#आत्मा को सत्य ज्ञान और शांति
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subhashdagar123 · 3 months ago
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chetnanandji · 2 months ago
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ईश्वर क्या है और क्या ईश्वर प्राप्ति करना चाहिए?
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मेरे अनुभव के अनुसार इस ब्रह्मांड में एक अद्वितीय तत्व है, यह तत्व हर वस्तु के भीतर व बाहर सभी जगह है! सभी निर्जीव वस्तुओं में अचेतन रूप में व सभी सजीव वस्तुओं में चेतन रूप में विराजमान है! यह तत्व नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सन��तन है! यह नाश रहित अर्थात अविनाशी तत्व है! जैसे मकड़ी एक-एक तार से सुंदर जाल बुनती है उसी प्रकार प्रकृति ने इसी चेतन तत्व के धागों से इस सुंदर सृष्टि का सृजन किया है! इस तत्व को ही ईश्वर, भगवान, आत्मा, परमात्मा, मन, राम, कृष्ण, शिव, वाहेगुरु, अल्लाह आदि विभिन्न नामों से पुकारा या जाना जाता है क्योंकि यह तत्व हर प्राणी के भीतर है इसलिए जीव को ही शिव व शिव को ही जीव कहा जाता है अर्थात ईश्वर ही जीव है व जीव ही ईश्वर है। जब व्यक्ति "मैं कौन हूं?" विचार पर साधना पूर्ण करता है तो पाता है कि मैं ईश्वर हूं व जब ईश्वर कौन है? विचार लेकर साधना करता है तब वह जान पाता है कि मैं ही ईश्वर हूं! ईश्वर जीव से अलग कोई व्यक्तित्व नहीं है! हर जीव ही ईश्वर है व ईश्वर ही जीव है! बस सभी में जागरूकता का फर्क है! व्यक्ति ज्यों ज्यों साधना की गहराई में पहुंचता है त्यों त्यों जागरूकता अर्थात ज्ञान का उदय होता है व एक दिन अंधकार अर्थात अज्ञान पूर्ण रूप से खत्म होकर सत्य को प्रकट कर देता है व सत्य ही ईश्वर है।
ईश्वर प्राप्ति क्या है?
विभिन्न संतों द्वारा ईश्वर प्राप्ति के विभिन्न नाम रखे गए हैं जैसे आत्म साक्षात्कार, आत्मज्ञान, परमात्मा मिलन, निर्वाण या मोक्ष की स्थिति आदि! यह सभी एक ही स्थिति के नाम है! जब व्यक्ति विभिन्न साधनों द्वारा अपने मन को निर्मल कर लेता है तो यह पूर्ण निर्मल मन की स्थिति ही ईश्वर प्राप्ति है! जब तक मन में कामनाओं व वासानाओं रूपी मेल है तब तक बुद्धि सभी चीजों को विभिन्न रूपों में बांटती रहती है यह अज्ञान है व अज्ञान ही दुख, भ्रम व चिंता को जन्म देता है! लोभ, क्रोध, अभिमान, दुविधा, इर्ष्या, भय ये सब इसी अज्ञान की संतान है! साधनाओं द्वारा इस अज्ञान का समूल नाश करना ही साधक का लक्ष्य होता है। जब ज्ञान का उदय होता है तब मन पूर्ण पवित्र हो जाता है क्योंकि ज्ञान ही पवित्र करने वालों में श्रेष्ठ है व जब मन पूर्ण निर्मल हो जाता है वह स्थिति परम शांति दायक, परम आनंद दायक व परम ज्ञानी की स्थिति होती है। इसी को ही ईश्वर प्राप्ति, आत्म साक्षात्कार या निर्वाण कहा जाता है!
ईश्वर प्राप्ति का महत्व
बुद्धि ने सत्य को विषय और वस्तु (द्वेत) में विभाजित कर दिया है जिससे हर पल विचार उत्पन्न हो रहे हैं एवं मनुष्य विचलित रहता है व भावनाओं में बंधा हुआ खंडित होता ही रहता है और लालच, मोह और तृष्णा की पकड़ उस पर बढ़ती रहती है! जन्म से वृद्धा अवस्था के चक्कर में बीमारी ��र मृत्यु का भय उसके मन के चारों ओर बनी दीवारों को और प्रबल करता जाता है। इसलिए इस भ्रम को ही दूर करना जरूरी है। जब एक बार ये द्वेतका भ्रम टूट गया तो व्यक्ति स्वतंत्र होकर जीने लगता है! वह पूर्ण एकाग्र व पूर्ण जागरूक होकर पूर्ण ज्ञान व परम आनंद को प्राप्त करता है। ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार का रास्ता सब कुछ पाने का विज्ञान है! इस रास्ते पर चलने से व्यक्ति ना की अलौकिक जीवन में बल्कि भौतिक जीवन में भी कामयाबी की सर्वोत्तम ऊंचाइयों को छूता है! ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार के प्रयास के लिए मनुष्य को ना तो घर छोड़ने की जरूरत है व ना ही व्यवसाय बदलने की जरूरत है क्योंकि यह यात्रा बाहरी नहीं भीतरी है! आप अपने गृहस्थी व व्यवसाय को करते हुए भी स्व अनुशासन की साधना द्वारा ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार कर सकते हैं।
निष्कर्ष
व्यक्ति अज्ञान अवस्था में खुद को नहीं जान पा रहे हैं। इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को पाकर जो इसी जीवन में मन को निर्मल करने की चेष्टा व प्रयास नहीं करता उसका जन्म लेना ही बेकार ��ै। तुम खुद ही कल्पवृक्ष हो, आप जो चाहो वैसा पा सकते हो। आप अपने अभी तक के जीवन को ध्यान से देखो तो ऐसा लगेगा कि आपने आपका पूरा जीवन व्यर्थ ही गवा दिया है। चैक करो कि अब तक आपने क्या उल्लेखनीय कार्य किया है जिस पर आप खुद, आपका परिवार, आपका देश आप पर गर्व कर सके। इसलिए मेरे दोस्तों, हर बड़े काम की शुरुआत कभी ना कभी छोटे से ही करनी पड़ती है। इसलिए आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसके साथ-साथ मन को निर्मल करने वाली इस शुभ यात्रा को शुरू करें व लोगों को भी इस यात्रा पर चलने के लिए उत्साहित करें।
उदाहरण
जब किसान अपने खेत की सिंचाई करना चाहता है, तो उसे किसी अन्य स्थान से पानी लाने की आवश्यकता नहीं होती। खेत के समीप जलाशय में पानी जमा हो जाता है, बीच में बांध होने के कारण खेत में पानी नहीं आ रहा है। किसान बांध को हटा देता है और गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार पानी अपने आप खेत में चला जाता है। इसी प्रकार सभी प्रकार की उन्नति और शक्ति सभी मनुष्य में पहले से ही निहित है। पूर्णता मनुष्य का स्वभाव है; केवल उसके द्वार बंद हैं, उसे अपना सच्चा मार्ग नहीं मिल रहा है। यदि कोई इस बाधा को पार कर सके, तो उसकी स्वाभाविक पूर्णता उसकी शक्ति के बल पर अभिव्यक्त होगी। और तब मनुष्य अपने भीतर पहले से ही विद्यमान शक्तियों को प्राप्त कर लेता है। जब यह बाधा दूर हो जाती है और प्रकृति अपनी अप्रतिबंधित गति को पुनः प्राप्त कर लेती है, तब जिन्हें हम पापी कहते हैं, वे भी ��ंत बन जाते हैं। प्रकृति स्वयं हमें पूर्णता की ओर ले जा रही है, समय आने पर वह सभी को वहां ले जाएगी। धार्मिक होने के लिए जो भी अभ्यास और प्रयास हैं, वे केवल प्रतिबंधात्मक कार्य हैं - वे केवल बाधा को दूर करते हैं और इस प्रकार पूर्णता का द्वार खोलते हैं जो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है; जो हमारा स्वभाव है!
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spritiual · 11 months ago
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आत्मज्ञान: अपने असली रूप को समझने का सफर
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आत्मज्ञान, या सेल्फ-रियलाइजेशन, अपने असली स्वरूप और महत्व को समझने की अंतिम उपलब्धि है। यह एक गहरी आध्यात्मिक जागरूकता है जो भौतिक दुनिया की सीमाओं को पार करके हमें अंतर्मुखी और परमात्मा में जोड़ती है। आत्मज्ञान को हासिल करना सिर्फ एक लक्ष्य नहीं है; यह एक परिवर्तनात्मक सफर है जो अंतर्निहित शांति, ज्ञान, और पूर्णता की ओर ले जाता है।
आत्मज्ञान का अर्थ
आत्मज्ञान वह अनंत सत्य की सही अनुभूति है जिससे हमें यह ज्ञात होता है कि हम केवल भौतिक जीवों नहीं हैं, बल्कि आत्मा हैं जो अस्थायी शरीरों में निवास करती है। यह हमें ब्रह्मांड के साथ हमारे संबंध की अनुभूति कराता है और हमें हमारे अंतरात्मा के साथ जोड़ता है। आत्मज्ञान जीवन को स्पष्टता, उद्दीपन, और दिशा प्रदान करता है, जिससे हम संघर्षों के साथ भी आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
आत्मज्ञान प्राप्त करने के तरीके
स्व-विचार और ध्यान: नियमित स्व-विचार और ध्यान हमें अपने आंतरिक खुद की ओर खींचने और हमारे उच्चतम चेतना से जुड़ने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करते हैं। चुप्पी और शांति के माध्यम से, हम मन को शांत कर सकते हैं और हमारे असली स्वरूप में दर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
शास्त्रों और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन: प्राचीन शास्त्रों और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना, जैसे कि भगवद गीता, उपनिषद, और प्रबुद्ध गुरुओं की शिक्षाएं, गहरा ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।
योग और प्राणायाम का अभ्यास: योग और प्राणायाम के अभ्यास से हम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर में ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित करते हैं और हमारे अंतर्मुखी आत्मा (कुंडलिनी) को जाग्रत करते हैं।
सेवा और निःस्वार्थ कार्य: स्वार्थहीन सेवा (सेवा) और दूसरों के प्रति दया के कार्य में लगने से हम कृपा, प्रेम, और संबंध में गहराई बढ़ाते हैं, जिससे हमारे असली स्वरूप की गहराई में समझ पाते हैं।
गुरु का मार्गदर्शन: हमें अपने आध्यात्मिक सफर पर हमें गाइड करने के लिए आध्यात्मिक गुरु या गुरु की आवश्यकता होती है। गुरु का ज्ञान, शिक्षा, और आशीर्वाद हमें आत्मज्ञान की ओर गति प्रदान करते हैं और जीवन के जटिलताओं के बीच स्पष्टता प्रदान करते हैं।
आत्मज्ञान के लाभ
आंतरिक शांति और समानता: आत्मज्ञान अंतर्निहित शांति और समानता लाता है, जिससे हम मन की उतार-चढ़ाव को पार कर सकते हैं और जीवन की चुनौतियों के बीच शांति का अनुभव कर सकते हैं।
दुःख से मुक्ति: अपने असली स्वरूप के रूप में हम जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्त हो जाते हैं और विश्ववादी दुःख से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करते हैं।
स्वयं की अधिक संवेदनशीलता: आत्मज्ञान अधिक संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे हम अपने विचारों, भावनाओं, और कार्यों को गहराई से समझते हैं और अपने उच्चतम सत्य के साथ संगत चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
दिव्य संयोग: आत्मज्ञान अपने दिव्य चेतना के साथ अपने व्यक्तिगत आत्मा (आत्मा) का योग (योग) अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है।
पूर्णता और उद्दीपन: अंततः, आत्मज्ञान जीवन को एक अर्थपूर्ण, उद्दीपनपूर्ण, और ध्यान की ओर प्रेरित करता है, जिससे हम अपनी उच्चतम संभावना की ओर और अनंत आनंद और स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं।
समापन के रूप में, आत्मज्ञान न केवल एक गंतव्य है बल्कि एक लगातार स्व-अन्वेषण, विकास, और परिवर्तनात्मक सफर है। आध्यात्मिक अभ्यास, प्रबुद्ध व्यक्तियों से मार्गदर्शन लेना, और प्रेम, करुणा, और ज्ञान के गुणों को बढ़ावा देने से, हम इस गहरे सफर पर प्रारंभ कर सकते हैं और हमें आत्मज्ञान की अद्वितीय खुशियों और स्वतंत्रता का अनुभव होगा।
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ianilraj01 · 3 days ago
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श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी, आचार्य सत्येंद्र दास जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है साथ ही मेरे निजी जीवन के लिए भारी क्षति है।
��ुझे निजी जीवन में परिवार के एक बड़े और वरिष्ठतम अभिभावक के तौर पर उनका स्नेह, संरक्षण और मार्गदर्शन लगातार प्राप्त होता रहा है।
वे संपूर्ण जीवन श्री रामलला की सेवा, भक्ति और धर्म की रक्षा के प्रति समर्पित रहे।
उनकी आध्यात्मिक साधना, धर्म पर गहरी पकड़ और सनातन संस्कृति के प्रति अटूट निष्ठा ने उन्हें न केवल अयोध्या बल्कि समस्त हिंदू समाज में एक पूजनीय संत के रूप में स्थापित किया है।
उनका योगदान श्री राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर रामलला के पुनर्स्थापन तक अविस्मरणीय रहेगा।
उनकी मधुर वाणी, ज्ञान की गहराई, और भक्ति की ऊर्जा ने असंख्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया है।
उनकी अनुपस्थिति से अयोध्या और समस्त भक्त समुदाय में एक अपूरणीय शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे कभी भी भर पाना असंभव है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि वे मेरे पूज्य आचार्य सत्येंद्र दास जी की पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार, भक्तों तथा अनुयायियों को इस कठिन समय में धैर्य एवं संबल प्रदान करें।
उनका आशीर्वाद और शिक्षा सदैव हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे।
ॐ शांति...🙏
#AcharyaSatyendraDas
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indrabalakhanna · 16 days ago
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Shraddha TV Satsang 29-01-2025 || Episode: 2820 || Sant Rampal Ji Mahara...
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
#GodMorningWednesday
#WednesdayMotivation
#wednesdaythought
🥀🕊🕊🕊🌺🌸🌺🥀
*पास रहँदा प्रदेश प्रीतम,है महबूब सलोना वो! एक पलक में साहेब मेरा फिरता चौदहा भुवना वो!!
💞💖💞💖💞💖💞💖💞
𝐌ᴇʀᴇ 𝐆ᴜʀᴜᴅᴇᴠ 𝐁ʜᴀɢᴡᴀɴ
🙏🙇‍♂️🙏🙇‍♂️🙏🙇‍♂️🙏🙇‍♂️🙏
Sant Rampal Ji Maharaj On YouTube Channel
💞जाकै अर्ध रोम पर सकल पसारा💞ऐसा पूर्ण ब्रह्म हमारा💞🥰
🤲🏻📿🪷
#हिन्दूसाहेबान_नहीं_समझे_गीता_वेद_पुराण
🎋��वश्य जानिए! पवित्र📙
श्रीमद्भागवत गीता और पवित्र📚 वेदों का वास्तविक सार क्या है?
⏩अवश्य पढ़ें! पवित्र पुस्तक हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता,वेद, पुराण
🙏👁👁🙏⏬
Factful Debates On YouTube Channel
#सत_भक्ति_संदेश
📙ब्रह्म का साधक ब्रह्म को तथा पूर्ण ब्रह्म का साधक पूर्ण ब्रह्म को ही प्राप्त होता है!
📙��्रीमद्भगवद्गीता
📚
आध्यात्मिक ज्ञान की सत्यता और गहराई जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक📙हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण 7496801822 बुक PDF पाएं, मैसेज करें!
#KabirIsGod
#SaintRampalJi
👑पूर्ण परमात्मा कबीर जी की वाणी है_
#सत_भक्ति_संदेश
*कलयुग मध्य सतयुग लाऊँ तांते बंदीछोड़ कहाऊँ! अमर करूँ सतलोक पठाऊँ, तांते बंदीछोड़ कहाऊँ"!!* #God #Kabir
📕सामवेद📕 #Scriptures #Vedas
⏩सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकते हैं!
@SatKabir_
👑Kabir Is God
🐦संत गरीबदास जी की वाणी_
🥀🥀🥀🥀🥀
*गेबी ख्याल विशाल सतगुरु,अचल दिगंबर थीर है! भक्ति हेत काया धर आये,अविगत सत कबीर है!!*
*हरदम खोज हनोज हाजिर, त्रिवेणी के तीर है ! दास गरीब तबीब सतगुरु बंदीछोड़ कबीर है!!*
📕यजुर्वेद📕⏬
*कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक है!कबीर परमात्मा संपूर्ण रूप से शांति दायक है! यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में इस सत्य का प्रमाण मिलता है!*
#TrueGuru
🥰जगतगुरु तत्वदर्शी संत_ बंदीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज की जय हो! जय हो ! जय हो!🥰
♻️आपकी सोई आत्मा को जगा के रख देंगी सच्ची आत्मकथाएं!
🙏👁👁🙏⏬
SA True Story On YouTube Channel
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anjanagupta1968 · 2 months ago
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क्रिसमस दिवस पर जानिए ईसा मसीह और परमेश्वर की सच्चाई। बाइबिल के अनुसार, यीशु मसीह परमेश्वर के पुत्र थे, न कि स्वयं परमेश्वर। वे मानव रूप में आए थे और उनका जन्म और मृत्यु हुआ था। जबकि सत्य यह है कि परमेश्वर का नाम 'कबीर' है, जैसा कि पवित्र वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से उल्लेख है। कबीर साहेब लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे और उनका उद्देश्य सत्य, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति थी। कबीर साहेब ही असल परमेश्वर हैं, और उनके ज्ञान से आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है; bit.ly/3juvvEY
#christmas2024 #Christmas    #christmastree #merrychristmas   
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mangesh1982 · 2 months ago
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#फिल्म_सीरियल_की_लतसे_छुटकारा
#satsang #addiction #recovery #reels #fbreels #addictionisreal #help #spiritual #recoveryispossible #films #vulgarity #changeyourlife #addict
#SantRampalJiMaharaj
🎬संत रामपालजी महाराज बतातें है की फिल्मे ही सामाजिक पतन का कारण है, फिल्मों में अश्लील दृश्य, अभद्रता और अश्लीलता दिखाई जाती है। ऐसी चीज़ें मन को दूषित करती हैं और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में बाधक होती हैं।
🎬बच्चों में स्क्रीन के सामने बैठकर कार्टून देखने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जो निष्क्रियता और गतिहीन जीवनशैली के कारण होती हैं। इनमें मोटापा, दृष्टि संबंधी समस्याएं और गलत खान-पान की आदतों के कारण पोषण संबंधी कमियां शामिल हैं जिससे बच्चे का आजीवन स्वस्थ ख़राब रहता है, कार्टून आदि दिखाने की जगह अपने बच्चों को सत्संग सुनाएँ जिससे वे संयमी होंगे व् उनका मानसिक व् भावनात्मक विकास होगा।
🎬अपने बच्चों को समाज में फैली अश्लीलता से बचाने के लिए प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को फिल्मों व् कार्टून आदि से हटाकर, सत्संग में ले जाना चाहिए, उन्हें एक पूर्ण संत से जोड़ देना चाहिए अर्थात नाम दीक्षा दिला देनी चाहिए, जिससे सच्चे अध्यात्मिक ज्ञान को अपनाकर और सतमार्ग पर चलकर वे अश्लीलता जैसे विकारों और उसके नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
🎬फिल्में, नाटक व् कार्टून आदि देखने में मनुष्य ना सिर्फ अपना अमूल्य समय बर्बाद करता है साथ ही उसका नैतिक पतन भी होता है, फिल्मो के कारण ही युवा अपने भविष्य और करियर को भी बर्बाद कर देते हैं, फिल्मो की जगह हमे सत्संग सुनने चाहिए जिससे समाज में नैतिक मूल्य, संस्कार और शालीनता बनी रहेगी।
🎬फिल्मों व् नाटकों के कारण समाज में अश्लीलता तेज़ी से फैलती जा रही है। असभ्य व्यवहार, अभद्रता, ऊल-जलूल कपड़े पहनना, अर्ध नग्न होकर घूमना आदि इन फिल्मो के दुष्प्रभाव है जो आज के युवाओं में देखें जा सकते है। इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को इन फिल्मों व् नाटकों का बहिष्कार करना होगा, सभी अपने परिवार को सत्संग से जोड़े जिससे अश्लीलता और गंदे विचारों का नाश होगा और सभ्य समाज का निर्माण होगा।
🎬सांसारिक मनोरंजन के साधन जैसे फिल्में, नाटक, कार्टून जीवन के उद्देश्य से भटकाते हैं। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान ने उनके अनुयायियों को यह सिखाया कि भक्ति, सत्संग और सेवा ही सच्ची उन्नति का मार्ग है।
🎬 संत रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान उनके अनुयायियों के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आया है। उन्होंने फिल्मों, सीरियलों और अन्य सांसारिक मनोरंजन को त���याग दिया है, क्योंकि यह आत्मा की उन्नति में बाधक होते हैं। संत जी का ज्ञान यह समझाता है कि इन क्षणिक सुखों के पीछे भागने से मनुष्य अपने जीवन के मुख्य उद्देश्य, मोक्ष और ईश्वर की भक्ति से दूर हो जाता है।
🎬फिल्में, नाटक और कार्टून आत्मा की शांति में बाधक हैं। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से अनुयायी समझ गए हैं कि ये सब समय और संसाधनों की बर्बादी हैं। अब वे सत्संग और भक्ति में अपना समय लगाते हैं।
🎬संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से उनके अनुयायियों ने सांसारिक मनोरंजन जैसे फिल्मों, सीरियलों और कार्टूनों को त्याग दिया है। यह बदलाव उनके जीवन में आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर करता है, जहां सच्ची शांति और मोक्ष का मार्ग खुलता है। संत जी का ज्ञान यह सिखाता है कि इन चीजों में लिप्त रहना आत्मिक उन्नति में बाधा बनता है। अब उनके अनुयायी अपना समय भक्ति, सत्संग और सेवा जैसे सकारात्मक और उन्नत कार्यों में लगाते हैं। यह जीवन का सच्चा सुख और मोक्ष का आधार है।
🎬यह सत्य है कि हम अक्सर अपना समय ऐसी गतिविधियों जैसे फ़िल्में, नाटक, कार्टून देखने में व्यर्थ कर देते हैं जो हमें न तो आध्यात्मिक लाभ देती हैं और न ही आत्मिक शांति। यदि हम अपने समय का सही उपयोग करें और उसे भगवान की भक्ति, सत्संग, और सकारात्मक कार्यों में लगाएं, तो न केवल हमारे जीवन में शांति और संतोष आएगा, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
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dimpisuma · 2 months ago
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#फिल्म_सीरियल_की_लतसे_छुटकारा
 🎬संत रामपालजी महाराज बतातें है की फिल्मे ही सामाजिक पतन का कारण है, फिल्मों में अश्लील दृश्य, अभद्रता और अश्लीलता दिखाई जाती है। ऐसी चीज़ें मन को दूषित करती हैं और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में बाधक होती हैं।
🎬बच्चों में स्क्रीन के सामने बैठकर कार्टून देखने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जो निष्क्रियता और गतिहीन जीवनशैली के कारण होती हैं। इनमें मोटापा, दृष्टि संबंधी समस्याएं और गलत खान-पान की आदतों के कारण पोषण संबंधी कमियां शामिल हैं जिससे बच्चे का आजीवन स्वस्थ ख़राब रहता है, कार्टून आदि दिखाने की जगह अपने बच्चों को सत्संग सुनाएँ जिससे वे संयमी होंगे व् उनका मानसिक व् भावनात्मक विकास होगा।
🎬अपने बच्चों को समाज में फैली अश्लीलता से बचाने के लिए प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को फिल्मों व् कार्टून आदि से हटाकर, सत्संग में ले जाना चाहिए, उन्हें एक पूर्ण संत से जोड़ देना चाहिए अर्थात नाम दीक्षा दिला देनी चाहिए, जिससे सच्चे अध्यात्मिक ज्ञान को अपनाकर और सतमार्ग पर चलकर वे अश्लीलता जैसे विकारों और उसके नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
🎬फिल्में, नाटक व् कार्टून आदि देखने में मनुष्य ना सिर्फ अपना अमूल्य समय बर्बाद करता है साथ ही उसका नैतिक पतन भी होता है, फिल्मो के कारण ही युवा अपने भविष्य और करियर को भी बर्बाद कर देते हैं, फिल्मो की जगह हमे सत्संग सुनने चाहिए जिससे समाज में नैतिक मूल्य, संस्कार और शालीनता बनी रहेगी।
🎬फिल्मों व् नाटकों के कारण समाज में अश्लीलता तेज़ी से फैलती जा रही है। असभ्य व्यवहार, अभद्रता, ऊल-जलूल कपड़े पहनना, अर्ध नग्न होकर घूमना आदि इन फिल्मो के दुष्प्रभाव है जो आज के युवाओं में देखें जा सकते है। इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को इन फिल्मों व् नाटकों का बहिष्कार करना होगा, सभी अपने परिवार को सत्संग से जोड़े जिससे अश्लीलता और गंदे विचारों का नाश होगा और सभ्य समाज का निर्माण होगा।
🎬सांसारिक मनोरंजन के साधन जैसे फिल्में, नाटक, कार्टून जीवन के उद्देश्य से भटकाते हैं। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान ने उनके अनुयायियों को यह सिखाया कि भक्ति, सत्संग और सेवा ही सच्ची उन्नति का मार्ग है।
🎬 संत रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान उनके अनुयायियों के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आया है। उन्होंने फिल्मों, सीरियलों और अन्य सांसारिक मनोरंजन को त्याग दिया है, क्योंकि यह आत्मा की उन्नति में बाधक होते हैं। संत जी का ज्ञान यह समझाता है कि इन क्षणिक सुखों के पीछे भागने से मनुष्य अपने जीवन के मुख्य उद्देश्य, मोक्ष और ईश्वर की भक्ति से दूर हो जाता है।
🎬फिल्में, नाटक और कार्टून आत्मा की शांति में बाधक हैं। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से अनुयायी समझ गए हैं कि ये सब समय और संसाधनों की बर्बादी हैं। अब वे सत्संग और भक्ति में अपना समय लगाते हैं।
🎬संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से उनके अनुयायियों ने सांसारिक मनोरंजन जैसे फिल्मों, सीरियलों और कार्टूनों को त्याग दिया है। यह बदलाव उनके जीवन में आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर करता है, जहां सच्ची शांति और मोक्ष का मार्ग खुलता है। संत जी का ज्ञान यह सिखाता है कि इन चीजों में लिप्त रहना आत्मिक उन्नति में बाधा बनता है। अब उनके अनुयायी अपना समय भक्ति, सत्संग और सेवा जैसे सकारात्मक और उन्नत कार्यों में लगाते हैं। यह जीवन का सच्चा सुख और मोक्ष का आधार है।
🎬यह सत्य है कि हम अक्सर अपना समय ऐसी गतिविधियों जैसे फ़िल्में, नाटक, कार्टून देखने में व्यर्थ कर देते हैं जो हमें न तो आध्यात्मिक लाभ देती हैं और न ही आत्मिक शांति। यदि हम अपने समय का सही उपयोग करें और उसे भगवान की भक्ति, सत्संग, और सकारात्मक कार्यों में लगाएं, तो न केवल हमारे जीवन में शांति और संतोष आएगा, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
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samrathdagar · 3 months ago
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#astrology #karma #vastu #reels #trending #pitra
#Satlok
#SatlokAshram
गीता 4:34 में ज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाने का आदेश दिया गया है।
सनातन धर्म का सही स्वरूप क्या है और इसे कैसे समझा जाए?
भूत-प्रेत की पूजा क्यों वर्जित है? गीता और शास्त्रों का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करें।
अज्ञानी जन शास्त्र विरुद्ध साधना करके अपने जीवन को कष्टमय बना लेते हैं।
क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध और पितृ पूजा क्यों शास्त्र विरुद्ध हैं?
शास्त्रों में बताए गए मार्ग का अनुसरण ही आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान कर सकता है।
पितृ पूजा और भूत पूजा के परिणाम क्या हो सकते हैं?
जानें गीता और शास्त्रों के अनुसार सत्य
गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में गीता ज्ञान दाता ने शास्त्र सम्मत सा��ना करने का आदेश दिया है।
अज्ञानवश की गई साधना आत्मा के कल्याण में बाधक बनती है।
Factful Debates चैनल पर जानें सही भक्ति का मार्ग
गीता अध्याय 16 में साधना के तीन प्रकार बताए गए हैं। शास्त्र सम्मत साधना ही सही मार्ग है।
Factful Debates Youtube चैनल पर देखें सनातनी पूजा के पतन की कहानी भाग - 4
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chanderbali · 3 months ago
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#astrology #karma #vastu #reels #trending #pitra
#Satlok
#SatlokAshram
गीता 4:34 में ज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाने का आदेश दिया गया है।
सनातन धर्म का सही स्वरूप क्या है और इसे कैसे समझा जाए?
भूत-प्रेत की पूजा क्यों वर्जित है? गीता और शास्त्रों का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करें।
अज्ञानी जन शास्त्र विरुद्ध साधना करके अपने जीवन को कष्टमय बना लेते हैं।
क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध और पितृ पूजा क्यों शास्त्र विरुद्ध हैं?
शास्त्रों में बताए गए मार्ग का अनुसरण ही आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान कर सकता है।
पितृ पूजा और भूत पूजा के परिणाम क्या हो सकते हैं?
जानें गीता और शास्त्रों के अनुसार सत्य
गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में गीता ज्ञान दाता ने शास्त्र सम्मत साधना करने का आदेश दिया है।
अज्ञानवश की गई साधना आत्मा के कल्याण में बाधक बनती है।
Factful Debates चैनल पर जानें सही भक्ति का मार्ग
गीता अध्याय 16 में साधना के तीन प्रकार बताए गए हैं। शास्त्र सम्मत साधना ही सही मार्ग है।
Factful Debates Youtube चैनल पर देखें सनातनी पूजा के पतन की कहानी भाग - 4
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h1an2s3 · 3 months ago
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के उपलक्ष्य में लगी प्रदर्शनी के चित्र और धर्मग्रंथ, संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में, आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाने वाला एक आध्यात्मिक पथ प्रशस्त करते हैं।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर लगी दिव्य प्रदर्शनी चित्रों और धर्मग्रंथों की अद्भुत भाषा में संतों के अनुभवों को प्रदर्शित कर, आत्मा को परमात्मा के सच्चे ज्ञान के सागर में डुबा देती है।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर लगी प्रदर्शनी
चित्रों और धर्मग्रंथों के माध्यम से आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का रहस्य खोलती है।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी के आश्रमों में लगी प्रदर्शनी एक आध्यात्मिक उत्सव है, जो चित्रों और धर्मग्रंथों के माध्यम से हमें आध्यात्मिकता के विभिन्न आयामों से परिचित कराती है। यह प्रदर्शनी हमें वेद, गीता, कुरआन, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब के सार्वभौमिक सत्य को समझने में मदद करती है और हमें जीवन के अंतिम सत्य को खोजने में मदद करती है।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर लगी प्रदर्शनी संतों के जीवन और उपदेशों से ओत-प्रोत, आध्यात्मिक ज्ञान क�� एक अद्भुत संग्रह है, जो अद्वितीय चित्रों और शास्त्रीय प्रमाणों के माध्यम से, आत्मा को मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करती है।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दिव्य धर्म दिवस पर लगी प्रदर्शनी एक आध्यात्मिक पथ है, जो चित्रों और धर्मग्रंथों के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर कर, आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाती है।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर लगी प्रदर्शनी शास्त्रों के आधार पर सच्ची भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है, जिससे लोग परमात्मा के करीब आ सकते हैं।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर लगी प्रदर्शनी को इतने व्यवस्थित तरीके से लगाया जाता है कि आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर मन पर पड़ सके और प्रदर्शनी का माहौल इतना शांत और व्यवस्थित है कि मन शांत होकर सत्य को ग्रहण कर सके।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी के आश्रमों में लगाई गई प्रदर्शनी एक अद्भुत दृश्य है, जो चित्रों और धर्मग्रंथों के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान का भंडार प्रस्तुत करती है। यह प्रदर्शनी हमें वेद, गीता, कुरआन, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब के सार को समझने में मदद करती है।
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[20/11, 1:02 pm] +91 83078 98929: संत रामपाल जी महाराज के आश्रमों में लगी दिव्य प्रदर्शनी शास्त्रों के ज्ञान का एक प्रकाशस्तंभ है, जो लोगों को सच्ची भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती है।
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electronickittencrusade · 3 months ago
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"शांति और ज्ञान का संगम"
संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर आयोजित प्रदर्शनी में हर आत्मा को सत्य का बोध कराने की अनूठी व्यवस्था होती है।
इस प्रदर्शनी में आपका स्वागत है, जहां शांति, ज्ञान और आध्यात्मिकता का संगम देखने को मिलता है।
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indrabalakhanna · 3 months ago
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Shraddha TV Satsang | 28-11-2024 || Episode: 2758 || Sant Rampal Ji Mah...
*📯🙏बंदीछोड़ सतगुरु संन्त रामपाल जी महाराज जी की जय हो🙏📯*
♦♦♦
*28/11/2024
🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺
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📙📙📙
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🎉 गीता ज्ञान बताने वाले क्षर पुरुष (ब्रह्म) की भक्ति करनी चाहिए या नही?
🎉 गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गीता बोलने वाले प्रभु ने अपने से अन्य किस परमेश्वर की शरण में जाने को कहा है?
जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें!
📙पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 व 24 में कहा है_
"जो पुरुष शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनको सुख,शांति ,सिद्धि ,परम गति कुछ भी प्राप्त नहीं होता अर्थात व्यर्थ साधना है"!
💥हमारे वेदों शास्त्रों में यह सत्य प्रमाणित है कि पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से जीव आत्मा के पास से सभी बुराइयां और आपत्तियां दूर हो जाती हैं!
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सतभक्ति करने वाली आत्मा सभी रोगों,कष्टों,और दुखों छूट जाती हैं!
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सतभक्ति करने के लिए परमात्मा हमारी पूर्ण रूप से मदद करते हैं !
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सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में सद्भक्ति करने से साधक को शारीरिक,मानसिक,आर्थिक,सामाजिक और आध्यात्मिक सभी लाभ प्राप्त होते हैं !
विश्व की सभी आत्माओं के परम शुभचिंतक प्रेमी पुरुष परमात्मा हैं! 🥀🥀*जगतगुरु तत्वदर्शी संत_ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज*🥀🥀
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💠परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8,
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सत्य प्रमाणित आध्यात्मिक सत्संगों के माध्यम से पहचान करें पूर्ण संत सतगुरु की!
*कबीर वाणी*_ *ब्राह्मण सो जो ब्रह्म पहचानें! *
*मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले ना बारंबार!जैसे तरूवर से पत्ता टूट गिरे बहुर ना लगता डार!!*
⏩कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि जब तक सच्चा सतगुरु ना मिल जाए गुरु बदलने में कोई अपराध नहीं सतगुरु एक वेद और डॉक्टर होता है जो रोगी का इलाज करता है उसे स्वस्थ करता है इसी प्रकार सतगुरु हमारे जन्म मरण का रोग काटते हैं और हमें परमात्मा से मिलाते हैं!
⏩*जब तक गुरु मिले ना सांचा! तब तक करो गुरु दस पांचा!!*
⏩संत रामपाल जी महाराज सभी प्रमाणित शास्त्रों के आधार से अपने भक्तों को नाम जाप व अन्य धार्मिक क्रियाएं करने का देते हैं, जिससे उन्हें सर्व लाभ होते हैं!
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👑पूर्ण परमात्मा परम शक्तियुक्त कबीर साहेब हमारे कठिन से कठिन सर्व दु:खों का निवारण कर सकते हैं!
*मासा घटे ना तिल घटे, विधना लिखे जो लेख!
साचा सतगुरु मेंट के ऊपर मारे मेंख!!* यह कार्य विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही कर सकते हैं!
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rakesh-kumars-posts · 2 months ago
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कबीर साहेब का अमूल्य योगदान
कबीर साहेब का योगदान मानवता के लिए अमूल्य है। उन्होंने सत्य, प्रेम, और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को हम सभी के सामने रखा, जिससे हम जीवन के उद्देश्य को समझ सकें।
कबीर साहेब का साधना का महत्व
कबीर साहेब ने साधना के माध्यम से परमात्मा के साथ संबंध स्थापित करने का मार्ग बताया। उनकी साधना से जीवन में शांति, सुख और ज्ञान का संचार होता है।
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"कबीर परमेश्वर"
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vipulmangla0 · 3 months ago
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परमात्मा से जुड़ने के लिए हमें सच्चे गुरु की आवश्यकता होती है। आध्यात्मिक प्रदर्शनी में यह सत्य स्पष्ट किया गया है।
संत रामपाल जी महाराज का मार्गदर्शन आत्मा को शांति और मोक्ष की ओर ले जाने का सर्वोत्तम तरीका है।
आध्यात्मिक प्रदर्शनी यह दिखाती है कि सच्चा ज्ञान और भक्ति ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य है।
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Must read priceless book Holy book "Gyan -- Ganga"
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sagardasssaini · 2 months ago
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कबीर साहेब का सर्वशक्तिमान रूप
कबीर साहेब का रूप सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। वह हर समय हमारे बीच होते हुए भी अदृश्य रहते हैं, और उनके दिव्य ज्ञान से हम हर परिस्थिति में मार्गदर्शित होते हैं।
कबीर साहेब का सत्य को अपनाने का संदेश
कबीर साहेब ने हमें बताया कि सत्य ही सर्वोत्तम है। अगर हम सत्य के मार्ग पर चलते हैं, तो हम न केवल इस जीवन में शांति प्राप्त करेंगे, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने में सफल होंगे।
पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"
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