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rajasthan-political-leader · 2 months ago
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पीएम मोदी ने ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ का किया उद्धाटन, प्रदेश को बताया पर्यटन का केंद्र
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2024 को जयपुर में आयोजित ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ का उद्घाटन किया। इस समिट में प्रधानमंत्री ने राजस्थान के विकास की दिशा में अहम कदम उठाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और प्रदेश को न केवल एक निवेश केंद्र, बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में अपनी राय साझा की।
राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ ने प्रदेश को वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हुए विभिन्न उद्योगों में निवेश को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि राजस्थान में अत्यधिक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं, जो दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने राजस्थान को एक नए पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के राज्य सरकार के प्रयासों को भी सराहा और इस दिशा में सरकार की योजनाओं को तेजी से लागू करने की बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान की विशाल ऐतिहासिक धरोहर, अनूठी संस्कृति, और प्राकृतिक सौंदर्य न केवल भारतीय पर्यटकों बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, और जोधपुर जैसे शहरों में पर्यटन के विस्तार के साथ ही रोजगार के अवसरों का सृजन भी हो सकता है।
निवेश के लिए आकर्षक बन रहा राजस्थान
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समिट के जरिए राजस्थान को एक निवेश केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने राज्य के विकास में निवेशकों की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि राजस्थान के पास सौर ऊर्जा, खनिज संसाधन, और कृषि जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएँ हैं। मोदी ने कहा कि राज्य में निवेश के लिए कई नई नीतियाँ और योजनाएँ बनाई गई हैं, जो यहाँ के उद्योगों को मजबूत करने के साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेंगी।
प्रधानमंत्री ने राजस्थान सरकार के “एक्सपोर्ट प्रमोशन” और “अर्थव्यवस्था में विविधता लाने” के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। साथ ही, उन्होंने कृषि, आईटी, और विनिर्माण क्षेत्र में राज्य की मौजूदा स्थिति को और बेहतर बनाने की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का जिक्र किया।
पर्यटन क्षेत्र में नवाचार और विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र को “नया आयाम” देने की आवश्यकता पर ��ोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य को दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख स्थल बनाने के लिए यहां के ऐतिहासिक किलों, मंदिरों, और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सहेजने और प्रचारित करने की जरूरत है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने “इको-टूरिज़्म” और “अडवेंचर टूरिज़्म” जैसी नई श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिससे पर्यटक एक नई अनुभव की तलाश में राज्य का रुख करें। उन्होंने राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार करने की सलाह दी, जिससे पर्यटन उद्योग को एक नई दिशा मिले।
समिट के प्रमुख उद्देश्य
इस समिट का उद्देश्य राजस्थान में निवेश को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर सृजित करना, और राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों के लिए कई अवसरों को पेश किया, जिनमें पर्यटन, सौर ऊर्जा, खनिज, और इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
राजस्थान सरकार ने राज्य में कारोबार को और सरल बनाने के लिए कई नीतिगत सुधारों की घोषणा की, जिनसे राज्य में व्यवसाय करने में आसानी होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन सुधारों से राजस्थान को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी का ‘राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024’ का उद्घाटन राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह राज्य की बढ़ती वैश्विक पहचान को और मजबूती देगा। समिट में दिए गए संदेश से यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान न केवल निवेश के लिए एक आकर्षक स्थल है, बल्कि अपने अद्वितीय पर्यटन संसाधनों के माध्यम से विश्वभर में एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
राजस्थान का यह प्रयास न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को बल देगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगा। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इन योजनाओं को कितनी प्रभावी ढंग से लागू करती है और राजस्थान को एक प्रमुख पर्यटन और निवेश स्थल के रूप में स्थापित करने में कितनी सफलता प्राप्त करती है।
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easyhindiblogs · 2 years ago
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Top 20 SEO Myths 2023
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SEO Myths : किसी वेबसाइट की ऑनलाइन visibility के लिए SEO महत्वपूर्ण है। हम सब जानते हैं कि SEO में आपकी वेबसाइट को नंबर 1 पर ले जाने की क्षमता है। SERP में 1 पर आना, यह आपकी वेबसाइट को और भी बेहतर स्थिति में ले जा सकता है। ज्यादातर लोग मार्केटिंग उद्योग में काफी लोकप्रिय SEO Myths के जाल में फंसकर SEO सेवाओं को लेने से डरते हैं।
ऐसे Myths उन्हें SEO सेवाओं को लेने का निर्णय लेने से रोकते हैं। बल्कि SEO Myths प्रमुख कारण हैं कि क्यों बड़े संगठन अपने सपनों के ग्राहकों को आकर्षित करने में विफल रहते हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप SEO के सही रास्ते पर हैं, SEO के बारे में इन 9 Myths और तथ्यों की जाँच करें।
तो चलो शुरू हो जाओ!
Top 20 SEO Myths
यहाँ कुछ सबसे आम SEO Myths और तथ्यों को देखने का समय है जो आपको बढ़ने से रोक रहे हैं।
1. एसईओ मर चुका है
2. डुप्लिकेट कंटेंट पेनल्टी
3. डोमेन AGE एक रैंकिंग कारक है
4. SEO में 3 महीने लगते हैं
5. SEO सिर्फ बैकलिंक्स के बारे में है
6. URL में कीवर्ड महत्वपूर्ण है
7. बाउंस रेट एक रैंकिंग फैक्टर है
8. गूगल सैंडबॉक्स
9. पीपीसी विज्ञापन रैंकिंग में मदद करता है
10. नंबर एक स्थान को सारा ट्रैफिक मिलता है
11. Long कंटेंट बेहतर होता है
12. कीवर्ड स्टफिंग से रैंकिंग में सुधार होता है
13. आउटबाउंड लिंक SEO के लिए खराब हैं
14. आधिकारिक वेबसाइटें हमेशा उच्च रैंक करेंगी
15. अच्छी सामग्री अच्छी रैंकिंग के बराबर होती है
16. SEO करने के नियम
17. अतिथि ब्लॉगिंग और लिंक नेटवर्क पर भरोसा करना ठीक है
18. आंतरिक लिंकिंग महत्वपूर्ण नहीं है
19. छवियों को ऑप्टीमाइज़्ड ना करना
20. मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट नहीं बनाना
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airnews-arngbad · 17 hours ago
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आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक ०२ फेब्रुवारी २०२५ सकाळी ७.१० मि.
Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar Date – 02 February 2025 Time 7.10 AM to 7.20 AM Language Marathi आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर प्रादेशिक बातम्या दिनांक ०२ फेब्रुवारी २०२५ सकाळी ७.१० मि.
• मध्यमवर्गाला दिलासा देणारा अर्थसंकल्प सादर-१२ लाख रुपयांपर्यंतचं उत्पन्न करमुक्त • शेती-आरोग्य-रोजगार-लघू आणि मध्यम उद्योग आदी क्षेत्रांना अर्थसंकल्पात प्राधान्य • अर्थसंकल्पातल्या तरतुदींचं मु��्यमंत्र्यांकडून स्वागत तर विरोधकांकडून टीका आणि • पाणी प्रश्नाबाबत जागृतीसाठी मराठवाडा जलसमृद्धी प्रतिष्ठानकडून जलसंवाद परिषदेचं आयोजन
देशाच्या मध्यमवर्गाला मोठा दिलासा देणारा अर्थसंकल्प केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन यांनी काल संसदेत सादर केला. १६ लाख ४५ हजार कोटी रुपये तुटीच्या या अर्थसंकल्पात आगामी वर्षात कर महसुलातून ३४ लाख २० हजार कोटी रुपये उत्पन्न तर ५० लाख ६५ हजार कोटी रुपये खर्च प्रस्तावित असल्याचं म्हटलं आहे. वित्तीय तूट ४ पूर्णांक ४ दशांश टक्के राहण्याची शक्यता असून, चालू आर्थिक वर्षात तुटीचं हे प्रमाण ४ पूर्णांक ८ दशांश टक्के राहण्याचा अंदाज वर्तवण्यात आला आहे. या अर्थसंकल्पात सर्वसामान्य करदाते, शेती, आरोग्य, रोजगार, लघू आणि मध्यम उद्योग, निर्यात, गुंतवणूक, ऊर्जा, नागरीकरण, आदी क्षेत्रांना प्राधान्य देण्यात आलं आहे. सर्वसामान्यांच्या जिव्हाळ्याचा विषय असलेल्या आयकर प्रणालीत मोठे सुधार अर्थमंत्र्यांनी प्रस्तावित केले, यामुळे करदात्याचं सुमारे १२ लाख रुपयांपर्यंतचं उत्पन्न करमुक्त होणार आहे. स्टँडर्ड डिडक्शन अर्थात मानक वजावटीची मर्यादा ५० हजारांवरून ७५ हजारांपर्यंत प्रस्तावित करण्यात आली आहे. यासंदर्भातलं नवं आयकर विधेयक पुढील आठवड्यात मांडणार असल्याचं अर्थमंत्र्यांनी सांगितलं. नव्या आय कर रचनेनुसार ४ लाख रुपयांपर्यंतचं उत्पन्न पूर्णपणे करमुक्त असेल. ४ ते ८ लाख रुपयांपर्यंत उत्पन्नावर ५ टक्के कर आकारला जाईल, ८ ते १२ लाख रुपये उत्पन्नावर १० टक्के, १२ ते १६ लाखांपर्यंत १५ टक्के, १६ ते २० लाखांसाठी २० टक्के, २० ते २४ लाखांसाठी २५ टक्के तर २४ लाख रुपयांपेक्षा जास्त उत्पन्नावर ३० टक्के कर द्यावा लागणार आहे. सुधारित आयकर विवरण पत्र भरण्याची मुदत आता २ वर्षांवरुन ४ वर्ष करण्यात आली आहे. TDS आणि TCS साठीही अनेक सुधारणा अर्थमंत्र्यांनी प्रस्तावित केल्या. ज्येष्ठ नागरिकांसाठी टीडीएस मर्यादा १ लाख रुपये प्रस्तावित करण्यात आली आहे.
पंतप्रधान धनधान्य कृषी योजनेची घोषणा अर्थमंत्र्यांनी केली. याचा लाभ दीड कोटीपेक्षा जास्त शेतकऱ्यांना होणार आहे. किसान क्रेडिट कार्डद्वारे साडे सात कोटींपेक्षा जास्त शेतकरी, मच्छिमार आणि दूध उत्पादक शेतकऱ्यांना अल्प मुदतीचं कर्ज उपलब्ध करून दिलं जाणार आहे. सुधारित व्याज अनुदान योजने अंतर्गत कर्ज मर्यादा तीन लाखांहून ५ लाखांपर्यंत वाढवण्यात आली आहे. ग्रामीण समृद्धी आणि लवचिकता कार्यक्रमाच्या माध्यमातून कृषी क्षेत्रातल्या बेरोजगारांना कौशल्य, तंत्रज्ञान पुरवलं जाणार आहे. तेलबियांसाठी राष्ट्रीय अभियान राबवण्यात येणार असून, तूर, उडीद, म��ूर यांना केंद्रस्थानी ठेवून सहा वर्षांचा आत्मनिर्भर कार्यक्रम आ��ला जाणार आहे. नोंदणीकृत शेतकऱ्यांकडून पुढील चार वर्षांसाठी नाफेड आणि NCCF कडून तेलबीयांची खरेदी केली जाईल, असं त्यांनी सांगितलं.
सूक्ष्म, लघू आणि मध्यम उद्योग क्षेत्रातल्या वर्गीकरणासाठी गुंतवणुकीची मर्यादा अडीच पटीने तर उलाढालीची मर्यादा दुपटीने वाढवण्यात आली आहे. याशिवाय चर्मोद्योग, खेळणी, अन्नप्रक्रिया, पर्यावरण पूरक तंत्रज्ञान निर्मिती अशा विविध क्षेत्रांसाठी संस्थांची स्थापना, एक कोटी असंघटित कामगारांची ई श्रम पोर्टलवर नोंदणी, ३० हजार रुपयांची मर्यादा असलेली यूपीआय संलग्न क्रेडिट कार्ड आणि प्रधानमंत्री स्वनिधी योजनेत वाढ, आदी घोषणाही अर्थमंत्र्यांनी केल्या.
या अर्थसंकल्पात संरक्षण क्षेत्रासाठी सुमारे पाच लाख कोटी, ग्रामीण विकास सुमारे अडीच लाख कोटी, कृषी १ लाख ७१ हजार कोटी, शिक्षण १ लाख २८ हजार कोटी, आरोग्य ९८ हजार कोटी तर क्रीडा क्षेत्रासाठी ३ हजार ७९४ कोटी रुपये तरतूद करण्यात आली असून, विमा क्षेत्रात थेट परकीय गुंतवणुकीची मर्यादा ७४ टक्क्यांवरुन १०० टक्के करण्यात आली आहे.
सौर बॅटरी, स्मार्ट इलेक्ट्रिक मीटर, कृत्रिम दागिने, इलेक्ट्रीक वाहनं आणि मोबाईल फोन तसंच एलसीडी, एलईडी टीव्हीच्या सुट्या भागांवरच्या करात सवलत, आणि कर्करोगासह ३६ महत्त्वाच्या औषधांना सीमा शुल्कातून सूट प्रस्तावित करण्यात आली आहे. आय आय टी मध्ये साडे सहा हजार तर वैद्यकीय अभ्यासक्रमाच्या १० हजार जागा वाढवण्याचं या अर्थसंकल्पात नमूद असून, देशात तीन कृत्रीम बुद्धीमत्ता अभ्यास केंद्र स्थापन केली जाणार आहेत.
येत्या तीन वर्षांत प्रत्येक जिल्हा रुग्णालयात कर्करुग्णांसाठी उपचार केंद्र, २५ हजार कोटी रुपये निधीसह मेरीटाईम बोर्डाची स्थापना, उडान योजनेची नव्याने स्थापना, ५० नव्या पर्यटन क्षेत्रांचा विकास, मेडिकल टूरिझमसाठी 'हील इंडिया'योजना, जलजीवन मिशनला २०२८ पर्यंत मुदतवाढ, दीड लाख ग्रामीण टपाल कार्यालयं, पुरातन हस्तलिखितांचं जतन, तसंच आंतरराष्ट्रीय व्यापारासाठी नवीन पोर्टल सुरू करणार असल्याचं, अर्थमंत्र्यांनी सांगितलं. **** हा अर्थसंकल्प करदात्यांना दिलासा देणारा तसंच सर्वसमावेशक असल्याचं सांगत, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी या अर्थसंकल्पाचं स्वागत केलं. ते म्हणाले… जी इन्कम टॅक्सची रचना करण्यात आलेली आहे, याचा मोठा फायदा मध्यमवर्गीयांना, नोकरदारांना, नवतरूणांना होणार आहे. एकविसाव्या शतकातला हा अर्थसंकल्प विकसित भारताचा अर्थसंकल्प आहे. भारताला गतीने पुढे नेणारा अर्थसंकल्प आहे. आणि भारत हा प्रगल्भ अर्थव्यवस्थेकडे चाललेला आहे. आणि त्यासोबत सर्वसमावेशक अर्थव्यवस्थेकडे चाललेला आहे. या दोन्ही गोष्टी आपल्याला या अर्थसंकल्पातनं पाहायला मिळतात. हा अर्थसंकल्प नोकरदार वर्गाला अभूतपूर्व दिलासा देणारा असल्याचं वर्णन उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी केलं आहे. उपमुख्यमंत्री तथा अर्थमंत्री अजित पवार यांनी या अर्थसंकल्पातून विकसित भारताची पायाभरणी होत असल्याची प्रतिक्रिया नोंदवली आहे. या अर्थसंकल्पातून महाराष्ट्रातल्या पायाभूत प्रकल्पांना भरीव निधी मिळाल्याची माहिती त्यांनी दिली. मुंबई-अहमदाबाद हायस्पीड रेल्वेसाठी चार हजार कोटी, दळणवळण सुधारणांसाठी ६८३ कोटी, महाराष्ट्र अॅग्री बिझनेस नेटवर्क-मॅग्नेट प्रकल्पासाठी ५९६ कोटी, तर सर्वसमावेशक विकासासाठी आर्थिक क्लस्टर जोडणीकरता एक हजार ९४ कोटी रुपये निधीची तरतूद करण्यात आल्याचं, अजित पवार यांनी सांगितलं.
काँग्रेस पक्षाने हा अर्थसंकल्प म्हणजे फक्त आकड्यांचा भुलभुलैया असल्याची टीका केली. प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले यांनी, या अर्थसंकल्पातून गुंतवणूकदार, शेतकरी, व्यापारी आणि सामान्य नागरिकाची निराशा झाल्याचं मत नोंदवलं. माजी मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांनी या अर्थसंकल्पात कुठेही शिक्षण आणि आरोग्य क्षेत्राशी निगडीत मोठ्या कल्पना मांडण्यात आल्या नसल्याची टीका केली.
भारतीय कम्युनिस्ट पक्षाचे राष्ट्रीय सचिव डॉ भालचंद्र कांगो यांनी हा अर्थसंकल्प निराशाजनक असल्याची प्रतिक्रिया दिली आहे… हे बजट निराशाजनक आहे. कारण का की भारतापुढे आज अर्थव्यवस्थेचे अनेक प्रश्न आहेत. याच्यामध्ये वाढती महागाई, बेरोजगारी आणि वाढती विषमता हे प्रश्न गंभीर आहेत. परंतू त्याचा कुठेही उल्लेखदेखील नाही. शेतकऱ्यांची जी मागणी आहे, एम एस पी ची, त्याचाही उल्लेख नाही. त्याचबरोबर पेन्शनसारख्या किंवा मनरेगासारख्या ज्या योजना असतात, त्याचा निधी वाढवलेला नाही.
किसान सभेचे डॉ अजित नवले यांनी या अर्थसंकल्पात शेतीसाठी करण्यात आलेल्या बहुतांशी घोषणा या उद्योजक आणि औद्योगिक क्षेत्राला लाभ पोहोचवणाऱ्या असल्याची टीका केली. ते म्हणाले… फायदा आणि तरतुदी कॉर्पोरेट सेक्शन धार्जिण्या आणि भासवणं मात्र शेती क्षेत्राला फार मोठे उपकार केलेत. अशाच प्रकारची गोष्ट या अर्थसंकल्पात आपल्याला झालेली दिसते. शेतकऱ्यांना कर्जमाफीपासून, आधारभावाच्या संरक्षणापासून वंचित ठेवण्यात आलेलं आहे. शेतकऱ्यांसाठी निराशाजनक असा हा अर्थसंकल्प आहे.
या अर्थसंकल्पात लघु आणि मध्यम उद्योगांसाठी क्रेडिट हमी कवच १० कोटी रुपयांपर्यंत वाढवण्याच्या निर्णयाचं मराठवाडा असोसिएशन ऑफ स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज ॲण्ड ॲग्रीकल्चरचे कार्यकारिणी सदस्य उद्योजक दुष्यंत आठवले यांनी स्वागत केलं आहे.
पर्यटन���िषयक होम स्टे या प्रकाराला चालना देण्यासाठी या अर्थसंकल्पात केलेल्या तरतुदीचं धाराशिव इथल्या पर्यटन जनजागृती समितीचे अध्यक्ष यु��राज नळे यांनी स्वागत केलं आहे. त्यामुळे रोजगार निर्मितीला चालना मिळेल असा विश्वासही त्यांनी व्यक्त केला… होम स्टेच्या संदर्भात जास्तीत जास्त गुंतवणूक कशी होईलआणि होम स्टेच्या माध्यमातून पर्यटन क्षेत्र आणखीन जास्त कसं वृद्धींगत होत जाईल, यासाठी या अर्थसंकल्पामध्ये जो निर्णय घेतलेला आहे, त्याचं मी स्वागत करतो. आणि अपेक्षा करतो की याचं इंप्लिमेंटेशन मोठ्या प्रमाणावर व्हावं आणि तरूणांना याच्या माध्यमातून रोजगार निर्मिती व्हावी.
मराठवाडा जलसमृद्धी प्रतिष्ठानच्या वतीनं आज छत्रपती संभाजीनगर इथं जलसंवाद २०२५ या परिषदेचं आयोजन करण्यात आलं आहे. मराठवाड्याची पाण्याची गरज आणि पाणी उपलब्धतेच्या संभाव्य उपाययोजना या संदर्भात या परिषदेत चर्चा होणार आहे. चिकलठाणा परिसरात मसिआ संघटनेच्या सभागृहात आज सकाळी नऊ वाजता होणाऱ्या या परिषदेला उपस्थित राहण्याचं आवाहन आयोजकांनी केलं आहे.
जालना जिल्ह्याच्या सर्वांगीण विकासासाठी निश्चितपणे प्रयत्न करू, असं पालकमंत्री पंकजा मुंडे यांनी म्हटलं आहे. जिल्हा वार्षिक योजनेच्या २०२५-२६ या वर्षाच्या ४११ कोटी १७ लाख रूपयांच्या प्रारुप आराखड्याला काल मुंडे यांच्या अध्यक्षतेखाली झालेल्या नियोजन समितीच्या बैठकीत मान्यता देण्यात आली, त्यावेळी त्या बोलत होत्या.
गझल ही माणसाला माणसाच्या जवळ आणण्याचं काम करते असं मत, ख्यातनाम मराठी उर्दू गझलकार डॉ. संदीप गुप्ते यांनी व्यक्त केलं आहे. अंबाजोगाई इथं साधना प्रतिष्ठानच्या दुसऱ्या अखिल भारतीय एल्गार मराठी गझल संमेलनाचं काल उद्घाटन केल्यानंतर ते बोलत होते. या कार्यक्रमात सागर पांपटवार आणि प्रियंका गिरी या नवोदित गझलकारांचा उपस्थित मान्यवरांच्या हस्ते स्मृतिचिन्ह तसंच शाल देऊन गौरव करण्यात आला.
परभणीच्या सय्यद शाह तुराबूल हक उर्सला आजपासून सुरुवात होत आहे. जिल्हाधिकारी राघुनाथ गावडे, पोलीस निरीक्षक रवींद्रसिंह परदेशी यांच्या उपस्थितीत काल संदल मिरवणूक काढण्यात आली.
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praysure · 1 day ago
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मिथिला में मखाना बोर्ड से कितने जिलों को होगा फायदा? निर्मला सीतारमण के बजट में हुई घोषणा का सार समझिए
मिथिला में मखाना बोर्ड से कितने जिलों को होगा फायदा? निर्मला सीतारमण के बजट में हुई घोषणा का सार समझिए
मधुबनी (1 फरवरी, 2025): केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के केंद्रीय ��जट में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसमें मिथिला क्षेत्र के मखाना किसानों के लिए मखाना बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इस बोर्ड के गठन से मखाना उत्पादकों को बाजार में सीधा लाभ मिलेगा, उनकी आय में वृद्धि होगी और मखाना उद्योग में सुधार होगा। इसके साथ ही, इस क्षेत्र में मखाना उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन…
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gnewsportal · 1 day ago
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chettinadcementsdealers · 3 days ago
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विश्वसनीय सीमेंट के साथ निर्माण का भविष्य
निर्माण उद्योग तेजी से बदल रहा है, और इस परिवर्तन में विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। स्थिरता, नवाचार और मजबूती पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ये ब्रांड निर्माण के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
स्थिरता: एक हरा भविष्य विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपना रहे हैं। वैकल्पिक ईंधन, पुनः उपयोग की गई सामग्री और ऊर्जा-प्रभावी प्रक्रियाओं का उपयोग करके, वे निर्माण उद्योग को स्थिरता लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं। कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) जैसी नवाचारों के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी मदद मिल रही है।
स्मार्ट सीमेंट: दक्षता और मजबूती निर्माण का भविष्य केवल पर्यावरण-अनुकूल नहीं बल्कि स्मार्ट भी है। विश्वसनीय सीमेंट कंपनियां स��ल्फ-हीलिंग कंक्रीट और ऊर्जा-प्रभावी सीमेंट पर काम कर रही हैं जो भवनों के तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ये नवाचार मजबूती बढ़ाते हैं, रखरखाव लागत को घटाते हैं और संरचनाओं की उम्र बढ़ाते हैं।
मजबूती: मजबूत संरचनाओं के लिए फाइबर-प्रबलित सीमेंट और अल्ट्रा-हाई परफॉर्मेंस कंक्रीट (UHPC) जैसे उन्नत सीमेंट सामग्री संरचनाओं को प्राकृतिक आपदाओं, घिसाव और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों से अधिक मजबूत बनाती हैं। विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड इन उन्नत सामग्रियों में निवेश कर रहे हैं, जिससे हम मजबूत, टिकाऊ और समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले निर्माण कर सकते हैं।
तेज़ निर्माण: प्रीकास्ट और मॉड्यूलर सिस्टम्स निर्माण के भविष्य में गति और दक्षता भी महत्वपूर्ण है। विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड प्रीकास्ट और मॉड्यूलर निर्माण तकनीकों के विकास में बड़ी सफलता प्राप्त कर रहे हैं। इन विधियों से निर्माण का समय, श्रमिक लागत और सामग्री का अपव्यय कम हो जाता है, जिससे निर्माण परियोजनाएं तेज़ और अधिक कुशल होती हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे सड़कें, पुल, हवाई अड्डे और औद्योगिक परिसरों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उच्च गुणवत्ता वाले सीमेंट का उपयोग करके, ये ब्रांड सुनिश्चित करते हैं कि निर्माण संरचनाएं सुरक्षित, स्थिर और दीर्घकालिक हों।
सीमेंट निर्माण में डिजिटलीकरण निर्माण का भविष्य तकनीकी प्रगति से भी जुड़ा हुआ है, और सीमेंट उद्योग भी इस बदलाव से अछूता नहीं है। विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकों को अपनाकर निर्माण प्रक्रियाओं को अनुकूलित कर रहे हैं, आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार कर रहे हैं और गुणवत्ता नियंत्रण को बेहतर बना रहे हैं। इससे सीमेंट उत्पादन अधिक प्रभावी और उच्च गुणवत्ता का हो रहा है।
निष्कर्ष: निर्माण का भविष्य उज्जवल है, और विश्वसनीय सीमेंट ब्रांड इस विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। स्थिरता, नवाचार, मजबूती और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ये ब्रांड निर्माण को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जा रहे हैं जो पर्यावरण के अनुकूल, स्मार्ट और टिकाऊ है।
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chettinad01 · 4 days ago
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महाराष्ट्र के विकास में सीमेंट निर्माण की भूमिका
सीमेंट निर्माण महाराष्ट्र की आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो बुनियादी ढांचे की वृद्धि, रोजगार और क्षेत्रीय विकास में ��हत्वपूर्ण योगदान देता है। यहाँ यह विवरण दिया गया है कि सीमेंट निर्माण राज्य के विकास को कैसे प्रभावित करता है:
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1.मौलिक सुविधाओं का विकास
निर्माण और निर्माण कार्य: सीमेंट भवनों, सड़कों, पुलों, बांधों और अन्य आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में एक आवश्यक घटक है। महाराष्ट्र, जो शहरीकरण का केंद्र है, सीमेंट निर्माण के माध्यम से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों को समर्थन देता है, खासकर मुंबई, पुणे और नागपुर जैसे शहरों में।
औद्योगिक वृद्धि: औद्योगिक पार्क, वाणिज्यिक भवनों और गोदामों के निर्माण में सीमेंट अहम भूमिका निभाता है, जो महाराष्ट्र के विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों के लिए आवश्यक है।
2.आर्थिक योगदान
राजस्व सृजन: सीमेंट उद्योग राज्य को करों और शुल्कों के माध्यम से महत्वपूर्ण राजस्व प्रदान करता है, जिससे सार्वजनिक आधारभूत संरचनाओं और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए धन प्राप्त होता है।
रोजगार के अवसर: सीमेंट संयंत्र हजारों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करते हैं, जिनमें उत्पादन, वितरण और प्रशासन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा, यह उद्योग आपूर्तिकर्ताओं, परिवहनकर्ताओं और ठेकेदारों के माध्यम से अप्रत्यक्ष रोजगार भी उत्पन्न करता है।
3.संबंधित उद्योगों को बढ़ावा
कच्चे माल: महाराष्ट्र में सीमेंट उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल जैसे कि चूना पत्थर, मिट्टी और जिप्सम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इनका स्थानीय स्रोतों से उपलब्ध होना आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देता है, जिससे लॉजिस्टिक लागत में कमी आती है और अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है।
आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक्स: सीमेंट निर्माता ट्रकिंग, गोदामों और बंदरगाह लॉजिस्टिक्स जैसी मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर होते हैं, जो महाराष्ट्र के परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों को बढ़ावा देती हैं।
अनुसंधान और विकास: सीमेंट निर्माण कंपनियां अक्सर अपनी प्रक्रियाओं में सुधार और अधिक ��्थायी उत्पादों के निर्माण के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश करती हैं, जो रा��्य के औद्योगिक आधार में नवाचार को बढ़ाती है।
4.ग्रामीण विकास
सीमेंट संयंत्र अक्सर ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जो वहां आवश्यक आधारभूत सुविधाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और शैक्षिक सुविधाओं का विकास करते हैं। इन संयंत्रों की उपस्थिति स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बेहतर कनेक्टिविटी और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके सुधारती है।
5.पर्यावरणीय प्रभाव और स्थिरता
ग्रीन सीमेंट: पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करने के लिए, महाराष्ट्र की कई सीमेंट कंपनियां कार्बन उत्सर्जन को कम करने, वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए "ग्रीन सीमेंट" का उत्पादन करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यह राज्य के पर्यावरणीय लक्ष्यों में योगदान करता है।
रीसायकलिंग और अपशिष्ट उपयोग: कुछ सीमेंट संयंत्र औद्योगिक अपशिष्टों (जैसे कि फ्लाई ऐश या स्लैग) का उपयोग उत्पादन में करते हैं, जिससे अपशिष्ट कम होता है और पारंपरिक पद्धतियों के मुकाबले पर्यावरणीय दृष्टिकोण से यह एक बेहतर विकल्प बनता है।
6.चुनौतियाँ और अवसर
मांग में उतार-चढ़ाव: सीमेंट उद्योग निर्माण की मांग में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील होता है, जो लाभप्रदता को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, महाराष्ट्र के निरंतर शहरी विकास और आधारभूत संरचना परियोजनाओं के कारण सीमेंट की स्थिर मांग बनी रहती है। •प्रतिस्पर्धा और नवाचार: जैसे-जैसे उद्योग बढ़ता है, उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जो उत्पाद विकास, लागत दक्षता और स्थिरता में नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
सारांश: महाराष्ट्र में सीमेंट निर्माण राज्य की समग्र विकास में अपरिहार्य भूमिका निभाता है, यह आधारभूत संरचनाओं, औद्योगिकीकरण, रोजगार सृजन और स्थिरता को समर्थन देता है। शहरी विस्तार और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के साथ, यह उद्योग महाराष्ट्र की आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना हुआ है।
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livetimesnewschannel · 24 days ago
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How 3 Major Countries in Recession Are Affecting the World
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Introduction
Countries Struggling With Recession: पिछले कई सालों से मंदी के शोर से अमेरिका और जर्मनी समेत दुनिया भर के देश परेशान हैं. जानकारों का मानना है कि वर्ष 2024 में मंदी ने एक बार पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया. बड़े से बड़े देश भी इस समय मंदी से जूझ रहे हैं. ऐसे में कई सेक्टरों की बुरी हालत हो गई है. महंगाई को कंट्रोल करने क�� सभी कोशिशें नाकाम होती नजर आ रही हैं. कच्चे तेल की कीमतें हों या खाद्य वस्तुओं को दाम, हर चीज पर महंगाई का असर है. पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में आज हम जानेंगे कौन से ऐसे 3 देश हैं जो इस समय महामंदी से जूझ रहे हैं. इसका असर अन्य देशों पर भी पड़ रहा है.
Table Of Content
श्रीलंका
आर्थिक मंदी
हालात खराब होने की क्या है वजह?
सेलोन बैंक कर्मचारी ने दिया बयान
जर्मनी
प्रमुख उद्योग संघ ने दी चेतावनी
जर्मनी में महामंदी की शुरुआत
जर्मनी में मंदी का क्या है कारण?
सुस्त रिकवरी
जर्मनी की अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी में सुधार कब ?
जापान
क्या है बड़ी वजह?
श्रीलंका
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श्रीलंका ऐतिहासिक रूप से सीलोन के रूप में जाना जाता है. मई, 2024 में पहली बार श्रीलंका ने अपने लोन का भुगतान नहीं किया. इसके बाद हालात बदतर हो गए. यहां तक कि जनता सड़कों पर उतर आई. श्रीलंका इस समय 70 वर्षों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. श्रीलंका में मंदी साल 2019 से चल रही है और दिन पर दिन स्थिति खराब होती जा रही है. इस दौरान ईंधन की कीमतों में भी उछाल देखा गया, जो कमोबेश अब भी जारी है. खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसकी वजह से हजारों लोग रोजाना भूखे रह रहे हैं. सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी ऋण अब 101 प्रतिशत है और साल 2023 में इसका आंकड़ा 120 प्रतिशत तक पहुंच गया था. श्रीलंका विकास अद्यतन में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि श्रीलंका में महंगाई में कमी आई है. नई नीतियों के लागू होने की वजह से कर में ��ृद्धि हुई है. 5 दशकों में पहली बार चालू खाता अधिशेष हुआ है, जिसे बढ़ी हुई धनराशि और पर्यटन में पुनः वृद्धि से बल मिला है. इसके बावजूद श्रीलंका के हालात सामान्य बेहद खराब स्थिति में हैं.
आर्थिक मंदी
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वर्ष 2022 की शुरुआत में श्रीलंका की स्थिति बद से बदतर नजर आई थी. महंगाई की दर आसमान छू रही थी. वस्तुओं की कीमतें अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ गईं. विश्व बैंक की मानें तो श्रीलंका में 500,000 से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए. देश में खाने, दवा और ईंधन की कमी के साथ-साथ दैनिक ब्लैकआउट और अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी जा गई थी. ऐसी स्थिति को देखते हुए वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी थी. इससे जूझ रहे लोगों के मन में गुस्सा भरा पड़ा. पुलिस और सुरक्षाबलों के तैनाती के बावजूद श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन जारी रहा. इसके बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया और सिंगापुर भाग गए. इन घटनाओं के बाद से तत्कालीन प्रधानमंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को 21 जुलाई को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति चुना गया. विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई और कर्फ्यू लगा दिया गया.
हालात खराब होने की क्या है वजह?
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गौरतलब है कि सरकार ने इस संकट के लिए कोविड महामारी को जिम्मेदार ठहराया. कहा गया कि कोविड की वजह से पर्यटन उद्योग बर्बाद हो गया. श्रीलंका की विनाशकारी आर्थिक नीतियों को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया गया. टैक्स में बड़ी कटौती के चलते सरकार को राजस्व में सालाना 1.4 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. रासायनिक फर्टिलाइज़र पर 2021 में प्रतिबंध से घरेलू स्तर पर खाद्य पदार्थों की कमी हुई. खर्च को कम करने के लिए सरकार ने सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों, जैसे श्रीलंका एयरलाइंस, श्रीलंका इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन और श्रीलंका टेलीकॉम का निजीकरण करना शुरू कर दिया.
सेलोन बैंक कर्मचारी ने दिया बयान
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सेलोन बैंक के कर्मचारी यूनियन के उपाध्यक्ष अनुपा नानदुला ने मंदी पर बात करते हुए कहा कि सरकार को सुधारों का बोझ वेतन लेने वाले वर्ग और मध्यम वर्ग पर नहीं डालना चाहिए, जो पहले से ही आर्थिक संकट से प्रभावित हैं. उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंका इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन के निजीकरण के खिलाफ हाल ही में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. वो मानते हैं कि निजीकरण से नौकरियां कम होंगी और कर्मचारी वर्ग पर ज्यादा बोझ पड़ेगा. पिछले साल आर्थिक संकट के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से खत्म करने के बाद से ही श्रीलंका में प्रशासन बल का प्रयोग कर रही है.
जर्मनी
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दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला देश जर्मनी एक बार फिर मंदी का शिकार है. जर्मनी की इकोनॉमी में दूसरी तिमाही में अचानक गिरावट देखने को मिली. जर्मनी की सकल घरेलू उत्पाद में पहली तिमाही की तुलना में 0.1 प्रतिशत गिरावट देखने को मिली. यहां बता दें कि लगातार दो तिमाही में गिरावट को मंदी कहा जाता है. जर्मनी की अर्थव्यवस्था इन दिनों गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है. कच्चे माल जैसे कि लिथियम पर बढ़ती निर्भरता और ऑर्डर की कमी से उसकी हालत साल 2009 की मंदी के बाद से सबसे खराब स्तर पर है. ऑर्डर की कमी से आर्थिक परेशानी और बढ़ रही है.
प्रमुख उद्योग संघ ने दी चेतावनी
जर्मनी के प्रमुख उद्योग संघ, फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज ने इस मुद्दे को लेकर चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि जर्मनी की कच्चे माल, खासकर लिथियम के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ रही है. उन्होंने आगे बताया कि अगर चीन से लिथियम का आयात रुक जाता है तो इससे जर्मनी की अर्थव्यवस्था को लगभग 115 अरब यूरो (122 अरब डॉलर) का नुकसान हो सकता है. जो औद्योगिक उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत है. वहीं, एक प्रमुख दैनिक समाचार ने बताया कि जर्मन सरकार को लगता है कि अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे साल भी सिकुड़ेगी और उसने अपने पूर्वानुमानों में कटौती की है. औद्योगिक मंदी, कम निर्यात और बढ़ती ऊर्जा लागत को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्रालय को उम्मीद है कि 2024 में अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे वर्ष सिकुड़ेगी. अब 0.3 प्रतिशत वृद्धि के अपने पूर्व अनुमान के बजाय 0.2 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया गया है.
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जर्मनी में महामंदी की शुरुआत
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जर्मनी में महामंदी की शुरुआत साल 1930 के दशक में आई. यह एक गंभीर वैश्विक आर्थिक मंदी थी, जिसमें जर्मनी सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था.
जर्मनी में मंदी का क्या है कारण?
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जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि साल 2024 में भी जर्मनी की अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी. उसे अगले वर्ष में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, जो पिछले पूर्वानुमान में 1 प्रतिशत थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 तक अर्थव्यवस्था में 1.6% की वृद्धि होने की उम्मीद है. हालांकि, इस समय जिस तरह के हालात चल रहे हैं उससे इस आंकड़े को हासिल करना बेहद मुश्किल लग रहा है. जर्मनी में मंदी के कई वजह हो सकते हैं.
सुस्त रिकवरी
साल 2023 में जर्मनी संकुचन वाली एकमात्र प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्था होगी, जिसकी बड़ी वजह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध है. औद्योगिक मंदी, कम निर्यात ऑर्डर और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के प्रभाव से जूझ रही है. ऐसा माना जा रहा था कि महंगाई में कमी और यूरोपीय केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती से इस साल एक बार फिर अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, लेकिन घरेलू और विदेशी स्तर पर कमजोर मांग ने इन सकारात्मक कारकों को काफी हद तक नकार दिया.
जर्मनी की अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी में सुधार कब ?
मंदी पर बात करते हुए जर्मनी के अर्थव्यवस्था मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने बताया कि सरकार की प्रस्तावित विकास पहल आर्थिक सुधार लाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी.
यह भी पढ़ें: Former PM Manmohan Singh: कैसा रहा है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सफरनामा?
जापान
जापान की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए समय अच्छा नहीं चल रहा है. देश की अर्थव्‍यवस्‍था लगातार गिरती हुई नजर आ रही है. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में जापान ने अपना स्थान खो दिया है. जापान अब चौथे स्थान पर आ गया है. एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि जापान धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता को खो रहा है. देश के सकल घरेलू उत्पाद में एक साल की तुलना में 2023 के अंतिम तीन महीनों में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई है. इससे पहले पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 3.3 प्रतिशत गिरावट आई थी. गौरतलब है कि जापान के कैबिनेट कार्यालय के आंकड़े भी संकेत देते हैं कि जापान ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का अपना स्थान खो दिया है.
क्या है बड़ी वजह?
युवा आबादी
जापान की अर्थव्‍यवस्‍था में इतनी बड़ी गिरावट की सबसे मुख्य वजह युवा आबादी है. जापान में बच्चों के कम जन्म की वजह से जनसंख्या में युवा आबादी की संख्या कम हो गई है. ऐसे में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने अनुमान जताया है कि जापान चौथे स्थान पर आने वाला है. फिलहाल जापान की GDP, पिछले साल कुल 4500 अरब अमेरिकी डॉलर या लगभग 591000 अरब येन थी. जर्मनी ने पिछले महीने जीडपी 4400 अरब अमेरिकी डॉलर या 45000 अरब अमेरिकी डॉलर होने की घोषणा की थी.
जीडीपी में गिरावट
लगातार जीडीपी में गिरावट जापान को मंदी का शिकार बना रहा है. कैबिनेट कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जापानी अर्थव्यवस्था में 0.4 प्रतिशत की सालाना दर से सिकुड़ गई है. ये पिछली तिमाही से 0 से 0.1 प्रतिशत कम है. साल 2023 के लिए जीडीपी पिछले साल की तुलना में 1.9 प्रतिशत बढ़ी थी. जापान ने अपने अर्थव्यवस्था को स्‍मॉल और मिड साइज के बिजनेस के माध्यम से आगे बढ़ाया है.
कोर इनफ्लेशन हाई
जापान में महंगाई बीते कुछ दिनों में कम हुई है, लेकिन कोर इनफ्लेशन रेट के आंकडे बढ़ते जा रहे हैं. केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत लक्ष्य से 15वें महीने भी ऊपर रही है. ऐसे में अब GDP के आंकड़े भी अनुमान से कम रहे हैं.Conclusion
कोविड महामारी के बाद से ही जापान, जर्मनी और श्रीलंका समेत कई देशों पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है. इसका असर सिर्फ 3 देशों पर ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ रहा है. मंदी का असर महंगाई और बेरोजगारी पर पर हो रहा है. इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग देशों के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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agra24 · 26 days ago
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दिसंबर 2025 तक होगा छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय का लोकार्पण
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आगरा में सोमवार को उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री और जनपद आगरा के प्रभारी मंत्री श्री जयवीर सिंह की अध्यक्षता में विकास कार्यों और कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई और पर्यटन सर्किट को बढ़ावा देने सहित विकास परियोजनाओं के शीघ्र निष्पादन का आश्वासन दिया गया। संग्रहालय परियोजना को प्राथमिकता श्री सिंह ने बैठक से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय का औचक निरीक्षण किया और निर्माण कार्य में आ रही रुकावटों पर अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उन्होंने बताया कि संग्रहालय के निर्माण में तकनीकी समस्याओं के कारण कार्य अवरुद्ध हो गया था। टाटा कंसल्टेंसी द्वारा आर्बिट्रेशन के लिए अपील की गई है, और संबंधित मुद्दों को जल्द सुलझाने के लिए उच्च-स्तरीय वार्ता जारी है। श्री जयवीर सिंह ने कहा, "संग्रहालय का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा होगा। यह आगरा के पर्यटन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब��धि साबित होगा।" पर्यटन सर्किट की नई योजना मंत्री ने घोषणा की कि आगरा, मथुरा-वृंदावन, फिरोजाबाद और इटावा को मिलाकर एक पर्यटन सर्किट तैयार किया जा रहा है। इसके तहत यमुना नदी में क्रूज या स्टीम एडवेंचर जलमार्ग विकसित किया जाएगा, जो मथुरा-वृंदावन से आगरा और बटेश्वर होते हुए पचनदा तक जाएगा। इस परियोजना से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना है। कानून व्यवस्था और विकास कार्यों की समीक्षा नवीन सर्किट हाउस सभागार में आयोजित बैठक में मंत्री ने कानून व्यवस्था, गौ संरक्षण, आवास आवंटन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े मुद्दों की समीक्षा की। - गौ संरक्षण: जनपद में 10 नए गौ संरक्षण केंद्र बनाए जा रहे हैं। मंत्री ने जल्द निर्माण कार्य पूरा करने और निराश्रित गौवंश का संरक्षण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। - आवास योजनाएं: काशीराम आवास योजना में अपात्र लाभार्थियों से आवास खाली कराने और पात्र लाभार्थियों को आवंटन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। - शिक्षा: प्राथमिक विद्यालयों के जर्जर भवनों को बदलकर नए भवन बनाने की प्रक्रिया पर चर्चा हुई। विद्युत आपूर्ति और ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं बैठक में विद्युत विभाग के मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। टॉरेंट पावर और डीवीवीएनएल द्वारा छोटे बकायेदारों पर कार्रवाई और बड़े बकायेदारों पर शिथिलता बरतने पर जनप्रतिनिधियों ने आपत्ति जताई। मंत्री ने सभी संविदा कर्मियों के फीडर बदलने और लंबित कनेक्शन काटने के अभियानों को रोकने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आगरा पोस्टमार्टम हाउस और बाह में एक्सरे मशीन की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए गए। मंत्री ने सीएमओ को अगले 24 घंटे में एक्सरे मशीन और पोस्टमार्टम हाउस को सुचारु रूप से संचालित करने का आदेश दिया। जल निगम की समीक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में पाइपलाइन परियोजनाओं के कारण क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत न होने पर नाराजगी जताते हुए मंत्री ने गुणवत्तापूर्ण मरम्मत कार्य सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। पत्रकार वार्ता में मंत्री का बयान बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में श्री सिंह ने कहा, "पर्यटन क्षेत्र में नई योजनाओं को तेजी से लागू किया जाएगा। ईको-टूरिज्म के तहत रपड़ी और बटेश्वर को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" बैठक में मौजूद गणमान्य बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य, सांसद राजकुमार चाहर, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया, महापौर हेमलता ��िवाकर, विधायक चौ. बाबूलाल, डॉ. जीएस धर्मेश, और अन्य जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे। Read the full article
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258764 · 2 months ago
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हाउसिंग वर्ल्ड: 15 साल की सफलता की कहानी
यल एस्टेट उद्योग में 15 साल का समय एक लंबा सफर तय करने जैसा होता है। इस यात्रा में हर उतार-चढ़ाव, हर चुनौती और हर सफलता ने हमारी कंपनी, हाउसिंग वर्ल्ड, को एक मजबूत और विश्वसनीय ब्रांड बना दिया है। हमारी कंपनी ने न केवल गुणवत्ता वाली संपत्तियाँ प्रदान की हैं, बल्कि ग्राहकों के विश्वास को भी सबसे अधिक प्राथमिकता दी है।
हमें क्यों चुने?
हाउसिंग वर्ल्ड का सफर 15 साल पहले एक छोटी सी सोच से शुरू हुआ था, लेकिन आज हम रियल एस्टेट की दुनिया में एक अग्रणी नाम बन चुके हैं। हमारे अनुभव और विशेषज्ञता ने हमें हर प्रकार के प्रॉपर्टी से संबंधित जरूरतों को समझने और पूरी तरह से संतुष्ट करने में सक्षम बनाया है। चाहे आप एक नया प्लॉट,फ्लैट खरीदना चाहते हैं या निवेश के लिए एक संपत्ति की तलाश कर रहे हैं, हाउसिंग वर्ल्ड आपके लिए सही विकल्प है।
ग्राहक विश्वास और संतुष्टि
हमारा लक्ष्य हमेशा ग्राहकों को सर्वोत्तम सेवा देना और उनके सपनों को हकीकत में बदलना रहा है। हमने न केवल रियल एस्टेट की बिक्री और खरीदारी में मदद की है, बल्कि विभिन्न प्रकार के निवेश और संपत्ति प्रबंधन में भी हमारा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमें गर्व है कि हमारे पास ऐसे ग्राहक हैं जो वर्षों से हमारे साथ जुड़े हुए हैं और हमारी सेवाओं से संतुष्ट हैं।
हमारी सेवाएँ
1. बिक्री और खरीदारी: हम संपत्तियों की बिक्री और खरीदारी के लिए व्यापक और पारदर्शी सेवाएँ प्रदान करते हैं। चाहे वह वाणिज्यिक संपत्तियाँ हों या आवासीय, हम ग्राहकों को हर प्रकार की संपत्ति उपलब्ध कराते हैं।
2. निवेश मार्गदर्शन: रियल एस्टेट एक बेहतरीन निवेश विकल्प हो सकता है, लेकिन सही जगह पर निवेश करना महत्वपूर्ण है। हम आपको सर्वोत्तम संपत्तियों में निवेश करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं, जो आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा कर सकें।
हमारी टीम
हमारी टीम में अनुभवी और विशेषज्ञ रियल एस्टेट प्रोफेशनल्स शामिल हैं, जो इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखते हैं। हमारी टीम का उद्देश्य हमेशा यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहक की हर आवश्यकता को सही समय पर और सर्वोत्तम तरीके से पूरा किया जाए।
भविष्य की दिशा
हाउसिंग वर्ल्ड की यात्रा यहीं नहीं रुकती। अगले 15 सालों में हम और भी नवीनीकरण, तकनीकी सुधार और ��ेहतर ग्राहक सेवाओं के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।
आज के समय में जब रियल एस्टेट के क्षेत्र में भरोसे की कमी महसूस होती है, हाउसिंग वर्ल्ड अपने 15 साल के अनुभव और अच्छे नाम से ग्राहकों के दिलों में विश्वास कायम करने का कार्य करता है। हम अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएँ और उन्हें उनके सपनों का प्लॉट ,फ्लैट ,घर प्रदान करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं।
हाउसिंग वर्ल्ड के साथ जुड़े रहें, और अपने रियल एस्टेट के अनुभव को एक नए स्तर पर ले जाएं!
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airnews-arngbad · 1 day ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 01 February 2025
Time 18.10 to 18.20
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक – ०१ फेब्रुवारी २०२५ सायंकाळी ६.१०
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मध्यमवर्गाला दिलासा देणारा अर्थसंकल्प सादर-१२ लाख रुपयांपर्यंतचं उत्पन्न करमुक्त
शेती-आरोग्य-रोजगार-लघू आणि मध्यम उद्योग आदी क्षेत्रांना अर्थसंकल्पात प्राधान्य
हा अर्थसंकल्प म्हणजे देशाच्या विकास मार्गावर मैलाचा दगड-पंतप्रधानांकडून विश्वास व्यक्त
अर्थसंकल्पातून जनतेच्या डोळ्यात धूळफेक केल्याची काँग्रेस पक्षाची टीका
आणि
पाणी प्रश्नाबाबत जागृतीसाठी मराठवाडा जलसमृद्धी प्रतिष्ठानकडून जलसंवाद परिषदेचं आयोजन
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देशाच्या मध्यमवर्गाला मोठा दिलासा देणारा अर्थसंकल्प केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन यांनी आज संसदेत सादर केला. सर्वसामान्यांच्या जिव्हाळ्याचा विषय असलेल्या आयकर प्रणालीत मोठे सुधार अर्थमंत्र्यांनी आज प्रस्तावित केले, यामुळे सर्वसामान्य करदात्याचं सुमारे १२ लाख रुपयांपर्यंतचं उत्पन्न करमुक्त होणार आहे. स्टँडर्ड डिडक्शन अर्थात मानक वजावटींची मर्यादा ५० हजारांवरून ७५ हजारांपर्यंत प्रस्तावित करण्यात आली आहे. यासंदर्भातलं नवं आयकर विधेयक पुढील आठवड्यात मांडणार असल्याचं अर्थमंत्र्यांनी स्प��्ट केलं.
नव्या आय कर रचनेनुसार ४ लाख रुपयांपर्यंतचं उत्पन्न पूर्णपणे करमुक्त असेल. ४ ते ८ लाख रुपयांपर्यंत उत्पन्नावर ५ टक्के कर आकारला जाईल, ८ ते १२ लाख रुपये उत्पन्नावर १० टक्के, १२ ते १६ लाखांपर्यंत १५ टक्के, १६ ते २० लाखांसाठी २० टक्के, २० ते २४ लाखांसाठी २५ टक्के तर २४ लाख रुपयांपेक्षा जास्त उत्पन्नावर ३० टक्के कर द्यावा लागणार आहे.
आयकर विवरणपत्र न भरलेल्यांसाठी विवरणपत्र भरण्याची मूदत ४ वर्षांपर्यंत वाढवण्यात आली आहे. टीडीएसमधील घरभाड्याची मर्यादाही वाढवण्यात आली असून, ज्येष्ठ नागरिकांसाठी टीडीएस मर्यादा १ लाखापर्यंत वाढवण्यात आली आहे.
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या अर्थसंकल्पात शेती, आरोग्य, रोजगार, लघू आणि मध्यम उद्योग, निर्यात, गुंतवणूक, ऊर्जा, नागरीकरण, आदी क्षेत्रांना प्राधान्य देण्यात आलं आहे.
पंतप्रधान धनधान्य कृषी योजनेची घोषणा अर्थमंत्र्यांनी केली. याचा लाभ दीड कोटीपेक्षा जास्त शेतकऱ्यांना होणार आहे. किसान क्रेडिट कार्डद्वारे साडे सात कोटींपेक्षा जास्त शेतकरी, मासेमार आणि दूध उत्पादक शेतकऱ्यांना अल्प मुदतीचं कर्ज उपलब्ध करून दिलं जाणार आहे. सुधारित व्याज अनुदान योजने अंतर्गत कर्ज मर्यादा तीन लाखांहून ५ लाखांपर्यंत वाढवण्यात आली आहे.
ग्रामीण समृद्धी आणि लवचिकता कार्यक्रमाच्या माध्यमातून कृषी क्षेत्रातल्या बेरोजगारांना कौशल्य, तंत्रज्ञान पुरवलं जाणार आहे.
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सूक्ष्म, लघू आणि मध्यम उद्योग क्षेत्रातल्या वर्गीकरणासाठी गुंतवणुकीची मर्यादा अडीच पटीने तर उलाढालीची मर्यादा दुपटीने वाढवण्यात आली आहे.
याशिवाय चर्मोद्योग, खेळणी, अन्नप्रक्रिया, पर्यावरण पूरक तंत्रज्ञान निर्मिती अशा विविध क्षेत्रांसाठीही संस्थांची स्थापना, एक कोटी असंघटित कामगारांची ई श्रम पोर्टलवर नोंदणी, ३० हजार रुपयांची मर्यादा असलेली यूपीआयशी संलग्न क्रेडिट कार्ड आणि प्रधानमंत्री स्वनिधी योजनेत वाढ, आदी घोषणाही अर्थमंत्र्यांनी केल्या.
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जलजीवन मिशन अंतर्गत शंभर टक्के घरांना नळजोडणी करण्यासाठी या योजनेची मुदत २०२८ पर्यंत वाढवण्याचं या अर्थसंकल्पात प्रस्तावित आहे.
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आयआयटीमध्ये सहा हजार ५०० जागा तर वैद्यकीय महाविद्यालयांत पुढील वर्षी १० हजार जागा वाढवण्याचं या अर्थसंकल्पात नमूद आहे. देशात तीन ठिकाणी कृत्रीम बुद्धीमत्ता अभ्यास केंद्र स्थापन केली जाणार आहेत.
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सीमा शुल्कातून ३६ महत्त्वाची औषधी वगळण्यात आली आहे. कर्करोगावरील औषधींना आता हे शुल्क लागणार नाही. लिथियम बॅटरीत लागणारी कोबाल्ट पावडरही आता स्वस्त होणार आहे.
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२५ हजार कोटी रुपये निधीसह मेरीटाईम बोर्डाची स्थापना, उडान योजनेची नव्याने स्थापना, ५० नव्या पर्यटन क्षेत्रांचा विकास, मेडिकल टूरिझमसाठी ‘हील इंडिया’ योजना, पुरातन हस्तलिखितांचं जतन, तसंच आंतरराष्ट्रीय व्यापारासाठी नवीन पोर्टल सुरू करणार असल्याचं अर्थमंत्र्यांनी सांगितलं.
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हा अर्थसंकल्प देशाच्या विकास मार्गावर मैलाचा दगड ठरेल, असा विश्वास पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी वर्तवला आहे. देशाच्या अर्थव्यवस्थेला अधिक बळकट करणाऱ्या या अर्थसंकल्पामुळे बचत, गुंतवणूक, वापर आणि विकासाला चालना मिळेल, असा विश्वास पंतप्रधानांनी व्यक्त केला आहे.
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हा अर्थसंकल्प करदात्यांना दिलासा देणारा तसंच सर्वसमावेशक असल्याचं सांगत, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी या अर्थसंकल्पाचं स्वागत केलं. ते म्हणाले –
जी इन्कम टॅक्सची रचना करण्यात आलेली आहे, याचा मोठा फायदा मध्यमवर्गीयांना, नोकरदारांना, नवतरूणांना होणार आहे. एकविसाव्या शतकातला हा अर्थसंकल्प विकसित भारताचा अर्थसंकल्प आहे. भारताला गतीने पुढे नेणारा अर्थसंकल्प आहे. आणि भारत हा प्रगल्भ अर्थव्यवस्थेकडे चाललेला आहे. आणि त्यासोबत सर्वसमावेशक अर्थव्यवस्थेकडे चाललेला आहे. या दोन्ही गोष्टी आपल्याला या अर्थसंकल्पातनं पाहायला मिळतात.
हा अर्थसंकल्प नोकरदार वर्गाला अभूतपूर्व दिलासा देणारा असल्याचं वर्णन उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी केलं असून, उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी या अर्थसंकल्पातून विकसित भारताची पायाभरणी होत असल्याची प्रतिक्रिया नोंदवली आहे.
केंद्रीय अर्थसंकल्पातून महाराष्ट्रात��ल पायाभूत प्रकल्पांना भरीव निधी मिळाल्याची माहिती पवार यांनी दिली. मुंबई नागरी परिवहन प्रकल्पाच्या तिसऱ्या टप्प्याला एक हजार ४६५ कोटी, पुणे मेट्रोसाठी ८३७ कोटी, दळणवळण सुधारणांसाठी ६८३ कोटी, महाराष्ट्र अॅग्री बिझनेस नेटवर्क-मॅग्नेट प्रकल्पासाठी ५९६ कोटी, तर सर्वसमावेशक विकासासाठी आर्थिक क्लस्टर जोडणीकरता एक हजार ९४ कोटी रुपये निधीची तरतूद करण्यात आल्याचं, उपमुख्यमंत्री तथा अर्थमंत्री अजित पवार यांनी सांगितलं.
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काँग्रेस पक्षाने हा अर्थसंकल्प म्हणजे फक्त आकड्यांचा भुलभुलैया असल्याची टीका केली. पक्षाचे अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे यांनी हा अर्थसंकल्प म्हणजे जनतेच्या डोळ्यात धुळफेक असल्याचं म्हटलं. प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले यांनी, या अर्थसंकल्पातून गुंतवणूकदार, शेतकरी, व्यापारी आणि सामान्य नागरिकाची निराशा झाल्याचं मत नोंदवलं.
माजी मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांनी या अर्थसंकल्पात कुठेही शिक्षण आणि आरोग्य क्षेत्राशी निगडीत मोठ्या कल्पना मांडण्यात आल्या नसल्याची टीका केली.
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किसान सभेचे डॉ अजित नवले यांनी या अर्थसंकल्पात शेतीसाठी करण्यात आलेल्या बहुतांशी घोषणा या उद्योजक आणि औद्योगिक क्षेत्राला लाभ पोहोचवणाऱ्या असल्याचं म्हटलं आहे. तेलबिया आणि डाळ पिकांना रास्त भावाची हमी तसंच, त्यासाठी सरकारी खरेदी यंत्रणेचं सक्षमीकरण होत नाही तोपर्यंत शेतकऱ्यांना प्रत्यक्ष लाभ होणार नसल्याचं, नवले यांनी सांगितलं.
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या अर्थसंकल्पात सामान्य करदात्यांसाठी असलेल्या तरतुदींबाबत चार्टर्ड अकाउंटंट उमेश शर्मा यांनी माहिती दिली –
या अर्थसंकल्पात प्रामुख्याने जो बदल आलेला आहे, तो की सामान्य करदात्यांसाठी बारा लाखापर्यंत आयकर लागणार नाही. म्हणजे ऐंशी हजार रूपयांपर्यंत सूट मिळेल. परंतू याला जर आपण जवळून बघितलं तर चोवीस लाखांच्या वर उत्पन्न असलेल्या लोकांना सुद्धा याच्यामध्ये एक लाख दहा हजारापर्यंत सूट मिळतेय. म्हणजे सामान्य करदात्यापेक्षाही जास्त सूट जी आहे ती उच्चवर्गीय लोकांना मिळणार आहे. सर्वांनाच याचा फायदा होत आहे.
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या अर्थसंकल्पात लघु आणि मध्यम उद्योगांसाठी क्रेडिट हमी कवच १० कोटी रुपयांपर्यंत वाढवण्याच्या निर्णयाचं मराठवाडा असोसिएशन ऑफ स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज ॲण्ड ॲग्रीकल्चरचे कार्यकारिणी सदस्य उद्योजक दुष्यंत आठवले यांनी स्वागत केलं आहे –
केंद्रीय अर्थसंकल्प मध्ये उद्योग क्षेत्रासाठी काही महत्त्वपूर्ण घोषणा करण्यात आल्या आहेत. इज ऑफ डूइंग बिझनेस वर भर दिला आहे त्याचं आम्ही स्वागत करतो. लघु आणि मध्यम उद्योगांसाठी क्रेडिट हमी कवच: लघु आणि मध्यम उद्योगांसाठी क्रेडिट हमी कवच दहा कोटी रुपयांपर्यंत वाढविण्यात ���ले आहे. लघु आणि मध्यम उद्योगांसाठी क्रेडिट हमी कवच वाढविल्यामुळे या क्षेत्रातील उद्योगांना आर्थिक सहाय्य मिळेल आणि त्यांची वाढ सुलभ होईल ही बाब लघु आणि मध्यम उद्योगांसाठी आनंदाची आहे.
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पर्यटनविषयक होम स्टे या प्रकाराला चालना देण्यासाठी या अर्थसंकल्पात केलेल्या तरतुदीचं धाराशिव इथल्या पर्यटन जनजागृती समितीचे अध्यक्ष युवराज नळे यांनी स्वागत केलं आहे. त्यामुळे रोजगार निर्मितीला चालना मिळेल असा विश्वासही त्यांनी व्यक्त केला –
होम स्टेच्या संदर्भात जास्तीत जास्त गुंतवणूक कशी होईल आणि होम स्टेच्या माध्यमातून पर्यटन क्षेत्र आणखीन जास्त कसं वृद्धींगत होत जाईल, यासाठी या अर्थसंकल्पामध्ये जो निर्णय घेतलेला आहे, मी त्याचं स्वागत करतो. आणि अपेक्षा करतो की याचं इंप्लिमेंटेशन मोठ्या प्रमाणावर व्हावं आणि तरूणांना याच्या माध्यमातून रोजगार निर्मिती व्हावी अशी अपेक्षा व्यक्त करतो. धन्यवाद.
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मराठवाडा जलसमृद्धी प्रतिष्ठानच्या वतीनं उद्या छत्रपती संभाजीनगर इथं जलसंवाद २०२५ या परिषदेचं आयोजन करण्यात आलं आहे. मराठवाड्याची पाण्याची गरज आणि पाणी उपलब्धतेच्या संभाव्य उपाययोजना या संदर्भात या परिषदेत चर्चा होणार आहे. चिकलठाणा परिसरात मसिआ संघटनेच्या सभागृहात उद्या सकाळी नऊ वाजता होणाऱ्या या परिषदेला उपस्थित राहण्याचं आवाहन आयोजकांनी केलं आहे.
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जालना शहर महानगरपालिका आणि पतंजली योग शिबीर समिती यांच्या संयुक्त विद्यमाने सोमवारपासून योग प्राणायाम शिबीराचं आयोजन करण्यात आलं आहे. कल्याणराव घोगरे क्रीडा संकुलावर सकाळी सहा ते साडे सात या वेळेत आयोजित या पाच दिवसीय योग शिबीराचा लाभ घेण्याचं आवाहन जालना महापालिकेनं केलं आहे.
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adanigroup · 2 months ago
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इस मामले ने भारतीय वित्तीय नियामक ढांचे की मजबूती की आवश्यकता को उजागर किया है। SEBI और अन्य नियामक संस्थाओं को अधिक सख्त नियम बनाने होंगे ताकि वे संभावित धोखाधड़ी और बाजार हेरफेर को रोक सकें। इससे ��ीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारतीय पूंजी बाजार की स्थिरता बढ़ेगी। “अडानी सुप्रीम कोर्ट” केस ने भारत सरकार और SEBI को यह सिखाया है कि कैसे संकटों का सामना करके भी सुधार किया जा सकता है।
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viralnewsofindia · 3 months ago
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महिला सशक्तिकरण व स्वावलंबन के लिए सरकार संकल्पबद्ध : केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मा0 प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में देश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में ��भूतपूर्व सुधार हुये हैं और देश इस क्षेत्र में नवाचार, स्थिरता और सुरक्षा के लिए विश्वस्तरीय मानक स्थापित करने की ओर लगातार अग्रसर है। उत्तर प्रदेश में भी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे हैं, और नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति…
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asr24news · 4 months ago
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��ूसी निर्माण उद्योग को मिलेगी भारतीय विशेषज्ञों की ताकत
मॉस्को, 5 अक्टूबर 2024। रूस ने अपने निर्माण उद्योग में कुशलता बढ़ाने के लिए भारत से योग्य विशेषज्ञों को आकर्षित करने की पहल की है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ बिल्डर्स (नॉस्ट्रॉय) ने घोषणा की है कि वह भारत से कुशल श्रमिकों को आमंत्रित कर अपने निर्माण स्थलों पर काम करने के लिए तैयार है। इस कदम का उद्देश्य रूसी निर्माण क्षेत्र में श्रम की गुणवत्ता और विशेषज्ञता में सुधार करना है, जिससे मौजूदा श्रम संकट का…
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blog4nation · 4 months ago
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हां ! यह है विश्व विख्यात ब्रांड जिहादl
आए दिन हजारों छोटे-छोटे ब्रांडस भारत में फैल रहे हैं l जो खासकर खाद्य (प्रोडक्ट्स) पदार्थों में अपना-अपना हाथ-पांव जमा रखे हैं l
आओ खाओ-पियो (रासायनिक) और डॉक्टर से संपर्क बढ़ाओ l
* इंपॉर्टेंट चॉकलेट से लेकर बिस्किट-ब्रेड-बटर तक l
* पैक्ड दूध-पानी से लेकर पनीर तक l
* बर्गर-पिज़्ज़ा से लेकर मोमोज-पास्ता तक l
* चाय-पत्ती-कॉफी से लेकर शुगर फ्री लिक्विड तक l
* सोडा-कोल्ड ड्रिंक से लेकर व्हिस्की-बियर-रम तक l
* कृत्रिम (आर्टिफिशियल)अनाज से लेकर.. रासायनिक फल और सब्जियां तक l
* छोटे-छोटे ढाबाओ से लेकर बड़े-बड़े होटलों तक l
ज्यादातर उनके ही वफादर लोग फैले हुए हैं l
लगभग हजारों ब्रांडस करोड़ों रुपए कि मुनाफा बटोर रहे हैं l
भारत की आम जनता का विश्वास जीत रखा है l
और इंतजार है विश्वासघात का l
1990 से पहले ब्रांड के नाम पर इतनी ताम-झाम नहीं थे l
और खाने की वस्तुओं में शुद्धता भी थी l
यह स्पष्ट है कि भारतीय खाद्य उद्योग में विदेशी ब्रांडों की बढ़ती पहुंच और उनके प्रभाव के बारे में बड़े-बड़े बुद्धिजीवी लोग चिंतित हैं।
यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके लिए कुछ समाधान निम्नलिखित हैं:
1. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा: भारतीय उत्पादकों को समर्थन देने से हम अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकते हैं।
2. जागरूकता अभियान: लोगों को खाद्य पदार्थों की शुद्धता और सुरक्षा के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।
3. नीतियों में सुधार: सरकार को खाद्य उद्योग में विदेशी निवेश पर नीतियों में सुधार करना चाहिए।
4. स्वास्थ्य शिक्षा: लोगों को स्वस्थ खा��े के महत्व के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।
5. वैकल्पिक विकल्प: स्थानीय और स्वस्थ विकल्पों की तलाश करना आवश्यक है।
6. निरीक्षण और प्रमाणीकरण: खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के लिए निरीक्षण और प्रमाणीकरण आवश्यक है।
7. समर्थन स्थानीय किसानों को: स्थानीय किसानों को समर्थन देने से हम अपनी खाद्य सुरक्षा को मजबूत बना सकते हैं।
इन समाधानों को लागू करके, हम भारतीय खाद्य उद्योग में विदेशी ब्रांडों के प्रभाव को कम कर सकते हैं और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे सकते हैं।
उपहार के तौर पर आने वाली दीपावली पर
हम किसी दूसरे को धीमी-मौत की सौगात ना दे l
यह संदेश दीपावली के अवसर पर विदेशी खाद्य पदार्थों और ब्रांडों का बहिष्कार करने के लिए एक संकल्प लेने का आह्वान करता है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो न केवल हमारी स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करती है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और स्थानीय उत्पादकों को भी समर्थन देती है।
दीपावली का त्योहार हमें नई शुरुआत और सकारात्मक परिवर्तन का अवसर प्रदान करता है। विदेशी खाद्य पदार्थों और ब्रांडों का बहिष्कार करके, हम न केवल अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित कर सकते हैं।
"धीमी-मौत की सौगात" का उल्लेख विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें उन खतरनाक रसायनों और अनस्वस्थ पदार्थों के प्रति जागरूक करता है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आइए हम इस संदेश को आगे बढ़ाएं और दूसरों को भी इस संकल्प में शामिल होने के लिए प्रेरित करें!
आओ हम संकल्प लें:
- विदेशी खाद्य पदार्थों और ब्रांडों का बहिष्कार करें।
- स्थानीय और स्वस्थ विकल्पों का चयन करें।
- अपने परिवार और दोस्तों को जागरूक करें।
- दीपावली पर स्वस्थ और सुरक्षित उपहार दें।
आइए हम मिलकर एक स्वस्थ और सुरक्षित ���विष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं!
जय हिंद
सम्भार
मधुसूदन लाल
[Reserch & Source from AI]
#fakebrands #Replicated #brand #toxicfood #humanresources #HomeMinistry #AmitShah PMO India Hindustan Times Republic Bharat
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himalayanmonalagro · 4 months ago
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बिछुआ चाय का जादू: इसके फायदों का अवलोकन और इसे बनाने का तरीका
बिछुआ चाय क्या है?
परिचय
स्वास्थ्य पेय उद्योग में बिछुआ चाय एक छिपा हुआ रत्न है। यह कभी-कभी अधिक लोकप्रिय जड़ी-बूटियों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। स्टिंगिंग नेटल (अर्टिका डियोइका) की पत्तियों से बनी इस स्वादिष्ट हर्बल चाय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। बिछुआ चाय अपनी पोषण संबंधी बहुमुखी प्रतिभा और पारंपरिक चिकित्सा में ऐतिहासिक उपयोग के कारण स्वास्थ्य प्रेमियों के बीच प्रसिद्ध हो गई है।
इस ब्लॉग में हम आपको बिछुआ चाय बनाने का आदर्श तरीका बताने जा रहे हैं। इसमें बिछुआ चाय के सात आश्चर्यजनक लाभों पर भी प्रकाश डाला गया है जो अपने स्वस्थ आहार में सुधार करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को निश्चित रूप से आज़माना चाहिए।
बिछुआ चाय कैसे बनाएं
सामग्री
- ताजी या सूखी बिछुआ पत्तियां (1-2 चम्मच सूखी या एक मुट्ठी ताजी)
- 2 कप पानी
- वैकल्पिक: स्वाद के लिए शहद, नींबू या अदरक
निर्देश
कटाई या खरीदारी - यदि आप ताजी बिछुआ का उपयोग कर रहे हैं तो दस्ताने पहनें और पत्तियों को सावधानी से काटें। यदि आप हेल्थ फ़ूड स्टोर्स या ऑनलाइन में सूखे बिछुआ पत्तों की तलाश करना चाहते हैं।
तो आप हिमालयन मोनाल एग्रो की वेबसाइट से खरीद सकते हैंhttp://www.himalayanmonals.com
पानी उबालें - एक बर्तन में 2 कप पानी उबालें।
केतली में बिछुआ की पत्तियां डालें - उबलते पानी में बिछुआ की पत्तियां डालें। आंच कम करें और 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं
एक छलनी डुबोएं, चाय बनाएं और पत्तियां निकाल दें।
स्वाद - स्वाद बढ़ाने के लिए शहद, नींबू या अदरक मिलाएं।
आनंद लें - ठंडे पेय के लिए गर्म या आइस्ड नेटल चाय की चुस्की लें
बिछुआ चाय के स्वास्थ्य लाभ
पोषक तत्वों से भरपूर - बिछुआ चाय विटामिन ए, सी, के और विटामिन बी से भरपूर होती है। जिसमें आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज शामिल हैं।
सूजन रोधी गुण - बिछुआ में ऐसे यौगिक होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, यह गठिया या अन्य सूजन संबंधी स्थितियों वाले लोगों के लिए फायदेमंद है।
पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है - चाय पाचन में मदद कर सकती है और अक्सर इसका उपयोग सूजन और गैस से राहत पाने के लिए किया जाता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज में सुधार करता है - उच्च मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट के साथ। बिछुआ चाय इस प्रकार आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकती है और बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकती है।
त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है - बिछुआ एक्जिमा और मुँहासे जैसी त्वचा की स्थिति में सुधार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है, इसके सूजनरोधी और रोगाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है ।
पथरी में लाभ दायक - बिछुआ में गुण होते हैं जो किडनी के कार्य को समर्थन देने के कार्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
एलर्जी के लक्षणों से राहत दिला सकता है - कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि स्टिंगिंग नेटल हे फीवर और अन्य एलर्जी के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। क्योंकि इसमें एंटीहिस्टामाइन गुण होते हैं।
निष्कर्ष
"बिछुआ चाय एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्य वर्धक पेय है जो आपकी दैनिक दिनचर्या में आपके स्वास्थ्य के लिए लाभ है। इसे बनाना न केवल आसान है, बल्कि इसके ढेर सारे फायदे भी इसे आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए एक शक्तिशाली सहयोगी बनाते हैं।
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