Poor enrolment prompts Odisha govt to shut rural schools
Poor enrolment prompts Odisha govt to shut rural schools
BHUBANESWAR: भले ही कोविड -19 महामारी ने देश में शिक्षा प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, ओडिशा में छात्रों को एक अलग तरह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ओडिशा सरकार छात्रों के कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद करने की होड़ में है।
इसकी शुरुआत 2014 में हुई थी जब कम छात्र संख्या वाले करीब 200 स्कूल बंद कर दिए गए थे। 2019 में, 10 से कम छात्रों वाले 1,000 स्कूलों को या तो मर्ज कर दिया गया या बंद…
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बजट में भी अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जा, तबके के शिक्षा मद में बेतहाशा कटौती
बजट में भी अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जा, तबके के शिक्षा मद में बेतहाशा कटौती
अहमदाबाद। निर्मला सीतारमन ने अल्पसंख्यकों को ठेंगा दिखा दिया है। आज के पेश बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की राशि घटा दी गयी है। पिछले वर्ष 2020-21 के बजट में यह 5029 करोड़ रुपये थी जबकि इस वर्ष 2021-22 के लिए 4810.77 करोड़ रुपये ही प्रस्तावित किया है। पिछले साल के मुकाबले 218.23 करोड़ की कमी की गयी है।
आरटीई फोरम के मुजाहिद नफीस ने अल्पसंख्यकों के लिहाज से इसे बेहद निराशा वाला बजट करार दिया…
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उड़ीसा के स्कूलों में लगेगी साइंस, मैथ्स व इंग्लिश की एक्स्ट्रा क्लास
सरकारी स्कूलों में रिजल्ट सुधारने के लिये राज्य सरकार का अनूठा प्रयोग
न्यूजवेव @ भुवनेश्वर
उड़ीसा के सरकारी स्कूलों में तीन विषयों सांइस, मैथ्स व इंग्लिश के लिये विद्यार्थियों को अतिरिक्त क्लास में पढाया जायेगा। उड़ीसा के शिक्षा मंत्री समीर रंजन दास ने बताया कि राज्य सरकार ने स्कूली विद्यार्थियों की पढाई की समीक्षा करने के बाद उनका इम्प्रूवमेंट करने के लिये दोहरे क्लासरूम की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। इसके अनुसार, प्रत्येक स्कूल में तीनों विषयों को 45 से 90 मिनट तक अतिरिक्त क्लास में पढ़ाया जायेगा।
दास ने कहा कि आजकल विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिये विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के लिये इन तीनों सब्जेक्ट पर अधिक फोकस करते हैं। स्कूल में इनमें कमजोर होनेे पर वे ट्यूशन अथवा कोचिंग का सहारा लेते हैं। जबकि स्कूल स्तर पर ही उन्हें बेहतर फंडामेंटल एजुकेशन मिल जाये तो महंगी कोचिंग लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी तथा अभिभावकों पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। अतिरिक्त कक्षाओं से स्कूलों के रिजल्ट में आश्चर्यजनक सुधार होने की उम्मीद है।
रूचि व एक्टिविटी पर फोकस करें
उधर, यूनिसेफ से जुडे़ शिक्षाविद् बिनय पटनायक ने कहा कि क्लासरूम में पढ़ाई के समय को दोगुना करने से अच्छा है कि कक्षाओं में बच्चों की एकाग्रता को बढ़ाया जाये। आजकल स्कूली बच्चे स्कूल के अतिरिक्त उसी विषय को कोचिंग संस्थानों में भी पढ़ रहे हैं, जिससे उन पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। वे डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। रोज एक ही विषय को दोबारा पढ़ने जैसा दोहरीकरण करना सही रिजल्ट नहीं दे सकता। स्टूडेंट्स की लर्निंग को रूचि व एक्टिविटी पर आधारित करना होगा।
महंगी कोचिंग ने स्कूली शिक्षा को पंगु बनाया
एजुकेशन रिपोर्ट,2018 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में मैथ्स या साइंस पढ़ाने के लिये अच्छे शिक्षकों की कमी है। आरटीई फोरम के कन्वीनर अनिल प्रधान ने कहा कि राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति तथा अच्छे क्लासरूम की कमी को दूर करने पर फोकस करे तो रिजल्ट में स्वतः सुधार दिखाई देेगा।
उन्होने कहा कि पहले कमजोर विद्यार्थी ट्यूशन अथवा कोचिंग लेते थे लेकिन आजकल सभी मेधावी विद्यार्थी स्कूलों में डमी प्रवेेश लेकर महंगी कोचिंग ले रहे हैं, जिससे शिक्षा का व्यवसायीकरण बढता जा रहा है। केंद्र सरकार इसे नियंत्रित करने के लिये नेशनल एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी गठित करे जिससे स्कूलों में ही प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवाने जैसे सुझावों पर अमल किया जा सके। सरकार की अनदेखी से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है, देश के सभी राज्यों में कोचिंग संस्थान इसका लाभ उठा रहे हैं। जबकि राज्यों में शिक्षा बजट की अधिकांश राशि सरकारी स्कूलों पर ही खर्च हो रही है।
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