#अरस्तु के विचार
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tipsandtricksforlife28 · 4 months ago
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Arastu ke vichar | अरस्तु के विचार - आलोचना से बचने का एक ही तरीका है| A...
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gyaanuday · 3 years ago
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अरस्तू के परिवार व संपत्ति पर विचार
अरस्तु ने परिवार व संपत्ति को व्यक्तिगत विशेषता बताया है, क्योंकि इन दोनों के आधार पर ही एक व्यक्ति अपना विकास करता है और यह विकास की आवश्यक शर्तें हैं । किसी व्यक्ति के ��िकास के लिए संपत्ति तथा परिवार दोनों ही आवश्यक है । Pls share
Aristotle���s views on Family and Property Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, पश्चिमी राजनीतिक विचार के अंतर्गत अरस्तु के परिवार और संपत्ति संबंधी विचारों के बारे में । (Aristotle’s views on Family and Property in hindi) इस Post में हम जानेंगे अरस्तु के परिवार व संपत्ति विचार के साथ अरस्तु के त्रिकोणआत्मक संबंधों के स्वरूप, व्यक्ति की परिवार व संपत्ति की…
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noolagan · 4 years ago
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DALE CARNEGIE KE TOP 100 PRERAK VICHAR (TOP 100 PRERAK VICHAR: Inspirational & Motivational Books) (Hindi Edition)
DALE CARNEGIE KE TOP 100 PRERAK VICHAR (TOP 100 PRERAK VICHAR: Inspirational & Motivational Books) (Hindi Edition)
Price: (as of – Details) महान् विचारक और उनके प्रेरक विचार सदा से ही मानव सभ्यता के दिग्दर्शक रहे हैं। इनके अनुभूत मौलिक चिंतन ने सदैव ही समाज और राष्ट्र-निर्माण की दिशा में महान् कार्य किया है। आज से वर्षों पहले इनके द्वारा कही-लिखी गई बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक और शाश्वत हैं, जितनी तब थीं।दुनिया भर में महान् विचारकों की एक बृहत् शृंखला है। सुकरात, अरस्तु, प्लूटो, कन्फ्यूशियस, पाइथागोरस…
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gujarati9-blog · 4 years ago
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अरस्तु के विचार: किसी भी व्यक्ति का स्वभाव ही उसे भरोसेमंद बनाता है, न कि उसकी धन-संपत्ति
अरस्तु के विचार: किसी भी व्यक्ति का स्वभाव ही उसे भरोसेमंद बनाता है, न कि उसकी धन-संपत्ति
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सम्राट सिकंदर के गुरु का नाम था अरस्तु। अरस्तु यूनान के सर्वाधिक प्रसिद्ध दार्शनिकों में से एक थे। उनका जन्म करीब 384 ईसा पूर्व हुआ था। अरस्तु ने प्लेटो से शिक्षा ग्रहण की थी। प्लेटो सुकरात के शिष्य थे। अरस्तु के विचारों को अपनाने से हमारी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं।
सिकंदर की मृत्यु के कुछ समय बाद 322 ईसा पूर्व अरस्तु की भी मृत्यु हो गई थी। जानिए अरस्तु के कुछ खास विचार…
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chhotibadibaatein · 4 years ago
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dhakadbaate · 4 years ago
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अरस्तु के 24 अनमोल विचार
अरस्तु के 24 अनमोल विचार
Aristotle Quotes in Hindi
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अरस्तु के अनमोल वचन
हमें अपने अंधकार भरे समय में भी, प्रकाश की ओर ध्यान देना चाहिए।
अरस्तु
गुणवत्ता(क्वालिटी) कोई काम नहीं है, यह एक आदत है।
अरस्तु
किसी विचार को स्वीकार किए बिना भी संभाल लेना, शिक्षित दिमाग की निशानी है
अरस्तु
हम साहस के बिना कुछ नहीं कर सकते हैं, यह अपने दिमाग का सर्वोत्तम गुण हैं।
अरस्तु
एक अच्छी शुरुआत, आधा काम हो जाने के बराबर है।
अरस्तु
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literaturexplorer · 5 years ago
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अरस्तु के विचार #1
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ourdarkcollectionmakerme · 6 years ago
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तीन तलाक से आगे जाकर भारतीय समाज में नारी के खिलाफ घरेलू हिंसा खत्म होना ज्यादा जरूरी सभी महिलाओं को गरिमा और समानता दें तीन तलाक फिर खबरों में है और ज्यादातर गलत कारणों से। यह इस्लामी कानून में सिर्फ मुंह से कहकर विवाह खत्म करने का मुस्लिम पति का अधिकार है। आज तो वह ऐसा एसएमएस भेजकर अथवा वॉट्सएप के जरिये कर सकता है। मोदी ने चाहे बिल्कुल अलग ही बात कही हो लेकिन, इस विवादास्पद प्रक्रिया को खत्म करने के लिए भाजपा के उत्साह का संबंध मुस्लिम महिला के प्र��ि करुणा की बजाय समान नागरिक संहिता और हिंदू राष्ट्र के प्रति इसकी प्रतिबद्धता है। शाह बानो मामले के बाद तो मुस्लिम महिलाओं को संरक्षण देने का कांग्रेस का रिकॉर्ड तो और भी खराब है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने तलाक की इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई प्रारंभ कर दी है। नतीजा क्या होगा कहना कठिन है। समाधान न तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रस्ताव के मुताबिक सामाजिक बहिष्कार में है और न सिर्फ कानून में बदलाव करने से यह होगा। असली समाधान तो मानसिकता में पूरी तरह बदलाव से आएगा। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम समुदाय के अग्रणी लोगों से आग्रह किया कि वे समुदाय के भीतर से सुधार की शुरुआत करें। वे उनसे मिलने आए प्रमुख मुस्लिम संगठन जमायत उलेमा-ए-हिंद के नेताओं से चर्चा कर रहे थे। बेशक, यह बहुत समझदारीभरा सुझाव है। तीन तलाक जैसे सामाजिक मुद्‌दे न तो राजनीतिक अथवा धार्मिक जोर-शोर की गई बातें से और न मीडिया ट्रायल से सुलझाए जा सकते हैं। संबंधित लोगों के दिल और दिमाग को बदलना होगा। न यह लखनऊ में पिछले माह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा सुझाए ऐसे लोगों के बहिष्कार जैसे आदर्शवादी कदम से संभव है। ऐसे बहिष्कार कितने असरदार होंगे और इसका अधिकार किसके पास होगा? उस बेचारी महिला को फायदा कैसे मिलेगा, जिसकी ज़िंदगी बर्बाद हो गई है? तीन तलाक उन पुरुषों के लिए समस्या नहीं है, जो वाकई अपनी शादी हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं। समस्या उन सैकड़ों अन्य पुरुषों की है, जो बिना सोचे समझे इसे बोल देते हैं- गुस्से में या अचानक उकसाने पर अथवा जरूरत से ज्यादा शराब पी लेने पर और फिर बाद में पछताते हैं। धार्मिक नेता जोर देते हैं कि तीन तलाक का उच्चार ही किसी शादी को खत्म करने के लिए काफी है, फिर उस पुरुष का इरादा कुछ भी क्यों न हो और बाद में पछता ही क्यों न रहा हो। वे उस युगल को गरिमाहीन हलाला की प्रथा का अनुसरण करने को कहते हैं। जिसे बदलने की जरूरत है वह एकतरफा तलाक का कानून है, वह भी पुरुष की मर्जी से। मुझे लगता है कि तीन तलाक की घटनाएं बहुत अधिक नहीं है- आमतौर पर मुस्लिमों ��ें तलाक कम ही होते हैं, शायद उससे अधिक नहीं, जितने हिंदुओं में होते हैं। मानव गरिमा का असली मुद्‌दा तो घर में उसके साथ हिंसा की वैश्विक समस्या है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में सारे समुदायों को मिलाकर सिर्फ दो-तिहाई महिलाएं ही घरेलू हिंसा की रिपोर्ट कराती हैं। यदि हमें महिलाओं की गरिमा की चिंता है तो हमें इस सामाजिक बुराई से सबसे पहले निपटना चाहिए। यहां भी जवाब इस बात में नहीं है कि शराब पीने पर बिना सोचे-समझे प्रतिबंध लगा दिया जाए बल्कि समाधान इस बात में है कि कच्ची उम्र से ही लड़के-लड़कियों को महिलाओं की गरिमा का सम्मान करने की शिक्षा देनी चाहिए। यह न सिर्फ मुस्लिमों के लिए बल्कि अन्य समुदायों के लिए सबक है, जिनके निजी कानून चाहे अधिक उदार होंगे लेकिन, व्यवहार में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अरस्तु की सोच यह थी कि पुरुष प्राकृतिक रूप से श्रेष्ठ हैं और महिलाओं की भूमिका सिर्फ संतानोत्पत्ति और घर में पुरुषों की सेवा करना है। शुरुआती ईसाई चर्च ने इस असमानता को संस्थागत रूप दिया। भारत में मनु ने यही किया। सामाजिक संहिता बनाई गई, जिसके तहत महिलाओं को पितृसत्तात्मक ब्राह्मण समाज में दोयम दर्जा स्वीकार करने के लिए ढाला। नारीवादियों की दलील हैं कि सीता, सावित्री और अन्य तरह की कहानियां इसीलिए गढ़ी गई ताकि महिलाएं खुद ही दोयम भूमिका स्वीकार कर लें। बड़ी अजीब बात है कि 12वीं सदी का रूमानी प्रेम महिलां के लिए कुछ हद तक समानता और स्वतंत्रता लाया और इसने गहराई से जमे सामाजिक बंधनों को तोड़ा। रूमानी प्रेम व्यक्तिनिष्ट है और इसने प्रेयसी को श्रेष्ठतर मानव के रूप में प्रतिष्ठित किया। इस तरह महिला वस्तु की बजाय व्यक्ति बनी। यह सोचना गलतफहमी है कि यह प्रेम पश्चिम में जन्मा। यह दुनिया के तीन भागों में एक साथ पैदा हुआ और तीन असाधारण साहित्यिक कृत्रियों में व्यक्त हुआ। यूरोप में यह बेडियर के ‘ट्रिस्टन एंड इसोल्ड’ में, इस्लामी फारस में यह निज़ामी के ‘लैला-मजनूं’ और भारत में जयदेव के ‘गीत गोविंद’ में ‘राधा-कृष्ण’ के दिव्य प्रेम में यह व्यक्त हुआ। रूमानी प्रेम के पहले केवल दैहिक प्रेम था, जिसमें नारी केवल वस्तु थी, व्यक्ति नहीं। पश्चिम में रूमानी आंदोलन 18वीं सदी के पुनर्जागरण काल में जन्मा। इसकी एक प्रेरणा इमेन्युुअल कांट का नैतिक नियम था- मानव को साधन नहीं, उद्‌देश्य की तरह अपनाओ और इससे महिलाओं को गरिमा प्राप्त हुई। आध���निक विवाह इसी समय जन्मा। 19वीं सदी में महिलाओं ने भी मताधिकार के लिए लड़कर पुरुष प्रभुत्व को चुनौती दी। बीसवीं सदी के नारी आंदोलन ने पश्चिमी समाज में बहुत प्रभावी बदलाव लाया। खासतौर पर विवाह में जिसमें ‘नो फाल्ट’ डिवोर्स, गर्भपात व संपत्ति का अधिकार और कार्यस्थल पर बेहतर वेतनमान शामिल है। भारत में चाहे अब भी ‘अरेंज मैरिज’ है पर यह इसमें धीरे-धीरे ‘लव मैैरिज’ की बातें अा रही हैं। बॉलीवुड के प्रभाव से शहरी मध्यवर्गीय पुरुष अब उतने हावी होने वाले नहीं है और महिलाएं भी अपना वजूद बना रही हैं। यह चलन आगे बढ़ेगा पर हमें विवाह व परिवार टूटने से बचाने होंगे, जो पश्चिम में हुआ है। हां, तीन तलाक तो जाना ही चाहिए पर हमें इसके आगे जाना होगा। महिलाओं को गरिमा, समानता और आत्मसम्मान देने के लिए सभी भारतीयों के दिलो-दिमाग बदलने चाहिए। कानून में बदलाव तो शुरुआत है जैसाकि महात्मा गांधी कहा करते थे। भारतीयों को आधुनिकता के आदर्शों को आत्मसात करना होगा न कि पश्चिम का केवल अनुकरण। गांधीजी का विचार था कि स्वतंत्रता और समानता के विचार हमारे साधारण धर्म के रूप में व्यक्त होने चाहिए।
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gyaanuday · 5 years ago
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अरस्तु के नागरिकता पर विचार
अरस्तु के नागरिकता पर विचार अरस्तु को राजनीति का जनक माना जाता है । अरस्तू प्राचीन यूनानीयों के एक महान विचारक और दार्शनिक थे । Share with students of political science
Aristotle’s Theory of Citizenship
नागरिकता पर अरस्तु के विचार
Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका स्वागत है । आज हम बात करते हैं, नागरिकता पर अरस्तु की विचारों की (Aristotle Views on Citizenship) । अरस्तु को राजनीति का जनक माना जाता है । अरस्तू प्राचीन यूनानीयों के एक महान विचारक और दार्शनिक थे । अरस्तु ने यूनान की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने विचार दिए । राज्य, न्याय, नागरिकता आदि…
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