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एक दिन में कितनी बादाम खानी चाहिए?
एक दिन में 10 से 12 बारह बादाम ही खाना चाहिए l अधिक मात्रा में बादाम का सेवन न करें l जिन लोगो लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, उन्हें बादाम आसानी से नहीं पचता है l बादाम का अधिक सेवन करने से नुकसान भी हो सकता है, पेट में ��ैस, अपच जैसे समस्या उत्पन्न हो सकती है l
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अरण्डी का तेल के फायदे
अरण्डी का तेल को इंग्लिश में castor oil बोलते है इसका वैज्ञानिक नाम - रिसिनसकम्युनिस (ricinus communis) है l अरंडी का तेल एक वनस्पति
तेल है जिसे अरंडी की मींगी को दबा कर निकाला जाता है
��ारत, पाकिस्तान और नेपाल में खाद्यान्न अरंडी के तेल के उपयोग से किसी प्रकार के जीवो से सुरक्षित रखता हैं। यह चावल, गेहूं और दालों को सड़ने से रोकता है। उदाहरण के लिए, फलीदार अरहर दाल आमतौर पर विस्तारित भंडारण के लिए इस तेल का उपयोग करते है लेप करते है l read more
#BJPVentilatorScam#Remove_Nios_From_PRT#SaturdayThoughts#बौद्धनगरी_अयोध्या#Anil Ambani#SonuSood#Yogendra Yadav.
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तिल खाने के अद्भुत फायदे
तिल खाने से शरीर में प्रोटीन तथा खून की कमी दूर होती है - तिलों में प्रोटीन मिलता है। मस्तष्क की बनावट लैसीथीन द्रव्य से होती है। यह तिलों में अधिक मिलता है। इससे मस्तिष्क के स्नाय एवं माँस पेशियों शक्तिशाली होती। हैं। तिलों में विटामिन बी ० कम्प्लैकस भी ��हुत मिलता है। तिल और गुड़ समान मात्रा में (मलाकर लड्ड��� बनालें । एक लड्डू नित्य प्रातः, शाम खाकर दूध पीयें इससे शक्ति मिलती है। मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होते हैं। कठिन शारीरिक श्रम करने पर माँस नहीं फूलता। जल्दी बुढ़ापा आने को तिल रोकता है।
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मूँगफली खाने के फायदे और नुकसान - स्वास्थ्य पत्रिका
मूँगफली को अंग्रेजी में peanut या ground nut कहते है, मूंगफली का वैज्ञानिक नाम - ऐरेकिस हाइपोजिया (Arachis hypogaea) है l मूँगफली एक तिलहन फसल है l मूँगफली वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत माना जाता हैं। मूँगफली वस्तुतः पोषक तत्त्वों की खान है। प्रकृति ने भरपूर मात्रा में इसे विभिन्न पोषक तत्त्वों से सजाया-सँवारा है।
मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा
मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अण्डों से 2.5 गुना एवं फलों से 8 गुना अधिक होती है।
मूँगफली को प्रोटीन, चिकनाई और शर्करा पाई जाती है। एक अंडे के मूल्य के बराबर मूँगफलियों में जितनी प्रोटीन व उष्मा होती है उतनी दूध व अण्डे से संयुक्त रूप में भी नहीं होती।
100 ग्राम कच्ची मूँगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है। मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है,
इसकी प्रोटीन दूध से मिलती-जुलती है, चिकनोई घी से मिलती है। मूँगफली के खाने से दूध, बादाम और घी की पूर्ति हो जाती है। मूँगफली में प्रोटीन, केलोरिया और K. B. E. Vitamins भरपूर पाया जाता हैं।
जब कि मांस, मछली और अंडों में उसका प्रतिशत 10 से अधिक नहीं। 250 ग्राम मूँगफली के मक्खन से 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या 15 अंडों के बराबर ऊर्जा की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है।
मूँगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी कारगर है। 250 ग्राम भूनी मूँगफली में जितनी मात्रा में खनिज और vitamin पाए जाते हैं, वो 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकता है।
मूँगफली के औषधीय गुण
सर्दी के मौसम में लाभदायक मूँगफली - मूँगफली की तासीर या प्रकृति गरम होती है l मूँगफली शरीर मैं गर्मी पैदा करती है, इसलिए सर्दी के मौसम में ज्यादा ��ाभदायक है।
मोटापा (वजन) बढाती है मूँगफली - थोड़ी मात्रा में नित्य मूँगफली खाने से मोटापा बढ़ता है। इसे भोजन के साथ, जैसे सब्जी, खीर, खिचड़ी आदि में डालकरं daily खाना चाहिए।
Pregnancy में गर्भस्थ शिशु को लाभ पहुँचती है मूँगफली - pregnancy में 60g मूँगफली रोजाना खाने से गर्भस्थ शिशु की प्रगति में लाभ होता है।
मूँगफली खाने से माताओ के दूध में वृद्धि - नित्य कच्ची मूँगफली खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है।
मूँगफली का तेल में जैतून के तेल के समान - मूँगफली के तेल का धर्म जैतून के तेल (olives oil) के समान है जैतून का तेल बहुत महंगा मिलता है l अतः जैतून के तेल के स्थान पर मूँगफली का तेल इस्तेमाल कर सकते है l
मूँगफली में तेल का अंश होने से यह वायु की बीमारियों को भी नष्ट करती है। मूंगफली में तेल प्रतिशत मात्रा 45-55% होता है l
खुश्की, सूखापन दूर करती है मूँगफली - सर्दियों में त्वचा में सूखापन आ जाता है। जरा-सा मूँगफली का तेल, दूध और गुलाबजल मिला कर मालिश करें। बीस मिनट बाद स्नान कर लें। इससे त्वचा का सूखापन ठीक हो जायेगा। मुटठी-भर भुनी मूँगफलियाँ निश्चय ही पोषक तत्वों की दृष्टि से लाभकारीi। ये अच्छा पोषक प्रदान करती है l
खांसी में फायदेमंद ज मूँगफली - यह तर खाँसी-में उपयोगी है। मेदे और फेफड़े को बल देती है।
होंठो को मुलायम रखती है मूँगफली - नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मुँगफली का तेल लेकर अँगुली से हथेली में रगडे और फिर होठों पर इस तेल की मालिश करें। होठों के लिए यह लाभप्रद है।
मूँगफली खाने के नुकसान
एक तरफ मूँगफली खाने के इतने फायदे है वही दूसरी तरफ मूँगफली खाने से नुकसान भी हो सकता है l मूँगफली पाचन शक्ति को बढ़ाती है और रुचिकर होती है लेकिन इसे अधिक खाया जाये तो ये पाचन शक्ति बिगाड़ भी सकती है l मूँगफली गरम प्रकृति के व्यक्तियों को हानिकारक भी है। मूँगफली ज्यादा खाने से पित्त बढ़ता है।
मूँगफली अधिक खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है आपकी पाचन शक्ति ख़राब हो सकती है
मूंगफली का अधिक सेवन करने से liver ख़राब होने का खतरा बना रहता है l एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है l
वेबसाइट पर visit करे👉 https://lnkd.in/e2rFqTe
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चावल का अंग्रेजी नाम (RICE) है तथा वैज्ञानिक नाम - ओराइजा सैटाइवा (Oryza sativa)
है l धान के बीज को चावल कहते हैं। यह धान से ऊपर का छिलका हटाने से प्राप्त होता है। चावल सम्पूर्ण जगत में खाया जाने वाला प्रमुख अनाज है। भारत में भात, खिचड़ी , पापड़, पोहा, सहित काफी सारे पकवान बनते हैं। चावल का चलन दक्षिण भारत और पूर्वी-दक्षिणी भारत में उत्तर भारत से अधिक है।
��ान से जब केवल उसका बाहरी आवरण (छिलका) हटा दी जाती है तो जो दाना दिखता है उसे भूरा चावल कहते हैं। जिसका रंग भूरा होता है। ब्रान को भी हटा देने से जो चावल मिलता है वह बिल्कुल सफेद रंग का होता है और 'सफेद चावल कहलाता है।
सांस्कृतिक हिंदी में पके हुए चावल को 'भात' कहा जाता है, किन्तु अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैं। चावल की फ़सल को धान कहते हैं। चावल की कई सारी किस्मे होती है l बासमती चावल भारत का प्रसिद्ध चावल है जो विदेशों को निर्यात भी किया जाता है।
भूरा चावल प्रति 100 g चावल में उर्जा 370 किलो कैलोरी होती है साथ ही कार्बोहाइड्रेट 77.24 g, शर्करा 0.85 g, वसा की बात करे तो 2.92 g, होता है l चावल में प्रोटीन की मात्रा 7.85 g होती है एवं पानी 10.37 g होता है l
हिन्दू धर्म में चावल का महत्व
हमारे हिन्दू धर्म में चावल को बहुत महत्व दिया जाता है l देवी देवताओं की पूजा करते समय चावल का भोग लगाया जाता है l किसी कि मृत्यु होती है तब भी चावल ही बनाये जाते है l ये माना जाता है कि ग्यारस के दिन चावल नहीं खाना चाहिए ग्यारस के दिन चावल खाने वाले लोग कीड़े खाते है l
चावल के औषधीय गुण एवं घरेलु प्रयोग
दस्त - चावल बनाने के पश्चात् इसका उबला हुआ पानी जिसे माँड कहते हैं, फैंक देते हैं। यह दस्तों के लिए लाभदायक है। बच्चों को आधा कप,बड़ों को एक कप प्रति घंटे से पिलाने से दस्त बन्द हो जाते हैं। छोटे शिशुओं को अल्प-मात्रा में पिला सकते हैं। इस माँड में जरा-सा नमक स्वाद के अनुसार मिलाने से माँड स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य हो जाता है। नमक मिला कर दस्तों में भी पी सकते हैं। माँड को छः घंटे से अधिक पड़ा न रखें। इससे अधिक समय तक रखने से यह बदबू देने लगता है।
माँड बनाने की सरल, सस्ती विधि यह है। कि सौ ग्राम चावल आटे की तरह पीस लें इसे एक लीटर पानी में उबालें। भली प्रकार उबालने के पश्चात् इसे छान कर स्वादान्सार नमक मिला लें। इसे ऊपर बताये ढंग से पीयें। दस्तों में भी इसे लाभकारी पायेंगे।
गर्मी नाशक - चावल की प्रकृति शीतल है। पेट में गर्मी भरी होने पर एवं गर्मी के मौसम में नित्य चावल खाने से ठंडक मिलती है। पेट की गर्मी दूर करने हेतु एक भाग चावल, दो भाग मुँग की दाल मिला कर खिचड़ी
बनाकर घी डाल कर खायें।
पेचिश, रक्त प्र��र - एक गिलास चावल के धोवन में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
पेशाब में जलन, रकावट हो तो आधा गिलास चावल के माँड में चीनी मिला कर पिलायें तो जलन और रुकावट दूर हो जायेगी।
चावल आतेसार या पेचिश के रोगियों के लिए उत्तम खाद्य पदार्थ है। सफेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से चेहरे की झाँई मिटकर रंग साफ हो जाता है।
गर्भावस्था की उलटी - 50 ग्राम चावल 250 ग्राम पानी में भिगो दें। आधे घण्टे भीगने के बाद 5 ग्राम धनिया भी डाल दें। 10 मिनट बाद मलकर छाल लें। चार बार में इसे चार हिस्से करके पिलायें। गर्भिणी की उल्टिया तत्काल बन्द होगी। भाँग का नशा चावलां की धोवन पीने से उतरता है।
कब्ज़ - एक भाग चावन दो भाग मूँग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर होती है।
फोड़ा - पिसे हुए चावलों की पुल्टिस सरसों के तेल में बना कर बाँधने से फोड़ा फट जाता है एवं पीव (Pus) निकल जाती है।
कोलेस्ट्रोल - लम्बे समय तक चावल खाते रहने से कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है, नहीं है। रक्तचाप भी ठीक रहता है।
बढ़ता
यकृत - सूर्योदय से पहले उठकर मुँह साफ करके एक चुटकी कच्चे चावल मुँह में रखकर पानी से निगल जायें। यह क्रिया यकृत को मजबूत करने के लिये वड़ी अच्छी है। जिन लोगों ने इस प्रकार चाबल लिये हैं। उन्हें लाभ हुआ है।
कच्चा चावल खाने के नुकसान
हानिकारक - जिन लोगों के गुर्दे और मसाने में पथरी का रोग हो उनके लिए चावल बहुत हानिकारक पदार्थ है। लगातार चावल का सेवन करने से पेट बढ़ता है l जिससे मोटापा बढ़ने लगता है और व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है l इसके अलवा चावल खाने से डायबिटीज होने का खतरा बन जाता है l
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Bathua khane ke fayde - swasthya patrika
बथुआ की सब्ज़ी लगभग सभी घरों में खाई जाती है l ये गांव में सभी लोग खाते है l बाजार में भी आसानी से मिल जाती है मेथी के सीजन में ही आती है l बथुआ में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस और पोटैशियम अधिक मात्रा में होता है। बालों का ओरिजनल कलर बनाए रखने में बथुआ आंवला के समान गुणकारी है। इसमें विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा आंवले से ज्यादा होती है। इसमें आयरन, फॉस्फोरस और विटामिन ए और डी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। more
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लौकी खाने के फायदे - laukee khane ke fayde
स्वास्थ्य पत्रिका - लौकी का सेवन दस्त रोग, हाथ पैरो की जलन, दाँत दर्द, बवासीर, पीलिया के रोग थाम में लाभ दायक है l लौकी और लौकी का जूस पीना कई मायनों में बेहद फायदेमंद है। इसे पीने से वेट लॉस तेजी से होता है, एसिडीटी कम होती, इम्यून बढ़ता है और ये दिल की बीमारी के साथ ही हाई बीपी में भी बेहद फायदेमंद होती है। लौकी का रायता दस्तों में लाभप्रद है। रोज सुबह खाली पेट इसे पीना सेहत को कई तरह की बीमारियों से बचाता है l more read
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आम खाने के क्या फायदे - स्वास्थ्य पत्रिका
आम खाने के क्या फायदे है आम खाना का सही समय क्या है आम खाने के फायदे और आम की प्रकृति तर व गर्म होती है l आम का वैज्ञानिक नाम mangifera indicus है l आम फलो का राजा होता है आम खाने में बहुत ही मीठे और रसीले होते है l आम की प्रजाति को mangifera कहते है l सबसे ज्यादा आम भारत में पाया जाता है l खाने से पहले आम को ठण्डे पानी में या फ्रिज में रखना चाहिए। इससे गर्मी निकल जाती है। आम को दूध में मिला कर या इसे खाने के बाद ऊपर से दूध पीने से आम बहुत लाभ करता है। यह बीर्य की दुर्बलता को दूर करता है तथा वीर्य बढ़ाता है। दो-तीन माह आम का रस पीने से मर्दाना ताकत आती है, शरीर की कमजोरी दूर होती है l
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मूली खाने के फायदे बताइये - स्वास्थ्य पत्रिका
मूली का वैज्ञानिक नाम-रेफेनस सेटाइवस (Raphanus sativus) है l मूली की तासीर तर, गर्म और ठंडी होती है l मूली की खेती दुनिया भर में होती है l मूली मिट्टी के भीतर पैदा होने वाली एक सब्जी है। जिसकी खपत दुनिया भर में की जाती है।वास्तव में यह एक परिवर्तित जड़ है । यह सफ़ेद कलर की मोटी जड़ होती है l मूली की सब्ज़ी, सलाद के रूप में खायी जाती है इसके पत्ते की सब्ज़ी बनाई जाती है l मूली पेट तथा पेशाब की समस्त रोगों की दवाई होती है l पेशाब के रोगों में बहुत फायदा करती है l म��ली का रस आँतों में एंटीसेप्टिक का काम करता है। अग्निमांद्य, अरुचि, पुरानी क़ब्ज़, गैस में मूली फायदा करती है l
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मूली के क्या क्या फायदे होते है पोस्ट पसंद आयी हो तो शेयर करें अधिक पोस्ट के बारे में जानने के लिए ब्लॉग के home page पर जाये, interest के अनुसार पोस्ट पढ़े l
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लहसुन के औषधीय गुण - लहसुन खाने से भूख अच्छी लगती है। शरीर में गर्मी, चेहरे पर चमक रहती है, कृमि नष्ट होते हैं। इसे नित्य खाने से रोगों से बचाव होना है तथा रोग होने पर विशेष विधि से खाने से रोग दूर होता है। लहसुन उत्तेजक और चर्मदाहक होता है। लहसुन का प्रभाव सारे शरीर पर होता है l टूटी हड्डियों को जोड़ता है। मेधा शक्ति तथा नेत्रों के लिए हितकर है। यह हृदयरोग, जी्व एवर, शूल, कृष्ज, वायुगोला, अरुचि, खाँसी, सूजन, बवासीर, कुष्ट, अग्निमांय श्वास और 'कफ को नष्ट करता है। यह अधिक पेशाब लाता है, पट के आफरे को दूर करता है। यह सूजन, पक्षाघात, जोड़ों का दर्द, तिल्ली में लाभदायक है। कटिवात, प्यास, दाँतों की सडन को दूर करता है। बार-बार फन्सियाँ होना, पेराटाइफाइड, फ्लू, गुदी के रोगों को लहसुन ठीक करता है। रोग के कीटाण्ओं का नाश करता है। कुछ रोगों में लहसुन के सरल प्रयोग नीचे दिये जाते हैं l more read
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लहसुन के फायदे तथा औषधि - स्वास्थ्य पत्रिका
लहसुन के औषधीय गुण - लहसुन खाने से भूख अच्छी लगती है। शरीर में गर्मी, चेहरे पर चमक रहती है, कृमि नष्ट होते हैं। इसे नित्य खाने से रोगों से बचाव होना है तथा रोग होने पर विशेष विधि से खाने से रोग दूर होता है। लहसुन उत्तेजक और चर्मदाहक होता है। लहसुन का प्रभाव सारे शरीर पर होता है l टूटी हड्डियों को जोड़ता है। मेधा शक्ति तथा नेत्रों के लिए हितकर है। यह हृदयरोग, जी्व एवर, शूल, कृष्ज, वायुगोला, अरुचि, खाँसी, सूजन, बवासीर, कुष्ट, अग्निमांय श्वास और 'कफ को नष्ट करता है। यह अधिक पेशाब लाता है, पट के आफरे को दूर करता है। यह सूजन, पक्षाघात, जोड़ों का दर्द, तिल्ली में लाभदायक है। कटिवात, प्यास, दाँतों की सडन को दूर करता है। बार-बार फन्सियाँ होना, पेराटाइफाइड, फ्लू, गुदी के रोगों को लहसुन ठीक करता है। रोग के कीटाण्ओं का नाश करता है। कुछ रोगों में लहसुन के सरल प्रयोग नीचे दिये जाते हैं l अधिक पढ़े
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स्वप्नदोष क्या होता है? कारण और उपाय
नींद के दौरान बिना संभोग या हाथों से उत्तेजित किये बिना वीर्य निकल जाने को स्वप्नदोष कहते हैं l मेडिकल टर्मिनोलोजी में इसे Nocturnal emission कहते हैं, जिसका अर्थ भी यही है कि निद्रा के समय अपने आप स्खलन हो जाना। अधिक पढ़े
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