#अंतिम वर्ष
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#अंतिम मसीहा का अवतरण दिवससैकड़ों वर्ष पूर्व जिस महान संत के लिए भविष्यवाणियाँ की गईं थीं#वे महान संत#सतगुरु रामपा में 8 सितंबर 1951 को हुआ
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अंतिम मसीहा का अवतरण दिवस
सैकड़ों वर्ष पूर्व जिस महान संत के लिए भविष्यवाणियाँ की गईं थीं, वे महान संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं जिनका अवतरण इस धरा में 8 सितंबर 1951 को हुआ यानि आज 8 सितंबर 2024 को उस महान संत का अवतरण
#SantRampalJi_AvataranDiwas
संत रामपाल जी अवतरण दिवस
#kabirisgod#santrampaljimaharaj#spritualleader saintrampalji#kabir is supreme god#satlokashram#kabirprakatdiwas
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#SantRampalJi_AvataranDiwas
🔸अंतिम मसीहा का अवतरण दिवस
सैकड़ों वर्ष पूर्व जिस महान संत के लिए भविष्यवाणियाँ की गईं थीं, वे महान संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं जिनका अवतरण इस धरा में 8 सितंबर 1951 को हुआ यानि आज 8 सितंबर 2024 को उस महान संत का अवतरण दिवस है जो दुनिया के उद्धार के लिए अवतरित हुआ है।
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#SantRampalJi_AvataranDiwas
🌹अंतिम मसीहा का है अवतरण दिवस आज सैकड़ों वर्ष पूर्व दुनिया के तमाम भविष्य वक्ताओं ने पहले से ही यह भविष्यवाणी कर रखी है 🌹
संत रामपाल जी अवतरण दिवस
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#संतगरीबदासजी_को_मिले_भगवान
संत गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है।
5Days Left For Bodh Diwas
https://youtu.be/EZaXPMEGpMQ
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संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
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गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।#viral #trending #newreel
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⚡️संत गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
संत गरीबदास जी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है।
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#SantGaribdasJiMaharaj
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है।
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साल 2024 में होली कब है, क्या आपको पता है? 24 या 25 मार्च को मानेगी होली
होली कब है 2024 ? यह सवाल लोगो के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। पंचांग के अनुसार होली इस वर्ष मार्च महीने के अंतिम हफ्ते में पड़ रही है। लेकिन अंतिम हफ्ते में होली कब है। इसके पीछे तारीख को लेकर काफी चर्चाएँ हो रही हैं। यहाँ पर आप Holi Kab Hai, होली का शुभ मुहूर्त कब का है, होलिकादहन कब होगा, और इससे जुडी महत्वपूर्ण तारीख को विस्तार से जानेंगे। यहाँ क्लिक करे
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👉परमेश्वर कबीर साहेब जी द्वारा संत गरीबदास जी को शरण में लेना ।
👉परमेश्वर कबीर साहेब जी संत गरीबदास जी को 1727 में सतलोक से आकर मिले। अपना तत्वज्ञान कराया, नाम दिया तथा सतलोक दर्शन करवाया। गरीबदास जी ने वाणी में कहा है-
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
👉गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
⚡️फाल्गुन शुद्धि द्वादसी जिस दिन गरीबदास जी को (कविर्देव) कबीर परमेश्वर स्वयं सत्यलोक से आकर नाम उपदेश देकर गए थे।
उसी पावन दिवस (बोध दिवस) के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय सतसंग तथा अमृत वाणी का पाठ करते हैं।
⚡️संत गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी सतलोक से आकर 10 वर्ष की आयु में मिले। उसके बाद उन्हें सतलोक दिखाया। जिसका वर्णन गरीब दास जी ने सत्यग्रन्थ साहिब में कलम तोड़ किया है।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नही भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
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#GodMorningSunday
गरीबदास जी महाराज का 61 वर्ष की आयु में सतलोक गमन
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया। ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। वहाँ एक यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
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कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस
आज़ से 505 वर्ष पहले ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष पूर्णमासी को विक्रमी संवत् 1455 सन् 1398 में सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले) काशी में लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रुप में कबीर परमेश्वर प्रकट हुए थे। उस समय स्वामी रामानंद जी के शिष्य अष्टानंद ऋषि भी स्नान करने लहरतारा तालाब पर गए हुए थे। जब कबीर परमेश्वर शिशु रुप में तेजपुंज का शरीर बनाकर कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। उस घटना को अष्टानंद जी ने अपनी आंखों से देखा, लेकिन चमकीला प्रकाश होने से कबीर परमेश्वर को नहीं देख पाए।
जब अष्टानंद जी ने अपने गुरुदेव स्वामी रामानंद जी को सारी बात बताई तो रामानंद जी ने कहा कि, जब ऊपर के लोक से अवतारी शक्ति धरती पर अवतरित होते हैं तब ऐसी ही घटना होती है।
गरीब, सेवक होकर उतरे, इस पृथ्वी के माहिं।
जीव उधारन जगतगुरु, बार बार बलि जांव।।
कबीर परमेश्वर ने 120 वर्ष तक पृथ्वी पर रहकर अनेकों लीलाएं की। अपने सतलोक गमन करने के दौरान भी एक अद्भुत लीला की।
उस समय ब्राह्मणों ने एक ग़लत धारणा फैला रखी थी कि काशी में मरने वाला स्वर्ग तथा मगहर में मरने वाला नर्क में जाता है। इसी भ्रम को दूर करने के लिए कबीर परमेश्वर माघ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को काशी से चलकर
मगहर आए और सशरीर सतलोक गमन किया। और लोगों का भ्रम निवारण किया कि सतभक्ति करने वाला कहीं भी प्राण त्यागे वह अपने स्थान पर ही जाएगा। और सतभक्ति न करने वाले चाहे काशी में प्राण त्यागे तो भी नर्क में जाएगा ही जाएगा।
मगहर में शरीर छोड़ने से पहले कबीर परमेश्वर ने मगहर की एकमात्र आमी नदी जो भगवान शिव जी के श्राप से सूख गई थी उसमें जल बहा दिया जो आज भी प्रमाण के तौर पर विद्यमान है।
सतलोक प्रस्थान के समय हिंदू तथा मुस्लिम आपस में कबीर साहेब के शरीर को लेकर उनके अंतिम संस्कार को लेकर लड़ाई करने की तैयारी में थे, लेकिन कबीर परमेश्वर ने एक अद्भुत लीला की। और कहा कि मेरे जाने के पश्चात आप आपस में लड़ना मत, क्योंकि आप दो नहीं बल्कि एक ही परमेश्वर के पुत्र हो।
कबीर परमेश्वर ने राजा बीर सिंह बघेल तथा बिजली खां पठान से कहां कि एक चद्दर नीचे बिछाओ और एक मेरे ऊपर। फिर कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि,
उठा लो पर्दा, इसमें नहीं है मुर्दा।
जब चद्दर उठाकर देखा तो वहां कबीर परमेश्वर का शव नहीं मिला, वहां सुगंधित फूलों का ढेर मिला। जिसे हिंदू मुसलमानों ने आधे आधे बांटकर वही पर 100 -100 फुट की दूरी पर एक एक यादगार बनाई,जो आज भी विद्यमान है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
#मगहर_लीला
#SantRampalJiMaharaj
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परमेश्वर कबीर साहेब जी इस कांशी की धरती पर कैसे प्रकट हुए। 2D Animation Video
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना” प्रारंभ करके नीरज जी को अमर किया – हर्ष वर्धन अग्रवाल लखनऊ में जल्द ही लगेगी नीरज जी की भव्य प्रतिमा – हर्ष वर्धन अग्रवाल हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे। जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे। लखनऊ 04.01.2023 | गीत ऋषि पद्मभूषण डॉ गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां उनके व्यक्तित्व पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं | नीरज जी जैसा मस्त मौला कवि, साहित्य का पुजारी, प्रेम का दीवाना व्यक्ति कोई दूसरा हो ही नहीं सकता | आज नीरज जी 98वी जन्म जयंती के अवसर पर ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय मे, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक तथा महाकवि "गीतों के दरवेश" पद्मभूषण (डॉ०) गोपालदास 'नीरज' जी को श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों, लाभार्थियों आदि ने नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया | उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को आभार व्यक्त करते हुए ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “प्रत्येक वर्ष पांच नवोदित कवियों को स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना का प्रारंभ करके तथा लखनऊ में नीरज जी की प्रतिमा लगाने के ट्रस्ट के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर साहित्य जगत में योगी जी के नेतृत्व को स्थायी स्थान प्राप्त हो गया है I मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना” प्रारंभ करके नीरज जी को अमर कर दिया है I हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से नीरज जी का बहुत ही गहरा नाता था | उनके साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए हर्ष वर्धन अग्रवाल कहते हैं कि नीरज जी से पहली बार मुलाकात ट्रस्ट द्वारा 02 जुलाई 2013 को आयोजित कार्यक्रम “एक शाम जगजीत सिंह के नाम” मे हुयी थी जिसमें नीरज जी स्वयं पधारे थे I नीरज जी उस कार्यक्रम से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनहित में किए जा रहे कार्यों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक बनने की हमारी प्रार्थना को स्वीकार किया और हमें अपना आशीर्वाद प्रदान किया | उसके बाद नीरज जी के संरक्षण में हमने अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन किया तथा जब तक वह जीवित थे उनके हर जन्मदिन को भव्य तरीके से मनाया, नीरज जी के अंतिम 5 वर्षों में उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ | नीरज जी के मार्ग दर्शन में हमने कॉफ़ी टेबल बुक गीतों के दरवेश : गोपाल दस नीरज तैयार की, जिसका विमोचन स्वयं अमिताभ बच्चन ने अपने जुहू, मुंबई स्थित अपने आवास पर 24 फरवरी 2018 को किया था I वर्ष 2014 से नीरज जी के जीवित रहने तक, ट्रस्ट को नीरज जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिससे ट्रस्ट ने समाज, साहित्य, आध्यात्म, एवं संस्कृति के क्षेत्र में ��व्य आयोजन किये तथा जनहित में अनेकों पुस्तकों का प्रकाशन किया l नीरज जी के साथ तथा उनके संरक्षण में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 11 मार्च 2013 को अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन, 21 नवंबर 2013 को विचार गोष्ठी भारत में लोकतंत्र: कितना सफल और कितना असफल का आयोजन, 03 जनवरी 2014 को नीरज जी का 90वे जन्मदिन का आयोजन, 04 फरवरी 2014 को नीरज जी की पुस्तकें नीरज संचयन व काव्यांजलि का विमोचन तथा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन, 23 मई 2014 को रूहानी संगम - उर्दू शायरी में गीता किताब का विमोचन, 01 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर परिचर्चा "वर्तमान समय में गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता" का आयोजन, 05 दिसंबर 2014 को परिचर्चा - "धर्म और धर्माडंबर" का आयोजन, 04 जनवरी 2015 को 'नीरज' के 91वें जन्मदिन के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम "नीरज निशा" और "हेल्प यू बाल गोपाल शिक्षा योजना" का शुभारंभ, 08 अप्रैल 2015 को नीरज जी की पुस्तक 'गीत श्री' का विमोचन, 26 अप्रैल 2015 को "भारतीय संस्कृति पर संस्कृत का प्रभाव" विषय पर गोष्ठी व लघु नाटक "श्रावणो अभवद वैशाखः" का आयोजन, 17 मई 2015 को 21वीं सदी में भारतीय महिलाओं की सामाजिक चुनौतियां व योगदान विषय पर व्याख्यान एवं महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन, 04 जनवरी 2016 को डॉ श्री गोपाल दास 'नीरज' के 92वें जन्मदिन का आयोजन, 08 मार्च 2016 को "हेल्प यू नारी अस्मिता सम्मान-2016" कार्यक्रम, 18 अगस्त 2016 को सामाजिक रक्षाबंधन समारोह, 04 जनवरी 2017 को नीरज जी के 93वें जन्मदिन का आयोजन किया गया I नीरज जी की मृत्यु के उपरांत कारवां चलता रहा और 19 जुलाई 2019 को पद्मभूषण डॉ० गोपालदास 'नीरज' जी की प्रथम पुण्यतिथि पर "नीरज स्मृति" का आयोजन, 03 जनवरी 2022 को नीरज जी की 97वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कवि सम्मलेन काव्यांजलि तथा 04 जनवरी 2022 को नृत्य प्रस्तुति "बेमिसाल नीरज : कारवाँ गुज़र गया”, 19 जुलाई 2022 को पद्मभूषण डॉ श्री गोपाल दास नीरज जी की चौथी पुण्यतिथि पर आयोजित ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम “गीतों के दरवेश : गोपालदास नीरज - गीत श्रद्धांजलि” का आयोजन किया गया | नीरज जी कहा करते थे कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने मेरी उम्र बढ़ा दी है और हेल्प यू ट्रस्ट अपने नाम को सार्थक कर रहा है | आज नीरज जी का ही आशीर्वाद है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जनहित के कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहा है तथा आगे आने वाले वर्षों में हमारे द्वारा यह प्रयास है कि हम हेल्प यू एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की शाखाएं पूरे भारतवर्ष में खोलें और सिर्फ लखनऊ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोगों की मदद कर सकें |
#YogiAdityanath
#GopalDasNeeraj
Coffee Table Book "Geeton Ke Darvesh : Gopal Das Neeraj"
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🧿 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 🧿
प्रसिद्ध कवि एवं जुलाहे की भूमिका करने वाले महान सन्त के रूप में विख्यात कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमेश्वर हैं। जिनका जन्म मां के गर्भ से नहीं होता। इसका वेदों में भी प्रमाण है कि पूर्ण परमेश्वर ऊपर से गति करके स्वयं प्रकट होता है एवं नि:संतान दंपत्ति को मिलता है। वह पृथ्वीलोक में वाणियों, कविताओं के माध्यम से तत्वज्ञान सुनाता है व कवि की उपाधि धारण करता है।
कलयुग में पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब अपने वास्तविक नाम कबीर देव अर्थात कबीर साहिब नाम से प्रकट होते हैं। विक्रम संवत 1455 (सन 1398) जेष्ठ मास की पूर्णिमा सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में काशी के अंदर लहरतारा नामक तलाब पर कमल के फूल पर नीरू और नीमा नामक एक दंपति जो जुलाहे का काम करते थे, उन्हें मिले थे। परमेश्वर कबीर साहेब 120 वर्ष तक इस पृथ्वीलोक में रहे और अनेकों चमत्कार व तत्वज्ञान का प्रचार किया।
सूखी पड़ी आमी नदी में जल बहाना
मगहर के पास एक आमी नदी बहती थी, जो शिवजी के श्राप से सूख पड़ी थी। आमी नदी को देखकर कबीर साहेब ने हाथ से आगे बढ़ने की ओर इशारा किया उतने में ही नदी जल से प्रवाहित हो गई और बहने लगी। वह नदी आज भी बह रही है।
वही पाखण्डी धर्मगुरुओं ने अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कही भी प्राण त्यागो, मोक्ष के अधिकारी हो।
505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना ��ाघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी सशरीर सतलोक गये थे तब हिंदू तथा मुस्लिम आपस में कबीर साहिब के शरीर के अंतिम संस्कार को लेकर लड़ाई करने की तैयारी में थे, तभी कबीर परमेश्वर जी ने आकाशवाणी की कोई झगड़ा न करे। जो भी चादर के नीचे मिले उसे आधा-आधा बांट ले, कबीर परमेश्वर के शरीर के स्थान पर सुगंधित फूलों के अलावा कुछ न मिला क्योंकि कबीर परमेश्वर सशरीर सत्यलोक चले गए थे।
तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांडी पदहि समाये |
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं ||
हिंदू व मुसलमानों ने बिना झगड़ा किये दोनों धर्मों ने आधे-आधे फूल बांटे एवं उस पर एक यादगार बना दी। आज भी मगहर में यह यादगार विद्यमान है। आज भी मगहर में कबीर परमेश्वर के आशीर्वाद से हिन्दू व मुस्लिम भाईचारे के साथ रहते हैं व धर्म के नाम पर आपस में कोई झगड़ा नहीं करते हैं।
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी सशरीर आये तथा अनेक लीलाएं करके पुनः सशरीर सतलोक गए क्योंकि पूर्ण परमात्मा कभी भी न जन्म लेता है और न उसकी मृत्यु होती है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
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