गीता गोपीनाथ और अमिताभ का तारीफ करना -
गीता गोपीनाथ को शायद सब लोग जानते नहीं होंगे |और हो सके इससे पहले उनका नाम भी कम ही सुना होगा |अमिताभ बच्चन को तो पूरी दुनिया जानती है |लेकिन क्या ऐसा हुआ की अमिताभ की आलोचना गीता गोपीनाथ को लेकर होने लगी |तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती। लेकिन कई बार यह विवादास्पद हो जाती है। कुछ लोगों को तारीफ करने का अंदाजा भाता नहीं है और वे इसकी आलोचना करने और खुलकर इस बारे में बोलने से गुरेज नहीं करते। हाल ही में ऐसा ही एक नाम गीता गोपीनाथ का सामने आया, जिनकी 'महानायक' अमिताभ बच्चन ने जब तारीफ की तो सोशल मीडिया पर उसे लेकर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक ढंग से लिया तो बड़ी संख्या लोगों ने इसकी आलोचना भी की है। अब सवाल है कि कौन हैं गीता गोपनाथ, जिनकी तारीफ पर अमिताभ बच्चन को आलोचना झेलनी पड़ गई।और आखिर अमिताभ ने कहा क्या था |आये जानते है |
गीता और अमिताभ विवाद -
ये एक वीडियो है अमिताभ के कौन बनेगा करोड़पति का जिसमे किसी प्रश्न के अंतर्गत गीता का नाम आता है और अमिताभ कह बैठते है की "इतना खूबसूरत चेहरा है इनका , इकॉनमी के साथ कोई जोड़ ही नहीं सकता "|लेकिन कुछ लोगों को 'महानायक' का अंदाज पसंद नहीं आया और उन्होंने इसे 'सेक्सिस्ट' यानी महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से भरा बताया।भले ही गीता ने ये वीडियो क्लिप शेयर करके अमिताभ के तारीफ से खुश नज़र आयी और कहा की मेरे लिए उनके प्रसंशक की भाती ये बहुत ही अच्छी फीलिंग है |सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस कमेंट पर नाराजगी दिखाई और कहा की उनके इस कमेंट के कई मतलब निकले जा सकते है जैसे की खूबसूरत महिलाओं अर्थशास्त्री नहीं बन सकती |लेकिन विवाद जब बाद गया तो अमिताभ बच्चन ने गीता गोपीनाथ के ट्वीट्स पर कहा की -"उन्होंने जो कहा है वो बड़ी ईमानदारी से कहा है" |
गीता गोपीनाथ का परिचय क्या है -
गीता गोपीनाथ वर्ष 2019 से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख अर्थशास्त्री हैं|इससे पहले वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज ऑफ इकनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुकी हैं। उनकी गिनती दुनिया के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में होती है। उन्होंने इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रो-इकनॉमिक्स में रिसर्च भी किया है।आईएमएफ की चीफ इकनॉमिस्ट के तौर पर उनकी नियुक्ति का ऐलान 2018 में तत्कालीन आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने किया था, जिन्होंने गीता गोपीनाथ को दुनिया के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक बताते हुए कहा था कि उनके पास शानदार अकादमिक ज्ञान, बौद्धिक क्षमता और व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव है।
गीता गोपीनाथ की प्रारम्भिक शिक्षा से अमेरिका के नागरिक होने का सफर =
गीता का जन्म भारत के मैसूर शहर में हुआ है |उनके पिता टी.वी. गोपीनाथ केरल के कन्नूर जिले के किसान और उद्यमी हैं|उन्होंने स्नातक की डिग्री लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से ली है फिर दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर की पढाई पूरी की। इसके बाद 1994 में वह वाशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं। साल 1996 से 2001 तक उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में शोधकार्य किया और इस तरह उनकी पीएचडी पूरी हुई।गीता पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और 2001 से 2005 तक वह शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं है |फिर उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर ज्वाइन किया।अगले पांच वर्षों में यानी 2010 में वह इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं।वैसे तो वो अब अमेरिका की नागरिक है |
नोटबंदी पर दिए गए विचार से भी चर्चा में आयी थी -
पिछले सालों में वो तब चर्चा में जब उन्होंने भारत में नोटबंदी को आर्थिक रूप से नकारात्मक बताया था |और तो और भारत की को वैश्विक आर्थिक विकास की गिरावट के लिए भी जिम्मेदार बताया था |गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि किसी विकासशील देश के लिए नोटबंदी काफी कड़ा फैसला है. यह खतरनाक होने के साथ-साथ हानिकारक भी है जो कुछ सेक्टर में स्थायी क्षत पंहुचा सकता है |गीता का पूरा परिवार वामपंथी विचारधारा से जुड़ा है |गीता का दादा गोविन्द नाम्बियार कम्यूनिस्ट पार्टी के बड़े समर्थक माने जाते थे |गीता ने इक़बाल धालीवाल से शादी की है उनका एक बेटा भी है |इकबाल इक्नोमिक्स से स्नातक है और 1995 बैच के आईएएस टॉपर रहे है उन्होंने आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिस्टन पढ़ने चले गये और यही इनकी मुलाकात गीता से हुई |हमारा उद्देश्य हमेशा ये रहता है की आप तक ज्यादा से ज्यादा जानकारी पंहुचा सके |
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IMF ने दुनिया के विकास की रफ्तार धीमे होने का जिम्मेदार भारत को ठहराया, कांग्रेस बोली- अब गीता पर हमला करेगी भाजपा
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को झटका दिया है। आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक, 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की बढ़त दर केवल 4.8 प्रतिशत रहेगी। आईएमएफ ने कहा कि, 'भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती की वजह दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है।'
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आईएमएफ ने दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच (WEF) की बैठक में इस अनुमान को जारी किया। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि, 'ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80% की गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है।' गीता ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि, 'भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती की वजह दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है।'
IMF Chief Economist Gita Gopinath was one of the first to denounce demonetisation.
I suppose we must prepare ourselves for an attack by government ministers on the IMF and Dr Gita Gopinath.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 21, 2020
जब गीता गोपीनाथ से यह पूछा गया कि भारत में आर्थिक मंदी ने वैश्विक पूर्वानुमानों को किस हद तक प्रभावित किया है? तो उन्होंने कहा कि, 'सरल गणना कहती है कि ये 80 प्रतिशत से अधिक होगा।' भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटाने के बारे में गोपीनाथ ने कहा कि, 'भारत की पहली दो तिमाहियों के अनुमानों की तुलना में हम कमजोर थे। मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी और ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है।'
गीता गोपीनाथ का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'अब मोदी सरकार के मंत्री आईएमएफ और मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ पर हमला करेंगे।'
चिदंबरम ने कहा कि, 'नोटबंदी की निंदा करने वालों में आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ एक थीं। मुझे लगता है कि हमें आईएमएफ और गीता गोपीनाथ पर सरकार के मंत्रियों के हमले के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। तमाम कोशिश के बाद भी जीडीपी 4।8 फीसदी रहेगी। अगर यह और भी कम हो जाए तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। आईएमएफ के रियलिटी चेक में 2019-20 में ग्रोथ रेट 5 फीसदी से कम 4.8 फीसदी होगी।'
कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'आईएमएफ ने 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी को घटाकर 4.8% कर दिया। इसे दुनिया अर्थव्यवस्था नीचे जाएगी। पूरे भारत में लोग, युवा और बूढ़े प्रदर्शन कर रहे हैं, (जो अपने पहने कपड़ों से पहचाने नहीं जा सकते), बताते हैं कि मोदी और अमित शाह की जोड़ी भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।'
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गीता गोपीनाथ पर क्यों हुई अमिताभ की आलोचना ?
गीता गोपीनाथ और अमिताभ का तारीफ करना -
गीता गोपीनाथ को शायद सब लोग जानते नहीं होंगे |और हो सके इससे पहले उनका नाम भी कम ही सुना होगा |अमिताभ बच्चन को तो पूरी दुनिया जानती है |लेकिन क्या ऐसा हुआ की अमिताभ की आलोचना गीता गोपीनाथ को लेकर होने लगी |तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती। लेकिन कई बार यह विवादास्पद हो जाती है। कुछ लोगों को तारीफ करने का अंदाजा भाता नहीं है और वे इसकी आलोचना करने और खुलकर इस बारे में बोलने से गुरेज नहीं करते। हाल ही में ऐसा ही एक नाम गीता गोपीनाथ का सामने आया, जिनकी 'महानायक' अमिताभ बच्चन ने जब तारीफ की तो सोशल मीडिया पर उसे लेकर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक ढंग से लिया तो बड़ी संख्या लोगों ने इसकी आलोचना भी की है। अब सवाल है कि कौन हैं गीता गोपनाथ, जिनकी तारीफ पर अमिताभ बच्चन को आलोचना झेलनी पड़ गई।और आखिर अमिताभ ने कहा क्या था |आये जानते है |
गीता और अमिताभ विवाद -
ये एक वीडियो है अमिताभ के कौन बनेगा करोड़पति का जिसमे किसी प्रश्न के अंतर्गत गीता का नाम आता है और अमिताभ कह बैठते है की "इतना खूबसूरत चेहरा है इनका , इकॉनमी के साथ कोई जोड़ ही नहीं सकता "|लेकिन कुछ लोगों को 'महानायक' का अंदाज पसंद नहीं आया और उन्होंने इसे 'सेक्सिस्ट' यानी महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह से भरा बताया।भले ही गीता ने ये वीडियो क्लिप शेयर करके अमिताभ के तारीफ से खुश नज़र आयी और कहा की मेरे लिए उनके प्रसंशक की भाती ये बहुत ही अच्छी फीलिंग है |सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस कमेंट पर नाराजगी दिखाई और कहा की उनके इस कमेंट के कई मतलब निकले जा सकते है जैसे की खूबसूरत महिलाओं अर्थशास्त्री नहीं बन सकती |लेकिन विवाद जब बाद गया तो अमिताभ बच्चन ने गीता गोपीनाथ के ट्वीट्स पर कहा की -"उन्होंने जो कहा है वो बड़ी ईमानदारी से कहा है" |
गीता गोपीनाथ का परिचय क्या है -
गीता गोपीनाथ वर्ष 2019 से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख अर्थशास्त्री हैं|इससे पहले वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज ऑफ इकनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुकी हैं। उनकी गिनती दुनिया के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में होती है। उन्होंने इंटरनेशनल फाइनेंस और मैक्रो-इकनॉमिक्स में रिसर्च भी किया है।आईएमएफ की चीफ इकनॉमिस्ट के तौर पर उनकी नियुक्ति का ऐलान 2018 में तत्कालीन आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने किया था, जिन्होंने गीता गोपीनाथ को दुनिया के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक बताते हुए कहा था कि उनके पास शानदार अकादमिक ज्ञान, बौद्धिक क्षमता और व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव है।
गीता गोपीनाथ की प्रारम्भिक शिक्षा से अमेरिका के नागरिक होने का सफर =
गीता का जन्म भारत के मैसूर शहर में हुआ है |उनके पिता टी.वी. गोपीनाथ केरल के कन्नूर जिले के किसान और उद्यमी हैं|उन्होंने स्नातक की डिग्री लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से ली है फिर दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर की पढाई पूरी की। इसके बाद 1994 में वह वाशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं। साल 1996 से 2001 तक उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में शोधकार्य किया और इस तरह उनकी पीएचडी पूरी हुई।गीता पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और 2001 से 2005 तक वह शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहीं है |फिर उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर ज्वाइन किया।अगले पांच वर्षों में यानी 2010 में वह इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गईं।वैसे तो वो अब अमेरिका की नागरिक है |
नोटबंदी पर दिए गए विचार से भी चर्चा में आयी थी -
पिछले सालों में वो तब चर्चा में जब उन्होंने भारत में नोटबंदी को आर्थिक रूप से नकारात्मक बताया था |और तो और भारत की को वैश्विक आर्थिक विकास की गिरावट के लिए भी जिम्मेदार बताया था |गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि किसी विकासशील देश के लिए नोटबंदी काफी कड़ा फैसला है. यह खतरनाक होने के साथ-साथ हानिकारक भी है जो कुछ सेक्टर में स्थायी क्षत पंहुचा सकता है |गीता का पूरा परिवार वामपंथी विचारधारा से जुड़ा है |गीता का दादा गोविन्द नाम्बियार कम्यूनिस्ट पार्टी के बड़े समर्थक माने जाते थे |गीता ने इक़बाल धालीवाल से शादी की है उनका एक बेटा भी है |इकबाल इक्नोमिक्स से स्नातक है और 1995 बैच के आईएएस टॉपर रहे है उन्होंने आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिस्टन पढ़ने चले गये और यही इनकी मुलाकात गीता से हुई |हमारा उद्देश्य हमेशा ये रहता है की आप तक ज्यादा से ज्यादा जानकारी पंहुचा सके |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3qTbEgQ
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IMF ने दुनिया के विकास की रफ्तार धीमे होने का जिम्मेदार भारत को ठहराया, कांग्रेस बोली- अब गीता पर हमला करेगी भाजपा
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को झटका दिया है। आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक, 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की बढ़त दर केवल 4.8 प्रतिशत रहेगी। आईएमएफ ने कहा कि, 'भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती की वजह दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है।'
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आईएमएफ ने दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच (WEF) की बैठक में इस अनुमान को जारी किया। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि, 'ग्लोबल ग्रोथ के अनुमान में 80% की गिरावट के लिए भारत जिम्मेदार है।' गीता ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि, 'भारत और इसके जैसे अन्य उभरते देशों में सुस्ती की वजह दुनिया के ग्रोथ अनुमान को उसे घटाना पड़ा है।'
IMF Chief Economist Gita Gopinath was one of the first to denounce demonetisation.
I suppose we must prepare ourselves for an attack by government ministers on the IMF and Dr Gita Gopinath.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 21, 2020
जब गीता गोपीनाथ से यह पूछा गया कि भारत में आर्थिक मंदी ने वैश्विक पूर्वानुमानों को किस हद तक प्रभावित किया है? तो उन्होंने कहा कि, 'सरल गणना कहती है कि ये 80 प्रतिशत से अधिक होगा।' भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटाने के बारे में गोपीनाथ ने कहा कि, 'भारत की पहली दो तिमाहियों के अनुमानों की तुलना में हम कमजोर थे। मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी और ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है।'
गीता गोपीनाथ का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'अब मोदी सरकार के मंत्री आईएमएफ और मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ पर हमला करेंगे।'
चिदंबरम ने कहा कि, 'नोटबंदी की निंदा करने वालों में आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ एक थीं। मुझे लगता है कि हमें आईएमएफ और गीता गोपीनाथ पर सरकार के मंत्रियों के हमले के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। तमाम कोशिश के बाद भी जीडीपी 4।8 फीसदी रहेगी। अगर यह और भी कम हो जाए तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। आईएमएफ के रियलिटी चेक में 2019-20 में ग्रोथ रेट 5 फीसदी से कम 4.8 फीसदी होगी।'
कपिल सिब्बल ने कहा कि, 'आईएमएफ ने 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी को घटाकर 4.8% कर दिया। इसे दुनिया अर्थव्यवस्था नीचे जाएगी। पूरे भारत में लोग, युवा और बूढ़े प्रदर्शन कर रहे हैं, (जो अपने पहने कपड़ों से पहचाने नहीं जा सकते), बताते हैं कि मोदी और अमित शाह की जोड़ी भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।'
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नोटबंदी के 3 साल पूरे : अब भी नकद लेनदेन करना पसंद कर रहे लोग, जानें भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ा
मनमोहन सिंह का मोदी सरकार पर हमला- अर्थव्यवस्था लगातर बिगड़ती जा रही, सरकार जरा भी गंभीर नहीं
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