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helputrust · 9 months ago
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Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad
Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad | In Conversation with Vandana Tribhuwan Singh
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में मौजूद हर अंग बेहद जरूरी होता है । सभी का अपना अलग कार्य होता है, जो हमें स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं । फेफड़े इन्हीं में से एक है, जो हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है । यह हमें सांस लेने में काफी मदद करता है । हालांकि, कई वजहों से हमारे फेफड़े (Lungs) विभिन्न समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि फेफड़े में होने वाली इन बीमारियों के बारे में भी आप सतर्क रहें । फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और फेफड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 25 सितंबर को व���्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों के बीच में फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है | हमारे देश भारत में Covid-19 के बाद फेफड़े संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ता जा रहा है और फेफड़ों के कैंसर सीओपीडी टीवी अस्थमा एवं एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज निरंतर बढ़ते जा रहे हैं |
आखिर, भारत में फेफड़े संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की क्या है वजह और इससे बचने के क्या हैं उपाय? हमारे ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए हमारे साथ आज मौजूद है डॉ राजेंद्र प्रसाद जी जो आज की परिचर्चा के विषय The Vital Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases " पर प्रकाश डालेंगे |
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vikaskumarsworld · 1 year ago
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🧭संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए जा रहे समाज कल्याण के कार्य🧭
संत रामपाल जी महाराज ने धर्मग्रंथों के यथार्थ ज्ञान के आधार पर प्रमाण देकर नकली गुरुओं की पोल खोलकर पाखंड पर चोट की। व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को सार्वजनिक कर उसे समूल उखाड़ फेकने का कठिन कार्य प्रारंभ किया। नशावृत्ति, दहेज जैसी कई सामाजिक कुरीतियों को बंद कराने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। रक्तदान, अन्नदान परमार्थ करने के लिए प्रेरित किया।
जाति, धर्म, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव का केवल सन्त रामपाल जी ही सफल रूप से उन्मूलन कर सके हैं।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि -
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।
प्राकृतिक आपदा के कारण मुसीबत में फंसे लोगों को संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा खाद्य व अन्य राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य बड़ी तत्परता से किया जाता हैं। जुलाई 2023 में हरियाणा के 12 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए। लोगों को खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई और जलभराव के कारण बीमारियों का भी खतरा इन इलाकों में मंडराने लगा। ऐसी विषम परिस्थिति में बाढ़ पीड़ितों तक खाद्य व अन्य राहत सामग्री पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी अपनी जान को जोखिम में डालकर अलग-अलग जिलों, ब्लॉक आदि में यह मानवीय सेवा करते नजर आए।
संत रामपाल जी महाराज भारत व विश्व के सबसे बड़े समाज सुधारक है जिन्होंने देश को दहेज, भ्रूण हत्या, जातिवाद, रिश्वतखोरी आदि समस्याओं से निजात दिलाई है।
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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sex kb nhi karna chahiye
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Sex Kab Nahi Karna Chahiye?
सेक्स एक स्वाभाविक और निजी अनुभव है, लेकिन इसे करने का सही समय और सही परिस्थितियाँ बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। कई स्थितियाँ ऐसी होती हैं, जब सेक्स से बचना चाहिए, ताकि शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। यहां कुछ स्थितियों का विवरण दिया गया है जब सेक्स नहीं करना चाहिए:
1. जब शारीरिक अस्वस्थता हो
यदि आप या आपका पार्टनर बुखार, फ्लू, या किसी प्रकार के संक्रमण से पीड़ित हों, तो इस समय शारीरिक संबंध बनाना स्वस्थ नहीं होता। इसके अलावा, जननांगों में दर्द, जलन या सूजन होने पर भी सेक्स से बचना चाहिए।
2. मासिक धर्म के दौरान
मासिक धर्म के दौरान, सेक्स करना कई लोगों के लिए असहज हो सकता है। इसके अलावा, इस दौरान संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। अगर दोनों पार्टनर्स सहमत हों और स्वच्छता का ध्यान रखा जाए, तो यह व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इस दौरान सेक्स से बचने की सलाह दी जाती है।
3. मानसिक अस्थिरता या तनाव के दौरान
अगर कोई पार्टनर मानसिक तनाव, चिंता, या डिप्रेशन से गुजर रहा हो, तो शारीरिक संबंध इस समय से बचने चाहिए। मानसिक अस्थिरता या किसी भी प्रकार की भावनात्मक अस्वस्थता के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए क्योंकि यह स्थिति को और बिगाड़ सकता है।
4. सहमति की कमी
सहमति और इच्छा का होना सबसे महत्वपूर्ण है। अगर किसी भी पार्टनर को सेक्स के ��िए मानसिक या शारीरिक रूप से तैयार नहीं लगता, तो इस समय शारीरिक संबंध से बचना चाहिए।
5. गर्भावस्था की जटिलताएँ
गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, या प्रीटरम लेबर। ऐसे मामलों में डॉक्टर की सलाह के बिना सेक्स से बचना चाहिए।
6. यौन संचारित रोग (STI) के दौरान
यदि किसी पार्टनर को यौन संचारित रोग (STI) का संक्रमण हो, तो इस दौरान सेक्स से बचना चाहिए। इससे संक्रमण फैल सकता है, और इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स का उपयोग करना जरूरी है।
7. अत्यधिक थकावट या नींद की कमी
अगर आप या आपका पार्टनर अत्यधिक थका हुआ महसूस कर रहे हों, या नींद पूरी नहीं हुई हो, तो इस समय शारीरिक संबंध बनाना दोनों के स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं हो सकता। इस स्थिति में आराम और स्वस्थ नींद अधिक आवश्यक होती है।
8. परिवार नियोजन के उद्देश्य से
यदि कोई पार्टनर गर्भवती नहीं होना चाहता या परिवार बढ़ाने का निर्णय नहीं लिया ���ै, तो सेक्स करते समय गर्भनिरोधक उपायों का उपयोग करना जरूरी है। ऐसे समय में सेक्स से बचना या सुरक्षित उपाय अपनाना सही होता है।
9. सर्जरी या चोट के बाद
सर्जरी या गंभीर चोट के बाद शरीर को ठीक होने में समय चाहिए। इस समय सेक्स करने से बचना चाहिए क्योंकि यह शरीर को अतिरिक्त दबाव दे सकता है और रिकवरी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
10. स्वच्छता का ध्यान न रखना
शारीरिक संबंध के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यदि दोनों पार्टनर्स ने अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा है, तो इससे संक्रमण या अन्य समस्याएँ हो सकती हैं।
Click here to Read A Blog- शारीरिक संबंध कब नहीं बनाना चाहिए ?
निष्कर्ष
सेक्स एक निजी और सुखद अनुभव है, लेकिन इसे करने का निर्णय शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया जाना चाहिए। जब आप या आपका पार्टनर अस्वस्थ हों या किसी भी तरह की असहमति हो, तो इस समय शारीरिक संबंध से बचना चाहिए। सही समय, सहमति, और स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि दोनों पार्टनर्स का अनुभव सुरक्षित और सुखद हो।
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neelkanthivf · 12 days ago
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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है और कैसे की जाती है?
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लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक अत्याधुनिक और मिनिमलली इनवेसिव (क�� आक्रमक) सर्जिकल तकनीक है, जिसमें रोगी के शरीर में एक या एक से अधिक छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इस सर्जरी में एक पतली ट्यूब, जिसे लेप्रोस्कोप कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है, जिसके अंत में कैमरा और लाइट होती है। इस कैमरे के माध्यम से सर्जन शरीर के अंदर की स्थिति देख सकता है और आवश्यक इलाज कर सकता है। इस सर्जरी का मुख्य उद्देश्य शरीर में बड़े चीरे लगाने की बजाय छोटे-छोटे चीरे से उपचार करना है, जिससे रिकवरी का समय कम हो और रोगी को कम दर्द महसूस हो।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की प्रक्रिया:
प्रारंभिक तैयारी: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की प्रक्रिया की शुरुआत एनेस्थीसिया से होती है, जिससे रोगी को सर्जरी के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता। इसके बाद सर्जन शरीर में 1-2 सेंटीमीटर के छोटे-छोटे चीरे करता है।
लेप्रोस्कोप और उपकरण का उपयोग: सर्जन एक छोटा कैमरा (लेप्रोस्कोप) शरीर में डाले गए चीरे के माध्यम से अंदर प्रवेश करता है। इसके द्वारा सर्जन को शरीर के अंदर का दृश्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही अन्य उपकरणों की मदद से आवश्यक चिकित्सा क्रियाएँ की जाती हैं।
सर्जरी का निष्पादन: इस प्रक्रिया में, सर्जन छोटे चीरे से शरीर के अंदर के अंगों का उपचार करता है। उदाहरण स्वरूप, पेट की सर्जरी में केवल छोटे चीरे से ही इलाज किया जाता है, जिससे मरीज की रिकवरी प्रक्रिया जल्दी होती है।
सर्जरी समाप्ति: सर्जरी के बाद, छोटे चीरे को बंद कर दिया जाता है और रोगी को कुछ समय के लिए अस्पताल में निगरानी में रखा जाता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की प्रक्रिया में कोई बड़ा चीरा नहीं होता, जिससे मरीज की रिकवरी तेज और दर्द कम होता है। यह आधुनिक चिकित्सा तकनीक कम समय में प्रभावी परिणाम देती है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लाभ:
कम दर्द: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान बड़े चीरे नहीं किए जाते, जिससे रोगी को कम दर्द होता है और रिकवरी प्रक्रिया तेजी से होती है।
कम समय में रिकवरी: इस तकनीक में छोटी सर्जरी की वजह से रोगी जल्दी अस्पताल से छुट्टी ले सकता है, और कामकाजी जीवन पर भी इसका असर कम पड़ता है।
कम संक्रमण का खतरा: छोटे चीरे होने के कारण संक्रमण का खतरा कम होता है, जिससे सर्जरी के बाद रोगी को अधिक सुरक्षा मिलती है।
अच्छे परिणाम: कम हस्तक्षेप के कारण लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के परिणाम आमतौर पर बेहतर होते हैं, जिससे सर्जरी अधिक सटीक और सुरक्षित होती है।
बड़ी सर्जरी की तुलना में कम खर्च: इस तकनीक से सर्जरी का खर्च आमतौर पर कम होता है, क्योंकि इसमें अस्पताल में भर्ती होने का समय और उपचार का खर्च कम होता है।
इन लाभों के कारण लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लाभ अधिक रोगियों के लिए उपयुक्त विकल्प बनाते हैं, जो पारंपरिक सर्जरी से ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी होती है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की आवश्यकता:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का उपयोग विभिन्न ��ीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इस तकनीक का चयन इसलिए किया जाता है क्योंकि यह अधिक सुरक्षित, प्रभावी और कम दर्दनाक होती है। कुछ प्रमुख समस्याएं जिनके इलाज में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है:
गॉलब्लेडर की बीमारी: गॉलब्लेडर की समस्या, जैसे गॉलब्लेडर स्टोन, का इलाज लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से किया जा सकता है।
पेट की बीमारियाँ: अपेंडिसाइटिस, पेट के अंदर सूजन या अन्य समस्याओं का इलाज इस तकनीक से किया जाता है।
स्त्री रोग से जुड़ी समस्याएं: ओवेरियन सिस्ट, फाइब्रोइड्स और अन्य स्त्री रोग संबंधी समस्याओं के इलाज में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का महत्वपूर्ण स्थान है।
बवासीर और आंतरिक समस्याएं: बवासीर और आंतरिक रक्तस्राव जैसी समस्याओं में भी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से उपचार किया जा सकता है।
एंडोमेट्रिओसिस: इस स्थिति में, गर्भाशय की परत बाहर फैल जाती है, जिसे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी इन समस्याओं का उपचार ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी तरीके से करती है, जिससे रोगी को त्वरित राहत और जल्दी रिकवरी मिलती है।
निष्कर्ष:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास है, जो रोगियों के लिए अधिक सुरक्षित और कम दर्दनाक उपचार प्रदान करती है। यह न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है, बल्कि उपचार के बाद की रिकवरी को भी आसान और तेज बनाती है। यदि आपको किसी प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता हो, तो आप लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को एक उपयुक्त विकल्प के रूप में विचार कर सकते हैं।
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helputrust-harsh · 14 days ago
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Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad
Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad | In Conversation with Vandana Tribhuwan Singh
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में मौजूद हर अंग बेहद जरूरी होता है । सभी का अपना अलग कार्य होता है, जो हमें स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं । फेफड़े इन्हीं में से एक है, जो हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है। यह हमें सांस लेने में काफी मदद करता है। हालांकि, कई वजहों से हमारे फेफड़े (Lungs) विभिन्न समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि फेफड़े  में होने वाली इन बीमारियों के बारे में भी आप सतर्क रहें । फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और फेफड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों के बीच में फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है | हमारे देश भारत में Covid-19 के बाद फेफड़े संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ता जा रहा है और फेफड़ों के कैंसर सीओपीडी टीवी अस्थमा एवं एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज निरंतर बढ़ते जा रहे हैं |
आखिर, भारत में फेफड़े संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की क्या है वजह और इससे बचने के क्या हैं उपाय? हमारे ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए हमारे साथ आज मौजूद है डॉ राजेंद्र प्रसाद जी  जो आज की परिचर्चा के विषय The Vital Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases " पर प्रकाश डालेंगे |
#worldlungday #lungs #asthma #health #breathe #lunghealth #lungcancer #lungcancerawareness #lungcancerawarenessmonth #lungcancersucks #lungcancersurvivor #beatlungcancer #lungcancerresearch #worldlungcancerday #lungcancerwarrior #endlungcancer #nonsmallcelllungcancer #stoplungcancer
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helpukiranagarwal · 14 days ago
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Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases | Dr Rajendra Prasad
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में मौजूद हर अंग बेहद जरूरी होता है । सभी का अपना अलग कार्य होता है, जो हमें स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं । फेफड़े इन्हीं में से एक है, जो हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है। यह हमें सांस लेने में काफी मदद करता है। हालांकि, कई वजहों से हमारे फेफड़े (Lungs) विभिन्न समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि फेफड़े  में होने वाली इन बीमारियों के बारे में भी आप सतर्क रहें । फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और फेफड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों के बीच में फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है | हमारे देश भारत में Covid-19 के बाद फेफड़े संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ता जा रहा है और फेफड़ों के कैंसर सीओपीडी टीवी अस्थमा एवं एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज निरंतर बढ़ते जा रहे हैं |
आखिर, भारत में फेफड़े संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की क्या है वजह और इससे बचने के क्या हैं उपाय? हमारे ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए हमारे साथ आज मौजूद है डॉ राजेंद्र प्रसाद जी  जो आज की परिचर्चा के विषय The Vital Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases " पर प्रकाश डालेंगे |
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drrupal-helputrust · 14 days ago
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में मौजूद हर अंग बेहद जरूरी होता है । सभी का अपना अलग कार्य होता है, जो हमें स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं । फेफड़े इन्हीं में से एक है, जो हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है। यह हमें सांस लेने में काफी मदद करता है। हालांकि, कई वजहों से हमारे फेफड़े (Lungs) विभिन्न समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि फेफड़े  में होने वाली इन बीमारियों के बारे में भी आप सतर्क रहें । फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और फेफड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य आम लोगों के बीच में फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है | हमारे देश भारत में Covid-19 के बाद फेफड़े संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ता जा रहा है और फेफड़ों के कैंसर सीओपीडी टीवी अस्थमा एवं एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज निरंतर बढ़ते जा रहे हैं |
आखिर, भारत में फेफड़े संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों की क्या है वजह और इससे बचने के क्या हैं उपाय? हमारे ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए हमारे साथ आज मौजूद है डॉ राजेंद्र प्रसाद जी  जो आज की परिचर्चा के विषय The Vital Role of Lung Health : Understanding, Preventing & Managing Respiratory Diseases " पर प्रकाश डालेंगे |
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pigeon-net-service12 · 18 days ago
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बर्ड नेट सर्विस नज़दीक: भरोसेमंद और किफायती समाधान
शहरीकरण के साथ-साथ पक्षियों से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। बालकनी, छत और खिड़कियों पर पक्षियों का डेरा जमाना केवल गंदगी ही नहीं बढ़ाता, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी जोखिम पैदा करता है। खासतौर पर कबूतरों द्वारा फैलाए जाने वाले संक्रमण कई बार गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ऐसे में, पिजन नेट सर्विस और बर्ड नेट सर्विस आधुनिक समाधान के रूप में उभरी हैं, जो इन समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करती हैं।
यह ब्लॉग न केवल इन सेवाओं की उपयोगिता पर प्रकाश डालेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि क्यों बर्ड नेट सर्विस आपके घर, ऑफिस या औद्योगिक परिसर के लिए जरूरी है।
पक्षियों की समस्या से क्यों निपटना जरूरी है?
पक्षियों का घोंसला बनाना या उनके मलमूत्र से गंदगी फैलना केवल देखने में असुविधाजनक नहीं होता, बल्कि स्वास्थ्य और संरचनात्मक क्षति का कारण भी बनता है।
स्वास्थ्य जोखिम:
पक्षियों के मल से होने वाले फंगल संक्रमण जैसे हिस्टोप्लाज्मोसिस और क्रिप्टोकॉकसिस का खतरा बढ़ जाता है।
एलर्जी और सांस की बीमारियां भी आम हैं।
संपत्ति को नुकसान:
उनके नाखूनों और चोंच से छतों, खिड़कियों और वेंटिलेशन सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।
मल के अम्लीय गुणों से धातु और पेंट को नुकसान हो सकता है।
गंदगी और असुविधा:
पक्षियों की गंदगी सफाई में समय और पैसे दोनों की बर्बादी करती है।
इन समस्याओं से बचने के लिए पिजन नेट सर्विस और बर्ड नेट सर्विस सबसे उपयुक्त विकल्प हैं।
पिजन नेट सर्विस: क्या है यह समाधान?
पिजन नेट सर्विस एक ऐसा समाधान है जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली जालियां आपके घर या ऑफिस में लगाई जाती हैं। यह पक्षियों को हानि पहुंचाए बिना उन्हें आपके परिसर से दूर रखती हैं।
पिजन नेट की विशेषताएं:
लंबे समय तक चलने वाली सामग्री: जालियां टिकाऊ और मौसम प्रतिरोधी होती हैं।
सुरक्षित डिजाइन: ये नेट्स पक्षियों को नुकसान नहीं पहुंचाते।
कम दृश्य प्रभाव: ये नेट्स पारदर्शी होती हैं और आपके घर की सुंदरता को प्रभावित नहीं करतीं।
बर्ड नेट सर्विस के उपयोग के प्रमुख लाभ
1. स्वास्थ्य का संरक्षण:
बर्ड नेट सर्विस घर और ऑफिस में स्वच्छता बनाए रखने में मदद करती है। इससे पक्षियों के मल और धूल के संपर्क से बचा जा सकता है, जो एलर्जी और संक्रमण का कारण बनते हैं।
2. संपत्ति की सुरक्षा:
पक्षियों की गतिविधियों से छत, बालकनी और दीवारों को नुकसान हो सकता है। बर्ड नेट्स लगवाने से यह जोखिम खत्म हो जाता है।
3. पर्यावरण के अनुकूल:
बर्ड नेट्स पक्षियों को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें दूर रखते हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहता है।
4. अनुकूलन विकल्प:
हर जगह की जरूरत अलग होती है। बर्ड नेट्स को आपकी विशेष आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन और इंस्टॉल किया जा सकता है।
5. किफायती समाधान:
यह सेवा न केवल प्रभावी है, बल्कि बजट के अनुकूल भी है।
बर्ड नेट सर्विस नज़दीक: क्यों जरूरी है पेशेवर सेवा?
पेशेवर पिजन नेट सर्विस और बर्ड नेट सर्विस कई कारणों से बेहतर हैं:
सही इंस्टॉलेशन: विशेषज्ञ जाल को इस तरह लगाते हैं कि पक्षियों को दोबारा घोंसला बनाने का मौका न मिले।
गुणवत्ता की गारंटी: पेशेवर सेवाएं उच्च गुणवत्ता के साथ आती हैं, जो लंबे समय तक चलती हैं।
समय और धन की बचत: DIY (Do It Yourself) प्रयासों की तुलना में पेशेवर सेवा तेज और अधिक प्रभावी होती है।
पिजन नेट सर्विस के लिए सही विकल्प कैसे चुनें?
1. नज़दीकी सेवा प्रदाता की तलाश करें:
अपने इलाके में उपलब्ध पिजन नेट सर्विस और बर्ड नेट सर्विस की खोज करें। नज़दीकी सेवा प्रदाता जल्दी और सटीक सेवा प्रदान कर सकते हैं।
2. ऑनलाइन समीक्षाएं और रेटिंग:
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध समीक्षाओं को पढ़कर आप सेवा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता का मूल्यांकन कर सकते हैं।
3. सामग्री की गुणवत्ता:
हमेशा यह सुनिश्चित करें कि सेवा प्रदाता उच्च गुणवत्ता वाले जाल और टिकाऊ सामग्री का उपयोग करता हो।
4. वारंटी और आफ्टर-सर्विस:
ऐसी सेवा चुनें जो इंस्टॉलेशन के बाद वारंटी और आफ्टर-सर्विस प्रदान करती हो।
ऑफ-पेज SEO: बर्ड नेट सर्विस से जुड़े बैकलिंक्स का महत्व
डिजिटल युग में आपकी सेवा की पहुंच बढ़ाने के लिए ऑफ-पेज SEO अहम भूमिका निभाता है। बैकलिंक्स आपकी वेबसाइट को सर्च इंजन में बेहतर रैंक दिलाने में मदद करते हैं।
कैसे बनाएं प्रभावी बैकलिंक्स?
स्थानीय व्यवसाय लिस्टिंग: अपनी वेबसाइट को स्थानीय डायरेक्टरीज और लिस्टिंग साइट्स पर रजिस्टर करें।
गेस्ट ब्लॉगिंग: पक्षियों से जुड़े समाधानों पर ब्लॉग लिखकर उन्हें अन्य प्रासंगिक साइट्स पर पब्लिश करें।
संबंधित फोरम में भाग लें: पक्षी नियंत्रण और नेट सर्विस से जुड़े फोरम पर सक्रिय रहें और अपनी सेवा का प्रचार करें।
सोशल मीडिया शेयरिंग: अपनी सेवाओं को सोशल मीडिया पर प्रमोट करें और संबंधित वेबसाइट्स पर लिंक बैक करें।
बर्ड नेट सर्विस: पर्यावरण के लिए एक अनुकूल समाधान
जहां कई लोग पक्षियों से छुटकारा पाने के लिए हानिकारक विधियों का सहारा लेते हैं, वहीं बर्ड नेट सर्विस पक्षियों को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें दूर रखने का एक पर्यावरण-अनुकूल तरीका है। यह समाधान न केवल पक्षियों को सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि आपके स्थान को भी संरक्षित करता है।
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vedantbhoomidigital · 20 days ago
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नासा ने 13 दिसंबर को पृथ्वी के करीब आने वाले 210 फीट क्षुद्रग्रह के बारे में अलर्ट किया: क्या हमें चिंतित होना चाहिए?
होम साइंस नासा ने 13 दिसंबर को पृथ्वी के करीब आने वाले 210 फीट क्षुद्रग्रह के बारे में अलर्ट किया: क्या हमें चिंतित होना चाहिए? क्षुद्रग्रह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की औसत दूरी से 16 गुना से अधिक दूरी तय करेगा। वैज्ञानिकों ने इसे 'लगभग चूक' कहा है, लेकिन उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है। नासा ने 210 फुट क्षुद्रग्रह का पता लगाया है, जिसका नाम 2024 XW15 है, जो 41,421…
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prime-ivf-centres · 29 days ago
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IUI Kya Hota Hai? Sab Kuch Janiye Prime IVF Centres Se
आज के समय में, कई जोड़े संतान सुख के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यदि आप भी उन जोड़ों में से एक हैं जो गर्भधारण में परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो आपके लिए IUI (Intrauterine Insemination) एक प्रभावी उपचार हो सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि IUI kya hota hai, इसके प्रक्रिया, लाभ, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी Prime IVF Centres से।
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IUI Kya Hota Hai?
IUI, जिसे इन्ट्रायूटराइन इंसिमीनेशन कहा जाता है, एक प्रकार की फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसमें शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय (यूटरस) में डाला जाता है। यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए फायदेमंद है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं, लेकिन जिनका प्रजनन तंत्र सामान्य रूप से कार्य करता है।
IUI में, एक महिला के ओवुलेशन (अंडाणु का निकलना) के समय पर पुरुष के शुक्राणु को एकत्रित किया जाता है और उसे महिला के गर्भाशय में एक खास प्रक्रिया के जरिए डाला जाता है। इस प्रक्रिया से शुक्राणु अंडाणु तक आसानी से पहुँचते हैं, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
IUI Ki Process Kaise Hoti Hai?
IUI ki process एक साधारण और कम-invasive प्रक्रिया है, जो सामान्यतः 2-3 सप्ताह के भीतर पूरी होती है। यह कुछ इस प्रकार होती है:
Ovulation Monitoring: सबसे पहले महिला के अंडाशय में अंडाणु के बनने की प्रक्रिया को मॉनिटर किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और हार्मोनल टेस्ट करते हैं।
Sperm Collection: IUI के लिए शुक्राणु एकत्रित किए जाते हैं। यह शुक्राणु उच्च गुणवत्ता वाले होने चाहिए, इसलिए इनका चयन सावधानी से किया जाता है।
Sperm Preparation: एकत्रित किए गए शुक्राणु को विशेष प्रक्रिया के द्वारा शुद्ध किया जाता है ताकि उनमें से सर्वोत्तम शुक्राणु का चयन किया जा सके।
Insemination: तैयार किए गए शुक्राणु को महिला के गर्भाशय में एक पतली ट्यूब के माध्यम से डाला जाता है। यह प्रक्रिया दर्द रहित होती है और कुछ मिनटों में पूरी हो जाती है।
IUI Ke Fayde
IUI एक बहुत प्रभावी उपचार है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो हल्की प्रजनन समस्याओं का सामना कर रही हैं। इसके लाभ इस प्रकार हैं:
Simple and Non-invasive: IUI प्रक्रिया सरल और गैर-आक्रामक होती है, जिसमें किसी प्रकार की सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती।
Lower Cost: IVF की तुलना में IUI की लागत कम होती है, जिस��े यह एक सस्ती विकल्प होता है।
Faster Process: IUI में पूरा इलाज जल्दी हो जाता है, और मरीज को अधिक समय तक उपचार की आवश्यकता नहीं होती।
Increased Chances of Pregnancy: यदि महिला के प्रजनन तंत्र में कोई बड़ी समस्या नहीं है, तो IUI गर्भधारण के अवसरों को बढ़ा सकता है।
IUI Ke Liye Kya Koi Risk Hai?
IUI एक सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन इसके कुछ संभावित जोखिम भी हो सकते हैं, जैसे:
Multiple Pregnancy: कभी-कभी IUI से जुड़ी ओवुलेशन दवाएं अंडाणुओं की संख्या बढ़ा सकती हैं, जिससे जुड़वां या तिहरे बच्चे हो सकते हैं।
Infection: प्रक्रिया के दौरान संक्रमण का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन उचित देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Prime IVF Centres Ki Madad Se IUI
अगर आप सोच रहे हैं कि IUI kya hota hai और इस प्रक्रिया के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो Prime IVF Centres आपकी मदद के लिए यहां है�� हम अनुभवी डॉक्टरों और उच्चतम तकनीक के साथ आपको उचित मार्गदर्शन और उपचार प्रदान करते हैं। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हर जोड़ा सही उपचार और देखभाल प्राप्त करे, जिससे उनके परिवार के सपने पूरे हों।
Conclusion
IUI एक प्रभावी और सुरक्षित तरीका है जो कई जोड़ों को संतान सुख प्रदान करने में मदद करता है। यदि आप IUI के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं या इसे अपनी उपचार योजना में शामिल करना चाहते हैं, तो Prime IVF Centres से संपर्क करें। हम आपकी जरूरतों के अनुसार सर्वोत्तम फर्टिलिटी ट्रीटमेंट प्रदान करते हैं।
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👨‍⚕️सिगरेट और आपका दिल: एक खतरनाक संबंध
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धूम्रपान हृदय रोग के प्रमुख कारणों में से एक है। हर सिगरेट आपके दिल और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे दिल के दौरे और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी खबर यह है कि धूम्रपान छोड़ने से उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। छोड़ने के सिर्फ़ एक साल के भीतर, दिल के दौरे का जोखिम काफी कम हो जाता है, जिससे आपके दिल को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से उबरने में मदद मिलती है।
हृदय स्वास्थ्य सलाह या परामर्श के लिए, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), से सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए 6200784486 पर कॉल करें या drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
आज ही स्वस्थ हृदय की ओर पहला कदम उठाएँ!
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indlivebulletin · 1 month ago
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46% लोग मौत के खतरे से अनजान इस बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा
उच्च रक्तचाप का खतरा: हृदय रोगों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ��र साल दिल के दौरे और दिल की विफलता के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। हृदय रोग के कई कारण होते हैं। उनमें से एक है उच्च रक्तचाप, जिसे हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। जिन लोगों का रक्तचाप अक्सर उच्च रहता है, उन्हें इन बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है। इसलिए हाई बीपी को नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि आजकल कम उम्र…
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drcare4u · 1 month ago
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Air Pollution : वायु प्रदूषण सेहत को ऐसे पहुंचाता है नुकसान, डॉक्टर से जानें देखभाल के तरीके, Video
दिल्ली और आसपास के इलाकों में एक्यूआई अभी भी 300 से अधिक बना हुआ है. प्रदूषण का ये बढ़ा हुआ लेवल सेहत के लिए खतरनाक है. पॉल्यूशन की वजह से कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है. खासतौर पर छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को प्रदूषण के कारण कई तरह की समस्याएं हो सकती है. इस पॉल्यूशन में सेहत का ध्यान कैसे रहें. इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन…
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rightnewshindi · 1 month ago
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डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क और रामास्वामी के साथ बनाई योजना, चीन के लिए बनेगी खतरा; जानें क्यों घबराया ड्रैगन
US News: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अरबपति एलन मस्क और भारतीय मूल के उद्यमी विवेक रामास्वामी की अध्यक्षता में एक नए विभाग के साथ सरकार में आमूलचूल परिवर्तन की योजना बनाई है। ये टीम चीन के लिए सबसे बड़ा खतरा होगी, क्योंकि उसे कहीं अधिक कुशल अमेरिकी राजनीतिक प्रणाली के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। चीन सरकार के एक नीति सलाहकार ने यह टिप्पणी की। चीन के शीर्ष शैक्षणिक और नीति…
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neelkanthivf · 13 days ago
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वेरीकोसील : उपचार, बचाव और पुरुष नि:संतानता से संबंध
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आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से एक है "वेरीकोसील", जो पुरुषों में प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इस ब्लॉग में हम वेरीकोसील के उपचार, बचाव के उपाय, पुरुष नि:संतानता से इसके संबंध और इसके खतरों पर चर्चा करेंगे।
वेरीकोसील क्या है?
वेरीकोसील एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडकोष (टेस्टिकल्स) के आसपास की नसें फैल जाती हैं। यह समस्या मुख्यतः 15-25 साल के युवाओं में पाई जाती है। इसे सरल भाषा में "वेरिकोज़ वेन्स" का टेस्टिकल्स में होना भी कहा जा सकता है।
वेरीकोसील का उपचार (Treatment of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील का उपचार संभव है और इसके कई विकल्प उपलब्ध हैं।
सर्जिकल उपचार:
अगर समस्या गंभीर है और इससे दर्द या प्रजनन में दिक्कत हो रही है, तो सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है।
“वेरिकोसेलेक्टॉमी” (Varicocelectomy) एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें प्रभावित नसों को हटा दिया जाता है। यह लैप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी के माध्यम से की जाती है।
एम्बोलाइजेशन (Embolization):
यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें नसों को बंद कर दिया जाता है, ताकि रक्त प्रवाह रुक जाए। यह प्रक्रिया जल्दी ठीक होने और कम दर्द के कारण लोकप्रिय हो रही है।
दवाइयां और लाइफस्टाइल बदलाव:
हल्के मामलों में दर्द और सूजन को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाइयां और आरामदायक अंडरवियर पहनने की सलाह दे सकते हैं।
वेरीकोसील से बचने के उपाय (Prevention of Varicocele in Hindi)
हालांकि वेरीकोसील को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आदतें इसे बढ़ने से रोकने में मदद कर सकती हैं:
नियमित व्यायाम करें:योग और हल्की कसरत से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे नसों पर दबाव कम होता है। नियमित व्यायाम से नसों में खून का प्रवाह सही रहता है और वेरीकोसील के जोखिम को कम किया जा सकता है।
लंबे समय तक खड़े रहने से बचें:लंबे समय तक खड़े रहने से नसों पर दबाव बढ़ सकता है। इसे रोकने के लिए नियमित रूप से चलने-फिरने की आदत डालें।
संतुलित आहार लें:आहार में फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स शामिल करें ताकि कब्ज और नसों पर अतिरिक्त दबाव से बचा जा सके। हरी सब्जियाँ, फल और पूरा अनाज सेवन करें।
स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएं:ये आदतें नसों की दीवारों को कमजोर बना सकती हैं, जिससे वेरीकोसील का खतरा बढ़ सकता है। स्मोकिंग और शराब से बचना, नसों को स्वस्थ रखने के लिए मददगार है।
वेरीकोसील से बचने के उपाय का पालन करने से आप इसकी संभावना को कम कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर रख सकते हैं।
पुरुष नि:संतानता और वेरीकोसील का संबंध (Male Infertility & Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। यह समस्या टेस्टिकल्स में रक्त के असामान्य प्रवाह के कारण होती है, जिससे स्पर्म की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आ सकती है। वेरीकोसील का प्रभाव पुरुषों में नि:संतानता (Male Infertility) के प्रमुख कारणों में ��े एक है।
स्पर्म काउंट पर असर:वेरीकोसील से टेस्टिकल्स का तापमान बढ़ जाता है, जो स्पर्म के उत्पादन में बाधा डालता है। अधिक तापमान स्पर्म की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और पुरुष नि:संतानता का कारण बन सकता है।
इलाज के बाद प्रजनन क्षमता में सुधार:कई अध्ययन बताते हैं कि वेरीकोसील के उपचार के बाद स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। वेरीकोसील का सर्जिकल उपचार या अन्य विकल्प स्पर्म काउंट और गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं, जो कि पुरुष नि:संतानता के इलाज में सहायक साबित होते हैं।
इसलिए, वेरीकोसील को समय पर पहचानकर उसका इलाज करना पुरुष नि:संतानता से बचाव और प्रजनन क्षमता में सुधार में मदद कर सकता है।
क्या वेरीकोसील खतरनाक हो सकता है?
सामान्यतः वेरीकोसील जानलेवा नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह पुरुषों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
प्रजनन क्षमता पर प्रभाव:वेरीकोसील पुरुष प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या में कमी आ सकती है, जो पुरुष नि:संतानता का कारण बन सकता है।
टेस्टिकल्स के आकार में कमी:कुछ मामलों में, वेरीकोसील टेस्टिकल्स के आकार को भी कम कर सकता है, जिससे टेस्टिकल्स की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
पुरानी समस्या बनने की संभावना:अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह समस्या पुरानी हो सकती है, और इसके प्रभाव का इलाज करना कठिन हो सकता है।
इसलिए, यदि वेरीकोसील के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें और उचित उपचार करवाएं ताकि गंभीर समस्याओं से बचा जा सके।
निष्कर्ष
वेरीकोसील एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण समस्या है, जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इसके लक्षणों को पहचानकर और समय रहते इलाज करवाकर इस समस्या को नियंत्रण में रखा जा सकता है। हालाँकि, वेरीकोसील जानलेवा नहीं है, लेकिन इसका इलाज न किया जाना प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
उपचार के विकल्पों में सर्जिकल ऑपरेशन (जैसे, माइक्रो-सर्जरी, लापारोस्कोपिक सर्जरी) और अन्य चिकित्सीय विकल्प शामिल हैं, जो स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। इलाज के बाद, अधिकतर पुरुषों की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए, अगर आपको वेरीकोसील के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लें और उचित उपचार करवाएं। सही समय पर उपचार से आप अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रख सकते हैं और अन्य जटिलताओं से बच सकते हैं।
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nayaindiacom · 1 month ago
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प्रदूषण सिर्फ आंकड़ों का मामला नहीं है
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर रूप से बढ़ चुका है, जिससे लोगों की सेहत पर गहरा असर पड़ रहा है। एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) की अधिकतम सीमा भारत में 500 है, लेकिन पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे खतरनाक कणों की सघनता इससे कई गुना अधिक पाई गई है। पीएम 2.5 की सघनता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 74 गुना ज्यादा है, जिससे सांस लेने का मतलब रोजाना 38 सिगरेट पीने के बराबर हो गया है।
प्रदूषण के कारण बच्चों के फेफड़ों की क्षमता घट रही है और हृदय रोग व कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। दिल्ली की गंदी हवा और राजनीति ने लोगों का जीवन प्रभावित कर दिया है, जहां औसतन हर व्यक्ति की आयु तीन से चार साल घट रही है।
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