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#आयुर्वेदिक चिकित्सा कंपनियां
alphaarogya · 4 years
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बेहतर स्वास्थ्य और अच्छी जीवन शैली के लिए आयुर्वेदिक उपाय
हमारे आस-पास के लोगों को तनाव, अवसाद, चिंता में देखना बहुत आम बात हैं, जो हमारी दैनिक जीवन शैली को प्रभावित कर रही है और दीर्घकालिक स्वास्थ्य मुद्दों और पुरानी बीमारियों के कारण बन रहा है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए हमारे आयुर्वेदिक नुस्खे आपकी जीवनशैली को अच्छे के लिए बदल सकते हैं और आपको सभी स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिला सकते हैं।
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कैसे आयुर्वेद आपको स्वस्थ रखना में मदद करता हैं
माना जाता है कि आयुर्वेद एक प्राचीन औषधीय विज्ञान है जिसकी उत्पत्ति वैदिक काल से पहले या सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान 1500 से 500 ईसा पूर्व में हुई थी। सबसे अच्छी बात यह है कि चिकित्सा प्रणाली को कभी नहीं बदला गया है और इसे पढ़े-लिखे लोगों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी पारित किया गया है। आयुर्वेद बिना किसी साइड-इफेक्ट के पूर्ण आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट और हर्बल केयर उपचार है।
आयुर्वेद के साथ स्वस्थ रहना सामान्य रूप से काम करने वाले व्यक्ति के दोष (जैविक ऊर्जा), धातु (शरीर के ऊतकों) और माला (उत्सर्जन) पर निर्भर करता है। हमारे खाने की खराब आदतों और जीवनशैली विकल्पों के कारण, हम एक संतुलित आहार या आयुर्वेदिक आहार का पालन करने की उपेक्षा करते हैं। एक संतुलित आहार का पालन करना महत्वपूर्ण है जो यह सुनिश्चित करता है कि आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दें जो आपको सख्त दिनचर्या के साथ-साथ संक्रमण और बीमारियों से बचाता है जिसमें दैनिक शारीरिक व्यायाम और मानसिक शांति शामिल होना चाहिए।
स्वस्थ जीवन में आयुर्वेद की भूमिका सर्वविदित है, फिर भी लोग बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक सुझावों का पालन करने में संशय करते हैं। चूंकि लोग इन दिनों बहुत व्यस्त रहते हैं, और शायद ही एक अच्छी जीवन शैली का पालन करते हैं, इसलिए वे कोई भी ऑनलाइन आयुर्वेदिक मेडिसिन, स्वास्थ्य सलाह और सुझावों पर आसानी से भरोसा कर सकता है।
आयुर्वेद के लाभ:
आयुर्वेदिक चिकित्सा लाभों के महत्व को समझना अच्छा है। अल्फा आरोग्य की तरह आयुर्वेदिक विनिर्माण कंपनियां भारत में आंतरिक शरीर चिकित्सा के माध्यम से मानव शरीर के मानसिक और शारीरिक कल्याण के लिए विभिन्न दवाओं के साथ आई हैं। आयुर्वेद के निम्नलिखित लाभ हैं:
बेहतर इंद्रियाँ के लिए: आपकी पाँचों इंद्रियाँ उच्चारण होती हैं और आप मुक्त महसूस करते हैं।
बेहतर एकाग्रता के लिए: आप जो भी काम करते हैं उसमें आपकी एकाग्रता बेहतर होती है।
भरपूर ऊर्जा के लिए: आप दिन भर ऊर्जावान महसूस करते हैं।
आकर्षित व्यक्तित्व के लिए: आपका समग्र व्यक्तित्व आकर्षक होगा और आप बहुत अधिक आत्म-विश्वास रखेंगे।
खूबसूरत और ग्लोइंग स्किन के लिए: आपकी खूबसूरत और ग्लोइंग स्किन होगी और आपको स्किन इन्फेक्शन, मुंहासे, एक्जिमा आदि किसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम का सामना नहीं करना पड़ेगा। अल्फा 101 बहुत ही असरदायक चर्म रोग की आयुर्वेदिक दवा हैं।
शांत मन और शरीर के लिए: आयुर्वेदिक मालिश के साथ विशेष तेल का उपयोग करते हैं जो हमारे दिमाग को आराम देगा और आपको पूरी तरह से तनाव मुक्त अनुभव देगा। इस आयुर्वेदिक तेल को अपने शरीर पर लगाने के आयुर्वेदिक मालिश लाभ हैं और रक्त परिसंचरण में भी मदद करता है और आपके शरीर में मौजूद गाँठें, ऊतक और मांसपेशियाँ असंगत होती हैं। इस तेल में एंटी-एजिंग और आवश्यक तेल के भी गुण हैं।
संक्रमण से दूर रखता हैं: आप बीमार नहीं पड़ेंगे; आपको सर्दी या खांसी या ऐसा कोई संक्रमण नहीं होगा। अल्फा 21 बहुत ही असरदायक आयुर्वेदिक खांसी की दवा हैं।
पुरानी बीमारियों से दूर रखता हैं: आप लगातार हो रहे सिरदर्द, साइनस की समस्याओं और कई पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह, रक्तचाप आदि से दूर रहेंगे।
बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपाय:
अच्छी तरह से खाएं, लेकिन खाएं नहीं। सुनिश्चित करें कि आपका भोजन इस तरह से पकाया गया है कि पोषक तत्व अच्छी तरह से संरक्षित हैं और आप उनके पोषण मूल्य से लाभान्वित होते हैं। आयुर्वेदिक खाने में, ताजे और मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन बहुत महत्वपूर्ण है, बासी भोजन या जंक फूड से पूरी तरह से बचना चाहिए, अन्यथा, आप धीरे-धीरे अपने स्वास्थ्य को खराब कर सकते हैं।
सूर्योदय से पहले उठें और ढेर सारा पानी पिएं ताकि आपका शरीर आसानी से कचरे से छुटकारा पा सके। कहावत “रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना मनुष्य को स्वस्थ, धनी और बुद्धिमान बनाता है” आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक है।
अगर आप अपनी रोजमर्रा की जीवनशैली में योग और व्यायाम को अपनायेंगे तो वो शारीरिक शक्ति प्रदान करने के साथ, आपका मन और विचारों को भी तरोताजा और साफ़ रखेगा। मेडिटेशन आपको पूरे दिन तनाव मुक्त रखने में मदद करता है।
सबसे अच्छी आयुर्वेदिक यात्रा के सुझावों में से एक, हम अपने ग्राहकों को अपनी आयुर्वेदिक दवाओं को कहीं भी ले जाने के लिए सलाह देते हैं जहाँ आप यात्रा के अनुकूल रोग प्रतिरोधक शक्ति किट में जाते हैं। इस तरह आप अपनी यात्रा बिना कोई तनाव के बिता सकते है, चाहे वह छुट्टी हो या काम से संबंधित यात्रा हो।
यहां तक कि अगर आप अन्य मुख्यधारा की दवाएं (एलोपैथी) ले रहे हैं, तब भी आप आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं क्योंकि उनके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हमारा लक्ष्य हमेशा मुख्यधारा की दवाओं को पूरी तरह से रोकने में आपकी मदद करना है, और आयुर्वेदिक दवाओं को अपनाना है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने और ऊतकों और कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करेंगे।
दिन की अच्छी शुरुआत के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के साथ, आप हवा, पानी, अग्नि, आकाश और पृथ्वी के पांच प्राकृतिक तत्वों के साथ जुड़े। इससे आपको अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करने में मदद मिलती है।
एक अच्छी रात की नींद आपको अपने मन और शरीर को पूरी तरह से आराम करने में मदद करती है और आपके जीवन में खुशी लाती है। अच्छी नींद उत्प्रेरण की बूंदों का उपयोग करने से आप मिनटों में सो जाते हैं, आपके रक्तचाप और हृदय गति को कम करता है और आपको बहुत अधिक आराम देता है। जब आपके पास बेहतर विकल्प हो तो पैसे की बर्बादी करें और बहुत सारी नींद की गोलियों का सेवन करें।
उपरोक्त आयुर्वेदिक स्वास्थ्य युक्तियाँ निश्चित रूप से आपके स्वास्थ्य में सुधार करेंगी और आपके जीवन को एक रोग-ग्रस्त व्यक्ति से एक बहुत ही स्वस्थ और खुशहाल व्यक्ति में परिवर्तित कर देंगी।
अल्फा आरोग्य क्यों अपनाना चाहिए?
भारत में बहुत कम विश्वसनीय और वास्तविक आयुर्वेदिक चिकित्सा कंपनियां हैं, फिर भी अल्फा आरोग्य भारत और दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक दवाओं के एक अग्रणी निर्माता और आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है। सभी अल्फा आरोग्य उत्पाद सुरक्षित हैं और चिकित्सीय गुण हैं जो उन लोगों के लिए फायदेमंद हैं जो उनका उपयोग करते हैं। हम ब्राह्मी, भृंगराज, हिबिस्कस फूल, भारतीय करौदा (आंवला), कपूर, स्पाइकेनार्ड, भारतीय संक्रांति और कई और बेहतरीन प्राचीन जड़ी-बूटियों का उपयोग करते हैं।
हमारा उद्देश्य और मिशन हमेशा से ही भारत में आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देने और विश्व स्तर पर सभी को इसके स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करने के लिए रहा है। अधिक जानकारी के लिए या यदि आपके पास हमारे किसी भी उत्पाद के बारे में या विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं पर थोक आदेशों के बारे में प्रश्न हैं, तो आज ही अपना संपर्क फ़ॉर्म भरकर हमारे साथ जुड़ें, ताकि हम आपके प्रश्नों का तुरंत उत्तर दे सकें।
Source:- Alpha Arogya
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karanaram · 3 years
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🚩 अमेरिकी लैब : आयोडीन नमक से कैंसर होता है ! सेंधा नमक के है अद्भुत फायदे 11 जुलाई 2021
🚩 भारत में 1930 से पहले कोई भी व्यक्ति समुद्री नमक नहीं खाता था सिर्फ सेंधा नमक ही खाते थे, लेकिन विदेशी कंपनियां अपने फायदे के लिए भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई है। उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी शासन द्वारा भारत की भोली जनता को आयोडीन मिलाकर समुद्री नमक खिलाना शुरू किया ।
🚩 विदेशी कंपनियों को नमक बेचकर बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 1 से 2 रूपये किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 10 रूपये प्रति किलो और आज तो 20-30 रूपये को भी पार कर गया है।
🚩 सूत्रों के अनुसार दुनिया के 56 देशों ने आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बेन कर दिया है। डेन्मार्क की सरकार ने तो 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया। उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक लोगो को खिलाया !(1940 से 1956 तक ) पर अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब भारत देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो देश के स्वार्थी नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । पर कुछ समय पूर्व कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
🚩 अमेरिकी लैब का खुलासा-
भारत में बिकने वाले ‘आयोडीन नमक’ पर अमेरिका स्थित एक लैब ने चौंकाने वाला खुलासा किया है । लैब ने अपनी जांच में पाया है कि भारत में बिकने वाले टॉप ब्रैंड्स के आयोडीन नमक में कार्सिनोजेनिक घटक मौजूद है । अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया।
🚩 रिपोर्ट में सांभर रिफाइंड नमक, टाटा नमक, टाटा नमक लाइट जैसे उत्पादों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है । गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स के चेयरमैन शिव शंकर गुप्ता ने इस रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए नमक बनाने वाली कंपनियों और सरकार को आड़े हाथों लिया है । उन्होंने कहा ‘भारत में बिक रहे आयोडीन नमक में पोटैशियम फेरोसायनाइड भारी मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसर का एक मुख्य कारण है।’
🚩 सेंधा नमक की उतप्ति-
एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ हैं, सुरंगे हैं । वहाँ से ये नमक आता है । ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यह नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिन्धु नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के कोहाट ज़िले से आया करता था जो अब पाकिस्तान में हैं । पश्चिमोत्तरी पंजाब में नमक कोह (यानि नमक पर्वत) नाम की मशहूर पहाड़ी श्रृंखला है जहाँ से यह नमक मिलता है । आजकल पीसा हुआ भी नमक मिलने लगा है ।
🚩 सेंधा नमक के फ़ायदे-
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय (alkaline) है । क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल(उदासीन) हो जाता है और रक्त से अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।
🚩 ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते हैं तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
🚩 सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है । सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
🚩 यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
🚩 समुद्री नमक के भयंकर नुकसान-
ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है क्योंकि इसमें पहले से ही आयोडीन होता है । अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमें कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डालकर पूरे देश को बेच रही हैं । जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियों का प्रवेश हमारे शरीर में हो रहा है । ये नमक मानव द्वारा फैक्ट्रीयों में निर्मित है।
🚩 आम तौर में उपयोग में लाये जाने वाले समुद्री नमक उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनते हैं । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ़ने से ये सब 48 रोग आते हैं । ये नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता, हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंततः किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
🚩 ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते हैं लेकिन बीमारियां निश्चित रूप से साथ मे मिल जाती हैं !
🚩 रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नहीं है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लॉकेज होने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गंठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक के कारण पानी की जरुरत ज्यादा होती है । 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है । यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
🚩 प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
🚩 आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है । बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। आयोडीन लद्दाख को छोड़ कर भारत के सभी स्थानों के जल में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है । अतः स्वास्थ्य के लिए आज से सेंधा नमक खाना शुरू करें।
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khabaruttarakhandki · 4 years
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Covid-19 in India: रेमडेसिविर और फेवीपिराविर नहीं हैं कोविड- 19 की लड़ाई में गेम चेंजर दवाएं: विशेषज्ञ
सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
भारत में कोरोना दवाओं को मंजूरी पर एक्सपर्टस बोले- गेम चेंजर कहना जल्��बाजी
रेमडेसिविर और फेवीपिराविर के जेनरिक संस्करण लाने की तैयारी में कंपनियां
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के इलाज में किसी दवा के खास प्रभावी होने का कोई सबूत नहीं
नई दिल्ली दवा कंपनियों द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर और फेवीपिराविर के जेनरिक संस्करण लाने की तैयारी है। इस बीच चिकित्सा विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में यह सकारात्मक कदम है लेकिन उन्होंने इन एंटीवायरल दवाओं को ‘पासा पलटने वाला’ कदम मानने को लेकर सावधान किया। दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स ने हल्के से मध्यम संक्रमण वाले कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए फैबीफ्लू ब्रांड नाम से एंटीवायरल दवा फेवीपिराविर पेश किया है, जबकि सिप्ला और हेटेरो को क्रमश ‘सिप्रेमी’ और ‘कोविफोर’ ब्रैंड नामों से रेमडेसिविर को पेश करने के लिए भारतीय महा दवा नियंत्रणक से मंजूरी मिल गयी है। सिप्ला ने रविवार को सिप्रेमी को लॉन्च करने की घोषणा की। कोरोना की पहली आयुर्वेदिक दवा लॉन्च करेंगे बाबा रामदेव, पतंजलि ने तैयार की दवा
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फार कम्युनिटी मेडिसीन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि अबतक कोई प्रभाव उपचार या कोरोना वायरस से लड़ने का टीका नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘अबतक हमारे पर इस बात का सबूत नहीं है कि कोई खास दवा प्रभावी है, इसलिए तब तक हम किसी दवा को पासा पलटने वाला नहीं कह सकते। इन दवाओं को लांच किए जाने के साथ ही भविष्य में यह स्पष्ट होगा कि वे कितनी कारगर होंगी। क्या वे कोविड-19 के उपचार में सहायक भूमिका निभा सकती हैं, यह भी अभी तक पता नहीं है।’ कोरोना की एक और दवा को भारत में मंजूरी, साबित हो सकती है ‘गेमचेंजर
फोर्टिस अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलोजी ऐंड स्लीप डिसओर्डर के निदेशक डॉ. विकास मौर्या ने कहा कि रेमडेसिविर और फेवीपिराविर कोई पासा पलटने वाला नहीं है, क्योंकि वे अन्य बीमारियों में इस्तेमाल में लाई जाती हैं। अब वे कुछ हद तक कोविड-19 के मरीजों के उपचार में उपयोगी पायी गयी हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि जो ये दवाइयां लेंगे जो वे ठीक हो जाएंगे।’
मौर्या ने कहा कि यह जरूर पाया गया है कि वे वायरस का असर कुछ कम कर देती हैं लेकिन वे पासा पलटने वाली नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘हां, यह सकारात्मक घटनाक्रम है, क्योंकि कुछ न होने से बेहतर है कि हाथ में कुछ हो। मनोवैज्ञानिक असर भी है कि कुछ दिया जा रहा है जिसका कुछ लाभ हो सकता है।’
कोरोना: इलाज के लिए भारत में आ गई तीसरी दवाभारत में कोरोनावायरस पर लगाम लगाने के लिए अब मार्केट में एक के बाद एक दवा आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। पहले ग्लेन फार्मा ने कोरोना की दवा पेश की इसके बाद हेटरो लैब्स ने और अब तीसरी दवा मुंबई की सिप्ला कंपनी ने कोरोना मरीजों के लिए दवा पेश की है।
मैक्स अस्पताल के इंटरनल मेडिसीन के असोसिएट निदेशक डॉ. रोम्मल टिक्कू ने भी मौर्या जैसी ही राय प्रकट की। टिक्कू ने कहा, ‘इन दवाओं पर जो भी अध्ययन किए गए हैं वे बहुत सीमित हैं इसलिए उन्हें पासा पलटने वाला नहीं कहा जा सकता, लेकिन उनका लॉन्च एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि कुछ भी नहीं से बेहतर कुछ होना है।’ कुछ अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी ऐसी ही बात कही।(यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।)
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sgtechs-in · 7 years
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What is GST ? Advantages & Disadvantages ! The Story in Layman Terms
Continuous Reading in English Click Now Select Language
जीएसटी - माल और सेवा कर: 1 जुलाई 2017 से लागू - पेशेवरों और विपक्ष! अंत में, सरकार 1 जुलाई को जीएसटी शुरू कर रही है। यह अप्रत्यक्ष करों के मामले में पूरे परिदृश्य को बदलने वाला है। यह एक बहुत लंबे समय से लंबित मुद्दा था जो आखिरकार एक कार्रवाई में आया था। जीएसटी एक एकल कर है जो कई अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों के बजाय लागू किया जाएगा। यदि आपके पास कोई व्यवसाय है तो आपको वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी और कस्टम ड्यूटी के अलावा किसी प्रकार के करों का भुगतान करने की आवश्यकता है, इन सभी करों को अप्रत्यक्ष कर कहते हैं और इन सभी में केंद्रीय और राज्य सरकार करों को बदल दिया जाएगा। जीएसटी द्वारा जैसा कि नाम जीएसटी (माल और सेवा कर) का सुझाव दिया गया है, यह अप्रत्यक्ष कर सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होगा। जीएसटी का भुगतान कौन करेगा? 20 लाख से कम कारोबार वाले लोग जीएसटी के लिए जरूरी पंजीकरण नहीं करते हैं और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह सीमा 10 लाख है। यदि आप पहले से ही वैट या किसी अन्य कर के तहत पंजीकृत हैं, तो आपको जीएसटी पर पंजीकरण करने की जरूरत है। यदि आप किसी भी वेबसाइट के माध्यम से किसी भी सामान बेच रहे हैं या किसी भी सेवा प्रदान कर रहे हैं तो आपके लिए भी जीएसटी अनिवार्य है। जीएसटी के फायदे: यह 17-20 अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा और करदाता प्रक्रिया को सरल करेगा संपूर्ण भारतीय बाजार एकीकृत बाज़ार होगा आपूर्तिकर्ताओं, निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं, टैक्स क्रेडिट के रूप में इनपुट लागत पर किए गए जीएसटी को पुनर्प्राप्त करने में सक्षम हैं, इससे व्यापार करने की लागत कम हो जाएगी, जिसका अर्थ यह उपभोक्ता के लिए उचित मूल्य देगा। जीएसटी अधिक पारदर्शिता लाएगा और यह भ्रष्टाचार मुक्त कर प्रशासन करेगा। अधिक व्यापारिक संस्था टैक्स सिस्टम के तहत आएगी, इस प्रकार कर आधार को चौड��ा कर दिया जाएगा। इससे बेहतर और अधिक कर राजस्व संग्रहण हो सकता है। जीएसटी जीएसटीएन द्वारा समर्थित है जो जीएसटी के सभी पहलुओं से निपटने के लिए पूरी तरह से एक एकीकृत कर मंच है। जिन कंपनियां अपरिचित क्षेत्र में हैं, वे कर व्यवस्था के तहत आ जाएंगे। जीएसटी प्रणाली में, जब सभी कर एकीकृत हो जाते हैं, तो यह संभव होगा कि उत्पादन और सेवाओं के बीच कराधान बोझ को समान रूप से विभाजित किया जाए। जीएसटी के नुकसान विनिर्माण खंड में लघु व्यवसाय जीएसटी कार्यान्वयन के सबसे अधिक जोखिम में होगा। 1.50 करोड़ रुपए के कारोबार के साथ मौजूदा एक्साइज कानून कारोबार के तहत उत्पाद शुल्क का भुगतान करना है लेकिन जीएसटी के तहत यह सीमा 20 लाख कर दी गई है जो एसएमई के निर्माण के लिए कर का बोझ बढ़ जाएगा। कुछ अर्थशास्त्री के अनुसार, भारत में जीएसटी अचल संपत्ति बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यह नए घरों की लागत से 8% तक की वृद्धि करेगा और 12% जीएसटी की कार्यान्वयन की तारीख जुलाई 1, 2017 है, जो वर्ष के मध्य है और सिर्फ एक दिन में एक टैक्स संरचना से दूसरे को पार करना असंभव है, इसलिए कारोबार दोनों तरह के टैक्स सिस्टम को समानांतर में चला जाएगा जो इतने सारे भ्रम। कुछ खुदरा उत्पादों जैसे कपड़ों और कपड़ों में वर्तमान में केवल 4% कर होता है लेकिन जीएसटी के बाद यह और अधिक महंगा हो जाएगा। जीएसटी को उन सभी राज्यों में पंजीकरण कराने की आवश्यकता है जो वे खोल रहे हैं। इससे अनुपालन के बोझ में वृद्धि होगी। विमानन उद्योग पर विमानों पर सेवा करों पर असर पड़ेगा, वर्तमान में यह छह से नौ प्रतिशत तक है लेकिन जीएसटी के साथ यह पंद्रह प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। कुछ शुल्क आवेदन सूची कमोडिटी जीएसटी प्रतिशत दरें अनाज, फल, सब्जी, गुड़ (गुद), अनाज, चावल और गेहूं, मसाला, चाय, कॉफी, चीनी, सब्जी, सरसों का तेल, समाचारप्रतियां, कोयला और भारतीय मिठाई जैसी खाद्य वस्तुएं शून्य मोबाइल फ़ोन 12% मैनमेड फाइबर और यार्न 18% टीवी, फ्रिज, एसी, वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव, सॉफ्ट ड्रिंक्स और एयरेटेड पेय पदार्थ 28% सिगरेट 28% + 5% उपकर भारी बाइक, लक्जरी नौकाओं, निजी जेट 31% आयुर्वेदिक और होम्योपैथी चिकित्सा 12% अचार, टमाटर की चटनी, फलों की तरह पैक किए गए खाद्य पदार्थ 12% सेवाएं जीएसटी प्रतिशत दरें रेलवे (एसी) टिकट 5% शराब लाइसेंस के बिना गैर-एसी रेस्तरां 12% शराब लाइसेंस के साथ एसी रेस्तरां 18% मूवी टिकट को रु। 100 / - 18% रुपये से ऊपर की मूवी टिकट 100 / - 28% 5 सितारा होटल 28% एयरलाइंस (बिजनेस क्लास) 18% इस पर विस्तार से जानकारी जानने के लिए जीएसटी कर स्लैब (माल के लिए) आप यह पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर सकते हैं जीएसटी कर स्लैब (सेवाओं के लिए) आप यह पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर सकते हैं
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khabaruttarakhandki · 4 years
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Covid-19 in India: रेमडेसिविर और फेवीपिराविर नहीं हैं कोविड- 19 की लड़ाई में गेम चेंजर दवाएं: विशेषज्ञ
सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
भारत में कोरोना दवाओं को मंजूरी पर एक्सपर्टस बोले- गेम चेंजर कहना जल्दबाजी
रेमडेसिविर और फेवीपिराविर के जेनरिक संस्करण लाने की तैयारी में कंपनियां
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के इलाज में किसी दवा के खास प्रभावी होने का कोई सबूत नहीं
नई दिल्ली दवा कंपनियों द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर और फेवीपिराविर के जेनरिक संस्करण लाने की तैयारी है। इस बीच चिकित्सा विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में यह सकारात्मक कदम है लेकिन उन्होंने इन एंटीवायरल दवाओं को ‘पासा पलटने वाला’ कदम मानने को लेकर सावधान किया। दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स ने हल्के से मध्यम संक्रमण वाले कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए फैबीफ्लू ब्रांड नाम से एंटीवायरल दवा फेवीपिराविर पेश किया है, जबकि सिप्ला और हेटेरो को क्रमश ‘सिप्रेमी’ और ‘कोविफोर’ ब्रैंड नामों से रेमडेसिविर को पेश करने के लिए भारतीय महा दवा नियंत्रणक से मंजूरी मिल गयी है। सिप्ला ने रविवार को सिप्रेमी को लॉन्च करने की घोषणा की। कोरोना की पहली आयुर्वेदिक दवा लॉन्च करेंगे बाबा रामदेव, पतंजलि ने तैयार की दवा
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फार कम्युनिटी मेडिसीन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा कि अबतक कोई प्रभाव उपचार या कोरोना वायरस से लड़ने का टीका नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘अबतक हमारे पर इस बात का सबूत नहीं है कि कोई खास दवा प्रभावी है, इसलिए तब तक हम किसी दवा को पासा पलटने वाला नहीं कह सकते। इन दवाओं को लांच किए जाने के साथ ही भविष्य में यह स्पष्ट होगा कि वे कितनी कारगर होंगी। क्या वे कोविड-19 के उपचार में सहायक भूमिका निभा सकती हैं, यह भी अभी तक पता नहीं है।’ कोरोना की एक और दवा को भारत में मंजूरी, साबित हो सकती है ‘गेमचेंजर
फोर्टिस अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलोजी ऐंड स्लीप डिसओर्डर के निदेशक डॉ. विकास मौर्या ने कहा कि रेमडेसिविर और फेवीपिराविर कोई पासा पलटने वाला नहीं है, क्योंकि वे अन्य बीमारियों में इस्तेमाल में लाई जाती हैं। अब वे कुछ हद तक कोविड-19 के मरीजों के उपचार में उपयोगी पायी गयी हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि जो ये दवाइयां लेंगे जो वे ठीक हो जाएंगे।’
मौर्या ने कहा कि यह जरूर पाया गया है कि वे वायरस का असर कुछ कम कर देती हैं लेकिन वे पासा पलटने वाली नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘हां, यह सकारात्मक घटनाक्रम है, क्योंकि कुछ न होने से बेहतर है कि हाथ में कुछ हो। मनोवैज्ञानिक असर भी है कि कुछ दिया जा रहा है जिसका कुछ लाभ हो सकता है।’
कोरोना: इलाज के लिए भारत में आ गई तीसरी दवाभारत में कोरोनावायरस पर लगाम लगाने के लिए अब मार्केट में एक के बाद एक दवा आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। पहले ग्लेन फार्मा ने कोरोना की दवा पेश की इसके बाद हेटरो लैब्स ने और अब तीसरी दवा मुंबई की सिप्ला कंपनी ने कोरोना मरीजों के लिए दवा पेश की है।
मैक्स अस्पताल के इंटरनल मेडिसीन के असोसिएट निदेशक डॉ. रोम्मल टिक्कू ने भी मौर्या जैसी ही राय प्रकट की। टिक्कू ने कहा, ‘इन दवाओं पर जो भी अध्ययन किए गए हैं वे बहुत सीमित हैं इसलिए उन्हें पासा पलटने वाला नहीं कहा जा सकता, लेकिन उनका लॉन्च एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि कुछ भी नहीं से बेहतर कुछ होना है।’ कुछ अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी ऐसी ही बात कही।(यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।)
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