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#आज़ाद समाचार
gadgetsforusesblog · 2 years
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Financetime.in एस्टर डीएम हेल्थकेयर, मिशिगन विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक और वैज्ञानिक प्रयासों के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, स्वास्थ्य समाचार, ईटी हेल्थवर्ल्ड
बेंगलुरु: यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मेडिकल स्कूल और एस्टर डीएम हेल्थकेयर के एक प्रभाग, एस्टर मेडिसिटी ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भारतीय चिकित्सकों को दुनिया भर में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और कौशल तक पहुंच प्रदान करेगा। सहयोग पर टिप्पणी करते हुए, एस्टर डीएम हेल्थकेयर के संस्थापक, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आज़ाद मूपेन ने कहा, “शिक्षा और अनुसंधान में यूनिवर्सिटी…
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azaadsamachar · 2 years
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अखिल भारतीय धर्मसंघ ने स्वामी स्वरूपानंद और रामयत्न शुक्ल को दी गई श्रद्धांजलि
अखिल भारतीय धर्मसंघ ने स्वामी स्वरूपानंद और रामयत्न शुक्ल को दी गई श्रद्धांजलि
All India Dharma Sangh pays tribute to Swami Swaroopanand and Ramyatna Shukla वाराणसी (आज़ाद समाचार)। अखिल भारतीय धर्मसंघ के तत्वावधान में रविवार को ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज एवं काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष रहे स्व. आचार्य रामयत्न शुक्ल की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा मे काशी के विद्वत समाज ने दोनों महापुरुषों को नमन कर भावपूर्ण…
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lok-shakti · 3 years
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जहां भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है वहां सिस्टम बनाया जा रहा है: पीएम मोदी
जहां भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है वहां सिस्टम बनाया जा रहा है: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि एक ऐसा भारत जिसकी सोच और दृष्टिकोण नया है और निर्णय प्रगतिशील हैं, एक ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है जिसमें किसी भी तरह के भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है। वस्तुतः ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत के ओर’ के राष्ट्रीय लॉन्च समारोह में मुख्य भाषण देते हुए, मोदी ने कहा कि किसी की प्रगति देश की प्रगति के साथ जुड़ी हुई है और देश के उत्थान के लिए अपने…
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sandhyabakshi · 4 years
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कलाम की पांचवी पुण्यतिथि पर नवोन्मेषकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतियोगिता शुरू रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद की पांचवी पुण्यतिथि के मौके पर भारत में रक्षा उभरती प्रौद्योगिकी में नवोन्मेषकों को प्रोत्साहित करने के लिए ...। Source link
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dharmeshnamdeosblog · 6 years
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माँ सरस्वती का निवास: शारदा देश कश्मीर और ‘सर्वज्ञ पीठ’ की धरोहर
कश्मीर में जिस मंदिर के द्वार कभी आदि शंकर के लिए खुले थे आज उसके भग्नावशेष ही बचे हैं। हम प्रतिवर्ष वसंत पंचमी और नवरात्र में माँ सरस्वती की वंदना शंकराचार्य द्वारा रची गई स्तुति से करते हैं लेकिन उस सर्वज्ञ पीठ को भूल गए हैं जिसपर कभी आदि शंकर विराजे थे।
देश की चारों दिशाओं में चार मठ स्थापित करने तथा आचार्य गौड़पाद में महाविष्णु के दर्शन करने के पश्चात आदि शंकर को माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त हुई थी। विद्यारण्य कृत ‘शंकर दिग्विजय’ ग्रंथ में वर्णित कथा के अनुसार शंकर अपने शिष्यों के साथ गंगा किनारे बैठे थे तभी किसी ने समाचार दिया कि विश्व में जम्बूद्वीप, जम्बूद्वीप में भारत और भारत में काश्मीर सबसे प्रसिद्ध स्थान है जहाँ शारदा देवी का वास है। उस क्षेत्र में माँ शारदा को समर्पित एक मंदिर है जिसके चार द्वार हैं। मंदिर के भीतर ‘सर्वज्ञ पीठ’ है। उस पीठ पर वही आसीन हो सकता है जो ‘सर्वज्ञ’ अर्थात सबसे बड़ा ज्ञानी हो।
उस समय माँ शारदा के उस मंदिर के चार द्वार थे जो चारों दिशाओं में खुलते थे। पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा से आए विद्वानों के लिए तीन द्वार खुल चुके थे किंतु दक्षिण दिशा की ओर से कोई विद्वान आया नहीं था इसलिए वह द्वार बंद था। आदि शंकर ने जब यह सुना तो वे शारदा मंदिर के सर्वज्ञ पीठ के दक्षिणी द्वार के लिए निकल पड़े।
शंकर जब काश्मीर पहुँचे तब वहा�� उन्हें अनेक विद्वानों ने घेर लिया। उन विद्वानों में न्याय दर्शन, सांख्य दर्शन, बौद्ध एवं जैनी मतावलंबी समेत कई विषयों के ज्ञाता थे। शंकर ने सभी को अपनी तर्कशक्ति और मेधा से परास्त किया तत्पश्चात मंदिर का दक्षिणी द्वार खुला और आदि शंकर पद्मपाद का हाथ पकड़े हुए सर्वज्ञ पीठ की ओर बढ़ चले। तभी माँ सरस्वती ने शंकर की परीक्षा लेने के लिए उनसे कहा, “तुम अपवित्र हो। एक सन्यासी होकर भी काम विद्या सीखने के लिए तुमने एक स्त्री संग संभोग किया था। इसलिए तुम सर्वज्ञ पीठ पर नहीं बैठ सकते।”
तब शंकर से कहा, “माँ मैंने जन्म से लेकर आजतक इस शरीर द्वारा कोई पाप नहीं किया। दूसरे शरीर द्वारा किए गए कर्मों का प्रभाव मेरे इस शरीर नहीं पड़ता।” यह सुनकर माँ शारदा शांत हो गईं और आदि शंकर सर्वज्ञ पीठ पर विराजमान हुए। माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर शंकर की कीर्ति चहुँओर फैली और वे शंकराचार्य कहलाए। आदि शंकराचार्य ने माँ सरस्वती की वंदना में स्तुति की रचना की जो आज प्रत्येक छात्र की वाणी को अलंकृत करती है- “नमस्ते शारदे देवि काश्मीरपुर वासिनी, त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे।”
कश्मीर में जिस मंदिर के द्वार कभी आदि शंकर के लिए खुले थे आज उसके भग्नावशेष ही बचे हैं। हम प्रतिवर्ष वसंत पंचमी और नवरात्र में माँ सरस्वती की वंदना शंकराचार्य द्वारा रची गई स्तुति से करते हैं लेकिन उस सर्वज्ञ पीठ को भूल गए हैं जिसपर कभी आदि शंकर विराजे थे। शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। आज वह शारदा पीठ पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में है और वहाँ जाने की अनुमति किसी को नहीं है।
कश्मीर के रहने वाले एक मुसलमान डॉ अयाज़ रसूल नाज़की अपने रिश्तेदारों से मिलने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित मुज़फ्फ़राबाद कई बार गए। अंतिम बार जब वे 2007 में गए थे तब उन्होंने शारदा पीठ जाने की ठानी। डॉ नाज़की की माँ के पूर्वज हिन्दू थे इसलिए वे अपनी जड़ों को खोजने शारदा पीठ गए थे। गत 60 वर्षों में वे पहले और अंतिम भारतीय कश्मीरी थे जो शारदा पीठ गए थे।
एक समय ऐसा भी था जब बैसाखी पर कश्मीरी पंडित और पूरे भारत से लोग तीर्थाटन करने शारदा पीठ जाते थे। आज वह शारदा पीठ उस क्षेत्र में है जिसे पाकिस्तान आज़ाद कश्मीर कहता है। आज़ाद कश्मीर मीरपुर मुज़फ्फ़राबाद का क्षेत्र है जो जम्मू कश्मीर राज्य का अंग है।
मुज़फ्फ़राबाद झेलम और किशनगंगा नदियों के संगम पर बसा छोटा सा नगर है। किशनगंगा के तट पर ही शारदा तहसील में शारदा गाँव स्थित है। वहाँ आज शारदा विश्वविद्यालय के अवशेष ही दिखाई पड़ते हैं। कनिष्क के राज में यह समूचे सेंट्रल एशिया का सबसे बड़ा ज्ञान का केंद्र था। वस्तुतः कश्मीर की ख्याति ही ‘शारदा प्रदेश’ के नाम से थी। आर्थर लेवलिन बैशम ने अपनी पुस्तक ‘वंडर दैट वाज़ इण्डिया’ में लिखा है कि बच्चे अपने उपनयन संस्कार के समय ‘कश्मीर गच्छामि’ कहते थे जिसका अर्थ था कि अब वे उच्च शिक्षा हेतु कश्मीर जाने वाले हैं।
कश्मीर के शंकराचार्य के समकक्ष आदर प्राप्त आचार्य अभिनवगुप्त ने लिखा है कि कश्मीर में स्थान-स्थान पर ऋषियों की कुटियाँ थीं और पग-पग पर भगवान शिव का वास था।
शारदा पीठ का उल्लेख सर्वप्रथम नीलमत पुराण में मिलता है। इसके अतिरिक्त कल्हण ने राजतरंगिणी में लिखा है कि सम्राट ललितादित्य के समय में शारदा विश्वविद्यालय में बंगाल के गौड़ समुदाय के लोग शारदा पीठ आते थे। संस्कृत समूचे कश्मीर की भाषा थी और शारदा विश्वविद्यालय में 14 विषयों की पढ़ाई होती थी। शारदा विश्वविद्यालय में ही देवनागरी से भिन्न शारदा लिपि का जन्म हुआ था।
डॉ अयाज़ रसूल नाज़की ने Cultural Heritage of Kashmiri Pandits नामक पुस्तक में प्रकाशित अपने लेख में ‘सारिका’ या ‘शारदा’ की लोक प्रचलित कहानी लिखी है। हुआ यह कि एक बार कश्मीर में रहने वालों की वाणी चली गई। कोई न कुछ बोल सकता था न व्यक्त कर सकता था। आवाज़ चली जाने से लोग दुखी और परेशान थे। तब सबने मिलकर हरि पर्वत पहाड़ी पर जाने का निश्चय किया। वहाँ पहुँच कर सबने भगवान से प्रार्थना की। तभी एक बड़ी सी मैना आई और उस चिड़िया ने अपनी चोंच से पत्थरों पर खोए हुए अक्षरों को लिखना प्रारंभ किया। सबने मिलकर उन अक्षरों को बोलकर पढ़ा, और इस प्रकार सबकी वाणी लौट आई।
संभव है कि वाग्देवी सरस्वती ने कश्मीरी लिपि शारदा को इसी प्रकार प्रकट किया हो लेकिन शेष भारत ने शारदा देश, लिपि, आदि शंकर की सर्वज्ञ पीठ और देवी की शक्ति पीठ को भी लगभग भुला दिया है।
✍🏻यशार्क पांडेय
कश्मीर के म्लेच्छ आक्रमण-
(१) १४४० ई.पू. में-राजतरङ्गिणी, तरंग १-
प्रपौत्रः शकुनेस्तस्य भूपतेः प्रपितृव्यजः। अथावहदशोकाख्यः सत्यसंघो वसुन्धराम्॥१०१॥
यः शान्तवृजिनो राजा प्रपन्नो जिनशासनम्। शुष्कलेत्रवितस्तात्रौ तस्तार स्तूपमण्डलैः॥१०२॥
धर्मारण्य विहारान्तः वितस्तात्र पुरेऽभवत्। यत्कृतं चैत्यमुत्सेधावधिप्राप्त्यक्षमेक्षणम्॥१०३॥
स षण्नवत्या गेहानां लक्षैर्लक्ष्मीसमुज्ज्वलैः। गरीयसीं पुरीं श्रीमांश्चक्रे श्रीनगरीं नृपः॥१०४॥----
म्लेच्छैः संछादिते देशे स तदुच्छित्तये नृपः। तपः सन्तोषिताल्लेभे भूतेशात्सुकृती सुतम्॥१०७॥
सोऽथ भूभृज्जलौकोऽभूद्भूलोक सुरनायकः। यो यशः सुधया शुद्धं व्यधाद्ब्रह्माण्डमण्डलम्॥१०८॥---
तत्काल प्रबल प्रेद्ध बौद्ध वादि समूहजित्। अवधूतोऽभवत् सिद्धस्तस्य ज्ञानोपदेशकृत्॥११२॥----
स रुद्ध वसुधान् म्लेच्छान्निर्वास्या खर्व विक्रमः। जिगाय जैत्रयात्राभिर्महीमर्णवमेखलाम्॥११५॥
ते यत्रोज्झटितास्तेन म्लेच्छाश्छादितमण्डलाः। स्थानमुज्झटडिम्बं तज्जनैरद्यापि गद्यते॥११६॥
गोनन्द वंश का ४८वां राजा अशोक या धर्माशोक (१४४८-१४०० ई.पू.) था। वह बौद्ध हो गया और कई विहार बनवाये। वहां के बौद्धों ने मध्य एशिया के म्लेच्छों को बुला कर उनसे आक्रमण करवाया। म्लेच्छ शासन होने पर गोनन्द वन में भाग गया। शिव की पूजा से उसे जलौक नामक पुत्र हुआ जिसने राज्य को पुनः जीता (१४००-१३४४ ई.पू.) और वर्णाश्रम धर्म की पुनः स्थापना की। म्लेच्छों का जहां समूल नाश किया था उसका नाम उज्झट-डिम्ब पड़ा। उसने ९६ लाख घरों का श्रीनगर नगर बसाया।
(२) जलौक के पुत्र दामोदर के ५० वर्ष राज्य के बाद हुष्क, जुष्क, कनिष्क ने ६० वर्ष राज्य किया (१२९४-१२३४ ई.पू.)। उनसे पुनः अभिमन्यु (१२३४-११८२ ई.पू.) ने राज्य ले लिया।
(३) (पण्डित गवास लाल -कश्मीर का संक्षिप्त इतिहास से)-कल्हण के समय ११४८ ई. के बाद १२९५ ई. तक कश्मीर में हिन्दू शासन रहा। १२९५ से १३२४-२५ ई तक राजा सिंहदेव का शासन था। उस समय स्वात से शमीर, तिब्बत से रेन्छन शाह तथा दर्दिस्तान से लन्कर चक आये जिनको राजा ने आश्रय दिया। उनको सरकारी नौकरी तथा जागीर दी। इनलोगों ने १३२२ ई. में चंगेज खान के वंशज जुल्फी कादिर खान को आक्रमण के लिये निमन्त्रित किया। उसने ७०,००० घुड़सवारों के साथ आक्रमण किया और इन गद्दारों की मदद से लाकॊं लोगों की हत्या की तथा ५०,००० ब्राह्मणों को गुलाम बना कर ले गये। इनमें कई देवसर की बर्फ में मारे गये। राजा सिंहदेव किश्तवार भाग गये तथा उनके सेनापति रामचन्द गगन���िर भागे। शत्रुओं के जाने के बाद रामचन्द ने वापस राज्य पर कब्जा करने की कोशिश की पर तिब्बत से आये जागीरदार रेन्छन ने रामचन्द की हत्या कर उसकी पुत्री से विवाह किया और राजा बन गया। उसने इस्लाम स्वीकार कर सदरुद्दीन नाम से राजा बना। २५ वर्ष राज्य के बाद सिंहदेव के भाई उदयन देव ने १३२७ ई. में पुनः राज्य पर कब्जा किया। १३४३ ई. में उसके मरने पर उसके मन्त्री शाह मिर्जा ने कब्जा किया और शमसुद्दीन के नाम से राजा बना। १३४७ में उसके मरने पर उसके लड़के जमशेद को हरा कर उसका छोटा भाई अल्लाउद्दीन अली शेर राजा बना। उसके लड़के शाह उद्दीन (१३६०-१३७८) ने फिरोजशाह तुगलक की अधीनता स्वीकार की। उसके बाद १५५४ ई. तक उसके वंशज राज करते रहे। उसके बाद सिंहदेव के समय दरद से आये लंकर चक के वंशजों ने १५८८ ई तक शासन किया। उसके बाद १७५३ ई. तक मुगलों के सूबेदारों ने शासन किया। मुहम्मद शाह दुर्रानी के आक्रमण के बाद कश्मीर १८१९ ई. तक अफगान सूबेदारों के अधीन रहा।
(४) हिन्दू राज्य-१८१९ ई. में यह सिख राजाओं के सूबेदारों के अधीन रहा। इनमें १८४१-४६ तक मुस्लिम सूबेदार थे। अंग्रेजों द्वारा सिखों की पराजय के बाद महाराजा गुलाब सिंह ने १६-३-१८४६ ई. में कश्मीर अंग्रेजों से खरीद लिया। उनके पुत्र रणवीर सिंह के नाम पर रणवीर पेनल कोड है। उनके पुत्र प्रताप सिंह तथा उनके पुत्र हरिसिंह १९४७ तक राजा रहे। वे स्वाधीनता के बाद भारत में मिलना चाहते थे। पर भारत के प्रधानमन्त्री नेहरू ने कहा कि कश्मीर (जम्मू, लद्दाख नहीं) मुस्लिम बहुल है अतः राजा हरि सिंह का विचार कश्मीर के लोगों की इच्छा नहीं है। केवल शेख अब्दुल्ला ही कश्मीर के प्रतिनिधि हो सकते हैं (उनसे नेहरू का रक्त सम्बन्ध कहा जाता है)। उसके बाद शेख अब्दुल्ला का परिवार और उनके दामाद गुलाम मुहम्मद मुख्यमन्त्री बने। बीच में उनके समर्थक मुफ्ती मुहम्मद सईद भी मुख्य मन्त्री बने। उनकी पुत्री अभी मुख्य मन्त्री हैं। नेहरू ने बिना जनमत संग्राह् के कश्मीर का विलय अस्वीकार किया जो बाद में पाकिस्तान की मांग हुयी। भारतीय संविधान मेंएक अलग धारा ३७० जोड़ी गयी जिसके अनुसार वहां के राज प्रमुख या संविधान सभा की सहमति से ही राष्ट्रपति कोई निर्णय ले सकते है। राज प्रमुख पद समाप्त होने पर यह धारा स्वतः समाप्त होनी थी, पर कांग्रेस की इच्छा के कारण यह अभी तक भारत में पूरी तरह नहीं मिल पाया है। १९ जनवरी १९९० को यहां प्रायः २०,००० हिन्दुओं की हत्या कर बाकी ७ लाख को कश्मीर से भगा दिया गया जो अभी तक अपने ही देश में प्रवासी बने हुये हैं।
@dn
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divyabhashkar · 3 years
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मनोरंजन समाचार लाइव अपडेट: खेमू के साथ गली-गलौज के बीच, सबा के वीडियो पर ऋतिक की टिप्पणी
मनोरंजन समाचार लाइव अपडेट: खेमू के साथ गली-गलौज के बीच, सबा के वीडियो पर ऋतिक की टिप्पणी
Entertainment Live Blog 01 मार्च 2022: मनोरंजन की दुनिया में सोमवार का दिन बेहद खास होता है। गली-गलौज से सबा आज़ाद (सबा आज़ाद) या ऋतिक रोशन (ऋतिक रोशन) या कोनल खेमू (कुणाल खेमू) के साथ वीडियो पर टिप्पणी करें आज दुनिया की और खबरें अपडेट करें। मनोरंजन लाइव समाचार अपडेट 07 मार्च 2022: कोनल खेमू (Kunal Khemu) ने रविवार को मुसीबत में फंसी ऐसी घटना सुनी तो उन्होंने अपनी पत्नी सोहाली खान (सोहा अली खान)…
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khsnews · 3 years
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प्रियंका चोपड़ा ने दीया मिर्जा और वैभव रेखी को माता-पिता बनने पर कहा, "वाह आपको और वैभव को बधाई": बॉलीवुड समाचार
प्रियंका चोपड़ा ने दीया मिर्जा और वैभव रेखी को माता-पिता बनने पर कहा, “वाह आपको और वैभव को बधाई”: बॉलीवुड समाचार
दीया मिर्जा और वैभव रेखी एक बच्चे के माता-पिता बने और उन्होंने उसका नाम अव्यान आज़ाद रेखी रखा। तब से दीया मिर्जा के कमेंट सेक्शन में बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई, चाहे वह ट्विटर हो या इंस्टाग्राम। दीया ने अपने सोशल मीडिया हैंडल को लिया और अपने नवजात शिशु का स्वागत करने के लिए एक भावनात्मक पोस्ट लिखा। वर्ल्ड आइकॉन प्रियंका चोपड़ा जोनास ने ट्विटर पर दीया मिर्जा के इस पोस्ट को देखा और जोड़े को नई…
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abhay121996-blog · 3 years
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जम्मू-कश्मीर पर पीएम मोदी के साथ तीन घंटे से अधिक सर्वदलीय बैठक, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा और गुलाम नबी समेत 14 नेता मौजूद Divya Sandesh
#Divyasandesh
जम्मू-कश्मीर पर पीएम मोदी के साथ तीन घंटे से अधिक सर्वदलीय बैठक, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा और गुलाम नबी समेत 14 नेता मौजूद
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर आज जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ हो रही सर्वदलीय बैठक का एजेंडा सार्वजनिक न किए जाने से स्पष्ट हो गया है कि वार्ता का दायरा सीमित नहीं होगा। सभी अपने दिल की बात खुलकर कह सकेंगे, ताकि जम्मू-कश्मीर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और विकास के स्थायी वातावरण की बहाली का रोडमैप बन सके और राजनीतिक प्रक्रिया को गति दी जा सके। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के करीब दो साल के बाद केंद्र सरकार की ओर से राज्य के नेताओं के साथ बातचीत की जा रही है।
बैठक के लिए जम्मू कश्मीर के 14 नेताओं को बुलाया गया है। इनमें चार पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के अलावा रविन्द्र रैना, कवींद्र गुप्ता, निर्मल सिंह, सज्जाद लोन, भीम सिंह भी शामिल हैं। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य कई अफसर भी मौजूद हैं।
PM Modi All Party Meeting Updates
– बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की बैठक की तस्वीरें सामने आईं हैं। तस्वीरों में गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला समेत तमाम नेता दिखाई दे रहे हैं। पीएम सभी का हाथ जोड़कर स्वागत कर रहे हैं।
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक 7, लोक कल्याण मार्ग से शुरू हो रही है। बैठक में पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और जम्मू-कश्मीर के अन्य नेता मौजूद हैं।
– पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं बैठक में जा रहा हूं। मैं वहां मांगों को रखूंगा और फिर आपसे बात करूंगा। महबूबा मुफ्ती उनकी पार्टी की अध्यक्ष हैं, उन्होंने जो कहा उस पर मैं क्यों बोलूं।
– जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पहुंचे।
– कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, गुलाम अहमद मीर और तारा चंद प्रधानमंत्री आवास पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
– प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक से पहले सीपीआइ-एम के नेता युसुफ तारीगामी ने कहा कि यहां विधानसभा चुनाव कराने से किसने रोका? हमारी आवाम के सामने यह भी मुद्दा है कि हमारी एक दूसरे से नाराजगी हो सकती है लेकिन हम अलग नहीं होना चाहते। सरकार ने बिना किसी से पूछे केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया और बांट दिया।
– नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला दिल्ली में पार्टी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के आवास पर पहुंचे।
– नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला दिल्ली में अपने आवास पर पहुंचे। वह आज बाद में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ब��लाई गई जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों की सर्वदलीय बैठक में भाग लेंगे।
– समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार जम्मू-कश्मीर के नेताओं की महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक से पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी से मुलाकात की और घाटी में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की।
– भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के जम्मू-कश्मीर नेताओं के साथ बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी मुख्यालय पहुंचे।
– जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ पीएम मोदी की बैठक पर जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष भीम सिंह ने कहा, ‘मुझे आमंत्रित किया गया है। मान्यताप्राप्त पार्टियां को बुलाया गया है। लोगों के हक, इंसाफ, एकता, भाईचारा, भारत से मजबूती के बारे में बोलना है।चुनाव, लोकतंत्र, मानवाधिकार का सवाल है।’
–  नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के लिए श्रीनगर में अपने आवास से रवाना हुए।
– डोगरा फ्रंट ने जम्मू में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि यह विरोध मुफ्ती के उस बयान के खिलाफ है जो उन्होंने गुपकार की बैठक के बाद दिया था कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे में एक हितधारक है। उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया जाना चाहिए।’
बैठक के लिए जम्मू कश्मीर के 14 नेताओं को बुलाया गया
बैठक के लिए जम्मू कश्मीर के 14 नेताओं को बुलाया गया है। इनमें चार पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के अलावा चार पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, मुजफ्फर हुसैन बेग, डा. निर्मल सिंह और कवींद्र गुप्ता भी शामिल हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना भी इसमें शामिल हैं। अन्य नेताओं में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद अल्ताफ बुखारी, पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मा‌र्क्सवादी (माकपा) नेता मोहम्मद युसुफ तारीगामी और पैंथर्स पार्टी के प्रो. भीम सिंह को आमंत्रित किया गया है।
अलगाववादियों व पाक को स्पष्ट संदेश
पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। इससे केंद्र सरकार ने अलगाववादियों और उनके आका पाकिस्तान को संदेश दिया है कि कश्मीर पूरी तरह से भारत का आंतरिक मुद्दा है और इस पर वह सिर्फ और सिर्फ जम्मू-कश्मीर के उन दलों से बात करेगी, जो भारतीय संविधान में आस्था रखते हुए जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। बैठक उस पुरानी कश्मीर नीति में भी बदलाव की पुष्टि करती है, जिसमें हालात सामान्य बनाने के लिए मुख्यधारा के दलों की उपेक्षा कर अलगाववादियों व उनसे संबधित संगठनों को विश्वास में लेने, उनसे बातचीत की प्रक्रिया को अपनाया जाता रहा है।
बेहतरी का रास्ता बनेगा
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि इस बैठक का कोई ठोस नतीजा बेशक न निकले, लेकिन हर मुददे पर खुलकर बात होगी। बैठक जम्मू-कश्मीर की बेहतरी के लिए एक नया रास्ता तैयार करेगी।
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azaadsamachar · 2 years
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शेयर मार्केट के बिगबुल के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला का 62 साल की उम्र में हुआ निधन
शेयर मार्केट के बिगबुल के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला का 62 साल की उम्र में हुआ निधन
Rakesh Jhunjhunwala, known as the Big Bull of the stock market, died at the age of 62 नई दिल्ली ( आज़ाद समाचार)। भारत का वारेन बफेट कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला का 62 साल की उम्र का निधन हो गया। उन्होंने रविवार 14 अगस्त की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। राकेश झुनझुनवाला के निधन की खबर सामने आते ही सब अचंभित रह गए। बता दें कि राकेश झुनझुनवाला शेयर मार्केट के बिगबुल कहलाते…
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everynewsnow · 4 years
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कीर्ति आज़ाद दिल्ली चयनकर्ता पद के लिए आवेदन करते हैं
कीर्ति आज़ाद दिल्ली चयनकर्ता पद के लिए आवेदन करते हैं
द्वारा: एक्सप्रेस समाचार सेवा | नई दिल्ली | अपडेट किया गया: 14 दिसंबर, 2020 8:01:58 बजे कीर्ति आज़ाद का डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से मतभेद था। एसोसिएशन में अनियमितताओं को लेकर जेटली पर निशाना साधने के बाद 2015 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए भाजपा से निकाल दिया गया था। (फाइल फोटो / पीटीआई) भारत के पूर्व ऑलराउंडर कीर्ति आज़ाद ने दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ…
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sandhyabakshi · 4 years
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NCERT: 8 वीं के छात्रों को पढ़ाई देश के पहले शिक्षा मंत्री की जीवनी होगी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नि: शुल्क शिक्षा, बेटियों की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि को जमीनी स्तर पर लाने वाले देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम ...। Source link
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jaksnews · 4 years
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भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद के खिलाफ, 400 अन्य हाथरस की यात्रा पर एफआईआर
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद के खिलाफ, 400 अन्य हाथरस की यात्रा पर एफआईआर
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द्वारा: एक्सप्रेस समाचार सेवा | हाथरस | अपडेटेड: 5 अक्टूबर, 2020 11:55:46 सुबह
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भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रविवार को हाथरस गांव में।
उल्लंघन करने पर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और 400 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है धारा 144सीआरपीसी ने हाथरस की उस महिला के परिजनों का दौरा करते हुए, जिसकी पिछले सप्ताह कथित तौर पर चार…
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दिल्ली: पति द्वारा प्रताड़ित महिला का पीछा; डीसीडब्ल्यू द्वारा बचाया गया | दिल्ली समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
NEW DELHI: पिछले कुछ महीनों में एक 32 वर्षीय महिला के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है, जिसे कथित तौर पर बंदी बना लिया गया था और अपने ही घर पर जंजीरों से बांधकर रखा गया था। त्रिलोकपुरी जब भी वह उसे आज़ाद करने के लिए कहती थी, तो उसके पति, जो उसे […]
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khsnews · 3 years
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नेटफ्लिक्स एंथोलॉजी प्रेम कहानी में अभिनय करने के लिए राधिका मदान, अमोल पाराशर, रोहित सराफ अन्य लोगों के बीच इश्क की तरह लगता है: बॉलीवुड समाचार
नेटफ्लिक्स एंथोलॉजी प्रेम कहानी में अभिनय करने के लिए राधिका मदान, अमोल पाराशर, रोहित सराफ अन्य लोगों के बीच इश्क की तरह लगता है: बॉलीवुड समाचार
नेटफ्लिक्स ने आज 23 जुलाई, 2021 को फील्स लाइक इश्क के साथ सबसे प्यारी प्रेम कहानियों की एक श्रृंखला की घोषणा की। श्रृंखला में राधिका मदान, अमोल पाराशर, काजोल चुग, मिहिर आहूजा, सिमरन जेहानी, रोहित सराफ, सबा आज़ाद, संजीता भट्टाचार्य, ज़ैन खान, नीरज माधव, तान्या मानिकतला और स्कंद ठाकुर। एंथोलॉजी सीरीज़ प्यार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो किसी भी जगह, किसी भी समय, और निश्चित रूप से आप पर ठोकर खाने की…
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vivekkhadiya-blog · 4 years
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मेरे पास एक विशेष समाचार है जिसे मैं आपको बताना चाहता हूं और वह समाचार नीचे लिखा हुआ है। परंतु यह आप पर निर्भर करता है कि आप जिस समाचार को पढ़ने वाले हैं उस पर विश्वास करें या ना करें, तो यह समाचार मैं एक कहानी के रूप में प्रस्तुत करना चाहता हूं।
किसी जमाने में एक खतरनाक अपराधी हुआ करता था जो एक दिन गिरफ्तार हुआ और अपनी संगीन अपराधों के कारण जेल में डाल दिया गया और उसके लिए फांसी का आदेश जारी किया गया। जिस साम्राज्य में यह घटना हुई उस साम्राज्य की एक परंपरा थी कि फांसी की तारीख तय होने पर अपराधी को फांसी की तारीख से चार दिन पहले सूचना देनी ही है। उस परंपरा के अनुसार उस अपराधी को भी उसकी फांसी के विषय में सूचना दी गई और इस सूचना को पाने के बाद वह अपराधी बहुत ही ज्यादा डर गया।
वो अपराधी बहुत अच्छे से जानता था कि उस साम्राज्य का राजा धर्मी और न्यायी है और उसके साम्राज्य में न तो किसी गलत काम को सहता है और न ही अनदेखा करता है। सबसे विशेष बात उस राजा में ये थी कि वह अपने साम्राज्य के लोगों से बहुत प्रेम करता था लेकिन उनके पापों से घृणा करता था, एक न्यायी राजा होने के कारण ये स्वभाविक था कि वो पापियों को उनके पाप के अनुसार दंड दे।
जब जेल में डाले गए अपराधी को पता चला कि चार दिन बाद उसे फांसी पर चढ़ाया जाएगा तो उसे गहरा सदमा लगा और उसे बहुत चिंता होने लगी। वह मन ही मन सोच रहा था कि काश! मैं बीते समय में वापस चला जाऊं और एक अच्छा इंसान बनकर अपने जीवन को दुबारा शुरू करूं, लेकिन वह जानता था कि ऐसा नहीं हो सकता।
अगले दिन राजा का एक दूत उस अपराधी से मिलने जेल में आया और उसने अपराधी से कहा, "तीन दिन बाद तुम्हें फांसी दी जाएगी इसलिए राजा ने तुम्हारे पहनने के लिए कीमती कपड़े भेजे हैं ताकि तुम मरने से पहले इन कीमती कपड़ों को पहनने की इच्छा पूरी कर सको" यह बात सुनकर अपराधी ने कह��, "तीन दिन बाद मैं मरने वाला हूं, ये कीमती कपड़े मेरे किस काम के? क्या ये मुझे मृत्युदंड से बचा सकते हैं?" यह सुनकर राजा का दूत वहां से चला गया।
दूसरे दिन दूत फिर उस अपराधी के पास आया और कहा, "दो दिन बाद तुम्हें फांसी दी जाएगी इसलिए राजा ने तुम्हारे लिए ऐसा शाही खाना भेजा है जिसे राजा-महाराजा लोग ही खाते हैं, ताकि तुम इसे खाकर अपनी इच्छा पूरी कर सको।" यह सुनकर अपराधी ने उससे कहा, "क्या तुम्हें थोड़ा सा भी अंदाज़ा है कि मुझ पर क्या बीत रही है? एक तरफ मैं मृत्यु के डर से कांप रहा हूं और तुम शाही भोजन की बात कर रहे हो। क्या ये शाही भोजन मुझे मृत्युदंड से बचा लेगा?"यह सुनकर दूत वहां से चला गया।
अगले दिन दूत फिर से अपराधी के पास आया और उस अपराधी से कहा, "कल तुम्हें फांसी दी जाएगी इसलिए राजा तुम्हें आलीशान राजमहल में रहने और कीमती चीजों को इस्तेमाल करने का मौका दे रहे हैं।" उस समय में अपराधी का चेहरा उतरा हुआ था और रो रो कर उसकी आंखें समझ गई थीं, जिस दिन से उसे उसके फांसी दिए जाने के बारे में बताया गया था उस दिन से उसने न तो कुछ खाया था और न ही कुछ पिया था। वह मृत्यु की डर से भरा हुआ था। अपराधी ने जवाब दिया, "मैं कल मरने वाला हूं, ये राजमहल और कीमती चीजें मुझे बचा नहीं सकतीं, मुझे इनकी जरूरत नहीं है। दूत जवाब सुनकर वहां से चला गया।
आखिरकार वह दिन आ ही गया। अपराधी को फांसी देने के लिए ले जाने, सैनिक जेल में पहुंचे। लेकिन वह फांसी देने की जगह की ओर चलने से इंकार कर रहा था और सैनिकों से लड़ने की कोशिश कर रहा था मगर सैनिक बहुत मजबूत थे जिसके कारण वे उसे घसीटते हुए ले आए। उसने फांसी पर न चढ़ने के लिए बहुत हाथ-पैर चलाए मगर सैनिकों के ताकत के आगे वह कमजोर पड़ गया। उसके चेहरे पर एक काला कपड़ा डाल दिया गया और फांसी के फंदा उसकी गले में डाला गया। जल्लाद तैयार था, उसे सिर्फ जेल के अधिकारी के हाथ के इशारे का इंतजार था। जेल का अधिकारी इशारा देने ही वाला था कि एक आवाज़ आई, "रुक जाओ", सबने पीछे मुड़कर देखा तो उसी दूत की आवाज़ थी जो राजा का संदेश अपराधी तक पहूंचाता था, उसके हाथ में एक चिट्ठी थी।
दूत ने फांसी के तख़्त पर चढ़कर अपराधी के गले से फांसी का फंदा और काला नकाब निकाला और चिट्ठी उसके हाथ में दे दी, वो चिट्ठी राजा ने खुद भेजा था। अपराधी ने उस चिट्ठी को खोला और उसमें लिखे राजा के आदेश को पढ़ा तो उसे विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उसमें लिखा था,"तुम आज़ाद हो।" अपराधी ने उस दूत को कसके गले लगाया और दौड़कर राजा के दरबार में गया और राजा के सामने अपने घुटने टेक कर और अपना सिर झुकाकर कहने लगा, "हे मेरे मालिक! आपने मुझे छोड़ दिया जबकि मैं माफ़ी पाने के लायक नहीं था। आपके अनुग्रह और दया के लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं। अब मैं अपना बचा हुआ पूरा जीवन आपकी सेवा में बिताना चाहता हूं।
जैसे ही इन बातों को कहकर अपराधी ने राजा की ओर देखा, राजा के आंखों में आंसू थे, वो रो रहे थे। अपराधी ने उनसे पूछा, "हे महाराज! आप क्यों रो रहे हैं?" राजा ने उत्तर दिया, "वो व्यक्ति जिसने तुम्हें मेरे आदेश की चिट्ठी दी वो कोई दूत नहीं, पर मेरा एकलौता बेटा है।" वो इस समय तुम्हारा दण्ड अपने ऊपर ले रहा है ताकि तुम्हें माफी मिल जाए और मेरा न्याय भी न बिगड़े, मेरा न्याय बना रहे।
अपराधी यह सुनकर बहुत हैरान हुआ और सोचने लगा, "मैं कौन हूं और मेरी औकात क्या है? कि, एक राजा के ��ेटे ने मुझ जैसे अपराधी के लिए अपनी जान को दे दिया।
इस पर्चे को पढ़ने वाले प्यारे दोस्त आप सोच रहे होंगे कि यह कहानी सच्चाई से कितनी परे है, है न? मगर यह वास्तव में हुआ है।
इस कहानी में जो राजा है, वो पवित्र परमेश्वर है जो धरती-आकाश, सूरज-चांद और जो कुछ हमारे चारों ओर दिखता है उसका बनाने वाला है और जो अपराधी है, वो संपूर्ण मानवजाति है ( हम सब, मैं और आप भी ) क्योंकि बाइबल बताती है कि, "सबने पाप किया और परमेश्वर की महिमा से दूर हो गए हैं" एवं राजा के पास से आदेश लाने वाला दूत और राजा का एकलौता बेटा, परमेश्वर का एकलौता बेटा यीशु मसीह है।
बाइबल बताती है कि, "पवित्र परमेश्वर हमसे (मुझसे और आपसे) बहुत प्रेम करते हैं लेकिन हमारे पापों ने हमें परमेश्वर से दूर कर दिया है क्योंकि परमेश्वर पवित्र हैं और वह पाप को नहीं सह सकते, हमारे पापों के कारण हम परमेश्वर के बैरी हो गए हैं। परमेश्वर पवित्र ही नहीं परंतु एक उत्तम न्याय करने वाले भी हैं। पाप को अनदेखा करना या पाप पर ध्यान न देना परमेश्वर के पवित्रता और न्याय के विरुद्ध है इसलिए सारी मानव जाति परमेश्वर के दंड के योग्य है और पाप का दंड अनंत काल (हमेशा हमेशा के लिए) के लिए नरक की आ‌ग में जलते रहना है।"
लेकिन आपके लिए शुभ संदेश यह है कि, "जिस प्रकार उस राजा के इकलौते बेटे ने उस अपराधी को बचाने के लिए अपराधी का दंड अपने ऊपर ले लिया, वैसे ही परमेश्वर की इकलौते पुत्र यीशु मसीह ने हमें हमारे पापों से बचाने के लिए हमारे पापों का दंड अपने ऊपर ले लिया ताकि हम नरक की आग से बचें और परमेश्वर के करीब (पास) आ सकें इसीलिए यीशु मसीह हमारे लिए क्रूस पर बलिदान हुए अर्थात क्रुस पर मार डाली गए और कब्र में उनको दफनाया गया किन्तु तीसरे दिन वह मृत्यु को हराकर फिर से जी उठे।
‌‌ यीशु मसीह ने खुद हमारे पापों का दंड अपने ऊपर ले लिया जबकि वो निर्दोष और निष्पाप थे, ताकि जो पाप और अपराध हमने किया है उसका दंड हमें न मिले परंतु हम उससे छुटकारा पाएं। अगर हम (मैं और आप) यीशु मसीह पर ऐसा विश्वास करेंगे कि, "यीशु मसीह जो कि परमेश्वर के एकलौते पुत्र हैं, आज से लगभग 2000 साल पहले, दुनिया में आए और उन्होंने हमारे (मेरे और आपके) व्यक्तिगत पापों और अपराधों के लिए अपना हर-एक बूंद लहू बहा दिया और अपनी जान क्रूस पर बलिदान कर दिया और कब्र में गाड़े गए और तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठे।" ऐसा विश्वास करने के बाद हमारी पहचान बदल जाती है और हम पवित्र परमेश्वर की नज़र में पापी नहीं परंतु धर्मी ठहरते हैं क्योंकि पापों की कीमत (दाम) यीशु मसीह ने क्रुस पर खुद को बलिदान करके चुका दिया है। परमेश्वर और हमारे बीज पाप की जो दीवार थी उसे यीशु मसीह ने गिरा दिया है, अब हमारे लिए स्वर्ग का रास्ता (जहां परमेश्वर रहते हैं) खुल गया है। पवित्र बाइबल और इतिहास दोनों इन बातों को साबित करते हैं।
पवित्र बाइबल बताती है कि, "जब हम निस्सहाय (बेसहारा) थे तभी यीशु मसीह हम अधर्मियों और पापियों के लिए बिल्कुल सही समय पर मरे। यह हो सकता है कि, एक अच्छे और धर्मी मनुष्य के लिए कोई खुद को बलिदान करने के लिए तैयार हो जाए और शायद ऐसा कर भी दे लेकिन यीशु मसीह ने हमारे लिए ऐसा तब किया है जब हम पापी ही थे। ऐसा करके परमेश्वर ने हमारे लिए अपने असीम प्रेम का प्रमाण दिया है। चूंकि हम यीशु मसीह के लहू के कारण धर्मी ठहराए गए हैं इसलिए हम परमेश्वर के प्रकोप से अवश्य ही बच जाएंगे, क्योंकि परमेश्वर के बैरी होने की दशा में परमेश्वर के पुत्र(यीशु मसीह) की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हो गया है तो फिर मेल हो जाने के बाद परमेश्वर की पुत्र (यीशु मसीह) के जीवन के कारण हम उद्धार (पापों से छुटकारा) ��्यों न पाएंगे? {रोमियों की पत्री - 5:6-10}
परमेश्वर ने संसार के लोगों से अपने अपार प्रेम के कारण अपना एकलौते बेटे को बलिदान कर दिया ताकि जो कोई उनके एकलौते बेटे पर विश्वास करे वह नाश न हो जाए परंतु अनंत काल (जो कभी भी खत्म नहीं होता) का जीवन पाए। क्योंकि परमेश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार के लोगों पर दण्ड की आज्ञा दें , परंतु इसलिए भेजा कि संसार के लोग उनके द्वारा उद्धार पाएं। जो लोग परमेश्वर के पुत्र (यीशु मसीह) पर विश्वास करते हैं उन पर दंड की आज्ञा नहीं होती परंतु जो उस पर विश्वास नहीं करता वह पहले ही से दंड के योग्य ठहराया जा चुका है इसलिए कि उसने परमेश्वर के इकलौते बेटे (यीशु मसीह) के नाम पर विश्वास नहीं किया। {यूहन्ना का सुसमाचार - 3:16-18}
बाइबल कहती है कि, प्रभु यीशु मसीह ने जो किया है उस पर विश्वास करने से हम उद्धार (पापों से छुटकारा) पाएंगे। अगर आप उद्धार पाना चाहते हैं और यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहते हैं तो इस प्रार्थना को दोहरा सकते हैं -
"हे मेरे मालिक! दया करने वाले परमेश्वर, आपने प्रभु यीशु मसीह को दुनिया में भेज कर अपनी दया और अनुग्रह को आपने मुझ पर प्रगट किया है इसीलिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं। मैं अपने हर एक पाप को स्वीकार करता हूं जो मैंने अपने जीवन भर में आज तक किए हैं, क्योंकि आपसे कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। आपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जो रास्ता मेरे लिए खोला है उसके लिए भी मैं आपका धन्यवाद करता हूं। मैं विश्वास करता हूं कि प्रभु यीशु मसीह मेरे पापों के लिए क्रूस पर मारे गए और कब्र में गाड़े गए और तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठे। मैं विश्वास करता हूं कि यीशु मसीह ही मेरे उद्धार करता और मुक्तिदाता हैं। हे प्रभु! आज मेरे मेरे दिल में आइए। यह प्रार्थना में प्रभु यीशु मसीह के नाम से मांगता हूं।"
आमीन
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indialivetoday · 5 years
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नागपुर में, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की - भारत समाचार
नागपुर में, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की – भारत समाचार
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने और इसे सीधे चुनाव लड़ने के लिए चुनौती दी।
चंद्रशेखर आज़ाद ने नागपुर के पूर्वी हिस्से में आरएसएस मुख्यालय के पास रेशमबाग मैदान से और प्रमुख के विजयी वार्षिक विजयदशमी भाषण के लिए जगह बनाई।
नागपुर पुलिस ने भीम आर्मी को आरएसएस मुख्यालय के करीब एक कार्यकर्ता रैली आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर…
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