#ईशा नाम की राशि
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knowlegeupdate · 2 years ago
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ईशा नाम की राशि मेष होती है। इस नाम के लोग साहसी, आत्मविश्वासी, महत्वाकांक्षी और हमेशा कुछ नया सीखने के इच्छुक होते हैं। ईशा नाम की बहादुर लड़कियां रिस्क लेने से नहीं डरती हैं। ईशा नाम की लड़कियां नए काम के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। आपको चुनौतियों का सामना करना पसंद है। ईशा नाम की महिला में ऊर्जा की कभी कमी नहीं होती है। ईशा नाम की मेष राशि की लड़कियां काफी जिद्दी और घमंडी होती हैं। ईशा नाम की महिलाएं अपने करियर में कोई समझौता नहीं करती हैं। वह किसी पर भरोसा नहीं करता, पैसे पर भी नहीं।
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karanaram · 4 years ago
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🚩सरकार के नियंत्रण में 37,000 मंदिर है, इनको मुक्त करना चाहिए : जग्गी वासुदेव- 30 जनवरी 2021
🚩मंदिरों पर सरकार का स्वामित्व या नियंत्रण देश में एक प्रमुख विषय रहा है। इस पर अब सद्गुरु जग्गी वासुदेव का एक वीडियो ट्विटर पर खूब शेयर किया जा रहा है। समाचार चैनल सीएनएन के रिपोर्टर आनंद नरसिम्हन के साथ इस बातचीत को सद्गुरु ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “हम ऐसे समय में रहते हैं जहाँ हम समझते हैं कि सरकार को एयरलाइंस, हवाई अड्डों, उद्योग, खनन, व्यापार का प्रबंधन नहीं करना चाहिए, लेकिन फिर यह कैसे है कि सरकार द्वारा पवित्र मंदिरों का प्रबंधन किया जा सकता है। ये किस तरह से सरकारी प्रबंधन योग्य हो गए?”
🚩इस वीडियो में सद्गुरु ईस्ट इण्डिया द्वारा लाए गए ‘मद्रास रेगुलेशन 1817’ का जिक्र करते हुए बताते हैं कि किस तरह मंदिरों पर अधिकार ज़माने ��े लिए मद्रास रेगुलेशन-111, 1817 लाया गया, लेकिन ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 1840 में यह ��ेगुलेशन वापस ले लिया था। इसके बाद, 1863 में रिलिजियस एंडोवमेंट एक्ट लाया गया, जिसके अनुसार मंदिर ब्रिटिश ट्रस्टी को सौंप दिए गए।
🚩ये ट्रस्टी ही मंदिर चलाते थे, लेकिन सरकार की दखलअंदाज़ी इसमें न्यूनतम होती थी। मंदिर का पैसा ज़्यादातर मंदिर के कार्यों के लिए ही प्रयोग किया जाता था। सैकड़ों मंदिर इस एक्ट के अनुसार चलते थे। जग्गी वासुदेव बताते हैं कि फिर ब्रिटिश सरकार ‘द मद्रास रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडावमैंट एक्ट-1925’ ले आई, जिससे अब हिन्दुओं के अलावा मुस्लिम और ईसाई संस्थाएँ भी इस कानून के दायरे में आ गईं। ईसाइयों और मुस्लिमों ने इसका कड़ा विरोध किया, तो सरकार को ये कानून दोबारा लाना पड़ा था।
🚩विरोध के चलते ईसाई और मुस्लिमों को इस दायरे से बाहर करना पड़ा और नया कानून बनाया गया जिसका नाम था – ‘मद्रास हिन्दू रिलिजियस एंड एंडोवमेंट एक्ट-1927’। 1935 में इस एक्ट में बड़े बदलाव किए गए। आज़ादी के बाद तमिलनाडु सरकार ने वर्ष 1951 में एक कानून पारित किया- ‘हिन्दू रिलिजियस एंड एंडोवमेंट एक्ट’।
🚩इस कानून को मठों और मंदिरों ने मद्रास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार को बहुत सी धाराएँ हटानी पड़ीं और 1959 में तत्कालीन कांग्रेस राज्य सरकार ने हिन्दू रिलिजियस एंड चेरिटेबल एक्ट पास किया और बोर्ड भंग कर दिए गए। अब सरकारी ‘हिन्दू रिलिजियस एंड चेरिटेबल एंडावमेंट विभाग’ होता था, जिसका प्रमुख कमिश्नर होता है। तबसे मंदिरों में दान और चढ़ावे की 65 से 70% राशि प्रशासकीय कार्यों पर खर्च होती है।
सद्गुरु जग्गी कहते हैं, “अब 37,000 मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। सिर्फ एक समुदाय के मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। आप ऐसा किसी भी अन्य देश में नहीं सुनेंगे। हिन्दू मंदिरों की बात करते हुए अक्सर लोग कहते हैं कि चर्च, गुरुद्वारों और मस्जिदों का भी नियंत्रण किया जाना चाहिए। जबकि मैं कहता हूँ सेकुलर देश में सरकार को मंदिरों या धार्मिक स्थलों में हस्तक्षेप से दूर रहना चाहिए चाहें वो किसी भी धर्म का हो।”
🚩“यह समाधान नहीं है, जरुरी चीज यह है कि इतने सारे लोग जहाँ अपनी आस्था लेकर जाते हैं उन्हें आजाद होना चाहिए। उनके मानवाधिकारों के लिए यह होना चाहिए। अब विवाद और तर्क कुछ लोग यह देते हैं कि ये राजा के नियंत्रण में थे, तब वो सरकार थे इसलिए अब भी ये सरकार के ही पास होने चाहिए। यह सच्चाई नहीं है। राजा श्रद्दालू होते थे। वो कुछ ��ामलों में इतने बड़े श्रद्दालू हुआ करते थे कि कुछ साम्राज्यों में देवताओं को ही राजा मान लिया जाता था। राजा देवता के दीवान के रूप में काम करते थे। यानी हमारे मंत्री, और इस तरह सिर्फ देवता के नाम पर देवता के प्रतिनिधि की तरह वह राज करते थे। इस कारण वो लोग हमेशा दूसरी तरह के लोग रहे हैं।”
🚩सरकारी नियंत्रण में मंदिरों की हो रही फजीहत का जिक्र करते हुए सद्गुरु कहते हैं, “यह खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों में है। खासकर तमिलनाडु के मंदिरों का निर्माण बेहद खूबसूरती से हुआ है। उनकी इंजिनयरिंग और उनका आर्किटेक्चर.. अगर आप देखेंगे कि उन्होंने हजार-बारह सौ साल पहले किस तरह का निर्माण किया है, यह सब मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। लेकिन बाद में यह सब चुरा लिया गया। सब कुछ बर्बाद होता रहा क्योंकि लोगों की भावनाएँ मंदिरों के प्रति उतनी प्रबल नहीं रहीं।”
🚩“मेरी दिलचस्पी इन सब बातों में नहीं है। मेरी दिलचस्पी इस बात में है कि मौलिक रूप से अगर आप इस देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो आपको सभी लोगों को साथ लेकर चलना होगा। आप लोगों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते। सबके पास समान अधिकार होने चाहिए। तमिलनाडु के मंदिरों को स्वतंत्र करना ही होगा।”
बातचीत में ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) कहते हैं कि तमिलनाडु राज्य में यह मंदिर और आस्था पूरे नियंत्रण में है और अगर आप एक नया मंदिर बनाना चाहते हैं जो कि यदि प्रसिद्ध हो जाता है, तो फ़ौरन सरकार की ओर से इसे टेक ओवर करने का नोटिस आ जाएगा। वह सवाल करते हैं कि आखिर एक सेक्युलर देश में यह कैसे हो सकता है?
सद्गुरु आगे कहते हैं, “आप एक नई आस्था का निर्माण करिए अगर इतना जरुरी है, लेकिन चली आ रही आस्था के साथ बहुसंख्यक आबादी की आबादी की आस्था का संचालन सरकार के नियंत्रण में है। तमिलनाडु के कई मंदिरों में जो प्राचीन पत्थर थे, जिन पर खूबसूरत कला थी, उन पर सिल्वर पेंट लगा दिया गया।”
🚩“मंदिर निर्माण के विज्ञान को हाशिए पर रख दिया गया है। सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाया गया। मेरा सवाल ये है कि मौलिक अधिकारों का दमन क्यों किया जा रहा है? यह वो चीजें हैं जो दोबारा वापस नहीं आने वालीं। अब समय आ गया है इन्हें स्वतंत्र किया जाना चाहिए। लोग कहते हैं कि भ्रष्टाचार हो जाएगा। मैं इसे अपमानजनक मानता हूँ। क्या उन्हें लगता है कि बहुसंख्यक आबादी अपनी आस्था का प्रबंधन नहीं कर सकती? हम ऐसे समय में हैं, जब हमें लगता है कि सरकार को एयरलाइन, पोर्ट्स, बिजनेस, माइनिंग आदि को समाज के हाथों में देना चाहिए, तब मंदिरों को सरकार के नियंत्रण में देने की बात कैसे कर सकते हैं?”
https://twitter.com/SadhguruJV/status/1352297333770379265?s=19
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hindistoryblogsfan · 4 years ago
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कर्नाटक में वन विभाग अपनी 90 नर्सरियों में अधिकांश पौधे उगा रहा है। करोड़ों पौधे तैयार किए जा रहे है। ऐसे ही तमिलनाडु में भी करीब 36 नर्सरियों में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। कारण है, एक नदी के आसपास के बदलते और बिगड़ते वातावरण को फिर से पुराना रंग देना। तमिलनाडु और कर्नाटक में पौराणिक महत्व की कावेरी नदी को बचाने के लिए चल रही मुहिम का ये दूसरा साल है। पिछले मानसून में इस नदी के किनारों और इसके कैचमेंट एरिया में करीब 1.1 करोड़ पौधे लगाए गए थे। इन एक करोड़ पौधों के लिए ये पहला मानसून था।
इस पूरे प्रोजेक्ट को कावेरी कॉलिंग का नाम दिया गया है। ये एक लंबी अवधी तक चलने वाला आंदोलन है, जिसमें करीब 242 करोड़ पौधे 12 साल के भीतर लगाए जाएंगे। आध्यात्मिक और योगगुरु सदुगुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने इस मुहिम को शुरू किया है। हाल ही में सदगुरु ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ एक मीटिंग में इस मुहिम से आने वाले बदलावों पर चर्चा की। इस अभियान में कर्नाटक और तमिलनाडु में फैली कावेरी नदी घाटी का भौतिक क्षेत्र 83,000 वर्ग किलोमीटर के इलाके की हरियाली को 33 प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसमें ईशा फाउंडेशन के साथ सरकारी महकमे और कई हजार किसान जुड़े हुए हैं।
पौधारोपण कब से शुरू हुआ
पिछले सितंबर कावेरी कॉलिंग शुरू होने के बाद से 2020 का प्री-मानसून मौसम, पौधारोपण का पहला सीज़न है। दोनों राज्यों में किसानों को नवंबर तक अपनी जमीन पर 1.1 करोड़ पौधे रोपने में सक्षम बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
ये आंदोलन क्यों?
पेड़ आधारित कृषि के मॉडल के जरिए किसानों के जीवन, इकोसिस्टम और कावेरी नदी को, जो पहले एक विशाल बारहमासी नदी थी, उसको समृद्ध बनाने के लिए किया जा रहा है। ईशा फाउंडेशन के मुताबिक कावेरी नदी घाटी के जिलों में किसानों द्वारा निजी कृषि भूमि पर 242 करोड़ पेड़ों को लगाना एक व्यापक लक्ष्य है, जिसे अलग-अलग साझेदारों (स्टेकहोल्डरों) की स���ायता से पूरा किया जाएगा, ये साझेदार हैं। यह सहायक इकोसिस्टम किसान को खेती के रूपांतरकारी म���डल को अपनाने में सक्षम बनाएगा जो पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समुदाय के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालेगा। यह एक वाकई जमीनी आंदोलन है जिसका लक्ष्य समुदाय के सभी वर्गों को यथासंभव क्षमता में भागीदारी और योगदान करने के लिए साथ लाना है। वैसे यह ऐसा ध्येय है जो एक पूर्व निर्धारित बजट तक सीमित या उस पर पूरा निर्भर नहीं है। इसका लक्ष्य कावेरी नदी को उसका पुराना गौरव वापस दिलाने की जिम्मेदारी को उठाने के लिए लोगों की इस पीढ़ी को आगे लाना करना है।
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कर्नाटक और तमिलनाडु का वो क्षेत्र जहां पौधा रोपण किया जा रहा है।
इतने पौधों की देखरेख कैसे होगी
पौधों को किसानों द्वारा उनके अपने खेतों में लगाया जाएगा और वे इन पौधों की देखभाल करेंगे जो कटाई के समय उन्हें काफी बेहतर लाभ देंगे। इसके अलावा, कर्नाटक में किसान अपनी जमीन पर पेड़ लगाने के लिए अच्छी राशि अर्जित करते हैं। राज्य कृषि विभाग की कृषि अरण्य प्रोत्साहन योजना (केएपीवाई) किसानों को तीन साल की अवधि में हर बचने वाले पौधे के लिए 125 रुपये देती है। इसके बाद वे पेड़ पूरे विकसित होने के बाद कीमती लकड़ी के रूप में लाभदायक होंगे। यह किसान के लिए अपनी जमीन पर उच्च मूल्य वाली संपत्ति बनाने और विकसित करने का एक सबसे अच्छा तरीका है। ये सभी चीज़ें किसानों को आर्थिक लाभ के लिए पौधों को बचाकर रखने के लिए प्रोत्साहित करेंगी जो बदले में महत्वपूर्ण इकोलॉजिकल फायदे देगी।
पर्यावरण को क्या लाभ मिलेगा
1. ये उच्च मूल्य पेड़ हैं, जिन्हें किसान काट सकते हैं इसलिए उनकी संपत्ति में अच्छी वृद्धि होगी। 2. एक बार आर्थिक लाभ दिखने के बाद, यह एक आत्मनिर्भर मॉडल बन जाएगा जो अपने आप आगे बढ़ेगा। 3. 242 करोड़ पेड़ों से इस इलाके में 9 से 12 ट्रिलियन लीटर पानी जमा किए जाने की उम्मीद है – यह कावेरी नदी के मौजूद वार्षिक प्रवाह का लगभग 40 प्रतिशत है – इसका अर्थ है कि भूमिगत जल का स्तर काफी बढ़ जाएगा, इससे इलाके के सभी जल स्रोतों जैसे झीलों, धाराओं, तालाबों, कुओं और कावेरी नदी तथा उसकी सहायक नदियों में पानी का स्तर बढेगा। 4. 20 से 30 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के सोखे जाने जाने की उम्मीद है जिससे जलवायु परिवर्तन का असर कम होगा, यह संयुक्त राष्ट्र 2016 पेरिस समझौते के, जिस पर 195 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, भाग के रूप में वर्ष 2030 के लिए भारत के राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (एनडीसी) का 8-12 प्रतिशत है। 5. यह बड़े पैमाने पर मिट्टी की माइक्रोबियल जैव विविधता सहित पुष्प और पशु जैव विविधता को पुनर्जीवित करेगा। 6. यह पानी की कमी की समस्याओं को हल करेगा, पानी को जमा करने के अलावा, पेड़ लंबे समय में सिंचाई जल की जरूरत को भी घटाते हैं जो जल उपलब्धता को और बेहतर करेंगे। 7. यह किसानों द्वारा रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम करते हुए समुदायों को अधिक स्वास्थ्यवर्धक आहार विकल्प देगा, जब खेतों पर पेड़ होंगे तो पेड़ों के सूखे पत्ते और डालियां प्राकृतिक खाद का बढ़िया स्रोत हैं, इसलिए किसानों को खरीदना नहीं पड़ेगा। यह किसानों को अधिक पशु पालने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे मिट्टी का उपजाऊपन और बढ़ेगा और डेयरी फार्मिंग से उन्हें आय का एक वैकल्पिक स्रोत भी मिल सकता है। 8. यह मिट्टी को उपजाऊ बनाएगा और पानी को सोखने की उसकी क्षमता को मजबूत बनाएगा और इलाके में बाढ़ तथा सूखे को रोकेगा। 9. यह 840 लाख लोगों की भोजन तथा पानी की जरूरतों को सुरक्षित करेगा। 10. यह पक्का करेगा कि खेती एक आर्थिक रूप से आकर्षक अवसर बन जाए जिसे अगली पीढी अपनाना चाहेगी। 11. पहले प्वाइंट के संबंध में – यह कृषि भूमि पर स्थायी संपत्ति बनाते हुए ऋणों के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों पर किसान की निर्भरता को घटाएगा। 12. यह ग्रामीण-शहरी प्रवासन को नियंत्रित करेगा और गांवों तथा शहरों में जीवन शैली को सुधारेगा। 13. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप में बढ़ावा देगा। 14. यह करीब 65,000 करोड़ रुपये सालाना विदेशी मुद्रा की बचत करेगा जो लकड़ी के आयात से सरकारी खजाने की मौजूदा लागत है। 15. कई कारक असर ���ालने में योगदान करते हैं, इनमें खुद भूगोल, क्षेत्र का सूक्ष्म-जलवायु, मिट्टी और ��ल की अवस्था और पौधों के बचने की दर शामिल हैं।
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कर्नाटक और तमिलनाडु की नर्सरियों में बड़े पैमाने पर पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
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vilaspatelvlogs · 4 years ago
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ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बनाई पेंटिंग 5 करोड़ में नीलाम, पैसा बीट दी वायरस फंड में दान किया
ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बनाई पेंटिंग 5 करोड़ में नीलाम, पैसा बीट दी वायरस फंड में दान किया
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ईशा फाउंडेशन के सबसे प्रसिद्ध बैल जिसकी अप्रैल में हो ��ुकी है मौत, उसी की पेंटिंग है भैरव
दैनिक भास्कर
Jul 07, 2020, 01:30 PM IST
कोयंबटूर. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव की एक और पेंटिंग “भैरव” 5.1 करोड़ रुपए में नीलाम हुई। कुछ दिनों पहले उनकी एक पेंटिंग 4.1 करोड़ रुपए में नीलाम हुई थी। ये सारी राशि उन्होंने बीट दी वायरस नाम के फाउंडेशन को दान कर दी है, जो कोरोना वायरस से लड़ने…
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corona virus Isha Foundation's Sadguru Jaggi Vasudev's painting auctioned for 5 crores, money donated to the Beat the Virus Fund | ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बनाई पेंटिंग 5 करोड़ में नीलाम, पैसा बीट दी वायरस फंड में दान किया
corona virus Isha Foundation’s Sadguru Jaggi Vasudev’s painting auctioned for 5 crores, money donated to the Beat the Virus Fund | ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बनाई पेंटिंग 5 करोड़ में नीलाम, पैसा बीट दी वायरस फंड में दान किया
ईशा फाउंडेशन के सबसे प्रसिद्ध बैल जिसकी अप्रैल में हो चुकी है मौत, उसी की पेंटिंग है भैरव
दैनिक भास्कर
Jul 08, 2020, 07:39 AM IST
कोयंबटूर. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव की एक और पेंटिंग “भैरव” 5.1 करोड़ रुपए में नीलाम हुई। कुछ दिनों पहले उनकी एक पेंटिंग 4.1 करोड़ रुपए में नीलाम हुई थी। ये सारी राशि उन्होंने बीट दी वायरस नाम के फाउंडेशन को दान कर दी है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में…
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iloudlyclearbouquetworld · 4 years ago
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ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बनाई पेंटिंग 5 करोड़ में नीलाम, पैसा बीट दी वायरस फंड में दान किया
ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बनाई पेंटिंग 5 करोड़ में नीलाम, पैसा बीट दी वायरस फंड में दान किया
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ईशा फाउंडेशन के सबसे प्रसिद्ध बैल जिसकी अप्रैल में हो चुकी है मौत, उसी की पेंटिंग है भैरव
दैनिक भास्कर
Jul 07, 2020, 01:30 PM IST
कोयंबटूर. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव की एक और पेंटिंग “भैरव” 5.1 करोड़ रुपए में नीलाम हुई। कुछ दिनों पहले उनकी एक पेंटिंग 4.1 करोड़ रुपए में नीलाम हुई थी। ये सारी राशि उन्होंने बीट दी वायरस नाम के फाउंडेशन को दान कर दी है, जो कोरोना वायरस से लड़ने…
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bollywoodpapa · 5 years ago
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कैटरीना, करीना सहित इन 18 अभिनेत्रियो के साथ पब्लिकली हो चुकी छेड़छाड़!
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कैटरीना, करीना सहित इन 18 अभिनेत्रियो के साथ पब्लिकली हो चुकी छेड़छाड़!
दोस्तों हॉलीवुड की जानी मानी हस्तियाँ जेनिफर एनिस्टन और शोंडा रिमेस जै���ी कई हॉलीवुड A-लिस्टर्स वर्क प्लेस पर   सेक्शुअल हैरेसमेंट से निपटने के लिए एक कैंपेन शुरू किया है। खबरों की माने तो ‘टाइम्स अप’ नाम के इस कैंपेन में ऐसी महिलाओं की मदद के लिए 13 मिलियन डॉलर की सहायता राशि भी रखी गई है, जिन्हें वर्क प्लेस पर हुए हैरेसमेंट के कारण जॉब छोड़ना पड़ा। ये महिलाएं इस कैंपेन की मदद से खुद का बिजनेस शुरू कर सकती हैं। बता दे की बॉलीवुड  की कई अभिनेत्रियो के साथ भी ऐसे मामले तो कम देखने को मिलते हैं, लेकिन पब्लिक प्लेस पर इनके साथ छेड़छाड़ के कई मामले सामने आ चुके हैं। आज आपको ऐसी 18 अभिनेत्रियो के बारे में बता रह है जिनके साथ पब्लिक प्लेस पर छेड़छाड़ की घटनाये हुई है।
करीना कपूर
बॉलीवुड की जानी मानी अभिनेत्री करीना कपूर को साल 2013 में एक इवेंट के दौरान छेड़छाड़ का सामना करना पड़ा था।  खबरों की माने तो इवेंट खत्म होने के बाद करीना बाहर आ रही थीं। तभी भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। इस दौरान करीना घबरा गईं। बाद में बाउंसर्स ने उन्हें वहां से सुरक्षित बाहर निकाला।
कैटरीना कैफ  
बॉलीवुड अभिनेत्री कैटरीना कैफ 2005 में साउथ कोलकाता की एक दुर्गा पूजा कमिटी के फंक्शन में शामिल होने गई थीं। इवेंट पूरा होने के बाद भीड़ के कुछ लोग उनकी पर्सनल सिक्युरिटी को हटाते हुए करीब पहुंच गए और उनके साथ छेड़खानी करने लगे।
सुष्मिता सेन 
बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन के साथ उस समय छेड़खानी का मामला सामने आया था, जब वे पुणे में एक ज्वैलरी स्टोर के इनॉग्रेशन के लिए गई थीं। जब वे वापस लौटीं और अपनी कार में बैठने की कोशिश कर रही थीं, तभी भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने उनसे छेड़खानी की।
बिपाशा बसु 
बॉलीवुड की हॉट एंड बोल्ड अभिनेत्री बिपाशा बसु फिल्म ‘राज 3’ के प्रमोशन के लिए अहमदाबाद गई थीं। इस दौरान एक शख्स ने उनकी स्कर्ट खींचने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं, वे एक बार मुंबई में दुर्गा पूजा के दौरान भी छेड़छाड़ का शिकार हो चुकी हैं। इसके अलावा न्यूजर्सी में भी उन्हें छेड़खानी का शिकार होना पड़ा था।
नगमा  
जानी मानी अभिनेत्री और राजनेता नगमा के साथ अप्रैल 2014 में कांग्रेस नेता गजराज सिंह ने बदसलूकी कर दी थी। हापुड़ में रोड शो के दौरान गजराज सिंह ने नगमा की ओर हाथ बढ़ाया और उनके सिर को पकड़कर अपनी ओर खींचने की कोशिश की। उन्होंने नाराजगी के साथ गजराज का हाथ झटक दिया था। इस घटना के बाद नगमा बिना शो किए ही वापस लौट गईं थीं। इसी ��रह चुनाव प्रचार के दौरान भी एक युवक ने उनके साथ छेड़छाड़ की थी। तब नाराज नगमा ने उसे थप्पड़ जड़ दिया था।
सोनम कपूर  
बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर फिल्म ‘रांझणा’ के प्रमोशन के लिए जब एक थिएटर में पहुंचीं तो उन्हें कुछ क्रैजी फैन्स की छेड़खानी का शिकार होना पड़ा। लेकिन बाद में उनके को-स्टार धनुष ने मदद की और उन्हें वहां से बाहर निकाला।
गौहर खान  
अभिनेत्री गौहर खान के साथ छेड़खानी और थप्पड़ की घटना सामने आई। बता दे की  गौहर टीवी रियलटी शो ‘इंडियाज रॉकस्टार’ के ग्रैंड फिनाले की शूटिंग कर रही थीं। तभी मोहम्मद अकील नाम का एक शख्स ऑडियंस के बीच से उठकर स्टेज पर आया। उसने पहले गौहर के साथ छेड़खानी की और जब गौहर ने विरोध किया तो उसने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया।
तापसी पन्नू  
2016 में रिलीज हुई फिल्म ‘पिंक’ के एक प्रमोशनल इवेंट में इसकी लीड एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने खुलासा किया था कि दिल्ली में उन्हें अक्सर छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता था। तापसी के मुताबिक कॉलेज के दिनों में कई बार बस में लोग उन्हें गलत तरीके से छूते और छेड़छाड़ करते थे। कई बार वे भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाते थीं, तो अक्सर लोग यहां-वहां हाथ लगाते रहते थे।
गुल पनाग 
बॉलीवुड अभिनेत्री ने कई फिल्मो काम किया है फिलहाल वे फिल्मो से दूर है और एक पायलेट के तो पर काम कर रही है बता दे की अभिनेत्री गुल पनाग को एक बार दिल्ली हाफ मैराथन के वक्त छेड़छाड़ का सामना करना पड़ा था। मैराथन में उनके साथ दौड़ रहे कुछ लोग भीड़ का फायदा उठाते हुए जबरदस्ती उनके करीब आए और उन्हें टच करने लगे थे।
सोनाक्षी सिन्हा 
2010 में एक इवेंट के दौरान भीड़ में मौजूद कुछ लोगों के ग्रुप ने सोनाक्षी पर न सिर्फ भद्दे कमेंट पास किए, बल्कि उन्हें जबरदस्ती छूने की कोशिश भी की। यह वाकया साउथ मुंबई में मंत्रालय के नजदीक स्थित गांधी मैदान में हुआ था। हालांकि, बाद में बाउंसर्स सोनाक्षी को वहां से ले गए। इस वाकये के बाद सोनाक्षी रोने लगी थीं।
अमीषा पटेल 
घटना अप्रैल 2014 की है। अमीषा एक ज्वैलरी शोरूम की लॉन्चिंग के सिलसिले में गोरखपुर (उप्र) गई थीं। उन्हें देखने के लिए शोरूम के बाहर काफी भीड़ इकट्ठी हो गई। जब वे भीड़ से होते हुए शोरूम के अंदर जाने लगीं तो एक युवक ने उन्हें जबरदस्ती छुआ। इसके बाद गुस्से में आईं अमीषा ने उसे एक थप्पड़ रसीद किया था।
कोइना मित्रा 
बॉलीवुड अभिनेत्री कोइना के साथ मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में उस वक्त छेड़छाड़ हुई थी, जब वे न्यू ईयर पार्ट��� एन्जॉय कर रही थीं। इसके बाद कोइना शॉक्ड रह गईं और चिल्लाना शुरू कर दिया। बाद में छेड़खानी करने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया था।
ईशा देओल
बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र की बेटी ईशा देओल के साथ भी छेड़छाड़ की खबरे सामने आई थी बता दे की 11 अगस्त 2005 की है जब ईशा देओल किसी काम से पुणे गई थीं। तभी भीड़ का फायदा उठाकर एक शख्स उनके काफी नजदीक पहुंच गया और छेड़खानी करने लगा। ईशा ने यह देखकर उस शख्स के गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दिया।
राखी सावंत 
बॉलीवुड की ड्रामा क्वीन राखी सावंत ने सिंगर मीका के खिलाफ छेड़छाड़ और जबरदस्ती किस करने की शिकायत दर्ज कराई थी। दरअसल, 2006 में मुंबई में हुए एक इवेंट के दौरान मीका ने राखी सावंत को जबरदस्ती किस किया था। इस खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
इवलिन शर्मा  
बॉलीवुड के हॉट एंड बोल्ड अभिनेत्री इवलिन शर्मा जब अपने होमटाउन जर्मनी के फ्रैंकफर्ट जा रही थीं, तब कुछ लोगों ने उनके फोटोग्राफ खींचे। जब इवलिन ने उन्हें ऐसा करने से मना किया तो वे बदतमीजी करने लगे। लेकिन बाद में इवलिन ने कैब ली और वहां से चली गईं।
रिया चक्रवर्ती  
बॉलीवुड फिल्म ‘मेरे डैड की मारुति’ फेम रिया चक्रवर्ती के साथ मार्च 2014 में छेड़खानी का मामला सामने आया था। रिया ने ट्विटर के जरिए अपने फैन्स को बताया था कि एक आदमी अचानक उनकी बिल्डिंग में आया और उन्हें इधर-उधर छूने लगा। यह तो शुक्र है कि उन्हें मार्शल आर्ट्स आता है। उनके किक मारते ही वह आदमी भाग गया।
मिनिषा लांबा
बॉलीवुड अभिनेत्री मिनिषा लांबा के साथ उस वक्त छेड़छाड़ हुई थी, जब वे गोवा बीच पर एक मैगजीन के लिए फोटोशूट करा रही थीं।
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