#आँखों देखा भगवान को सुनो उस अमृतज्ञान को
Explore tagged Tumblr posts
aas799 · 6 months ago
Text
Tumblr media
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3, मंडल 9 सूक्त 93 मंत्र 2 में लिखा है कि वह परमेश्वर सशरीर प्रकट होता है और सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है। कबीर परमेश्वर सन् 1398 (विक्रम संवत 1455, ज्येष्ठ पूर्णमासी) को शिशु रूप में प्रकट हुए। और सन् 1518 (वि. सं. 1575) को सशरीर सतलोक चले गए
2 notes · View notes
aas799 · 2 months ago
Text
Tumblr media
सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेने से सर्व पाप कर्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते हैं। सत्यलोक की प्राप्ति होती है जहां केवल सुख है, दुःख नहीं है
0 notes
aas799 · 3 months ago
Text
Tumblr media
फ्रांस के डॉ. जूलर्वन के अनुसार 'भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रांति नास्तिकता का नाश करके आँधी तूफान की तरह सम्पूर्ण विश्व को ढक लेगी। उस
आपको बता दें डॉ. जूलर्वन ने भारत के जिस महापुरुष के ज्ञान का जिक्र किया है वह संत रामपाल जी महाराज हैं। जिनके अध्यात्म ज्ञान को सुन नास्तिक लोग भी आस्तिक हो रहे हैं
0 notes
aas799 · 3 months ago
Text
Tumblr media
#संतरामपालजी_की_जनहित_सेवा
बेटा-बेटी एक समान
समाज में बेटा-बेटी में भेदभाव आज भी समाज में देखने को मिलता है। लेकिन संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में बताया है कि बेटा हो या बेटी सभी परमात्मा की आत्माएं हैं और हमें उनमें भेदभाव करके परमात्मा का दोषी नहीं बनना चाहिए
India Will Become A Vishwaguru
0 notes
aas799 · 3 months ago
Text
Tumblr media
भगवान श्री राम की पूजा पर जग्गी वासुदेव ने लगाया प्रश्न चिन्ह। अवश्य देखिए सनातनी पूजा के पतन की कहानी संत रामपाल जी महाराज की जुबानी भाग - 3 Factful Debates YouTube Channell पर
0 notes
aas799 · 6 months ago
Text
Tumblr media
जगन्नाथ मंदिर जाने से पहले जानें यह रहस्य
समुद्र बार बार जगन्नाथ मंदिर को तोड़ रहा था और विष्णु जी से प्रतिशोध ले रहा था। समुद्र ने कबीर परमात्मा से कहा कि जब यह श्री कृष्ण जी त्रेतायुग में ��्री रामचन्द्र रूप में आया था तब इसने मुझे अग्नि बाण दिखा कर बुरा भला कह कर अपमानित करके रास्ता मांगा था। मैं वह प्रतिशोध लेने जा रहा हूँ
0 notes
aas799 · 6 months ago
Text
Tumblr media
"सूखी टहनी को हरी भरी करना"
गुजरात के भरुच शहर के पास अंकलेश्वर गांव के पास जीवा-दत्ता नामक दो भक्तों द्वारा पूर्ण संत की खोज में लगाई गई सूखी वट वृक्ष की टहनी को कबीर परमेश्वर ने अपने चरणामृत से हरी भरी कर दी थी। जो आज भी भरुच शहर के पास प्रमाण के तौर पर मौजूद हैं, जिसे कबीर वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है
0 notes