#आकाश वायु
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taapsee · 2 months ago
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#GodMorningSaturday 18-jan-2025
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
हैं।
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ktkapil · 1 month ago
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#GodMorningFriday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
हैं।
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thedhongibaba · 1 year ago
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🙏अब आपकी बारी
खासकर अपने बच्चों को बताएं
क्योंकि ये बात उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बताएगा...
📜😇 दो पक्ष-
कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !
📜😇 तीन ऋण -
देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !
📜😇 चार युग -
सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !
📜😇 चार धाम -
द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !
📜😇 चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपु���ी ) ,
शृंगेरीपीठ !
📜😇 चार वेद-
ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !
📜😇 चार आश्रम -
ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !
📜😇 चार अंतःकरण -
मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !
📜😇 पञ्च गव्य -
गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !
📜
📜😇 पंच तत्त्व -
पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !
📜😇 छह दर्शन -
वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !
📜😇 सप्त ऋषि -
विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!
📜😇 सप्त पुरी -
अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !
📜😊 आठ योग -
यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !
📜
📜
📜😇 दस दिशाएं -
पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल
📜😇 बारह मास -
चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !
📜
📜
📜😇 पंद्रह तिथियाँ -
प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !
📜😇 स्मृतियां -
मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
या��्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !
**********************
इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी सनातन भारतीय संस्कृति का ज्ञान हो।
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।
5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में
सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।
अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।
परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।
उदास हो?
कथाए पढो ।
टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।
फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......
सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।
व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।
ये मेसेज असुर भेजने से रोकेगा मगर आप ऐसा नही होने दे और मेसेज सब नम्बरो को भेजे ।
श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।
.
''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...
बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...
बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...
अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...
खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...
''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...
खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...
खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...
खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...
खाने के बाद 'पानी' पीना"
��ीमारीयो का घर है...
बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...
ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है
रोज एक सेब
नो डाक्टर ।
रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।
रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।
रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।
रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।
रोज चार काजू,
नो भूख ।
रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।
रोज कथा सुनो
मन को शान्ति मिलेगी ।।
"चेहरे के लिए ताजा पानी"।
"मन के लिए गीता की बाते"।
"सेहत के लिए योग"।
और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।
अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।
जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान इक इक पुण्य के लिए तरसेगा ।
जब तक ये मेसेज भेजते रहोगे मुझे और आपको इसका पुण्य मिलता रहेगा...
अच्छा लगा तो मैने भी आपको भेज दिया, आप भी इस पुण्य के भागीदार बनें
*जय माँ सरस्वती*!! जय मां शारदा !! 🙏🙏🌹🌹
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*पिता के लिए हमारे शास्त्रों में कई जगह क्या बताया गया है उसका चिंतन करते है !*
पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥
जनिता चोपनेता च यस्तु विद्यां प्रयच्छति
अन्नदाता भयत्राता पञ्चैते पितरः स्मृताः
सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा।
शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा:॥
पिता शब्द ‘पा रक्षणे’ धातु से निष्पन्न होता है। ‘यः पाति स पिता’ जो रक्षा करता है, वह पिता कहलाता है। इससे वह पिता अर्थात् हमारी रक्षा की भूमिका में होते हैं। अतः पिता एक व्यापक अर्थ वाला शब्द है। इसे केवल रूढ़ अर्थों में ही नहीं लिया जाना चाहिये ।
ऋषि यास्काचार्य प्रणीत ग्रन्थ ‘निरुक्त’ के सूत्र 4/21 में कहा गया है-
‘पिता पाता वा पालयिता वा”।
निरुक्त 6/15 में कहा है –
‘पिता–गोपिता”
अर्थात् पालक, पोषक और रक्षक को पिता कहते हैं।
मनुस्मृति वेदमूलक अति प्राचीन ग्रन्थ है। इसके 2/145 सूत्र में पिता के गौरव का वर्णन मिलता है।
श्लोक है-
‘उपाध्यायान्दशाचार्य आचार्याणां शतं पिता।
सहस्त्रं तु पितृन् माता गौरवेणातिरिच्यते।।
श्लोक का अर्थ है कि दस उपाध्यायों से बढ़कर आचार्य, सौ आचार्यों से बढ़कर पिता और एक हजार पिताओं से बढ़कर माता गौरव में अधिक है, अर्थात् बड़ी है।
मनुस्मृतिकार ने जहां आचार्य और माता की प्रशंसा की है, उसी प्रकार पिता का स्थान भी ऊंचा माना है।
मनुस्मृति के श्लोक 2/226 में
‘‘पिता मूर्त्ति: प्रजापतेः”
कहकर बताया गया है कि पिता पालन करने से प्रजापति (राजा व ईश्वर) का मूर्तिरूप है।
महाभारत के वनपर्व में यक्ष-युधिष्ठिर संवाद में भी माता व पिता के विषय में प्रश्नोत्तर हुए हैं जिसमें इन दोनों मूर्तिमान चेतन देवों के गौरव का वर्णन है। यक्ष युधिष्ठिर से प्रश्न करते हैं कि
‘का स्विद् गुरुतरा भूमेः स्विदुच्चतरं च खात्।
किं स्विच्छीघ्रतरं वायोः किं स्विद् बहुतरं तृणात्।।
अर्थात् पृथिवी से भारी क्या है? आकाश से ऊंचा क्या है? वायु से भी तीव्र चलनेवाला क्या है? और तृणों से भी असंख्य (असीम-विस्तृत) एवं अनन्त क्या है? इसके उत्तर में युधिष्ठिर ने यक्ष को बताया कि ‘माता गुरुतरा भूमेः पिता चोच्चतरं च खात्। मनः शीघ्रतरं वाताच्चिन्ता बहुतरी तृणात्।।’ अर्थात् माता पृथिवी से भारी है। पिता आकाश से भी ऊंचा है। मन वायु से भी अधिक तीव्रगामी है और चिन्ता तिनकों से भी अधिक विस्तृत एवं अनन्त है।
महाभारत शा. 266/21 में कहा गया है कि
‘पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवता।।
अर्थात् पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सारे देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
पद्मपुराण के 47/12-14 श्लोकों में भी पिता का गौरवगान मिलता है। ग्रन्थकार ने कहा है कि
‘सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।12।।
मातरं पितरं चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्।
प्रदक्षिणीकृता तेन सप्त द्वीपा वसुन्धरा।।13।।
जानुनी च करौ यस्य पित्रोः प्रणमतः शिरः।
निपतन्ति पृथिव्यां च सोऽक्षयं लभते दिवम्।।14।।
इन श्लोकों का तात्पर्य है कि माता सर्वतीर्थमयी (दुःखों से छुड़ानेवाली तीर्थ) है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है, अतएव प्रयत्नपूर्वक सब प्रकार से माता–पिता का आदर–सत्कार करना चाहिए। जो माता–पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सात द्वीपों से युक्त सम्पूर्ण पृथिवी की परिक्रमा हो जाती है। माता–पिता को प्रणाम करते समय जिसके हाथ, घुटने और मस्तक पृथिवी पर टिकते हैं, वह अक्षय स्वर्ग को प्राप्त होता है। महाभारत के आदि पर्व के 3/37 श्लोक में तीन पिताओं का वर्णन है। श्लोक आता है कि
‘शरीरकृत् प्राणदाता यस्य चान्नानि भुंजते।
क्रमेणैते त्रयोऽप्युक्ताः पितरो धर्मशासने।।
इस श्लोक में बताया गया है कि जो गर्भाधान द्वारा शरीर का निर्माण करता है वह प्रथम, जो अभयदान देकर प���राणों की रक्षा करता है वह द्वितीय और जिसका अन्न भोजन किया जाता है वह तृतीय, यह तीनों पिता होते हैं। *इसी तरह की रोचक तथ्य एवं अध्यात्मिक ज्ञान हेतु हमारे पेज से जुड़े* *tumblr par👇🏻* https://www.tumblr.com/sanatan-poojan-samagri-bhandar, *Instagram par👇🏻* https://www.instagram.com/sanatanpoojansamagribhandar?r=nametag
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myviralpost369 · 8 days ago
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वायुतत्त्व और स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक संतुलन
1️⃣ वायुतत्त्व का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक परिचय वायुतत्त्व पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) में चौथा और अत्यंत महत्वपूर्ण तत्त्व है। यह गति, परिवर्तन और जीवन शक्ति का स्रोत है। श्वास-प्रश्वास (सांस लेना और छोड़ना) से लेकर संपूर्ण ब्रह्मांडीय गतिविधियों तक, वायुतत्त्व हर स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाता है। विज्ञान के अनुसार, वायुतत्त्व मुख्य रूप से गैसों का प्रतिनिधित्व करता है,…
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bw-shri-bhagwan · 16 days ago
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#fridayfeeling
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
#santrampaljimaharaj
हैं।
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astrovastukosh · 29 days ago
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*🌞~ आज दिनांक - 1 मार्च 2025 का वैदिक हिन्दू पंचांग और मन में शांति की लहरें प्रकट करनेवाली मुद्रा ~🌞*
*⛅दिनांक - 1 मार्च 2025*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया रात्रि 12:09 मार्च 2 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद सुबह 11:22 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*⛅योग -  साध्य शाम 4:25 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - सुबह 9:57 से सुबह 11:24 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 06:38*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:23 से 06:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:29 से दोपहर 01:15 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 मार्च 02 से रात्रि 01: 16 मार्च 02 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - फुलैरा दूज, श्री रामकृष्ण परमहंस जयन्ती, संत दादू दयालजी जयंती, त्रिपुष्कर योग ( सुबह 07:01 से सुबह 11:22 तक)*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटहरी) खाना निषिद्ध है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹मन में शांति की लहरें प्रकट करनेवाली मुद्रा : शांत मुद्रा🔹*
*यह मुदा कोध को शांत करने में अत्यंत लाभदायी है, इसीलिए इसका नाम 'शांत मुद्रा' रखा गया है ।*
*🔹लाभ : (१) जिसे बार-बार क्रोध आता हो या स्वभाव चिड़चिड़ा हो, उसके लिए यह मुद्रा वरदानस्वरूप है । इस मुद्रा से क्रोध तत्काल शांत हो जाता है ।*
*🔸(२) क्रोध के स्पंदनों पर शांति के स्पंदनों का टकराव होने से शरीर का तान-तनाव कम हो जाता है ।*
*🔸(३) मन भी आसानी से शांत हो जाता है । शांतिवर्धक लहरें तन-मन में संचारित होने लगती हैं ।*
*🔸(४) इस मुद्रा को करने पर आप विशेष एकाग्रता का अनुभव करेंगे ।*
*🔹विधि : (१) ध्यान के लिए अनुकूल पड़े ऐसे किसी भी आसन में बैठ जायें। आप यात्रा के समय भी किसी अनुकूल आसन में यह कर सकते हैं ।*
*🔸(२) उँगलियों के अग्रभागों को अँगूठे के अग्रभाग से चारों तरफ से मिलायें। अँगूठे व उँगलियों को थोड़ा- सा मोड़ें, जिससे उँगलियों के अग्रभाग अँगूठे के अग्रभाग से अच्छी तरह मिल जायें ।*
*🔸(३) अँगूठे के अग्रभाग पर एकाग्र हों और उँगलियों की सनसनी अनुभव करें ।*
*🔸मुद्रा-विज्ञान : पाँचों उँगलियाँ मिलाने पर अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल ये पाँचों तत्त्व इकट्ठे हो जाते हैं । इससे प्राण��क्ति पुष्ट होती है ।*
⚜️📌✍𝗙𝗼𝗹𝗹𝗼𝘄 ��𝘀
📌𝗔𝘀𝘁𝗿𝗼𝗹𝗼𝗴𝘆, 𝗩𝗮𝘀𝘁𝘂𝗦𝗵𝗮𝘀𝘁𝗿𝗮 𝗮𝗻𝗱 𝗡𝘂𝗺𝗲𝗿𝗼𝗹𝗼𝗴𝘆 और सनातन धर्म की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी पहले पाने के लिए अभी 𝗙𝗼𝗹𝗹𝗼𝘄 करे "𝗔𝘀𝘁𝗿𝗼𝗩𝗮𝘀𝘁𝘂𝗞𝗼𝘀𝗵" को 📌𝗔𝗸𝘀𝗵𝗮𝘆 𝗝𝗮𝗺𝗱𝗮𝗴𝗻𝗶
📌𝟵𝟴𝟯𝟳𝟯𝟳𝟲𝟴𝟯𝟵
📌𝗪𝗵𝗮𝘁𝘀𝗮𝗽𝗽 https://tinyurl.com/276kwcwf
📌𝗪𝗵𝗮𝘁𝘀𝗮𝗽𝗽𝗖𝗵𝗮𝗻𝗻𝗲𝗹
https://tinyurl.com/24v4967v
📌𝗬𝗼𝘂𝘁𝘂𝗯𝗲
https://tinyurl.com/2alwfng7
📌𝗜𝗻𝘀𝘁𝗮𝗴𝗿𝗮𝗺
https://tinyurl.com/2958lafo 📌𝗧𝗲𝗹𝗲𝗴𝗿𝗮𝗺 https://tinyurl.com/2ynvnmea
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babitashekhawat · 1 month ago
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#GodMorningFriday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
हैं।
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sabitadasichatro · 1 month ago
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#GodMorningSaturday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास । पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार ��वास ।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने ....
#FridayVibes
#SantRampalJiMaharaj
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taapsee · 4 months ago
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#GodMorningSaturday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
हैं।
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nirashodasi · 1 month ago
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#GodMorningSaturday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास । पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास ।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने ....
#FridayVibes
#SantRampalJiMaharaj
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purpledestinystudent · 1 month ago
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#GodMorningSaturday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास । पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास ।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने ....
#FridayVibes
#SantRampalJiMaharaj
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bandhandas · 1 month ago
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#GodMorningSaturday
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास । पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास ।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने ....
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myviralpost369 · 10 days ago
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पंचतत्व: जल तत्व को संतुलित करने के उपाय
📖 परिचय भारतीय दर्शन और आयुर्वेद में पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का महत्वपूर्ण स्थान है। इन तत्वों में से जल तत्व सबसे अधिक तरलता, शीतलता और संवेदनशीलता से जुड़ा हुआ है। यह जीवन के प्रवाह, भावनात्मक संतुलन और शरीर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। जल तत्व का संतुलन व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। 🌊 जल तत्व का प्रभाव एवं महत्व 1️⃣ शरीर पर…
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9897pansingh · 1 month ago
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#sant rampal ji maharaj
गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
हैं।
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8683049370 · 1 month ago
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गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास। पांच तत्त हाजरि खड़े, खिजमतिदार खवास।।
उस परमात्मा के आदेश से पाँचों तत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी) कार्य
करते हैं। वे तो परमेश्वर कबीर जी की खिदमतदार यानि सेवा करने वाले (सेवक) दास
हैं।
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