#अमेरिकी फार्मा कंपनियां
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भारत फार्मा सेक्टर में निवेश से अधिक अमेरिकी कंपनियों तक पहुंचता है
भारत फार्मा सेक्टर में निवेश से अधिक अमेरिकी कंपनियों तक पहुंचता है
भारत ने हाल ही में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की है। (प्रतिनिधि) वाशिंगटन: भारत देश के फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइसेस क्षेत्र में निवेश की मांग करने वाली शीर्ष अमेरिकी फार्मा कंपनियों में पहुंच गया है, जो कि कोरोनवायरस वायरस की विनाशकारी दूसरी लहर के मद्देनजर तात्कालिकता हासिल करता है। यूएस में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने अल्बर्टा बोर्ला, फाइजर की सीईओ, थर्मो फिशर के सीईओ…
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कोरोना के मॉडरेट मरीजों में 'गेम चेंजर' दवा का फेज-3 ट्रायल रोकने की मांग, जानें क्यों
कोरोना के मॉडरेट मरीजों में ‘गेम चेंजर’ दवा का फेज-3 ट्रायल रोकने की मांग, जानें क्यों
नई दिल्ली. देश की दो फार्मा कंपनियों ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से कोरोना की अमेरिकी दवा मोल्नुपिराविर (Molnupiravir) के ‘थोड़े गंभीर’ यानी मॉडरेट मरीजों में फेज 3 ट्रायल को रोकने की अनुमति मांगी है. ये कंपनियां इस दवा का ट्रायल ‘थोड़े गंभीर’ यानी मॉडरेट और हल्के लक्षणों वाले यानी माइल्ड मरीजों में कर रही हैं. लेकिन अब मॉडरेट मरीजों में फेज 3 ट्रायल रोकने की मांग की गई…
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ल्यूपिन, सन फार्मा, जुबिलेंट कैडिस्टा ने अमेरिकी बाजार से अपनी दवायें वापस मंगाई Divya Sandesh
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ल्यूपिन, सन फार्मा, जुबिलेंट कैडिस्टा ने अमेरिकी बाजार से अपनी दवायें वापस मंगाई
नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) जेनरिक दवाओं बनाने वाली प्रमुख कंपनियों ल्यूपिन, सन फार्मा और जुबिलेंट कैडिस्टा अमेरिका बाजार में अपनी विभिन्न दवाओं को वापस मंगा रही हैं। कंपनियां विभिन्न कारणों से इन दवाओं को वापस मंगा रहीं हैं। अमेरिका दवाओं का सबसे बड़ा बाजार है। अमेरिका के खाद्य एवं दवा प्र��ासन (यूएसएफडीए) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ल्यूपिन की अमेरिका स्थित इकाई सेफप्राजिल की 17,814 शीशियों को बाजार से वापस मंगा रही है। इस दवा का इस्तेमाल कान, त्वचा और अन्य प्रकार के कीटाणु संक्रमण के इलाज में किया जाता है। यूएसएफडीए ने कहा कि कंपनी इस दवा की प्रभावित खेप को बाजार से वापस मंगा रही है। यूएसएफडीए ने इसी प्रकार आगे कहा है कि सन फार्मा अपनी मधुमेह के इलाज में काम आने वाली दवा रियोमेट की 13,834 शीशियों को बाजार से वापस मंगा रही है। इस दवा की प्रभावित खेप को अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित सन फामास्युटिकल इंडस्ट्रीज इंक ने बाजार में उतारा है। अमेरिका स्थित एक अन्य कंपनी जुबिलेंट कैडिस्टा फार्मास्युटिकल्स भी अपनी 12,192 शीशियों को बाजार से वापस मंगा रही है। इस दवा में कुछ खामी रह गई है। यह कंपनी नोएडा स्थित जुबिलेंट लाइफ साइंसेज कंपनी का हिस्सा है।
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corona vaccine : दुनिया को वैक्सीन देगी वैक्सीन कैपिटल
नई दिल्ली : दुनिया में फैली महामारी कोरोना वायरस को लेकर जहाँ दुनिया भर के वैज्ञानिक वैक्सीन की खोज में लगे है वहीँ भारत में कभी निजामों के शहर के रूप में पहचाने जाने वाले हैदराबाद की पहचान बदल रही है। अब उसे दुनिया का वैक्सीन कैपिटल भी कहा जाने लगा है। महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विख्यात पुणे में वैसे तो कई बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं, लेकिन कोरोना काल में वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ने उसकी पहचान का विस्तार कर दिया है। दुनियाभर में 60 फीसद से ज्यादा वैक्सीन की आपूर्ति करने वाले भारत के इन दोनों शहरों में स्थित कंपनियां कुल निर्यात में 75 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने की क्षमता रखती हैं।
विश्व के प्रमुख शोधकर्ता भारतीय कंपनियों के संपर्क में :
दुनियाभर में 180 से ज्यादा कोरोना वैक्सीन के विकास का काम चल रहा है। इनमें से करीब 25 वैक्सीन परीक्षण के अंतिम दौर में हैं। यानी उनका मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया जा रहा है। दुनिया को विभिन्न बीमारियों से जुड़ी 60 फीसद वैक्सीन की आपूर्ति करने वाली भारतीय कंपनियां इस मामले में दक्ष हैं। उनकी तकनीक व मशीनें आधुनिक हैं। इसे देखते हुए कोरोना वैक्सीन के विकास में लगे शोधकर्ता व संस्थान उनके व्यावसायिक उत्पादन के लिए भारतीय व खासकर अहमदाबाद तथा पुणे की कंपनियों के संपर्क में हैं।
कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए अहमदाबाद व पुणे की कंपनियां कर रहीं तैयारी :
कोरोना से मुक्ति पाने के लिए वैक्सीन के निर्माण में सफलता चाहे किसी भी देश को मिले, लेकिन यह तय है कि उसका व्यावसायिक उत्पादन भारत में ही होगा। इसके लिए हैदराबाद व पुणे की कंपनियां अपनी तकनीक व क्षमता को जरूरत के अनुरूप विकसित भी कर रही हैं। सैनोफी की वैक्सीन के अंतिम दौर का परीक्षण चल रहा है और वर्ष 2021 की ��हली छमाही में उसके पूरा ह��ने की उम्मीद है। उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन का व्यावसायिक उत्पादन हैदराबाद की शांता बायोटेक्निक्समें होगा। सैनोफी ने वर्ष 2009 में शांता बायोटेक्निक्स का अधिग्रहण किया था। हैदराबाद की ई लिमिटेड का टेक्सास के बायलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ वैक्सीन के विकास के लिए करार है, जबकि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के उत्पादन के लिए समझौता हुआ है। इंडिया इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड करीब दो करोड़ वैक्सीन निर्माण की क्षमता रखती है और वह ऑर्डर के आधार पर वैक्सीन निर्माण के लिए तैयार है। बताया जाता है कि कंपनी की रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 के व्यावसायिक उत्पादन के लिए बातचीत भी चल रही है। अर्रंवदो फार्मा नामक कंपनी भी कोरोना वैक्सीन के निर्माण में शामिल हो गई। उसने अनुसंधान से जुड़ी एक अमेरिकी कंपनी से करार किया है और मार्च 2021 तक वैक्सीन उत्पादन क्षमता से लैस होने का दावा करती है।
डेढ़ अरब से भी ज्यादा खुराक का उत्पादन कर सकती है पुणे की सीरम :
पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। यह पोलियो, डिफ्थीरिया, टिटनस, बीसीजी, हेपेटाइटिस- बी अदि बीमारियों की वैक्सीन का निर्माण करती है। कंपनी 1.5 अरब वैक्सीन का वार्षिक उत्पादन कर सकती है। इसका दुनिया की पांच कंपनियों के साथ कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए करार है। इनमें एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स भी शामिल हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ने इन कंपनियों के साथ मिलकर एक अरब खुराक बनाने और 50 फीसद भारत में देने का वादा किया है। कंपनी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 के उत्पादन के लिए भी करार कर सकती है।
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यूएस में 26 फार्मा कंपनियों पर दवाओं की कीमत बढ़ाने की धोखाधड़ी का आरोप, कनेक्टिकट अटॉर्नी जनरल बोले - हर साल अरबों डॉलर की चोरी कर रहीं कंपनियां
यूएस में 26 फार्मा कंपनियों पर दवाओं की कीमत बढ़ाने की धोखाधड़ी का आरोप, कनेक्टिकट अटॉर्नी जनरल बोले – हर साल अरबों डॉलर की चोरी कर रहीं कंपनियां
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इन कंपनियों के खिलाफ अमेरिका के हार्टफोर्ड जिले की अदालत में करीब 600 पेज की शिकायत दायर की गई
26 कॉर्पोरेट कंपनी और 10 व्यक्तियों पर दवाओं की कीमतें बढ़ाने और हेरफेर की साजिश का आरोप लगाया
दैनिक भास्कर
Jun 11, 2020, 12:47 PM IST
हार्टफोर्ड. कनेक्टिकट अटॉर्नी जनरल विलियम टोंग के नेतृत्व में बुधवार को 51 राज्यों और क्षेत्रों ने अमेरिकी जेनेरिक दवा कंपनियों धोखाधड़ी का मुकदमा दायर किया…
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टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम की कीमत पर बड़ी राहत मिल सकती है। सीएनबीसी आवाज को मिली एक्सक्लूजिव जानकारी के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने स्पेक्ट्रम की रिजर्व कीमत को 50 फीसदी तक कम करने का प्रस्ताव रखा है। टेलीकॉम कमीशन इसी महीने होने वाली बैठक में इसे हरी झण��डी दे सकती है। 11:15 AM Mindtree के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) प्रदीप कुमार मेनन ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने करीब एक साल से कुछ ज्यादा वक्त कंपनी में बिताया। Mindtree पर L&T के जबरन कब्जे के बाद कंपनी के कई अधिकारियों ने अपना पद छोड़ा था। इसी कड़ी में नया नाम प्रदीप कुमार मेनन का है। मेनन 15 नवंबर को अपने पद से हटने वाले हैं। 10:55 AM Raymond के शेयर शुक्रवार को 18 फीसदी चढ़कर 794.85 रुपए पर पहुंच गया है। 5 जुलाई 2019 के बाद कंपनी के शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी है। कंपनी ने अपने ब्रांडेड लाइफस्टाइल बिजनेस को अलग करके एक नई यूनिट बना लिया है। Raymond अपने बिजनेस को रीस्ट्रक्चर कर रही है और यह कदम इसी कोशिश के तहत उठाया गया है। Raymond के लाइफस्टाइल बिजनेस में ब्रांडेड टेक्सटाइल्स, ब्रांडेड अपैरल और गारमेंट्स का कारोबार है। कंपनी की योजना अपने ब्रांडेड लाइफस्टाइल बिजनेस को अलग करके उसे शेयर बाजार में लिस्ट कराने की है। 10:35 AM SBI ने MCLR में 0.05 फीसदी तक कटौती की है। MCLR की नई दरें 10 नवंबर से लागू होंगी। 10:30 AM दुनिया के दिग्गज हेज फंड Bridgewater Associates के फाउंडर Ray Dalio ने PM मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने ट्वीट करके पीएम मोदी को दुनिया के बेहतरीन नेताओं में एक बताया है। सऊदी इन्वेस्टर समिट के दौरान Dalio ने PM से चर्चा की थी। 10:20 AM MOODYS ने भारत का आउटलुक स्टेबल से घटाकर निगेटिव कर दिया है। रेटिंग Baa2 पर बरकरार रखी है। इकोनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती के चलते आउटलुक घटाया गया है। 10:10 AM HDFC AMC, DLF और IGL के शेयर MSCI इंडेक्स में शामिल होने के बाद 5 से 6 फीसदी तक भागे हैं। लेकिन इंडेक्स से बाहर होने के बाद IBULLS HSG, BHEL और VODAFONE-IDEA के शेयर पर दबाव देखने को मिल रहा है। 10:00 AM 2 दिनों की तेजी के बाद बाजार में कमजोरी के साथ कारोबार देखने को मिल रहा है। निफ्टी 12000 के नीचे चला गया है। आज के कारोबार में फार्मा शेयर सबसे ज्यादा दबाव बना रहे हैं। वहीं ऑटो, प्राइवेट बैंक और रियल्टी से बाजार को सबसे ज्यादा सपोर्ट मिल रहा है। बूस्टर डोज मिलने से रियल्टी शेयरों में तेजी का रूख कायम है। रियल्टी इंडेक्स 4 महीने की ऊंचाई पर नजर आ रहा है। INDIABULLS REAL का शेयर एक हफ्ते में 27 फीसदी भागा है। 09:50 AM RAYMOND ने अपने लाइफस्टाइल बिजनेस के डीमर्जर का एलान किया है। कंपनी के ब्रांडेड टेक्सटाइल और गारमेंट्स कारोबार की अलग से लिस्टिंग होगी। र���मंड के हर शेयर पर नई कंपनी का एक शेयर मिलेगा। रियल एस्टेट बिजनेस मौजूदा कंपनी के पास होगा। 09:45 AM निफ्टी की चार कंपनियों के नतीजे आज आएंगे। EICHER MOTORS के मुनाफे और आय में 10 फीसदी कमी का अनुमान है। मार्जिन भी करीब 6 फीसदी घटने की आशंका है। वहीं M&M का मुनाफा 37 फीसदी घट सकता है। आज GAIL और NESTLE के नतीजों का भी इंतजार होगा। 09:40 AM IGL ने शानदार नतीजे पेश किए हैं। दूसरी तिमाही में कंपनी का मुनाफा 74 फीसदी बढ़ा है। इसका वॉल्यूम भी अनुमान से ज्यादा रहा है। उधर DLF के नतीजे मिलेजुले रहे हैं। कंपनी का मुनाफा 19 फीसदी बढ़ा है। लेकिन मार्जिन में 10 फीसदी की तेज गिरावट रही है। यूनाइटेड ब्रुवरीज के नतीजे कमजोर रहे हैं। 09:35 AM BPCL के नतीजे हर पैमाने पर खराब रहे हैं। दूसरी तिमाही में आय, मुनाफा, और मार्जिन अनुमान से कम बढ़े हैं। GRM के मोर्चे पर भी निराशा हाथ लगी है। उधर टैक्स खर्च घटने से पावरग्रिड का मुनाफा उम्मीद से ज्याद रहा है। लेकिन आय, मार्जिन दोनों अनुमान से कम रहे हैं। 09:30 AM MSCI India Domestic Index में 8 शेयर जुड़े, 6 हटे। MSCI Global small Cap में 13 शेयर जुड़े, 21 हटे। 27 नवंबर से MSCI में बदलाव लागू होंगे। DLF, HDFC AMC, BERGER PAINTS, SBI LIFE, SIEMENS, IGL और INFO EDGE समेत 8 कंपनियां MSCI इंडेक्स में शामिल। YES BANK, IBULL HSG, VODAFONE IDEA, BHEL, GLENMARK और L&T FIN इंडेक्स से बाहर। 09:25 AM एशियाई बाजारों में मिलाजुला कारोबार देखने को मिल रहा है। उधर टैरिफ हटाने को लेकर सहमति बनने से अमेरिकी बाजारों में मजबूती आई है। कल के कारोबार में Dow और S&P 500 रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुए। कल Dow 182 अंक चढ़कर बंद हुआ। वहीं, S&P 500 और Nasdaq में भी 0.25 फीसदी की बढ़त देखने को मिली।10 साल की बान्ड यील्ड में भी जोरदार उछाल देखने को मिला है। उधर ट्रेड डील पर बात बनती नजर आ रही है। US और चीन टैरिफ हटाने को तैयार हो गए हैं। दोनों देशों में चरणों में टैरिफ हटाने पर सहमति बनी है। इन ग्लोबल संकेतों के बीच सेंसेक्स और निफ्टी की शुरुआत आज कमजोरी के साथ हुई है। हालांकि मिड और स्मॉलकैप शेयरों में खरीदारी देखने को मिल रही है। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.21 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.31 फीसदी की मजबूती के साथ कारोबार कर रहा है। हालांकि तेल-गैस शेयरों में आज दबाव नजर आ रहा है। बीएसई का ऑयल एंड गैस इंडेक्स 0.05 फीसदी की कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है। पीएसयू बैंक शेयरों में आज कमजोरी देखने को मिल रही है। वहीं प्राइवेट बैंक शेयरो में खरीदारी देखने को मिल रही है। निफ्टी का पीएसयू बैंक इंडेक्स 0.20 फीसदी कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है। वहीं प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 0.41 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। बैंक निफ्टी की बात करें तो ये 0.2 फीसदी की बढ़त के साथ 30,690 के आसपास दिख रहा है। एफएमसीजी, फार्मा और पीएसयू बैंक शेयरों पर आज दबाव देखने को मिल रहा है। निफ्टी के एफएमसीजी इंडेक्स में 0.42 फीसदी और फार्मा इंडेक्स में 0.73 फीसदी की कमजोरी देखने को मिल रही है। वहीं, ऑटो, आईटी, मेटल ��र रियल्टी शेयरों में खरीदारी देखने को मिल रही है। निफ्टी का रियल्टी इंडेक्स सबसे ज्यादा भागा है, ये 2 फीसदी की ज्यादा की बढ़त दिखा रहा है। फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स करीब 95 अंक यानि 0.23 फीसदी की गिरावट के साथ 40,560 के आसपास कारोबार कर रहा है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी करीब 25 अंक यानि 0.22 फीसदी की कमजोरी के साथ 11,985 के करीब कारोबार कर रहा है। Get more details here: Mcx Tips, Derivative-Free Trial, Intraday Stock tips Call on:9977499927 * Investment & Trading in securities market is always subjected to market risks, past performance is not a guarantee of future performance.
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कोरोनावायरस की वैक्सीन कब आएगी? कब तक आएगी? सबसे पहले कहां आएगी? कैसे मिलेगी? कीमत क्या होगी? और दुनिया में हर एक इंसान तक ये कैसे पहुंचेगी? ये जो सवाल हैं, आज दुनिया के हर इंसान के जेहन में चल रहे हैं। एक साथ चल रहे हैं। बार-बार चल रहे हैं। आइए इनका सच जानते हैं। दुनियाभर की 20 से ज्यादा फार्मास्युटिकल कंपनियां और सरकारें दिन-रात कोरोनावायरस वैक्सीन बनाने के काम में लगी हैं। वे वैक्सीन को लेकर रूलबुक लिख रही हैं। रोज इसे अपडेट भी कर रही हैं। यानी कितनी प्रगति हुई। लेकिन अभी तक महज 10% वैक्सीन ट्रायल सफल हुए हैं। वहीं, एक अनुमान के मुताबिक यदि वैक्सीन बन जाती है तो दुनियाभर में इसकी सप्लाई के लिए करीब 8000 जंबो जेट्स की जरूरत होगी।
वैक्सीन आई तो क्या कामयाब होगी?
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस(एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि कोई भी वैक्सीन आने के बाद इफेक्टिव होगी या नहीं, ये अभी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि सभी कंपनियां अभी जल्दबाजी में वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। दूसरी सबसे अहम बात होगी कि वैक्सीनेशन के बाद जो इम्युनिटी डेवलप हो रही है, वो प्रोटेक्टिव है कि नहीं। यह बात धीरे-धीरे पता चलेगी।
क्या साइड इफेक्ट्स भी संभव हैं?
संभव है। लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो रहे हैं कि नहीं हो रहे, इसे देखने के लिए कुछ समय का इंतजार करना पड़ता है। एक स्टडी के मुताबिक कोरोना से बनने वाली एंटीबॉडीज करीब पांच महीने तक ही प्रभावी हैं। ऐसे में कुछ कहा नहीं जा सकता कि वैक्सीन कितनी प्रभावी होंगी, क्योंकि दुनिया में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। इसलिए हमें इसके रिजल्ट को देखने के लिए लंबा इंतजार करना होगा।
वैक्सीन का काम क्या?
डॉक्टर उमा कुमार के मुताबिक वैक्सीन के बहुत सारे टाइप होते हैं। यह लोकल इम्युनिटी डेवलप करती है। ये शरीर में दोबारा किसी इंफेक्शन को बढ़ने नहीं देती है। अगर कोरोना की वैक्सीन ��े 80% भी संक्रमण को कंट्रोल कर दिया तो समझ लीजिए कामयाब है, क्योंकि 20% लोग तो हर्ड इम्युनिटी से बच जाएंगे।
कैसे बनती है वैक्सीन?
इंसान के खून में व्हाइट ब्लड सेल होते हैं जो उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा होते हैं। बिना शरीर को नुकसान पहुंचाए वैक्सीन ��े जरिए शरीर में बेहद कम मात्रा में वायरस या बैक्टीरिया डाल दिए जाते हैं। जब शरीर का रक्षा तंत्र इस वायरस या बैक्टीरिया को पहचान लेता है तो शरीर इससे लड़ना सीख जाता है। दशकों से वायरस से निपटने के लिए दुनियाभर में जो टीके बने उनमें असली वायरस का ही इस्तेमाल होता आया है।
कितने लोगों को वैक्सीन देनी होगी?
कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए यह माना जा रहा है कि 60 से 70 फीसदी लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत होगी।
वैक्सीन बनाने में कितने साल लग जाते हैं?
कोई भी वैक्सीन किसी संक्रामक बीमारी को खत्म करने के लिए बनाई जाती है। अमूमन एक वैक्सीन को बनाने में करीब 5 से 10 साल लग जाते हैं। इसके बावजूद इसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं होती है।
वैक्सीन से आज तक सिर्फ एक मानव संक्रमण रोग पूरी तरह खत्म हुआ है और वो है स्मालपॉक्स। लेकिन इसमें करीब 200 साल लगे।
इसके अलावा पोलियो, टिटनस, खसरा, कंठमाला का रोग, टीबी के लिए भी वैक्सीन बनाई गई। ये काफी हद तक सफल भी रही हैं, लेकिन आज भी हम इन बीमारियों के साथ जी रहे हैं।
डॉक्टर उमा कहती हैं कि यदि एक-डेढ़ साल के अंदर वैक्सीन लॉन्च होती है तो इतने कम समय में फास्ट ट्रैक करके उसकी खामियों को नहीं पकड़ सकते हैं। इसका इम्पैक्ट बाद में दिखेगा। कई बार वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स से न्यूरोलॉजिकल, पैरालिसिस जैसी समस्याएं भी आती हैं।
वैक्सीन आने की उम्मीद कब तक कर सकते हैं?
कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल बड़े पैमाने पर दुनियाभर में चल रहा है। इसमें हजारों लोग शामिल हैं। दुनियाभर में अभी करीब 20 कंपनियां वैक्सीन ट्रायल में लगी हैं, जिनमें से करीब 10% ही कामयाबी के रास्ते पर हैं।
एक वैक्सीन के निर्माण में अमूमन 5 से 10 साल लग जाते हैं। लेकिन अच्छी बात है कि कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए कुछ महीने के अंदर ही बड़ी संख्या में मैन्युफैक्चरर्स और इंवेस्टर्स आगे आ गए हैं। उन्होंने अपने करोड़ों रुपए दांव पर भी लगा रखा है।
रूस ने स्पूतनिक-5 नाम की वैक्सीन लॉन्च भी कर दी है और अक्टूबर से इसे देशभर में लोगों को लगाना शुरू भी कर दिया जाएगा। चीन ने भी वैक्सीन बनाने का दावा किया है, वो इसे पहले अपने सैनिकों को लगाने की बात कह रहा है।
लेकिन दुनिया के तमाम देश और स्वास्थ्य संस्थाएं इन दोनों वैक्सीन पर सवाल उठा रह��� हैं, क्योंकि ये रिकॉर्ड समय में बनाई गई हैं, जो आजतक नहीं हुआ।
WHO की लिस्ट में जिन वैक्सीन का नाम है, उनके ट्रायल अभी तीसरे फेज में ही हैं। इनमें से कुछ कंपनियों को कहना है कि वे इस साल के अंत तक वैक्सीन बनाने का काम पूरा कर लेंगी। पर WHO का कहना है कि वैक्सीन का निर्माण अगले साल जून तक ही संभव है।
वैक्सीन सबसे पहले किसे दिया जाएगा?
डॉक्टर उमा बताती हैं कि वैक्सीन यदि आती है तो इसे सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स और हाई रिस्क ग्रुप को दिया जाएगा। इसके बाद 20% आबादी को लगाई जाएगी।
दुनिया के देश वैक्सीन खरीदने के लिए क्या कर रहे हैं?
दुनियाभर के तमाम देश फार्मा कंपनियों से वैक्सीन लेने के लिए करार कर रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग देश वैक्सीन बनाने और खरीदने के लिए समूह भी बनाने में जुटे हैं।
ब्रिटेन ने छह कंपनियों के साथ 10 करोड़ वैक्सीन डोज के लिए करार किया है। वहीं, अमेरिकी सरकार ने अगले साल जनवरी तक 30 करोड़ वैक्सीन डोज का बंदोबस्त करने की बात कही है। सीडीसी ने फार्मा कंपनियों को 1 नवंबर तक वैक्सीन को लॉन्च करने का समय भी बता दिया है।
गरीब देशों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन?
वैक्सीन खरीदने को लेकर दुनिया के हर देश की स्थिति एक जैसी नहीं है। WHO के अस्सिटेंट डायरेक्टर जनरल डॉक्टर मारियाजेला सिमाओ का कहना है कि हमारे सामने चुनौती है कि जब ये वैक्सीन बने तो सभी देशों के लिए उपलब्ध हो, न कि सिर्फ उन्हें मिले जो ज्यादा पैसे दें। हमें वैक्सीन नेशनलिज्म को चेक करना होगा।
WHO एक वैक्सीन टास्क फोर्स बनाने के लिए भी काम कर रहा है। इसके लिए उसने महामारी रोकथाम ग्रुप सीईपीआई के साथ काम शुरू किया है। इसके अलावा वैक्सीन अलायंस ऑफ गवर्नमेंट एंड आर्गेनाइजेशन(गावी) के साथ भी बातचीत कर रहा है।
अब तक 80 अमीर देशों ने ग्लोबल वैक्सीन प्लान को ज्वॉइन किया है। इस प्लान का नाम कोवैक्स है। इसका मकसद इस साल के अंत तक 2 बिलियन डॉलर रकम जुटाना है, ताकि दुनिया भर के देशों को कोरोना की वैक्सीन मुहैया कराई जा सके। हालांकि इसमें अमेरिका नहीं है। ये समूह दुनिया के 92 गरीब देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं।
वैक्सीन की कीमत क्या होगी?
इसकी कीमत वैक्सीन पर निर्भर करेगी कि वो किस तरह की है और कितनी डोज ऑर्डर हुई है। फार्मा कंपनी मॉडर्ना को यदि वैक्सीन बेचने की अनुमति मिलती है ते वह एक डोज को 3 से 4 हजार के बीच बेच सकती है।
सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि वो भारत में एक डोज की कीमत करीब 250-300 रुपए रखेगी। गरीब देशों में भी कम दाम पर बेचेगी।
दुनिया भर में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूट कैसे होगी? इस काम में WHO, यूनिसेफ, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जैसी संस्थाओं का अहम रोल होगा। उन्हें इसके लिए दुनियाभर में ��क कोल्ड चेन बनानी होगी। जिसमें कूलर ट्रक, सोलर फ्रिज जैसी व्यवस्थाएं भी करनी होंगी, ताकि वैक्सीन को सही तापमान में सहेज कर रखा जा सके और आसानी से कहीं भी पहुंचाया जा सके। सामान्य तौर पर वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है। कोविड-19 वैक्सीन अपडेट क्या है?
दुनियाभर में कोविड-19 के लिए 180 वैक्सीन बन रहे हैं।
35 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स के स्टेज में है। यानी इनके ह्यूमन ट्रायल्स चल रहे हैं।
9 वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। यानी यह सभी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स के अंतिम फेज में रहै।
इन 9 वैक्सीन में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (ब्रिटेन), मॉडर्ना (अमेरिका), गामालेया (रूस), जानसेन फार्मा कंपनीज (अमेरिका), सिनोवेक (चीन), वुहान इंस्टिट्यूट (चीन), बीजिंग इंस्टिट्यूट (चीन), कैनसिनो बायोलॉजिक्स (चीन) और फाइजर (अमेरिका) के वैक्सीन शामिल हैं।
145 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स स्टेज में है। यानी लैब्स में इनकी टेस्टिंग चल रही है।
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WHO News: World Health Organization (WHO) Update On Coronavirus Vaccine Date and Expert On Control of COVID-19 Epidemic
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फाइजर, बायोटेक कोविड वैक्सीन के लिए पूर्ण अमेरिकी स्वीकृति चाहता है
फाइजर, बायोटेक कोविड वैक्सीन के लिए पूर्ण अमेरिकी स्वीकृति चाहता है
कंपनियां अब स्थायी विनियामक अनुमोदन (फाइल) के लिए “जैविक विज्ञान लाइसेंस आवेदन” मांग रही हैं न्यूयॉर्क: फाइजर और बायोएनटेक ने कहा कि वे शुक्रवार को 16 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए अपने खेल-बदलते कोविड -19 वैक्सीन के लिए पूर्ण अमेरिकी विनियामक अनुमोदन का अनुरोध करते हुए एक आवेदन शुरू कर रहे थे। दोनों फार्मा कंपनियों ने खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) को “आने वाले हफ्तों में एक रोलिंग…
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मजबूती की ओर शेयर बाजार, आगे भी तेजी के हैं आसार Divya Sandesh
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मजबूती की ओर शेयर बाजार, आगे भी तेजी के हैं आसार
नई दिल्ली। पिछले साल 23 मार्च को कोरोना से बचाव के मद्देनजर देश में लगाए गए लॉकडाउन के बाद भारतीय शेयर बाजार ने पहले जबरदस्त बिकवाली के दबाव का सामना किया लेकिन बाद में उसी तेजी के साथ मार्केट ने रिकवरी भी की। 23 मार्च, 2020 से लेकर अभी तक की अवधि में भारतीय शेयर बाजार करीब 90 फीसदी अंकों की रिकवरी कर चुका है। इसमें आगे भी तेजी बने रहने के आसार हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, तो शेयर बाजार में भगदड़ जैसे हालात बन गए। घबराहट में निवेशक बाजार में जमकर बिकवाली करने लगे। नतीजतन, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में ही तेज गिरावट का रुख बना। हालांकि एक बार जब बिकवाली का दबाव कम हुआ तो फिर शेयर बाजार में तेजी के दौर की वापसी शुरू हुई। इसके कारण लॉकडाउन के बाद के एक साल के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सूचकांक सेंसेक्स में 86 फीसदी की तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सूचकांक निफ्टी में करीब 88 फीसदी की तेजी दर्ज की जा चुकी है।
कैपिटल ग्लोबल रिसर्च के कंट्री हेड संदीप अग्रवाल का कहना है कि यदि शेयर बाजार में यही माहौल बना रहा और कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई तो 2021-22 में भी शेयर बाजार में ऊपर चढ़ने का ट्रेंड बना रह सकता है। अग्रवाल के मुताबिक अक्टूबर 2020 के बाद से ही देश की इकॉनमी को प्रभावित करने वाले सभी सेक्टर्स का प्रदर्शन सुधरा है। इन सेक्टर्स में बैंकिंग सेक्टर, एनबीएफसीज (नन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां), मेटल और माइनिंग, कैपिटल गुड्स और रियल एस्टेट शामिल हैं। इनके प्रदर्शन में सुधार से पूरे शेयर बाजार के प्रदर्शन पर ओवरऑल असर पड़ा है।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक 250 से ज्यादा शेयरों में अक्टूबर 2020 के बाद जबरदस्त मुनाफा हुआ है। इनमें तानला प्लेटफॉर्म्स का नाम सबसे ऊपर है, जिसने करीब 2 हजार फीसदी की छलांग लगाई है। 23 मार्च 2020 को ये शेयर 32.11 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा था। लेकिन बाद में जब इसमें उछाल आया तो इस साल चार मार्च को इसकी कीमत 1120 रुपये प्रति शेयर तक पहुंच गई थी। इसके अलावा अडाणी ग्रीन एनर्जी, अडाणी टोटल गैस, अडाणी इंटरप्राइजेज, वैभव ग्लोबल, आरती ड्रग्स, हिन्दुस्तान कॉपर्स और डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया) के शेयरों ने 500 से 800 फीसदी तक की बढ़त दिखाई है। मेटल, ऑटो और आईटी सेक्टर ने इस दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं एफएमसीज���, पीएसयू बैंक और फार्मा सेक्टर का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुकूल नहीं हो सका���
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जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण की वापसी के डर, मुनाफा वसूली और कुछ हद तक मार्केट करेक्शन के कारण बाजार में उथलपुथल जैसे हालात जरूर बने हैं, लेकिन बाजार से लॉन्ग टर्म के संकेत अच्छे हैं। जैसे-जैसे जीडीपी ग्रोथ रेट में तेजी आने के संकेत मिल रहे हैं, वैसे-वैसे शेयर बाजार की आगे बढ़ने की तस्वीर भी साफ होती जा रही है। हालांकि कुछ लोगों का ये भी कहना है कि अगर मौजूदा तिमाही यानी 2020-21 की आखिरी तिमाही में अपेक्षा के अनुरूप विकास दर में बढ़ोतरी नहीं हुई, तो शेयर बाजार में एक बार फिर थोड़े समय के लिए करेक्शन का दौर चल सकता है। बाजार में बिकवाली का भी मामूली दबाव बन सकता है। अमेरिकी बाजार में बॉन्ड यील्ड की मजबूती भी दुनियाभर के शेयर बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार पर भी कुछ असर डाल सकती है, लेकिन भारत के फंडामेंटल्स की मजबूती के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। इससे शेयर बाजार पर भी कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार में मौजूदा समय के उतार चढ़ाव से घबड़ाने की जगह निवेशकों को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे समय में छोटी अवधि की खरीद बिक्री (शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग) से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें निवेशकों को चूना भी लग सकता है, लेकिन अगर निवेशक लंबी अवधि के लिए बाजार में सोच-समझकर निवेश करते हैं, तो उन्हें आगे चलकर बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद की जा सकती है।
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भ्रामक जानकारी के मुद्दे पर मनमानी कर रहा ट्विटर: केंद्रीय मंत्री रविशंकर Divya Sandesh
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भ्रामक जानकारी के मुद्दे पर मनमानी कर रहा ट्विटर: केंद्रीय मंत्री रविशंकर
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को ट्विटर के नए आईटी नियमों के अनुपालन को लेकर आनाकानी करने के रवैये पर सोशल मीडिया वेबसाइट को लताड़ लगाई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर कानूनों के अनुपालन से कन्नी काटने की कोशिश करता है तो इस तरह के प्रयास गलत साबित होंगे।
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि ट्विटर 26 मई से लागू नए आईटी नियमों के अनुपालन में विफल रहा है। ट्विटर को कई मौके दिए गए, लेकिन वह जान-बूझकर अनुपालन से कन्नी काटता रहा। उनका यह बयान इस तरह के प्रश्नों पर सामने आया है, जिसमें पूछा जा रहा है कि क्या ट्विटर को संवाद माध्यम के तौर पर मिला संरक्षण जारी है।
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उल्लेखनीय है कि कल गाजियाबाद में ट्विट, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार राना अय्यूब व कुछ अन्य टि्वटर उपयोगकर्ताओं पर भ्रामक समाचार फैलाने को लेकर मामला दर्ज हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो को लेकर कल इन लोगों ने ट्वीट किया था।
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इस वीडियो में एक मुस्लिम व्यक्ति की दाढ़ी काटते हुए दिखाया गया था। वीडियो में दिख रहे शख्स ने आरोप लगाया कि उसे जबरन जय श्रीराम बुलवाया गया और उसकी दाढ़ी काटी गई।
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हालांकि पुलिस का कहना था कि ताबीज के गलत नतीजे मिलने पर कुछ लोगों ने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया था। इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इसी विषय पर रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर बताया कि भारत एक बड़े क्षेत्र में फैला सांस्कृतिक रूप से विविध देश है। ऐसे में विशेष परिस्थितियों में सोशल मीडिया पर लगाई गई छोटी सी चिंगारी झूठे समाचार को बड़े विवाद में बदल सकती है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खुद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का झंडाबरदार बताने वाला ट्विटर कानून के तहत बनाए गई शिकायत निवारण व्यवस्था को लागू नहीं करना चाह रहा। बावजूद इसके उसने स्वयं मैनिपुलेटेड मीडिया तय करने की नीति तैयार की है और जिसे वह अपने मनचाहे तरीके से इस्तेमाल कर रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का हुआ घटनाक्रम फेक न्यूज को लेकर ट्विटर के इसी मनमानी रवैया का परिचायक है। एक बार नहीं, बल्कि कई बार ट्विटर अपनी भूमिका निभाने में विफल रहा है। भारत में फार्मा आईटी और अन्य क्षेत्रों में भी अमेरिकी और अन्य विदेशी कंपनियां कार्यरत हैं और वह स्थानीय कानूनों का पालन करती हैं। ऐसे में ट्विटर भारतीय कानूनों के अनुपालन से दूरी बना रहा है। भारतीय कानून पीड़ितों को प्रताड़ना के खिलाफ आवाज देता है।
जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक प्रावधान पर जताई प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय समाज कानून पर आधारित व्यवस्था में चलता है। ऐसे में ट्विटर के इनके अनुपालन से कन्नी काटने के प्रयास विफल होंगे।
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21 जून से देश में मुफ्त टीकाकरण, इन 6 सवालों के जरिए जानिए पूरी ABC Divya Sandesh
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21 जून से देश में मुफ्त टीकाकरण, इन 6 सवालों के जरिए जानिए पूरी ABC
नई दिल्ली आगामी 21 जून से देश में 18 साल से ऊपर के हरेक नागरिक को मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन लगाई जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार की शाम राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में मुफ्त टीकाकरण का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि 21 जून से 18 साल से ज्यादा उम्र वाले हर व्यक्ति को सरकार मुफ्त में टीका लगाएगी। हालांकि निजी अस्पतालों में वैक्सीन के लिए पहले की तरह कीमत चुकानी होगी।
आपको बता दें कि यह सुविधा केवल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से चलाए जा रहे वैक्सीनेशन सेंटर्स पर ही मिलेगी। आइए जानते हैं कोरोना वायरस से बचाव के लिए 18 साल से ऊपर की उम्र के लोगों के फ्री वैक्सीनेशन से जुड़ी तमाम जरूरी बातें….
मैं 18 साल से ज्यादा की उम्र का हूं, क्या मेरा वैक्सीनेशन फ्री में होगा?हां। 21 जून से 18 साल से ऊपर के हरेक भारतीय नागरिक को फ्री में वैक्सीन दी जाएगी। लेकिन, यह सुविधा केवल सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर ही मुहैया कराई जाएगी। आखिरी बार टीकाकरण नीति में बदलाव के हिसाब से, जोकि 1 मई से लागू किया गया था, राज्य सरकारें 18-44 साल के उम्रवर्ग के लोगों के लिए वैक्सीन की खरीद कर उन्हें मुफ्त में टीका लगवा सकती थी और केवल तीन प्राथमिकता वाले समूहों- हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से ऊपर की उम्र के लोगों के लिए ही केंद्र सरकार के वैक्सीनेशन सेंटर्स पर फ्री में वैक्सीन दी जानी थी। लेकिन, 21 जून से यह नियम बदल जाएगा और अब केंद्र और राज्य सरकार के तमाम वैक्सीनेशन सेंटर्स 18 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन देंगे, चाहे उनकी उम्र कुछ भी क्यों ना हो। तो इसका मतलब यह है कि अगर मैं प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर पर जाता हूं, तो मुझे टीके के लिए पैसे चुकाने होंगे?हां। प्राइवेट सेंटरों पर वैक्सीनेशन सेवा के लिए सभी उम्रवर्ग के लोगों को भुगतान करना होगा। लेकिन वहां भी वैक्सीन की कीमत पहले से तय होगी और प्राइवेट सेंटर्स उस टीके पर अलग से 150 रुपये की सर्विस चार्ज ही जोड़कर ले पाएंगे। आप जब कोविन ऐप के जरिए वैक्सीनेशन का स्लॉट बुक कराएंगे तो आपको वैक्सीन की कुल कीमत लिखी हुई दिखाई देगी जिसमें टीके की कीमत और प्राइवेट सेंटर/ अस्पताल की सर्विस चार्ज दोनों शामिल होंगे। देशभर में टीके की कुल कितनी डोज मुफ्त में मुहैया कराई जा रही है?वैक्सीनेशन की नई पॉलिसी के अनुसार, वैक्सीन कंपनियों द्वारा उत्पादित की जा रही वैक्सीन की कुल डोज का 75 पर्सेंट हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा कंपनियों से सीधे खरीद लिया जाएगा और यह पूरी खेप राज्य सरकारों को आवंटित कर दी जाएगी, जोकि 18 प्लस के सभी नागरिकों को मुफ्त में लगाई जाएगी। उदाहरण के लिए, अगर देश में रोजाना वैक्सीन की 30 लाख डोज का उत्पादन होता है (फिलहाल मुख्य रूप से दो बड़ी कंपनियां- सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड का और भारत बायोटेक कोवैक्सीन का उत्पादन कर रही हैं) तो इनमें से 22.5 लाख डोज यानी कि कुल डोज का 75 पर्सेंट हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा इनसे सीधे खरीद लिया जाएगा और यह लोगों को देने के लिए राज्यों को फ्री में मुहैया करा दिया जाएगा। क्या कोई राज्य सरकार अतिरिक्त वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन कंपनियों से सीधे एक्स्ट्रा डोज खरीद सकती है?नहीं। अब 21 जून से वैक्सीन की खरीद में किसी राज्य की कोई भूमिका नहीं रह जाएगी। राज्यों द्वारा दिए जाने वाले सभी वैक्सीन डोज पूरी तरह फ्री रहेंगे और यह तमाम डोज उन्हें पूरी तरह केंद्र सरकार ही देगी। इसीलिए सभी राज्यों को वैक्सीन की कुल सप्लाई को जोड़ दिया जाए तो वह वैक्सीन कंपनियों द्वारा केंद्र को सप्लाई किए जाने वाले कुल डोज का 75 पर्सेंट तक ही सीमित रहेगा। प्राइवेट अस्पतालों को कितनी मात्रा में वैक्सीन की डोज मुहैया कराई जाएगी?देश में उत्पादित शेष 25 फीसदी वैक्सीन डोज पर प्राइवेट अस्पतालों का ही अधिकार होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो बाजार में उपलब्ध हरेक चार में से एक डोज को पूरी तरह प्राइवेट अस्पतालों के लिए रिजर्व कर दिया जाएगा। प्राइवेट अस्पतालों को एक चौथाई वैक्सीन इस उम्मीद के साथ मुहैया कराई जा रही है कि समाज के अपेक्षाकृत ज्यादा सक्षम लोग जो वैक्सीन की कीमत चुका सकते हैं या फिर ऐसे लोग जो सरकारी केंद्रों ��र कतार में नहीं लगना चाहते, वह इन प्राइवेट सेंटरों का रुख कर सकते हैं। क्या फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन जैसी विदेशी वैक्सीनें भी जब देश में आ जाएंगी, तो वे भी सरकारी केंद्रों पर मुफ्त में लग सकेंगी?भारत सरकार का अभी तक इन तीन अमेरिकी वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स से कोई सप्लाई एग्रीमेंट नहीं हुआ है। केंद्र सरकार अभी तक इन फार्मा कंपनियों की विशेष शर्तों की स्टडी कर रही है। जब सरकार जब इनसे कोई फाइनल एग्रीमेंट कर ले तभी इसकी खरीद और उपलब्धता के बारे में कोई निर्णय लेगी।
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