो? क्योंकि आप अपने आप को स्वयं को जो जानते है, जो मानते है। जिसे आप कहते है ये “मैं” वो लगातार बदल रहा है और बाहर पूरा अस्तित्व जो है वह भी बदल रहा है तो अस्तित्व में कुछ भी स्थायी नहीं है हर क्षण सतत स्वयं को जानते रहना होता है क्योंकि अस्तित्व में हर क्षण आपके लिए नया है। प्रत्येक अनुभव आपके लिए नया है और जितना अधिक आप स्वयं को जानते जाते है उतनी अधिक स्पष्टता आपको आती जाती है जैसे जैसे आप जानते जाते है स्पष्टता आती जाती है तो आत्मज्ञान कोई उपलब्धि नहीं, उसका कोई अंत नहीं बल्कि आत्मज्ञान हर क्षण स्वयं के प्रति सजग रहने की, अवेयर रहने की एक सतत प्रक्रिया है जो जीवन पर्यन्त चलती रहती है। सीखते रहने की सतत जानते रहने की प्रक्रिया को ही तो ध्यान कहते है। यह सजगता ही तो वो ध्यान है। स्वयं के प्रति सजग रहने का मतलब अपने कर्मों के प्रति सजग रहना, अपने वचनों के प्रति सजग रहना, अपने चुनावों के प्रति सजग रहना क्या चुन रहे हो, किसे चुन रहे हो, क्यों चुन रहे हो उनके प्रति सजग रहना। अपने विचारों के प्रति सजग रहना क्या विचार है, कहा से आ रहे है, क्यों उठ रहे है। अपनी वृत्तियों के प्रति सजग रहना। इन सबके प्रति सजग रहना ध्यान का ही हिस्सा है इससे अलग ध्यान और कुछ न��ीं होता है। और ये जो सजगता होती है अवेयरनेस, अवलोकन होता है कर्मों के प्रति, चुनावों के प्रति, विचारों के प्रति, वृत्तियों के प्रति, अहंकार के प्रति इसी के माध्यम से स्वयं को लगातार जानते है और हमने कहां की जितना अधिक आप स्वयं को जानते जायेंगे उतनी अधिक स्पष्टता बढ़ती जाएगी।
पूर्ण पोस्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 👉
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इसरो (ISRO) द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से SSLV-D3/EOS-08 का सफल प्रक्षेपण किया ।
ये अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट EOS-08 पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा ।
इस उपलब्धि के लिए इसरो (ISRO) के सभी वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
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इसरो (ISRO) द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से SSLV-D3/EOS-08 का सफल प्रक्षेपण किया ।
ये अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट EOS-08 पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा ।
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इसरो (ISRO) द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से SSLV-D3/EOS-08 का सफल प्रक्षेपण किया ।
ये अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट EOS-08 पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा ।
इस उपलब्धि के लिए इसरो (ISRO) के सभी वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
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एआई आधारित छवि पहचान प्रणाली
परिचय: आधुनिक तकनीकी विकास के साथ, कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) क्षेत्र में एक नया अध्याय खुल रहा है। एक ऐसी तकनीक जो विशेष रूप से अंधाकार में समय बिताती है और उज्ज्वलता लाती है, छवि पहचान प्रणाली है। यह तकनीक छवियों को विशेषता और आदर्शता के आधार पर पहचानने में मदद करती है, जो अनेक क्षेत्रों में उपयोगी है। इस लेख में, हम एआई आधारित छवि पहचान प्रणाली के बारे में बात करेंगे।
एआई आधारित छवि पहचान प्रणाली: एआई आधारित छवि पहचान प्रणाली कंप्यूटर विज्ञान में एक उत्कृष्ट उपलब्धि है। इस प्रणाली में, कंप्यूटर सिस्टम को प्रशिक्षित किया जाता है कि वह छवियों में विशेष विशेषताओं और पैटर्न को कैसे पहचाने। यह सिस्टम बड़ी संख्या में छवियों को एक-से-एक अनुमानित कर सकता है, जो इंसानी नजर से संभव नहीं है।
कैसे काम करता है: छवि पहचान प्रणाली आमतौर पर दो प्रमुख चरणों में काम करती है - प्रशिक्षण और परीक्षण। प्रशिक्षण के दौरान, सिस्टम को लाखों छवियों का डेटासेट प्रदान किया जाता है, जिसमें उनके साथ संबंधित टैग और विशेषताएं होती हैं। सिस्टम फिर से और फिर से इस डेटा को प्रोसेस करता है और अपनी प्रतिक्रिया को संशोधित करता है ताकि यह सही परिणाम प्राप्त कर सके।
एक बार प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, सिस्टम परीक्षण में जाता है, जिसमें नए और अज्ञात छवियों का परीक्षण किया जाता है। सिस्टम को दिए गए प्रशिक्षण के आधार पर, यह छवियों को पहचानने का प्रयास करता है और अपने प्रशिक्षित डेटासेट के अनुसार परिणाम उत्पन्न करता है।
उपयोग क्षेत्र: छवि पहचान प्रणाली के कई कामकाजी उपयोग हैं। यह बड़ी मात्रा में डेटा को विश्लेषित करने, व्यापार विश्लेषण करने, यातायात निगरानी करने, चिकित्सा डायग्नोसिस में सहायक होने, और बहुत कुछ में उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, यह सिस्टम सुरक्षा में भी मदद कर सकता है, जैसे कि चेहरों की पहचान और आईआरसीटीवी कैमरों का उपयोग।
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अर्जुन पंचारिया के बारे में जानकारी
��र्जुन पंचारिया: प्रसिद्ध व्यक्ति के एक प्रमुख नाम के बारे में जानेंअर्जुन पंचारिया: प्रसिद्ध व्यक्ति के एक प्रमुख नाम के बारे में जानें विश्व भर में बहुत से लोग हैं जिनका नाम अर्जुन पंचारिया है। यह नाम एक प्रमुख और प्रसिद्ध व्यक्ति की याद दिलाता है, जिसने अपनी मेहनत और साहसिकता से दुनिया को प्रभावित किया है। इस लेख में हम अर्जुन पंचारिया के बारे में और उनके जीवन के बारे में थोड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे। यहां हम उनकी प्रमुख योग्यताओं, कार्यों और उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिनसे वे पूरे विश्व में मशहूर हुए हैं। आइए इस लेख के माध्यम से अर्जुन पंचारिया के बारे में और उनके जीवन के बारे में और अधिक जानते हैं।अर्जुन पंचारिया का जन्म 04 अक्टूबर 2005 में राजस्थान के बीकानेर जिले के सिंधु मोरखाना गांव में हुआ था।अर्जुन पंचारिया राजस्थान के बीकानेर जिले के लोकमान्य पत्रकार रह चुके है। हालांकि वह अभी पत्रकार नहीं हैं। अभी वह राष्ट्रीय परशुराम सेना के ती हैं। उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण मी��� के पत्थर पाए हैं और अपने क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। अर्जुन पंचारिया एक व्यापारी, उद्यमी, और प्रेरणादायक वक्ता हैं।उनकी पहली बड़ी उपलब्धि उनके इंटेलीजेंट मन का परिणाम है, जिसने उन्हें व्यापार की दुनिया में एक नामी बनाया है। अर्जुन पंचारिया ने अपने व्यापारी महत्वपूर्ण क्षेत्र में कई सफल उद्यमों की स्थापना की है, जिनमें खुदरा व्यापार, वाणिज्यिक निवेश और वाणिज्यिक अभियांत्रिकी शामिल हैं।
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भारत ने रचा इतिहास 🇮🇳
चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर @Isro.in को बधाई!
चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा चंद्रयान-3, देशभर में जश्न का माहौल, ISRO सेंटर में खुशी...
यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि और कौशल का प्रमाण है, और इसरो टीम की मेहनत....
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अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने सीनेट में ‘टाई-ब्रेकिंग’ वोट के साथ रचा इतिहास
हैरिस ने 2020 में अमेरिका की पहली महिला एवं प्रथम अश्वेत उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रचा था।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने सीनेट में एक मतदान में दोनों पक्षों के समान वोट पड़ने की स्थिति में अपना मत (टाई-ब्रेकिंग वोट) डालकर अमेरिका के इतिहास में एक और नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है।
खबर में आगे पढ़ें....
कमला हैरिस ने रचा इतिहास, 2020 में किया था कुछ ऐसा ही
उपराष्ट्रपति के रूप में डाले गए ऐसे वोटों की कुल संख्या 31 हो गई।
मेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट्स के पास 51 सीटें और रिपब्लिकन के पास 49 सीटें हैं
हैरिस ने रचा एक नया इतिहास
हैरिस ने उपराष्ट्रपति के रूप में "टाई-ब्रेकिंग वोट" डालने के 191 साल पुराने रिकार्ड की बराबरी की और संघीय एजेंसी की सदस्य के रुप में भारतीय मूल की कल्पना कोटागल के नामांकन का समर्थन किया। हैरिस ने इस तरह सीनेटर जॉन सी कैलहॉन के रिकॉर्ड की बराबरी की है। कैलहॉन ने 1825 से 1832 तक पूर्व राष्ट्रपति जॉन क्विंसी एडम्स और एंड्रयू जैक्सन के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।
2020 में भी रचा था हैरिस ने इतिहास
इससे पहले हैरिस ने 2020 में अमेरिका की पहली महिला एवं प्रथम अश्वेत उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रचा था। हैरिस (58) ने बुधवार को 'समान रोजगार अवसर आयोग' के सदस्य के रूप में सेवा करने के लिए विविधता, समानता और समावेशन विशेषज्ञ, कोटागल के नामांकन के लिए अपना वोट डाला।
'समान रोजगार अवसर आयोग' संघीय कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार संस्था है। यह आयोग किसी नौकरी आवेदक या कर्मचारी के खिलाफ उसकी जाति, रंग, धर्म, लिंग, राष्ट्रीयता, उम्र (40 या अधिक), दिव्यांगता या आनुवांशिक जानकारी के आधार पर भेदभाव को रोकने के लिए काम करता है।
उपराष्ट्रपति के रूप में डाले गए ऐसे वोटों की कुल संख्या 31 हो गई।
कोटागल के नामांकन पर सीनेट में हुए मतदान में हैरिस ने 50-50 के अनुपाम में पड़े वोटों से हुए टाई को समाप्त कर दिया, जिससे उनके पद संभालने के बाद से उपराष्ट्रपति के रूप में डाले गए ऐसे वोटों की कुल संख्या 31 हो गई।
मौजूदा 118वीं अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट्स के पास 51 सीटें और रिपब्लिकन के पास 49 सीटें हैं।सीनेट में बहुमत के नेता चक शूमर ने बुधवार शाम को सदन में हैरिस की उपलब्धि की सराहना की। हिल अखबार ने उनके हवाले से कहा, "मैं यह उल्लेख करना चाहता हूं कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।"
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श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 1.39 https://srimadbhagavadgita.in/1/39 कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः । धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ॥ १.३९ ॥ TRANSLATION कुल का नाश होने पर सनातन कुल-परम्परा नष्ट हो जाती है और इस तरह शेष कुल भी अधर्म में प्रवृत्त हो जाता है । PURPORT वर्णाश्रम व्यवस्था में धार्मिक परम्पराओं के अनेक नियम हैं जिनकी सहायता से परिवार के सदस्य ठीक से उन्नति करके आध्यात्मिक मूल्यों कि उपलब्धि कर सकते हैं । परिवार में जन्म से लेकर मृत्यु तक के सारे संस्कारों के लिए वयोवृद्ध लोग उत्तरदायी होते हैं । किन्तु इन वयवृद्धों कि मृत्यु के पश्चात् संस्कार सम्बन्धी पारिवारिक परम्पराएँ रुक जाती हैं और परिवार के जो तरुण सदस्य बचे रहते हैं वे अधर्ममय व्यसनों में प्रवृत्त होने से मुक्ति-लाभ से वंचित रह सकते हैं । अतः किसी भी कारणवश परिवार वयोवृद्धों का वध नहीं होना चाहिए । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 1.39 kula-kṣaye praṇaśyanti kula-dharmāḥ sanātanāḥ dharme naṣṭe kulaṁ kṛtsnam adharmo ’bhibhavaty uta TRANSLATION With the destruction of the dynasty, the eternal family tradition is vanquished, and thus the rest of the family becomes involved in irreligion. PURPORT In the system of the varṇāśrama institution there are many principles of religious traditions to help members of the family grow properly and attain spiritual values. The elder members are responsible for such purifying processes in the family, beginning from birth to death. But on the death of the elder members, such family traditions of purification may stop, and the remaining younger family members may develop irreligious habits and thereby lose their chance for spiritual salvation. Therefore, for no purpose should the elder members of the family be slain. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #bhagavatamin #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
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इसरो (ISRO) द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से SSLV-D3/EOS-08 का सफल प्रक्षेपण किया ।
ये अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट EOS-08 पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा ।
इस उपलब्धि के लिए इसरो (ISRO) के सभी वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
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