" _*क्षत्रिय का क्षत्रिय से आह्वान_* "
क्षत्रिय होकर क्षत्रिय का, आप सभी सम्मान करो।
सब क्षत्रिय हैं एक हमारे, मत उनका नुकसान करो ।।
चाहे क्षत्रिय कोई भी हो, मत उसका अपमान करो।
जो गरीब हो अपना क्षत्रिय, धन देकर धनवान करो ।।
हो गरीब क्षत्रिय की बेटी, मिलकर कन्यादान करो।
हो गरीब क्षत्रिय का बेटा, उसकी मदद तमाम करो।।
हो बीमार कोई भी क्षत्रिय, उसे रक्त का दान करो।
बिन घर मिले कोई यदि क्षत्रिय, उसका खड़ा मकान करो ।।
मसला कोर्ट में हो गर उसका, बिना फीस के काम करो।
अगर दिखे कोई क्षत्रिय भूखा, भोजन का इन्तजाम करो।।
अगर फाईल हो क्षत्रिय की, तो शीघ्र काम श्रीमान करो।
क्षत्रिय की लटकी हो राशि, शीघ्र आप भुगतान करो ।।
क्षत्रिय को गर कोई सताये, उसकी आप पहचान करो ।
अगर जरूरत हो क्षत्रिय को, घर जाकर श्रमदान करो ।।
अगर मुसीबत में हो क्षत्रिय, फौरन मदद का काम करो।
वस्त्र विहीन दिखे यदि क्षत्रिय, उसे वस्त्र का दान करो ।।
अगर उदास दिखे कोई क्षत्रिय, खुश करने का काम करो।
कोई क्षत्रिय घर पर आए, बढ़ उसका सम्मान करो ।।
अगर फोन पर बातें हों तो, पहले तुम श्रीराम करो।
अपने से हो बड़ा उम्र में, उसको आप प्रणाम करो ।।
अगर चुनाव लड़े कोई क्षत्रिय, शत प्रतिशत मतदान करो।
प्रभु ने तुम्हें बनाया क्षत्रिय, तुम उस पर अभिमान करो।।
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