#अखिलेश यादव नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
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UP Election 2022 : अखिलेश यादव का बड़ा ऐलान, नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
UP Election 2022 : अखिलेश यादव का बड़ा ऐलान, नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अखिलेश यादव विधान परिषद सदस्य रहे हैं। उन्होंने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान ये बयान दिया। उनके इस ऐलान से यह साफ हो गया है कि इस बार भी वह विधान परिषद के जरिए ही सदस्य बनेंगे। ये हो सकती है अखिलेश की रणनीति- अभी ��अखिलेश यादव आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य हैं। अखिलेश के इस बयान से…
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महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की घटती आय योगी सरकार की पहचान : अखिलेश यादव
महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की घटती आय योगी सरकार की पहचान : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अखिलेश यादव ने खुद ये जानकारी दी है। अखिलेश यादव ने यह भी बताया है कि उनकी पार्टी यानि समाजवादी पार्टी तथा जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल (RLD)के बीच गठबंधन हो गया है जो जल्द ही दोनों पार्टियां मिलकर सीटों के बंटवारे की घोषणा करेंगी। न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि वह अगले साल की…
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यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी दल सपा ज़ोर-शोर से जुटी हुई है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रदेश भर में रथ यात्रा निकालकर लोगों को जागरूक के रहे है उधर विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर अखिलेश यादव ने बड़ा एलान किया है. अखिलेश ने साफ़ कहा कि वो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. इसके अलावा अखिलेश ने RLD के साथ गठबंधन को लेकर भी टिप्पणी की है. अखिलेश ने कहा कि RLD के साथ गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर विचार विमर्श किया जाना है, जल्द ही इस पर फ़ैसला लिया जाएगा. the-prese.in #UPElection 2022 #akhileshyadav #SamajwadiParty #Uttar Pradesh #India #Hindi #HindiNews https://www.instagram.com/p/CVukslBJFdY/?utm_medium=tumblr
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ओवैसी के साथ BSP का गठबंधन? मायावती बोलीं- किसी से अलायंस नहीं, अकेले लड़ेंगे Divya Sandesh
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ओवैसी के साथ BSP का गठबंधन? मायावती बोलीं- किसी से अलायंस नहीं, अकेले लड़ेंगे
लखनऊ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सियासी पार्टियां जुटी हुई हैं। लगातार दो विधानसभा चुनाव में हार के बाद इस बार का इलेक्शन बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के लिए भी बहुत अहम है। पार्टी की अध्यक्ष और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने साफ किया है कि बीएसपी किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इससे पहले एक न्यूज चैनल ने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और बीएसपी के बीच गठबंधन की खबर प्रसारित की थी। मायावती ने इसे सिरे से खारिज किया है।
ओवैसी से गठबंधन की अटकलों को माया ने किया खारिज बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया, ‘मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आम चुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM और बीएसपी मिलकर लड़ेगी। यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी इसका जोरदार खण्डन करती है।’
‘यूपी में किसी से गठबंधन नहीं, अकेले लड़ेगी बीएसपी’ मायावती ने आगे कहा, ‘वैसे इस संबंध में पार्टी द्वारा फिर से यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का यह आम चुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबंधन करके नहीं लड़ेगी अर्थात अकेले ही लड़ेगी।’
पंजाब में अकाली दल से बीएसपी ने किया गठबंधन इससे पहले बीएसपी ने पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ 2022 विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। राज्य में 32 फीसदी से ज्यादा दलित आबादी है। ऐसे में बीएसपी ने सुखबीर सिंह बादल की पार्टी से अलायंस करते हुए बड़ा दांव खेला है। गठबंधन के तहत राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर बीएसपी लड़ेगी, जबकि बाकी 97 सीटें अकाली दल के हिस्से में आई हैं। पंजाब में 1996 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा ने अकाली दल से गठबंधन किया था। तब अलायंस ने राज्य की 13 में से 11 लोकसभा सीटें जीती थीं। बीएसपी जिन तीन सीटों पर लड़ी थी वो सभी उसने जीत ली थी। वहीं अकाली दल को 8 सीटें हासिल हुई थीं।
लगातार 2 विधानसभा चुनाव हार चुकी है बीएसपी चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती के सियासी भविष्य के लिए 2022 का चुनाव अहम है। 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और 2017 में बीजेपी से उनकी पार्टी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। 2017 में पार्टी सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई और उसका मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी खत्म हो गया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन करते हुए 10 सीटों पर जीत हासिल की। चुनाव के बाद ये अलायंस टूट गया और दोनों पार्टियां एक बार फिर अलग-अलग राह पर हैं।
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सपा से गठबंधन और कई प्रदेशों में BSP की धमक ने बढ़ा दिया है मायावती का कद - Sp bsp alliance mayawati third front prime minister candidate tpt
समाजवादी पार्टी से गठबंधन और तमाम नेताओं के बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रति नरम बयानों ने उनका कद एकाएक बढ़ा दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उन्हें जिस तरह तवज्जो दे रहे हैं उससे ऐसा लगने लगा है कि वह कम से कम लोकसभा चुनावों में बीएसपी को सपा से बड़ी ताकत मान रहे हैं. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी बसपा के साथ हाथ मिला रखा है. जबकि महाराष्ट्र में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार बसपा को गठबंधन में हिस्सा बनाने की बात कह चुके हैं. ऐसे में बसपा सुप्रीमो की धमक यूपी ही नहीं बल्कि देश भर के राज्यों में भी नजर आ रही है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लखनऊ में आकर जिस तरह से मायावती का आशीर्वाद लिया है उससे यह तय माना जा रहा है कि सपा-बसपा गठबंधन को बिहार में भी तवज्जो मिलने जा रही है. मायावती के जन्मदिन पर अजीत जोगी समेत तमाम नेताओं का मिलना यह बताता है कि बसपा अध्यक्ष को सियासी तौर पर कम करके नहीं आंका जा रहा है.
बसपा आज भले ही आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी न हो लेकिन कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी का विधायक चुने जाने के बाद बसपा की धमक बढ़ गई है. छत्तीगढ़ में भी बसपा ने अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन करके राजनीतिक समीक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
बता दें कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से पहले ही मायावती देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ हाथ मिलाकर चुनावी किस्मत आजमा चुकी है. कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी का एक विधायक जीतने में सफल रहा. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी और दो विधायक जीतने में सफल रहे हैं. इसके अलावा हरियाणा में इनेलो के साथ गठबंधन किया है. जबकि महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में से बसपा का एक सांसद चुना जाना चाहिए.
देखा जाए तो तीसरे मोर्चे के प्रयास में लगे चंद्रबाबू नायडू, गैर बीजेपी गैर कांग्रेस का नारा बुलंद करने वाले तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव और अब कांग्रेस से परहेज न करने वाली ममता बनर्जी से मायावती आगे निकलती दिख रही हैं. अखिलेश पहले ही कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री यूपी से होना चाहिए, सभी जानते हैं कि उनके पिता मुलायम सिंह की इच्छा पीएम बनने की है लेकिन जिस तरह से अखिलेश माया को तवज्जो दे रहे हैं उससे कहीं से ऐसा नहीं लगता कि वह पीएम पद के लिए मायावती का विरोध कर सकेंगे.
मायावती के जन्मदिन पर बसपा ��्रवक्ता सुंधीद्र भदोरिया ने जिस तरह से ट्वीट करते हुए उन्हें बधाई दी थी और लिखा था ‘भारत की भावी प्रधानमंत्री बहन मायावती जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं’. यह ट्वीट एक पोस्टर के तौर पर किया गया है जिसमें मायावती के फोटो के साथ मैसेज लिखा हुआ है. इस पोस्टर के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कहीं न कहीं पार्टी के जरिए मायावती के नाम को आगे बढ़कर बाकी दलों के रिएक्शन को देखना चाहती हैं.
महाराष्ट्र में लंबे समय तक कांग्रेस के साथ रहे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष रामदास अठावले फिलहाल बीजेपी के साथ हैं. वह सांसद होने के साथ मंत्री भी हैं. विदर्भ का इलाके में उनकी पकड़ मानी जाती है और यहां से कांग्रेस हमेशा फायदे में रहती थी. लेकिन अठावले के बीजेपी के साथ जाने से यह समीकरण बदल गए. एनसीपी के नेता शरद पवार का मानना है मायावती को साथ लाने से इस इलाके में उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है. ऐसे में वह बसपा सुप्रीमो मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा से मिल चुके हैं. उनका मानना है कि बसपा का एक सांसद महाराष्ट्र से होना चाहिए.
12 जनवरी को सपा-बसपा ने लखनऊ में साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की थी कि दोनों 2019 का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे. 38-38 सीटों पर दोनों पार्टियां लड़ेंगी. रायबरेली और अमेठी की सीटों पर गठबंध��� का कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा.
मायावती का कहना था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें घर न सके. हालांकि अखिलेश यादव और मायावती ने लिखे हुए भाषण पढ़े. इससे इतना तय है कि दोनों ने एक-दूसरे के भाषण भी देखे होंगे. लेकिन अखिलेश ने मायावती को रिसीव किया, उन्हें पहले बोलने का मौका दिया. राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक इससे ऐसा लग रहा था कि मायावती गठबंधन में बड़ी भूमिका में हैं. मायावती खुद भी इस गठबंधन की नेता के तौर पर अपने को आगे रख रही हैं.
अगर, दूसरे प्रदेशों में बसपा और मायावती की स्वीकृति की बात की जाए तो कई अन्य नेताओं की अपेक्षा माया का पलड़ा भारी दिखाई देता है. कर्नाटक में उन्होंने जेडीएस के साथ गठबंधन किया था और एक सीट जीतने में कामयाब हुई थीं. लेकिन निकाय चुनाव में बीएसपी ने 13 सीटें जीतकर यह अहसास करा दिया कि कर्नाटक में भी बसपा का वोट बैंक है.
इसी तरह, मध्य प्रदेश में भी बसपा में 2 विधायक सीट निकालने में सफल रहे. मायावती ने बिना किसी शर्त के कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर बड़प्पन का परिचय दे दिया. इसी तरह राजस्थान की बात करें तो विधानसभा चुनाव में बसपा ने अधिकतर सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी 6 सीटें जीतने में सफल रही. यहां भी बसपा ने बिना किसी शर्त के अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया.
हालांकि बाद में मायावती ने कहा था कि अगर भारत बंद में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं ल��ए गए तो वह समर्थन देने के बारे में पुनर्विचार कर सकती हैं, लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने इसके बाद मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी. इस तरह देखा जाए तो गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस गठबंधन बनाने की ओर अग्रसर कोई नेता मायावती के बराबर की पकड़ दूसरे राज्यों में नहीं रखता. चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी का अस्तित्व केवल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही है.
इसी तरह केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समित की पहुंच तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तक ही है. ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं निकल पाई है. एनसीपी का एक सांसद भले ही बिहार से जीता हो लेकिन पार्टी की पहचान महाराष्ट्र से ही है.
सपा-बसपा गठबंधन यूपी में कमाल दिखाने में कामयाब होता है और पीएम पद की बात होती है तो मायावती के नाम की भी चर्चा हो सकती है. ऐसे में मायावती के नाम पर कांग्रेस कशमकश में पड़ सकती है. कांग्रेस विरोध करके दलित पीएम की राह में रोड़ बनने का आरोप भी नहीं लेना चाहेगी.
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उत्तर पदेश के लिए कांग्रेस के नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ यहां रोड शो करने आए अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि राज्य में जबतक कांग्रेस की सरकार नहीं बनती है तब तक 'मैं, प्रियंका और सिंधियाजी चैन से नहीं बैठेंगे.' प्रियंका गांधी के साथ रोड शो करते हुए कांग्रेस ऑफिस पहुंचे राहुल गांधी ने कहा 'हमारे सामने लोकसभा का चुनाव है, मैंने प्रियंका और ज्योतिरादित्य से कहा है कि इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन होना चाहिए, मगर उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार भी बनानी होगी. ये आप दोनों की जिम्मेदारी है.' उन्होंने कहा 'इनका लक्ष्य लोकसभा में जरूर है, मगर इनका उद्देश्य विधानसभा में कांग्रेस की सरकार बनाने का है. हम यहां पर फ्रंट फुट पर खेलेंगे. जब तक यहां कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं बनेगी, तब तक सिंधियाजी, प्रियंका और मैं चैन से नहीं बैठेंगे. हम उत्तर प्रदेश में युवाओं, गरीबों और किसानों की सरकार लाएंगे.' जमीनी नेताओं को आगे बढ़ाना पड़ेगा कांग्रेस प्रमुख ने कहा, 'यह आपके (प्रियंका, ज्योतिरादित्य और उनकी टीम) लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का संदेश है कि उत्तर प्रदेश में अगर कांग्रेस को खड़ा करना है तो जमीनी नेताओं को आगे बढ़ाना पड़ेगा.' राहुल ने यह भी कहा कि वह बीएसपी अध्यक्ष मायावती और एसपी मुखिया अखिलेश यादव का आदर करते हैं, मगर कांग्रेस अगला लोकसभा चुनाव अपनी विचारधारा के लिये उत्तर प्रदेश को बदलने के मकसद से पूरे दम से लड़ेगी. राहुल ने कहा 'जो लोग हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज में उड़ते हैं, उनसे आपका काम नहीं होने वाला. जो लोग गांव में लड़ेंगे, शहरों में लड़ेगे, सड़कों पर लड़ेंगे, उनको आगे बढ़ाइए. फिर देखिए कांग्रेस कैसे खड़ी होती है.' उन्होंने कहा 'उत्तर प्रदेश का पिछड़ा, गरीब, किसान, युवा सभी यहां कांग्रेस की सरकार चाहते हैं. सबको इन्होंने आजमा लिया है और सब��े सब नाकाम हो गए हैं. अब एक ही रास्ता है.' कांग्रेस अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं से कहा, 'मोदी सरकार ने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार किया. किसानों की बजाय उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया. हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया. आपके पास मुद्दों की कोई कमी नहीं है. आप आगे बढ़ें और कांग्रेस की विचारधारा की लड़ाई लड़ें.' राजधानी लखनऊ स्थित हवाई अड्डा पहुंचने के बाद दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त महासचिवों- प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया- के साथ रोड शो शुरू किया जो करीब पांच घंटे तक चला. रोड शो में लोगों की जबरदस्त मौजूदगी में कांग्रेस अध्यक्ष को हवाई अड्डे से स्थानीय कांग्रेस कार्यलाय की लगभग 12 किलोमीटर की दूरी तय करने में साढे पांच बज गए. उद्योगपतियों के लिए काम करती है मोदी सरकार प्रदेश में जोरदार स्वागत के लिए सभी का दिल से धन्यवाद करते हुए राहुल ने राफेल मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर घेरते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार मिलेगा, मगर उन्होंने फायदा केवल अनिल अंबानी को पहुंचाया. उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार कुछ उद्योगपतियों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर सकती है लेकिन हिंदुस्तान के किसानों का कर्ज नहीं माफ कर सकती है. चौकीदार चोर है, यह हिंदुस्तान की सचाई है.' राहुल ने कहा कि मोदी की सचाई एक के बाद एक खुल चुकी है. कांग्रेस अध्यक्ष ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में छपी खबर के संदर्भ में कहा, 'चौकीदार ने राफेल खरीद में समानान्तर सौदेबाजी की. वायुसेना और रक्षा मंत्रालय कहते हैं कि चौकीदार चोर है. रक्षा सौदे में साफ लिखा जाता है कि अगर खरीद में भ्रष्टाचार होता है तो उस पर सरकार कार्रवाई कर सकती है. मगर मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपए दिलाने क�� लिए उस प्रावधान को ही हटा दिया. from Latest News राजनीति Firstpost Hindi http://bit.ly/2I9zx2m
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Now Samajwadi Partys eye on the vote bank of the Backward Classes, Akhilesh Yadavs public meeting वाराणसी: बीजेपी ने 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में छोटी-छोटी पार्टियों की नाव पर सवार होकर वैतरणी पार की थी. अब 2019 के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी भी उसी राह पर चल पड़ी है. रविवार को अखिलेश यादव ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ही इस दिशा में एक मजबूत कदम रखा. अखिलेश ने पूर्वांचल की लोकल राजनैतिक पार्टी जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के मंच से चौहान और अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की कोशिश की. सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम पर जनवादी सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से आयोजित इस रैली में अखिलेश ने कहा कि ''देश का नक्शा कुछ और होता अगर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ धोखा न होता. इतिहास को अगर पढ़ोगे तो पता चलेगा कि उनके साथ कैसे धोखा हुआ. इसलिए मैं यह कहना आया हूं कि अब आप लोग धोखे में मत आना.'' अखिलेश ने कहा कि ''अभी कोई चुनाव दूर दूर तक नही है लेकिन मैं यहां आया हूं. सिर्फ इतना कहने कि अगर हम समाजवादियों से कोई गलती हुई हो हम आपको गले लगाने आए हैं.'' यह भी पढ़ें : यूपी की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर अखिलेश ने सीएम योगी पर साधा निशाना-पूछा अब थाने कौन चला रहा है ? अखिलेश ने पीएम मोदी और सीएम योगी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि ''बीजेपी से अच्छा वादा कोई कर नहीं पाता, तभी तो पीएम ने वादा किया था, पांचवा बजट भी आ गया है, अब तो 15 लाख का इंतजार नहीं है न. अगर वे 15 लाख दे रहे हैं तो मैं भी वादा करता हूं कि हम 30 लाख देंगे, लेकिन हमसे हिसाब मत मांगना क्योंकि जब बीजेपी ने नहीं दिया तो हम क्या देंगे? किसानों का कर्ज माफ हुआ, नौकरी है ही नहीं और युवाओं को करोड़ों नौकरी का वादा दे दिया. अर्थव्यवस्था बेहाल है.'' उन्होंने कहा कि ''हमने 108 और 102 एम्बुलेंस शुरू कीं. हमने 100 नंबर की गाड़ियां उतारीं ताकि गांव-देहात में इनकी पहुंच हो. दुनिया में इससे बेहतर कोई सुविधा नहीं है. पुलिस वाले भी मन ही मन कहते हैं कि 100 नंबर अच्छी सेवा है. आज छोटे पुलिस वालों से बड़े अधिकारी नाराज हैं क्योंकि हमने उनको भी इनोवा दे दी. इसके बाद भी नए मुख्यमंत्री बनारस में आकर बोले कि 100 नंबर में करप्शन हो रहा है. लेकिन भाई मुख्यमंत्री तो आप हैं आप ही न इसको रोकेंगे.'' यह भी पढ़ें : पत्नी डिम्पल की सीट से अखिलेश तो नेताजी मैनपुरी से लड़ेंगे 2019 का लोकसभा चुनाव रैली में चौहान समाज की काफी भीड़ जुटी. अखिलेश ने मोदी और योगी दोनों सरकारों को आड़े हाथों लिया और कहा कि ''हमें भी राजनीति यहीं करनी है, कहीं नहीं जाना है. हमने बहुत काम किया है, बहुत सारी प्रतिमाएं लगाई हैं. कन्नौज के अलावा और कहां सम्राट पृथ्वीराज की प्रतिमा लगानी है, ये चौहान समाज हमें बताए. आज हमने लैपटॉप दिया लेकिन उसमें से मेरी और नेता जी की फोटो नहीं हटा पाओगे.'' VIDEO : विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार अखिलेश ने कहा कि ''हमें जिताओ. तुम्हारे लिए समाजवादी लड़ेंगे. हम अफगानिस्तान से सम्राट की अस्थियां लाने का प्रयास करेंगे. बस हमे मौका दीजिए.'' Source link
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यूपी की कई सीटों पर उलझी सपा-कांग्रेस के गठबंधन की गांठ - आज तक
आज तक यूपी की कई सीटों पर उलझी सपा-कांग्रेस के गठबंधन की गांठ आज तक अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और यह ऐलान कर दिया कि 'यूपी को ये साथ पसंद है'. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. कई जगहों पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का यह गठबंधन दोनों पार्टियों के लिए गले की हड्डी साबित हो रहा है. दल तो मिल गए लेकिन कार्यकर्ताओं के दिल मिलने को तैयार नहीं है. लखनऊ में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अखिलेश सरकार के मंत्री रविदास महरोत्रा ने सोमवार को लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्र से बाकायदा नामांकन दाखिल कर दिया था. लेकिन मंगलवार को खबर आई कि कांग्रेस के नेता मारूफ खान भी इसी सीट पर चुनाव लड़ेंगे. रविदास ... गठबंधन में गांठ: यूपी की इस सीट से सपा और कांग्रेस दोनों ही प्रत्यााशी भर रहे पर्चाएनडीटीवी खबर ये कैसा गठबंधन! सपा प्रत्याशी मंत्री रविदास व कांग्रेस प्रत्याशी आमने-सामनेअमर उजाला अखिलेश ने लखनऊ मध्य सीट से सपा प्रत्याशी का काटा टिकट, कांग्रेस ने ठोंकी तालपंजाब केसरी ABP News -News18 इंडिया -Jansatta -Patrika सभी १८ समाचार लेख » http://dlvr.it/NFqN9G
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ओवैसी के साथ BSP का गठबंधन? मायावती बोलीं- किसी से अलायंस नहीं, अकेले लड़ेंगे Divya Sandesh
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ओवैसी के साथ BSP का गठबंधन? मायावती बोलीं- किसी से अलायंस नहीं, अकेले लड़ेंगे
लखनऊ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सियासी पार्टियां जुटी हुई हैं। लगातार दो विधानसभा चुनाव में हार के बाद इस बार का इलेक्शन बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के लिए भी बहुत अहम है। पार्टी की अध्यक्ष और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने साफ किया है कि बीएसपी किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इससे पहले एक न्यूज चैनल ने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और बीएसपी के बीच गठबंधन की खबर प्रसारित की थी। मायावती ने इसे सिरे से खारिज किया है।
ओवैसी से गठबंधन की अटकलों को माया ने किया खारिज बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया, ‘मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आम चुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM और बीएसपी मिलकर लड़ेगी। यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी इसका जोरदार खण्डन करती है।’
‘यूपी में किसी से गठबंधन नहीं, अकेले लड़ेगी बीएसपी’ मायावती ने आगे कहा, ‘वैसे इस संबंध में पार्टी द्वारा फिर से यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का यह आम चुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबंधन करके नहीं लड़ेगी अर्थात अकेले ही लड़ेगी।’
पंजाब में अकाली दल से बीएसपी ने किया गठबंधन इससे पहले बीएसपी ने पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ 2022 विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। राज्य में 32 फीसदी से ज्यादा दलित आबादी है। ऐसे में बीएसपी ने सुखबीर सिंह बादल की पार्टी से अलायंस करते हुए बड़ा दांव खेला है। गठबंधन के तहत राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर बीएसपी लड़ेगी, जबकि बाकी 97 सीटें अकाली दल के हिस्से में आई हैं। पंजाब में 1996 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा ने अकाली दल से गठबंधन किया था। तब अलायंस ने राज्य की 13 में से 11 लोकसभा सीटें जीती थीं। बीएसपी जिन तीन सीटों पर लड़ी थी वो सभी उसने जीत ली थी। वहीं अकाली दल को 8 सीटें हासिल हुई थीं।
लगातार 2 विधानसभा चुनाव हार चुकी है बीएसपी चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती के सियासी भविष्य के लिए 2022 का चुनाव अहम है। 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और 2017 में बीजेपी से उनकी पार्टी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। 2017 में पार्टी सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई और उसका मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी खत्म हो गया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन करते हुए 10 सीटों पर जीत हासिल की। चुनाव के बाद ये अलायंस टूट गया और दोनों पार्टियां एक बार फिर अलग-अलग राह पर हैं।
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मुलायम के समधी बोले- नहीं चलेगा अखिलेश-मायावती का गठबंधन - Sp mla hari om yadav says sp and bsp alliance will not run
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन के बाद अब सपा में ही बगावत शुरू हो गई है. पार्टी के फिरोजाबाद के सिरसागंज से विधायक और मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव ने अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हरिओम यादव का कहना है कि यह गठबंधन नहीं चलेगा, अगर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष घुटने टेक दें तभी सपा- बसपा का गठबंधन चलेगा. विधायक ने सपा के खिलाफ शिकोहाबाद में 22 जनवरी को पोल खोलो सम्मेलन बुलाया गया है, इसमें लोगों को बताया जाएगा कि पांच साल में सपा के कार्यकर्ताओं के साथ क्या-क्या किया गया.
बता दें, सपा विधायक ने रविवार को कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) जैसे विशाल हृदय वाले व्यक्ति के साथ गठबंधन नहीं चला तो इनके साथ कैसे चलेगा. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष घुटने टेक दें तो ही यह संभव हो सकेगा. उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव और सांसद अक्षय यादव पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया.
काफी समय से रामगोपाल यादव की खिलाफत कर रहे हरिओम यादव ने कहा कि रामगोपाल यादव भाजपा से मिले हैं. जिले के भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जयवीर सिंह से उनकी सांठगांठ है. रामगोपाल ने पूर्व मंत्री के साथ मिलकर उनके (हरिओम यादव) और बेटे विजय प्रताप उर्फ छोटू के ही खिलाफ तमाम साजिशें रचीं.
हरिओम यादव ने कहा कि मैंने सिरसागंज क्षेत्र में जितना विकास अखिलेश यादव के सहयोग से कराया, उतना पूरे उत्तर प्रदेश की किसी विधानसभा क्षेत्र में विकास नहीं हुआ, लेकिन सांसद और उनके पिता क्षेत्र की जनता को गुमराह कर रहे हैं. सांसद ने यदि यहां विकास कराया होता तो टूंडला, जसराना, शिकोहाबाद में दिखाई देता.
विधायक ने कहा कि फिरोजाबाद लोकसभा सीट से शिवपाल सिंह यादव चुनाव लड़ेंगे. यदि नहीं लड़ते हैं तो जनता जो फैसला करेगी वहीं हम करेंगे.
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कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में समझौता, कांग्रेस को 105 सीटें सपा को 298 #CONGRESS #BJP # SAMAJWADI #UP#UPELECTION नई दिल्ली: यूपी विधानसभा चुनाव में आखिरकार सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो ही गया. है हालांकि इस पर अंतिम मुहर लगना बाकी है.सूत्रों के मुताबिक अब कुल 403 विधानसभा सीटों में से 298 पर अखिलेश के कैंडिडेट्स चुनाव लड़ेंगे, जबकि कांग्रेस को 105 सीटें मिली है. आज शाम साढ़े 5 बजे सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और कांग्रेस नेता राजबब्बर संयुक्त रूप से इस गठबंधन का ऐलान करेंगे.कांग्रेस के सूत्रों ने ये जानकारी दी है गठबंधन के पीछ प्रियंका गांधी की बड़ी भूमिका दरअसल शनिवार देर रात तक टिकट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच बैठकों का दौर जारी था, कांग्रेस कम से कम 120 सीटें मांग रही थी, और सपा 100 सीटें देने को राजी थी. फिर खुद प्रियंका गांधी ने आगे बढ़कर मोर्चा संभाला. देर रात रामगोपाल यादव और प्रियंका के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई, उसके बाद प्रियंका की ओर से कांग्रेस के सीनियर लीडर्स ने अखिलेश और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी बातचीत की. हालांकि इस बीच सपा ने कांग्रेस के कुछ सीटिंग विधायकों की सीट पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिए थे. जिस वजह से गठबंधन पर संशय के बादल मंडरा रहा था. अखिलेश और पीके के बीच मैराथन बैठक मनमाफिक सीटें न मिलने से मायूस कांग्रेस के शीर्ष धड़े ने हार नहीं मानी. गठबंधन की खातिर प्रियंका गांधी ने नई दिल्ली में रामगोपाल से मुलाकात की, तो वहीं दूसरी ओर सीएम अखिलेश यादव और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच लखनऊ में दो बार बैठकें हुईं. जिसके बाद सपा कांग्रेस को 105 सीटें देने पर राजी हुई. अखिलेश ��े रवैये से कांग्रेस ने जताई थी नाराजगी कांग्रेस सूत्रों ने शनिवार को बताया था कि जब तक अखिलेश को सपा का नाम और साइकिल चुनाव चिन्ह नहीं मिला था, तब तक उन्होंने कांग्रेस को 142 सीटें दे रखी थीं. अखिलेश ने ये बात लिखकर कांग्रेस को दी थी लेकिन समाजवादी पार्टी और साइकिल मिलने के बाद अखिलेश ने मजबूरी बताते हुए 121 सीटें ऑफर कीं. इसके बाद जब 121 पर कांग्रेस ने हां की, तो वो 100 पर अटक गए थे. उनका कहना था कि नेताजी की 38 लोगों की सूची को एडजस्ट करना है. बताया गया कि एक वक्त कांग्रेस 110 सीटों पर भी मान गई थी, लेकिन तब अखिलेश ने कहा कि कुछ पुराने और आज़म खान सरीखे नेताओं की सीटों की मांग आ गई है, मेरी पार्टी के कई लोग पार्टी छोड़ रहे हैं. इसलिए 100 से ज़्यादा सीटें नहीं दे पाएंगे. हालांकि आखिर में 105 सीटों पर बात बन गई.
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अखिलेश-माया के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेंगेः राजपाल यादव यूथ इण्डिया संवाददाता। सिल्वर स्क्रीन पर अभिनय के माध्यम से दर्शकों को गुदगुदाने वाले राजपाल यादव ’सर्व समभाव पार्टी’ के बैनर तले अब राजनीति के रंगमंच पर उतर आए हैं। परिवार और भाइयों के सहयोग से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजपाल यादव अपनी पार्टी लेकर उतर रहे हैं। गांव, किसान और समभाव के मुद्दे पर राजपाल यादव चुनाव लड़ने और मौजूदा सियासी चेहरे को बदलने की बात करते हैं। राजपाल यादव हाल में अमर उजाला डॉट कॉम के दफ्तर आए, इस मौके पर उन्होंने अपनी पार्टी की नीतियों चुनावी रणनीति के बारे में बेबाकी से बात की। आइए जानते हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर क्या है राजपाल और उनकी पार्टी का एजेंडा... राजनीति में आने का विचार कैसे बनाः हम डर-भय से मुक्त होकर जातिवाद की राजनीति को हटाना चाहते हैं। एक समुदाय की सरकार चल रही है तो दूसरा समुदाय डर रहा है, इसे खत्म करना चाहते हैं। हम इनकी पार्टी ज्वाइन करते तो उनकी बड़ाई और उनकी पार्टी ज्वाइन करते तो इनकी बड़ाई करते, इसलिए हमने अपनी अलग पार्टी बनाई। यूपी चुनाव में आपकी पार्टी का एजेंडा क्या है ? मैंने अपने दो भाइयों को 10-12 साल राजनीति सिखाई। जैसे मुझे अभिनेता बनने में 10-12 साल लगे, वैसे ही मेरे दोनों भाई अब नेता बनकर तैयार हैं। सर्व सम्भाव पार्टी की स्थापना वृंदावन में हुई। जो सेवा भाव से आई है। इसके राष्ट्रीय अध्यक��ष हमारे बड़े भाई श्रीपाल यादव हैं। राजेश यादव तिलहर विधानसभा से चुनाव से लड़ रहे हैं। छह भाइयों में दो भाई राजनीति के लिए, तीन भाई व्यापार के लिए और राजपाल यादव परिवार, व्यापार और प्रचार तीनों में हैं। प्रदेश में ��िछले 15-20 साल से सिर्फ विवाद हो रहा है। एक योजना आती है तो दूसरा उसका विरोध कर रहे है। इसे देखते हुए हमने पार्टी बनाई। यह पार्टी पहले निर्माण की बात करती है। निर्माण का मंत्र संवाद के माध्यम से करने का प्रयास किया। आपकी पार्टी और लोगों का ग्राउंड लेवल पर कितना जनमत है? मैं इस चुनाव में परिवर्तन चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि किसी पार्टी की सरकार न बनकर जनता की सरकार बने। हम पार्टी के हिसाब से अपनी अपनी जनता चुन लेते हैं, मैं चाहता हूं कि ये जहर खत्म हो। जनता को स्वतंत्रता मिले। लोग वोट की कीमत समझे, नोट के चक्कर में वोट न बिके। गांव को स्मार्ट बनाकर प्रदेश का निर्माण कर सकते हैं। हर शहर के बंदे का गांव से तार जुड़ा होता है, गांव का निर्माण हो गया तो शहर भी आगे बढ़ जाएगा। जनता मैं अभी शुरुआत कर रहा हूं। हम अपनी नीतियों को धीरे-धीरे जनता तक पहुंचाएंगे। सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से हम अपनी नीतियों को जनता तक पहुंचाएंगे। हमें 2017 में मौका मिलता है तो भी मेंटली प्रिपेयर हैं या फिर दो महीने, दो साल या चार साल बाद भी मौका मिलता है तो हम जनता की सेवा करेंगे। हम राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं। हम दो-दो पांच करने के चक्कर में नहीं हैं। ये मोटी किताब है हम इसे एक.एक करके पढ़ना चाहेंगे। कितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे? सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे और कुछ लोगों के खिलाफ सम्मान की वजह से उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। करीब 390 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और उम्मीदवार उतारेंगे। ’मसखरागिरी करने से अच्छा पार्टी बनाकर लड़ना’अखिलेश यादव के खिलाफ उम्मीदवार उतारेंगे ? 403 में से करीब 390 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। बाकी सीटें सम्मान के लिए छोड़ेंगे। मुझे पिछले कई सालों से चुनाव लड़ने के लिए ऑफर मिल रहे थे। मैंने सोचा इनकी मसखरागिरी करने से अच्छा अपनी पार्टी बनाई जाए। इसके लिए बड़े भाई और अपने छोटे भाइयों की सहायता से 10-12 साल से समाजसेवा का काम कर रहा हूं। कुछ सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर लड़ेंगे। अलग-अलग पार्टियों के कुछ मित्र हैं उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। हमें नहीं लगता कि अखिलेश यादव, मायावती या शीला दीक्षित के खिलाफ उम्मीदवार उतारने से कुछ मिलेगा। इनके खिलाफ उम्मीदवार उतारकर आपको कुछ मिलने वाला है ? वरिष्ठ का हमेशा सम्मान करते हैं। वरिष्ठ का अर्थ डर नहीं होता। पक्ष और विपक्ष के साथ राजनीति, मनभेद नहीं मतभेद के साथ होनी चाहिए और राजनीति भी हम गंभीरता से करेंगे। चुनाव लड़ने के लिए फंड कहां से लाएंगे ? चुनाव के लिए पार्टी फंड का लोगों का मिथ बना रखा है। चुनाव का मतलब पैसे का दुरुपयोग नहीं है। एक धनबल होता है और एक जनबल होता है। धन तब बनता है जब जन उसे छापता है। हमें कौन छापता है। हमें परमात्मा छापता है। धनबल का दुरुपयोग न हो, इसके लिए जनबल होता है। धनबल को मिटा के रहेंगे। ये राक्ष��ी प्रवृति है। चुनाव प्रचार के लिए क्या तरीका अपनाएंगे ? प्रचार के लिए हम आर्टिस्टिक तरीका अपनाएंगे। ईमानदारी से लोगों के पास जाएंगे। अपने माध्यम से मैं अपनी पार्टी का प्रचारक हूं और पूरे देश से सहयोग लेंगे। मैं चाहता हूं कि पार्टी सबके प्रयासों से आगे बढ़े और बदलाव के लिए सबको आगे आना ही होगा। मतदाताओं को कैसे विश्वास दिलाएंगे कि आपकी पार्टी चुनावी मेढ़क नहीं है? इस चुनाव में परिवर्तन चाहते हैं और ये चाहते हैं कि जनता सरकार चुने और किसी पार्टी की सरकार न बने। जनता अपने वोट की कीमत समझे। हम जन-जन का मजबूत करना चाहते हैं और नीतियों को लेकर लोगों को जागरूक करना चाहते हैं। मतों की लड़ाई हो मन की लड़ाई न हो। ऐसा लग रहा है कि आप एक्टिविज्म के लिए आए हैं ? स्पष्ट करिए ? बिल्कुल राजनीति के लिए आए हैं। तो आप ये मानकर चल रहे हैं कि आप मुख्यमंत्री या सरकार बनाने के लिए मैदान में नहीं हैं? आप देखिए अगर पार्टी के एजेंडे पर जाए तो सिर्फ पार्टी के सिंबल का इंतजार है। हम पूरी तरह तैयार हैं और हमारे पास पूरा एजेंडा हैं। 15 साल से एक दूसरे को गाली देने की राजनीति हो रही है। दूसरों से कितने अलग हैं आप, जबकि विवादों का साया आप पर भी है? चार साल से मेरी जिंदगी को लेकर जो विवाद है, उसमें अगर राजपाल दोषी होते, तो यहां नहीं बैठे होते। ये कानून का मामला है और मैं उसका पूरी तरह सम्मान करता हूं। आपको बताऊं कि मुझे फंसाया गया है और ये आने वाले समय साबित हो जाएगा कि राजपाल पूरी तरह निर्दोष है। क्या आप खुद निर्दोष साबित करने में असफल साबित हुए? नहीं। मैं ऐसा नहीं मानता ? लेकिन हमसे गलतियां हुई है और सबको मालूम है कि राजपाल दोषी नहीं है। ये किस्सा अभी निपटा नहीं है। अभी एक इनिंग हुई है और एक इनिंग बाकी है। हम इस केस से भागे नहीं हैं। समय आने दीजिए साफ हो जाएगा कि राजपाल निर्दोष है। सरकार में आने पर क्या करेंगे ? तीन चीजें जो आप सरकार में आने पर करेंगे ? पहली चीज ये कि एक गांव को दूसरे गांव से टू-लेन से जोड़ेंगे। ट्रॉली से लेकर ट्रक तक गांव में जाते हैं। दूसरी ये कि खेतों की मेड़ पक्की योजना चलाएंगे। किसानों के खेतों के मेड़ों पर पत्थर लगेंगे। तीसरी ये कि इसके बाद बची जमीनों को नामांकन कराकर उसे विकास कार्यों के लिए उपयोग में लेंगे कि कहां कोल्ड स्टोरेज बनेंगे और कहां कंपनियां खड़ी होंगी। यूपी में अपराध रोकने के लिए अपराध करता कौन है। पुलिस बल में आत्म बल पैदा करेंगे। हमारी पुलिस बल के पास पूरा सर्वावइल का कार्यक्रम नहीं है। हम पहले पुलिस बल को मजबूत करने के लिए सर्वावइल प्लान लाएंगे। आपकी पार्टी से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है श्रीपाल यादव, मेरे भाई। ��रेंद्र मोदी के ढाई साल के कार्यकाल और नोटबंदी को कैसे देखते हैं बढ़िया है। जनता पूरा सहयोग कर रही है। मैं उनका पूरा सम्मान करता हूं। नोटबंदी का मैं समर्थन करता हूं लेकिन एक चीज मैं जोड़ता हूं कि इससे पहले मशीनीकरण बहुत जरूरी था। ऐसा न होने से जनता को बहुत तकलीफ हुई है। नीचे से लेकर ऊपर तक मशीनीकरण होना चाहिए। खोमचे वाले से लेकर अमरूद वाले तक अभी पीड़ा हुई है। मुझे लगता है कि इस पर और काम होना चाहिए था। अखिलेश के कार्यकाल को कैसे देखते हैं ? देखिए कल तक जिन्होंने कार्यकाल किया था, तब हम राजनीति में नहीं थे। अब हम राजनीति में है और अब यहां से देखेंगे कि किसने कितना काम किया है ? 2017 से देश के हित के लिए जो भी होगा मैं उसमें सहभागिता चाहता हूं। चुनावी चंदे को लेकर आपकी नीति है ? जैसे भी पार्टी चलेगी और जो भी पार्टी में आएगा वो एक खुली किताब होगा। और जैसे हम अपना इनकम टैक्स और चीजें करवाते हैं पार्टी भी अपना हिसाब किताब देगी। सपा परिवार में झगड़े को एक साल होने वाला है और जनता का हित कहीं पीछे छूट चुका हैघ् दुआ करता हूं कि ये झगड़ा निपट जाए। किसी के पारिवारिक विवाद पर टिप्पणी करने का हमको कोई अधिकार नहीं है। गठबंधन कि सूरत में किसके साथ जाएंगे ? ये समय आने पर देखेंगे, अभी इस स्थिति में हम नहीं है
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अखिलेश का ऐलान- अपने दम पर लड़ेंगे UP चुनाव, मायावती और कांग्रेस कमजोर सहयोगी Divya Sandesh
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अखिलेश का ऐलान- अपने दम पर लड़ेंगे UP चुनाव, मायावती और कांग्रेस कमजोर सहयोगी
लखनऊ मिशन 2022 के लिए उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी, एसपी समेत सभी राजनीतिक दल अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में जुट गए हैं। इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि वह अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मायावती और कांग्रेस अच्छे सहयोगी नहीं हैं।
एनडीटीवी न्यूज चैनल से बातचीत में अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस से दोबारा गठबंधन से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि बड़ी पार्टियों के साथ मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा है। हम उनके साथ नहीं बल्कि छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करेंगे। यादव ने दावा किया कि यूपी की जनता अब बदलाव चाहती है, इसलिए अगले चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ेगा।
‘बीएसपी के कुछ नेता मेरे टच में’ पूर्व सीएम ने कहा कि राज्य की 403 सीटों में एसपी का टारगेट करीब 350 सीटों पर है। जल्द ही समाजवादी पार्टी की सरकार आने वाली है। उन्होंने कहा कि जो बीजेपी की हार चाहते हैं, उनसे वह एसपी को वोट देने की अपील करते हैं। यादव ने दावा किया कि बीएसपी के कुछ नेता उनके संपर्क में हैं । गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में एसपी ने बीएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
‘बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस बहुत कमजोर पार्टी’ कांग्रेस को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि यह पार्टी यूपी में बीजेपी को हराने के लिए बहुत कमजोर है। 2017 के चुनावों में हमारा कांग्रेस के साथ अच्छा अनुभव नहीं रहा। हमने उन्हें 100 से ज्यादा सीटें दीं पर वे जीत हासिल करने में सफल नहीं रहे। यूपी की जनता ने कांग्रेस को रिजेक्ट कर दिया।
‘पूरे यूपी को लगने के बाद लगवा लूंगा कोरोना ��ीका’ योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए एसपी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र और यूपी की डबल इंजन सरकार अलग- अलग दिशाओं में जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों को योगी सरकार छिपा रही है। खुद के कोरोना टीका लगवाने के सवाल पर यादव ने कहा कि इस साल दिवाली तक जब यूपी सरकार सभी लोगों को फ्री में टीका लगवा देगी, तब वह भी वैक्सीन ले लेंगे।
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अखिलेश यादव बोले- मायावती और कांग्रेस कमजोर सहयोगी, अपने दम पर लड़ेंगे यूपी चुनाव Divya Sandesh
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अखिलेश यादव बोले- मायावती और कांग्रेस कमजोर सहयोगी, अपने दम पर लड़ेंगे यूपी चुनाव
लखनऊ मिशन 2022 के लिए उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी, एसपी समेत सभी राजनीतिक दल अपने कील-कांटे दुरुस्त करने में जुट गए हैं। इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि वह अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मायावती और कांग्रेस अच्छे सहयोगी नहीं हैं।
एनडीटीवी न्यूज चैनल से बातचीत में अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस से दोबारा गठबंधन से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि बड़ी पार्टियों के साथ मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा है। हम उनके साथ नहीं बल्कि छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करेंगे। यादव ने दावा किया कि यूपी की जनता अब बदलाव चाहती है, इसलिए अगले चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ेगा।
‘बीएसपी के कुछ नेता मेरे टच में’ पूर्व सीएम ने कहा कि राज्य की 403 सीटों में एसपी का टारगेट करीब 350 सीटों पर है। जल्द ही समाजवादी पार्टी की सरकार आने वाली है। उन्होंने कहा कि जो बीजेपी की हार चाहते हैं, उनसे वह एसपी को वोट देने की अपील करते हैं। यादव ने दावा किया कि बीएसपी के कुछ नेता उनके संपर्क में हैं । गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में एसपी ने बीएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
‘बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस बहुत कमजोर पार्टी’ कांग्रेस को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि यह पार्टी यूपी में बीजेपी को हराने के लिए बहुत कमजोर है। 2017 के चुनावों में हमारा कांग्रेस के साथ अच्छा अनुभव नहीं रहा। हमने उन्हें 100 से ज्यादा सीटें दीं पर वे जीत हासिल करने में सफल नहीं रहे। यूपी की जनता ने कांग्रेस को रिजेक्ट कर दिया।
‘पूरे यूपी ���ो लगने के बाद लगवा लूंगा कोरोना टीका’ योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए एसपी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र और यूपी की डबल इंजन सरकार अलग- अलग दिशाओं में जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों को योगी सरकार छिपा रही है। खुद के कोरोना टीका लगवाने के सवाल पर यादव ने कहा कि इस साल दिवाली तक जब यूपी सरकार सभी लोगों को फ्री में टीका लगवा देगी, तब वह भी वैक्सीन ले लेंगे।
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सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी मायावती को सता रहा है EVM और राम मंदिर का 'डर' - After sp bsp alliance mayawati on evm and ram mandir
लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी के विजय रथ को उत्तर प्रदेश में रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन का ऐलान किया है. इस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐतिहासिक जीत का दावा किया, हालांकि उन्हें ईवीएम और राम मंदिर का डर अब भी सता रहा है. मायावती ने कहा कि अगर बीजेपी ने EVM और राम मंदिर को लेकर चाल नहीं चली तो हमारा गठबंधन बीजेपी को सत्ता में आने से रोक देगा.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मायावती ने कहा कि 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान गठबंधन बीजेपी को रोकने में कामयाब रहेगा और केंद्र में बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी, बशर्ते अगर पूर्व की तरह वोटिंग मशीन में गड़बड़ी नहीं की गई और राम मंदिर के मामले में जनभावनाओं को भड़काया नहीं गया.
बेईमानी से विधानसभा चुनाव जीती थी बीजेपी: मायावती
इससे पहले मायावती ने कहा कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बेईमानी से सत्ता हासिल की थी. हमारा गठबंधन इस जनविरोधी सरकार को सत्ता में आने से रोकेगा. बीजेपी की अहंकारी सरकार से लोग परेशान हैं. जैसे हमने मिलकर उपचुनावों में बीजेपी को हराया है, उसी तरह हम आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराएंगे.
वहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि पूरे देश में अराजकता का माहौल है. प्रदेश में भूखमरी और गरीबी चरम पर है. बीजेपी धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है. बीजेपी ने समाज को नाम पर बांटा. बीजेपी के राज में हर वर्ग परेशान है. हमारे गठबंधन से बीजेपी के अन्याय और अत्याचार का अंत होगा.
38-38 सीटों पर लड़ेगी सपा और बसपा
बता दें, उत्तरप्रदेश की दोनों क्षेत्रिय पार्टियों सपा और बसपा ने एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. दोनों पार्टियों के नेताओं ने शनिवार को इसका औपचारिक ऐलान भी कर दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा दोनों 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. इस गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस नहीं होगी, लेकिन उनकी दो अहम सीटों रायबरेली और अमेठी पर गठबंधन की ओर से प्रत्याशी नहीं उतारा जाएगा. बाकी बची दो सीट सहयोगी दलों के लिए रिजर्व रखी गई है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 71, उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने 2 और सपा ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी तीन सीट (गोरखपुर, कैराना और फूलपुर) हार गई थी. इन तीनों में से दो पर सपा और एक पर आरएलडी जीती थी.
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2019 ही नहीं 2022 में भी सपा-बसपा साथ लड़ेंगे चुनाव: मायावती - Mayawati akhilesh yadav alliance uttar pradesh loksabha elections 2019 bsp sp bjp
बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा ��्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में शनिवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान दोनों दलों ने आगामी लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का औपचारिक ऐलान किया. मायावती ने कहा कि बसपा आगामी लोकसभा चुनावों में एक बार फिर सपा के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है. आने वाले समय में इस गठबंधन को एक प्रकार से नए राजनीतिक क्रांति का समय माना जाएगा. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मायावती ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सपा और बसपा का गठबंधन स्थायी है. गठबंधन सिर्फ 2019 का आम चुनाव ही नहीं बल्कि 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ लड़ेगा. हालांकि जब यही सवाल अखिलेश यादव से किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी यह गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव के लिए तय किया गया है.
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए गठबंधन का ऐलान करते हुए मायावती ने कहा कि यूपी में सपा-बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यह गठबंधन अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगा. जबकि 2 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी जाएंगी. बता दें कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं.
मायावती ने कहा, ‘4 जनवरी को दिल्ली में एक बैठक हुई थी. उसी बैठक में दोनों दलों ने गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया था. हमने प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर गठबंधन कर लिया है. इसकी भनक शायद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को लग गई थी, जिसकी वजह से हमारे सहयोगी अखिलेश यादव की छवि धूमिल करने के लिए जबरन उनका नाम खनन घोटाले में घसीटा गया.’
गठबंधन में क्यों नहीं कांग्रेस
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं करने का कारण भी बताया. उन्होंने बताया कि कांग्रेस के राज में घोषित इमरजेंसी थी और अब (मोदी सरकार में) अघोषित. सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर प्रभावी विरोधियों के खिलाफ गड़े मुकदमे उखाड़ कर परेशान कर रहे हैं. कांग्रेस के साथ सपा-बसपा गठबंधन का कोई खास फायदा नहीं होता. हमारा वोट तो ट्रासंफर हो जाता है, लेकिन कांग्रेस का वोट ट्रांसफर नहीं होता है या अंदरूनी रणनीति के तहत कहीं और ट्रांसफर करा दिया जाता है.
मायावती जी का अपमान मेरा अपमानः अखिलेश
वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ‘गठबंधन का मन तो उसी दिन बन गया था जिस दिन बीजेपी के नेताओं ने मायावती जी पर अशोभनीय टिप्पणी की थी और बीजेपी ने अपने नेताओं पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें मंत्री बनाकर इनाम दिया था. बीजेपी ने अपने अनुशासनहीन नेताओं को दंडित करने के बजाय उन्हें बड़े-बड़े मंत्रालय देकर सम्मानित किया.’ सपा मुखिया ने कहा, ‘गठबंधन का मन उसी दिन पक्का हो गया था, जब राज्यसभा में भीमराव अंबेडकर को छल से हराया गया था. मायावती जी का धन्यवाद कि उन्होंने बराबरी का मान दिया. आज से मायावती जी का अपमान मेरा अपमान होगा.’
बता दें कि 1993 का विधानसभा चुनाव भी बसपा और सपा मिलकर लड़ चुकी हैं. गठबंधन ने 4 दिसंबर 1993 को सत्ता की कमान सं��ाल ली. लेकिन, 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कर लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी.
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