कबीर, गुरू गोविंद दोनों खड़े, किसके लागूं पाय। बलिहारी गुरू आपणा, गोविन्द दियो बताय।।
बिन गुरू भजन दान बिरथ हैं, ज्यूं लूटा चोर। न मुक्ति न लाभ संसारी, कह समझाऊँ तोर।।
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान। गुरू बिन दोनों निष्फल हैं, चाहे पूछो बेद पुरान।।
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गुरु के समान कोई तीर्थ नहीं
श्री नानक देव जी ने श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी के पृष्ठ 437 पर कहा है:-
नानक गुरु समानि तीरथु नहीं कोई साचे गुरु गोपाल।
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जो पूर्ण सतगुरु होगा उसमें चार मुख्य गुण होते हैं:-
गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना (ज्ञाता)।
दूजे हरि भक्ति मन कर्म बानी, तीसरे समदृष्टि कर जानी।
चौथे वेद विधि सब कर्मा, यह चार गुरु गुण जानो मर्मा।
कबीर सागर के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध‘‘ के पृष्ठ 1960 पर ये अमृतवाणियां अंकित हैं।
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संत रामपाल जी महाराज के सत्संग क्यों सुनें?
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित मोक्ष प्राप्ति के सांकेतिक मंत्र ओम्-तत्-सत् का रहस्य संत रामपाल जी महाराज उजागर करते हैं। इसलिए हमें प्रतिदिन संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनने चाहिए।
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क्यों सुनें संत रामपाल जी का सत्संग?
संत रामपाल जी महाराज का सत्संग हमें इसलिए सुनना चाहिए क्योंकि आज तक जो तत्वज्ञान हमारे तथाकथित धर्मगुरु नहीं बता सके वह तत्वज्ञान संत रामपाल जी ने
गीता,
वेदों,
पुराणों व सभी धर्म शास्त्रों
से प्रमाण सहित बताया है। जिससे भक्त समाज अंधविश्वास, पाखंड और धार्मिक भ्रांतियों से बच सकता है।
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संत रामपाल जी महाराज, सत्संग में जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति के बारे में बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है और इसके लिए सही गुरु की पहचान और सही मार्गदर्शन आवश्यक है। इस बारे में कबीर साहेब ने कहा है:
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार।
तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।
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