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iskconchd · 1 year
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श्रीमद्‌ भगवद्‌गीता यथारूप 2.39 https://srimadbhagavadgita.in/2/39 एषा तेऽभिहिता सांख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां शृणु । बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥ २.३९ ॥ TRANSLATION यहाँ मैंने वैश्लेषिक अध्ययन (सांख्य) द्वारा इस ज्ञान का वर्णन किया है । अब निष्काम भाव से कर्म करना बता रहा हूँ, उसे सुनो! हे पृथापुत्र! तुम यदि ऐसे ज्ञान से कर्म करोगे तो तुम कर्मों के बन्धन से अपने को मुक्त कर सकते हो । PURPORT वैदिक कोश निरुक्ति के अनुसार सांख्य का अर्थ है – विस्तार से वस्तुओं का वर्णन करने वाला तथा सांख्य उस दर्शन के लिए प्रयुक्त मिलता है जो आत्मा की वास्तविक प्रकृति का वर्णन करता है । और योग का अर्थ है – इन्द्रियों का निग्रह । अर्जुन का युद्ध न करने का प्रस्ताव इन्द्रियतृप्ति पर आधारित था । वह अपने प्रधान कर्तव्य को भुलाकर युद्ध से दूर रहना चाहता था क्योंकि उसने सोचा कि धृतराष्ट्र के पुत्रों अर्थात् अपने बन्धु-बान्धवों को परास्त करके राज्यभोग करने की अपेक्षा अपने सम्बन्धियों तथा स्वजनों को न मारकर वह अधिक सुखी रहेगा । दोनों ही प्रकार से मूल सिद्धान्त तो इन्द्रियतृप्ति था । उन्हें जीतने से प्राप्त होने वाला सुख तथा स्वजनों को जीवित देखने का सुख ये दोनों इन्द्रियतृप्ति के धरातल पर एक हैं, क्योंकि इससे बुद्धि तथा कर्तव्य दोनों का अन्त हो जाता है । अतः कृष्ण ने अर्जुन को बताना चाहा कि वह अपने पितामह के शरीर का वध करके उनके आत्मा को नहीं मारेगा । उन्होंने यह बताया कि उनके सहित सारे जीव शाश्र्वत प्राणी हैं, वे भूतकाल में प्राणी थे, वर्तमान में भी प्राणी रूप में हैं और भविष्य में भी प्राणी बने रहेंगे क्योंकि हम सैम शाश्र्वत आत्मा हैं । हम विभिन्न प्रकार से केवल अपना शारीरिक परिधान (वस्त्र) बदलते रहते हैं और इस भौतिक वस्त्र के बन्धन से मुक्ति के बाद भी हमारी पृथक् सत्ता बनी रहती है । भगवान् कृष्ण द्वारा आत्मा तथा शरीर का अत्यन्त विशद् वैश्लेषिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है और निरुक्ति कोश की शब्दावली में इस विशद् अध्ययन को यहाँ सांख्य कहा गया है । इस सांख्य का नास्तिक-कपिल के सांख्य-दर्शन से कोई सरोकार नहीं है । इस नास्तिक-कपिल के सांख्य दर्शन से बहुत पहले भगवान् कृष्ण के अवतार भगवान् कपिल ने अपनी माता देवहूति के समक्ष श्रीमद्भागवत में वास्तविक सांख्य-दर्शन पर प्रवचन किया था । उन्होंने स्पष्ट बताया है कि पुरुष या परमेश्र्वर क्रियाशील हैं और वे प्रकृति पर दृष्टिपात करके सृष्टि कि उत्पत्ति करते हैं । इसको वेदों ने तथा गीता ने स्वीकार किया है । वेदों में वर्णन मिलता है कि भगवान् ने प्रकृति पर दृष्टिपात किया और उसमें आणविक जीवात्माएँ प्रविष्ट कर दीं । ये सारे जीव भौतिक-जगत् में इन्द्रियतृप्ति के लिए कर्म करते रहते हैं और माया के वशीभूत् होकर अपने को भोक्ता मानते रहते हैं । इस मानसिकता की चरम सीमा भगवान् के साथ सायुज्य प्राप्त करना है । यह माया अथवा इन्द्रियतृप्तिजन्य मोह का अन्तिम पाश है और अनेकानेक जन्मों तक इस तरह इन्द्रियतृप्ति करते हुए कोई महात्मा भगवान् कृष्ण यानी वासुदेव की शरण में जाता है जिससे परम सत्य की खोज पूरी होती है । अर्जुन ने कृष्ण की शरण ग्रहण करके पहले ही उन्हें गुरु रूप में स्वीकार कर लिया है – शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम । फलस्वरूप कृष्ण अब उसे बुद्धियोग या कर्मयोग की कार्यविधि बताएँगे जो कृष्ण की इन्द्रियतृप्ति के लिए किया गया भक्तियोग है । यह बुद्धियोग अध्याय दस के दसवें श्लोक में वर्णित है जिससे इसे उन भगवान् के साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क बताया गया है जो सबके हृदय में परमात्मा रूप में विद्यमान हैं, किन्तु ऐसा सम्पर्क भक्ति के बिना सम्भव नहीं है । अतः जो भगवान् की भक्ति या दिव्य प्रेमाभक्ति में या कृष्णभावनामृत में स्थित होता है, वही भगवान् की विशिष्ट कृपा से बुद्धियोग की यह अवस्था प्राप्त कर पाता है । अतः भगवान् कहते हैं कि जो लोग दिव्य प्रेमवश भक्ति में निरन्तर लगे रहते हैं उन्हें ही वे भक्ति का विशुद्ध ज्ञान प्रदान करते हैं । इस प्रकार भक्त सरलता से उनके चिदानन्दमय धाम में पहुँच सकते हैं । इस प्रकार इस श्लोक में वर्णित बुद्धियोग भगवान् कृष्ण की भक्ति है और यहाँ पर उल्लिखित सांख्य शब्द का नास्तिक-कपिल द्वारा प्रतिपादित अनीश्र्वरवादी सांख्य-योग से कुछ भी सम्बन्ध नहीं है । अतः किसी को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि यहाँ पर उल्लिखित सांख्य-योग का अनीश्र्वरवादी सांख्य से किसी प्रकार का सम्बन्ध है । न ही उस समय उसके दर्शन का कोई प्रभाव था, और न कृष्ण ने ऐसी ईश्र्वरविहीन दार्शनिक कल्पना का उल्लेख करने की चिन्ता की । वास्तविक सांख्य-दर्शन का वर्णन भगवान् कपिल द्वारा श्रीमद्भागवत में हुआ है, किन्तु वर्तमान प्रकरणों में उस सांख्य से भी कोई सरोकार नहीं है । यहाँ सांख्य का अर्थ है शरीर तथा आत्मा का वैश्लेषिक अध्ययन । भगवान् कृष्ण ने आत्मा का वैश्लेषिक वर्णन अर्जुन को बुद्धियोग या कर्मयोग तक लाने के लिए किया । अतः भगवान् कृष्ण का सांख्य तथा भागवत में भगवान् कपिल द्वारा वर्णित सांख्य एक ही हैं । ये दोनों भक्तियोग हैं । अतः भगवान् कृष्ण ने कहा है कि केवल अल्पज्ञ ही सांख्य-योग तथा भक्तियोग में भेदभाव मानते हैं (सांख्ययोगौ पृथग्बालाः प्रवदन्ति न पण्डिताः) । निस्सन्देह अनीश्र्वरवादी सांख्य-योग का भक्तियोग से कोई सम्बन्ध नहीं है फिर भी बुद्धिहीन व्यक्तियों का दावा है कि भगवद्गीता में अनीश्र्वरवादी सांख्य का ही वर्णन हुआ है । अतः मनुष्य को यह जान लेना चाहिए कि बुद्धियोग का अर्थ कृष्णभावनामृत में, पूर्ण आन��्द तथा भक्ति के ज्ञान में कर्म करना है । जो व्यक्ति भगवान् की तुष्टि के लिए कर्म करता है, चाहे वह कर्म कितना भी कठिन क्यों न हो, वह बुद्धियोग के सिद्धान्त के अनुसार कार्य करता है और दिव्य आनन्द का अनुभव करता है । ऐसी दिव्य व्यस्तता के कारण उसे भगवत्कृपा से स्वतः सम्पूर्ण दिव्य ज्ञान प्राप्त हो जाता है और ज्ञान प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त श्रम किये बिना ही उसकी पूर्ण मुक्ति हो जाति है । कृष्णभावनामृत कर्म तथा फल प्राप्ति की इच्छा से किये गये कर्म में, विशेषतया पारिवारिक या भौतिक सुख प्राप्त करने की इन्द्रिय तृप्ति के लिए किये गये कर्म में, प्रचुर अन्तर होता है । अतः बुद्धियोग हमारे द्वारा सम्पन्न कार्य का दिव्य गुण है । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.39 eṣā te ’bhihitā sāṅkhye buddhir yoge tv imāṁ śṛṇu buddhyā yukto yayā pārtha karma-bandhaṁ prahāsyasi TRANSLATION Thus far I have described this knowledge to you through analytical study. Now listen as I explain it in terms of working without fruitive results. O son of Pṛthā, when you act in such knowledge you can free yourself from the bondage of works. PURPORT According to the Nirukti, or the Vedic dictionary, saṅkhyā means that which describes things in detail, and sāṅkhya refers to that philosophy which describes the real nature of the soul. And yoga involves controlling the senses. Arjuna’s proposal not to fight was based on sense gratification. Forgetting his prime duty, he wanted to cease fighting, because he thought that by not killing his relatives and kinsmen he would be happier than by enjoying the kingdom after conquering his cousins and brothers, the sons of Dhṛtarāṣṭra. In both ways, the basic principles were for sense gratification. Happiness derived from conquering them and happiness derived by seeing kinsmen alive are both on the basis of personal sense gratification, even at a sacrifice of wisdom and duty. Kṛṣṇa, therefore, wanted to explain to Arjuna that by killing the body of his grandfather he would not be killing the soul proper, and He explained that all individual persons, including the Lord Himself, are eternal individuals; they were individuals in the past, they are individuals in the present, and they will continue to remain individuals in the future, because all of us are individual souls eternally. We simply change our bodily dress in different manners, but actually we keep our individuality even after liberation from the bondage of material dress. An analytical study of the soul and the body has been very graphically explained by Lord Kṛṣṇa. And this descriptive knowledge of the soul and the body from different angles of vision has been described here as Sāṅkhya, in terms of the Nirukti dictionary. This Sāṅkhya has nothing to do with the Sāṅkhya philosophy of the atheist Kapila. Long before the imposter Kapila’s Sāṅkhya, the Sāṅkhya philosophy was expounded in the Śrīmad-Bhāgavatam by the true Lord Kapila, the incarnation of Lord Kṛṣṇa, who explained it to His mother, Devahūti. It is clearly explained by Him that the puruṣa, or the Supreme Lord, is active and that He creates by looking over the prakṛti. This is accepted in the Vedas and in the Gītā. The description in the Vedas indicates that the Lord glanced over the prakṛti, or nature, and impregnated it with atomic individual souls. All these individuals are working in the material world for sense gratification, and under the spell of material energy they are thinking of being enjoyers. This mentality is dragged to the last point of liberation when the living entity wants to become one with the Lord. This is the last snare of māyā, or sense gratificatory illusion, and it is only after many, many births of such sense gratificatory activities that a great soul surrenders unto Vāsudeva, Lord Kṛṣṇa, thereby fulfilling the search after the ultimate truth. Arjuna has already accepted Kṛṣṇa as his spiritual master by surrendering himself unto Him: śiṣyas te ’haṁ śādhi māṁ tvāṁ prapannam. Consequently, Kṛṣṇa will now tell him about the working process in buddhi-yoga, or karma-yoga, or in other words, the practice of devotional service only for the sense gratification of the Lord. This buddhi-yoga is clearly explained in Chapter Ten, verse ten, as being direct communion with the Lord, who is sitting as Paramātmā in everyone’s heart. But such communion does not take place without devotional service. One who is therefore situated in devotional or transcendental loving service to the Lord, or, in other words, in Kṛṣṇa consciousness, attains to this stage of buddhi-yoga by the special grace of the Lord. The Lord says, therefore, that only to those who are always engaged in devotional service out of transcendental love does He award the pure knowledge of devotion in love. In that way the devotee can reach Him easily in the ever-blissful kingdom of God. Thus the buddhi-yoga mentioned in this verse is the devotional service of the Lord, and the word Sāṅkhya mentioned herein has nothing to do with the atheistic sāṅkhya-yoga enunciated by the imposter Kapila. One should not, therefore, misunderstand that the sāṅkhya-yoga mentioned herein has any connection with the atheistic Sāṅkhya. Nor did that philosophy have any influence during that time; nor would Lord Kṛṣṇa care to mention such godless philosophical speculations. Real Sāṅkhya philosophy is described by Lord Kapila in the Śrīmad-Bhāgavatam, but even that Sāṅkhya has nothing to do with the current topics. Here, Sāṅkhya means analytical description of the body and the soul. Lord Kṛṣṇa made an analytical description of the soul just to bring Arjuna to the point of buddhi-yoga, or bhakti-yoga. Therefore, Lord Kṛṣṇa’s Sāṅkhya and Lord Kapila’s Sāṅkhya, as described in the Bhāgavatam, are one and the same. They are all bhakti-yoga. Lord Kṛṣṇa said, therefore, that only the less intelligent class of men make a distinction between sāṅkhya-yoga and bhakti-yoga (sāṅkhya-yogau pṛthag bālāḥ pravadanti na paṇḍitāḥ). Of course, atheistic sāṅkhya-yoga has nothing to do with bhakti-yoga, yet the unintelligent claim that the atheistic sāṅkhya-yoga is referred to in the Bhagavad-gītā. One should therefore understand that buddhi-yoga means to work in Kṛṣṇa consciousness, in the full bliss and knowledge of devotional service. One who works for the satisfaction of the Lord only, however difficult such work may be, is working under the principles of buddhi-yoga and finds himself always in transcendental bliss. By such transcendental engagement, one achieves all transcendental understanding automatically, by the grace of the Lord, and thus his liberation is complete in itself, without his making extraneous endeavors to acquire knowledge. There is much difference between work in Kṛṣṇa consciousness and work for fruitive results, especially in the matter of sense gratification for achieving results in terms of family or material happiness. Buddhi-yoga is therefore the transcendental quality of the work that we perform. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #bhagavatamin #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
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dlium · 13 days
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Hymenochaete sinensis is new fungi species based on molecular phylogeny and morphology
Hymenochaete sinensis 是基于分子系统发育和形态学的新真菌物种
中華膜殼菌是基於分子系統發育和形態學的真菌新種
Hymenochaete sinensis merupakan spesies jamur baru berdasarkan filogeni molekuler dan morfologi
हाइमेनोचैटे साइनेंसिस आणविक फायलोजेनी और आकारिकी पर आधारित नई कवक प्रजाति है
Ang Hymenochaete sinensis ay bagong species ng fungi batay sa molecular phylogeny at morphology
Hymenochaete sinensis เป็นเชื้อราสายพันธุ์ใหม่ที่มีพื้นฐานมาจากวิวัฒนาการและสัณฐานวิทยาของโมเลกุล
Hymenochaete sinensis là loài nấm mới dựa trên phát sinh loài phân tử và hình thái
Hymenochaete sinensisは分子系統学と形態学に基づく新しい菌類種である
Hymenochaete sinensis es una nueva especie de hongo basada en la filogenia molecular y la morfología.
Hymenochaete sinensis হল নতুন ছত্রাকের প্রজাতি যা আণবিক ফাইলোজেনি এবং রূপবিদ্যার উপর ভিত্তি করে
Hymenochaete sinensis est une nouvelle espèce de champignon basée sur la phylogénie moléculaire et la morphologie
Hymenochaete sinensis는 분자계통학 및 형태학을 기반으로 한 새로운 균류 종입니다.
O himenoquete sinensis é nova espécie de fungos baseada na filogenia molecular e na morfologia
Hymenochaete sinensis គឺជាប្រភេទផ្សិតថ្មីដែលមានមូលដ្ឋានលើ phylogeny ម៉ូលេគុល និង morphology
Hymenochaete sinensis ist eine neue Pilzart auf Grundlage der molekularen Phylogenese und Morphologie
Hymenochaete sinensis ແມ່ນເຊື້ອເຫັດຊະນິດໃຫມ່ໂດຍອີງໃສ່ phylogeny ໂມເລກຸນແລະ morphology.
Hymenochaete sinensis è una nuova specie di funghi basata sulla filogenesi molecolare e sulla morfologia
Hymenochaete sinensis သည် မော်လီကျူးဆိုင်ရာ ဇီဝကမ္မဗေဒနှင့် ပုံသဏ္ဍာန်ဆိုင်ရာ အခြေခံ မှိုမျိုးစိတ်အသစ်ဖြစ်သည်။
Hymenochaete sinensis — новый вид грибов, определенный на основе молекулярной филогении и морфологии.
Hymenochaete sinensis යනු අණුක ෆයිලොජෙනිය සහ රූප විද්‍යාව මත පදනම් වූ නව දිලීර විශේෂයකි.
Hymenochaete sinensis to nowy gatunek grzyba, którego budowa i morfologia opierają się na molekularnej filogenezie
Hymenochaete sinensis нь молекулын филогени, морфологи дээр суурилсан шинэ мөөгөнцөр юм.
Hymenochaete sinensis, moleküler filogeni ve morfolojiye dayalı yeni bir mantar türüdür
Hymenochaete sinensis आणविक phylogeny र आकार विज्ञान मा आधारित नयाँ फंगी प्रजाति हो
Hymenochaete sinensis - новий вид грибів, заснований на молекулярній філогенії та морфології
Dlium theDlium @dlium
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kangenwatersafe · 1 month
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कांगेन जल क्या है? इसके गुण और लाभ क्या हैं?
क्षारीय पानी के चलन के बाद, सुरक्षित पेयजल का आनंद लेने के नवीनतम और सबसे महंगे तरीके के रूप में कांगेन वॉटर की लोकप्रियता पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ रही है।
आपने कांगेन वॉटर (Kangen Water) का नाम भी सुना होगा। यह पानी को लाभकारी बनाने की एक यांत्रिक तकनीक है। कांगेन वॉटर एक विदेशी तकनीक है लेकिन इसका इस्तेमाल भारत में भी कई लोग कर रहे हैं।
इस तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में किया जा रहा है। बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प और बिल गेट्स जैसे लोग भी कांगेन पानी का उपयोग कर रहे हैं। अगर भारतीय सेलिब्रिटीज की बात करें तो ऋतिक रोशन, रजनीकांत, शिल्पा सेट्टी, शाहरुख खान एकता कपूर आदि भी कांगेन वॉटर का इस्तेमाल करते हैं।
आज हम विस्तार से जानेंगे कि कांगेन वॉटर क्या है और इसके क्या फायदे हैं।
कांगेन जल क्या है? (Kangen Water क्या है हिंदी में) kangen water benefits in hindi
कांगेन पानी (Kangen Water) वास्तव में क्षारीय आयनाइज़र और जल निस्पंदन मशीनों द्वारा उत्पादित क्षारीय पानी है। यह जापानी तकनीक है. कांगेन वॉटर मशीनें जापान की एनाजिक कंपनी द्वारा बनाई जाती हैं।
कांगेन एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है "मूल स्वरूप में लौटना"। जापान में शरीर की मूल और क्षारीय स्थिति को बहाल करने के लिए कांगेन पानी का उपयोग 40 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है।
कांगेन वॉटर मशीन साधारण नल के पानी को स्वस्थ और ताज़ा स्वाद वाले क्षारीय पेयजल में बदल सकती है। कांगेन पानी नल और शुद्ध पानी से बेहतर है।
कांगेन वॉटर मशीन पांच अलग-अलग पीएच रेंज (बहुत अम्लीय से बहुत क्षारीय तक) में पानी को फ़िल्टर करती है। इन विभिन्न पीएच रेंज वाले पानी का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है - पीने के लिए, सफाई के लिए, खाना पकाने के लिए, सौंदर्य देखभाल के लिए।
कांगेन वॉटर मशीन बनाने वाली कंपनी एनाजिक का दावा है कि बोतलबंद पानी, नल का पानी और यहां तक कि रिवर्स ऑस्मोसिस पानी अत्यधिक दूषित है और स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
अपने निर्धारित पीएच स्तर का पानी पीना मनुष्य की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि हमारे शरीर में 70 प्रतिशत से अधिक पानी होता है।
कांगेन पानी के फायदे (Benefits of Kangen Water in Hindi)
कांगेन वॉटर मशीन से प्राप्त पानी में प्रचुर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट, क्षारीय और सूक्ष्म क्लस्टर गुण होते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
कांगेन जल के गुण
1. हाइड्रोजन से भरपूर
हाइड्रोजन युक्त पानी में आणविक हाइड्रोजन की उच्च सांद्रता होती है। आणविक हाइड्रोजन एक कुशल एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है जो कोशिका झिल्ली में तेजी से फैलता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।
इस मशीन की प्रक्रिया से आपका साधारण पानी हाइड्रोजन युक्त कांगेन पानी बन जाता है।
2. ऑक्सीकरण
ऑक्सीकरण शरीर में मुक्त कण उत्पन्न कर सकता है जबकि एंटी-ऑक्सीडेंट इन प्रतिक्रियाओं को खत्म करते हैं। ऑक्सीडेंट की अत्यधिक मात्रा और अपर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बनते हैं। ऑक्सीडेटिव तनाव और उससे संबंधित क्षति से निपटने के लिए, हमारे दैनिक आहार में किसी भी स्रोत से एंटीऑक्सिडेंट की निरंतर आपूर्ति होनी चाहिए।
3. क्षारीय
अधिकांश चीज़ों की तरह, मानव स्वास्थ्य भी संतुलन से शुरू होता है। हमारे शरीर को 7.365 का पीएच संतुलन बनाए रखना चाहिए, जो थोड़ा क्षारीय है। पीएच स्केल का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कोई पदार्थ अम्लीय है या क्षारीय। इस पैमाने पर, 7.0 तटस्थ है, 7 से ऊपर की कोई भी चीज़ अम्लीय मानी जाती है जबकि 7 से नीचे की कोई भी चीज़ क्षारीय होती है।
4. ओआरपी
हाइड्रोजन युक्त पानी की विशेषता नकारात्मक ओआरपी है। उच्च ओआरपी मान इंगित करता है कि किसी पदार्थ में उच्च ऑक्सीकरण क्षमता है।
सामान्यतया, उच्च ओआरपी मानव शरीर के बाहर (स्वच्छता और स्वच्छता) के लिए बेहतर है।
कम ओआरपी मान (नकारात्मक) इंगित करता है कि किसी पदार्थ में उच्च एंटीऑक्सीडेंट क्षमता है और इसे मानव उपभोग (पीने) के लिए अच्छा माना जाता है।
सामान्य भोजन और जूस में -100 ओआरपी होता है जबकि कांगेन पानी में -400 ओआरपी होता है।
कांगेन पानी के फायदे
शरीर में एसिडिटी के स्तर को नियंत्रित करता है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
यह शरीर में कैंसर, कोलेस्ट्रॉल आदि गंभीर बीमारियों की संभावना को बहुत कम कर देता है।
शरीर में तेजी से नये ऊतकों का निर्माण करता है यानी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है। जिससे व्यक्ति बूढ़ा होने के बाद भी जवान दिखता है।
शुद्ध पानी के विपरीत, कांगेन पानी कई खनिजों को नष्ट नहीं करता है।
कांगेन पानी पूरी तरह से साफ, ताज़ा और स्वाद में बढ़िया है।
कांगेन पानी का स्वाद इतना अच्छा होता है कि यह जूस और भोजन का स्वाद बढ़ा देता है।
वजन घटाने और वजन बनाए रखने के लिए भी कांगेन पानी को महत्व दिया गया है।
चूँकि इसमें क्षारीय, एंटीऑक्सीडेंट और सूक्ष्म समूह होते हैं, इसलिए यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है।
यह इंसान के चेहरे और बालों की सुंदरता को बढ़ाता है।
क्षारीय पानी में मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे विभिन्न खनिज होते हैं।
 यह मानव हड्डियों को मजबूत बनाता है और हड्डियों के नुकसान को कम करता है।
मेटाबोलिज्म में सुधार करता है.
कांगेन जल शोधक मशीन
जैसा कि हमने आपको बताया कि इस तकनीक का आविष्कार जापान में हुआ था और दुनिया में एनाजिक जापान की एकमात्र कंपनी है जो इस मशीन का उत्पादन कर रही है। कंपनी इस मशीन को विदेशों में भी बेच रही है।
कांगेन पानी का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है और वे जापान से ही मशीनें खरीद रहे हैं। ये मशीनें भारत में भी उपलब्ध हैं। बाजार में कांगेन वॉटर मशीनों के विभिन्न प्रकार उपलब्ध हैं। इसके अलग-अलग वेरिएंट की कीमत 1.5 लाख रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक है।
मशीन 5 साल की वारंटी के साथ आती है लेकिन देखा जाए तो यह 15 से 20 साल तक आसानी से चल सकती है। पानी को फिल्टर करने की क्षमता अलग-अलग वेरिएंट के हिसाब से अलग-अलग होती है। इसका लो वेरिएंट एक मिनट में 3 लीटर पानी फिल्टर कर सकता है, जबकि इसका हाई वेरिएंट एक मिनट में 6 लीटर तक पानी फिल्टर कर सकता है।
 कांगेन मशीन को लगवाने या पानी इसके पानी के बारे में पूरी जानकारी आप मुझ से प्राप्त करें। kangen मशीन के बारे में अधिक जानने के लिए या डेमो बुक करने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। संपर्क नंबर :- 8059297084 विनोद ग्राम - खरकरी (हिसार)
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mewaruniversity · 2 months
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#Mewar_University_In_Media :: मेवाड़ यूनिवर्सिटी के शोधार्थी छात्रों ने एमपीयूएटी का दौरा किया | 🌱
मेवाड़ यूनिवर्सिटी के कृषि संकाय के शोधार्थी छात्रों सदीक सनी, अबुबकर इब्राहिम अब्दुलकादीर और अबदुल्लाही लावल उमर ने शनिवार को उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप प्रौद्योगिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) का दौरा किया। जिसमें उन्होंने आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी विभाग में कार्यरत सह-प्राध्यापक डॉ. देवेंद्र जैन और सीनियर रिसर्च फैलो (एसआरएफ) सुमन से अपने शोध विषय से संबंधित गहनता से जानकारी प्राप्त की। विजिट के दौरान शोधार्थियों के साथ मौजूद मेवाड़ यूनिवर्सिटी से सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र बैरवा ने बताया कि इस दौरान छात्रों ने मिट्टी से फॉस्फोरस एवं पौटेशियम सोल्युबिलाइजरस का पृथक्करण और पौधों की जड़ों से राइजोबियम बैक्टीरिया के पृथक्कीकरण की जानकारी प्राप्त की। इसके अलावा शोधार्थियों ने कृषि के क्षेत्र में सूक्ष्म जीवों का महत्व और खेती में सूक्ष्म जीवों का प्रयोग करके रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को कैसे कम किया जा सकता है को भी बारीकी से समझा।
[ZOOM IN TO READ the full News Article.]
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samaya-samachar · 5 months
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शुक्रबार बिहानै इरान माथी इजरायलको आक्रमण, इरानी आणविक केन्द्र सुरक्षित
तेहरान, ७ बैशाख ।  इजरायलले स्थानीय समयअनुसार शुक्रबार बिहानै इरानमाथि जवाफी हमलामा मिसाइल प्रहार गरेको छ ।   एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारीले एबीसी न्यूजलाई बताए अनुसार इरानले गरेको प्रहारको बदलामा इजरायलले जवाफी हमला गरेको हो ।    गत शनिबार इरानले इजरायल माथी मिसाइल प्रक्षेपण गरेको थियो, जहाँ इरानले ४०० भन्दा बढी बिना क्रुड ड्रोन र मिसाइलहरू इजरायलका लक्ष्यहरूमा पठाएको थियो ।   इजरायली सैन्य…
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redfokro · 6 months
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Protin वैज्ञानिकों ने खोजा ठंड का पता लगाने वाला प्रोटीन
ठंड का एहसास
सर्दियों में तापमान गिरने पर हमें ठंड क्यों लगती है? अब मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उस प्रोटीन की पहचान कर ली है जो स्तनधारियों को ठंड का अनुभव कराता है।
ठंड का पता लगाने वाला प्रोटीन
यह खोज दर्शाती है कि GluK2 नामक प्रोटीन ही स्तनधारियों में ठंड का अनुभव कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ठंड के प्रति संवेदना के आणविक रहस्यों को समझने में महत्वपूर्ण कदम है।
दूरगामी परिणाम
यह खोज न केवल ज्ञान के एक लंबे अंतर को भरती है बल्कि कीमोथेरेपी से प्रेरित न्यूरोपैथी जैसी बीमारियों में ठंड से संबंधित असुविधा के इलाज के लिए नए उपचारात्मक रास्ते भी सुझाती है।
GluK2 की पहचान ठंड के संवेदक के रूप में
यह खोज ठंड का अनुभव कराने वाले प्रोटीन की पहचान को सुनिश्चित करती है, जो संवेदी जीव विज्ञान को समझने में एक प्रमुख उपलब्धि है।
विकासवादी संरक्षण
GluK2 जीन कई प्रजातियों में पाया जाता है, जो तापमान धारणा में इसकी मूलभूत भूमिका को इंगित करता है। यह भूमिका संभवतः एकल-कोशिका जीवों से भी जुड़ी हो सकती है।
मानव स्वास्थ्य के लिए निहितार्थ
GluK2 की पहचान विभिन्न चिकित्सीय स्थितियों में असामान्य ठंड संवेदनाओं को दूर करने के लिए संभावित उपचारात्मक लक्ष्य प्रदान करती है, जिस��े रोगी की बेहतर देखभाल में मदद मिलती है।
अनुसंधान का मूल
मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ठंड का अनुभव कराने वाले प्रोटीन की पहचान की है। यह खोज संवेदी जीव विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान के एक लंबे अंतर को भरती है।
ठंड का पता लगाने वाले प्रोटीन की खोज का महत्व
यह खोज हमें सर्दियों में ठंड का अनुभव कैसे होता है और कुछ रोगी विशेष बीमारी की स्थिति में ठंड को अलग तरह से क्यों महसूस करते हैं, इसे समझने में मदद कर सकती है।
भविष्य के अनुप्रयोग
GluK2 की भूमिका की यह खोज मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए, कीमोथेरेपी प्राप्त करने Read More
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haryanaboardsolutions · 8 months
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sanjaylodh · 8 months
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Hydrogen
hydrogen
Hydrogen is a substance which is found everywhere in our entire solar system.
Hydrogen is present in the largest quantity in the entire universe
Most of the hydrogen is held hostage by the stars.
there hydrogen has its own freedom
For example, 70 percent of our sun is only hydrogen.
Hydrogen always continues its fusion in the sun.
What is this characteristic of hydrogen?
Hydrogen is an atomic-numbered chemical element 1. Hydrogen is a colourless, odourless, non-metallic, tasteless, extremely flammable diatomic gas with molecular formula H2 at standard temperature and pressure.21 Jul 2020
What is hydrogen and its uses?
Hydrogen has many actual and potential uses
Hydrogen is currently used in industrial processes, as rocket fuel, and in fuel cells for electricity generation and powering vehicles. Operators of several natural gas-fired power plants are exploring the use of hydrogen to supplement or replace natural gas.23 Jun 2023
How is hydrogen used for life?
Without hydrogen we wouldn't have the Sun to give us heat and light. There would be no useful organic compounds to form the building blocks of life. And that most essential substance for life's existence, water, would not exist.
How is hydrogen useful to humans?
The most important function of hydrogen in the human body is to keep you hydrated. Water is made up of hydrogen and oxygen and is absorbed by the cells of the body. Therefore, it is a crucial element which is used not in our body but also as a fuel, in military weapons etc.26 Oct 2017
How to make hydrogen?
The two most common methods for producing hydrogen are steam-methane reforming and electrolysis (splitting water with electricity). Researchers are exploring other hydrogen production methods, or pathways.23 Jun 2023
Is hydrogen used in everyday life?
Hydrogen can be used to power vehicles, generate electricity, power industry and heat our homes and businesses. It could make a huge difference on our carbon emissions and will be critical to achieving net zero.23 Feb 2023
What is the formula for hydrogen?
H 2
Hydrogen is a chemical element; it has symbol H and atomic number 1. It is the lightest element and, at standard conditions, is a gas of diatomic molecules with the formula H 2. It is colorless, odorless, tasteless, non-toxic, and highly combustible.
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हाइड्रोजन
हाइड्रोजन एक ऐसी उपादान है जिसे हमारी इस संपूर्ण सौरमंडल की हर ओर विद्यमान मिलते है
हाइड्रोजन पूरे ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है
ज्यादेतर हाइड्रोजन नक्षत्रों का बंधक होता है
वहाँ हाइड्रोजन का अपना स्वाधीनता होता है
जैसे हमारा सूरज का 70 प्रतिशत सिर्फ हाइड्रोजन ही होता है
सूरज में हाइड्रोजन में हमेशा अपना फ्यूजन जारी रहता है
यह हाइड्रोजन का चारित्रिक वैशिष्ट क्या है
हाइड्रोजन एक परमाणु क्रमांकित रासायनिक तत्व है 1. हाइड्रोजन एक रंगहीन, गंधहीन, गैर-धात्विक, स्वादहीन, मानक तापमान और दबाव पर आणविक सूत्र H2 के साथ अत्यंत ज्वलनशील डायटोमिक गैस है। 21 जुलाई 2020
हाइड्रोजन क्या है और इसके उपयोग?
हाइड्रोजन के कई वास्तविक और संभावित उपयोग हैं
वर्तमान में हाइड्रोजन का उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं में, रॉकेट ईंधन के रूप में, और बिजली उत्पादन और वाहनों को बिजली ���ेने के लिए ईंधन कोशिकाओं में किया जाता है। कई प्राकृतिक गैस से चलने वाले बिजली संयंत्रों के संचालक प्राकृतिक गैस के पूरक या प्रतिस्थापन के लिए हाइड्रोजन के उपयोग की खोज कर रहे हैं। 23 जून 2023
जीवन के लिए हाइड्रोजन का उपयोग कैसे किया जाता है?
हाइड्रोजन के बिना हमारे पास गर्मी और प्रकाश देने के लिए सूर्य नहीं होता। जीवन के निर्माण खंडों को बनाने के लिए कोई उपयोगी कार्बनिक यौगिक नहीं होंगे। और जीवन के अस्तित्व के लिए सबसे आवश्यक पदार्थ, पानी, अस्तित्व में नहीं रहेगा।
हाइड्रोजन मनुष्य के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
मानव शरीर में हाइड्रोजन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य आपको हाइड्रेटेड रखना है। पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना होता है और शरीर की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित होता है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण तत्व है जिसका उपयोग हमारे शरीर में नहीं बल्कि ईंधन के रूप में, सैन्य हथियारों आदि में भी किया जाता है।26 अक्टूबर 2017
हाइड्रोजन कैसे बनाएं?
हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए दो सबसे आम तरीके भाप-मीथेन सुधार और इलेक्ट्रोलिसिस (बिजली के साथ पानी को विभाजित करना) हैं। शोधकर्ता अन्य हाइड्रोजन उत्पादन विधियों या मार्गों की खोज कर रहे हैं। 23 जून 2023
क्या हाइड्रोजन का उपयोग रोजमर्रा की जिंदगी में किया जाता है?
हाइड्रोजन का उपयोग वाहनों को बिजली देने, बिजली उत्पन्न करने, बिजली उद्योग और हमारे घरों और व्यवसायों को गर्म करने के लिए किया जा सकता है। यह हमारे कार्बन उत्सर्जन पर बड़ा अंतर डाल सकता है और शुद्ध शून्य हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। 23 फरवरी 2023
हाइड्रोजन का सूत्र क्या है?
एच 2
हाइड्रोजन एक रासायनिक तत्व है; इसका प्रतीक H और परमाणु संख्या 1 है। यह सबसे हल्का तत्व है और, मानक स्थितियों में, सूत्र H 2 के साथ द्विपरमाणुक अणुओं की एक गैस है। यह रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, गैर विषैला और अत्यधिक दहनशील है।
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advancedurologymumbai · 10 months
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उभरते हुए उपचार यूरॉलोजिकल कैंसर के इलाज में क्रांति ला सकते हैं
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यूरॉलोजिकल कैंसर के उपचार का परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, उभरते हुए उपचारों के लिए धन्यवाद जो रोगियों के लिए नई संभावनाएं प्रदान करते हैं। इन अभिनव उपचारों ने प्रोस्टेट, मूत्राशय, गुर्दे और अन्य मूत्र संबंधी कैंसर से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए परिणामों और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। इस लेख में, हम उरोजेनिक कैंसर के लिए उभरते हुए उपचारों की दुनिया में उतरते हैं और कैंसर देखभाल में क्रांति लाने की उनकी क्षमता को उजागर करते हैं.
1. इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी यूरॉलोजिकल कैंसर के उपचार में एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण के रूप में उभरी है। यह कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और लक्षित करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति का उपयोग करता है। चेकपॉइंट अवरोधक, इम्यूनोथेरेपी का एक प्रकार, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को रोकने वाले प्रोटीन को अवरुद्ध करता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर कोशिकाओं को पहचान सकती है और उन पर हमला कर सकती है। इसने उन्नत यूरोटेलियल कार्सिनोमा और मेटास्टेटिक रीनल सेल कार्सिनोमा के उपचार में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं।
2. लक्षित उपचार
लक्षित उपचार विशिष्ट आणविक परिवर्तनों या आनुवंशिक उत्परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो कैंसर के विकास को बढ़ावा देते हैं। यूरॉलोजिकल कैंसर में, लक्षित उपचारों ने कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में सफलता दिखाई है। उदाहरण के लिए, टाइरोसिन किनेज अवरोधक ट्यूमर के विकास और रक्त वाहिका के गठन को बढ़ावा देने वाले संकेतों को अवरुद्ध करके उन्नत गुर्दे के कैंसर के उपचार में प्रभावी रहे हैं।
3. प्रिसिजन मेडिसिन
प्रिसिजन मेडिसिन में किसी व्यक्ति की विशिष्ट आनुवंशिक प्रोफाइल के आधार पर उपचार को तैयार करना शामिल है। रोगी की कैंसर कोशिकाओं के आनुवंशिक परिवर्तनों का विश्लेषण करके, डॉक्टर लक्षित उपचारों की पहचान कर सकते हैं जो सबसे अधिक प्रभावी होने की संभावना है। इस वैयक्तिक दृष्टिकोण ने उरोजेनिक कैंसर के लिए उपचार के परिणामों में सुधार करने का वादा दिखाया है, जिससे अधिक प्रभावी और अनुकूल उपचार योजनाओं की अनुमति मिलती है।.
4. रेडिओथेरेपी प्रगती
इंटेंसिटी-मॉड्यूलेटेड रेडिएशन थेरेपी (IMRT) और स्टिरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी (SBRT) जैसी विकिरण चिकित्सा तकनीकों में प्रगति ने आसपास के स्वस्थ ऊतक को नुकसान कम करते हुए ट्यूमर के अधिक सटीक लक्ष्यीकरण को सक्षम किया है। इन तकनीकों ने यूरॉलोजिकल कैंसर रोगियों के लिए उपचार के परिणामों में सुधार किया है और साइड इफेक्ट्स को कम किया है। यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को उरोजेनिक कैंसर का निदान हुआ है, तो एक विशेषज्ञ यूरॉलोजिकल ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है जो नवीनतम उपचार विकल्पों पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। अ���ॅडव्हान्स्ड यूरॉलोजी मुंबई में, हमारी अनुभवी यूरॉलोजिकल ऑन्कोलॉजिस्ट टीम उभरते हुए उपचारों के अग्रभाग में रहती है और व्यापक और व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करती है Ref - https://www.urologistmumbai.com/language/hi/exploring-the-promise-of-emerging-therapies-for-urological-cancers/
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vitiligocare · 1 year
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सफेद दाग कैसे होता है?
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सफेद दाग, जिसे विटिलाइगो (vitiligo) भी कहा जाता है, एक त्वचा की सामान्य बीमारी है जिसमें त्वचा पर रंग के पिगमेंट की कमी होती है, जिससे त्वचा पर सफेद या विटिलाइगोस पोट्स नामक सफेद धब्बे बन जाते हैं। इसका कारण अब तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, सफेद दाग के इलाज के विभिन्न तरीके होते हैं। लेकिन इसके कुछ मुख्य कारक हैं।
1. आणविक कारण (Genetic Factors): यह एक परिवारिक प्रकार की समस्या हो सकती है, और अगर किसी परिवार में किसी को सफेद दाग है, तो उनके बच्चों को इसका जोखिम बढ़ सकता है।
2. आत्मिक विकास (Autoimmune Disorders): कुछ लोगों में आत्मिक रोगों के कारण इस समस्या का प्रारंभ हो सकता है, जिसमें शरीर के अपने ही प्रतिरक्षा प्रणाली त्वचा के मेलेनिन को हमला कर सकती है।
3. जहरीले किटनों (कीड़ा) का संपर्क (Toxic Chemical Exposure): कुछ औद्योगिक या जीवाणुशक्ति धारक जहरीले किटने स्किन पर प्रतिक्रिया करके इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।
4. तनाव और मानसिक दबाव (Stress and Psychological Pressure): मानसिक दबाव और तनाव भी सफेद दाग को बढ़ावा दे सकते हैं।
5. स्वास्थ्य समस्याएँ: कई स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे कि ऑटोइम्यून समस्याएँ, सफेद दाग का कारण बन सकती हैं। इसमें रोगी के अपने शरीर के प्रति खुद के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के खिलाफ होती है, जिससे मेलेनिन की उत्पादन को नष्ट किया जा सकता है।
सफेद दाग के इलाज के लिए कई विकल्प होते हैं, जैसे कि डॉक्टर द्वारा प्रावधानिक दवाओं का सेवन, यूवी-बी थेरेपी, विटामिन सुप्लीमेंट्स, और त्वचा को छिपाने के लिए टैटू आर्ट। उपचार की चयनितता रोगी की स्थिति पर निर्भर करती है और एक डर्मेटोलॉजिस्ट या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ परामर्श के बाद तय की जानी चाहिए।
सफेद दाग के लक्षण
त्वचा पर सफेद या पिले रंग के दाग या छाले
ये दाग विशेष रूप से हाथ, पैर, मुँह, नाक, आँखों के चारों ओर और नाभि के चारों ओर हो सकते हैं।
ल्यूगो किट ( Leugo Kit ) लंबे समय तक एक प्रमुख और प्रचलित उपचार चिकित्सा है। ल्यूगो किट सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा त्वचा विकार का सबसे प्रभावी उपचार है।
ये Oldforest Ayurved द्वारा बनाया एक मात्र प्रोडक्ट है, जो आपको भी इस बीमारी से छुटकारा दिलाने मैं सक्षम है, हम मानते है की हमारी 8 साल की प्रैक्टिस मैं ये प्रोडक्ट ने खूब सफलता प्राप्त की है। इस बीमारी से ग्रसित हजारो मरीजों ने कुछ ही महीनो मैं और कम से कम मुल्ये मैं ल्यूगो किट की मदद से सफ़ेद दागो को जड़ से ख़त्म किया है।
आप ल्यूगो किट खरीदने के लिए www.vitiligocare.co पर जा सकते हैं या आप +91 8657-870-870 पर संपर्क कर सकते हैं।
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iskconchd · 2 years
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श्रीमद्‌ भगवद्‌गीता यथारूप 2.39 एषा तेऽभिहिता सांख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां शृणु । बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥ २.३९ ॥ TRANSLATION यहाँ मैंने वैश्लेषिक अध्ययन (सांख्य) द्वारा इस ज्ञान का वर्णन किया है । अब निष्काम भाव से कर्म करना बता रहा हूँ, उसे सुनो! हे पृथापुत्र! तुम यदि ऐसे ज्ञान से कर्म करोगे तो तुम कर्मों के बन्धन से अपने को मुक्त कर सकते हो । PURPORT वैदिक कोश निरुक्ति के अनुसार सांख्य का अर्थ है – विस्तार से वस्तुओं का वर्णन करने वाला तथा सांख्य उस दर्शन के लिए प्रयुक्त मिलता है जो आत्मा की वास्तविक प्रकृति का वर्णन करता है । और योग का अर्थ है – इन्द्रियों का निग्रह । अर्जुन का युद्ध न करने का प्रस्ताव इन्द्रियतृप्ति पर आधारित था । वह अपने प्रधान कर्तव्य को भुलाकर युद्ध से दूर रहना चाहता था क्योंकि उसने सोचा कि धृतराष्ट्र के पुत्रों अर्थात् अपने बन्धु-बान्धवों को परास्त करके राज्यभोग करने की अपेक्षा अपने सम्बन्धियों तथा स्वजनों को न मारकर वह अधिक सुखी रहेगा । दोनों ही प्रकार से मूल सिद्धान्त तो इन्द्रियतृप्ति था । उन्हें जीतने से प्राप्त होने वाला सुख तथा स्वजनों को जीवित देखने का सुख ये दोनों इन्द्रियतृप्ति के धरातल पर एक हैं, क्योंकि इससे बुद्धि तथा कर्तव्य दोनों का अन्त हो जाता है । अतः कृष्ण ने अर्जुन को बताना चाहा कि वह अपने पितामह के शरीर का वध करके उनके आत्मा को नहीं मारेगा । उन्होंने यह बताया कि उनके सहित सारे जीव शाश्र्वत प्राणी हैं, वे भूतकाल में प्राणी थे, वर्तमान में भी प्राणी रूप में हैं और भविष्य में भी प्राणी बने रहेंगे क्योंकि हम सैम शाश्र्वत आत्मा हैं । हम विभिन्न प्रकार से केवल अपना शारीरिक परिधान (वस्त्र) बदलते रहते हैं और इस भौतिक वस्त्र के बन्धन से मुक्ति के बाद भी हमारी पृथक् सत्ता बनी रहती है । भगवान् कृष्ण द्वारा आत्मा तथा शरीर का अत्यन्त विशद् वैश्लेषिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है और निरुक्ति कोश की शब्दावली में इस विशद् अध्ययन को यहाँ सांख्य कहा गया है । इस सांख्य का नास्तिक-कपिल के सांख्य-दर्शन से कोई सरोकार नहीं है । इस नास्तिक-कपिल के सांख्य दर्शन से बहुत पहले भगवान् कृष्ण के अवतार भगवान् कपिल ने अपनी माता देवहूति के समक्ष श्रीमद्भागवत में वास्तविक सांख्य-दर्शन पर प्रवचन किया था । उन्होंने स्पष्ट बताया है कि पुरुष या परमेश्र्वर क्रियाशील हैं और वे प्रकृति पर दृष्टिपात करके सृष्टि कि उत्पत्ति करते हैं । इसको वेदों ने तथा गीता ने स्वीकार किया है । वेदों में वर्णन मिलता है कि भगवान् ने प्रकृति पर दृष्टिपात किया और उसमें आणविक जीवात्माएँ प्रविष्ट कर दीं । ये सारे जीव भौतिक-जगत् में इन्द्रियतृप्ति के लिए कर्म करते रहते हैं और माया के वशीभूत् होकर अपने को भोक्ता मानते रहते हैं । इस मानसिकता की चरम सीमा भगवान् के साथ सायुज्य प्राप्त करना है । यह माया अथवा इन्द्रियतृप्तिजन्य मोह का अन्तिम पाश है और अनेकानेक जन्मों तक इस तरह इन्द्रियतृप्ति करते हुए कोई महात्मा भगवान् कृष्ण यानी वासुदेव की शरण में जाता है जिससे परम सत्य की खोज पूरी होती है । अर्जुन ने कृष्ण की शरण ग्रहण करके पहले ही उन्हें गुरु रूप में स्वीकार कर लिया है – शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम । फलस्वरूप कृष्ण अब उसे बुद्धियोग या कर्मयोग की कार्यविधि बताएँगे जो कृष्ण की इन्द्रियतृप्ति के लिए किया गया भक्तियोग है । यह बुद्धियोग अध्याय दस के दसवें श्लोक में वर्णित है जिससे इसे उन भगवान् के साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क बताया गया है जो सबके हृदय में परमात्मा रूप में विद्यमान हैं, किन्तु ऐसा सम्पर्क भक्ति के बिना सम्भव नहीं है । अतः जो भगवान् की भक्ति या दिव्य प्रेमाभक्ति में या कृष्णभावनामृत में स्थित होता है, वही भगवान् की विशिष्ट कृपा से बुद्धियोग की यह अवस्था प्राप्त कर पाता है । अतः भगवान् कहते हैं कि जो लोग दिव्य प्रेमवश भक्ति में निरन्तर लगे रहते हैं उन्हें ही वे भक्ति का विशुद्ध ज्ञान प्रदान करते हैं । इस प्रकार भक्त सरलता से उनके चिदानन्दमय धाम में पहुँच सकते हैं । इस प्रकार इस श्लोक में वर्णित बुद्धियोग भगवान् कृष्ण की भक्ति है और यहाँ पर उल्लिखित सांख्य शब्द का नास्तिक-कपिल द्वारा प्रतिपादित अनीश्र्वरवादी सांख्य-योग से कुछ भी सम्बन्ध नहीं है । अतः किसी को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि यहाँ पर उल्लिखित सांख्य-योग का अनीश्र्वरवादी सांख्य से किसी प्रकार का सम्बन्ध है । न ही उस समय उसके दर्शन का कोई प्रभाव था, और न कृष्ण ने ऐसी ईश्र्वरविहीन दार्शनिक कल्पना का उल्लेख करने की चिन्ता की । वास्तविक सांख्य-दर्शन का वर्णन भगवान् कपिल द्वारा श्रीमद्भागवत में हुआ है, किन्तु वर्तमान प्रकरणों में उस सांख्य से भी कोई सरोकार नहीं है । यहाँ सांख्य का अर्थ है शरीर तथा आत्मा का वैश्लेषिक अध्ययन । भगवान् कृष्ण ने आत्मा का वैश्लेषिक वर्णन अर्जुन को बुद्धियोग या कर्मयोग तक लाने के लिए किया । अतः भगवान् कृष्ण का सांख्य तथा भागवत में भगवान् कपिल द्वारा वर्णित सांख्य एक ही हैं । ये दोनों भक्तियोग हैं । अतः भगवान् कृष्ण ने कहा है कि केवल अल्पज्ञ ही सांख्य-योग तथा भक्तियोग में भेदभाव मानते हैं (सांख्ययोगौ पृथग्बालाः प्रवदन्ति न पण्डिताः) । निस्सन्देह अनीश्र्वरवादी सांख्य-योग का भक्तियोग से कोई सम्बन्ध नहीं है फिर भी बुद्धिहीन व्यक्तियों का दावा है कि भगवद्गीता में अनीश्र्वरवादी सांख्य का ही वर्णन हुआ है । अतः मनुष्य को यह जान लेना चाहिए कि बुद्धियोग का अर्थ कृष्णभावनामृत में, पूर्ण आनन्द तथा भक्ति के ज्ञान में कर्म करना है । जो व्यक्ति भगवान् की तुष्टि के लिए कर्म करता है, चाहे वह कर्म कितना भी कठिन क्यों न हो, वह बुद्धियोग के सिद्धान्त के अनुसार कार्य करता है और दिव्य आनन्द का अनुभव करता है । ऐसी दिव्य व्यस्तता के कारण उसे भगवत्कृपा से स्वतः सम्पूर्ण दिव्य ज्ञान प्राप्त हो जाता है और ज्ञान प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त श्रम किये बिना ही उसकी पूर्ण मुक्ति हो जाति है । कृष्णभावनामृत कर्म तथा फल प्राप्ति की इच्छा से किये गये कर्म में, विशेषतया पारिवारिक या भौतिक सुख प्राप्त करने की इन्द्रिय तृप्ति के लिए किये गये कर्म में, प्रचुर अन्तर होता है । अतः बुद्धियोग हमारे द्वारा सम्पन्न कार्य का दिव्य गुण है । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.39 eṣā te ’bhihitā sāṅkhye buddhir yoge tv imāṁ śṛṇu buddhyā yukto yayā pārtha karma-bandhaṁ prahāsyasi TRANSLATION Thus far I have described this knowledge to you through analytical study. Now listen as I explain it in terms of working without fruitive results. O son of Pṛthā, when you act in such knowledge you can free yourself from the bondage of works. PURPORT According to the Nirukti, or the Vedic dictionary, saṅkhyā means that which describes things in detail, and sāṅkhya refers to that philosophy which describes the real nature of the soul. And yoga involves controlling the senses. Arjuna’s proposal not to fight was based on sense gratification. Forgetting his prime duty, he wanted to cease fighting, because he thought that by not killing his relatives and kinsmen he would be happier than by enjoying the kingdom after conquering his cousins and brothers, the sons of Dhṛtarāṣṭra. In both ways, the basic principles were for sense gratification. Happiness derived from conquering them and happiness derived by seeing kinsmen alive are both on the basis of personal sense gratification, even at a sacrifice of wisdom and duty. Kṛṣṇa, therefore, wanted to explain to Arjuna that by killing the body of his grandfather he would not be killing the soul proper, and He explained that all individual persons, including the Lord Himself, are eternal individuals; they were individuals in the past, they are individuals in the present, and they will continue to remain individuals in the future, because all of us are individual souls eternally. We simply change our bodily dress in different manners, but actually we keep our individuality even after liberation from the bondage of material dress. An analytical study of the soul and the body has been very graphically explained by Lord Kṛṣṇa. And this descriptive knowledge of the soul and the body from different angles of vision has been described here as Sāṅkhya, in terms of the Nirukti dictionary. This Sāṅkhya has nothing to do with the Sāṅkhya philosophy of the atheist Kapila. Long before the imposter Kapila’s Sāṅkhya, the Sāṅkhya philosophy was expounded in the Śrīmad-Bhāgavatam by the true Lord Kapila, the incarnation of Lord Kṛṣṇa, who explained it to His mother, Devahūti. It is clearly explained by Him that the puruṣa, or the Supreme Lord, is active and that He creates by looking over the prakṛti. This is accepted in the Vedas and in the Gītā. The description in the Vedas indicates that the Lord glanced over the prakṛti, or nature, and impregnated it with atomic individual souls. All these individuals are working in the material world for sense gratification, and under the spell of material energy they are thinking of being enjoyers. This mentality is dragged to the last point of liberation when the living entity wants to become one with the Lord. This is the last snare of māyā, or sense gratificatory illusion, and it is only after many, many births of such sense gratificatory activities that a great soul surrenders unto Vāsudeva, Lord Kṛṣṇa, thereby fulfilling the search after the ultimate truth. Arjuna has already accepted Kṛṣṇa as his spiritual master by surrendering himself unto Him: śiṣyas te ’haṁ śādhi māṁ tvāṁ prapannam. Consequently, Kṛṣṇa will now tell him about the working process in buddhi-yoga, or karma-yoga, or in other words, the practice of devotional service only for the sense gratification of the Lord. This buddhi-yoga is clearly explained in Chapter Ten, verse ten, as being direct communion with the Lord, who is sitting as Paramātmā in everyone’s heart. But such communion does not take place without devotional service. One who is therefore situated in devotional or transcendental loving service to the Lord, or, in other words, in Kṛṣṇa consciousness, attains to this stage of buddhi-yoga by the special grace of the Lord. The Lord says, therefore, that only to those who are always engaged in devotional service out of transcendental love does He award the pure knowledge of devotion in love. In that way the devotee can reach Him easily in the ever-blissful kingdom of God. Thus the buddhi-yoga mentioned in this verse is the devotional service of the Lord, and the word Sāṅkhya mentioned herein has nothing to do with the atheistic sāṅkhya-yoga enunciated by the imposter Kapila. One should not, therefore, misunderstand that the sāṅkhya-yoga mentioned herein has any connection with the atheistic Sāṅkhya. Nor did that philosophy have any influence during that time; nor would Lord Kṛṣṇa care to mention such godless philosophical speculations. Real Sāṅkhya philosophy is described by Lord Kapila in the Śrīmad-Bhāgavatam, but even that Sāṅkhya has nothing to do with the current topics. Here, Sāṅkhya means analytical description of the body and the soul. Lord Kṛṣṇa made an analytical description of the soul just to bring Arjuna to the point of buddhi-yoga, or bhakti-yoga. Therefore, Lord Kṛṣṇa’s Sāṅkhya and Lord Kapila’s Sāṅkhya, as described in the Bhāgavatam, are one and the same. They are all bhakti-yoga. Lord Kṛṣṇa said, therefore, that only the less intelligent class of men make a distinction between sāṅkhya-yoga and bhakti-yoga (sāṅkhya-yogau pṛthag bālāḥ pravadanti na paṇḍitāḥ). Of course, atheistic sāṅkhya-yoga has nothing to do with bhakti-yoga, yet the unintelligent claim that the atheistic sāṅkhya-yoga is referred to in the Bhagavad-gītā. One should therefore understand that buddhi-yoga means to work in Kṛṣṇa consciousness, in the full bliss and knowledge of devotional service. One who works for the satisfaction of the Lord only, however difficult such work may be, is working under the principles of buddhi-yoga and finds himself always in transcendental bliss. By such transcendental engagement, one achieves all transcendental understanding automatically, by the grace of the Lord, and thus his liberation is complete in itself, without his making extraneous endeavors to acquire knowledge. There is much difference between work in Kṛṣṇa consciousness and work for fruitive results, especially in the matter of sense gratification for achieving results in terms of family or material happiness. Buddhi-yoga is therefore the transcendental quality of the work that we perform. -----
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prabudhajanata · 2 years
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मुंबई : -अनिल बेदाग़- डायग्नोस्टिक्स के क्षेत्र की अग्रणी कंपनी, क्रस्ना डायग्नोस्टिक्स Krasna Diagnostic (बीएसई: 543328, एनएसई: केआरएसएनएए) ने आज पूरे भारत में 600 डायग्नोस्टिक्स सेंटर शुरू करने की अपनी योजना की घोषणा की। कंपनी महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में अपनी उपस्थिति को मजबूत करेगी और यह उक्त राज्यों के महानगरों, टियर 2 और टियर 3 शहरों में अपने सेंटर खोलेगी। ये सेंटर नियमित नैदानिक जाँचों में आम तौर पर प्रयुक्त होने वाले बायोकेमिस्ट्री और सीरोलॉजी की नियमित जांच के साथ-साथ सटीक दवा, आनुवंशिकी, जीनोमिक्स और आणविक निदान में विशेष सेवाएं प्रदान करने के लिए सुसज्जित होंगे। महिलाओं के स्वास्थ्य (हार्मोन / पीसीओडी), मधुमेह की निगरानी, ​​हृदय स्वास्थ्य और कैंसर देखभाल के लिए इन सेंटर्स में समर्पित सेवाएं प्रदान की जाएंगी। क्रस्ना डायग्नोस्टिक्स Krasna Diagnostic भारत में एक छत के नीचे रेडियोलॉजी और डायग्नोस्टिक्स सेवाओं का सबसे बड़ा सेवा प्रदाता है। वर्तमान में, भारत के 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 2,000 से अधिक स्थानों पर कंपनी की मौजूदगी है। कंपनी का दृष्टिकोण साझा करते हुए, क्रस्ना डायग्नोस्टिक्स की प्रबंध निदेशक, सुश्री पल्लवी जैन ने कहा, “हमारे समाज की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के मामले में, क्रस्ना डायग्नोस्टिक्स हमेशा से सबसे आगे रहा है। डायग्नोस्टिक्स सेवाओं की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए और देश के दूर-दराज के हिस्सों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, हमने फ्रेंचाइजी मॉडल के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में प्रवेश करने का निर्णय लिया है। इस विस्तार के साथ, हम देश भर में अधिक से अधिक लोगों के लिए उच्च-स्तरीय बुनियादी ढांचे और सर्वोत्तम कोटि की नैदानिक सेवाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं।” इस पहल पर टिप्पणी करते हुए, मुख्य परिचालन अधिकारी, श्री रविंदर सेठी ने कहा, “वर्तमान में, हम अपने अधिकांश केंद्रों का संचालन अस्पतालों के माध्यम से करते हैं। इस पहल के जरिए हम भारत में हमारी उपस्थिति को बढ़ाने और रोगियों के बेहतर स्वास्थ्य देखभाल हेतु सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। इस लॉन्च के साथ, हम यह सुनिश्चित करने के लिए मरीजों के निकट आ रहे हैं कि हम उन जगहों पर मौजूद हैं जहां स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत पूरी नहीं हो पाई है। क्रस्ना डायग्नोस्टिक्स अपने ग्राहकों को बेहद प्रतिस्पर्धी कीमतों की पेशकश करने वाली सबसे बड़ी डायग्नोस्टिक्स कंपनियों में से एक है।”
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forefoot0xff · 2 years
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अल-कायदाबाट प्राप्त जानकारीको आधारमा, यो जितको लागि श्री ओमर मात्र जिम्मेवार थिए भन्ने सोचिएको थियो। यदि तपाईं जीवित हुनुहुन्छ भने, तपाईंले निर्णय गर्नुपर्छ कि तपाईं जिम्मेवार हुनुहुन्छ वा छैन। हामीले पहिले प्रहार गर्यौं। मृतकलाई पक्राउ गर्न सकिँदैन । र, आणविक दुर्घटनाका कारण सुनामी अघि TEPCO सञ्चालनमा थिएन भन्ने कुरामा म सही छु । त्यसैगरी भोलिपल्ट समुन्द्रमा इन्जेक्सनमा बाधा पुर्‍याएको कारण आफूलाई डिस्टर्ब नभएको भनी सच्याइएको थियो । मैले शाही डिक्रीद्वारा समुद्री पानीको इन्जेक्सन निलम्बित गरेको भनी सूचना पठाएँ, र मैले शाही कर्तव्यहरू जारी राखें, त्यसैले निलम्बन रद्द गरियो। यसले वर्णनलाई घुमाउँछ। कुनै मानवीय क्षति नभएको र दुर्घटना सुनामीको प्रभावले भन्दा पनि भूकम्पको प्रभावमा परिणत हुनुको अर्थ सरकारले भूकम्पका कारण सरकारको दृष्टिकोणलाई तोडेको हो । जापानमा आणविक ऊर्जा संयन्त्रहरू प्रवर्द्धन गर्न असम्भव हुनेछ जहाँ गल्तीहरू जालहरू जस्तै फैलिएका छन्।
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samaya-samachar · 6 months
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के किम ठुलो युद्धको तयारीमा छन् ?
काठमाडौँ । उत्तर कोरियाका शासक किम जोङ उनल बारम्बार धम्की र आणविक क्षेप्यास्त्र परीक्षणका लागि विश्वभर चर्चित छन् । यसैबीच, केही विश्लेषकहरूले पछिल्ला केही महिनामा किमले वास्तविक युद्धको तयारी गर्न थालेको चेतावनी दिएका छन् । विगत १३ वर्षमा किमले थप आक्रामक रुख अपनाएर सीमा परिक्षण गर्दै आएका छन् । आफ्नो देशको आणविक क्षमता र मिसाइल कार्यक्रममा द्रुत प्रगतिबाट बलियो, बनेका किमले २०२४ को शुरुमा उत्तर…
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safegyancom · 2 years
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Class 10 Chapter 4 कार्बन और उसके यौगिक Mcq
Class 10 Chapter 4 कार्बन और उसके यौगिकMcq  Most Important Question-Answer  इस आर्टिकल में हमारे विषय विशेषज्ञों के द्वारा  Class 10 Chapter 4 कार्बन और उसके यौगिक Mcq के अति महत्वपूर्ण एवं सर्वाधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों को सम्मिलित किया गया है  Class 10 Chapter 4 कार्बन और उसके यौगिकMcq Class 10 Chapter 4 कार्बन और उसके यौगिकMcq प्रश्न 1. एथेन का आणविक सूत्र-C2H6 है। इसमें- (a) 6 सहसंयोजक आबंध…
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haryanaboardsolutions · 8 months
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