#ईस
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omprakas · 11 months ago
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#TrueStoryOfJesus
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ईसा जी का जीवन निर्धारित था
ईसा जी की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व निर्धारित थी। ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है तथा तुम शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा और वो मुझे मार देंगे।
#KabirIsGod
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bleedingoverpages · 2 years ago
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क्या कहे हम इश्क़ में ईस कदर बेज़ुबां हो गए
कि तुमसे जुदा होके हम तबाह हो गए।
Kya kahe ishq me is kadar bezubaan ho gaye
Ki tumse juda hoke hum tabaah ho gaye
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jayshrisitaram108 · 2 years ago
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विनय पत्रिका [राग धना श्री ] गोस्वामी तुलसीदासजी रचित
दानी कहुँ संकर-सम नाहीं दीन दयालु दिबोई भावै, जाचक सदा सोहाहीं मारिकै मार थप्यौ जगमें, जाकी प्रथम रेख भट माहीं ता ठाकुरकौ रीझि निवाजिबौ, कह्यौ क्यों परत मो पाहीं जोग कोटि करि जो गति हरिसों, मुनि माँगत सकुचाहीं बेद-बिदित तेहि पद पुरारि-पुर, कीट पतंग समाहीं ईस उदार उमापति परिहरि, अनत जे जाचन जाहीं तुलसिदास ते मूढ़ माँगने, कबहुँ न पेट अघाहीं
भावार्थ - शंकरजीके समान दानी कहीं नहीं है वे दीनदयालु हैं, देना ही उनके मन भाता है, माँगनेवाले उन्हें सदा सुहाते हैं वीरोंमें अग्रणी कामदेवको भस्म करके फिर बिना ही शरीर जगत्‌में उसे रहने दिया, ऐसे प्रभुका प्रसन्न होकर कृपा करना मुझसे क्योंकर कहा जा सकता है करोड़ों प्रकारसे योगकी साधना करके मुनिगण जिस परम गतिको भगवान् हरिसे माँगते हुए सकुचाते हैं वही परम गति त्रिपुरारि शिवजीकी पुरी काशी में कीट-पतंग भी पा जाते हैं, यह वेदोंसे प्रकट है ऐसे परम उदार भगवान् पार्वतीपतिको छोड़कर जो लोग दूसरी जगह माँगने जाते हैं, उन मूर्ख माँगनेवालोंका पेट भलीभाँति कभी नहीं भरता
ॐ नमः शिवाय🔱🚩🙏
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shankardas · 3 months ago
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📗 " मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुराण " आखिर ईस पवित्र पुस्तक को पढणे पर वह खुदा कौन है, कैसा है,तथा कहां है, कैसे मिलता है?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक "मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान"। PDF डाउनलोड करें Sant Rampal Ji Maharaj App से।
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bikanerlive · 5 months ago
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*आचार्य माहानन्द वेद पाठ शाला में आज संध्या रुद्री पाठ के दौ अध्याय पूर्ण*
आचार्य माहानन्द वेद पाठ शाला में आज संध्या रुद्री पाठ के दौ अध्याय पूर्ण करवाऐ गए । पाठशाला नियमित रूप से लग रही हे जिसमे पण्डित श्री गोरी शंकर चुरा ने बताया कि आगे दुर्गा के पाठ करवाया जायेगा । दुर्गा के सप्तशती कंठस्थ करवाया जाएगा । ईस अवसर पर समिति के रवीन्द्र आचार्य,मनोज कुमार,आचार्य रोहित आचार्य ,ओर दाऊ लाल कल्ला उपस्थित रहे ।
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cooltimetravelking · 8 months ago
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ईस होली पर जानेंगे कोणसे राम की भक्ति करनी चाहिए तो फोरन अपने घर मगावलीजिये किताब ज्ञान गंगा
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jagbirdaas · 8 months ago
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ईस सतसंग के सुनने से आप के जीवन मे कोई कष्ट नही रहेगा 🙏🙏🙏
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beardedbluebirdcheesecake · 8 months ago
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सफ्फाकि ए रहनुमा है बहर व बर में इंसानी  खून बह रहा  चहार सु में। मौत का खेल है पसंदीदा उसका, मकतूल है गुनहगार दौर हाजिर में। पसंद आता नही सच हर किसी को मुल्क है मफलूज जंग ए जुबां में । है वह ईस कद्र हरिस कुर्सी का अहलिया भुला चाहत ए कुर्सी में
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sksharma-2017 · 9 months ago
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यहाँ सुखी कौन है? Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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ईस संसार में काेही भी प्राणी सुखी नही हैं ।
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piyaredas · 9 months ago
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🚩🚩🚩🚩🚩सनातन धर्म हिन्दु🚩🚩🚩🚩🚩चार वेद 18 पुराण गीता जी बाईबल कुराण शरीफ के आधार परसभी माता पिता भाई बहिनो से निवेदन हे कि कोई भी दुख कोई भी बीमारी केंसर टिबी पेरालाईनस जानु टोना ईस सभी बीमारीयो से परेशान हे जरुर बुक औडर करेजी. Sant rampalji maharaj kiपुस्तक निशुल्क है घर बैठे अवश्य मंगवाए 📚📘ज्ञान गंगा पुस्तक📒📚
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astrovastukosh · 9 months ago
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*🌞~ आज दिनांक - 15 फरवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी सुबह 10:12 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 09:26 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - शुक्ल शाम 05:23 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:19 से 03:45 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:12*
*⛅सूर्यास्त - 06:35*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:31 से 06:22 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - शीतल षष्ठी (प. बंगाल)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸भीष्म अष्टमी - 16 फरवरी 24*
*🌹 भीष्म अष्टमी (भीष्म श्राद्ध दिवस है) । इस दिन भीष्मजी के नाम से सूर्य को अर्घ्य दें तो निःसंतान को संतान मिल सकती है और आरोग्य आदि प्राप्त होता है ।*
*वसूनामवताराय शंतनोरात्मजाय च ।*
*अघ्र्यं ददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे ।*
*🌹 ईस मंत्र से भीष्माष्टमी के दिन भीष्मजी को तिल, गंध, पुष्प, गंगाजल व कुश मिश्रित अर्ध्य देने से अभीष्ट सिद्ध होता है । वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं। सुंदर और गुणवान संतति प्राप्त होती है ।*
*🌹 अचला सप्तमी - 16 फरवरी 24 🌹*
*🔸अचला सप्तमी की महिमा🔸*
*🔸 माघ शुक्ल सप्तमी को अचला सप्तमी, रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अर्क सप्तमी आदि अनेक नामों से सम्बोधित किया गया है और इसे सूर्य की उपासना के लिए बहुत ही सुन्दर दिन कहा गया है । पुत्र प्राप्ति, पुत्र रक्षा तथा पुत्र अभ्युदय के लिए इस दिन संतान सप्तमी का व्रत भी किया जाता है ।*
*🔸भगवान सूर्य जिस तिथि को पहले-पहल रथ पर आरूढ़ हुए, वह ब्राह��मणों द्वारा माघ मास की सप्तमी बताई गयी है, जिसे रथसप्तमी कहते हैं । उस तिथि को दिया हुआ दान और किया हुआ यज्ञ सब अक्षय माना जाता है । वह सब प्रकार की दरिद्रता को दूर करने वाला और भगवान सूर्य की प्रसन्नता का प्राप्त कराने वाला है । - स्कन्द पुराण*
*🔸भविष्य पुराण के अनुसार सप्तमी तिथि को भगवान् सूर्य का आविर्भाव हुआ था । ये अंड के साथ उत्पन्न हुए और अंड में रहते हुए ही उन्होंने वृद्धि प्राप्त कि । बहुत दिनोंतक अंड में रहने के कारण ये ‘मार्तण्ड’ के नामसे प्रसिद्ध हुए ।*
*🔹भगवान श्रकृष्ण कहते है– राजन ! शुक्ल पक्षकी सप्तमी तिथि को यदि आदित्यवार (रविवार) हो तो उसे विजय सप्तमी कहते है । वह सभी पापोका विनाश करने वाली है । उस दिन किया हुआ स्नान ,दान्, जप, होम तथा उपवास आदि कर्म अनन्त फलदायक होता है । -भविष्य पुराण*
*🔹नारद पुराण में माघ शुक्ल सप्तमी को “अचला व्रत” बताया गया है । यह “त्रिलोचन जयन्ती” है । इसी को रथसप्तमी कहते हैं । यही “भास्कर सप्तमी” भी कहलाती है, जो करोड़ों सूर्य-ग्रहणों के समान है । इसमें अरूणोदय के समय स्नान किया जाता है । इसी सप्तमी को ‘’पुत्रदायक ” व्रत भी बताया गया है । स्वयं भगवान सूर्य ने कहा है - ‘जो माघ शुक्ल सप्तमी को विधिपूर्वक मेरी पूजा करेगा, उसपर अधिक संतुष्ट होकर मैं अपने अंश से उन्सका पुत्र होऊंगा’ । इसलिये उस दिन इन्द्रियसंयमपूर्वक दिन-रात उपवास करे और दूसरे दिन होम करके ब्राह्मणों को दही, भात, दूध और खीर आदि भोजन करावें ।*
*🔸अग्नि पुराण में अग्निदेव कहते हैं – माघ मासके शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथिको (अष्टदल अथवा द्वादशदल) कमल का निर्माण करके उसमें भगवान् सूर्यका पूजन करना चाहिये । इससे मनुष्य शोकरहित हो जाता है ।*
*🔹चंद्रिका में लिखा है 'माघ शुक्ल सप्तमी सूर्यग्रहण के तुल्य होती है सूर्योदय के समय इसमें स्नान का महाफल होता है ।'*
*🔹चंद्रिका में भी विष्णु ने लिखा है 'माघ शुक्ल सप्तमी यदि अरुणोदय के समय प्रयाग में प्राप्त हो जाए तो कोटि सूर्य ग्रहणों के तुल्य होती है ।'*
*🔹मदनरत्न में भविष्योत्तर पुराण का कथन है की “माघ मास की शुक्लपक्ष सप्तमी कोटि सूर्यों के बराबर है उसमें सूर्य स्नान, दान, अर्घ्य से आयु आरोग्य सम्पदा प्राप्त होती हैं ।''*
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mamta001sblog · 10 months ago
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पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब
True Guru Sant Rampal Ji Maharaj
क्या आप जानते है कि शिव जी को कबीर साहेब जी ने कौन सा मंत्र दिया था?
ईस सवालकी अद्भुत रहस्य जाननेके लिए अवश्य पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
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unlikelyinfluencerdeer · 10 months ago
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भगवान शिव जी किस परमात्मा की भक्ति करते हैं?
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भगवान शिव जी के आराध्य देव कोन है?
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भगवान शिव जी तीन लोक के भगवान होकर भी गुरु जी से दीक्षा लेकर भक्ति क्यों कर रहे हैं ?
क्या आप जानते हैं ?
वह परम शक्ति कोन है जिसका ध्यान निरन्तर शिव जी करते हैं ?
क्या आप ���ानते हैं ?
भगवान शिव जी अमर क्यों नहीं हुए ?
क्या आप जानते हैं भगवान् शिव जी के माता और पिता कोन है ?
क्या आप जानते हैं ब्रह्म बिष्णु शिव जी में से भगवान् शिव जी की उम्र ज्यादा क्यों है?
ब्रह्मा और बिष्णु की क्यों नहीं है!
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smahawar · 1 year ago
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भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि
उस ग्रेट शायरन (तत्वदृष्टा संत) की चार संतान, दो पुत्र तथा दो पुत्री होंगी। उस महान शायरन की माता तीन बहनें होंगी। यह भविष्यवाणी भी संत रामपाल जी महाराज पर बिल्कुल खरी उतरी है, संत रामपाल जी महाराज के चार संतानें हैं, दो पुत्र तथा दो पुत्री। संत रामपाल जी महाराज जी की माता तीन बहनें हैं।
आज पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज ने अपने ज्ञान का प्रचार प्रसार कर यह साबित कर दिया है कि पूरा विश्व एक होगा क्योंकि सबका अल्लाह खुदा ईस गॉड एक है
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renu-baria · 1 year ago
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297 माया, ब्रह्म और जीव
माया, ईश्वर और जीव के संबंध में बहुत विवाद है, कोई त्रैतवादी तीनों की सत्ता स्वीकार करते हैं, द्वैतवादी जीव और ब्रह्म को अनादि मानते हैं, तो अद्वैत कहता है “जीवो ब्रह्मैव ना परा:” माने ब्रह्म ही है।“माया ईस न आपु कहुँ जान कहिय सो जीव”तुलसीदास जी के लिखे इस दोहे का अर्थ निष्ठा भेद से भिन्न भिन्न लिया जा सकता है।त्रैतवादी बोले, जो न माया को जाने, न ईश्वर को, न अपने को, वह जीव है। माने तीनों भिन्न…
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