#उनक..
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shriramdass890 · 3 days ago
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pujajadhav55 · 6 days ago
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sanjaydass9 · 3 months ago
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bhagwatdas · 7 months ago
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transparentdestinypaper · 2 years ago
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kramsingh1959 · 2 years ago
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hardpersonbeard · 2 years ago
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jyotis-things · 18 days ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart130 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart131
अनहोनी की परमात्मा ने (शादी के 16 साल बाद संतान प्राप्ति)
सतगुरु के दरबार में कमी काहे की नाहीं। हंसा मौज न पावता तेरी चूक चाकरी माहीं ।।
मैं भक्त रामजी दास ग्राम-कटरा पोस्ट-सलेहा, जिला-पन्ना (मध्यप्रदेश) का निवासी हूँ। मैं बचपन से परमात्मा की खोज में लगा हुआ था और हिन्दू धर्म के मंदिरों व धामों आदि पर जाता रहता था। साथ ही एक कबीर पंथी संत से नाम-उपदेश भी लिया हुआ था। मेरी शादी को कई साल बीत गए थे। लेकिन हमें कोई संतान प्राप्ति नहीं हुई। जहाँ मेडिकल फेल हो जाता ��ै, वहाँ परमात्मा का विधान शुरू होता है।
कई जगह (देवी-देवताओं के पास मंदिर-मस्जिद, झाड़-फूंक करवाया) गए, वैष्णो देवी जम्मू भी गया, बड़े-बड़े डॉक्टरों को दिखाया। सबसे पहले सिविल अस्पताल मैहर में डॉ. श्रीमति एस. बी. अवधिया एम.डी. (D.G.O.), प्रसूति एवम् स्त्री रोग चिकित्सक को दिखाया और अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी के द्वारा उन्होंने देखा कि उनकी बच्चेदानी में गाँठें हैं, वे निकालनी पड़ेंगी। इसके लिए सतना में जाना पड़ेगा। 18 फरवरी 2009 में शकुंतलम् नर्सिंग होम सतना में बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ। इसके बाद भी हमें संतान प्राप्ति नहीं हुई। लेकिन दवाएँ चलती रही। इसके बाद सन् 2012 में शारदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर सतना में डॉ. महेन्द्र सिंह (M.B.B.S., D.G.O.) के यहाँ 1 वर्ष तक इलाज चला। फिर अंत में डॉक्टरों ने हमें बोल दिया कि आप टेस्ट-ट्यूब बेबी करवा सकते हैं। परंतु उसकी भी कोई गारंटी नहीं है। उसमें लाख दो लाख रूपये खर्च आता है।
हम गरीब आदमी इतनी बड़ी रकम कहाँ से लाते ? हमने मना कर दिया। हमने दुनिया के लोगों की रोज की बातों से तंग आकर फैसला किया कि चलो ! रोज की खिच खिच से अच्छा हम नोएडा (उत्तर प्रदेश) चलते हैं।
वहीं काम करेंगे और वहीं इलाज करवाएँगे। फिर हमने सुन रखा था कि वैष्णों देवी जाने से संतान प्राप्ति होती है तो जुलाई 2012 में कटरा (जम्मू) जाकर वैष्णों देवी की यात्रा की। इससे भी कोई राहत नहीं मिली। हम मकर सक्रांति को जनवरी 2013 को घर आये। हम साधना चैनल पर सत्संग कार्यक्रम देखते थे। मेरे पिता जी बोले कि कबीर साहेब जी का सत्संग आता है, आप भी देखो। हमने सत्संग देखा और पुस्तक "ज्ञान गंगा" मंगवाई जो हमारे घर निःशुल्क प्राप्त हुई। पिताजी बोले कि आप बरवाला आश्रम चले जाओ, परमात्मा शायद दया करें।
हम दोनों ने 21 अप्रैल 2013 को सतलोक आश्रम बरवाला में सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम-दीक्षा लेकर अरदास लगाई कि कई साल हो गए, हमें संतान प्राप्ति नहीं हो रही है। परमात्मा बोले कि बेटा! भक्ति करो, परमात्मा दया करेंगे। इस प्रकार चलते-चलते नवम्बर 2014 में बरवाला कांड की लीला हो गई। हम घर आ गए। हमें पता लग गया था कि ये मानव जीवन किसलिए मिला है और हम भक्ति करने लगे थे। कुछ दिनों बाद फिर घर-परिवार वाले और रिश्तेदार वही पुराना रोना रोने लगे कि एक संतान तो होनी ही चाहिए। गाँव के लोग तो कभी-कभी यहाँ तक बोलने लगे कि इनका तो मुँह भी नहीं देखना चाहिए। एक दिन भक्तमति बोली कि चलो दवा करवाते हैं। परमात्मा दवा के लिए तो मना नहीं करते। हमने गुरु जी से अरदास लगाई कि दवा करवा लें। गुरु जी बोले कि करवा लो, परमात्मा दया करेंगे। फिर हमने डॉ. आभा पाठक (M.B.B.S., M.S., Gynecologist & Obstetrician) पाठक नर्सिंग होम सतना में मार्च 2019 में इलाज शुरू किया। उन्होंने भी लॉस्ट में बोल दिया कि हम ऐसे केस नहीं लेते। आपका तो भगवान ही मालिक है। अब मेडिकल और सांईस दोनों फेल हो चुके थे। डॉक्टर मैडम के ऐसे बोलने पर हमने फैसला कर लिया कि अब हम कहीं दवा नहीं करवाएँगे। जो करेंगे, वो सब बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज ही करेंगे। फिर सितम्बर 2020 में परमात्मा ने अपने कोटे से एक भक्त आत्मा हमें संतान रूप में दी जो हमारी किस्मत में नहीं थी। वह परमात्मा ने दी। यहाँ तक कि जब हमारी भक्तमति घर से बाहर निकलती थी तो लोग बोलते थे कि यह बांझ है, इसका मुँह नहीं देखना चाहिए। परमात्मा ने उन्हें भी दिखा दिया।
उसके बाद तो परमात्मा पल-पल हमारे साथ चमत्कार करते हैं। एक समय की बात है, हम और भक्तमति मोटरसाइकिल पर कहीं जा रहे थे। अचानक हमारा एक्सीडेंट हो गया। भक्तमति का सिर फट गया। मुँह से झाग निकलने लगा, मानो मृत्यु हो गई हो। अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा कि ये बेहोश हैं और सिर की चोट है। अगर इनको होश नहीं आया तो ये कोमा में भी जा सकती हैं। सुबह 10:00 बजे हमारा एक्सीडेंट हुआ था और शाम को 3:00 बजे के आसपास भक्तमति जी को होश आ गया और हम घर आ गये।
एक जगह दास मजदूरी करता है। एक जगह काम के लिए गया था। जिनके यहाँ काम करना था, उनका मकान जर्जर ���ा। जैसे ही दास ने प्रवेश किया, उस मकान में ऊपर से एक लकड़ी का गार्डर मेरे ऊपर गिर गया और लोगों ने कहा कि यह तो मर गया होगा। लेकिन जब दास ने ऊपर देखा तो सिर से 6 अंगुल ऊपर वह गार्डर का टुकड़ा हवा में लटकता रहा। जब दास ने उसको देखा तो दास के आँसू निकलने लगे।
पूर्ण परमात्मा की शरण में आने के बाद मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिल गई। सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि संत रामपाल जी महाराज ने मुझे पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का परिचय करवा दिया, परिणामस्वरूप अब हमारा पूर्ण मोक्ष निश्��ित है। रामजी दास, ग्राम कटरा, जिला पन्ना (मध्यप्रदेश)
सम्पर्क सूत्र :- 9752319125
उपरोक्त कुछ भक्तात्माओं की आत्मकथाएँ आपने पढ़ी। ऐसे-ऐसे भक्त अनेकों हैं जो अपनी आत्मकथा पुस्तकों में लिखवाना चाहते हैं। परंतु यहाँ स्थान के अभाव के कारण हम कुछेक भक्तों की आत्मकथा लिख पाए। यदि सभी भक्तों की आत्मकथा हम लिखने बैठ जाएँ तो शायद सैंकड़ों पुस्तकें छप जाएँगी। इसलिए समझदार व्यक्ति को संकेत ही पर्याप्त होता है। अगर आप अन्य कुछ भक्तों के अनुभव और सत्संग वीडियो में देखना चाहते हैं तो हमारी एप "Sant Rampal Ji Maharaj" पर देख व सुन सकते हैं।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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pradeep-chauhan · 19 days ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart130 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart131
अनहोनी की परमात्मा ने (शादी के 16 साल बाद संतान प्राप्ति)
सतगुरु के दरबार में कमी काहे की नाहीं। हंसा मौज न पावता तेरी चूक चाकरी माहीं ।।
मैं भक्त रामजी दास ग्राम-कटरा पोस्ट-सलेहा, जिला-पन्ना (मध्यप्रदेश) का निवासी हूँ। मैं बचपन से परमात्मा की खोज में लगा हुआ था और हिन्दू धर्म के मंदिरों व धामों आदि पर जाता रहता था। साथ ही एक कबीर पंथी संत से नाम-उपदेश भी लिया हुआ था। मेरी शादी को कई साल बीत गए थे। लेकिन हमें कोई संतान प्राप्ति नहीं हुई। जहाँ मेडिकल फेल हो जाता है, वहाँ परमात्मा का विधान शुरू होता है।
कई जगह (देवी-देवताओं के पास मंदिर-मस्जिद, झाड़-फूंक करवाया) गए, वैष्णो देवी जम्मू भी गया, बड़े-बड़े डॉक्टरों को दिखाया। सबसे पहले सिविल अस्पताल मैहर में डॉ. श्रीमति एस. बी. अवधिया एम.डी. (D.G.O.), प्रसूति एवम् स्त्री रोग चिकित्सक को दिखाया और अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी के द्वारा उन्होंने देखा कि उनकी बच्चेदानी में गाँठें हैं, वे निकालनी पड़ेंगी। इसके लिए सतना में जाना पड़ेगा। 18 फरवरी 2009 में शकुंतलम् नर्सिंग होम सतना में बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ। इसके बाद भी हमें संतान प्राप्ति नहीं हुई। लेकिन दवाएँ चलती रही। इसके बाद सन् 2012 में शारदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर सतना में डॉ. महेन्द्र सिंह (M.B.B.S., D.G.O.) के यहाँ 1 वर्ष तक इलाज चला। फिर अंत में डॉक्टरों ने हमें बोल दिया कि आप टेस्ट-ट्यूब बेबी करवा सकते हैं। परंतु उसकी भी कोई गारंटी नहीं है। उसमें लाख दो लाख रूपये खर्च आता है।
हम गरीब आदमी इतनी बड़ी रकम कहाँ से लाते ? हमने मना कर दिया। हमने दुनिया के लोगों की रोज की बातों से तंग आकर फैसला किया कि चलो ! रोज की खिच खिच से अच्छा हम नोएडा (उत्तर प्रदेश) चलते हैं।
वहीं काम करेंगे और वहीं इलाज करवाएँगे। फिर हमने सुन रखा था कि वैष्णों देवी जाने से संतान प्राप्ति होती है तो जुलाई 2012 में कटरा (जम्मू) जाकर वैष्णों देवी की यात्रा की। इससे भी कोई राहत नहीं मिली। हम मकर सक्रांति को जनवरी 2013 को घर आये। हम साधना चैनल पर सत्संग कार्यक्रम देखते थे। मेरे पिता जी बोले कि कबीर साहेब जी का सत्संग आता है, आप भी देखो। हमने सत्संग देखा और पुस्तक "ज्ञान गंगा" मंगवाई जो हमारे घर निःशुल्क प्राप्त हुई। पिताजी बोले कि आप बरवाला आश्रम चले जाओ, परमात्मा शायद दया करें।
हम दोनों ने 21 अप्रैल 2013 को सतलोक आश्रम बरवाला में सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम-दीक्षा लेकर अरदास लगाई कि कई साल हो गए, हमें संतान प्राप्ति नहीं हो रही है। परमात्मा बोले कि बेटा! भक्ति करो, परमात्मा दया करेंगे। इस प्रकार चलते-चलते नवम्बर 2014 में बरवाला कांड की लीला हो गई। हम घर आ गए। हमें पता लग गया था कि ये मानव जीवन किसलिए मिला है और हम भक्ति करने लगे थे। कुछ दिनों बाद फिर घर-परिवार वाले और रिश्तेदार वही पुराना रोना रोने लगे कि एक संतान तो होनी ही चाहिए। गाँव के लोग तो कभी-कभी यहाँ तक बोलने लगे कि इनका तो मुँह भी नहीं देखना चाहिए। एक दिन भक्तमति बोली कि चलो दवा करवाते हैं। परमात्मा दवा के लिए तो मना नहीं करते। हमने गुरु जी से अरदास लगाई कि दवा करवा लें। गुरु जी बोले कि करवा लो, परमात्मा दया करेंगे। फिर हमने डॉ. आभा पाठक (M.B.B.S., M.S., Gynecologist & Obstetrician) पाठक नर्सिंग होम सतना में मार्च 2019 में इलाज शुरू किया। उन्होंने भी लॉस्ट में बोल दिया कि हम ऐसे केस नहीं लेते। आपका तो भगवान ही मालिक है। अब मेडिकल और सांईस दोनों फेल हो चुके थे। डॉक्टर मैडम के ऐसे बोलने पर हमने फैसला कर लिया कि अब हम कहीं दवा नहीं करवाएँगे। जो करेंगे, वो सब बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज ही करेंगे। फिर सितम्बर 2020 में परमात्मा ने अपने कोटे से एक भक्त आत्मा हमें संतान रूप में दी जो हमारी किस्मत में नहीं थी। वह परमात्मा ने दी। यहाँ तक कि जब हमारी भक्तमति घर से बाहर निकलती थी तो लोग बोलते थे कि यह बांझ है, इसका मुँह नहीं देखना चाहिए। परमात्मा ने उन्हें भी दिखा दिया।
उसके बाद तो परमात्मा पल-पल हमारे साथ चमत्कार करते हैं। एक समय की बात है, हम और भक्तमति मोटरसाइकिल पर कहीं जा रहे थे। अचानक हमारा एक्सीडेंट हो गया। भक्तमति का सिर फट गया। मुँह से झाग निकलने लगा, मानो मृत्यु हो गई हो। अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा कि ये बेहोश हैं और सिर की चोट है। अगर इनको होश नहीं आया तो ये कोमा में भी जा सकती हैं। सुबह 10:00 बजे हमारा एक्सीडेंट हुआ था और शाम को 3:00 बजे के आसपास भक्तमति जी को होश आ गया और हम घर आ गये।
एक जगह दास मजदूरी करता है। एक जगह काम के लिए गया था। जिनके यहाँ काम करना था, उनका मकान जर्जर था। जैसे ही दास ने प्रवेश किया, उस मकान में ऊपर से एक लकड़ी का गार्डर मेरे ऊपर गिर गया और लोगों ने कहा कि यह तो मर गया होगा। लेकिन जब दास ने ऊपर देखा तो सिर से 6 अंगुल ऊपर वह गार्डर का टुकड़ा हवा में लटकता रहा। जब दास ने उसको देखा तो दास के आँसू निकलने लगे।
पूर्ण परमात्मा की शरण में आने के बाद मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिल गई। सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि संत रामपाल जी महाराज ने मुझे पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का परिचय करवा दिया, परिणामस्वरूप अब हमारा पूर्ण मोक्ष निश्चित है। रामजी दास, ग्राम कटरा, जिला पन्ना (मध्यप्रदेश)
सम्पर्क सूत्र :- 9752319125
उपरोक्त कुछ भक्तात्माओं की आत्मकथाएँ आपने पढ़ी। ऐसे-ऐसे भक्त अनेकों हैं जो अपनी आत्मकथा पुस्तकों में लिखवाना चाहते हैं। परंतु यहाँ स्थान के अभाव के कारण हम कुछेक भक्तों की आत्मकथा लिख पाए। यदि सभी भक्तों की आत्मकथा हम लिखने बैठ जाएँ तो शायद सैंकड़ों पुस्तकें छप जाएँगी। इसलिए समझदार व्यक्ति को संकेत ही पर्याप्त होता है। अगर आप अन्य कुछ भक्तों के अनुभव और सत्संग वीडियो में देखना चाहते हैं तो हमारी एप "Sant Rampal Ji Maharaj" पर देख व सुन सकते हैं।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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keshavram0214 · 23 days ago
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सनातन विरोधी कौन ? आइए जानते है सनातन धर्म और हिंदू धर्म के बारे में उनक...
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mahesh900das · 24 days ago
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सनातन विरोधी कौन ? आइए जानते है सनातन धर्म और हिंदू धर्म के बारे में उनक...
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jyoti4556 · 2 months ago
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शरद पूर्णिमा विशेष: क्या था जगद्गुरु कृपालु जी के जन्म का उद्देश्य ?
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हम सभी जीवन में निरंतर आनंद की तलाश करते रहते हैं, लेकिन वह हमारे हाथों से ऐसे फिसल जाता है जैसे बंद मुट्ठी से रेत। इसके विपरीत, हमारे बीच कुछ ऐसी भी हस्तियां होती हैं जो सदा से आनंद में डूबी हुई होती हैं। स्वयं की इच्छाओं से मुक्त, वे हमारी राह को आलोकित करने, हमें भगवान के प्रेम की राह दिखाने हमारे बीच आते हैं। इस दिव्य प्रेम का सर्वोत्तम रस, श्री राधा-कृष्ण द्वारा शरद पूर्णिमा की पवित्र रात्रि में महा-रास के माध्यम से दिया जाता है, जैसा कि श्रीमद्भागवत में वर्णित है। यह महारास एक अत्यंत ही विलक्षण रस है; इसे उन सामान्य रास लीलाओं की तरह न समझें, जो हम अक्सर बच्चों, स्थानीय समूहों या वृंदावन भ्रमण के समय देखते हैं।
कब हुआ जगद्गुरु कृपालु जी का जन्म?
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का जन्म सन् 1922 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के निकट स्थित मनगढ़ गाँव में शरद पूर्णिमा की रात्रि को हुआ। उनका आगमन मध्यरात्रि में हुआ, जो 5,000 वर्ष पूर्व वृंदावन में उस क्षण का अनुसरण करता है जब श्री राधा-कृष्ण ने जीवों को महा-रास का विलक्षण आनंद प्रदान किया था। मध्यरात्रि का यह समय उनके दिव्य प्रयोजन का सूचक था।
अगली एक शताब्दी पर्यन्त, श्री कृपालु जी ने भारत और विश्वभर में वेदों के शाश्वत ज्ञान के प्रसार हितार्थ अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उनका उद्देश्य एक सरल और व्यावहारिक मार्ग प्रदान करना था, जिससे सर्वोच्च दिव्य आनंद प्राप्त किया जा सके। हजारों प्रेरक प्रवचनों के माध्यम से, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भक्ति मन को करनी है, शारीरिक इन्द्रियों को नहीं एवं बिना मन के संयोग के कोई भी कर्म भगवान नोट ही नहीं करते। अनुयायियों द्वारा उन्हें स्नेहपूर्वक “श्री महाराज जी” कहकर सम्बोधित किया जाता है। उन्होंने वेद, भागवत, गीता, रामायण और अनेक धार्मिक ग्रंथों द्वारा यह सिद्ध किया कि भक्ति ही ईश्वर-प्राप्ति का सरलतम मार्ग है।
रूपध्यान: ध्यान की उन्नत विधि
भक्तों के मार्गदर्शन के लिए, श्री महाराज जी ने ध्यान की एक उन्नत विधि 'रूपध्यान' को प्रकट किया। श्री राधा कृष्ण के सुंदर रूप का यह ध्यान उनकी दिव्य लीलाओं, नामों और गुणों का स्मरण करते हुए किया जाता है जो इश्वर प्रेम को अतिशीघ्र प्रगाढ़ बना देता है। रूपध्यान का अभ्यास करते-करते जीव की भगवान के मिलन की व्याकुलता इतनी तीव्र हो जाती है कि वह भगवान के दर्शन के बिना एक क्षण भी नहीं रह सकता। तब भगवान भक्त के समक्ष प्रकट हो जाते हैं, उसे माया के बंधन से मुक्त कर देते हैं और अपने शाश्वत धाम गोलोक में स्थान प्रदान करते हैं।
रूपध्यान के अभ्यास को सुगम बनाने हेतु, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने कई भक्तिमय रचनाएँ प्रकट कीं, जिनमें “प्रेम रस सिद्धांत” और “प्रेम रस मदिरा” प्रमुख हैं। प्रेम रस सिद्धांत श्री महाराज जी के भक्तियोग तत्वदर्शन का सार स्वरूप है जिसमें भक्ति पथ पर आने वाली प्रत्येक शंका का समाधान समाहित है। प्रेम रस मदिरा प्रेम-रस में डुबाने वाले 1,008 पदों का संगीतबद्ध संकलन है, जो भावुक प्राणियों को श्री राधा कृष्ण के प्रेम में डुबा देता है।
उनकी करुणा केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन तक ही सीमित नहीं थी। श्री महाराज जी ने अनेक शैक्षिक संस्थानों और अस्पतालों की स्थापना की, जो आज भी गरीबों और ज़रूरतमंदों को निःशुल्क उच्च गुणवत्ता की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने तीन प्रमुख मंदिरों—प्रेम मंदिर (वृंदावन), भक्ति मंदिर (श्री कृपालु धाम - मनगढ़), और कीर्ति मंदिर (बरसाना)—की भी स्थापना की, जो लाखों भक्तों के लिए भगवत पथ पर तीव्र गति से अग्रसर होने की आधारशिला बन चुके हैं।
जगद्गुरु कृपालु जी का 102वाँ जयंती समारोह
आगामी 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की पावन रात्रि पर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की 102वीं जयंती मनाई जाएगी। इस ऐतिहासिक अवसर पर भव्य महाआरती, अभिषेक, और मनोरम सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे। पूरा महोत्सव जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के आधिकारिक यूट्य��ब चैनल पर रात 9 बजे से 1 बजे तक लाइव स्ट्रीम किया जाएगा।
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reetaanuu · 4 months ago
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जो संत रामपाल जी' का सत्संग सुन रहें हैं और 'नामदीक्षा' नहीं ले रहे, उनक...
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sirjitendrayadav · 5 months ago
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amrick · 6 months ago
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#मांस_खानेकाआदेश_भगवानका_नहीं
कबीर साहेब जी कहते है:
कबीर-बकरी पाती खात है, ताकी काढी खाल।
जो बकरी को खात हैं ,तिनका कौन हवाल।।
बकरी जो आपने मार डाली वह तो घास-फूस, पते आदि खाकर पेट भर रही थी इस काल के लोक में शाकाहारी पशु की भी हत्या हो गई तो जो बकरी का मांस खाते है उनक तो अधिक बुरा हाल होगा।।
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one-world-news · 7 months ago
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