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आखिर क्यों पानी में ही किया जाता है गणेश जी का विसर्जन? जानिए वजह
चैतन्य भारत न्यूज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ हुआ गणेशोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को धूमधाम से गणपति बप्पा के विसर्जन से संपन्न होगा। इस दिन को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी 01 सितंबर दिन मंगलवार को है।
कुछ लोग गणेश प्रतिमा डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 9 दिन और 11 दिन के लिए स्थापित करते हैं। लेकिन अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि-विधान से बप्पा का विर्सजन कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, बप्पा का विसर्जन पानी में ही क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इसलिए पानी में होता भगवान गणेश का विसर्जन कहा जाता है कि गणेशजी ने ही महाभारत ग्रंथ लिखा था। महर्षि वेदव्यास द्वारा सुनाई इस कथा को गणेश जी ने 10 दिनों तक हूबहू लिखा। 10 दिन के बाद वेदव्यास जी ने जब गणेशजी को छुआ तो देखा कि उनके शरीर का तापमान बहुत बढ़ चुका था। इसके बाद वेदव्यास जी ने उन्हें तुरंत कुंड में ले जाकर उनके शरीर के तापमान को शांत किया। तभी से मान्यता है कि गणेशजी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन किया जाता है।
विसर्जन का नियम इसलिए भी है कि मनुष्य यह समझ ले कि संसार एक चक्र के रूप में चलता है। भूमि पर जिसमें भी प्राण आया है वह प्राणी अपने स्थान को फिर लौटकर जाएगा और फिर समय आने पर पृथ्वी पर लौट आएगा। इसके ��लावा जल में मूर्ति विसर्जन से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल गए। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है। ये भी पढ़े... 12 सितंबर को है गणपति विसर्जन, जानिए इसके नियम और शुभ मुहूर्त अनंत चतुर्दशी 2019 : अनंत सूत्र से होता है भगवान विष्णु का पूजन, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि आखिर क्यों भगवान गणेश को लेना पड़ा था विघ्नराज अवतार? जानिए इसकी महिमा Read the full article
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अनंत चतुर्दशी 2020 : अनंत सूत्र से होता है भगवान विष्णु का पूजन, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है। यह व्रत इस वर्ष 01 सितंबर को पड़ रहा है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप में पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप के लिए व्रत रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने का नियम है। स्त्रियां दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं। मान्यता है कि अनंत सूत्र पहनने से सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी होता है। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी का महत्व और पूजा-विधि।
अनंत चतुर्दशी का महत्व हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं। मान्यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए जिनमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं। कहा जाता है कि अपने बनाए इन लोकों की रक्षा करने के लिए श्री हरि विष्णु ने अलग-अलग 14 अवतार लिए थे। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के इन्हीं 14 स्वरूपों की पूजा की जाती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
अनंत चतुर्दशी की पूजा-विधि अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर में कलश स्थापना कर���ं। कलश के ऊपर अष्ट दलों वाला कमल रखें और कुषा का सूत्र चढ़ाएं। आप चाहें तो विष्णु की तस्वीर की भी पूजा कर सकते हैं। इसके बाद कुषा के सूत्र को सिंदूरी लाल रंग, केसर और हल्दी में भिगोकर उसमें 14 गांठें लगाकर विष्णु जी का ध्यान करें। अब विष्णु की प्रतिमा की पूजा करें। पूजा के बाद पुरुष इस सूत्र को बाएं हाथ और महिलाएं दाएं हाथ में बांधे। इस दिन ब्राह्मण को भोजन और दान देना महत्वपूर्ण माना गया है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप अवश्य करें। अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोज��स्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।। ये भी पढ़े... सितंबर महीने में आने वाले हैं ये प्रमुख तीज-त्योहार, जानिए कब से शुरू हो रही नवरात्रि तो इसलिए भगवान गणेश को लेना पड़ा धूम्रवर्ण अवतार, जानें इसका रहस्य आखिर क्यों भगवान गणेश को लेना पड़ा था विघ्नराज अवतार? जानिए इसकी महिमा Read the full article
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12 सितंबर को है गणपति विसर्जन, जानिए इसके नियम और शुभ मुहूर्त
चैतन्य भारत न्यूज गणेश चतुर्थी के दिन घर आए बप्पा अनंत चतुदर्शी के दिन अपने घर वापस लौट जाते हैं। इस साल अनंत चतुदर्शी 12 सितंबर को पड़ रही है। हालांकि कुछ लोग गणपति को डेढ़ दिन, 4 दिन, 5 दिन या 7 वें दिन में ही विसर्जित कर देते हैं। लेकिन गणपति विसर्जन का उपयुक्त समय स्थापना के 11 वें दिन यानी अनंत चतुदर्शी पर होता है। आइए जानते हैं गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त और इसके नियम।
गणेश विसर्जन के नियम गणपति विसर्जन से पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। इसके बाद गणपति को नए वस्त्र पहनाएं। अब एक रेशमी कपड़े में मोदक, थोड़े पैसे, दूर्वा घास और सुपारी रखकर उसमें गांठ लगा दें। इस पोटली को बप्पा के साथ ही बांध दें। इसके बाद गणेश जी की आरती गाते हुए 'गणपति बाप्पा मोरया' के जयकारे लगाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथ जोड़कर अपने मन में बप्पा से क्षमा प्रार्थना करते हुए अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांग लें। इसके बाद किसी पवित्र जलाशय में पूजा क�� सभी सामग्री के साथ गणपति का विसर्जन कर दें। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह- 06:16 से प्रातः 07:48 तक दूसरा मुहूर्त- प्रातः 10:51 से 03:27 तक दोपहर मुहूर्त- शाम 04:59 से शाम 06:30 तक शाम मुहूर्त- 06:30 से 09:27 बजे ये भी पढ़े... भगवान गणेश ने क्यों लिया विकट अवतार, जानिए इसका रहस्य इस देश में भभकते ज्वालामुखी पर पिछले 700 साल से विराजमान हैं भगवान गणेश माता पार्वती के मैल से हुआ था भगवान गणेश का जन्म, जानिए वे क्यों कहलाएं गजमुख Read the full article
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अनंत चतुर्दशी 2019 : अनंत सूत्र से होता है भगवान विष्णु का पूजन, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है। यह व्रत इस वर्ष 12 सितंबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप में पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप के लिए व्रत रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने का नियम है। स्त्रियां दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं। मान्यता है कि अनंत सूत्र पहनने से सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी होता है। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी का महत्व और पूजा-विधि।
अनंत चतुर्दशी का महत्व हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं। मान्यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए जिनमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं। कहा जाता है कि अपने बनाए इन लोकों की रक्षा करने के लिए श्री हरि विष्णु ने अलग-अलग 14 अवतार लिए थे। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के इन्हीं 14 स्वरूपों की पूजा की जाती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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