#उनके कोई माता पिता नहीं ह
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#पाखंडी_बाबाओं_झूठसे_बाज_आजाओ शर्म करो शर्म करो
🌼🌼
जग्गी वासुदेव उर्फ सद्गुरु जी कहते हैं कि शिव जी स्वयंभू हैं, उनके कोई माता पिता नहीं हैं। जबकि गीता अध्याय 14 श्लोक 3-5 में स्पष्ट लिखा है कि ब्रह्मा, विष्णु व शिव के माता-पिता दुर्गा जी और ब्रह्म काल हैं।
#पाखंडी_बाबाओं_झूठसे_बाज_आजाओ शर्म करो शर्म करो🌼🌼जग्गी वासुदेव उर्फ सद्गुरु जी कहते हैं कि शिव#उनके कोई माता पिता नहीं ह
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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज: एक मासूम को मिला नया जीवन
वर्तमान में हृदय रोग मृत्यु का सर्वप्रमुख कारण बनकर सामने आया है। भारत में हृदय रोगियों की संख्या सर्वाधिक है। भारत में लगभग 3 करोड़ से भी अधिक हृदय रोगी हैं, जिनमें करीब 1 करोड़ 60 लाख रोगी ग्रामवासी हैं। मानवता की सेवा में सतत प्रयत्नशील जे के सी द्वारा कई विशेष हृदय जाँच परीक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। सामान्य जनता जिनकी आर्थिक स्थिति इतनी सुदृढ़ नहीं होती कि वे हृदय विशेषज्ञों के पास जा सकें, वे लोग इस प्रकार के शिविर से लाभान्वित हो रहे हैं।
एक नवजात शिशु देवेश जिसके माता-पिता ने जब देखा कि दूसरे अस्पताल में चिकित्सा द्वारा उनके 3 माह के बच्चे का कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तब वे बहुत ही व्यथित हो चुके थे। उनकी सारी जमा पूँजी देवेश के इलाज में खर्च करने के बाद भी उनके बच्चे की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। जब उन्हें पता चला कि जे के सी द्वारा एक हृदय परीक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है, तब वे अपने बच्चे को लेकर जे के सी में शिविर के लिये विशेष रूप से आये दिल्ली के प्रसिद्ध डॉ खन्ना के पास पहुँचे। परीक्षण से पता चला कि देवेश का हृदय काम करना बन्द कर चुका है और पूर्व चिकित्सा के दौरान उसे जो दवाईयाँ दी गयी थीं, उनसे उसके गुर्दे भी खराब हो चुके थे। तब डॉ खन्ना ने देवेश को चिकित्सा है लिये दिल्ली ले जाने की सलाह दी। देवेश के माता-पिता के लिये यह कठिन परिस्थिति थी, परन्तु डॉ खन्ना बहुत ही आशावादी थे और उन्हें कहा कि जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ही इस बच्चे की देखभाल करेंगे, क्योंकि हम सब उन्हीं के द्वारा दिये गये उपदेशों एवं शिक्षाओं के आधार पर उनके द्वारा स्थापित ह चिकित्सालय में आकर चिकित्सा कार्य करते हैं। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने बताया है कि चिकित्सक को सदैव प्रत्येक मरीज में भगवान का वास है, ये समझकर चिकित्सा करनी चाहिये।
देवेश को ICU में रखा गया और उसके गुर्दे का कष्ट निवारण करने के उपरान्त इमरजेन्सी सर्जरी के लिये ले जाया गया। सर्जन्स ने धैर्य दिलाते हुये बताया कि सब कुछ ठीक हो जायेगा और कुछ दिनों में ही देवेश की स्थिति सुधरने लगी। देवेश के मात��-पिता बारम्बार जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज एवं जे के पी की अध्यक्षाओं को धन्यवाद देते हैं, साथ ही उन चिकित्सकों एवं नर्��ों की प्रशंसा करते हैं जिन्होंने देवेश को बचाने में सहायता की थी। जगद्गुरु कृपालु परिषत् देवेश के लिये एक सुन्दर, स्वस्थ तथा दीर्घायु जीवन की कामना करता है। निष्कर्ष: जगद्गुरु कृपालु परिषत द्वारा आयोजन परीक्षण शिविर के माध्यम से एक मासूम को नया जीवन मिला है। आजकल के दौर में हृदय रोगों का बढ़ता प्रसार एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन चुकी है, लेकिन जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित जगद्गुरु कृपालु परिषत के आयोजन किये गए चिकित्सा शिवरो के माध्यम से कई लोगो को स्वास्थ्य सुधारने मिली है।
देवेश की आवश्यकता के समय, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के संदेशों की मानना, उनके सेवाश्रम में प्रदान की जाने वाली चिकित्सा सेवाओं का उपयोग करना देवेश और उनके परिवार के लिए एक अद्वितीय संजीवनी साबित हुआ। यह घटना यह सिद्ध करती है कि आध्यात्मिक शिक्षक के मार्गदर्शन में ही असली जीवन का अर्थ और महत्व होता है। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने चिकित्सा के क्षेत्र में भी व्यापक सोच और मानवता की सेवा के प्रति अपने समर्पण की दिशा में प्रकट किया है। चिकित्सा के द्वारा न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की सेवा करने का संदेश दिया है। उनका आदर्श और मार्गदर्शन हमें यह सिखाते हैं कि चिकित्सा न केवल वैद्यकीय तकनीकों में ही है, बल्कि उसमें उम्मीद, स्नेह, और ध्यान भी शामिल होना चाहिए।
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (षष्ठी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
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#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🚩पुरुषोत्तम श्रावण सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं🚩*
दिनांक :-24-जुलाई-2023
वार:-----सोमवार
तिथी:----06षष्ठि:-13:43
माह:------श्रावण
पक्ष:------शुक्लपक्ष
नक्षत्र:-----हस्त:-22:13
योग :-----शिव:-14:52
करण:----तैतिल:-13:43
चन्द्रमा:----कन्या
सुर्योदय:-----06:03
सुर्यास्त:------19:25
दिशा शूल------पूर्व
निवारण उपाय:---दूधँ से धनी वस्तु का सेवन
ऋतु:--------ग्रीष्म-वर्षा ऋतु
गुलिक काल:---14:13से 15:52
राहू काल:------07:35से 09:14
अभीजित-----12:00से12:56
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
.युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
अमृत:-06:03से07:43तक
शुभ:-09:27से11:07तक
चंचल:-14:25से16:05तक
लाभ:-16:05से17:45तक
अमृत:-17:45से19:25तक
🌓चोघङिया रात🌗
चंचल:-19:25से20:45तक
लाभ:-23:20से00:40तक
शुभ:-02:01से03:22तक
अमृत:-03:22से04:42तक
चंचल:-04:42से06:03तक
आज के विशेष योग
वर्ष का124वा दिन, बुध मघा सिंह पर 28:19, रवियोग 22:13
तक, कुमारयोग 05:54से22:13 तक, वज्रमुसल योग 22:13 से 29:54 तक,
🙏👉वास्तु टिप्स👈🙏
घर में शंख की पुजा रोज करे।
सुविचार
मन में विश्वास रख कर कोई हार नहीं सकता और मन में शंका रखकर कोई जीत नहीं सकता।👍 राधे राधे
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
आज का दिन सामान्य है। कार्यक्षेत्र में मजबूती रहेगी। आय में भी निरंतरता बनी रहेगी एवं वृद्धि होगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अधिक क्रोध एवं विवाद से बचें। माता की बातों का सम्मान करें एवं उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखें। साझेदारी में सामंजस्य बनाकर रखें।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
आज का दिन शुभ है। मन में आत्मविश्वास बना रहेगा। भाग्य का पूर्ण सहयोग मिलेगा। कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। आज के दिन व्यावसायिक यात्रा कर सकते हैं। संतान को पेट संबंधी कष्ट हो सकता है। छोटे भाई-बहनों से स्नेह बढ़ेगा। कुटुम्ब में मेलजोल बढ़ेगा।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
आज का दिन सामान्य है। मामा पक्ष से संपर्क हो सकता है। नियमित शिक्षा में कुछ व्यवधान उत्पन्न होंगे। संतान की कुछ आवश्यकताओं पर धन खर्च हो सकता है। परिवार के साथ कहीं पर यात्रा हो सकती है। प्रेम-प्रसंग में सफलता मिल सकती है। धन की स्थिति और अधिक सुधरेगी।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
आज का दिन शुभ है। भाग्य में वृद्धि प्राप्त होगी। अच्छा भोजन प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति से संबंधित कार्य होंगे। जीवनसाथी का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त होगी। संतान पक्ष की ओर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। सुख-सुविधा हेतु इलेक्ट्रॉनिक वस्तु खरीद सकते हैं।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
आज का दिन सामान्य है। आज के दिन अधिक महत्वपूर्ण कार्यों के निर्णय लेने स�� बचें तथा बहुत अधिक आवश्यक हो तो निर्णय लेने में अधिक सावधानी बरतें। कानूनी मामलों में अधिक सावधानी रखें। कार्यक्षेत्र में पिता की सलाह से लाभ मिलेगा। अधिक आवश्यकता होने पर ही बड़ी यात्रा करें, अन्यथा न करें।
👩🏻🦱 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
आज का दिन शुभ है। कार्य��्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। सुख-सुविधाओं में धन खर्च होगा। अतिव्यय से बचें, क्योंकि सुख-सुविधाओं में जरूरत से अधिक खर्च से आपके आगे के जरूरी कार्यों में रुकावट आ सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। छोटे भाइयों से अच्छे संबंध बनेंगे। कार्यक्षेत्र में थोड़ी अस्थिरता हो सकती है।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
आज का दिन सामान्य रहेगा। कार्यक्षेत्र में अस्थिरता के कारण मन दुखी रहेगा एवं मन में चिड़चिड़ापन बना रहेगा। लिवर कमजोर रह सकता है। पेट संबंधी विकार उत्पन्न हो सकता है, सावधानी रखें। दिमाग अधिक सक्रिय रहेगा जिससे कार्यों में सफलता मिलेगी।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
आज का दिन आपके लिए शुभ है। धार्मिक कार्यों में धन खर्च होगा। नसों से संबंधित रोग हो सकता है। परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। कार्यक्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त होगी। पदोन्नति होने के योग भी बनते हैं। छोटे भाइयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
आज का दिन सामान्य है। मानसिक तनाव रहेगा। जीवनसाथी से सामंजस्य बनाकर रखें। वर्तमान समय अस्थिरता का है अत: अपने मन एवं वाणी पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। आय के साधन मजबूत होंगे।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
आज का दिन शुभ है। मन में आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। स्थायी संपत्ति के योग बनते हैं। सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। आय के साधन और बढ़ेंगे। कार्य की अधिकता बढ़ने से आत्मविश्वास और बढ़ेगा। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
आज का दिन सामान्य है। भाग्य में वृद्धि होगी। संतान की उन्नति का समय है। संतान का प्रभाव बढ़ेगा। वर्तमान समय में कई मामलों में संतान की सलाह से लाभ मिलेगा। स्वयं स्वास्थ्य का अवश्य ध्यान रखें। थकान महसूस होगी एवं ईश्वर आराधना करें।
🐠 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
आज का दिन शुभ है। धार्मिक स्थल की यात्रा के योग बनते हैं। संतान की उन्नति का अतिश्रेष्ठ समय है। संतान का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। माता के आशीर्वाद से भाग्योन्नति होगी। पिताजी का भी पूर्ण सहयोग मिलेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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Today's Horoscope!
गुरुवार को कर्क राशि के लोगों को ऑफिस में किसी भी प्रकार की बहस व टकराव से बचते हुए, संतुलित दृष्टिकोण से विवादों का हल करना होगा, वहीं मकर राशि के जो लोग व्यापार कर रहे हैं उनको सौदा करते समय सावधानी बरतनी होगी अन्यथा नुकसान हो सकता है.
मेष - इस राशि के लोग ऑफिस की ओर से दिये गए काम की तुलना करने से बचें, कार्य छोटा हो या बड़ा कार्य की इंपॉर्टेंस को कम न करें. व्यापारी वर्ग को आर्थिक मामलों में बहुत सोच समझकर कदम उठाने होंगे, वित्तीय मामलों में जोखिम उठाना नुकसानदायक साबित हो सकता है. आज के दिन युवा वर्ग आत्मविश्वास से परिपूर्ण अनुभव करेंगे, जिस कारण वह कठिन कार्य को भी चुटकियों में निपटाने में सफल होंगे. पारिवारिक दृष्टि आकस्मिक खर्च आर्थिक तंगी का सामना करा सकते हैं, जिससे घर का माहौल कुछ खराब हो सकता है. सेहत की बात करे तो बढ़ती गर्मी में सिर दर्द की समस्या से परेशान हो सकते हैं, कुछ देर आराम करने के बाद सिर दर्द में आराम मिलेगा.
वृष - वृष राशि के लोगों का ऑफिस में कार्य करने में मन लगेगा, और उसमें सफलता भी प्राप्त होगी. आज का दिन व्यापारी वर्ग के लिए शुभ बीतने वाला है, क्योंकि आज आप तनाव लिए बगैर सफलता अर्जित करने में सफल होंगे. युवा वर्ग को प्राथमिकताओं के साथ अनदेखी करने से बचना होगा, ऐसा करना अपने करियर के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा. वैचारिक मतभेद होने के कारण अपनों की नाराजगी और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कल की तरह आज भी अपना और माता-पिता की सेहत क�� ध्यान रखना होगा.
मिथ���न - इस राशि के नौकरीपेशा लोग नए बदलाव के लिए खुद को तैयार रखें, क्योंकि ऑफिस की कार्यप्रणाली में बदलाव संभावना नजर आ रही हैं. व्यापारी वर्ग के लिए ग्रहों की स्थिति शुभ संकेत लेकर आई है, जिस कारण व्यावसायिक विस्तार व प्रतिस्पर्धा में जीत का योग बनेगा. युवाओं को त्वरित लाभ देने वाली गतिविधियों से सचेत रहते हुए, इनसे उचित दूरी भी बनाकर रखनी होगी, क्योंकि इस तरह की योजनाओं से मानसिक और आर्थिक दोनों ही तौर पर नुकसान होता है. परिवार दृष्टि से जहां एक ओर गृह उपयोगी वस्तुओं में वृद्धि होगी, तो वहीं दूसरी ओर धन खर्च होने की प्रबल आशंका लग रही है. स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी बढ़ने पर डॉक्टर की सलाह लेने में देर न करें.
कर्क - कर्क राशि के लोगों को ऑफिस में किसी भी प्रकार की बहस व टकराव से बचते हुए, संतुलित दृष्टिकोण से विवादों का हल करना उचित होगा. कारोबार हो या घर सभी जगह वरिष्ठों के सहयोग का लाभ मिलेगा, जिसके चलते कई समस्याओं का अंत होगा. युवाओं का सामाजिक जीवन व्यस्त रहेगा, जिस कारण उनके पर्सनल काम भी पेंडिंग लिस्ट में शामिल हो सकते हैं. जीवनसाथी की बातों को अनदेखा न करें, क्योंकि संबंधों को प्रेम से सींचने की आवश्यकता है. सेहत की बात करें तो अस्वस्थता की सूरत में लापरवाही न करें, और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करके इलाज शुरू करें.
सिंह - इस राशि के लोगों को कार्यस्थल पर वर्क लोड अधिक होने पर जिम्मेदारी को साझा करना चाहिए, जिससे काम जल्दी पूरा हो सके. व्यापारियों को बड़े मुनाफे के चक्कर में छोटे मुनाफे को इग्नोर करने से बचना होगा क्योंकि छोटे मुनाफे भी आपकी आर्थिक स्थिति में राहत का काम करेंगे. युवाओं को प्रेम का अनुभव होगा, प्रेम के स्पर्श से जीवन खिल गया है आज आप कुछ इस तरह का अनुभव कर सकते हैं. परिवार से जुड़े निर्णय लेते समय मन मस्तिष्क से परिस्थितियों का भली-भांति अवलोकन कर ले, तत्पश्चात ही कोई निर्णय ले. ग्रहों की स्थिति को देखते हुए आपका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर लग रहा है, इसलिए हेल्थ को लेकर एक्टिव रहें.
कन्या - कन्या राशि के लोग अपनी कार्यप्रणाली में दूसरों को हस्तक्षेप करने का अवसर न दें, अन्यथा आप के बने बनाए काम भी बिगड़ सकते हैं. व्यापारी वर्ग कारोबार से संबंधित काम खुद मिटाने का प्रयास करें, दूसरों पर निर्भरता से बचें अन्यथा निराशा हाथ लग सकती है. युवा वर्ग की बुद्धि प्रखर है जिसके चलते वह कठिनाइयों से चोटिल हुए बगैर बाहर निकलने में सफल होंगे. लंबे अरसे के बाद परिवार संग सुखद समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा. शारीरिक तौर पर फिट रहने के लिए खानपान के अतिरेक नकारात्मकता से ��ी बचना होगा.
तुला - इस राशि के लोगों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने पर जोर देना चाहिए, इससे आपका कौशल उभर कर आएगा. बिजली के समान से संबंधित व्यापार करने वालों के लिए आज का दिन आर्थिक मामलों में अच्छा रहने वाला है. अतीत का दामन पकड़ कर चलने से युवाओं का नुकसान के सिवा कुछ नहीं होगा, ऐसे में अतीत को भुलाना ही आपके लिए उचित होगा. काम की अधिकता के चलते परिवार के संग बनाए गए प्लान को कैंसिल करना पड़ सकता है, जिसकी वजह से सभी लोग आपसे नाराज भी हो सकते हैं. सेहत के बात करें तो हेल्दी बने रहने के लिए संतुलित खानपान अपनाकर दिनचर्या को व्यवस्थित करें.
वृश्चिक - वृश्चिक राशि के लोगों को ऑफिस में मानसिक श्रम आज ज्यादा करना पड़ेगा, श्रम को कम करने के लिए आप अपने सहयोगियों से मदद भी ले सकते हैं. जो व्यापारी नया व्यापार शुरू कर रहे हैं तो उसको लेकर पूरी तैयारी पहले ही कर लें अन्यथा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. पारिवारिक संबंधों को लेकर अत्यधिक संजीदा हो सकते हैं जबकि सरल सहज रवैया प्रसन्नचित्त रखेगा. अग्नि प्रधान ग्रह पेट में जलन की समस्या को बढ़ा सकते हैं ऐसे में आपको तरल पदार्थ और हल्के भोजन का सेवन करना चाहिए.
धनु - इस राशि के लोग सहकर्मियों के संग बातचीत करने से बचें क्योंकि अनावश्यक बातचीत विवाद को जन्म दे सकती है. आज का दिन फुटकर व्यापारी के लिए शुभ रहेगा, आज आप व्यापार को बढ़ाने में सफल हो पाएंगे. युवा वर्ग को हालात चाहे जैसे भी हो अपना दृष्टिकोण स्पष्ट रखना होगा, व चीजों को दिल पर लेने से बचें. यदि किसी प्रकार की मदद की जरूरत है तो अपनों से कहने में संकोच न करें. हेल्थ की बात करें तो जिन लोगों को यूरिक एसिड की समस्या है वह लोग हेल्थ को लेकर सचेत रहें.
मकर- मकर राशि के के लोगों को ऑफिशियल संबंधों में अत्यधिक विश्वास करने से बचना होगा क्योंकि यह आपको मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है. जो लोग व्यापार कर रहे हैं उनको सौदा करते समय सावधानी बरतनी होगी अन्यथा नुकसान हो सकता है. अपनों से छोटों को वह स्वयं को अतीत में की गई भूलों के लिए क्षमा करें, और आगे बढ़े. पारिवारिक दृष्टि से आज का दिन बेहद शुभ बीतने वाला है, परिवार की ओर से कई तरह की प्रसन्नता आपकी झोली में गिर सकती है. सेहत की बात करें तो आज आप कई तरह की शारीरिक समस्याओं से घिर सकते हैं जिसमें कमर दर्द से ज्यादा ग्रसित होंगे.
कुंभ - इस राशि के लोग आज के दिन अपने मजबूत और कमजोर पक्ष का अवलोकन करेंगे, और उसी के आधार पर उचित दिशा में आगे बढ़ेंगे. व्यापारियों को आज के दिन पिछले किए गये निवेशों से लाभ होगा. युवा वर्ग को किताबों को पढ़ने के लिए समय निकालना होगा, ऐसा करना आप के ज्ञान में वृद्धि करेगा. परिवार व सहकर्मियों के प्रति सख्त रवैया रख सकते हैं जबकि सामंजस्य के लिए माहौल को हल्का रखना आवश्यक है. सेहत की दृष्टि से झुक कर काम करने वाले लोग दर्द और स्पाइन के दर्द से परेशान हो सकते हैं.
मीन - मीन राशि के लोगों का ��ंभीरता के बजाय विनोद प्रिय रवैया लक्ष्य के निकट पहुंचाने व योजनाओं को आकार देने में मदद करेगा. व्यापारी वर्ग को प्लानिंग और मजबूती के साथ अपना हर एक कदम बढ़ाना होगा, जिससे व्यापार में मुनाफा हो. युवाओं के मन में अज्ञात मार्ग पर चलने को लेकर डर व संशय आ सकता है, लेकिन फिर भी आपको साहस के साथ कदम बढ़ाने होंगे. परिवार के प्रसन्नता के लिए अंतर्मन की पुकार सुनें, साथ ही उनकी इच्छा का भी ध्यान रखें. सेहत की बात करें तो दिन के अंत तक आपको स्वास्थ्य से संबंधित कुछ समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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मीनाक्षी सुंदरेश्वर तिरुकल्याणम
हिंदू परंपरा के अनुसार, यह एक आम धारणा है कि विवाहित जोड़ों को सिर्फ एक जन्म नहीं बल्कि सात जन्मों तक साथ रहना होता है। सात जीवन तो बहुत दूर की बात है लगभग सात वर्ष- अमेरिकी राष्ट्रीय जनगणना ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि तलाक में समाप्त होने वाले विवाह की औसत अवधि लगभग 8 वर्ष थी।
संयुक्त राज्य अमेरिका में तलाक की दर को अक्सर लगभग 40-50% के रूप में बताया जाता है, जिसका अर्थ है कि सभी विवाहों में से लगभग आधे तलाक में समाप्त होते हैं। इसके विपरीत, अध्ययनों में पाया गया है कि हिंदुओं के बीच तलाक की दर भारत में बमुश्किल 0.7% और अमेरिका में 5% थी, जो अमेरिका में उनके साथियों की तुलना में क्रमशः 64 गुना और 9 गुना कम है।
अध्ययनों से पता चला है कि स्थिर विवाह बच्चों को उनके साथियों पर स्पष्ट लाभ देता है जैसे शैक्षणिक सफलता (25% अधिक), व्यवहार संबंधी कम समस्याएं, बेहतर सामाजिक कौशल, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य, अपने माता-पिता और साथियों के साथ बेहतर संबंध, जोखिम भरे व्यवहार की कम संभावना ( जैसे मादक द्रव्यों का सेवन या आपराधिक गतिविधि)। विशेष रूप से यदि हम हिंदू समुदाय के लिए इन्हीं पहलुओं का अध्ययन करते हैं, तो हम पाते हैं कि हिंदू समुदाय में पैदा हुए बच्चों को अपने हमउम्र साथियों की तुलना में अधिक लाभ मिलता है और यह हिंदू परिवार की स्थिरता में निहित है। उदाहरण के लिए, हिंदू समुदाय में स्नातकोत्तर की संख्या सबसे अधिक है और उच्चतम शिक्षा दर (राष्ट्रीय औसत से 2500% अधिक), उनके साथियों की तुलना में डॉक्टर बनने की संभावना 4 से 5 गुना अधिक है, शीर्ष कंपनियों मे सीईओ बनने की संभावना 8 गुना अधिक है। हिंदू सबसे अधिक कमाई करने वाले और कर देने वाले समूह हैं, उनकी अपराध दर सबसे कम है और निर्विवाद रूप से यह सबसे छोटी जेल आबादी है (दूसरों की तुलना में लगभग 1/10)। इन सभी लाभों के अलावा, ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स यूके द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हिंदू समुदाय के लोग देश में सबसे खुश लोग थे। केवल खुशी के मामले में ही नहीं, संबंधों और पारिवारिक मामलों में हिंदू सिद्धांतों के प्रयोग में दुनिया को बेहतर बनाने की क्षमता है, और विश्व अर्थव्यवस्था पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अमेरिका में एकल माता-पिता की संख्या लगातार बढ़ रही है, अमेरिका में 25% से अधिक परिवार एकल माता-पिता वाले हैं। इस तरह के कारकों के परिणामस्वरूप अमेरिकी घरों में परिवार की इकाई का आकार बहुत छोटा होता है, जो कि हिंदू समुदाय के लिए प्रति घर औसतन 4.5 लोगों की तुलना में प्रति परिवार औसतन 2.5 लोग हैं। हिंदू समुदाय की तुलना में परिवार के आकार में यह कमी अमेरिकी परिवारों पर 21 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त बोझ और राज्य पर 16 ट्रिलियन डॉलर का बोझ डालता है।
परिवार इकाई की स्थिरता की कमी के अन्य निहितार्थ हैं, और सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा सेवाओं पर भारी खर्च करने के बावजूद, 63 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का सुरक्षा बोझ अभी भी अनुपस्थित है। इसके विपरीत हिंदू समुदायों में, ये अतिरिक्त लागत वस्तुतः अनुपस्थित हैं क्योंकि लोगों की देखभाल उनके निकट परिवार, उनके विस्तारित परिवार और बड़े हिंदू समुदाय द्वारा की जाती है। रिश्तों और पारिवारिक मामलों में हिंदू सिद्धांतों को लागू करने का कुल लाभ लगभग $100 ट्रिलियन अमरीकी डालर होगा, जो कि पूरे विश्व के लगभग $80 ट्रिलियन (वर्ष 2021 के लिए) के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक है। व्यक्तिगत संबंधों और पारिवारिक मामलों में हिंदू सिद्धांतों को लागू करने के बहुत सारे लाभ हैं। इन हिंदू सिद्धांतों को कोई भी अपना सकता है और लागू कर सकता है।
लगभग 5 सहस्राब्दी से प्रत्येक वर्ष, हिंदू देवी मीनाक्षी और सोमसुंदरेश्वर स्वामी- भगवान परमशिव(प्राचीन हिंदु देवता) के अवतार और देवी मीनाक्षी के दिव्य विवाह समारोह और अलौकिक मिलन का आयोजन करते हैं। यह भव्य विवाह समारोह दिव्य जोड़े की शाश्वत एकता का प्रतीक है। रानी के रूप में देवी मीनाक्षी की भव्यता जिसने उस युग के पूरे विश्व को जीत लिया था, हिंदू धर्म में मातृवादी पारिवारिक मूल्यों की पहचान है।
देवी मीनाक्षी और भगवान सोमसुंदरेश्वर सैकड़ों वर्षों तक एक साथ रहे और उन्होंने पृथ्वी ग्रह पर प्रबुद्ध सभ्यता का निर्माण किया, और जब समय आया, तो दोनों ने अपने शारीरिक अस्तित्व को एक साथ छोड़ दिया और सांसा��िक तल से कैलाश पर चढ़ गए। और उनके शरीर छोड़ने के बाद भी, उनके दिव्य अलौकिक मिलन की घटना समाप्त नहीं हुई है, पांच सहस्राब्दी से भी अधिक समय से हर वर्ष हिंदू इस दिव्य विवाह का उत्सव मनाते रहते हैं, जो असाधारण बात है। उनका विवाह शाश्वत है, जिसका कोई अंत नहीं है, जो संपूर्ण मानवता के लिए दिव्य आशीर्वाद और प्रेरणा का स्रोत है।
मीनाक्षी सुंदरेश्वर तिरुकल्याणम के शुभ अवसर पर, हमारे पास विवाह समारोह में तिरुकल्याणम सेवा - सेवाएं प्रदान करने का दुर्लभ विशेषाधिकार प्राप्त अवसर है - और हमारे संबंधों की स्थिरता और हमारे पूरे परिवार के ज्ञान के लिए हमारे जीवन में उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
केवल हर्ष के मामले में ही नहीं, संबंधों और पारिवारिक मामलों में भी हिंदू सिद्धांतों के प्रयोग में विश्व को बेहतर बनाने की क्षमता है, और हम सभी के पास हिंदू सभ्यता मूलक राष्ट्र - कैलाश के इस भव्य पुनरुत्थान का हिस्सा बनने का मौका है।
अपनी सेवा अर्पित करें:events.kailaasa.org/chithirai-peruvizha/
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Today Horoscope-
पंचांग के अनुसार 14 नवंबर 2022, सोमवार को मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि रहेगी. चंद्रमा इस दिन कर्क राशि में गोचर कर रहा है,सोमवार को पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा. इए जानते हैं मेष से मीन राशि तक का राशिफल-
मेष राशि- आज का अपने किसी कानूनी कार्य में सावधान रहना होगा. यदि परिवार में आज किसी मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन होगा, तो उसमें आपको लोगों से तोलमोल कर बोलना होगा. आप आज अपने किसी काम के पूरा ना होने से तनाव में रहेंगे, जिसके कारण आप परिवार में बच्चों के साथ मौज मस्ती मे कुछ समय व्यतीत करेंगे और अपने करीबियो पर पूरा ध्यान देंगे.
वृषभ राशि- आज का दिन सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा. संतान आपसे किसी वस्तु की फरमाइश कर सकती हैं, जो लोग विदेशों से व्यापार करते हैं, उन्हें सावधान रहना होगा, नहीं तो कोई उनके साथ कोई धोखा कर सकता है. आपके मित्रों की संख्या में इजाफा होने से आप प्रसन्न रहेंगे. आपको आज किसी व्यक्ति से उधार लिए हुए धन को वापस देना पड़ सकता है.
मिथुन राशि- आज का दिन पारिवारिक रिश्तों में मधुरता लेकर आएगा. आप किसी भी बात पर परिवार के किसी सदस्य से वाद-विवाद में ना पडे, ��हीं तो समस्या हो सकती है. आपको आज किसी गलत काम में फसाने की आपके कुछ विरोधी कोशिश कर सकते हैं, जिनसे आपको सावधान रहना होगा और आप किसी से धन उधार लेने से बचे. पारिवारिक रिश्तो में यदि कुछ अनबन चल रही थी, तो वह बातचीत की जरिए समाप्त होगी.
कर्क राशि- आज का दिन मान सम्मान में वृद्धि लेकर आएगा. ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति से आपकी कोई बहस बाजी हो सकती है, लेकिन आपको अपने माता-पिता से पुछ कर कोई काम करना होगा, नहीं तो वह आपसे नाराज हो सकते हैं. सरकारी नौकरी में कार्यरत लोगों को ट्रांसफर मिलने से उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है.
सिंह राशि- आज का दिन अपनी आय-व्यय में संतुलन बना कर चलना होगा और परिवार में यदि कोई बात विवाद चल रहा है, तो आज उसे घर से बाहर ना आने दे, नहीं तो लोग बाद में लोग आपका मजाक बनाएंगे. आप एनर्जी रखने के कारण अपने से ज्यादा दूसरों के कामों पर ध्यान लगाएंगे, जो आपके लिए समस्या बन सकता है. आप यदि किसी नयी संपत्ति की खरीदारी करने जा रहे हैं, तो वह भी आपको आसानी से मिल जाएगी.
कन्या राशि- आज का दिन धन सबंधित मामलों में सावधान रहने के लिए रहेगा. छोटे व्यापारी आज मन मुताबिक लाभ मिलने से वह प्रसन्न रहेंगे, लेकिन आप कार्य क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण निर्णय बहुत ही सोच विचार कर ले, नहीं तो बाद में समस्या आ सकती है. आपको किसी काम के लिए आज घर से दूर जाना पड़ सकता है.
तुला राशि- आज का दिन बाकी दिनों से बेहतर रहने वाला है. कार्यक्षेत्र में आप पूरी मेहनत और लगन से काम करेंगे, लेकिन फिर भी उसमें समस्या आती रहेगी और आपके अधिकारी आपसे न खुश रहेंगे, जो लोग नौकरी बदलने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें अभी कुछ समय पुरानी में ही टिके रहना होगा. परिवार में कोई आपके लिए उपहार लेकर आ सकता है. आप पिताजी से किसी बात पर बहस बाजी में पढ़ सकते हैं.
वृश्चिक राशि- आज का दिन मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है. आपको किसी नए काम की शुरुआत करने को मिल सकती है, लेकिन आपके कुछ विरोधी कार्य क्षेत्र में आज आपके कामों में रोड़ा अटकाने की कोशिश करने में लगे रहेंगे. आज आप अपने मन में चल रही उलझनों के लिए अपनी माता जी से बातचीत कर सकते हैं, जिनका समाधान भी आपको मिल जाएगा.
धनु राशि- आल का दिन महत्वपूर्ण रहने वाला है. आप यदि अक्समात किसी यात्रा पर जाएंगे, तो आपको उसमें सावधानी बरतनी होगी व अपने प्रिय वस्तु का ध्यान दें, क्योंकि उनके खोने व चोरी होने का भय सता रहा है. आपको अपने किसी करीबी के लिए कुछ रुपयों का इंतजाम भी करना पड़ सकता है. संतान आपके द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को समय रहते पूरा करेगी.
मकर राशि- आज का दिन कुछ कठिनाइयां लेकर आएगा. आपको जीवनसाथी की सेहत में गिरावट होने के कारण समस्या आ सकती है. आपका धन भी काफी व्यय होगा. लेकिन आप बिजनेस की कुछ योजनाओं को लेकर चिंतित रहेंगे, जिनको आप फिर से शुरू करके अच्छा लाभ आसानी से कमा पाएंगे. नौकरी में कार्यरत लोग आज अच्छा लाभ कमा सकते हैं. आपको अपने मित्रों के साथ घूमने फिरने या पार्टी आदि में सम्मिलित होने का मौका मिलेगा.
कुंभ राशि- आज का दिन परोपकार के कार्य में व्यतीत करेंगे. आपको कोई भी काम छोटा या बड़ा सोचकर नहीं करना है व साझेदारी में चल रहे व्यवसाय में अपनी आंख व कान दोनों खुले रखे, नहीं तो आपका पार्टनर आपको धोखा दे सकता है. जीवन साथी आज आपकी हर संभव मदद करेंगी, जिससे आपकी काफी मुश्किलें हल होंगी.
मीन राशि- आज का दिन मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है. आप यदि किसी प्रतियोगिता में भाग ले, तो अपने हौसले को मजबूत रखें, तभी वह उसमें सफलता हासिल कर पाएंगे. परिवार में आज किसी सदस्य को नौकरी मिलने से प्रसन्नता बनी रहेगी और किसी हवन, कथा, पूजा-पाठ आदि का आयोजन भी हो सकता है.
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श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंध६]
(विष्णु पार्षद कथन)
दोहा० या दूजे अध्याय में, कहीं कथा सुख सार।
नारायण को नाम ले, भयौ अनामिल पार॥
https://shrimadbhagwadmahapuran.blogspot.com/2021/05/blog-post_9.html
शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! यमदूतों की बातें सुन कर वे विष्णु पार्षद विस्मय कर बोले- अहो ! यह बड़े आश्चर्य की बात है कि धर्म के रक्षकों की सभा में भी अधर्म का स्पर्श होता है। जो कि दंड न देने योग्य को पुरुष भी दंड दिया जाता है। हे यमदूतो ! इस अजामिल ने पराधीन होकर भी अपने करोड़ों जन्म के पापों का प्रायश्चित कर चुका है। क्यों इसने प्रति दिन नारायण नाम का उच्चारण किया है। अंत में भी इसने यही उच्चारण किया है, कि नारायण आओ मुझे बचाओ। सो नारायण का नाम लेने से ही इस पापी के समस्त पापों का प्रायश्चित हो चुका है। यह बात सब जानते हैं कि सब पापीजनों को भगवान का नाम उच्चारण करना ही प्रायश्चित है। क्योंकि जिस नाम के लेने से भगवान यह मानते हैं कि यह मेरा हैं मुझे इसकी रक्षा करनी ही पड़ेगी, सो यह अजामिल पापी अपने सब पापों का प्रायश्चित कर चुका है। अतः इसे तुम अब यम लोक मत ले जाओ। यदि तुम यह कहो कि इसने तो भगवान का नाम नहीं लिया है यह तो अपने पुत्र नारायण का नाम लेता था। सो वह यह है कि भगवान का नाम चाहे पुत्रादिकों के संकेत से अथवा उपहास में या गीत या निन्दा आदि किसी प्रकार से भी लिया जाय, तो भी संपूर्ण पाप दूर होते हैं। यदि किसी भी प्रकार का कष्ट क्यों न पड़ रहा हो उस समय यदि प्राणी नारायण ��ाम लेता है तो उसे नर्क की पीड़ा स्पर्श नहीं कर पाती है।
जैसे कि जाने या अनजाने किसी प्रवल औषधि को खा लिया जाय तो वह अपना गुण अवश्य करती है उसी प्रकार भगवान का मन से जाने अनजाने नाम लेने पर संपूर्ण पापों का प्रायश्चित हो जाता ह��।
सो हे धर्मदूतो ! यदि तुम्हें हमारे कथन में कोई संदेह हो तो तुम इसका निर्णय अपने स्वामी धर्म से पूछकर कर सकते हो। तब ये यमदूत प्रत्युत्तर पाकर यमपुरी को लौट गये । वह अजामिल फिर जीवित हो गया और भगवान के पार्षद भी अंतर्ध्यान हो अपने लोक को चले गये। तब वह अजामिल अपने पूर्व कर्मों द्वारा किये पापों का स्मरण करके अत्यंत पश्चाताप करने लगा वह अनेक प्रकार से सोचता हुआ पश्चाताप करने लगा कि अहो ! मैंने अपने मन को वश में न रखकर परम कष्टों को भोगा है । मैंने वैश्या के गर्भ से पुत्र रूप में आत्मा को उत्पन्न करके अपने ब्राह्मणत्व को डुबा दिया है। अतः मैं घोर पातिकी और अपने कुल का कलंक हूँ। मैंने घोर दुष्कर्म किया है जो अपनी व्याहता निर्मल कुल की पति व्रता स्त्री का परित्याग कर एक दुष्टा एवं कुल्य स्त्री का संग किया है। मैंने अपने माता पिता को त्याग कर नीच कर्म किया है। हाय मेरे ऊपर उस समय बज्र क्यों न गिरा। वे चारों देवता स्वरूप देव पुरुष कहाँ गये जिन्होंने मेरे गले की यम फाँसी को छुड़ाया है मुझे अनुमान होता है कि उनके दर्शन होना मेरे पूर्व जन्म के किसी बड़े पुण्य का उदय हुआ है। इससे लगता है कि आगे भी मेरा कुछ मंगल होने वाला है। अब मैं प्राण, इन्द्रिय चित्त को वश करके ऐसा यत्न करुगा कि फिर कभी अपनी आत्मा को घोर अंधकार रूप नर्क में न डूबने दूँ। काम कर्म से उत्पन्न बंधन को काट, परप्राणियों से शुद्ध हृदय, शान्ति वृत्ति वाला दयावान और आत्मवान होकर भयावनी माया रूप स्त्री से अपनी आत्मा को बंधक मुक्त करुंगा। अहंकार और ममता को त्याग करके अपना मन भगवान के चरणारविन्दों में लगाऊँगा ।
हे परीक्षित! अजामिल के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया, जिससे उसने गंगाद्वार में जाय एक देव मन्दिर में बैठ योग समाधि लगा इंद्रियों को वश में करके अपने मन को अपनी आत्मा में लगाय; बुद्धि निवृत्तकर मन को परमेश्वर में लगाया। पश्चात उन्हीं पादों का दर्शन कर गंगातट पर देह त्याग विमान में बैठ कुन्ठ लोक को चला गया।
जो मनुष्य श्रद्धा पर्वक परम भक्ति से भगवान हरि का स्मरण करते है उनका सब पापों से मुक्त हो ��द्धार होता है। यह बात सुन परीक्षत ने पछा-हे मुनि ! यमदूत ने वापिस जाय धर्म राज से पार्षदों के कथन की पुष्टि की या नहीं सो सब कहो । शुकदेव जी बोले-हे राजन् ! पार्षदों की सुन वे यमदूत यमधाम आये और उन्होंने सारी वार्ता को कह सुनाई जिसके प्रत्युत्तर में यमराज ने विष्णु पार्षदों के कथन को पुष्टि किया।
।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम द्वितीय अध्याय समाप्तम🥀।।
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_人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_
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शबनम केस: 7 कब्रें मांग रही हैं इंसाफ, नरसंहार के गवाह मकान में छाई मौत सी वीरानी Divya Sandesh
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शबनम केस: 7 कब्रें मांग रही हैं इंसाफ, नरसंहार के गवाह मकान में छाई मौत सी वीरानी
सजारुल हुसैन, मुरादाबादशबनम और सलीम के खूनी प्यार ने न सिर्फ रिश्तों का कत्ल किया बल्कि पूरे समाज को ही हिलाकर रख दिया। अब शबनम फांसी के तख्ते के बहुत करीब पहुंच चुकी है। मुरादाबाद मंडल के अमरोहा जिले की यह प्रेम कहानी आपके रोंगटे खड़ी कर देगी। 14 अप्रैल, 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने माता-पिता और भतीजे का बेरहमी से कत्ल कर दिया था। परिवार के सात लोगों की हत्या कुल्हाड़ी से गला काटकर की गई थी।
बिना किसी कुसूर के मौत के घाट उतारे गए शौकत अली के परिवार की सात कब्रें उनके मकान में बराबर-बराबर बनी हुईं हैं। उनकी रूह घटना के बाद से ही इंसाफ मांग रही हैं। क्योंंकि मृतकों का कोई कुसूर नहीं था, उनका बिना किसी कुसूर के कत्ल किया गया था।
उस दिन के बाद नहीं हुई मकान की पुताई नरसंहार के बाद से उनकी कोठी की पुताई तक नहीं हुई है। मकान में छोटे भाई का परिवार रहने के बावजूद भी वीरानी सी छाई है। अमरोहा के हसनपुर के बावनखेड़ी के सत्तार अली का कहना है कि ख्वाब में उन्हें कई बार भाई एवं उनके परिवार के सदस्य दिखाई दे चुके हैं। वह हर साल कब्रों की सफाई करते हैं। ये कब्रें परिवार के साथ हुई हैवानियत की याद दिलाते हैं।
बाहर से आकर बसे थे शबनम और सलीम के परिवारशबनम व सलीम के परिवार बावनखेड़ी में बाहर से आकर बसे थे। शबनम के पिता मास्टर शौकत अली ताहरपुर के निवासी थे जबकि, सलीम के पिता अब्दुल रउफ जनपद सम्भल के गांव बराही के निवासी थे। यहां ससुराल में आकर वह करीब चालीस साल पहले बस गए थे। उनके सलीम समेत दो बेटे व तीन बेटियां हैं। शबनम के सापेक्ष सलीम का परिवार गरीब है। सलीम से प्रेम होने पर शबनम उसकी आर्थिक मदद भी करती थी।
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भारतीय क्रिकेट टीम को पहली वर्ल्ड कप ट्राफी दिलाने वाले कपिल देव का आज 62वां जन्मदिन
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम को पहली वर्ल्ड कप ट्राफी दिलाने वाले कपिल देव का आज 62वां जन्मदिन है! आज ही के दिन साल 1959 में पंजाब के चंडीगढ़ में उनका जन्म हुआ था! भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होकर उन्होंने ऐसा मुकाम हासिल किया, जिसे अब पूरी दुनिया याद करती है! कपिल देव अब क्रिकेट एक्सपर्ट की भूमिका में भी नजर आते हैं! पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने 18 टेस्ट मैचों में 72 विकेट लिए हैं! वहीं अहमदाबाद में खेले गए एक टेस्ट में वह वेस्टइंडीज के खिलाफ दस विकेट लेने से सिर्फ एक कदम दूर रह गए!
वहीं कपिल देव का जीवन भी काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है! भारत-पाकिस्तान के बीच हुए बंटवारे के दौरान उनके माता-पिता रावलपिंडी से पंजाब आ गए थे! कपिल के पिता राम लाल निखंज लकड़ी के ठेकेदार थे! कपिल देव का शुरू से ही क्रिकेट के प्रति रुझान रहा, यही वजह थी कि वे न सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में सफल हुए बल्कि एक कप्तान के तौर पर भी टीम को आगे लेकर आए और वर्ल्ड कप देश के नाम किया!
वर्ल्ड कप का लम्हा रहा ऐतिहासिक
साल 1983 का वर्ल्ड कप शायद ही कोई भारतीय भूलना चाहे! उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 रनों की पारी खेली और टीम को जीत दिलाने में कामयाब रहे! उन्होंने 175 रनों की इस पारी के लिए मात्र 138 गेंदें खेली थीं! एक इंटरव्यू में कपिल ने बताया कि वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में भारत के एक बाद एक पांच विकेट गिर गए थे! इस दौरान वे बाथरूम में थे! जल्दबाजी में मैदान पर उतरकर उन्होंने सूझबूझ से बल्लेबाजी की और भारत को मुश्किल परिस्थिति से निकालकर जीत दिलाई!
25 जून 1983 को भारत ने जीता था वर्ल्ड कप
25 जून 1983 को वेस्टइंडीज के खिलाफ 43 रन से जीत हासिल कर भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया था! उन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप के दौरान 8 मैचों में अपने बल्ले से 303 रन बनाए थे, जबकि 12 विकेट और 7 कैच भी लपके थे! आपको बता दें कि कपिल देव को 11 मार्�� 2010 को ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था!
वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था शानदार प्रदर्शन
कपिल देव ने एक पारी में नौ विकेट लेने का कमाल उस समय की सबसे खतरनाक टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ अहमदाबाद के मैदान पर किया था! 16 नवंबर 1983 को कपिल देव ने अहमदाबाद टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज की दूसरी पारी में 30.3 ओवर में सिर्फ 83 रन देकर नौ बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई! इस पारी में वह सिर्फ कैरेबियाई सलामी बल्लेबाज डेसमंड हेंस का विकेट नहीं ले पाए, उनको भारत के दूसरे तेज गेंदबाज बलविंदर सिंह सिंधू ने आउट किया!
कपिल के लाइफ पर बन रही फिल्म
गौरतलब है कि कपिल देव की लाइफ पर फिल्म ’83’ भी इस साल रिलीज होने जा रही है! रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, पंकज त्रिपाठी, और अन्य स्टारर ’83’ साल 1983 में भारत की पहली क्रिकेट विश्व कप जीत की कहानी ह!. इस फिल्म में रणवीर सिंह कपिल देव की भूमिका में है! वहीं, फिल्म के निर्देशक कबीर हैं! ’83’ रीयल बेस्ड घटनाओं पर सबसे बड़ी फिल्मों में से एक है! यह फिल्म 2020 में रिलीज की जानी थी लेकिन महामारी की वजह से इसे अब 2021 में रिलीज किया जाएगा!
https://kisansatta.com/62nd-birthday-of-kapil-dev-who-won-the-first-world-cup-trophy-for-the-indian-cricket-team/ #62NdBirthdayOfKapilDev, #WhoWonTheFirstWorldCupTrophyForTheIndianCricketTeam 62nd birthday of Kapil Dev, who won the first World Cup trophy for the Indian cricket team Sport #Sport KISAN SATTA - सच का संकल्प
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Best happy new year shayari 2018 in hindi for girlfriend
नए साल की शुभकामनाएं बहुत आम हैं और हर कोई ऐसा करना पसंद करता है, क्योंकि वे आपको नए साल के लिए शुभकामनाएं चाहते हैं। Shayari गहरी विचारों के संयोजन और आग��मी वर्ष के लिए शुद्ध दिल आशीर्वाद से बना रहे हैं। happy new year shayari आपके माता-पिता, मित्रों, रिश्तेदारों की इच्छा रखते हैं और उन्हें अपने जीवन में उनके महत्व को याद दिलाना है। नए साल की पार्टी नृत्य और जश्न मनाएं। happy new year shayari 2018 आपके माता-पिता, मित्रों, रिश्तेदारों की इच्छा रखते हैं और उन्हें अपने जीवन में उनके महत्व को याद दिलाना है। नए साल की पार्टी नृत्य और जश्न मनाएं।
Best happy new year shayari 2018 in hindi for girlfriend:
1. आप रात का एक सा है,सभी के नाम के साथ, सोरोज के साथ,करिन एक दिल की बात है,ठीक हैआपके और कोरो दारवाज़ा के बीच एक विवाद है,साप्ताहिक और खसाई मी भरापुर,गरीबी आप हैनौ-वर्षा की नौ श्लोक शुभकामनाएंagrim haippee en vaarsh 20182. प्रत्येक आटा आटा है,हर कोई जाता है,एक ऐप है,वह मीलका मालिक कौनदिल का स्वाद,नव वर्ष 2018 की नकारात्मक शुभकामनाएं3. भगवान जगत का या काल,दिल मुगल बिसले है बहुत कला है,जो भी मुस्कुराहट,खुशनिया लेकर एक ऐनीज़ एयर के साथ,हैप्पी न्यू ईयर 20184. क्या यह हैती क्या हैआप जिंदगी के साथ ज़िंदगी देखते हैंउनके हाई को भाई भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता हैक्या आप नहीं जानते कि येदिन केवल जोोड में एक दौड़ हैडुशर्टे न तो सेक्स के लिए समाप्त हो गया हैमाईडोस्टोन के उत्पादन का पहला सदस्यकायोकीबुनी ने एपेन मुस्करुराहठकन्नेहो जान जुने हैंनए साल मंगलम में अग्रिम!जन्मदिन मुबारक हो 2018 !!5. कोई दो या नहीं gam,बाएं हाथ के नाम पर कोई आंख का नाम नहीं होना चाहिए,कोई दिल की ना नाओरी नहींसंत केई के नाम से,बीयर लव की दुनिया पर कब्जा कर लिया गया था,मैं 2018 एसा हो सकता है,नया साल 2018 शुभकामनाएं, क्या है .....6. बेस्ट नीयू य्याय्याय्य्याय्य्यजनार्य गाय, फारवती गाय,सारा तेहर गाओन्यू बे ज़ूमिंग वर्ल्डईबी जास्का अपको एक दोज़र से जादुई थामंगलाये हो apke ले 2018 ka sal7. ऐस नाहल सलाह की भाग्यई है हैप्यार दिन और प्याररानी जी नफरत झूठ झूठ से नफरत करता हैसभी का दिल सीता हैहैप्पी न्यू ईयर 20188. निकोले दुआ द्वारा हनी,केवल जीवन का मील, खुश साड़ी,गम ना कढ़ी खुदा अपन कुही,एक खुश मुस्कान बनाओनया मुबारक ह
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भुलाए गए भारतीय : महर्षि भरद्वाज
विमान विद्या के जनक महर्षि भरद्वाज आम तौर पर आज भी भारत के जन सामान्य में हमारे प्राचीन ऋषियों-मुनियों के बारे में ऐसी धारणा जड़ जमाकर बैठी हुई है कि वे जंगलों में रहते थे, जटाजूटधारी थे, कोपीन और वल्कल वस्त्र पहनते थे, झोपड़ियों में रहते हुए दिन-रात ब्रह्म-चिन्तन में निमग्न रहते थे, सांसारिकता से उन्हें कुछ भी लेना-देना नहीं रहता था। इस सोच को जन्म देने वाले विदेशी है । इस सदी तीनसौ सालों की ग़ुलामी ने बहोत सारे तथ्यों को तोड़ मरोड़कर रख दिया है । अफसोस कि बात है कि हम आज भी इसे ही सत्य मानकर चल रहे है । इस का बहोत भयानक मोड़ आ गया है जिसकी वजह से हमारे इतिहास का एक बहुत बड़ा अनर्थकारी पहलू बन गया है कि हम अपने महान पूर्वजों के जीवन के उस पक्ष को एकदम भुला बैठे, जो उनके महान् वैज्ञानिक होने को न केवल उजागर करता है वरन् सप्रमाण पुष्ट भी करता है। महर्षि भरद्वाज हमारे उन प्राचीन विज्ञानवेत्ताओं में से ही एक ऐसे महान् वैज्ञानिक थे जिनका जीवन तो अति साधारण था लेकिन उनके पास लोकोपकारक विज्ञान की महान दृष्टि थी। ऋग्वेद के मंत्रों की शाब्दिक रचना जिन ऋषि परिवारों द्वारा हुई है, उनमें सात अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन सात में महर्षि भरद्वाज अनन्यतम हैं। ये छठे मण्डल के ऋषि के रूप में विख्यात हैं। भारतीय वांग्मय में अनेक स्थानों पर इन्हें बृहस्पति का पुत्र बताया गया है। एक ऋषि तथ��� मन्त्रकार के रूप में भरद्वाज का उल्लेख अन्य संहिताओं तथा ब्राह्मणों (ब्राह्मण-ग्रंथों) में प्राय: हुआ है। रामायण तथा महाभारत में भी गोत्रज ऋषि के रूप में भरद्वाज का उल्लेख है। इन्हें एक महान् चिन्तक और ज्ञानी माना गया है। वेदकाल से लेकर महाभारत तक मिलती है भरद्वाज परंपरा ऋग्वेद से लेकर महाभारत तक जिन महर्षि भरद्वाज का उल्लेख स्थान-स्थान पर प्राप्त होता है, उनके जन्म का वृत्तान्त बड़ा विचित्र है। श्रीमद्भागवत, मत्स्य-पुराण (8-27( 49-15-33), ब्रह्म पुराण (2-38-27) और वायु पुराण (99-137, 148, 150, 169) में यह कथा कहीं विस्तार से और कहीं संक्षेप में दी गयी है। इन सबमें इन्हें उतथ्य ऋषि का क्षेत्रज और बृहस्पति का औरस पुत्र बतलाया गया हैं उक्त सभी के अनुसार ये देवगुरु बृहस्पति के पुत्र थे। माता ममता और पिता बृहस्पति दोनों के द्वारा परित्याग कर दिये जाने पर मरुद्गणों ने इनका पालन किया। तब इनका एक नाम वितथ पड़ा। जब राजा दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र सम्राट भरत का वंश डूबने लगा, तो उन्होंने पुत्र-प्राप्ति हेतु मरुत्सोम यज्ञ किया, जिससे प्रसन्न होकर मरुतों ने अपने पालित पुत्र `भरद्वाज´ को उपहार रूप में भरत को अर्पित कर दिया- भरत का दत्तक-पुत्र बनने पर ये ब्राह्मण से क्षत्रिय हो गये थे। इनका निवास गोवर्द्धन पर्वत (व्रज-क्षेत्र) पर था जहाँ इन्होंने वृक्ष लगाये। (कालान्तर में गोवर्द्धन पर्वत पुन: वृक्षहीन हो गया। केन्द्र में केबिनेट मंत्री तथा उत्तर प्रदेश के (द्वितीय) राज्यपाल रहे डॉ0 कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने जब `वन-महोत्सव´ के नाम से वृक्षारोपण का आंदोलन चलाया, तो उस समय इस पवित्र पर्वत पर उन्होंने वृक्षारोपण कराया था। भरद्वाज के जन्म की जो विचित्र कथा विभिन्न ग्रंथों में दी है, उसमें क्या रहस्य छिपा है, यह अन्वेषण का विषय है। अभिधा (शब्दों के अर्थ ज्यों के त्यों मान लेने) में यह कथा देवगुरु बृहस्पति के आचार-विचार पर आक्षेपपूर्ण दिखती है( परन्तु लक्षणा या व्यंजना में इसके गूढ़ रहस्य के अन्तर्निहित होने की पूरी संभावना इसलिए बनती है क्योंकि ऋग्वेद में बृहस्पति के संदर्भ में किया गया वर्णन खगोलीय घटनाओं से जुड़ता है। इनकी पत्नी तारा के चन्द्रमा द्वारा अपहरण और उससे बुध की उत्पत्ति की पौराणिक कथा अपने में खगोल-शास्त्रीय किसी रहस्य को छिपाये है, यह स्पष्टतः भासित होता है। भरद्वाज आं��िरस गोत्र में उत्पन्न एक वैदिक ऋषि हैं। ये गोत्र प्रवर्तक तथा वैवस्वत मन्वन्तर के सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भरद्वाज) में से एक हैं। महाभारत के अनुसार अजेय धनुर्धर तथा कौरवों और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य इन्हीं के पुत्र थे। भरद्वाज ने एक बार भ्रम में पड़कर अपने मित्र रैभ्य को शाप दे दिया और बाद में मारे शोक के जलकर प्राण त्याग दिये। परन्तु रैभ्य के पुत्र अर्वावसु ने इन्हें अपने तपोबल से जीवित कर दिया। वन जाते समय तथा लंका-विजय के पश्चात् वापस लौटते समय श्री रामचन्द्र जी इनके आश्रम में गये थे। वायुमार्ग से पुष्पक विमान से लौटते समय प्रभु राम महर्षि भरद्वाज के आश्रम के वर्णन करते हुए कहते हैं- (सुमित्रानन्दन! वह देखो प्रयाग के पास भगवान् अग्निदेव की ध्वजा रूप धूम उठ रहा है। मालूम होता है, मुनिवर भरद्वाज यहीं हैं।) (वा0रा0, अ0का0, 54-5) महर्षि वाल्मिकी अपने ग्रंथ रामायण में लिखते हैं- श्रीराम चन्द्र जी ने चौदहवाँ वर्ष पूर्ण होने पर पंचमी तिथि को भरद्वाज आश्रम में पहुँचकर मन को वश में रखते हुए मुनि को प्रणाम किया। तीर्थराज प्रयाग में संगम से थोड़ी दूरी पर इनका आश्रम था, जो आज भी विद्यमान है। महर्षि भरद्वाज की दो पुत्रियाँ थीं, जिनमें से एक (सम्भवत: मैत्रेयी) महर्षि याज्ञवल्क्य को ब्याही थीं और दूसरी इडविडा (इलविला) विश्रवा मुनि को- विश्रवा-इडविडा के ही पुत्र थे यक्षराज कुबेर, जिनकी स्वर्ण-नगरी लंका ओर पुष्पक विमान को रावण ने छीन लिया था। वर्णन आता है कि महर्षि भरद्वाज धर्मराज युधिष्टिर के राजसूय-यज्ञ में भी आमंत्रित थे। महर्षि भरद्वाज आंगिरस की पन्द्रह शाखाओं में से शाखा प्रवर्तक तथा एक मन्त्रदृष्टा ऋषि हैं। (वायुपुराण-65, 103( 207 तथा 59, 101)। ये आयुर्वेद शास्त्र के आदि प्रवर्तक भी हैं, जिसे इन्होंने आठ भागों में बाँटा था। अष्टांग आयुर्वेद से प्राय: सभी आयुर्वेदज्ञ सुपरिचित हैं और महर्षि ने इन भागों को पृथक-पृथक कर इनका ज्ञान अपने शिष्यों को दिया था। इन्होंने आयुर्वेद पर प्रथम संगोष्ठी का आयोजन किया था। आयुर्वेद की शिक्षा इन्होंने इन्द्र से ली थी (भाव प्रकाश)। काशिराज दिवोदास और धन्वन्तरि इन्हीं के शिष्य थे (हरिवंश पुराण)। यह तो रहा महर्षि भरद्वाज का एक वैदिक एवं पौराणिक रूप( किन्तु व्यक्तित्व एवं कृतित्व की दृष्टि से उनके जीवन का जो दूसरा रूप है, वह ��ै एक महान् तथा अद्वितीय वैज्ञानिक का। वे जहाँ आयुर्वेद के धुरन्धर ज्ञाता थ���, वहीं मंत्र, यंत्र और तंत्र तीनों क्षेत्रों में पारंगत थे। दिव्यास्त्रों से लेकर विभिन्न प्रकार के यन्त्र तथा विलक्षण विमानों के निर्माण के क्षेत्र में आज तक उन्हें कोई पा नहीं सका है। उनके इस रूप के बारे में लोगों को शायद ही कोई जानकारी हो क्योंकि ऋषि-मुनि की हमारी कल्पना ही बड़ी विचित्र रही है। विमानशास्त्री महर्षि भरद्वाज एक महान् आयुर्वेदज्ञ के अतिरिक्त भरद्वाज मुनि एक अद्भुत विलक्षण प्रतिभा-संपन्न विमान-शास्त्री थे। वेदों में विमान संबंधी उल्लेख अनेक स्थलों पर मिलते हैं। ऋभु देवताओं द्वारा निर्मित तीन पहियों के ऐसे रथ का उल्लेख ऋग्वेद (मण्डल 4, सूत्र 25, 26) में मिलता है, जो अंतरिक्ष में भ्रमण करता है। ऋभुओं ने मनुष्य-योनि से देवभाव पाया था। देवताओं के वैद्य अश्विनीकुमारों द्वारा निर्मित पक्षी की तरह उड़ने वाले त्रितल रथ, विद्युत-रथ और त्रिचक्र रथ का उल्लेख भी पाया जाता है। वाल्मीकि रामायण में वर्णित ‘पुष्पक विमान’ के नाम से तो प्राय: सभी परिचित हैं। लेकिन इन सबको कपोल-कल्पित माना जाता रहा है। लगभग छह दशक पूर्व सुविख्यात भारतीय वैज्ञानिक डॉ0 वामनराव काटेकर ने अपने एक शोध-प्रबंध में पुष्पक विमान को अगस्त्य मुनि द्वारा निर्मित बतलाया था, जिसका आधार `अगस्त्य संहिता´ की एक प्राचीन पाण्डुलिपि थी। अगस्त्य के `अग्नियान´ ग्रंथ के भी सन्दर्भ अन्यत्र भी मिले हैं। इनमें विमान में प्रयुक्त विद्युत्-ऊर्जा के लिए `मित्रावरुण तेज´ का उल्लेख है। महर्षि भरद्वाज ऐसे पहले विमान-शास्त्री हैं, जिन्होंने अगस्त्य के समय के विद्युत् ज्ञान को अभिवर्द्धित किया। तब उसकी संज्ञा विद्युत्, सौदामिनी, हलालिनी आदि वर्गीकृत नामों से की जाने लगी। अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत शोध मण्डल ने प्राचीन पाण्डुलिपियों की खोज के विशेष प्रयास किये। फलस्वरूप् जो ग्रन्थ मिले, उनके आधार पर भरद्वाज का `विमान-प्रकरण´ प्रकाश में आया। महर्षि भरद्वाज रचित `यन्त्र-सर्वस्व´ के `विमान-प्रकरण´ की यती बोधायनकृत वृत्ति (व्याख्या) सहित पाण्डुलिपि मिली, उसमें प्राचीन विमान-विद्या संबंधी अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा चामत्कारिक तथ्य उद्घाटित हुए। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, नई दिल्ली द्वारा इस विमान-प्रकरण का स्वामी ब्रह्ममुनि परिव्राजक की हिन्दी टीका सहित सुसम्पादित संस्करण `बृहत् विमान शास्त्र के नाम से 1958 ई. में प्रकाशित हुआ। यह दो अं��ों में प्राप्त हुआ। कुछ अंश पहले बड़ौदा के राजकीय पुस्तकालय की पाण्डलिपियों में मिला, जिसे वैदिक शोध-छात्र प्रियरत्न आर्य ने `विमान-शास्त्र´ नाम से वेदानुसन्धान सदन, हरिद्वार से प्रकाशित कराया। बाद में कुछ और महत्वपूर्ण अंश मैसूर राजकीय पुस्तकालय की पाण्डुलिपियों में प्राप्त हुए। इस ग्रंथ के प्रकाशन से भारत की प्राचीन विमान-विद्या संबंधी अनेक महत्वपूर्ण तथा आश्चर्यचकित कर देने वाले तथ्यों का पता चला। भरद्वाज प्रणीत `यन्त्र-सर्वस्व´ ग्रंथ तत्कालीन प्रचलित सूत्र शैली में लिखा गया है। इसके वृत्तिकार यती बोधायन ने अपनी व्याख्या में स्पष्ट लिखा है कि- महर्षि भरद्वाज ने वेद रूपी समुद्र का निर्मन्थन कर सब मनुष्यों के अभीश्ट फलप्रद `यन्त्रसर्वस्व´ ग्रन्थरूप् नवनीत (मक्खन) को निकालकर दिया। धनुर्विद्या में कहां है धनुर्धरों का देश! स्वामी विवेकानंद यानी जीवित है हिंदू राष्ट्र ‘यंत्रसर्वस्व’ में लिखी है विमान बनाने और उड़ाने की कला स्पष्ट है कि ‘यन्त्रसर्वस्व´ ग्रन्थ’ और उसके अन्तर्गत वैमानिक-प्रकरण की रचना वेदमंत्रों के आधार पर ही की गयी है। विमान की तत्कालीन प्रचलित परिभाषाओं का उल्लेख करते हुए भरद्वाज ने बतलाया है कि `वेगसाम्याद् विमानोण्डजजानामिति´ अर्थात् आकाश में पक्षियों के वेग सी जिसकी क्षमता हो, वह विमान कहा गया है। वैमानिक प्रकरण में आठ (8) अध्याय हैं, जो एक सौ (100) अधिकरणों में विभक्त और पाँच सौ (500) सूत्रों में निबद्ध हैं। इस प्रकरण में बतलाया गया है कि विमान के रहस्यों का ज्ञाता ही उसे चलाने का अधिकारी है । इन रहस्यों की संख्या बत्तीस (32) है। यथा-विमान बनाना, उसे आकाश में ले जाना, आगे बढ़ाना, टेढ़ी-मेढ़ी गति से चलाना या चक्कर लगाना, वेग को कम या अधिक करना, लंघन (लाँघना), सर्पगमन, चपल परशब्दग्राहक, रूपाकर्षण, क्रियारहस्यग्रहण, शब्दप्रसारण, दिक्प्रदर्शन इत्यादि। ये तो हुए विमानों के सामान्य रहस्य है। विभिन्न प्रकार के विमानों में चालकों को उनके विशिश्ट रहस्यों का ज्ञान होना आवश्यक होता था। `रहस्य लहरी´ नामक ग्रंथ में विमानों के इन रहस्यों का विस्तृत वर्णन है। `वैमानिक प्रकरण´ के अनुसार विमान मुख्यत: तीन प्���कार के होते थे- 1. मान्त्रिक (मंत्रचालित दिव्य विमान), 2. तांत्रिक-औषधियों तथा शक्तिमय वस्तुओं से संचालित तथा, 3. कृतक-यन्त्रों द्वारा संचालित। पुष्पक मांत्रिक विमान था। यह विमान मंत्रों के आधार पर चलता था। कह सकते हैं कि यह रिमोट पद्धति से चलता था। मान्त्रिक विमानों का प्रयोग त्रेता युग तक रहा और तांत्रिक विमानों का द्वापर तक। इस श्रेणी में छप्पन (56) प्रकार के विमानों की गणना की गयी है। तृतीय श्रेणी कृतक के विमान कलियुग में प्रचलित रहे। ये विमान पच्चीस (25) प्रकार के गिनाये गये हैं। इनमें शकुन अर्थात पक्षी के आकार का पंख-पूँछ सहित, सुन्दर अर्थात धुएँ के आधार पर चलने वाला-यथा आज का जेट विमान, रुक्म अर्थात खनिज पदार्थों के योग से रुक्म अर्थात् सोने जैसी आभायुक्त लोहे से बिना विमान, त्रिपुर अर्थात जल, स्थल और आकाश तीनों में चलने, उड़ने में समर्थ आदि का उल्लेख आता है। इन विमानों की गति अत्याधुनिक विमानों की गति से कहीं अधिक होती थी। विमानों और उनमें प्रयुक्त होने वाले यन्त्रों को बनाने के काम में लाया जाने वाला लोहा भी कई प्रकार को होता था। भरद्वाज ने जिन विमानों तथा यन्त्रों का उल्लेख अपने `यन्त्र-सर्वस्व´ ग्रन्थ में किया है, उनमें से अनेक तो ऐसे हैं, जिन्हें आज के समुन्नत वैज्ञानिक युग में भी नहीं बनाया जा सका है। `शकुन´, `सुन्दर´ और `रुक्म´ के अतिरिक्त एक ऐसे भी विमान का वर्णन उक्त ग्रन्थ में है, जिसे न तो खण्डित किया जा सके, न जलाया जा सके और न ही काटा जा सके। ऐसे विमानों का उल्लेख भी है, जिनमें यात्रा करने पर मनुष्य का शरीर जरा भी न हिले, शत्रु के विमान की सभी बातें सुनी जा सकें और यह भी ज्ञात किया जा सके कि शत्रु-विमान कहाँ तक कितने समय में पहुँचेगा। विमान को हवा में स्थिर रखने (जैसे हैलीकॉप्टर) और कार की तरह बिना मुड़े ही पीछे जाने का उल्लेख है। (हवा में स्थिर रह सकने वाला हेलीकॉटर तो बना लिया गया है( परन्तु कार की तरह बिना मुड़े पीछे की ओर गति कर सकने वाला विमान अभी तक नहीं बनाया जा सका है।) महर्षि भरद्वाजकृत `यन्त्र-सर्वस्व´ ग्रन्थ के अतिरिक्त उन्हीं की लिखी एक प्राचीन पुस्तक `अंशुबोधिनी´ में अन्य अनेक विद्याओं का वर्णन हैं इसमे प्रत्येक विद्या के लिए एक-एक अधिकरण है। एक अधिकरण में विमानों के संचालन के लिए प्रयुक्त होनेवाली शक्ति के अनुसार उनका वर्गीकरण किया गया है। महर्षि के सूत्रों की व्याख्या करते हुए यती बोधायन ने आठ प्रकार के विमान बतलाये हैं- 1. शक्त्युद्गम - बिजली से चलने वाला। 2. भूतवाह - अग्नि, जल और वायु से चलने वाला। 3. धूमयान - गैस से चलने वाला। 4. शिखोद्गम - तेल से चलने वाला। 5. अंशुवाह - सूर्यरश्मियों से चलने वाला। 6. तारामुख - चुम्बक से चलने वाला। 7. मणिवाह - चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त मणियों से चलने वाला। 8. मरुत्सखा - केवल आयु से चलने वाला। परमाणु-ऊर्जा विभाग के भूतपूर्व वैज्ञानिक जी0एस0 भटनागर द्वारा संपादित पुस्तक `साइंस एण्ड टेक्नालोजी ऑफ डायमण्ड´ में कहा गया है कि `रत्न-प्रदीपिका´ नामक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ में कृत्रिम हीरा के निर्माण के विषय में मुनि वैज्ञानिक भरद्वाज ने हीरे और कृत्रिम हीरे के संघटन को विस्तार से बताया है। पचास के दशक के अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कम्पनी द्वारा पहले कृत्रिम हीरे के निर्माण से भी सहस्रों वर्ष पूर्व मुनिवर भरद्वाज ने कृत्रिम हीरा के निर्माण की विधि बतलायी थी। एकदम स्पष्ट है कि वे रत्नों के पारखी ही नहीं, रत्नों की निर्माण-विधि के पूर्ण ज्ञाता भी थे। भरद्वाज मुनि के इस वैज्ञानिक-रूप की जानकारी आज शायद ही किसी को हो। पहले विमान निर्माता नहीं हैं राइट ब्रदर्स महर्षि भरद्वाज द्वारा वर्णित विमानों में से एक `मरुत्सखा´ विमान का निर्माण 1895 ई. में `मुम्बई स्कूल ऑफ आर्टस´ के अध्यापक शिवकर बापूजी तलपड़े, जो एक महान् वैदिक विद्वान् थे, ने अपनी पत्नी (जो स्वयं भी संस्कृत की पण्डिता थीं) की सहायता से विमान का एक मॉडल (नमूना) तैयार किया। फिर प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित विवरणों के आधार पर एक `मरुत्सखा´ प्रकार के विमान का निर्माण किया। यह विमान एक चालकरहित विमान था। इसकी उड़ान का प्रदर्शन तलपड़े जी ने मुंबई चौपाटी पर तत्कालीन बड़ौदा नरेश सर सयाजी राव गायकवाड़ और बम्बई के प्रमुख नागरिक लालजी नारायण के सामने किया था। विमान 1500 (पन्द्रह सौ फुट) की ऊँचाई तक उड़ा और फिर अपने आप नीचे उतर आया। बताया जाता है कि इस विमान में एक ऐसा यंत्र लगा था, जिससे एक निश्चित ऊँचाई के बाद उसका ऊपर उठना बन्द हो जाता था। इस विमान को उन्होंने महादेव गोविन्द रानडे को भी दिखलाया था। दुर्भाग्यवश इसी बीच तलपदेजी की विदुषी जीवनसंगिनी का देहावसान हो गया। फलत: वे इस दिशा में और आगे न बढ़ सके। 17 सितंबर, 1917 ई. को उनका स्वर्गवास हो जाने के बाद उस मॉडल विमान तथा सामग्री को उत्तराधिकारियों ने एक ब्रिटिश फर्म `रैली ब्रदर्स´ के हाथ बेंच दिया। `राइट ब्रदर्स´ के काफी पहले वायुयान निर्माण कर उसे उड़ाकर दिखा देने वाले तलपडे महोदय को `आधुनिक विश्व का प्रथम विमान निर्माता´ होने की मान्यता देश के स्वाधीन हो जाने के इतने वर्षों बाद भी नहीं दिलायी जा सकी, यह निश्चय ही अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे भी कहीं अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पाठ्य-पुस्तकों में शिवकर बापूजी तलपदे के बजाय `राइट ब्रदर्स´ (राइट बन्धुओं) को ही अब भी `प्रथम विमान निर्माता´ होने का श्रेय दिया जा रहा है, जो नितान्त असत्य है।
इस के संदर्भ में जाने कुछ ऐसे भारतीय साहित्य को जो आपको हिला के रख देगा । जरूर पढ़िए ये हमारी धरोहर है , लेकिन इसकी सबसे ज्यादा उपेक्षा हम ही करते है ।
विमानिका शास्त्र
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परमेश्वर के बारे में तुम्हारी समझ क्या है?
एक लम्बे समय तक लोगों ने परमेश्वर में विश्वास किया है, फिर भी उनमें से ज्यादातर को इस "परमेश्वर" शब्द के बारे में कोई समझ नहीं है। वे केवल एक अव्यवस्था में अनुसरण करते हैं। उनके पास कोई सुराग नहीं है कि वास्तव में क्यों उन्हें परमेश्वर में विश्वास करना चाहिए या वास्तव में परमेश्वर क्या है। यदि लोग सिर्फ़ परमेश्वर पर विश्वास करना और उसका अनुसरण करना जान���े हैं, परन्तु परमेश्वर क्या है इस बारे में नहीं जानते, न ही वे परमेश्वर को समझते हैं, तो क्या यह संसार में सबसे बड़ा मज़ाक नहीं है? भले ही लोगों ने अब तक बहुत से स्वर्गिक रहस्यों को देखा है और बहुत गहरे ज्ञान के बारे में सुना है, जिसे मनुष्य पहले कभी नहीं समझा था, तब भी वे बहुत से अत्यंत प्राथमिक, अब तक अविचारित सत्यों पर अँधेरे में हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि, "हमने कई वर्षों तक परमेश्वर में विश्वास किया है। हम कैसे नहीं जान सकते हैं कि परमेश्वर क्या है? क्या यह हमें छोटा नहीं बना देता है?" परन्तु वास्तविकता में, यद्यपि आज हर कोई मेरा अनुसरण कर रहा है, फिर भी किसी को इस वर्तमान कार्य के बारे में कोई समझ नहीं है। यहाँ तक कि वे सबसे अधिक स्पष्ट और सबसे अधिक आसान प्रश्नों को भी नहीं समझते हैं, परमेश्वर के बारे में जटिल प्रश्न की तो बात ही छोड़ो। तुम्हें मालूम होना चाहिए कि वे प्रश्न जिन्हें तुम नज़रअंदाज़ कर देते हो और खोजने में असमर्थ हो, ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें तुम्हें सबसे अधिक समझना चाहिए, क्योंकि तुम इस बात पर कोई ध्यान नहीं देते हुए और इस बात की परवाह नहीं करते हुए कि तुम्हें किस चीज़ से सज्जित होना चाहिए, सिर्फ़ भीड़ का अऩुसरण करना जानते हो। क्या तुम सचमुच जानते हो कि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास क्यों करना चाहिए? क्या तुम वास्तव में जानते हो कि परमेश्वर क्या है? क्या तुम सचमुच में जानते हो कि मनुष्य क्या है? एक ऐसे मनुष्य के रूप में, जिसका परमेश्वर में विश्वास है, यदि तुम इन बातों को समझने में असफ़ल हो, तो क्या तुम परमेश्वर के एक विश्वासी की प्रतिष्ठा को खो नहीं देते हो? आज मेरा कार्य यह है कि लोग अपने सार को समझें, वह सब जो मैं करता हूँ उसे समझें और परमेश्वर के असली चेहरे को जानें। यह मेरी प्रबंधन योजना, मेरे कार्य के अंतिम चरण का समापन कार्य है। यही कारण है कि मैं जीवन के सभी रहस्य तुम लोगों को पहले से बता रहा हूँ, ताकि तुम सब लोग उन्हें मुझ से स्वीकार कर सको। क्योंकि यह अंतिम युग का कार्य है, इसलिए मुझे तुम सब लोगों को जीवन के सत्य बता देने चाहिए जिन्हें तुम लोगों ने पहले कभी नहीं समझा है, यद्यपि तुम लोग उन्हें आत्मसात करने में असमर्थ हो और उन्हें धारण करने में असमर्थ हो, क्योंकि तुम लोग बहुत ही हीन और अपर्याप्त-रूप-से-सुसज्जित हो। मैं अपने कार्य का समापन करना चाहता हूँ, अपने सभी आवश्यक कार्य समाप्त करना चाहता हूँ, तुम्हें उस बारे में पूरी तरह से सूचित करना चाहता हूँ जिसे करने का मैं तुम्हें आदेश दे रहा हूँ, कहीं ऐसा न हो कि जब अँधेरा उतरे तो तुम लोग फिर से भटक जाओ और दुष्ट के धोखे में पड़ जाओ। कई ऐसे मार्ग हैं जो तुम लोगों की समझ से परे हैं, कई ऐसी बातें हैं जिन्हें तुम लोग नहीं समझते हो। तुम लोग बहुत अज्ञानी हो। मैं तुम लोगों की हैसियत और तुम लोगों की कमियों को अच्छी तरह से जानता हूँ। इसलिए, भले ही कई ऐसे वचन हैं जिन्हें तुम लोग आत्मसात करने में समर्थ नहीं होगे, फिर भी मैं तुम सब लोगों को ये सत्य बताना चाहता हूँ जिन्हें तुमने पहले कभी नहीं समझा है—क्योंकि मुझे चिंता रहती है कि क्या, अपनी वर्तमान हैसियत के साथ, तुम लोग मेरी गवाही देने में समर्थ होगे। ऐसा नहीं है कि मैं तुम लोगों को छोटा बनाता हूँ। तुम सब जंगली जानवर हो जो मेरे औपचारिक प्रशिक्षण के माध्यम से नहीं गुज़रे हो, और यह सचमुच संदेहास्पद है कि तुममें कितनी महिमा है। हालाँकि तुम पर कार्य करते हुए मैंने जबरदस्त ऊर्जा खर्च की है, तब भी ऐसा लगता है कि तुममें सकारात्मक तत्व व्यवहारिक रूप से अस्तित्वहीन हैं, जबकि नकारात्मक तत्वों को अँगुलियों पर गिना जा सकता है और केवल शैतान को शर्मिंदा करने के लिए गवाहियों का ही काम कर सकते हैं। तुम लोगों के अंदर बाकी सब कुछ शैतान का ज़हर है। तुम लोग मुझे ऐसे दिखाई देते हो जैसे कि तुम लोग उद्धार से परे हो। इसलिए, चीज़ें जहाँ वे अब हैं, वहाँ मैं तुम लोगों के विभिन्न व्यवहारों को देखता हूँ और अंततः मैं तुम लोगों की असली हैसियत को जानता हूँ। यही कारण है कि मैं तुम लोगों के लिए चिंता करता रहता हूँ: अपने दम पर जीवन जीने के लिए छोड़ दिया जाये तो क्या मनुष्य सचमुच में आज जो है उससे बेहतर या उसकी तुलना के योग्य हो पाएगा? क्या तुम लोग अपनी मामूली हैसियत पर व्याकुल नहीं हो? क्या तुम लोग सचमुच में इस्राएल के चुने हुए लोगों के जैसे, सभी परिस्थितियों में मेरे और केवल मेरे प्रति वफादार बन सकते हो? जिस आचरण का प्रदर्शन तुम लोग कर रहे हो वह माता-पिता के पास से भटके हुए बच्चों का शरारतीपन नहीं है, बल्कि वह पाशविकता है जो पशुओं में उनके स्वामियों के चाबुक की पहुँच के बाहर प्रस्फुटित होती है। तुम लोगों को अपने स्वभाव का पता होना चाहिए, जो कि ऐसी कमज़ोरी है जिसे तुम सभी लोगों में देखा जा सकता है, तुम लोगों की सामान्य बीमारी। तुम्हारे लिए आज मेरा यही प्रोत्साहन है कि तुम मेरे लिए गवाही दो। किसी भी परिस्थिति में पुरानी बीमारी को फिर से न भड़कने दो। सबसे महत्वपूर्ण बात गवाही देना है। यह मेरे कार्य का मर्म है। तुम लोगों को, विश्वास करते हुए और फिर आज्ञापालन करते हुए, मेरे वचनों को वैसे ही ग्रहण करना चाहिए जैसे मरियम ने यहोवा के प्रकाशन को स्वीकार किया था जो उस तक एक स्वप्न में आया था। केवल यही पवित्र होने के रूप में योग्य है। क्योंकि तुम लोग वह हो जो मेरे वचनों को सबसे अधिक सुनते हो, वह हो जो मेरे द्वारा सबसे अधिक धन्य किए गए हो। मैं तुम लोगों को अपनी समस्त मूल्यवान सम्पतियाँ दे रहा हूँ, तुम लोगों को पूर्णतः सब कुछ प्रदान कर रहा हूँ। हालांकि, तुम लोगों की और इस्राएल के लोगों की हैसियत बहुत अलग है, पूरी तरह से भिन्न है। फिर भी उनकी तुलना में, तुम लोग बहुत ज्यादा प्राप्त कर रहे हो। जबकि वे मेरे प्रकटन की हताशापूर्ण ढंग से प्रतीक्षा करते हैं, पर तुम लोग मेरे साथ, मेरी दौलत को साझा करते हुए, सुखद दिन बिताते हो। तुलनात्मक रूप से, मेरे ऊपर चीखने और मेरे साथ झगड़ने और मेरी सम्पत्ति में से हिस्सों की माँग करने का अधिकार तुम लोगों को कौन देता है? क्या तुम पर्याप्त नहीं पा रहे हो? मैं तुम्हें बहुत देता हूँ, परन्तु बदले में तुम लोग जो मुझे देते हो वह हृदयविदारक उदासी और व्यग्रता और अदम्य नाराज़गी और असंतोष है। तुम बहुत घृणास्पद हो, फिर भी तुम दया को जगाते हो। इसलिए मेरे पास क्रोध को निग���ने और तुम्हारे बारे में अपनी आपत्ति जताने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इन कई हज़ार वर्षों के कार्य में, मैंने मानव जाति पर पहले कभी भी कोई आपत्ति नहीं की थी क्योंकि मैंने पाया है कि मनुष्य के विकास के इतिहास में, तुम लोगों में से केवल धोखेबाज़ ही सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। वे प्राचीन काल के प्रसिद्ध पूर्वज द्वारा तुम लोगों के लिए छोड़ी गई बहुमूल्य धरोहरों जैसे हैं। मैं कैसे उन मानव-से-निम्न सूअरों और कुत्तों से नफ़रत करूँ। तुम लोग बहुत बेशर्म हो! तुम लोगों का चरित्र बहुत अधम है! तुम लोगों के हृदय बहुत कठोर हैं! यदि मैं अपने इन वचनों और अपने इस कार्य को इस्राएलियों के बीच ले गया होता, तो मैं बहुत पहले ही महिमा को प्राप्त कर चुका होता। परन्तु तुम लोगों के बीच ऐसा नहीं है। तुम लोगों के बीच सिर्फ़ अतिशय अवहेलना, तुम लोगों की उदासीनता और तुम लोगों के बहाने हैं। तुम लोग बहुत संवेदनाशून्य और बहुत मूल्यहीन हो!
तुम लोगों को अपना सर्वस्व मेरे कार्य के लिए अर्पण कर देना चाहिए। तुम लोगों को ऐसा कार्य करना चाहिए जो मुझे लाभ पहुँचाता हो। मैं तुम लोगों को वह सब कुछ बताना चाहता ��ूँ जिसके बारे में तुम लोग अस्पष्ट हो ताकि तुम लोग मुझसे वह सब प्राप्त कर सको जिसका तुम लोगों में अभाव है। भले ही तुम लोगों के दोष गिनने में अनेक हैं, फिर भी, तुम लोगों को अपनी अंतिम दया प्रदान करते हुए, मैं अपना वह कार्य करते रहने का इच्छुक हूँ जो मुझे तुम पर करना चाहिए ताकि तुम लोग मुझ से लाभ प्राप्त कर सको और उस महिमा को प्राप्त कर सको जो तुम लोगों में अनुपस्थित है और जिसे संसार ने कभी देखा नहीं है। मैंने बहुत वर्षों तक कार्य किया है, फिर भी मनुष्यों में से किसी ने भी कभी मुझे नहीं जाना है। मैं तुम लोगों को वे रहस्य बताना चाहता हूँ जो मैंने कभी भी किसी को नहीं बताए हैं।
मनुष्यों के बीच, मैं वह पवित्रात्मा था जिसे वे देख नहीं सकते थे, वह पवित्रात्मा जिसके सम्पर्क में वे कभी भी नहीं आ सकते थे। पृथ्वी पर मेरे कार्य के तीन चरणों (संसार का सृजन, छुटकारा और विनाश) के कारण, मैं मनुष्यों के बीच अपना कार्य करने के लिए (कभी भी सार्वजनिक रूप से नहीं) भिन्न-भिन्न समयों पर प्रकट हुआ हूँ। मैं पहली बार मनुष्यों के बीच छुटाकारे के युग के दौरान आया था। निस्संदेह मैं यहूदी परिवार के बीच आया; इसलिए परमेश्वर को पृथ्वी पर आते हुए देखने वाले सबसे पहले यहूदी लोग थे। मैंने इस कार्य को व्यक्तिगत रूप से किया, उसका कारण यह था कि मैं छुटकारे के अपने कार्य में पापबलि के रूप में अपनी देह का उपयोग करना चाहता था। इसलिए मुझे सबसे पहले देखने वाले अनुग्रह के युग के यहूदी थे। वह पहली बार था कि मैंने देह में कार्य किया। राज्य के युग में, मेरा कार्य जीतना और पूर्ण बनाना है, इसलिए मैं दोबारा देह में चरवाही का कार्य करता हूँ। देह में यह मेरा दूसरी बार का कार्य है। कार्य के दो अंतिम चरणों में, लोग जिसके सम्पर्क में आते हैं वह अब और अदृश्य, अस्पर्शनीय पवित्रात्मा नहीं है, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति है जो देह के रूप में यथार्थ बना पवित्रात्मा है। इस प्रकार मनुष्य की नज़रों में, मैं एक बार फिर से ऐसा व्यक्ति बन जाता हूँ जिसमें परमेश्वर का रूप और संवेदना नहीं है। इसके अलावा, जिस परमेश्वर को लोग देखते हैं वह न सिर्फ़ पुरुष, बल्कि महिला भी है, जो कि उनके लिए सबसे अधिक विस्मयकारी और उलझन में डालने वाला है। बार-बार, मेरा असाधारण कार्य, कई-कई वर्षों की पुरानी धारणाओं को ध्वस्त कर देता है। लोग अवाक रह जाते हैं! परमेश्वर न केवल पवित्रात्मा, वह आत्मा जो सात गुना तीव्र पवित्रात्मा, सर्व-व्यापी पवित्रात्मा है, बल्कि एक व्यक्ति, एक साधारण व्यक्ति, अपवादात्मक रूप से एक सामान्य व्यक्ति भी है। वह न सिर्फ़ नर, बल्कि नारी भी है। वे इस बात में एक समान हैं कि वे दोनों ही मनुष्यों से जन्मे हैं, और इस बात पर असमान हैं कि एक का पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भधारण किया गया है और दूसरा, मानव से जन्मा है, परन्तु प्रत्यक्ष रूप से पवित्रात्मा से ही उत्पन्न है। वे इस बात में एक समान हैं कि परमेश्वर के दोनों शरीर परमपिता परमेश्वर पिता का कार्य करते हैं और इस बात में असमान हैं कि एक तो छुटकारे का कार्य करता है और दूसरा जीतने का कार्य करता है। दोनों परमेश्वर पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं, परन्तु एक छुटकारे का प्रभु है जो करुणा और दया से भरा हुआ है और दूसरा धार्मिकता का परमेश्वर है जो क्रोध और न्याय से भरा हुआ है। एक छुटकारे के कार्य को शुरू करने के लिए सर्वोच्च सेनापति है और दूसरा जीतने के कार्य को पूरा करने के लिए धार्मिक परमेश्वर है। एक आरम्भ है और दूसरा अंत है। एक निष्पाप शरीर है, दूसरा वह शरीर है जो छुटकारे को पूरा करता है, कार्य को जारी रखता है और कभी भी पाप नहीं करता है। दोनों एक ही पवित्रात्मा हैं, परन्तु वे भिन्न-भिन्न देहों में निवास करते हैं और भिन्न-भिन्न स्थानों में पैदा हुए हैं। और वे कई हज़ार वर्षों से अलग-अलग हैं। फिर भी उनका सम्पूर्ण कार्य पारस्परिक रूप से पूरक है, कभी भी विरोधाभासी नहीं है, और एक ही साँस में बोला जा सकता है। दोनों ही लोग हैं, परन्तु एक बालक शिशु है और दूसरी एक नवजात बालिका है। इन कई वर्षों तक, लोगों ने न सिर्फ़ पवित्रात्मा को और न सिर्फ एक पुरुष, एक नर को देखा है, बल्कि कई ऐसी चीजों को भी देखा है जो मनुष्य की अवधारणाओं की हँसी नहीं उड़ाती हैं, और इस प्रकार वे कभी भी मेरी पूरी तरह थाह पाने में समर्थ नहीं हैं। वे मुझ पर आधा विश्वास और आधा संदेह करते हैं, मानो कि मेरा अस्तित्व है और फिर भी मैं एक मायावी स्वप्न हूँ। यही कारण है कि आज तक, लोग अभी भी नहीं जानते हैं कि परमेश्वर क्या है। क्या तुम वास्तव में एक वाक्य में मेरा सारांश दे सकते हो? क्या तुम सचमुच में यह कहते हो "यीशु परमेश्वर के अलावा कोई और नहीं है, और परमेश्वर यीशु के अलावा कोई और नहीं है"? क्या तुम वास्तव में यह कहने का साहस रखते हो "परमेश्वर पवित्रात्मा के अलावा कोई और नहीं है, और पवित्रात्मा परमेश्वर के अलावा कोई और नहीं है"? क्या तुम सहजता से कह सकते हो कि "परमेश्वर सिर्फ़ देह में प्रकट एक व्यक्ति है"? क्या तुममें सचमुच दृढ़तापूर्वक कहने का साहस है कि "यीशु की छवि परमेश्वर की महान छवि मात्र है"? क्या तुम वचनों के अपने उपहार की ताक़त पर परमेश्वर के स्वभाव और उसकी छवि को अच्छी तरह से समझाने में समर्थ हो? क्या तुम वास्तव में यह कहने की हिम्मत रखते हो कि "परमेश्वर ने सिर्फ़ पुरुष को अपनी स्वयं की छवि में बनाया, महिला को नहीं"? यदि तुम ऐसा कहते हो, तो फिर मेरे चुने हुए लोगों के बीच कोई महिला नहीं होगी और मानवजाति के भीतर स्त्री का और कोई प्रकार तो बिल्कुल भी नहीं होगा। क्या अब तुम वास्तव में जानते हो कि परमेश्वर क्या है? क्या परमेश्वर एक मनुष्य है? क्या परमेश्वर एक पवित्रात्मा है? क्या परमेश्वर वास्तव में एक पुरुष है? क्या केवल यीशु ही उस कार्य को पूरा कर सकता है जिसे मैं करना चाहता हूँ? यदि तुम मेरे सार का सारांश करने के लिए उपरोक्त बातों में से केवल एक को चुनते हो, तो फिर तुम एक अत्यंत अज्ञानी निष्ठावान विश्वासी होगे। यदि मैं देहधारी के रूप में एक बार और केवल एक बार ही कार्य करूँ, तो क्या तुम लोग मेरी सीमा निर्धारित कर सकते हो? क्या तुम वास्तव में एक झलक में मुझे पूरी तरह समझ सकते हो? क्या तुम बस उन चीजों के कारण, जिनके प्रति तुम अपने जीवनकाल के दौरान अनावृत हुए हो, वास्तव में मेरा सम्पूर्ण सारांश प्रस्तुत कर सकते हो? और यदि मैं अपने दोनों देहधारणों में एक समान कार्य करता हूँ, तो तुम कैसे मुझे समझोगे? क्या संभवतः तुम मुझे हमेशा के लिए सलीब पर चढ़ाया हुआ छोड़ सकते हो? क्या परमेश्वर इतना साधारण हो सकता है जितना तुम कहते हो?
यद्यपि तुम लोगों का विश्वास बहुत सच्चा है, फिर भी तुम लोगों में से कोई भी मेरे बारे में अच्छी तरह से समझाने में समर्थ नहीं है और तुम लोगों में से एक भी उन वास्तविकताओं की गवाही देने में समर्थ नहीं है जिन्हें तुम लोग देखते हो। इसके बारे में सोचो। अभी तुम लोगों में से ज्यादातर अपने कर्तव्य में लापरवाह हो, इसके बजाये देह की बातों के पीछे भाग रहे हो, देह की इच्छाओं को संतुष्ट कर रहे हो और लालच से देह का आनंद ले रहे हो। तुम लोगों के पास थोड़ा सा ही सत्य है। तो फिर कैसे तुम लोग उस सबकी गवाही दे सकते हो जिन्हें तुम लोगों ने देखा है? क्या तुम लोगों को वास्तव में विश्वास है कि तुम लोग मेरे गवाह बन सकते हो? यदि एक दिन तुम उन सब चीजों की गवाही देने में असमर्थ होते हो जो तुमने आज देखी हैं, तो तुम एक सृजन किए गए प्राणी के कार्य को खो चुके होगे। तुम्हारे अस्तित्व का कुछ भी अर्थ नहीं होगा। तुम एक मनुष्य होने के लायक नहीं होगे। कोई यह भी कह सकता है कि तुम एक मानव नहीं हो! मैंने तुम लोगों पर असीम मात्रा में कार्य किया है। परन्तु क्योंकि वर्तमान में तुम कुछ नहीं सीखते हो, कुछ नहीं जानते हो, और व्यर्थ में कार्य करते हो, इसलिए जब मुझे अपना कार्य का विस्तार करने की आवश्यकता होती है, तो तुम, अवाक और सर्वथा निष्प्रयोजन, भावशून्य दृष्टि से घूरते हो। क्या यह तुम्हें हर समय पापी नहीं बना देगा? जब वह समय आएगा, तो क्या संभवतः तुम सबसे अधिक पछतावा महसूस नहीं करोगे? क्या तुम संभवतः उदासी में नहीं डूब सकते हो? मैं आज का कार्य बोरियत के कारण और खाली समय काटने के लिए कर रहा हूँ, बल्कि भविष्य के अपने कार्य की नींव रखने के लिए कर रहा हूँ। ऐसा नहीं है कि ��ैं किसी गतिरोध पर हूँ और मुझे कुछ नया लेकर आना पड़ेगा। जो कार्य मैं करता हूँ उसे तुम्हें समझना चाहिए; यह रस्ते में खेल रहे किसी बच्चे द्वारा नहीं किया जाता है बल्कि यह मेरे पिता के प्रतिनिधित्व में हो रहा है। तुम लोगों को यह जानना चाहिए कि यह केवल मैं नहीं हूँ जो यह सब अपने आप कर रहा हूँ। बल्कि, मैं अपने पिता का प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ। इसी बीच, तुम लोगों की भूमिका दृढ़ता से अनुसरण करने, आज्ञापालन करने, बदलने और गवाही देने की है। तुम लोगों को यह समझना होगा कि तुम लोगों को मुझ पर विश्वास क्यों करना चाहिए। यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न जो तुम लोगों में से प्रत्येक को समझना चाहिए। मेरे पिता ने, अपनी महिमा के वास्ते, तुम सब लोगों को उसी क्षण मेरे लिए पूर्व-नियत कर दिया था, जिस समय उसने इस संसार की सृष्टि की थी। यह मेरे कार्य के वास्ते, और उसकी महिमा के वास्ते किये जाने वाले कार्य के अलावा और कुछ नहीं था, कि उसने तुम लोगों को पूर्व-नियत कर दिया। यह मेरे पिता के कारण ही है कि तुम लोग मुझ पर विश्वास करते हो; यह मेरे पिता द्वारा पूर्व-नियत करने के कारण ही है कि तुम मेरा अनुसरण करते हो। इसमें से कुछ भी तुम्हारा अपना चयन नहीं है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि तुम लोग यह समझो कि तुम लोग वे हो जिन्हें मेरे लिए गवाही देने के लिए मेरे पिता ने मुझे प्रदान किया है। क्योंकि उसने तुम लोगों को मुझे प्रदान किया है, इसलिए तुम लोगों को उन तौर-तरीकों का, जो मैं तुम लोगों को प्रदान करता हूँ और उन तौर-तरीकों और वचनों का जो मैं तुम लोगों को सिखाता हूँ, पालन करना चाहिए, क्योंकि मेरे तौर-तरीकों का पालन करना तुम लोगों का कर्तव्य है। यह मुझ में तुम्हारे विश्वास का मूल उद्देश्य है। इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ, कि तुम मात्र वे लोग हो, जिन्हें मेरे पिता ने मेरे तौर-तरीकों का पालन करने के लिए मुझे प्रदान किया है। हालाँकि, तुम लोग सिर्फ़ मुझ में विश्वास करते हो; तुम लोग मेरे नहीं हो क्योंकि तुम इस्राएली परिवार के नहीं हो बल्कि इसके बजाय एक प्रकार के प्राचीन साँप हो। मैं तुम लोगों से सिर्फ़ मेरी गवाही देने के लिए कह रहा हूँ, परन्तु आज तुम लोगों को मेरे तौर-तरीकों के अनुसार अवश्य चलना चाहिए। यह सब भविष्य की गवाहियों के लिए है। यदि तुम केवल उन लोगों की तरह कार्य करते हो जो मेरे तौर-तरीकों को सुनते हैं, तो तुम्हारा कोई मूल्य नहीं होगा और तुम्हें मेरे पिता के द्वारा तुम लोगों को मुझे प्रदान करना व्यर्थ हो जायेगा। तुम्हें कहते हुए जिस पर मैं जोर दे रहा हूँ वह है: कि "तुम्हें मेरे तौर-तरीकों पर चलना चाहिए।"
स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
पवित्र आत्मा के कथन की तलाश करें, कृपया "वचन देह में प्रकट होता है" पढ़े
अब अंत के दिन है, यीशु मसीह का दूसरा आगमन की भविष्यवाणियां मूल रूप से पूरी हो चुकी हैं। तो हम किस प्रकार बुद्धिमान कुंवारी बने जो प्रभु का स्वागत करते हैं? जवाब जानने के लिए अभी पढ़ें और देखें।
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Today Horoscope-
मेष राशि, वृषभ राशि, मिथुन, कर्क राशि, सिंह राशि और कन्या राशि समेत सभी 12 राशियों के लिए गुरुवार का दिन महत्वपूर्ण हैं. पंचांग के अनुसार का आज दिन विशेष है. चंद्रमा का गोचर कर्क राशि में हो रहा है. दशमी की तिथि है. इस दिन ग्रहों की चाल आपकी राशि को किस तरह से प्रभावित कर रही है. आइए जानते हैं-
मेष राशि मेष राशि के जातकों के लिए आज दिन कोई शुभ समाचार लेकर आएगा. राजनीति में कार्यरत लोग एक मोर्चे को पकड़ कर चले व राजनेताओं की सहमति से काम करें, तभी उन्हें तरक्की मिल पाएगी. आज आपको अपने कुछ बढ़ते हुए खर्चों पर लगाम लगानी होगी, नहीं तो वह आपके लिए समस्या लेकर आ सकते हैं.
वृषभ राशि वृषभ राशि के जातकों को आज जल्दबाजी में किसी कार्य को करने से बचना होगा व भावनात्मक मामलों में आप धैर्य बनाए रखें. आपको किसी घर व मकान दुकान आदि की प्राप्ति होती दिख रही है, लेकिन आपको आज अपने अंदर अहंकार में जिद की भावना को नहीं लाना है. विद्यार्थियों को किसी परीक्षा को देने का मौका मिलेगा, जिसके लिए उन्हें अत्यधिक मेहनत करनी होगी,तभी वह सफलता हासिल कर पाएंगे.
मिथुन राशि सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत लोग अच्छा नाम कमाएंगे. भाग्य के दृष्टिकोण से उनके लिए आज दिन उत्तम रहेगा. आपको आज कुछ सामाजिक गतिविधियों में भी भाग लेना होगा. सरकारी योजनाओं में निवेश करने वाले लोग आज अच्छा खासा धन लगाएंगे. आपके साहस व पराक्रम में वृद्धि होने से आप प्रसन्न रहेंगे. आपको आज किसी छोटी दूरी की यात्रा पर जाने का मौका भी मिल सकता है.
कर्क राशि कर्क राशि के जातकों के लिए आज दिन अनुकूल परिणाम लेकर आएगा. आप अपनी अच्छी सोच से कार्य क्षेत्र में माहौल को सामान्य बनाने में कामयाब रहेंगे, लेकिन अधिकारियों की आज आपसे किसी बात पर बहस बाजी हो सकती है. आपको अपने किसी प्रियजन की ओर से कोई मूल्यवान वस्तु भेंट स्वरूप प्राप्त होगी. विरोधी आज आपके लिए आप खिलाफ साजिश तो करेंगे, लेकिन वह आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे.
सिंह राशि सिंह राशि के जातक आज मिश्रित रूप से फलदायक रहेगा. पारिवारिक जीवन में चल रहे तनाव से आज मुक्ति मिलेगी और चारों ओर का वातावरण भी सुखद रहेगा. विनम्र��ा से किसी भी कार्य को करें, कला व कौशल को बल मिलने से आप प्रसन्न रहेंगे. आपको आज अपने किसी मित्र की मदद करने का मौका मिले, तो अवश्य करें. माता जी को कोई शारीरिक कष्ट हो सकता है.
कन्या राशि कन्या राशि के जातकों को आज लंबी दूरी की यात्रा पर जाने का मौका मिल सकता है. आज उनकी पद व प्रतिष्ठा बढाने से उन्हें अपने अंदर अहम की भावना नहीं रखनी है और किसी से बातचीत करते समय अपनी वाणी में मधुरता बनाए रखे. आपको कुछ महत्वपूर्ण मामलों में सतर्कता बरतनी होगी, नहीं तो लोग इसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं.
तुला राशि तुला राशि के जातकों के लिए दिन कैरियर के दृष्टिकोण से उत्तम रहने वाला है. आज आपको अपने मित्रों का पूरा सहयोग मिलने से आप प्रसन्न रहेंगे और जिसको धन उधार देने से पहले सोच विचार अवश्य करें. आपने यदि किसी से पहले कुछ कर्ज लिया था, तो आप उसे भी आसानी से उतार पाएंगे. प्रेम जीवन जी रहे लोगों का जीवन खुशहाल रहेगा.
वृश्चिक राशि आज का दिन आपके लिए उन्नति दिलाने वाला रहेगा. व्यापार कर रहे लोग आज लाभ पाकर प्रसन्न रहेंगे. आपको कारोबार में किसी को साझेदार बनाने से बचना होगा, लेकिन संतान आपसे किसी वस्तु की फरमाइश कर सकती है, जिसके लिए आपको अपने बजट को ध्यान में रखकर ही खरीदनी होगी, नहीं तो बाद में धन के संकट से जूझना पड़ सकता है.
धनु राशि धनु राशि के जातकों के लिए आज दिन धन संबंधित मामले में दिन उत्तम रहने वाला है, लेकिन उनको किसी से सौदा व समझौता नहीं करना है, नहीं तो बाद में वह अपनी समस्या लेकर आ सकता है. धार्मिक कार्यक्रमों पर जोर देंगे और मेलजोल बढ़ाने में भी कामयाब रहेंगे. आपको अपनी कुछ दीर्घकालीन योजनाओं पर पूरा ध्यान देना होगा. आप धार्मिक कार्यों के प्रति आस्था और विश्वास रखेंगे.
मकर राशि मकर राशि के जातकों को आज जोखिम भरे कार्यों को करने से बचना होगा और स्वास्थ्य में चल रही समस्याओं को भी नजरअंदाज ना करें. आज आप यदि घर व बाहर कोई निर्णय ले, तो बहुत ही सोच विचार कर ले. आपको अपने आवश्यक कार्यों को आज योजना बनाकर करना होगा, तभी वह पूरे हो पाएंगे. कुछ खर्चे आज आपको परेशान करेंगे.
कुंभ राशि कुंभ राशि के जातकों के लिए आज दिन उत्तम रूप से फलदायक रहने वाला है. आप बिजनेस व व्यवसाय में अपने लक्ष्यों पर फोकस करें, तो बेहतर रहेगा और इधर उधर लोगों के साथ खाली समय व्यतीत करने से अच्छा है कि आप अपने काम पर ध्यान लगाएं. विद्यार्थी अपने गुरुजनों के साथ कहीं घूमने फिरने जा सकते हैं. माता-पिता से आज आपकी किसी बात पर झड़प हो सकती है.
मीन राशि मीन राशि के जातकों के लिए आज दिन मेहनत से कार्य करने के लिए रहेगा. आपको आज किसी के बहकावे में आकर किसी काम को करने से बचना होगा और अपने कर्तव्यों के प्रति सावधान रहें. आज उनके कुछ विपक्षी उन पर हावी होने की पूरी कोशिश करेंगे, जिनसे उन्हें बचना होगा. आपको आज अपने धन के निवेश की एक योजना बनानी होगी.
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कौन है हम ?? भाग -8
उत्तर वैदिक काल में सामाजिक जीवन शैली में परिवर्तन के दूसरे नायक गौतम बुद्ध रहे जिनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था | ये वर्धमान महावीर के समकालीन थे ,उन्ही की तरह क्षत्रिय वर्ग से आते थे इनका जन्म 563 ईस्वी पूर्व शाक्य नामक क्षत्रिय कुल में कपिलवस्तु ( बस्ती जिले में पिपरहवा नामक स्थल ) के निकट नेपाल की तराई में स्थित लुम्बिनी में हुआ | उनके पिता कपिलवस्तु के निर्वाचित राजा और शाक्यों के प्रधान थे तथा माता का सम्बन्ध कौसल राजवंश से था | महावीर और गौतम दोनों जीवन के सत्य की खोज में गृहस्थ जीवन त्याग कर निकले जो इस बात की और संकेत करता है कि उस काल में सामाजिक असमानताएं बहुत अधिक रही थी जिसके चलते एक बड़ा वर्ग उपेक्षित और प्रताड़ित रहा था | दोनों ही क्षत्रिय कुल से थे जो क्षत्रियो के ब्राह्मण वर्ग के विरुद्ध खड़े होने की पुष्टि करता है | सिद्धार्थ के सांसारिक जीवन से विरक्त होने को लेकर शाक्य और कोलीय राजवंशो के बीच रोहिणी नदी के जल को लेकर हुए विवाद का जिक्र मिलता है | इस विवाद पर शाक्यसंघ द्वारा बुलाये गए अधि��ेशन में सिद्धार्थ ने युद्ध का ये कहते हुए विरोध किया था कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं होता ,इससे उद्देश्य की पूर्ती के स्थान पर एक और युद्ध का बीजारोपण होगा | सिद्धार्थ समस्या का समाधान बातचीत के द्वारा किये जाने के पक्ष में थे लेकिन शाक्य संघ ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया ,इसके बाद शाक्यसंघ द्वारा उन्हें दिए गए तीन विकल्पों में एक विकल्प देश निकाला स्वीकार करने का था और सिद्धार्थ ने इसे ही स्वीकार किया | मनुष्य द्वारा भोगे जाने वाले दुखो को लेकर सिद्धार्थ के मन ने कई सवाल थे इसलिए जब उन्होंने सन्यासी बनकर 29 वर्ष की आयु में राजमहल छोड़ा तो अपने प्रश्नो उत्तर जानने की शुरुवात उन्होंने ब्राह्मणो से की लेकिन इनके द्वारा दिए जवाबो से वे संतुष्ट नहीं हुए ,तब उन्होंने तपस्या शुरू की जिससे वे ध्यान में तो प्रवीण हुए लेकिन प्रश्नो के उत्तर फिर भी नहीं पा सके | 7 वर्षो के भटकाव के बाद 35 वर्ष की आयु में उन्होंने महसूस किया कि अत्यधिक तपस्या और संयम से शायद इन सवालो का जवाब पाया जाना संभव नहीं | सत्य को जानने की प्रतिज्ञा के साथ वे बोधगया में एक पीपल वृक्ष के नीचे बैठ गए जहाँ उन्हें ज्ञान( बोधि ) प्राप्त हुआ और वे बुद्ध अर्थात प्रज्ञावान कहलाये | बुद्ध ने अपना पहला उपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में दिया |
तथागत बुद्ध का पहला धर्मोपदेश जो उन्होने अपने साथ के कुछ साधुओं को दिया था चार आर्य सत्यों के बारे में था। बुद्ध के अनुसार इस दुनिया में दुःख है जन्म में, बूढे होने में, बीमारी में, मौत में, प्रियतम से दूर होने में, नापसंद चीज़ों के साथ में, चाहत को न पाने में, सब में दुःख है। तृष्णा या चाहत दुःख का कारण है और फ़िर से सशरीर करके संसार को जार�� रखती है। तृष्णा से मुक्ति पाई जा सकती है और तृष्णा से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने अष्टांगिक मार्ग अपनाने का उपदेश दिया | बुद्ध के अनुसार सम्यक दृष्टि ( चार आर्य सत्य में विश्वास करना), सम्यक संकल्प ( मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना) , सम्यक वाक ( हानिकारक बातें और झूठ न बोलना), सम्यक कर्म ( हानिकारक कर्मों को न करना ), सम्यक जीविका ( कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक व्यापार न करना), सम्यक प्रयास ( अपने आप सुधरने की कोशिश करना), सम्यक स्मृति ( स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना) और सम्यक समाधि ( निर्वाण पाना और स्वयं का गायब होना) अष्टांगिक मार्ग है | इस मार्ग को प्रज्ञा ,शील और समाधि तीन भागो में बांटा गया ,बुद्ध ने पंचशील जिसमे अहिंसा ,अस्तेय ,अपरिग्रह ,सत्य तथा नशामुक्ति शामिल है को अपनाने की बात अपने अनुयायियों से कही | बौद्ध दर्शन की बात करे तो इसका प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है। प्राणियों के लिये, इसका अर्थ है कर्म और विपाक (कर्म के परिणाम) के अनुसार अनंत संसार का चक्र। क्योंकि सब कुछ अनित्य और अनात्मं (बिना आत्मा के) होता है, कुछ भी सच में विद्यमान नहीं है। हर घटना मूलतः शुन्य होती है। परंतु, मानव, जिनके पास ज्ञान की शक्ति है, तृष्णा को जो दुःख का कारण है, त्यागकर, तृष्णा में नष्ट की हुई शक्ति को ज्ञान और ध्यान में बदलकर निर्वाण पाया जा सकता है । बुद्ध का क्षणिकवाद दर्शन कहता है कि इस दुनिया में सब कुछ क्षणिक है और नश्वर है कुछ भी स्थायी नहीं ,इस प्रकार ये वैदिक मत का विरोध करता है | बुद्ध के अनात्मवाद दर्शन के अनुसार आत्मा का अर्थ 'मै' होता है किन्तु प्राणी शरीर और मन से बने है, जिसमे स्थायित्व नही है क्षण-क्षण बदलाव होता है। इसलिए, 'मै'अर्थात आत्मा नाम की कोई स्थायी चीज़ नहीं जिसे लोग आत्मा समझते हैं वो चेतना का अविच्छिन्न प्रवाह है जिसमे आत्मा का स्थान मन ने लिया है। बुद्ध ने ब्रह्म-जाल सूत् में सृष्टि का निर्माण कैसा हुआ ये बताते हुए अनीश्वरवाद का दर्शन प्रस्तुत किया है। सृष्टि का निर्माण होना और नष्ट होना बार-बार होता है ,ईश्वर या महाब्रह्मा सृष्टि का निर्माण नही करते क्योंकि दुनिया कार्यकरण-भाव के नियम पर चलती है। भगवान बुद्ध के अनुसार, मनुष्यों के दू:ख और सुख के लिए कर्म जिम्मेदार है ईश्वर या महाब्रह्मा नही पर अन्य जगह बुद्ध ने सर्वोच्च सत्य को अवर्णनीय कहा है।
गौतम बुद्ध से पाई गई ज्ञानता को बोधि कहा गया माना जाता है कि बोधि पाने के बाद ही संसार से छुटकारा पाया जा सकता है। सारी पारमिताओं (पूर्णताओं) की निष्पत्ति, चार आर्य सत्यों की पूरी समझ और कर्म के निरोध से ही बोधि पाई जा सकती है। इस समय, लोभ, दोष, मोह, अविद्या, तृष्णा और आत्मां में विश्वास सब गायब हो जाते है। बोधि के तीन स्तर होते है श्रावकबोधि , प्रत्येक बोधि और सम्यक्बोधि | सम्यकसंबोधि बौध धर्म की सबसे उन्नत आदर्श मानी जाती है।दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करने वाला बोधिसत्व कहलाता है। बोधिसत्व जब दस बलों या भूमियों (मुदिता, विमला, दीप्ति, अर्चिष्मती, सुदुर्जया, अभिमुखी, दूरंगमा, अचल, साधुमती, धम्म-मेघा) को प्राप्त कर लेते हैं तब "बुद्ध" कहलाते हैं। बुद्ध बनना ही बोधिसत्व के जीवन की पराकाष्ठा है। इस पहचान को बोधि (ज्ञान) नाम दिया गया है। कहा जाता है कि बुद्ध शाक्यमुनि केवल एक बुद्ध हैं - उनके पहले बहुत सारे थे और भविष्य में और होंगे। उनका कहना था कि कोई भी बुद्ध बन सकता है अगर वह दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करते हुए बोधिसत्व प्राप्त करे और बोधिसत्व के बाद दस बलों या भूमियों को प्राप्त करे। बौद्ध धर्म का अन्तिम लक्ष्य है सम्पूर्ण मानव समाज से दुःख का अंत। बुद्ध कहते है "मैं केवल एक ही पदार्थ सिखाता हूँ - दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निरोध है, और दुःख के निरोध का मार्ग है" (बुद्ध)। बौद्ध धर्म के अनुयायी अष्टांगिक मार्ग पर चलकर अज्ञानता और दुःख से मुक्ति और निर्वाण पाने की कोशिश करते हैं।
गौतम बुद्ध इसलिए अधिक प्रासंगिक है कि उन्होंने आत्मा और परमात्मा जैसे विचार को परे रखकर एक मध्यम मार्ग दिया जिसमे अत्यधिक विलास और अत्यधिक संयम दोनों के लिए स्थान नहीं था | गौतम की ये विचारधारा तत्कालीन समाज में एक क्रांति थी क्योंकि इसमें आत्मा और ईश्वर को पूरी तरह नकार दिया गया था जाहिर है इस विचारधारा का उन लोगो द्वारा प्रबल विरोध किया जाना था जिन्होंने अपना सामाजिक ताना बाना ही आत्मा और ईश्वर के इर्द गिर्द खड़ा किया हुआ था | लेकिन गौतम क्योंकि विलक्षण प्रतिभा के धनी थे उन्होंने अपने विरोधियो से लड़ाई नहीं की बल्कि उन्हें शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित किया और पराजित किया ,गौतम बुद्ध वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने तर्क और तथ्यों को प्राथमिकता दी , वे तत्कालीन कट्टर पन्थियो से इसलिए जीतते रहे क्योंकि उनके पास तर्क और तथ्य थे जबकि कट्टरपंथियों के पास केवल एक कल्पना जिसका वे पोषण करते चले आ रहे थे | महावीर के जैन दर्शन की अपेक्षा बुद्ध के दर्शन का लोगो ने इसलिए अधिक स्वागत किया क्योंकि इसमें वर्ण व्यवस्था की घोर निंदा की गई, ये एक ऐसा समुदाय था जिसमे सभी एक समान थे ,दूसरे उत्तर वैदिक संस्कृति के विपरीत इसमें स्त्रियों को भी संघ में प्रवेश के साथ बराबरी का दर्जा दिया गया था, तत्कालीन समाज का प्रताड़ित और शोषित वर्ग बड़ी संख्या में इसमें दीक्षित हुआ | इस दर्शन में किसी भी प्रकार के कर्मकांड के लिए कोई स्थान नहीं था , बुद्ध भलाई के द्वारा बुराई को और प्रेम के द्वारा नफरत को दूर करने की बात कहते है | बुद्ध द्वारा प्रचार प्रसार में जनसाधारण की भाषा पाली का प्रयोग किया जिसके चलते साधारण लोग इस दर्शन को आसानी से समझ पाए | ये दर्शन तीन स्तरीय था जो बुद्ध ,संघ और धम्म कहे जाते है इन्हे त्रिपिटक भी कहा जाता है | सुगठित संघ होने के कारण बौद्ध दर्शन ने बुद्ध के जीवन काल में ही तेजी से प्रगति की और मगध ,कौसल और कौशाम्बी सहित कई प्रदेशो के लोग इसमें दीक्षित हुए , बुद्ध के निर्वाण (483 ईस्वी पूर्व ) के 200 वर्षो बाद प्रसिद्द मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म स्वीकार करना एक बड़ी ऐतिहासिक घटना है , अशोक द्वारा ही इस दर्शन का प्रचार प्रसार मध्य और पश्चिम एशिया तथा श्रीलंका में किया गया वर्तमान में भी श्रीलंका ,चीन ,तिब्बत ,बर्मा और जापान में कई हिस्सों में ��े दर्शन मौजूद है लेकिन भारत ( जहाँ इसका उद्भव हुआ ) में ईसा की 11 वी सदी तक ही परिवर्तित रूप में बंगाल और बिहार में ही रहा और 12 वी सदी में पूरी तरह लुप्त हो गया | प्रारम्भ में प्रत्येक दर्शन ,जीवन शैली या धर्म सामाजिक सुधार का दृष्टिकोण लिए हुए होता है यही बौद्ध दर्शन के ही साथ हुआ कालक्रमेण ये उन्ही कर्मकांडो और अनुष्ठानो के जाल में फंस गया जिनकी इस दर्शन में निंदा की गई थी | दूसरी और इस दर्शन में लोगो का पलायन रोकने के लिए ब्राह्मणो द्वारा भी अपने दर्शन में सुधार किया गया जिसमे प्रमुख गोधन की रक्षा रहा जिससे पशुबलि रोकने में मदद मिली साथ ही उन्होंने स्त्रियों और शुद्रो के लिए भी अपने धर्म का मार्ग प्रशस्त किया द्य दूसरी और बौद्ध दर्शन विकृत होता गया उन्होंने जनमानस की भाषा पाली को छोड़कर संस्कृत( जो केवल विद्वानों की भाषा कहलाती थी ) को अपनाना शुरू किये जिससे वे लोगो से कटते चले गए| प्रारम्भ में बौद्ध धर्म में हीनयान (थेरवाद ) तथा महायान शाखाये ही थी ,थेरवाद में बुद���ध की मौलिक शिक्षाओं को ही माना जाता था जबकि महायान में बुद्ध की मौलिक शिक्षाओं का पालन नहीं करते हुए हजारो बोधीसत्वो की पूजा की जाती है | ईसा की पहली सदी में मठो में बुद्ध प्रतिमाओं की पूजा शुरू हुई और इनमे बड़ी मात्रा में आने वाला चढ़ावा और बौद्ध विहारों को राजाओ से मिलने वाली भारी सम्पत्तियाँ भी भिक्षुओ की मानसिकता में परिवर्तन का कारण बना , ये नई संस्कृति वज्रयान के नाम से जानी गई, इस संस्कृति में तंत्रमंत्र का प्रवेश भी हुआ | बौद्ध विहारों में स्त्रियों , दासों और कर्जदाताओं के प्रवेश को वर्जित कर दिया गया जिससे स्त्रियों और निचले वर्ग के लोगो ( क्योंकि वस्तुत कर्ज तो उन्हें ही लेना पड़ता था ) के पास पुन आर्य दर्शन की और लौटने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं बचा था , मध्यकाल में दक्षिण भारत में शैव और वैष्णव दोनों सम्प्रदायों द्वारा जैन और बौद्ध दोनो दर्शनों का कड़ा विरोध किया, कहा जाता है कि इसा की छठी -सातवीं सदी में ब्राह्मण शासक पुष्यमित्र शुंग ,शैव संप्रदाय के हूण राजा मिहिरकुल ,गोड़ देश के शिवभक्त शशांक द्वारा इस दर्शन के अनुयायियों और विहारों को नष्ट भ्रष्ट किया | हुआन सांग लिखता है कि 1600 स्तूप और विहार तोड़े गए तथा हजारो भिक्षुओ और उपासको को मोत के घाट उतारा गया दूसरी और विहारों की अपार संपत्ति तुर्की हमलावरों के लालच का भी कारण बनी | बौद्ध धर्म का चौथा संप्रदाय नवयान के नाम से जाना जाता है जो डा भीमराव आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म स्वीकार करने के साथ अस्तित्व में आया |
इस दर्शन की सबसे बड़ी देन बौद्धिक और साहित्यिक चेतना कही जा सकती है इसने लोगो को सुझाया कि किसी वस्तु को गुणदोष के विवेचन के आधार पर ही स्वीकार किया जाना चाहिए इससे किसी हद तक अन्धविश्वास का स्थान तर्क ने लिया और बुद्धिवाद पनपा | बौद्ध धर्म का प्रारंभिक पाली साहित्य तीन कोटियों में बांटा जा सकता है , प्रथम में बुद्ध के वचन और उपदेश ,दूसरी में संघ के सदस्यों द्वारा पालनीय नियम तथा तीसरी में धम्म का दर्शन है | ईसा की तीन सदियों में पाली और संस्कृत को मिलकर बौद्धों ने एक नई भाषा बनाई जिसे मिश्रित संस्कृत कहते है , इस काल में बौद्ध विहार विद्या केंद्र बने जिनमे बिहार में नालंदा और विक्रमशिला तथा गुजरात में वलभी उल्लेखनीय है | कला में बौद्ध दर्शन का विशेष प्रभाव बिहार के गया और मध्यप्रदेश के साँची तथा भरहुत में पाए गए चित्रफलको में नजर आता है | इसी काल में पहाड़ो को काटकर कमरे बनाये गए जिसे गुह्यस्थापत्यकला कहते है का प्रसार हुआ ये निर्माण गया के बराबर की पहाड़ियों और पश्चिम भारत में नासिक के आसपास की पहाड़ियों में देखा जा सकता है , उत्तर में मथुरा और दक्षिण में कृष्णा डेल्टा क्षेत्र में भी बौद्धकला के दर्शन किये जा सकते है |
जारी है अतीत का ये सफर ----महेंद्र जैन 2 फरवरी 2019
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Shabar mantra in Hindi :- क्या किसी स्त्री और पुरुष को शक्तिशाली शाबर वशीकरण मंत्र टोने टोटके का प्रयोग कर अपने काबू में करना चाहते है ? तंत्र-मंत्र-यंत्र और ज्योतिषीय उपायों में पुरुष या स्त्री को वशीकरण करने के कई तरीके बताए गए हैं। इन्हीं में शाबर वशीकरण के मंत्र भी हैं। कोई पति को अपने वश में रखना चाहती है, तो कोई चाहता है कि उसकी पत्नी हमेशा उसके सम्मोहन में बंधी रहे। किसी पर-पुरुष की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखे। ऐसे ही प्रेमी-प्रेमिका की इच्छा रहती है कि उनके बीच आपसी प्रेम हमेशा बना रहे। इन सबके लिए किए जाने वाले वशीकरण के उपाय अचूक असर वाले होते हैं।
Shabar mantra in Hindi :- कुछ उपाय सरल होते हैं, जबकि कुछ के शाक्तिशाली प्रभाव के लिए गहन तपस्या और तांत्रित अनुष्ठान किए जाते हैं। हालांकि अधिकतर शाबर मंत्र अपने-आपमें सिद्ध होते हैं, ये केवल थोड़े जप के बाद ही बहुत ज्यादा चमत्कारी प्रभाव दिखाते हैं। और तो और, इनके प्रभाव काफी स्थायी होते हैं तथा इनकी काट असंभव है। आईए, एक नजर डालते हैं उन मंत्रों पर जिनकी मदद से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और वशीकरण का प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है।
Shabar mantra in Hindi :- मंत्रों में कितनी शक्ति है, शायद आप न जानते हों। इसीलिये आज हम बताएंगे कि कैसे मंत्रों की शक्ति से अपनी मनचाही चीज़ पा सकते हैं। शाबर मंत्र न सिर्फ आसान हैं बल्कि उन्हे सिद्ध करने के लिए भी बहुत तामझाम की ज़रुरत नहीं। दीपावली की रात इन्हें सिद्ध करने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
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vashikaran mantra for love back शाबर मंत्रों में है अद्भुत शक्ति Shabar mantra in Hindi :- अमावस की काली अंधेरी रात, जब अंधेरा इतना गहरा जाता है कि हाथ को हाथ दिखाई नहीं देता। त��� ऐसे में मां लक्ष्मी निकलती हैं अपना ऐश्वर्य लुटाने। मंत्र जाप और सिद्धि के लिए भी दीपावली की रात सबसे शुभ मानी गई है। इसीलिए हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे शाबर मंत्र जिनके जाप से आप अपनी तिजोरी भर सकते हैं। किसने दिए शाबर मंत्र? Shabar mantra in Hindi :- शाबर मंत्र भगवान शंकर ने अपने भक्तों की सांसारिक जरुरतें पूरी करने के लिए दिये थे। वैदिक मंत्रों को सिद्ध करना और उनके संस्कृत के उच्चारण थोड़े मुश्किल होते हैं। उनके लिए विधि विधान भी काफी करने पड़ते हैं लेकिन शाबर मंत्र में ऐसा कुछ खास नहीं करना पड़ता। इसीलिये शाबर मंत्रों से धन संपत्ति पाना ज्यादा आसान है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी शाबर मंत्रो की महिमा का बखान करते हुए लिखा है कि अनमलि आखर अरथ न जापू शाबर सिद्ध महेश प्रतापू। यानि शाबर मंत्रों से आप अपनी मनचाही चीज़ पा सकते हैं। दीपावली की रात शाबर मंत्रों का जाप करके आप मां ल्रक्ष्मी को सदा के लिये अपने पास रोकर रख सकते हैं।
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शाबर मंत्रों की विशेषता Shabar mantra in Hindi :- शाबर मंत्र जितने आसान हैं, उससे कहीं ज्यादा जल्दी परिणाम देते हैं। शाबर मंत्र सरल भाषा में हैं और उच्चारण में ग़लती की संभावना नहीं रहती। शाबर मंत्र अपने आप सिद्ध होते हैं, लेकिन शाबर मंत्रों की उपासना गुरु के निर्देशन में ही करना चाहिये। साधना के दौरान कुछ डरावनी घटनाएं हों तो इनसे डरने की जरुरत नहीं। शाबर मंत्र जाप से पहले राम रक्षा स्रोत का पाठ ज़रुर करें। शाबर मंत्रों का इस्तेमाल किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए कभी नहीं करना चाहिये।
Shabar mantra in Hindi :- मंत्रों की महत्ता के बारे में तो आप जानते ही हैं। हर बिगड़े काम को बनाने के लिए मंत्र मौजूद हैं। आज हम आपको ‘हनुमान शाबर मंत्र’ के बारे में बताएंगे। जानिए, हनुमान शाबर मंत्र क्या हैं? उसकी महत्ता क्या है और उनका उच्चारण कैसे किया जाता है? किसी को भी वश में कर सकता है ये ‘हनुमान शाबर मंत्र’।
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Shabar mantra in Hindi :- शाबर मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली होते है और बहुत जल्द ही परिणाम लाते हैं। ऐसा माना जाता है की शाबर मंत्र गुरु गोरखनाथ जी और नवनाथ चौरासी सिद्धों ने लिखे थे। यह मंत्र आमतौर पर ग्रामीण भारतीय भाषाओं में हैं. हालांकि ये मंत्र हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि इस्लाम में और अन्य धर्मों में भी हैं। लेकिन ये बात भी सच है कि इन मंत्रों को सबसे पहले गुरु गोरखनाथ जी ने लिखा था। हनुमान शाबर मंत्र एक तरह का वशीकरण मंत्र होता है।शाबर मंत्रों से किसी भी व्यक्ति को उन्हें उपयोग में लेने से पहले सिद्धि हासिल करने के जरुरत नहीं होती है क्योंकि वे पहले से ही सिद्ध मंत्र हैं।
Shabar mantra in Hindi :- सभी शाबर वशीकरण मंत्र अपने सपनों को पूरा करने के लिए या किसी उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए सीधे किसी पर नियंत्रण रखने के उपयोग में लाये जाते हैं। शाबर वशीकरण मंत्र विशेषज्ञ अपनी इच्छा के अनुसार आप के लिए शाबर मंत्र प्रदान कर सकता है। हनुमान मंत्र और शाबर मंत्र, दोनों का ही प्रयोग वशीकरण के लिए किया जाता हैं। हनुमान मंत्र और शाबर मंत्र दोनों ही बहुत शक्तिशाली है। दोनों मंत्रों में केवल एक ही अंतर है, कि हनुमान मंत्र साधने के लिए सिद्धि करना जरुरी है पर शाबर वशीकरण मंत्र के लिए सिद्धि करना जरुरी नहीं हैं।
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Shabar mantra in Hindi :- हुनमानजी , भगवान शिव का अवतार हैं। भगवान हनुमान के रूप में तेजी है जैसी तेजी हमारे मन में होती है क्यूंकि उनकी गति वायु देव की तरह हैं। भगवान हनुमान का अपनी इन्द्रियों पर पूरा नियंत्रण है जैसे वायु देव का। भगवान हनुमान बंदरों की सेना के महानायक हैं। वे भगवान राम के दूत के रूप में विख्यात हैं। वे अतुलनीय शक्ति का भंडार है। वे राक्षसों की ताकतों का नाश करते है और सभी खतरों से मुक्त करवाते हैं। शाबर हनुमान मंत्र दुश्मनों के द्वारा फैलाई गयी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने की क्षमता रखता है।
Shabar mantra in Hindi :- हनुमान शाबर मंत्र का जाप करने के लिए काला कपड़ा पहनकर शुक्रवार से शुरुआत करें। इस मंत्र की माला लें और उस माला का 5 बार जाप करें लगातार 5 दिन तक। साधना के अंत में भगवान हनुमान की पूजा और माला के लिए एक गढ्ढा खोदें और जमीन में ये माला डाल दें.हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार स्नान करके भगवान् श्री हनुमान की तस्वीर या मूर्ति के सामने हनुमान शाबर मंत्र का पाठ करे. सर्व प्रथम भगवान् श्री विष्णु का आवाहन करें और भगवान् श्री हनुमान को सर्व प्रथम आसन अर्पित करें, तत्पश्चात पैर धोने के लिए जल समर्पित करें आचमन अर्पित करें ,स्नान हेतु जल समर्पित करें ,तिलक करें , धुप -दीप दिखाएं ,प्रसाद अर्पित करें, आचमन हेतु जल अर्पित करें, तत्पश्चात नमस्कार करें। तत्पश्चात हनुमान शाबर मंत्र का पाठ करे ।
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Shabar mantra in Hindi :- वैदिक, पौराणिक एवं तांत्रिक मंत्रों के समान ‘शाबर-मंत्र’ भी अनादि और अचूक हैं। सभी मंत्रों के प्रवर्तक मूल रूप से भगवान शंकर ही हैं, परंतु शाबर मंत्रों के प्रवर्तक भगवान शंकर प्रत्यक्षतया नहीं हैं। इन मंत्रों के प्रवर्तक शिव भक्त गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मत्स्येंद्र नाथ को माना जाता है। हनुमान साबर मंत्र : रात्रि में सोते समय यदि भूत-प्रेत आदि का डर लगता हो या जंगल में कहीं अनजान जगह सो रहे हों, तो हनुमानजी का यह चमत्कारिक साबर मंत्र तीन बार पढ़कर निश्चिंत होकर सो जाएं। हनुमानजी आपकी हर प्रकार से रक्षा करेंगे। यह विदित हो कि यह मंत्र मात्र जानकारी हेतु है। इसको सिद्ध करने के लिए किसी ‘साबर मंत्र’ के जानकार से संपर्क करें।
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Shabar mantra in Hindi :- मध्यकाल में कालिका माता, हनुमानजी, भैरवनाथ, बगलामुखी आदि देवी और देवताओं सहित कई यक्षिणियों, पिशाचिनियों आदि के साबर मंत्र भी बनाए गए थे। मध्यकाल में तांत्रिक, काला जादू जानने वाले, बंजारे, आदिवासी.वनवासी, घुमक्कड़ और ठेठ गांव के लोगों में प्रचलित थे ये साबर मंत्र। आम शहरी जनता में ये मंत्र कभी प्रचलित नहीं रहे। आज भी कई तांत्रिक और जानकार लोग ही इन गुप्त मंत्रों के रहस्य को जानते हैं।
Shabar mantra in Hindi :- कई साबर मंत्र तो अब लुप्त हो चुके हैं। साबर मंत्र बहुत जल्दी से सिद्ध हो जाते हैं, लेकिन इनके नियमों का पालन भी करना अत्यंत जरूरी है। नियमों और पवित्रता के पालन से यह मंत्र और भी असरकारक बन जाते हैं। यदि व्यक्ति इन साबर मंत्रों को गंभीरता से नहीं लेता है तो इसका उल्टा असर भी तुरंत शुरू हो जाता है इसीलिए इन मंत्रों को हंसी-मजाक में न लेकर इनको पूर्ण सम्मान के साथ लेना चाहिए। यदि आपका मन और नीयत साफ है तो ‘साबर मंत्र’ आपके साथ है। हनुमान साबर मंत्र को सिद्ध करने के लिए किसी समर्थ गुरुदेव से मंत्र दीक्षा लेकर रुद्राक्ष, मूंगे अथवा लाल चन्दन की माला से मंत्र का जप करें तभी यह सिद्ध होगा। फिर आप कहीं भी सोते वक्त यह मंत्र तीन बार पढ़कर सो जाएंगे, तो किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होगा। हालांकि जानकार लोग कहते हैं कि जिस व्यक्ति का चित्त निर्मल और कर्म शुद्ध होते हैं, उनको इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती। साबर मंत्रों को स्वयंसिद्ध माना गया है। इसके बोलते ही संबंधित देवी या देवता जाग्रत हो जाते हैं
Shabar mantra in Hindi :- शाबर मन्त्र के जनक (पिता) के रूप में गुरु गोरखनाथ तथा गुरु मछन्दरको माना जाता हैं. ये दोनों ही शिवजी के परम भक्त थे तथा इन दोनों ने ही अपने जप, तप तथा श्रद्धा तीनों का एक साथ प्रयोग कर इन चमत्कारी शाबर मन्त्रों का निर्माण किया. इसलिए इन्हें शाबर मन्त्र का संस्थापक तथाप्रवर्तक माना जाता हैं.
शाबर मन्त्र की विशेषताएँ (Features of Shabar Mantra)
शाबर मन्त्र आम बोलचाल की भाषा में लिखे हुए ऐसे शक्तिशा���ी तथा प्रभावशाली मन्त्र हैं. जिनका मात्र जप करने से ही सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं.
ऐसा माना जाता है कि ये मन्त्र पहले से ही दिव्य शक्तियों से सिद्ध होते हैं. इन मन्त्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह हैं कि इनका प्रभाव स्थायी होता हैं.
इन मंत्रो का उच्चारण स्त्री, पुरुष, बच्चे तथा बुजुर्ग हर उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं. ये मन्त्र हर उम्र के व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक और उपयोगी हैं.
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Shabar mantra in Hindi :- आप यहा पर किसी भी तरह का स्त्री वशीकरण कर सकते ह क्योंकि हमारे गुरु जी बहुत ही विद्वान ह जिन होने बहुत सी समस्या का समाधान किया ह और यदि आप किसी स्त्री का वशीकरण मंत्र द्वारा अपने वास में करना चाहते हो तो आप हमारे से संपर्क कर सकते हो हम आपको परबल स्त्री वशीकरण विधि और प्रयोग द्वारा स्त्री को अपने काबू में करने का विद्या बताएँगे जिसके द्वारा आप अपने मन पसंद की स्त्री का वशीकरण कर पाओगे और हम निम्न सेवाओे के ज्ञाता ह , स्त्री वशीकरण , स्त्री वशीकरण टोटके, स्त्री वशीकरण मंत्र, स्त्री वशीकरण यंत्र, स्त्री वशीकरण मन्त्र, स्त्री वशीकरण के उपाय, स्त्री वशीकरण शाबर मंत्र, स्त्री वशीकरण टोटका, स्त्री वशीकरण साधना, प्रबल स्त्री वशीकरण मंत्र, स्त्री का वशीकरण साधना इत्यादि |
ॐ ठः ठः ठः ठः अमुक (नाम ऑफ़ स्त्री) मे वशमा स्वाहा: ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीं क्लीं स्वाहा: ।
Shabar mantra in Hindi :- विधि:– इस मंत्र को ११००० जाप इतवार के दिन जाप करने से सिद्ध हो जाता है । इसको अपने प्रयोग करने की विधि इस प्रकार है की जौ का आटा लगभत १२५ ग्राम पिस्कार एक रोटी बना ले और उसको धीरे धीरे आंच पर सिकाई करे और दूसरी तरफ कच्ची रहने दे एक ही तरफ मजबूत रूप से सके । उसके बाद जिस तरफ से सिकाई नहीं की है उस तरफ से तर्जनी ऊँगली से सिन्दूर दिया गया मंत्र लिखे। उसके बाद पूजा रचना के मिठाई दही शुगर को उस रोटी के ऊपर इस प्रकार रखे की रोटी पूरी तरह से धक् जाये |
Shabar mantra in Hindi :- इस प्रकार करने के बाद जिस स्त्री को अपने वश में करना है उसका नाम लेकर ऊपर बताया गया मंत्र १०८ बार पढ़कर उस रोटी के दो टुकड़े क्र के काले रंग के कुते को खिलाये| इस करने पर जिस किसी भी स्त्री को अपने वश में करना चाहते हो वो आपकी बहो में अवस्य आ जाएगी |
इसके अलावा बहुत से टोटके और मंत्र होते है जिसके द्वारा आप किसी भी नारी को अपने वश में कर सकते उसके बाद वो स्त्री आपकी इच्छा अनुसार ही कार्य करेगी |
Shabar mantra in Hindi :- यदि आप शुक्ल पक्ष के दिनों में किसी भी इतवार के दिन शमशान की मिटटी में अपना वीर्य और अपने ही हाथ और पांव के नाख़ून की राख को मिलकर किसी भी स्त्री उसके खाने में थोड़ा मिलकर खिला देवे फिर देखना वो ही होगा जो अप्प देखना चाहते थे |
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