#आदित्यतिवारीपिता
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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‘दुनिया की बेस्ट मां’ बना यह पिता, महिला दिवस पर किया जाएगा सम्मानित
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चैतन्य भारत न्यूज बेंगलुरु. 8 मार्च को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर बेंगलुरु में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें पुणे के आदित्य तिवारी को 'बेस्ट मॉम' के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। वेमपावर नाम के इस कार्यक्रम में आदित्य को अवॉर्ड ही नहीं दिया जाएगा बल्कि इसके साथ ही वह पैनल डिस्कशन का भी हिस्सा होंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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आदित्य तिवारी ने डाउन सिंड्रोम से पीड���ित एक बच्चे को गोद लिया था, जिसके लिए उन्होंने एक लंबी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ी। हालांकि, उनकी ममता के आगे सब हार गए। अब उन्हें ‘अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस’ पर देशभर की कई महिलाओं के साथ बेंगलुरु के एक इवेंट में World’s Best Mommy के टाइटल से सम्मानित किया जाएगा।
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बता दें, आदित्य ने अपने बेटे को सिंगल पैरेंट के रूप में गोद लिया था। वह 22 महीने के अवनीश को अडॉप्ट करने के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर देशभर में स्पेशल बच्चों के पेरेंट्स को काउंसिलिंग देने और मोटिवेट करने के काम में जुट गए। आदित्य ने बताया, ‘दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मम्मियों’ में से एक के रूप में सम्मानित होने पर खुश हूं और मैं दूसरों के साथ स्पेशल बच्चे को संभालने का अपना अनुभव बांटना चाहता हूं।'
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साल 2016 में अवनीश को लिया था गोद आदित्य ने साल 2016 में अवनीश गोद लिया था, जो डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त है। हालांकि, उसे अपना बेटा बनाने में आदित्य को एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। दरअसल उस वक्त कोई भी अविवाहित व्यक्ति तभी बच्चे को गोद ले सकता था जब उसकी उम्र 30 वर्ष या उससे ज्यादा हो। आदित्य तब 25 वर्ष के थे। यानि कानूनन उन्हें बच्चा गोद नहीं मिल सकता था, पर आदित्य पीछे हटने वालों में से नहीं थे। उन्होंने इस नियम के खिलाफ न्यायिक लड़ाई लड़ी। करीब डेढ़ साल के संघर्ष के बाद वह अवनीश को घर लाने में सफल हुए। हालांकि, इस फैसले के कारण उन्हें पारिवारिक व सामाजिक विरोध भी सहना पड़ा।
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22 राज्यों में रह चुके हैं दोनों बाप-बेटे बाप-बेटे की यह जोड़ी 22 राज्यों में रह चुकी है। जहां उन्होंने लगभग 400 जगहों पर मीटिंग्स, वर्कशॉप्स, टॉक्स और कॉन्फ्रेंस कीं। आदित्य ने बताया कि ‘हम दुनियाभर के 10,000 पेरेंट्स से जुड़ें। साथ ही, हमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया, जहां intellectual disabilities के साथ जन्में बच्चों को संभालने पर बोलना था। क्या है डाउन सिंड्रोम डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है जिसके कारण बच्चों के दिमाग का विकास देरी से होता है। यह तब ‎होता है जब असामान्य सेल विभाजन के कारण क्रोमोसोम 21 की अतिरिक्त प्रति उत्पन्न होती है। बच्चों में ‎सीखने की अक्षमता का यह सबसे आम कारण होता है। जिससे बच्चों की सिखने की क्षमता कम हो जाती है इसके ‎परिणामस्वरूप हृदय और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार जैसे चिकित्सीय असामान्यताएं भी हो ‎सकती हैं। डाउन सिंड्रोम एक आजीवन विकार है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन बेहतर इलाज से निपटा जा सकते हैं। ये भी पढ़े... बच्चों के लापता होने के मामले में मध्यप्रदेश अव्वल, हर महीने 800 बच्चे हो रहे गुम जिस माता या पिता को बच्चे की कस्टडी न मिली हो, उसे रोजाना बच्चे से बात करने या मिलने का अधिकार : SC ये है विश्व का सबसे अनोखा देश, जहां 7 से अधिक बच्चे पैदा करने पर मां को दिया जाता है स्वर्ण पदक Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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‘दुनिया की बेस्ट मां’ बना यह पिता, महिला दिवस पर किया जाएगा सम्मानित
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चैतन्य भारत न्यूज बेंगलुरु. 8 मार्च को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर बेंगलुरु में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें पुणे के आदित्य तिवारी को 'बेस्ट मॉम' के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। वेमपावर नाम के इस कार्यक्रम में आदित्य को अवॉर्ड ही नहीं दिया जाएगा बल्कि इसके साथ ही वह पैनल डिस्कशन का भी हिस्सा होंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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आदित्य तिवारी ने डाउन सिंड्रोम से पीड़ित एक बच्चे को गोद लिया था, जिसके लिए उन्होंने एक लंबी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ी। हालांकि, उनकी ममता के आगे सब हार गए। अब उन्हें ‘अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस’ पर देशभर की कई महिलाओं के साथ बेंगलुरु के एक इवेंट में World’s Best Mommy के टाइटल से सम्मानित किया जाएगा।
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बता दें, आदित्य ने अपने बेटे को सिंगल पैरेंट के रूप में गोद लिया था। वह 22 महीने के अवनीश को अडॉप्ट करने के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर देशभर में स्पेशल बच्चों के पेरेंट्स को काउंसिलिंग देने और मोटिवेट करने के काम में जुट गए। आदित्य ने बताया, ‘दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मम्मियों’ में से एक के रूप में सम्मानित होने पर खुश हूं और मैं दूसरों के साथ स्पेशल बच्चे को संभालने का अपना अनुभव बांटना चाहता हूं।'
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साल 2016 में अवनीश को लिया था गोद आदित्य ने साल 2016 में अवनीश गोद लिया था, जो डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त है। हालांकि, उसे अपना बेटा बनाने में आदित्य को एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। दरअसल उस वक्त कोई भी अविवाहित व्यक्ति तभी बच्चे को गोद ले सकता था जब उसकी उम्र 30 वर्ष या उससे ज्यादा हो। आदित्य तब 25 वर्ष के थे। यानि कानूनन उन्हें बच्चा गोद नहीं मिल सकता था, पर आदित्य पीछे हटने वालों में से नहीं थे। उन्होंने इस नियम के खिलाफ न्यायिक लड़ाई लड़ी। करीब डेढ़ साल के संघर्ष के बाद वह अवनीश को घर लाने में सफल हुए। हालांकि, इस फैसले के कारण उन्हें पारिवारिक व सामाजिक विरोध भी सहना पड़ा।
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22 राज्यों में रह चुके हैं दोनों बाप-बेटे बाप-बेटे की यह जोड़ी 22 राज्यों में रह चुकी है। जहां उन्होंने लगभग 400 जगहों पर मीटिंग्स, वर्कशॉप्स, टॉक्स और कॉन्फ्रेंस कीं। आदित्य ने बताया कि ‘हम दुनियाभर के 10,000 पेरेंट्स से जुड़ें। साथ ही, हमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया, जहां intellectual disabilities के साथ जन्में बच्चों को संभालने पर बोलना था। ये भी पढ़े... बच्चों के लापता होने के मामले में मध्यप्रदेश अव्वल, हर महीने 800 बच्चे हो रहे गुम जिस माता या पिता को बच्चे की कस्टडी न मिली हो, उसे रोजाना बच्चे से बात करने या मिलने का अधिकार : SC ये है विश्व का सबसे अनोखा देश, जहां 7 से अधिक बच्चे पैदा करने पर मां को दिया जाता है स्वर्ण पदक Read the full article
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