#अफगानिस्तान संकट पठान
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32 लाख पख्तूनों को यहां आ रहे हैं उन्मत्त फोन, सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए: फ्रंटियर गांधी पोती
32 लाख पख्तूनों को यहां आ रहे हैं उन्मत्त फोन, सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए: फ्रंटियर गांधी पोती
फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान की एक तस्वीर पार्क सर्कस के पास करीम हुसैन लेन में एक छोटे से कमरे में एक दीवार पर ऊंची लटकी हुई है। नीचे, उनकी पोती यास्मीन निगार खान (50) “अफगानिस्तान के आम लोगों” और “32 लाख पख्तूनों जो भारत में पीढ़ियों से रह रहे हैं” के बारे में चिंतित हैं। यास्मीन, अखिल भारतीय पख्तून जिरगा-ए-हिंद (भारत में पख्तूनों या पठानों का एक संगठन) के अध्यक्ष के रूप…
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#अखिल भारतीय पख्तून जिरगा-ए-हिंदी#अफगानिस्तान पठान#अफगानिस्तान संकट पठान#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़#फ्रंटियर गांधी#यास्मीन निगार खान
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🚩 भगवान शिवजी ने अफगानिस्तान में अंग्रेज अफसर की बचाई थी जान- 26 जुलाई 2021
🚩 ज्यादातर हिंदू धर्म के लोग ही भगवान शिव को मानते हैं, उनकी पूजा करते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जो अंग्रेज था और वो भगवान शिव के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता था। उसका दावा था कि एक बार खुद भगवान शिव उसकी जान बचाने के लिए अफगानिस्तान चले गए थे। इस अंग्रेज की कहानी बेहद ही हैरान करने वाली है।
🚩 सन 1879 की बात है । भारत में ब्रिटिश शासन था, उन्हीं दिनों अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया । इस युद्ध का संचालन आगर मालवा ब्रिटिश छावनी के लेफ़्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था । कर्नल मार्टिन समय-समय पर युद्ध-क्षेत्र से अपनी पत्नी को कुशलता के समाचार भेजता रहता था । युद्ध लंबा चला और अब तो संदेश आने भी बंद हो गये । लेडी मार्टिन को चिंता सताने लगी कि 'कहीं कुछ अनर्थ न हो गया हो, अफगानी सैनिकों ने मेरे पति को मार न डाला हो । कदाचित पति युद्ध में शहीद हो गये तो मैं जीकर क्या करूँगी ?'- यह सोचकर वह अनेक शंका-कुशंकाओं से घिरी रहती थी ।
🚩 चिन्तातुर बनी वह एक दिन घोड़े पर बैठकर घूमने जा रही थी । मार्ग में किसी मंदिर से आती हुई शंख व मंत्र ध्वनि ने उसे आकर्षित किया । वह एक पेड़ से अपना घोड़ा बाँधकर मंदिर में गयी । बैजनाथ महादेव के इस मंदिर में शिवपूजन में निमग्न पंडितों से उसने पूछा :"आप लोग क्या कर रहे हैं ?" एक वृद्ध ब्राह्मण ने कहा : " हम भगवान शिव का पूजन कर रहे हैं ।" लेडी मार्टिन : 'शिवपूजन की क्या महत्ता है ? ब्राह्मण :' बेटी ! भगवान शिव तो औढरदानी हैं, भोलेनाथ हैं । अपने भक्तों के संकट निवारण करने में वे तनिक भी देर नहीं करते हैं । भक्त उनके दरबार में जो भी मनोकामना लेकर के आता है, उसे वे शीघ्र पूरी करते हैं, किंतु बेटी ! तुम बहुत चिन्तित और उदास नजर आ रही हो ! क्या बात है ?"
🚩 लेडी मार्टिन :" मेरे पतिदेव युद्ध में गये हैं ���र विगत कई दिनों से उनका कोई समाचार नहीं आया है । वे युद्ध में फँस गये हैं या मारे गये है, कुछ पता नहीं चल रहा । मैं उनकी ओर से बहुत चिन्तित हूँ |" इतना कहते हुए लेडी मार्टिन की आँखे नम हो गयीं । ब्राह्मण : "तुम चिन्ता मत करो, बेटी ! शिवजी का पूजन करो, उनसे प्रार्थना करो, लघुरूद्री करवाओ । भगवान शिव तुम्हारे पति का रक्षण अवश्य करेंगे । "
🚩 पंडितों की सलाह पर उसने वहाँ ग्यारह दिन का 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र से लघुरूद्री अनुष्ठान प्रारंभ किया तथा प्रतिदिन भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी कि "हे भगवान शिव ! हे बैजनाथ महादेव ! यदि मेरे पति युद्ध से सकुशल लौट आये तो मैं आपका शिखरबंद मंदिर बनवाऊँगी ।" लघुरूद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर में आया और लेडी मार्टिन को एक लिफाफा दिया । उसने घबराते-घबराते वह लिफाफा खोला और पढ़ने लगी ।
🚩 पत्र में उसके पति ने लिखा था :"हम युद्ध में रत थे और तुम तक संदेश भी भेजते रहे लेकिन अचानक पठानी सेना ने घेर लिया । ब्रिटिश सेना कट मरती और मैं भी मर जाता । ऐसी विकट परिस्थिति में हम घिर गये थे कि प्राण बचाकर भागना भी अत्याधिक कठिन था ।| इतने में मैंने देखा कि युद्धभूमि में भारत के कोई एक योगी, जिनकी बड़ी लम्बी जटाएँ हैं, हाथ में तीन नोंकवाला एक हथियार (त्रिशूल) इतनी तीव्र गति से घुम रहा था कि पठान सैनिक उन्हें देखकर भागने लगे । उनकी कृपा से घेरे से हमें निकलकर पठानों पर वार करने का मौका मिल गया और हमारी हार की घड़ियाँ अचानक जीत में बदल गयीं । यह सब भारत के उन बाघाम्बरधारी एवं तीन नोंकवाला हथियार धारण किये हुए (त्रिशूलधारी) योगी के कारण ही सम्भव हुआ । उनके महातेजस्वी व्यक्तित्व के प्रभाव से देखते-ही-देखते अफगानिस्तान की पठानी सेना भाग खड़ी हुई और वे परम योगी मुझे हिम्मत देते हुए कहने लगे । घबराओं नहीं । मैं भगवान शिव हूँ तथा तुम्हारी पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर तुम्हारी रक्षा करने आया हूँ, उसके सुहाग की रक्षा करने आया हूँ ।"
🚩 पत्र पढ़ते हुए लेडी मार्टिन की आँखों से अविरत अश्रुधारा बहती जा रही थी, उसका हृदय अहोभाव से भर गया और वह भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख सिर रखकर प्रार्थना करते-करते रो पड़ी ।
🚩 कुछ सप्ताह बाद उसका पति कर्नल मार्टिन आगर छावनी लौटा । पत्नी ने उसे सारी बातें सुनाते हुए कहा : "आपके संदेश के अभाव में मैं चिन्तित हो उठी थी लेकिन ब्राह्मणों की सलाह से शिवपूजा में लग गयी और आपकी रक्षा के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने लगी । उन दुःखभंजक ��हादेव ने मेरी प्रार्थना सुनी और आपको सकुशल लौटा दिया ।" अब तो पति-पत्नी दोनों ही नियमित रूप से बैजनाथ महादेव के मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे । अपनी पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन मे सन 1883 में पंद्रह हजार रूपये देकर बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोंद्वार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी आगर मालवा के इस मंदिर में लगा है । पूरे भारतभर में अंग्रेजों द्वार निर्मित यह एकमात्र हिन्दू मंदिर है ।
🚩 यूरोप जाने से पूर्व लेडी मार्टिन ने पड़ितों से कहा : "हम अपने घर में भी भगवान शिव का मंदिर बनायेंगे तथा इन दुःख-निवारक देव की आजीवन पूजा करते रहेंगे ।"
🚩 हिंदू भगवान, वैदिक मंत्र और हिंदू साधु-संतों में अथाह शक्ति है पर विडंबना है कि हम भारतवासी आज इनकी महत्ता भूल गए हैं और पाश्चात्य संस्कृति की तरफ जाकर अपना पतन खुद कर रहे है, अब समय है फिर से हमें अपनी संस्कृति की तरफ लौटने का...।
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अफगानिस्तान : हमारी उदासीनता
अफगानिस्तान के चौथे राष्ट्रीय चुनाव के प्रारंभिक परिणाम हमारे सामने हैं। राष्ट्रपति अशरफ गनी को 50.64 प्रतिशत वोट मिले हैं और प्रधानमंत्री या मुख्य कार्यकारी डाॅ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला को 39.52 प्रतिशत वोट मिले हैं। तीसरे नंबर पर रहे हैं- गुलबदीन हिकमतयार, जिन्हें सिर्फ 3.8 प्रतिशत वोट मिले। बाकी 11 उम्मीदवारों को कुछ-कुछ हजार वोट मिले हैं। ये चुनाव हुए थे, 28 सितंबर को लेकिन चुनाव परिणाम की घोषणा अब तीन माह बाद हुई है। अभी भी यह अंतिम घोषणा नहीं है। अगले तीन दिन में उम्मीदवारों की शिकायतें दर्ज होंगी। उनके फैसले के बाद पक्के परिणाम की घोषणा होगी। पक्का परिणाम जो भी घोषित किया जाए, यह बात पक्की है कि यह चुनाव पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा झगड़े पैदा करेगा। पिछले राष्ट्रपति के चुनाव में गनी राष्ट्रपति चुने गए तो दूसरे उम्मीदवार अब्दुल्ला को चुप करने के लिए उन्हें मुख्य कार्यकारी (प्रधानमंत्री-जैसा) बना दिया गया लेकिन गनी और अब्दुल्ला के बीच सदा तनाव बना रहा। इस बार कुल 27 लाख मतदाताओं में से सिर्फ 18 लाख को वोट डालने दिया गया, जबकि अफगानिस्तान में कुल वैध वोटरों की संख्या 96 लाख है। याने इलाके चुन-चुनकर उनके वोटरों को अवैध घोषित किया गया। गनी पठान हैं और अब्दुल्ला पठान और ताजिक माता-पिता की संतान हैं। दोनों ही मेरे मित्र हैं। अफगानिस्तान में भी जातीय आधार पर वोट बंट जाते हैं। पठान, ताजिक, हजारा, उजबेक आदि वहां मुख्य जातियां हैं। अफगानिस्तान में तालिबान और इन नेताओं के बीच समझौता करवाने के लिए अमेरिका के प्रतिनिधि जलमई खलीलजाद लगे हुए हैं लेकिन गनी और अब्दुल्ला के इस झगड़े के कारण उनकी मुसीबतें पहले से भी ज्यादा बढ़ जाएंगी। यह स्थिति अमेरिका और पाकिस्तान दोनों को निराश करेगी क्योंकि अमेरिका अपने फौजियों पर वहां करोड़ों रु. रोज़ बहा रहा है और पाकिस्तान पर तो अफगान-संकट का सीधा प्रभाव हो रहा है। आश्चर्य है कि इस संकट को हल करने में भारत बिल्कुल ��दासीन है। अफगानिस्तान शांत हो तो भारत को पूरे मध्य एशिया तक पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। गनी और अब्दुल्ला दोनों भारत के मित्र हैं। भारत की भूमिका अफगानिस्तान में सबसे अधिक रचनात्मक हो सकती है। Read the full article
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