#आमलकी एकादशी 2024 तिथि
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आमलकी एकादशी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, और वसंत के आगमन का संदेश देने वाली आमलकी एकादशी इनमें से एक अत्यंत पवित्र त्योहार है। यह दिन आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य और परोपकार का संगम है, जहां श्रद्धालु वरदायिनी देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और पवित्र आमलकी फल का सेवन करते हैं। 2024 में, यह पावन पर्व 20 मार्च को मनाया जाएगा।
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*🌞~ आज दिनांक - 20 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी मध्य रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य रात्रि 10:38 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - अतिगण्ड शाम 05:01 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:47 से 02:18 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:43*
*⛅सूर्यास्त - 06:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 05:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:10 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - आमलकी एकादशी, पयोव्रत समाप्त*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹आमलकी एकादशी - 20 मार्च 2024🌹*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्र��ार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अध���क जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹पेठे का रस🔹*
*🔸सफेद पेठा (प्रचलित नाम – कुम्हड़ा, गुजराती – भूरूं कोहलु, मराठी – कोहळा, अंग्रेजी – Ash Gourd) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि भी है ।*
*🔸यह रस में शीतल, पित्त एवं वायु का शमन करनेवाला, शरीर पुष्टिकर, वजन बढ़ाने में सहायक एवं वीर्यवर्धक है ।*
*🔸यह अम्लपित्त (hyperacidity), शरीर की जलन, सिरदर्द, नकसीर (नाक से खून आना), टी.बी. के कारण कफ के साथ खून आना, खूनी बवासीर, मूत्र की रुकावट एवं जलन, नींद की कमी, प्यास की अधिकता, श्वेतप्रदर एवं अत्यधिक मासिक स्राव आदि पित्तजनित समस्याओं में अक्सीर औषधि है ।*
*🔸स्मरणशक्ति की कमी, पागलपन, मिर्गी आदि मानसिक समस्याओं, चर्मरोग, पुराना बुखार, शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी आदि में भी अत्यंत लाभदायी है ।*
*🔸आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार यह कैल्शियम, आयरन, जिंक एवं मैग्नेशियम का अच्छा स्रोत है । इसमें निहित एंटी ��क्सीडेंट मधुमेह (diabetes), उच्च रक्तचाप (High B.P.), कैंसर आदि रोगों से सुरक्षा करने में सहायक है ।*
*🔸सेवन-विधि : 15 से 25 मि.ली. रस सुबह खाली पेट लें ।*
*🔹सावधानी - सर्दी, जुकाम, दमा (asthma) आदि कफ-संबंधी समस्याओं में तथा भूख कम लगती हो तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।*
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Rangbhari Ekadashi 2024: रंगभरी एकादशी के दिन क्यों नहीं करना चाहिए ये कार्य, जानिएRangbhari Ekadashi 2024: हर माह में दो बार एकादशी की तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी कहा जाता है।
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Rangbhari Ekadashi 2024: रंगभरी एकादशी के दिन कैसे करें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजाRangbhari Ekadashi 2024: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस एकदशी तिथि को रंगभरी एकदशी और आमलकी एकदशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है
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Rangbhari Ekadashi 2024: रंगभरी एकदशी के दिन भगवान विष्णु को किन चीजों का लगाएं भोग जानिएRangbhari Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का अधिक महत्व है। हर माह में दो एकादशियां तिथियां होती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
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*🌞~ आज दिनांक - 19 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी मध्य रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 08:10 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - श��भन शाम 04:37 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*⛅राहु काल - शाम 03:49 से 05:20 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:44*
*⛅सूर्यास्त - 06:50*
*⛅दिशा शूल - उत्तर*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:09 से 05:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:11 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:23 से 01:12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - फाल्गुन दशमी (ओड़िशा)*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹आमलकी एकादशी - 20 मार्च 2024🌹*
*🌹फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में यदि पुष्य नक्षत्र से युक्त एकादशी हो तो वह महान पुण्य देनेवाली और बड़े बड़े पातकों का नाश करनेवाली होती है । इस दिन आँवले के वृक्ष के पास जाकर वहाँ रात्रि में जागरण करना चाहिए । इससे मनुष्य सब पापों से छुट जाता है और सहस्र गोदान का फल प्राप्त करता है ।*
*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*
*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*🔸होली की ४ महत्त्वपूर्ण बातें🔸*
*🔹१] पलाश के फूलों के रंग से होली खेलनी चाहिए । होली के बाद धरती पर सूर्य की सीधी तीखी किरणें पडती हैं, जिससे सप्तरंग और सप्तधातुओं में हलचल मच जाती है । अत: पलाश और गेंदे के फूलों का रंग हम होली पूर्णिमा और धुलेंडी को एक – दूसरे पर छिडकें तो वह सप्तरंग, सप्तधातुओं को संतुलित करेगा और हमें सूर्य की सीधी तीखी धूप पचाने की शक्ति मिलेगी ।*
*🔹२] होली के बाद के २० - २५ दिन नीम के २० - २५ कोमल पत्ते व १ - २ काली मिर्च खा लो या नीम के फूलों का रस १ – २ काली मिर्च का चूर्ण डालकर पी लो । इससे शरीर में ठंडक रहेगी और गर्मी झेलने की शक्ति आयेगी, पित्त-शमन होगा और व्यक्ति वर्षभर निरोग रहेगा ।*
*🔹३] होली के बाद १५ – २० दिनों तक बिना नमक का भोजन करें तो आपके स्वास्थ्य में चार चाँद लग जायें । बिना नमक का नहीं कर सकते तो कम नमकवाला भोजन करो ।*
*🔹४] अपने सिर को धूप से बचाना चाहिए । जो सिर पर धूप सहते हैं उनकी स्मरणशक्ति, नेत्रज्योति और कानों की सुनने की शक्ति क्षीण होने लगती है । ४२ साल के बाद बुढापा शुरू ��ोता है, असंयमी और असावधानीवालों का दिमाग कमजोर हो जाता है । गर्मियों में नंगे सिर धूप में घूमने से पित्त बढ़ जाता है, आँखें जलती हैं । अत: सिर को धूप से बचाओं, अपने को दुःखों से बचाओ, मन को अहंकार से बचाओ और जीवात्मा को जन्म-मरण से बचा के परमात्मा से प्रेम करना सिखा दो !*
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आज दिनांक - 01 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - कृष्ण
तिथि - षष्ठी पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र - स्वाती दोपहर 12:48 तक तत्पश्चात विशाखा
योग - ध्रुव शाम 06:15 तक तत्पश्चात व्याघात
राहु काल - सुबह 11:24 से दोपहर 12:52 तक
सूर्योदय - 07:01
सूर्यास्त - 06:43
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:12 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:16 तक
व्रत पर्व विवरण - माँ यशोदा जयन्ती
विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मार्च मास की योगों व तिथियाँ
01 मार्च : माँ यशोदा जयंती
03 मार्च : शबरी माता जयंती, श्रीनाथजी पाटोत्सव (नाथद्वारा), रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से सुबह 08:44 तक)
05 मार्च : समर्थ रामदासजी नवमी, स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती (ति.अ.), व्यतीपात योग (दोपहर 02:09 से 06 मार्च दोपहर 11:33 तक), दशमी क्षय तिथि ।
*06 मार्च : विजया एकादशी (स्मार्त)
07 मार्च : विजया एकादशी (भागवत)
08 मार्च : प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि व्रत, रात्रि जागरण, शिव-पूजन (निशीथकाल - रात्रि 12:13 से 01:01 तक) (प्रहर:- प्रथम - शाम 06:33 से, द्वितीय - रात्रि 09:35 से, तृतीय - मध्यरात्रि 12:37 से, चतुर्थ - 01 मार्च प्रातः 03:39 से) (पारणा : 01 मार्च सूर्योदय के बाद), विश्व महिला दिवस, पंचक (आरम्भ रात्रि 09:20)
09 मार्च : पंचक प्रारम्भ
10 मार्च : दर्श अमावस्या, फाल्गुन अमावस्या, द्वापर युगादि तिथि, पंचक
11 मार्च : पयोव्रत आरम्भ, चन्द्र-दर्शन (शाम 06:34 से रात्रि 07:42 तक), पंचक
12 मार्च : श्री रामकृष्ण परमहंस जयंती (ति.अ.), पंचक (समाप्त - रात्रि 08:29), तृतीया क्षय तिथि ।
13 मार्च : विनायक चतुर्थी
14 मार्च : षडशीति-मीन संक्रांति (पुण्यकाल - दोपहर 12:46 से सूर्यास्त तक)
15 मार्च : आचार्य सुंदर साहेब पुण्यतिथि (सच्चिदानंद सम्प्रदाय)
16 मार्च : होलाष्टक प्रारम्भ, जैन अट्ठाई प्रारम्भ
17 मार्च : संत दादू दयालजी जयन्ती
19 मार्च : ��ाल्गुन दशमी (ओड़िशा)
20 मार्च : आमलकी एकादशी, पयोव्रत समाप्त
21 मार्च : श्री गोविंद द्वादशी, जमशेदी नवरोझ
22 मार्च : प्रदोष व्रत, त्रयोदशी वृद्धि तिथि
24 मार्च : व्रत पूर्णिमा, हुताशनी पूर्णिमा, होलिका दहन, श्री हरि बाबा जयंती (ति.अ.)
25 मार्च : फाल्गुनी पूर्णिमा, वसंत पूर्णिमा, होली, धुलेंडी, धूलिवंदन, होलाष्टक समाप्त, जैन अट्ठाई समाप्त, श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती (ति.अ.), छाया चन्द्रग्रहण (भारत में नहीं दिखेगा, नियम पालनीय नहीं हैं ।)
26 मार्च : वसंतोत्सव प्रारम्भ, आम्रकुसुम-प्राशन
27 मार्च : संत तुकारामजी द्वितीया
28 मार्च : संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय- रात्रि 09:24), छत्रपति शिवाजी जयंती (ति.अ.)
29 मार्च : गुड फ्राइडे
30 मार्च : रंग पंचमी, व्यतीपात योग (रात्रि 10:47 से 31 मार्च रात्रि 09: 53 तक)
31 मार्च : संत एकनाथजी षष्ठी
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