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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 14🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ शनिवार 🌹हैप्पी दीवाली🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा वसुदेव जी/आप /हम सभी को ब्रह्म ज्ञान : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! वसुदेव जी ने श्रीकृष्ण और बलरामजी से कहा - हे सच्चिदानंद भक्त वत्सल श्री कृष्ण एवं महायोग बलराम! मैंने सभी ऋषियों के मुख से तुम्हारी महानता के चर्चें सुने हैं। तुम्हारी अद्भुत लीलाओं का श्रवण भी मैंने किया है। मैं जान गया हूँ कि मेरे पुत्रों के रूप में लीला करने वाले तुम दोनों सभी जीवों की आत्मा और जगत के पालक हो। तुम्हारी माया के वशीभूत होकर मुझे केवल शरीर धर्म ही याद रहा। प्रभु! मेरी आंखों से परदा हटाईए और मुझे अपनी शरण में लेकर इस जीवन बंधन से मुक्त कीजिए। भगवान श्रीकृष्ण ने पिता की बातें सुनकर मुस्कराकर कहा! पिता श्री! हम तो आपके पुत्र हैं। आपने जैंसा कहा कि यह सारा जगत ब्रह्म रूप हैं। यह सही है। आत्मा तो एक ही है उसे ही परमात्मा कहते हैं। परंतु वह जब विविध गुणों की सृष्टि कर लेता है और स्वयं को दृश्य, नित्य-अनित्य, निर्गुण - सगुण, जड़ चेतन विविध जीवों ��ें विभक्त कर लेता है। जब वह आकाश वायु जल अग्नि और पृथ्वी आदि महाभूतों में अपने आप को प्रकट कर लेता है तब वह एक ही अनेक में प्रतीत होने लगता है। किंतु उस अनेकता में वही "एक सर्वत्र" विद्यमान है। इसलिए आपका यह कहना सत्य है कि जो मैं हूँ वही सब है.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।महापुराण भागवत निर्मल।शुक मुख विगलित निगम कल्प फल।परमानंद सुधा रसमय कल।लीला रति रस रस निधान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHjMK1dgHT5/?igshid=4ux4h7mbmg7x
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 13🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ शुक्रवार : हैप्पी धनतेरस एवं नर्क चतुर्दशी (छोटी दीवाली) 🌹धनतेरस को धन, दवाईयों, फलों, वस्त्रों एवं उपहारों को निर्धनों व जरुरतमंदों में वितरित करना या किसी अस्पताल में जाकर इनका दान करना शुभ माना जाता है। चांदी की या किसी अन्य धातु की कोई वस्तु अवश्य खरीदकर पूजा करनी चाहिए🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹देवर्षि नारदजी का उपदेश : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! नारदजी ने कहा - वसुदेव जी! ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य ये तीनों देवता, ऋषि और पितरों का ऋण लेकर ही उत्पन्न होते हैं। यज्ञ अध्ययन और संतानोत्पत्ति और संतान का उचित अध्यात्मिक मार्गदर्शन और परवरिश से इनके ऋणों से छुटकारा प्राप्त होता है। इनके ऋण से उऋण हुए बिना ही जो संसार का त्याग करता है उसे मानव जन्म /मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। वसुदेव जी सबको प्रणाम किया और कुरुक्षेत्र में यज्ञ कराकर सभी ब्राह्मणों और ऋत्विजों को धन धान्य तथा गौओं का दान कर सम्मानित किया। अंत में सभी परिजन एक-एक कर के वहाँ से विदा हो गए। वसुदेव जी ने जाते समय नंद बाबा का हाथ पकड़ कर बड़े प्रेम से कहा - भ्राता श्री! आपने हमारे प्रति जो प्रेम और मित्रता का व्यवहार किया है उसके लिए हम आपके कई जन्मों तक आभारी रहेंगे। आपका यह ऋण चुकाने की कोशिश कर हम आपका अपमान नहीं कर सकते। आपका और हमारा यह मैत्री संबंध अटूट और निःस्वार्थ है और हमेशा ऐंसा ही बना रहेगा.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।परमहंस मुनि मन उल्लासिनि।रसिक ह्रदय रस रास विलासिनि।भक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि।कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHgoWIPBuiH/?igshid=1ogtn5lz7pud3
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 12🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ गुरुवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹सभी ऋषि-मुनियों द्वारा प्रभु को नमन: श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! सभी ऋषि-मुनियों ने भगवान के वचन सुनकर प्रभु को नमन करते हुए कहा - हे जगत रक्षक परमात्मा प्रभु! आज आपके मार्गदर्शन से हमारा जन्म हमार��� विद्या हमारा तप और हमारे समस्त कर्म सफल हो गए। हमने आपको पहचानने में विलंब कर दिया हमें क्षमा करें प्रभु। आप स्वयं सच्चिदानंद भक्त वत्सल स्वरूप परब्रह्म परमात्मा हैं। हम सभी आपको शत शत बार नमन कर। आप हम पर कृपा कीजिए और अपनी दिव्य ज्योति में लीन कर लीजिए। वसुदेव जी और अन्य सभी लोगों प्रभु से आज्ञा लेकर अन्य तीर्थों की यात्रा को जाने लगे तब नारदजी ने उन सभी को रोकते हुए कहा - आप सब गंगा के पवित्र तट को छोड़कर दूसरे तीर्थों पर शुद्धि के लिए जाना चाहते हैं। यह तो बड़ी विचित्र बात है। प्रभु श्रीकृष्ण तो स्वयं अद्वितीय परमात्मा हैं और आप सांसारिक मोह वश इसे मात्र एक परिचित /परिवारिक सदस्य समझ रहे हैं। नेत्रों को बंद कर लेने से सूर्य की शक्ति /अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता। 🙏🌹it's not easy for all so called Gyanis/skilled priests/others to realise the power & existence of the Almighty God🌹🙏तब सभी ऋषि-मुनियों ने व्यास जी के मुख से कहलवाया - वसुदेव जी व अन्य उपस्थित सभी आगंतुक सुनिए : कर्म वासनाओं और कर्म फलों का पूर्ण वि���ाश तभी संभव है जब यज्ञ आदि करके यज्ञों के अधिपति की आराधना की जाए यही कर्म और मोक्ष प्राप्त करने का सबसे सरल साधन है जो चित्त को शुद्ध कर सकता है... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि।जन्म मृत्यु मय भव भय हारिनि।सेवत सतत सकल सुखकारिनि।समहौषधि हरि चरित्र ज्ञान की।आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHeCSILAhyh/?igshid=16axi5f79zhjr
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 11🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ बुधवार 🌹ॐ गं गणपतये नमः 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹सभी यदुवंशियों का भगवान श्रीकृष्ण का सम्मान और यज्ञोत्सव व प्रभु का सभी को अभिनंदन : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! देवी द्रौपदी और अन्य सभी कौरववंशियों ने जब प्रभु की सभी रानियों का भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अलौकिक प्रेम को देखकर विस्मित हो गए। उसी समय बहुत से ऋषि मुनि भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए वहाँ आए। उनमें नारदजी व्यास जी च्यवन विश्वामित्र भरद्वाज गौतम परशुराम वसिष्ठ भृगु पुलस्त्य कश्यप अत्रि मार्कण्डेय आदि प्रमुख थे जो अपने शिष्यों के साथ पधारे थे। उन्हें देखकर पहले से वहाँ बैठे सभी कौरव-पांडव उनके सम्मान में उठ खड़े हुए। उन सभी ने उन्हें सादर प्रणाम कर आदर सत्कार किया। सभी ने वहां वसुदेव जी द्वारा यज्ञोत्सव में भाग लिया। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे कहा - आप सभी आदरणीय ऋषि-मुनियों के दर्शन देवताओं को भी दुर्लभ हैं। आज (आप/हम सभी भक्तगण भी मानसिक रूप से उपस्थित होकर इस दुर्लभ प्रसंग और ऋषि-मुनियों और भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन का अनुभव कर अपने आपको प्रभु के श्रीचरणों में सौंप दें) ), आप सबके दर्शन करके हमारा जीवन धन्य हो गया। केवल तीर्थो की यात्रा, मिट्टी पत्थर की मुर्तियों का पूजन, व्रत पूजा यज्ञ हवन आदि से जीव को पापों और माया मोह से मुक्ति नहीं मिलती। यदि आप सभी दृढ़ विश्वास श्रद्धा भक्ति के साथ साधु संतो निर्धनों की सेवा और मन ही मन ईश्वर का सुमिरन और शुक्रिया प्रतिदिन कुछ पलो /घड़ी दो घड़ी के लिए भी करें तो निश्चय ही आप जीवन - मृत्यु के चक्र से होकर अंत समय में ईश्वर के बैकुण्ठ धाम को प्राप्त कर सकते हैं अन्यथा आपका यह मनुष्य होना भी पशुओं में भी नीच गधे के समान है। भगवान श्रीकृष्ण के वचन सुनकर सभी उपस्थित ऋषि - मुनियों ने... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।विषय विलास विमोह विनाशिनि।विमल विराग विवेक विकाशिनि।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि।परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती.. प्रणाम 🕉️🕉️🌹🌹🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHbdR9KgElW/?igshid=1as15fs6jdsfp
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🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹जय श्री राधाकृष्ण : आपके लिए महत्वपूर्ण सूचना : covid19 के बावजूद हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी परम पिता परमात्मा की कृपा से पूरे देश में दीपोत्वस का इंतजार हो रहा है। धनतेरस से शुरू होकर पांच दिन चलने वाला यह पर्व भाई दूज को समाप्त हो जाएगा। इस बार धनतेरस 12 नवंबर को मनाई जाएगी। अगले दिन यानी 13 नवंबर को रूच चौदस रहेगी। 14 नवंबर को देशभर में दिवाली मनाई जाएगी और घर घर लक्ष्मीजी की पूजा होगी। अगले दिन गोवर्धन पूजा होगी और 16 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। धनतेरस या धनत्रयोदशी: 12 नवंबर धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 4:57 बजे से शाम 6:50 बजे तक प्रदोष काल: प्रातः 4:50 से प्रातः 7:33 तक वृष काल: 4.57 से 18:50 नरक चतुर्दशी आम तौर पर दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इसे रूपचौदस भी कहा जाता है। इस दिनस्नान का शुभ मुहूर्त शाम 5.23 बजे से शाम 6.43 बजे तक है। नरक चतुर्दशी को भारत के कुछ हिस्सों में रूप चतुर्दशी और रूप चौदस के रूप में भी जाना जाता है। दीपावली के दिन कब रहेगा प्रदोष काल लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक प्रदोष काल - शाम 5:55 बजे से रात 8:25 बजे तक वृषभ काल - शाम 6 बजे से रात 8:04 बजे तक गोवर्धन पूजा 2020: 15 नवंबर गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - प्रातः 6:25 से प्रातः 8:30 तक गोवर्धन पूजा सायंकला मुहूर्त - दोपहर 2:44 बजे से शाम 4:49 बजे तक। भाई दूज 2020: 16 नवंबर भाई दूज अपर्णा का समय: दोपहर 12:39 बजे से 2:44 बजे तक द्वितीया तिथि 15 नवंबर को शाम 5:36 बजे शुरू होगी। द्वितीया तिथि 16 नवंबर को दोपहर 2:26 बजे समाप्त हो रही है। : राधे राधे : प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CHZ8qRHgwIu/?igshid=1o81epsvnuz94
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 10🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ मंगलवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹भगवान श्रीकृष्ण की सभी रानियों का द्रौपदी से वार्तालाप : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! देवी सत्या ने द्रौपदी से कहा - बहन! मेरे पिता ने मेरे स्वयंबर में संकल्प कर रखा था कि जो भी तीखे सींगों वाले सात मतवाले बैलों को नाथ देगा उसी के साथ वे मेरा विवाह करेंगे। प्रभु श्रीकृष्ण ने यह चमत्कार दिखा कर मुझसे पाणिग्रहण किया। भद्रा ने कहा - बहन! भगवान श्रीकृष्ण ने मुझे अपनाकर मुझे मुंह मांगी भक्ति प्रदान कर दी। लक्ष्मण ने कहा --बहन! मेरे पिता बृहत्सेन मेरे विवाह के लिए स्वयंबर रखा जिसमें एक ऊपर घूमती मछली की नीचे जल में परछाई को देखकर उसकी आंख को भेदना था। जिसे पलक झपकते ही प्रभु ने पूरा कर मेरा पाणिग्रहण किया। बाकी सभी सोलह हजार रानियों की ओर से देवी रोहिणी ने द्रौपदी से कहा - बहन! प्रभु श्रीकृष्ण ने दुष्ट भौमासुर को मारकर उसके बंदी गृह से सोलह हजार राजकुमारियों को मुक्त करवा कर हमें अपने श्रीचरणों की दासी बनाकर सम्मानित किया। हम तो जन्म जन्मांतर भगवान के श्रीचरणों में दासी बनकर उनकी सेवा करना चाहती हैं। धन्य है प्रभु श्रीकृष्ण जिन्होंने हमें जन्म - मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान कर अपने चरणों ���ें जगह देकर हम पर अपनी असीम कृपा कर दीं।🙏🌹" We all love you Lord Krishna"🌹🙏.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।महापुराण भागवत निर्मल।शुक मुख विगलित निगम कल्प फल।परमानंद सुधा रसमय कल।लीला रति रस रस निधान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHY5V75g4nI/?igshid=161fa60zr5uxs
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 9🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ सोमवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! सत्यभामा ने द्रौपदी से कहा - बहन! मेरे पिता श्री अपने भाई प्रसेन की मृत्यु से बहुत दुःखी थे। उन्होंने उनके वध का कलंक भगवान पर लगाया। तब प्रभु श्रीकृष्ण ने उस कलंक को दूर करने के लिए वन में गए और ऋक्षराज जांबवान पर विजय प्राप्त करके स्यमंतक मणि ले आए और मेरे पिता को सौंप दी तो मेरे पिता मुझे मणि देकर भगवान श्रीकृष्ण से विवाह कर दिया। जांबवती ने कहा - बहन! मेरे पिता को पता नहीं था कि प्रभु श्री विष्णु के अवतार हैं। इसलिए सत्ताईस दिन तक लड़ते रहे। परंतु जब ज्ञान हुआ तब उन्होंने स्यमंतक मणि के मुझे प्रभु के श्रीचरणों में समर्पित कर दिया। कालिन्दी ने कहा - बहन! प्रभु ने मुझे यमुना तट पर तपस्यारत देखा तो अर्जुन ने प्रभु को मेरी तपस्या का उद्देश्य बताया तो भगवान श्रीकृष्ण ने मुझे अपनी सेवा में ले लिया। मित्रविन्दा ने कहा - बहन! मुझे तो प्रभु ने स्वयंबर में जीता। मैं तो उनके श्रीचरणों की कृपा की जन्मों की प्यासी थी। मैं उन्हें पति रूप में पाकर धन्य हो गई। सत्या ने कहा... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।परमहंस मुनि मन उल्लासिनि।रसिक ह्रदय रस रास विलासिनि।भक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि।कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHWUNVFg-5_/?igshid=nwfmfy4iw471
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 9🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ सोमवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! सत्यभामा ने द्रौपदी से कहा - बहन! मेरे पिता श्री अपने भाई प्रसेन की मृत्यु से बहुत दुःखी थे। उन्होंने उनके वध का कलंक भगवान पर लगाया। तब प्रभु श्रीकृष्ण ने उस कलंक को दूर करने के लिए वन में गए और ऋक्षराज जांबवान पर विजय प्राप्त करके स्यमंतक मणि ले आए और मेरे पिता को सौंप दी तो मेरे पिता मुझे मणि देकर भगवान श्रीकृष्ण से विवाह कर दिया। जांबवती ने कहा - बहन! मेरे पिता को पता नहीं था कि प्रभु श्री विष्णु के अवतार हैं। इसलिए सत्ताईस दिन तक लड़ते रहे। परंतु जब ज्ञान हुआ तब उन्होंने स्यमंतक मणि के मुझे प्रभु के श्रीचरणों में समर्पित कर दिया। कालिन्दी ने कहा - बहन! प्रभु ने मुझे यमुना तट पर तपस्यारत देखा तो अर्जुन ने प्रभु को मेरी तपस्या का उद्देश्य बताया तो भगवान श्रीकृष्ण ने मुझे अपनी सेवा में ले लिया। मित्रविन्दा ने कहा - बहन! मुझे तो प्रभु ने स्वयंबर में जीता। मैं तो उनके श्रीचरणों की कृपा की जन्मों की प्यासी थी। मैं उन्हें पति रूप में पाकर धन्य हो गई। सत्या ने कहा... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।परमहंस मुनि मन उल्लासिनि।रसिक ह्रदय रस रास विलासिनि।भक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि।कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHWTaCGAwIY/?igshid=e8q2wwvfpcva
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 8🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ रविवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹भगवान श्रीकृष्ण की सभी रानियों से द्रोपदी की भेंट : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा - हे परम पिता परमात्मा श्रीकृष्ण! बडे-बडे महापुरुष,ऋषि मुनी आपके श्रीचरणकमलों का रसपान करने के लिए लालायित रहते हैं। प्रभु यह अमृत रस इतना अद्भुत और दिव्य जिसे सच्ची श्रद्धा और आस्था से पान करने वाला प्राणी जन्म-मृत्यु के चक्र में डालने वाले अज्ञान को नष्ट कर डालता है। जो केवल दिखावे का ढोंग करते हैं उनका कभी मंगल नहीं होता और जो इसे सच्ची श्रद्धा और विश्वास से रस पान करते हैं उनका कभी अमंगल नहीं होता। प्रभु श्रीकृष्ण ने सभी रानियों से देवी द्रोपदी की भेंट करायी। तब द्रोपदी ने कहा - हे देवी रुक्मिणी!, जांबवती जी, सत्यभामा जी व अन्य सभी सम्मानित पटरानियों आप हमें यह समझाईए कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी माया से किस प्रकार आपका पाणिग्रहण किया। रुक्मिणी जी ने कहा - बहन! जरासंध आदि राजा मेरा विवाह शिशुपाल से कराना चाहते थे इसलिए मेरी प्रार्थना पर वे मुझे ऐंसे हर लाए। जैंसे सिंह बकरी और भेड़ो के झुंड में से अपना भाग छीन लाता है। अब मेरी तो यही इच्छा है कि हर जन्म में मुझे प्रभु श्रीकृष्ण के श्रीचरणकमलों का आश्रय प्राप्त होता रहे। सत्यभामा ने कहा.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।महापुराण भागवत निर्मल।शुक मुख विगलित निगम कल्प फल।परमानंद सुधा रसमय कल।लीला रति रस रस निधान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHTq8bhAmm2/?igshid=1d2vh996xsjie
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🙏🙏🌹🌹🕉️🕉️जय श्री राधाकृष्ण : आप सभी पर श्री राधाकृष्ण जी की असीम कृपा हमेंशा बनी रहे : मेरे प्यारे श्री राधाकृष्ण भगवान आपके श्रीचरणों में शत शत कोटि प्रणाम 🕉️🕉️🌹🌹🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CHSMwQdgpZ_/?igshid=4pbmfwhvpifh
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 7🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ शनिवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सभी को सांत्वना देना : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! रोहिणी और देवकी ने यशोदा को अपनी बांहों में भरकर बड़ी देर तक ढाढंस बंधाया। देवकी ने यशोदा से कहा - बहन! तुमने और ब्रजेश्वर नंद बाबा ने हम लोगों पर जो उपकार किया है वह हम जन्म - जन्मांतर नहीं उतार पाएंगे। सच में ही आप दोनों श्रीकृष्ण और बलराम के माता-पिता हैं। you are really great! 🌹दूसरी ओर गोपियों ने प्रभु के दर्शन किए तो वे सभी उनके श्रीचरणों में गिरकर अश्रुपात करने लगीं। भगवान श्रीकृष्ण ने सभी को उठाकर ह्रदय से लगाया और उनके साथ बिताए लम्हों को याद करते हुए कहने लगे - मैं तुमसे कभी विलग नहीं रहा। मैं आपके ह्रदय में सदैव उपस्थित रहूँगा। भगवान श्रीकृष्ण की सांत्वना पाकर गोपियां बोली-हे प्रभु! आप हम पर ऐंसीं कृपा कीजिए कि अपनी गृहस्थी में रहते हुए भी आपके श्रीचरणकमलों की स्मृति से कभी विमुख न हों। आप सदैव हमारे ह्रदय में विराजमान रहें। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - प्रिय गोपियों! तुम्हारें ह्रदय में जो निःस्वार्थ अमर अतुलनीय प्रेम है यही मेरा स्वरूप है। जो सभी प्राणियों से बिना किसी भेदभाव और स्वार्थ के सच्चा प्रेम कर अपना सम्पूर्ण जीवन जनकल्याण सेवा में लगा रहता है वो ही मेरा सच्चा भक्त है। वही मूझे अत्याधिक प्रिय है.. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।परमहंस मुनि मन उल्लासिनि।रसिक ह्रदय रस रास विलासिनि ।भक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनि।कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHRLLXhAuEg/?igshid=og8c6ivg2epd
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🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹जय माता दी : आप सभी पर माँ दुर्गा की असीम कृपा हमेंशा बनी रहे : आप्का हर पल दुसरो को खुशियां देने में व्यतीत हो जिससे ( As you sow so shall u reap!) आपका हर लम्हा शुभ सुंदर कोरोना मुक्त भक्ति सत्संगमयी और मंगलमय हो : हर पल ईश्वरीय कृपा आप पर बरसती रहे और आप यूँही सदा मुस्कराते रहें : प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CHQIZ1BAtIv/?igshid=dnvnqmd7cya
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 6🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ शुक्रवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹भगवान श्रीकृष्ण और बलरामजी की गोप-गोपियों से भेंट : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! एक बार सूर्यग्रहण के अवसर पर सभी यदुवंशी अपने परिजनों के साथ कुरुक्षेत्र पहुंचे और वहाँ कौरव-पांडव आदि सभी नृपति और श्रद्धालु भी उपस्थित थे। सभी ने उपवास किया और सूर्यग्रहण की समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान दक्षिणा और गौएं दान में दीं। इसी अवसर पर नंद बाबा भी भगवान श्रीकृष्ण और बलरामजी से मिलने कुरुक्षेत्र आ पहुंचे। नंद आदि गोप-गोपियां को देखकर सभी यदुवंशी बहुत प्रसन्न हुए और सभी एक दूसरे से प्रगाढ़ आलिंगनबद्ध होकर मिले। भगवान श्रीकृष्ण और बलरामजी ने नंद बाबा और माता यशोदा के चरण स्पर्श करके उनको ह्रदय से लगाकर उन्हें अतिशय आनंद प्रदान किया। प्रेम के उद्रे�� से दोनों भाइयों का गला रुंध गया और माता यशोदा के अविरल बहते अश्रु तो थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके ह्रदय में कई वर्षों की श्रीकृष्ण और बलराम से मिलने की आकांक्षा आज पूरी हुई। माता रोहिणी और देवकी... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि ।जन्म मृत्यु मय भव भय हारिनि।सेवत सतत सकल सुखकारिनि।समहौषधि हरि चरित्र गान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHOkxPRAnDG/?igshid=3of6bv3ng9gv
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🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹जय श्री राधाकृष्ण : आप सभी पर श्री राधाकृष्ण जी की असीम कृपा हमेंशा बनी रहे : आप्का हर पल शुभ सुंदर कोरोना मुक्त भक्ति सत्संगमयी और मंगलमय हो : प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CHNvlLCgFd0/?igshid=14hfvyobiig2k
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 5🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ गुरुवार 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹प्रभु श्रीकृष्ण का सुदामा को उपहार : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! सुदामा जी अपनी कुटिया के स्थान पर एक भव्य विशेष तौर विशाल महल के ऐश्वर्य को दूर से देखकर सोचने लगे कि उसी समय महल के भीतर से अति सुन्दर वस्त्रों और आभूषणों से मटकती और फुदकती हुई उनकी पत्नी दौड़ती हुई बाहर आई और अपने प्रिय पति सुदामा जी को अपनी बांहों में भर लिया। आंनद विभोर होकर बोली - आप आ गए स्वामी! देखो तुम्हारे मित्र ने हमें कितनी सुख-संपदा प्रदान की है। आश्चर्य से भरे हुए सुदामा जी ने महल में प्रवेश किया तो उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के महल सरीखा ही वह दिखाई दिया। सुदामा सर्वत्र फटी-फटी नजरों से देखते ठगे से रह गए। वे सोचने लगे कि इतनी सुख-समृद्धि भगवान श्रीकृष्ण के अतिरिक्त और कौन मुझे दे सकता है। यह मुझ निर्धन की निष्काम भक्ति और उन्हीं की कृपा है। पर मुझे तो इन सबकी कोई आवश्यकता नहीं है। मुझे तो हर जन्म, प्रभु श्रीकृष्ण के श्रीचरणकमलों से प्रेम, प्रभु का सानिध्य, उनका साथ और मित्रता प्राप्त होती रहे। इससे अधिक मुझे और क्या चाहिए। यह धन वैभव तो एक दिन नष्ट हो जाएगा। परंतु मेरा प्रभु से प्रेम कभी नष्ट ना हो। मुझे कुछ और नहीं चाहिए। ऐंसा कहकर प्रभु के सच्चे सखा सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के श्रीचरणों की भक्ति में लीन /तन्मय हो गए। प्रभु श्रीकृष्ण ने सुदामा जी को साक्षात दर्शन देते हुए कहा जो व्यक्ति प्रतिदिन सच्ची श्रद्धा और विश्वास से इस कथा का श्रवण /पाठन /लेखन आदि कर अपना जीवन अन्य सभी धर्मो के निर्धनों की बिना किसी भेदभाव के निस्वार्थ सेवा में लगा कर उन्हें खुशियां और ऐश्वर्य प्रदान करेगा तो,( और कभी किसी को न रुलाना, यदि मेरी आंखों में आंसू आ गए तो...??? ) मैं उसे उसके जीवन को उससे लाखों गुना ज्यादा सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य से भर दूंगा। (तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा। गरीबों की सुनों वो...).. To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।विषय विलास विमोह विनाशिनि।विमल विराग विवेक विकाशिनि।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि।परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHMCXv1g9zN/?igshid=14jifcuwggw4s
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*🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹November 4🌹भक्ति सत्संगमयी शुभ बुधवार🌹हैप्पी करवा चौथ 🌹आप सभी को प्रथम पुज्य श्रीगणेशजी की ओर से करवा चौथ के इस पावन पर्व पर आपके शुभ सुंदर कोरोना मुक्त भक्ति सत्संगमयी और मंगलमय वैवाहिक जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹ॐ गं गणपतये नमः 🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹प्रभु श्रीकृष्ण का सुदामा जी को उपहार : श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! सुदामा जी उस रात प्रभु के महल में श्रीकृष्ण जी के साथ ही रहे। रात्रि बड़े आनंद से ��्यतीत हुई दुसरे दिन सुदामा जी भगवान से विदा लेकर घर की ओर चल पड़े और सोचने लगे। सचमुच प्रभु ने इस निर्धन को इतना सम्मान दिया। लेकिन अच्छा हुआ मैंने कुछ मांगा नहीं और वैंसे भी मैं उन सभी ऐश्वर्य के योग्य नहीं। मुझे जो निर्धनता में सुख है प्रभु का सिमरन करने का वह शायद मैं सभी ऐश्वर्य प्राप्त करके भी न कर पाऊं। इसलिए प्रभु ने मुझे कुछ नहीं दिया है। इस प्रकार मन ही मन सोचते हुए सुदामा जी चले जा रहे थे। जब वे घर पहुंचे तो उन्हें अपनी कुटिया कहीं दिखाई नहीं दी। वहाँ एक सुंदर महल खड़ा था। चारों और अति सुन्दर उद्यान थे।सुंदर सुगंधित फूल महक रहे थे। पक्षी चहचहा रहे थे। रंग-बिरंगे वस्त्र पहने नौकर चाकर घूम रहे थे। अरे! मेरी कुटिया कहाँ गई? मेरी पत्नी कहाँ चली गई? उसी समय महल के... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुराण की।धर्म भक्ति विज्ञान खान की।महापुराण भागवत निर्मल।शुक मुख विगलित निगम कल्प फल।परमानंद सुधा रसमय कल।लीला रति रस रस निधान की। आरती.. प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏* https://www.instagram.com/p/CHJb-TIA4Qi/?igshid=at8mgb0yxmq4
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🙏🙏🕉️🕉️🌹🌹HAPPY KARVA CHUATH 🌹Parham pujya shri Ganesh ji wishes you a very happy loving भक्ति सत्संगमयी शुभ सुंदर कोरोना मुक्त भक्ति सत्संगमयी और मंगलमय वैवाहिक जीवन 🌹🌹हैप्पी करवा चौथ : आपको प्रथम पुज्य श्रीगणेशजी की ओर से शुभ सुंदर कोरोना मुक्त भक्ति सत्संगमयी और मंगलमय वैवाहिक जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं : प्रणाम 🌹🌹🕉️🕉️🙏🙏 https://www.instagram.com/p/CHIfp7og-1i/?igshid=fitkecrv4qhv
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